पाकिस्तान और BRICS: रणनीतिक रिश्ते और भविष्य की संभावनाएँ
पाकिस्तान का BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका) के साथ संबंध जटिल रहा है, जिसमें देश सदस्य नहीं है, लेकिन विभिन्न तरीकों से इस समूह के साथ जुड़ा हुआ है। यहाँ इस संबंध का एक अवलोकन है:
1. गैर-सदस्य स्थिति:
पाकिस्तान BRICS का सदस्य नहीं है। इस समूह की शुरुआत 2006 में ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन (BRIC) से हुई थी, और दक्षिण अफ्रीका 2010 में शामिल हुआ। हालांकि पाकिस्तान ने इस समूह में शामिल होने की इच्छा जताई है, खासकर इसके आर्थिक और भू-राजनीतिक महत्व के कारण, लेकिन इसे अब तक पूर्ण सदस्य बनने का निमंत्रण नहीं मिला है। यह सदस्यता न मिलने की एक बड़ी वजह भारत के साथ क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा है, जो BRICS का एक मुख्य सदस्य है।
2. आर्थिक संलिप्तता:
सदस्य न होने के बावजूद, पाकिस्तान BRICS के कई देशों के साथ आर्थिक और कूटनीतिक संबंध बनाए रखता है। यह चीन, जो BRICS के भीतर प्रमुख साझेदार है, के साथ चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के ढांचे में जुड़ा हुआ है, जो पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को चीन के शिनजियांग क्षेत्र से जोड़ता है। यह रणनीतिक गठबंधन पाकिस्तान को क्षेत्रीय आर्थिक गतिवधियों में महत्वपूर्ण बनाता है, जिससे यह अप्रत्यक्ष रूप से चीन के माध्यम से BRICS से जुड़ा हुआ है।
3. भारत के साथ संबंध:
BRICS में भारत की सदस्यता पाकिस्तान के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है, क्योंकि दोनों देशों के बीच कश्मीर को लेकर लंबी प्रतिस्पर्धा रही है। इस प्रतिस्पर्धा के कारण, पाकिस्तान का BRICS में शामिल होने का प्रयास अक्सर विफल होता है। भारत के साथ कूटनीतिक और भू-राजनीतिक तनाव की वजह से पाकिस्तान के लिए BRICS में सदस्यता पाना मुश्किल है।
4. कूटनीतिक और रणनीतिक हित:
पाकिस्तान ने विभिन्न तरीकों से BRICS के साथ जुड़ने की कोशिश की है। यह कुछ BRICS आउटरिच सम्मेलनों में दक्षिण एशियाई क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के रूप में शामिल हुआ है, लेकिन जब भी भारत से जुड़ी संवेदनशील समस्याएँ उठती हैं, तो इसे अक्सर मुख्य चर्चाओं से बाहर रखा जाता है। रूस के साथ पाकिस्तान के संबंधों में वृद्धि हो रही है, और दोनों देशों ने रक्षा और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने में रुचि दिखाई है। यह बढ़ता हुआ संबंध BRICS से पाकिस्तान की अप्रत्यक्ष भागीदारी के लिए अवसर खोल सकता है।
5. चीन की भूमिका:
BRICS में चीन का प्रभाव पाकिस्तान के इस समूह के साथ संबंधों में एक महत्वपूर्ण कारक है। पाकिस्तान ने चीन के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है, और यह रणनीतिक साझेदारी पाकिस्तान के व्यापक कूटनीतिक रुख को प्रभावित करती है। जबकि BRICS स्वयं पाकिस्तान को औपचारिक रूप से शामिल नहीं करता है, पाकिस्तान का चीन के साथ संबंध अक्सर इसे विभिन्न द्विपक्षीय और क्षेत्रीय संदर्भों में समूह के करीब लाता है।
6. भविष्य की संभावनाएँ:
भविष्य में BRICS के विस्तार को लेकर चर्चा रही है, और पाकिस्तान, ईरान जैसे देशों ने इसमें शामिल होने की इच्छा जताई है। हालांकि, BRICS के निर्णय लेने की प्रक्रिया जटिल है, और कोई भी विस्तार मौजूदा सदस्य देशों के हितों को संतुलित करना होगा, खासकर भारत और चीन के, जो इस समूह की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पाकिस्तान का BRICS के साथ संबंध मुख्य रूप से अप्रत्यक्ष है, लेकिन यह चीन के साथ उसकी रणनीतिक साझेदारी और भारत के साथ उसकी प्रतिस्पर्धा से प्रभावित होता है। जबकि यह औपचारिक संरचना से बाहर है, पाकिस्तान व्यापार, ऊर्जा और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से BRICS देशों के साथ द्विपक्षीय आधार पर जुड़ा हुआ है, खासकर चीन के साथ। पाकिस्तान की BRICS में भागीदारी के लिए भविष्य की संभावनाएँ व्यापक भू-राजनीतिक परिवर्तनों पर निर्भर करती हैं, जिसमें चीन, भारत और अन्य प्रमुख वैश्विक खिलाड़ियों के बीच बदलते हुए रिश्ते शामिल हैं।
Dec 24 2024, 20:17