पनामा नहर की क्या है अहमियत, अमेरिका के कंट्रोल की दी धमकी, ट्रंप के बयान से मची खलबली
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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पनामा नहर पर नियंत्रण वापस लेने के बयान से विवाद खड़ा हो गया है। ट्रंप ने रविवार को कहा कि उनका प्रशासन पनामा नहर पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास कर सकता है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा से कहा है कि वह पनामा नहर की फीस कम करे या तो उस पर नियंत्रण अमेरिका को वापस कर दे। ट्रंप ने आरोप लगाया कि मध्य अमेरिकी देश पनामा अमेरिकी मालवाहक जहाज़ों से ज़्यादा क़ीमत वसूल रहा है। वहीं पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इस धारणा को अपने देश की संप्रभुता का अपमान बताते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया।
ट्रंप के पास अगले महीने अमेरिका की कमान आने वाली है।इससे पहले ट्रंप ने रविवार को कहा कि उनका प्रशासन पनामा नहर पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास कर सकता है जिसे अमेरिका ने ‘मूर्खतापूर्ण’ तरीके से अपने मध्य अमेरिकी सहयोगी को सौंप दिया था। ट्रंप ने अपनी इस बात के पीछे तर्क दिया कि अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली इस अहम नहर से गुजरने के लिए जहाजों से ‘बेवजह’ शुल्क वसूला जाता है।
एरिजोना में ‘टर्निंग प्वाइंट यूएसए अमेरिकाफेस्ट’ में समर्थकों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने ये बातें कहीं। पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इस धारणा को अपने देश की संप्रभुता का अपमान बताते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि पनामा कभी भी सौदेबाजी का विषय नहीं होगा। पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने ट्रंप के बयान को खारिज कर कहा, 'नहर और उसके आसपास का हर वर्ग मीटर पनामा का है और पनामा का ही रहेगा। पनामा के लोगों के कई मुद्दों पर अलग-अलग विचार हो सकते हैं, लेकिन जब हमारी नहर और हमारी संप्रभुता की बात आती है तो हम सभी एकजुट हैं। इसलिए नहर का नियंत्रण पनामा का है और यह कभी भी सौदेबाजी का विषय नहीं होगा।'
पनामा नहर अहम क्यों?
82 किलोमीटर लंबी पनामा नहर अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ती है। हर साल पनामा नहर से क़रीब 14 हज़ार पोतों की आवाजाही होती है। इनमें कार ले जाने वाले कंटेनर शिप के अलावा तेल, गैस और अन्य उत्पाद ले जाने वाले पोत भी शामिल हैं। पनामा की तरक़्क़ी का इंजन उसकी यही नहर है। पनामा के पास जब से नहर का नियंत्रण आया है, तब से उसके संचालन की तारीफ़ होती रही है। पनामा की सरकार को इस नहर से हर साल एक अरब डॉलर से ज़्यादा की ट्रांजिट फीस मिलती है। हालांकि पनामा नहर रूट से कुल वैश्विक ट्रेड का महज पाँच फ़ीसदी करोबार ही होता है।
अमेरिका ने पनामा को क्यों सौंपी थी नहर
अमेरिका ने 1900 के दशक की शुरुआत में इस नहर का निर्माण किया था। उसका मकसद अपने तटों के बीच वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों के आवागमन को सुविधाजनक बनाना था। 1977 तक इस पर अमेरिका का नियंत्रण था। इसके बाद पनामा और अमेरिका का संयुक्त नियंत्रण हुआ लेकिन 1999 में इस पर पूरा नियंत्रण पनामा का हो गया था। अमेरिका ने 1977 में राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा हस्ताक्षरित एक संधि के तहत 31 दिसंबर 1999 को जलमार्ग का नियंत्रण पनामा को सौंप दिया था।
पनामा नहर विवादों में क्यों?
यह नहर जलाशयों पर निर्भर है और 2023 में पड़े सूखे से यह काफी प्रभावित हुई थी, जिसके कारण देश को इससे गुजरने वाले जहाजों की संख्या को सीमित करना पड़ा था। इसके अलावा नौकाओं से लिया जाने वाला शुल्क भी बढ़ा दिया गया था। इस वर्ष के बाद के महीनों में मौसम सामान्य होने के साथ नहर पर पारगमन सामान्य हो गया है लेकिन शुल्क में वृद्धि अगले वर्ष भी कायम रहने की उम्मीद है।
Dec 24 2024, 20:16