राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला, रोशन सिंह, काकोरी कांड के हीरो जिन्हें फांसी होती तो 1947 से पहले आजाद हो गया होता देश
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। भारत की आजादी की लड़ाई में अनेक महान क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी. 19 दिसंबर का दिन भारत में शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है. 19 दिसंबर 1927 यही वह तारीख और दिन था जब काकोरी कांड में शामिल क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह को अंग्रेजों ने फांसी दी थी।
इन क्रांतिकारियों की शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नया मुकाम दिया और उनका बलिदान आज भी भारतीय जनता के दिलों में अमर है।काकोरी कांड 9 अगस्त 1925 को हुआ था, जब क्रांतिकारियों के एक समूह ने अंग्रेजों के खजाने को लूटने की योजना बनाई थी. इस षड्यंत्र में राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, राजेंद्र लाहिड़ी और अन्य क्रांतिकारियों ने हिस्सा लिया. इनका उद्देश्य था अंग्रेजों से पैसा छीनकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को और मजबूती प्रदान करना. बिस्मिल और उनके साथियों ने काकोरी स्टेशन पर ट्रेन को रोका और अंग्रेजों का खजाना लूट लिया. इस घटना ने पूरे देश में हलचल मचाई और अंग्रेजों के खिलाफ जन जागरूकता बढ़ी।
19 दिसंबर 1927 को राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह को अंग्रेजों ने फांसी दी. इन क्रांतिकारियों की शहादत ने भारत की जनता के खून में अंग्रेजों के प्रति उबाल लाने का काम किया।
जब राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई, तो इन क्रांतिकारियों ने बड़े धैर्य और साहस के साथ फांसी को गले लगाया. उनके अंतिम शब्दों में केवल देशभक्ति की भावना थी और वे अपने देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने को तैयार थे।देश को आजादी दिलाने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। बृहस्पतिवार को शहीद पार्क में जय बाबा बर्फानी ग्रुप की ओर से परिसर की साफ-सफाई कर श्रमदान किया गया। देश की आजादी दिलाने को क्रांतिकारी वीर शहीदों ने काकोरी रेल कांड घटना को अंजाम देकर अंग्रेजों की जड़ें हिला दी थी।
क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खां व ठाकुर रोशन सिंह पर अंग्रेजी प्रशासन ने रेल लूट कांड में शामिल होने का आरोप लगाया था। कठोर प्रताड़ना के बाद भी जाबांज वीर नतमस्तक होने को तैयार नहीं हुए। जिससे तीनों वीर जवानों को 19 दिसंबर 1927 को फांसी देने का निर्णय लिया गया। आजादी के तीन मतवाले हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए थे। सभी शहीदों की पुण्यतिथि पर श्रमदानियों ने सफाई के उपरांत उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया।
Dec 21 2024, 18:44