फडणवीस का महाराष्ट्र चुनाव में विदेशी दखल का दावा, सोनिया के सोरोस कनेक्शन के बाद राहुल की भारत जोड़ों यात्रा पर सवाल

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भाजपा ने कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता सोनिया गांधी का नाम अमेरिका कारोबारी जॉर्ज सोरोस से जोड़ा है। भाजपा ने आरोप लगाया कि जॉर्ज सोरोस की एक संस्था में सोनिया गांधी को-चेयरपर्सन हैं। जॉर्ज सोरोस वही व्यक्ति हैं जो कश्मीर को भारत से अलग एक स्वतंत्र देश की बात करते हैं। भाजपा ने कहा कि ऐसे में सोनिया गांधी देश विरोधी लोगों के साथ काम करती हैं। अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' में अर्बन नक्सल का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को विधानसभा में बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में आतंकी फंडिंग का इस्तेमाल हुआ है। इस मामले की जांच एटीएस कर रही है। फडणवीस ने यह भी दावा किया कि भारतीय चुनावों में विदेशी दखलअंदाजी के सबूत मिले हैं। उन्होंने नेपाल में हुई एक बैठक का भी जिक्र किया, जिसमें ईवीएम की जगह बैलेट पेपर लाने की बात हुई थी।

चुनाव में आतंकी फंडिंग?

फडणवीस ने नासिक के मालेगांव जिले में चल रही एक जांच का जिक्र किया। फडणवीस ने बताया कि इस साल मालेगांव में कुछ युवाओं ने पुलिस में शिकायत की कि उनके खातों में 114 करोड़ रुपये बेनामी जमा किए गए हैं। आरोपी सिराज मोहम्मद ने 14 लोगों के आधार और पैन विवरण का इस्तेमाल करके नासिक मर्चेंट्स कोऑपरेटिव बैंक, मालेगांव में 14 खाते खोले। सीएम ने कहा कि इस तरह जमा किए गए 114 करोड़ रुपये को सिराज मोहम्मद और 21 अन्य खातों में भेज दिया गया। यह मामला सिर्फ मालेगांव तक सीमित नहीं है। बल्कि 21 राज्यों में फैला है। 201 खातों में 1000 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। इस 1000 करोड़ में से 600 करोड़ रुपये दुबई भेजे गए और 100 करोड़ रुपये महाराष्ट्र चुनाव में अलग-अलग कामों के लिए इस्तेमाल किए गए। फडणवीस ने आगे कहा कि एटीएस आतंकी फंडिंग के तहत इसकी जांच कर रही है।

भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल

महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक और बड़ा हमला बोला। गंभीर आरोप लगाते हुए फडणवीस ने कहा कि इस साल 15 नवंबर को नेपाल में एक बैठक हुई थी। जिसमें ईवीएम का विरोध करने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में महाराष्ट्र और अन्य बीजेपी शासित राज्यों में बैलेट पेपर से चुनाव कराने के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया गया। इस बैठक में 40 अर्बन नक्सन संगठनों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि इससे पहले महाराष्ट्र चुनाव को लेकर 180 संगठनों ने बैठक की थी। इन संगठनों के संबंध भारत जोड़ो अभियान से है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन 40 संगठनों ने राज्य चुनाव के दौरान कार्यक्रम आयोजित किए और पर्चे भी प्रकाशित किए। फडणवीस ने पूर्व राज्य गृह मंत्री आर. आर. पाटिल का हवाला देते हुए कहा कि इन संगठनों को पहले भी फ्रंटल संगठन के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने अपने इस दावे के सबूत होने की भी बात कही।

देवेंद्र फडणवीस ने 72 फ्रंटल संगठनों का किया जिक्र

देवेंद्र फडणवीस ने आगे कहा, 18 फरवरी 2014 को मनमोहन सिंह सरकार के दौरान केंद्र सरकार ने लोकसभा में 72 फ्रंटल संगठनों का जिक्र किया था, जिनमें से 7 संगठन आपके भारत जोड़ो के हैं। एंटी-नक्सल ऑपरेशन में जिन 13 संगठनों के नाम लिए गए, उनका संबंध भारत जोड़ो से है।

हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला का निधन, 89 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

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हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का शुक्रवार को निधन हो गया। गुरुग्राम मेदांता में उन्होंने दोपहर करीब 12 बजे अंतिम सांस ली। शुक्रवार को अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें मेदांता की इमरजेंसी में लाया गया था। मेदांता प्रशासन ने उनके निधन की पुष्टि की है। डॉक्टरों ने उनकी मौत की वजह कार्डियक अरेस्ट बताई है।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के निधन की पुष्टि की और कहा कि हरियाणा की राजनीति में ओमप्रकाश चौटाला का योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। उधर, ओमप्रकाश चौटाला के पार्थिव शरीर को शनिवार सुबह 8:00 बजे से चौटाला गांव में उनके फार्म हाउस पर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। फिर दोपहर 3:00 बजे चौटाला गांव में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

जानकारी के अनुसार, पूर्व सीएम ओपी चौटाला बीते कुछ समय से गुरुग्राम में रह रहे थे। इस दौरान शुक्रवार सुबह साढ़े 11 बजे के करीब उन्हें गुरुरग्राम के मैंदाता अस्पताल लाया गया था और यहां पर उन्होंने 12 बजे बाद अंतिम सांस साल ली। सांस लेने में दिक्कत के चलते उन्हें अस्पताल ले जाया गया था।

ओम प्रकाश चौटाला सात बार के विधायक, पांच बार के सीएम रहे चुके हैं। दो दिसंबर 1989 को चौटाला पहली बार मुख्यमंत्री बने थे और वे 22 मई 1990 तक इस पद पर रहे। 12 जुलाई 1990 को चौटाला ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद को शपथ ली थी, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता को दो माह में ही पद से हटा दिया गया था। हालांकि चौटाला को भी पांच दिन बाद ही पद से त्यागपत्र देना पड़ा था। 22 अप्रैल 1991 को तीसरी बार चौटाला ने सीएम पद संभाला, लेकिन दो हफ्ते बाद ही केंद्र सरकार ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने हरियाणा लोक दल (राष्ट्रीय) के नाम से नई पार्टी बनाई। 1998 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में बसपा से गठबंधन कर हरियाणा में पांच लोकसभा सीटें जीती। इसके बाद उनके दल को मान्यता मिली। इसके बाद उनकी पार्टी का नाम बदलकर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) कर दिया गया। 24 जुलाई 1999 में चौटाला ने चौथी बार सीएम पद संभाला था और दिसंबर 1999 में उन्होंने विधानसभा भंग करवा दी और विधानसभा चुनाव के बाद दो मार्च 2000 को चौटाला पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने। उसके बाद चौटाला पूरे पांच साल मुख्यमंत्री रहे।

ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के बेटे हैं। ओम प्रकाश चौटाला का जन्म 1 जनवरी 1935 को हरियाणा के सिरसा जिले के चौटाला गांव में हुआ था। उनके पिता चौधरी देवीलाल चौटाला ने हरियाणा राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और बाद में देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री और भारत के उप प्रधानमंत्री भी रहे

सरकारी शटडाउन पर ट्रंप समर्थित बिल को नहीं मिला पूर्ण बहुमत, 38 रिपब्लिकंस ने भी विरोध में की वोटिंग

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अमेरिका पर इस समय आर्थिक संकट आ गया है। उसके पास इतना पैसा नहीं बचा है कि वह सरकारी कर्मचारियों को सैलरी दे सके। हालात शटडाउन जैसे हो चुके हैं। सरकार को फंड जुटाने के लिए नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समर्थित बिल गुरुवार रात अमेरिकी संसद में गिर गया।इससे बचने के लिए अमेरिका के पास 24 घंटे से भी कम का समय बचा है।

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप की फेडरल ऑपरेशन को फंड देने और गवर्नमेंट शटडाउन से एक दिन पहले कर्ज सीमा को बढ़ाने या सस्पेंड करने के प्लान को खारिज कर दिया है। गुरुवार रात अमेरिकी संसद में सरकारी शटडाउन से बचने के लिए बिल लाया गया था। इस बिल को ट्रंप का समर्थन था। करीब 3 दर्जन रिपब्लिकन ने डेमोक्रेट्स के साथ मिलकर ट्रंप समर्थित इस बिल के खिलाफ वोटिंग की। संसद में यह बिल 174-235 से गिर गया और बहुमत वोट भी हासिल करने में विफल रहा।

दरअसल, डेमोक्रेट्स ट्रंप को उनके नए कार्यकाल के पहले साल के दौरान बातचीत का फायदा नहीं देना चाहते। इस वजह से उन्होंने इस बिल का विरोध किया। ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी से जीते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने सरकारी शटडाउन को रोकने के लिए देश की कर्ज सीमा को बढ़ाने या निलंबित करने का प्रावधान को कानून में शामिल किए जाने की मांग की थी, खास बात यह है कि इस कदम का उनकी अपनी पार्टी नियमित तौर पर विरोध करती रही है। उन्होंने बुधवार को एक बयान में कहा कि इसके अलावा कुछ भी हमारे देश के साथ विश्वासघात है।

क्या होता है सरकार का शटडाउन?

अमेरिकी सरकार में शटडाउन तब होता है, जब सरकार के खर्च संबंधी विधेयक अगले वित्तीय वर्ष की शुरुआत से पहले लागू नहीं हो पाते हैं। शटडाउन के चलते संघीय सरकार को अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ती है और गैर जरूरी सरकारी कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजना पड़ता है। इस दौरान सिर्फ कानून व्यवस्था बनाए रखने वाली जरूरी एजेंसियों के कर्मचारी ही काम करते हैं। शटडाउन के चलते संघीय और राज्य सरकारों के बीच का समन्वय भी बाधित होता है। फंडिंग में अंतराल के चलते साल 1980 में अमेरिका में शटडाउन को लेकर पहली बार कानूनी राय दी गई थी। साल 1990 से शटडाउन लागू होने लगे और फरवरी 2024 तक अमेरिका में 10 फंडिंग शटडाउन हो चुके हैं।

क्यों जरूरी है इसका पास होना?

दरअसल, अमेरिका को अपने खर्च चलाने के लिए फंड की जरूरत होती है। यह फंड कर्ज लेकर पूरा किया जाता है। इसके लिए एक बिल अमेरिकी संसद हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में लाया जाता है। मौजूदा बिल को ट्रंप की ओर से लाया गया था, जिसे विपक्ष से खारिज कर दिया। इसका सीधा का मतलब है कि अमेरिका को खर्च के लिए पैसा नहीं मिलेगा। अमेरिका इस पैसे से ही न केवल सरकारी अधिकारियों को सैलरी देती है बल्कि दूसरे खर्च भी चलते हैं।

तो अमेरिका में हो जाएगा शटडाउन

इस बिल को पास कराने के लिए शुक्रवार रात तक का ही समय है। यानी अमेरिकी सरकार के पास 24 घंटे खर्च चलाने लायक पैसा भी नहीं है। अगर यह पास नहीं हो पाया तो अमेरिका में शटडाउन लग जाएगा। ऐसा होने पर अमेरिका पर बड़ी मुसीबत आ जाएगी। उसकी अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान होगा। इसका सबसे ज्यादा असर ट्रंप पर पड़ेगा

CDS बिपिन रावत हेलीकॉप्टर क्रेश में बड़ा खुलासा, संसद में पेश हुई जांच रिपोर्ट

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देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत की मृत्यु के मामले में जांच के लिए गठित संसदीय समिति की रिपोर्ट सामने आ गई है।जिसमें हादसे के पीछे मानवीय चूक को वजह बताया है।साल 2021 में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में देश के पहले CDS जनरल बिपिन रावत की मौत हुई थी। इस हादसे में उनकी पत्‍नी मधुलिका रावत समेत कुल 12 लोगों की जान चली गई थी। तब इस हादसे को लेकर कई तरह के दावे क‍िए गए लेकिन घटना के 3 साल बाद संसद की स्‍थायी समित‍ि ने उनकी मौत को लेकर जांच रिपोर्ट लोकसभा में पेश की है। रिपोर्ट में साफ-साफ कहा गया है क‍ि बिप‍िन रावत का हेलीकॉप्टर मानवीय त्रुटि की वजह से दुर्घटनाग्रस्‍त हुआ।

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में आठ दिसंबर 2021 को हुई एमआई-17 वी5 हेलिकॉप्टर दुर्घटना मामले की जांच रिपोर्ट संसद में मंगलवार को पेश की। रिपोर्ट में रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने 13वीं रक्षा योजना अवधि के दौरान हुई भारतीय वायुसेना के विमानों की दुर्घटनाओं की संख्या पर आंकड़े साझा किए। कुल 34 दुर्घटनाएं हुईं थीं, जिनमें 2021-22 में भारतीय वायुसेना के नौ विमानों के साथ दुर्घटनाएं हुईं और 2018-19 में 11 विमान दुर्घटनाएं शामिल हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर दुर्घटना 'ह्यूमन एरर (एयरक्रू)' के कारण हुई थी। यानी रिपोर्ट में साफ-साफ है कि पायलट की गलती की वजह से यह हादसा हुआ।

जांच दल ने अपनी शुरुआती रिपोर्ट में कहा था, "घाटी में मौसम के अचानक बदलने से हेलीकॉप्टर बादलों में चला गया था। इससे पायलट को दिशा का अंदाजा नहीं रहा। इस वजह से 'कंट्रोल्ड फ्लाइट इनटू टेरेन' हुआ।" दूसरे शब्दों में पायलट को पता ही नहीं चला कि हेलीकॉप्टर जमीन से टकराने वाला है। जांच दल ने फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर का विश्लेषण किया था। सभी गवाहों से पूछताछ के बाद दुर्घटना का सबसे संभावित कारण पता लगाया गया था।

देश के पहले सीडीएस प्रमुख जनरल विपिन रावत 8 दिसंबर 2021 को अपनी पत्नी मधुलिका और 12 अन्य सशस्त्र बल कर्मी तमिलनाडु के कोयंबटूर के सुलूर एयरफोर्स बेस से वेलिंगटन के डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज जा रहे थे। वे Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर में सवार थे। लैंडिंग से ठीक पहले ही हेलीकॉप्टर पहाड़ियों से टकरा गया था। इस घटना में हेलीकॉप्टर में सवार सभी 12 लोगों की मौत हो गई थी।

राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी लाई प्रिविलेज मोशन, लोकसभा से निलंबित करने की मांग

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संसद के शीतकालीन सत्र का आज आखिरी दिन है। ये पूरा सत्र काफी हंगामेदार रहा और आखिरी दिन भी हंगामे के आसार हैं। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी के लोकसभा से निलंबन की मांग की है। इसके लिए उन्होंने राहुल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन और सदन के अपमान का नोटिस दिया है। इधर, आज बीजेपी और विपक्ष दोनों में प्रदर्शन की रेस है। आज सदन में धक्कामुक्की कांड का मुद्दा बहुत गरमा सकता है। बीजेपी सांसद महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास राहुल गांधी और कांग्रेस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस आज देश भर के सभी जिला मुख्यालयों पर गृह मंत्री अमित शाह के बयान और लोकसभा नेता राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज एफआईआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी।

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी के लोकसभा से निलंबन की मांग की है। इसके लिए उन्होंने राहुल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन और सदन के अपमान का नोटिस दिया है। दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को नोटिस भेजा है। उन्होंने स्पीकर से मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने को कहा है। दुबे ने साथ ही यह भी अपील की है कि जब तक समिति इस मामले में फैसला नहीं करती, राहुल गांधी को लोकसभा से निलंबित कर दिया जाए। बीजेपी सांसद ने अमित शाह के बयान को तोड़-मरोड़ कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चलाने के लिए विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है।

आंबेडकर विवाद को लेकर पूरे देश में सियासी घमासान मचा हुआ है। संसद में पिछले दो दिनों से इसको लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहा है। गुरुवार संसद में हुए धक्कामुक्की में बीजेपी के दो (प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत) सांसद घायल हो गए थे. दोनों को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया। दोनों सासंदों के सिर में चोट लगी थी। सांरगी को टांके भी लगे थे।

मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवादों पर जताई चिंता, बोले-ऐसे आप हिंदुओं के नेता नहीं बन जाएंगे

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काशी, मथुरा में मंदिर मस्जिद का विवाद जहां अदालतों में लंबित में है वहीं संभल का प्रकरण सुर्खियों में बना हुआ है। इस बीच ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जहां धार्मिक ढांचों को लेकर सवाल उठाए जाने लगे हैं। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उठने पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि अयोध्या के राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोग यह मानने लगे हैं कि वे इस तरह के मुद्दों को उठाकर 'हिंदुओं के नेता' बन सकते हैं।

पुणे में हिंदू सेवा महोत्सव के उद्घाटन के मौके पर ‘भारत-विश्वगुरु’ विषय पर बोलते हुए आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को ऐसा लग रहा है कि वे ऐसे मुद्दों को उठाकर ‘हिंदुओं के नेता’ बन सकते हैं। संघ प्रमुख ने समावेशी समाज की वकालत करते हुए कहा कि दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि देश सद्भावना के साथ एक साथ रह सकता है।

भारतीय समाज की बहुलता को रेखांकित करते हुए भागवत ने कहा कि रामकृष्ण मिशन में क्रिसमस मनाया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘केवल हम ही ऐसा कर सकते हैं क्योंकि हम हिंदू हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम लंबे समय से सद्भावना से रह रहे हैं। अगर हम दुनिया को यह सद्भावना प्रदान करना चाहते हैं, तो हमें इसका एक मॉडल बनाने की जरूरत है। राम मंदिर के निर्माण के बाद, कुछ लोगों को लगता है कि वे नयी जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। यह स्वीकार्य नहीं है।’’

राम मंदिर का निर्माण हिंदुओं की आस्था का विषय-भागवत

मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण इसलिए किया गया क्योंकि यह सभी हिंदुओं की आस्था का विषय था। उन्होंने किसी विशेष स्थल का उल्लेख किए बिना कहा, ‘‘हर दिन एक नया मामला (विवाद) उठाया जा रहा है। इसकी अनुमति कैसे दी जा सकती है? यह जारी नहीं रह सकता। भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं।’’ हाल के दिनों में मंदिरों का पता लगाने के लिए मस्जिदों के सर्वेक्षण की कई मांगें अदालतों तक पहुंची हैं, हालांकि भागवत ने अपने व्याख्यान में किसी का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि बाहर से आए कुछ समूह अपने साथ कट्टरता लेकर आए और वे चाहते हैं कि उनका पुराना शासन वापस आ जाए।

कट्टरता सही नहीं- भागवत

हाल के दिनों में मंदिरों का पता लगाने के लिए मस्जिदों के सर्वेक्षण की कई मांगें अदालतों में पहुंची हैं, हालांकि भागवत ने अपने व्याख्यान में किसी का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि बाहर से आए कुछ समूह अपने साथ कट्टरता लेकर आए हैं और वे चाहते हैं कि उनका पुराना शासन वापस आए

दिल्ली में फिर स्कूल को बम से उड़ाने की मिली धमकी, पुलिस के लिए बनी चुनौती

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दिल्ली सहित देशभर में लगातार स्कूलों, अस्पतालों और एयरपोर्ट को उड़ाने की धमकियां में मिल रहा है। लगातार जारी इस तरह की हरकत के बीच शुक्रवार को तड़के भी दिल्ली के स्कूल को धमकी भरा मेल आया है। मेल में स्कूल तो बम से उड़ाने की धमकी मिली है। शुक्रवार तड़के 5.02 बजे द्वारका सेक्टर तीन स्थित डीपीएस स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी मिली। सूचना मिलते ही दिल्ली पुलिस की इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम तुरंत मौके पर पहुंची। खबर मिलते हीं अलर्ट मिलने पर, अधिकारियों ने तुरंत पुलिस कर्मियों, दमकल टीमों और बम निरोधक दस्तों को खतरे वाले स्थानों पर भेजकर कार्रवाई की गई. हालांकि, जांच में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है।

स्कूल प्रबंधन ने बच्चों के पेरेंट्स को इन्फॉर्म किया है कि सभी बच्चों की क्लास ऑनलाइन होगी. पुलिस को अभी तक स्कूल से कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है. पुलिस और दमकल विभाग के साथ फायर बिग्रेड, एंबुलेंस, बम स्क्वाड और डॉग स्क्वाड की टीमें भी मौके पर मौजूद हैं. सभी टीमें स्कूल का चप्पा-चप्पा खंगाल रही हैं. पुलिस एक टीम मेल भेजने वाले आरोपियों का पता लगाने में जुट गई है।

लगातार मिल रही धमकियां

9 दिसंबर को दिल्ली के 44 स्कूलों को इसी तरह के ईमेल मिले थे, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने सभी स्कूलों में सर्च अभियान चलाया था। हालांकि, पुलिस को किसी भी स्कूल में कोई भी संदिग्ध चीज नहीं मिली थी। 13 दिसंबर को भी एक दिन के अंदर लगभग 30 स्कूलों को ईमेल के माध्यम से बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। जिसके बाद पुलिस समेत कई एजेंसियों ने इन स्कूलों की तलाशी ली थी। 14 दिसंबर को भी आरके पुरम के डीपीएस स्कूल सहित आठ स्कूलों को एक ईमेल भेजा गया था, जिसमें बम जैकेट के जरिए विस्फोट करने की धमकी दी गई थी।

पुलिस को चुनौती दे रहा ई-मेल भेजने वाला

स्कूलों में बम होने की धमकी भरा ई-मेल भेजने वाला दिल्ली पुलिस के लिए चुनौती बन चुका है। इस मामले में पुलिस आईपी पते से यह पता तो कर लेती है कि ई-मेल किस देश के सर्वर आदि से भेजा गया है। लेकिन इससे आगे जांच नहीं बढ़ पाती हैं।

वन नेशन-वन इलेक्शन पर जेपीसी का गठन, लोकसभा के 21, राज्यसभा के 10 सांसदों का नाम, जानें कौन-कौन शामिल

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वन नेशन वन इलेक्शन पर आम सहमति के लिए सरकार ने ज्वॉइंट पार्लियामेंट कमेटी (जेपीसी) के सदस्यों का ऐलान कर दिया है। लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 सांसदों को इस JPC के लिए चुना गया है।राजस्थान के पाली से बीजेपी के सांसद पीपी चौधरी जेपीसी की अध्यक्षता करेंगे।

लोकसभा ने अपने 21 नामों की घोषणा भी कर दी है। इन 21 में से 5 सांसदों का पेशा वकालत है। जेपीसी में बीजेपी के 10, कांग्रेस के 3 और टीएमसी, डीएमके, शिवसेना (शिंदे), एनसीपी (शरद), रालोद, टीडीपी, जनसेना, सपा के एक-एक सांसदों को जगह दी गई है।

कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी और सुखदेव भगत सिंह को शामिल किया गया है। भाजपा की तरफ से बांसुरी स्वराज, संबित पात्रा और अनुराग सिंह ठाकुर समेत 10 सांसद हैं, जबकि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से कल्याण बनर्जी का नाम है। इसके अलावा सपा, डीएमके, टीडीपी समेत 8 अन्य पार्टियों से एक-एक सांसद इस जेपीसी का सदस्य बनाया गया है।

बता दें कि संसद में मंगलवार को पेश हुए 129 वें संविधान (संशोधन) बिल यानी एक देश एक चुनाव बिल की समीक्षा के लिए सरकार ने बनने ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी नाई है। इस समिति को अगले सत्र के आखिरी हफ्ते के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी। फिलहाल सिर्फ लोकसभा से जेपीसी में शामिल किए गए सांसदों के नामों का ऐलान किया गया है। राज्यसभा की तरफ से इस जेपीसी के लिए 10 सांसदों के नामों की घोषणा जल्द की जाएगी।

यह संसद की संयुक्त संसदीय कमेटी है, जिसमें बिल और मुद्दों की समीक्षा की जाती है। समीक्षा के बाद जेपीसी कमेटी अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपताी है। वन नेशन-वन इलेक्शन बिल को इसी कमेटी में भेजा गया है। वन नेशन-वन इलेक्शन का विधेयक संवैधानिक संशोधन से जुड़ा है। इस विधेयक के संसद से पास होने के बाद पूरे देश में चुनाव आयोग की सिफारिश पर विधानसभा और लोकसभा को भंग किया जा सकता है। विधेयक लागू होने के बाद देश में विधानसभा और लोकसभा का चुनाव एक साथ कराया जा सकता है।

कानून मंत्री मेघवाल ने 17 दिसंबर को लोकसभा में एक देश-एक चुनाव को लेकर संविधान संशोधन बिल रखा था। विपक्षी सांसदों ने इसका विरोध किया। इसके बाद बिल पेश करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई गई। कुछ सांसदों की आपत्ति के बाद वोट संशोधित करने के लिए पर्ची से दोबारा मतदान हुआ। इस वोटिंग में बिल पेश करने के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े। इसके बाद कानून मंत्री ने बिल दोबारा सदन में रखा।

धक्का-मुक्की विवाद पर बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने, दोनों पार्टियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर क दूसरे पर बोला हमला

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संसद में संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर पर गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद हंगामा मचा हुआ है। गुरुवार को ये हंगामा धक्का-मुक्की में तब्दील हो गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक-दूसरे पर बदसलूकी के आरोप लगाए हैं।संसद में गुरुवार सुबह हुई धक्कामुक्की की घटना को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कांग्रेस मुख्यालय में राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ये उनका अडाणी जैसे जरूरी मुद्दों से ध्यान भटकाने का तरीका है। वहीं, भाजपा मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि अगर खड़गे-राहुल को माफी नहीं मांगनी थी तो प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों की।

राज्यसभा में धक्का-मुक्की वाले विवाद के बाद कांग्रेस की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, जयराम रमेश समेत तमाम नेता मौजूद रहे। इस दौरान संविधान पर बहस के दौरान राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री के भाषण पर राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, 'सरकार और खासकर प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह डॉ. बीआर अंबेडकर के बारे में जो बयान दे रहे हैं, वह बहुत दुखद है और उन्होंने (अमित शाह) कल तथ्यों को देखे बिना ही प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। जवाहरलाल नेहरू, डॉ. बीआर अंबेडकर को गाली देने से पहले उन्हें तथ्यों को देखना चाहिए।

गृह मंत्री से इस्तीफे की मांग

खरगे ने आगे कहा कि, आंबेडकर पर बयानबाजी काफी दुखदायक है, गृह मंत्री अमित शाह अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है। हमारी मांग है कि गृह मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए और देश से माफी मांगनी चहिए।

कांग्रेस करेगी देशव्यापी प्रदर्शन

इस दौरान मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हम संसद में हर रोज धरना प्रदर्शन करते थे, कभी हिंसा नहीं हुई। आज भी हम लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। हमें मकर द्वार पर रोका गया। इस दौरान हमारे ऊपर हमला किया गया। भाजपा के सांसदों ने मुझे धक्का दिया। हमारी महिला सांसदों को भी धक्का दिया गया। वो लोग हमारा मजाक उड़ा रहे थे। हम इस मामले में देशव्यापी प्रदर्शन करेंगे।

उनका अहंकार उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में झलक रहा था- शिवराज सिंह

वहीं, राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और पीयूष गोयल ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। शिवराज सिंह ने कहा कि राहुल गांधी हमारे सांसदों के बीच पहुंच गए। उन्होंने ऐसा व्यवहार किया, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। खरगे और राहुल की प्रेस कॉन्फ्रेंस देखी। इन्होंने संसद में किए कुकृत्य की क्षमा नहीं मांगी। मुझे समझ नहीं आ रहा कि फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों की।शिवराज सिंह ने कहा, उनका अहंकार उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में झलक रहा था।

अशोभनीय और गुंडागर्दी से भरा व्यवहार हुआ

शिवराज सिंह ने आगे कहा कि आज जो कुछ उसकी कल्पना नहीं की जा सकती। अशोभनीय और गुंडागर्दी से भरा व्यवहार हुआ। विचार से विरोध करना सबका अधिकार है। वो लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तब द्वार बदल लेते थे। आज सुरक्षा कर्मियों ने राहुल से कहा कि आप साइड से निकल सकते हैं लेकिन जानबूझकर राहुल गांधी हमारे सांसदों के बीच पहुंच गए। वहां जाकर हमारे सांसदों को धमकाने लगे। शिवराज सिंह ने कहा, हमारे बुजुर्ग और गरीब सांसद प्रताप सारंगी गिर गए, उन्हें गंभीर चोट आई। मुझे कहते हुए शर्म आती है, हमारी एक बहन सांसद कन्याल के साथ अशालीन, असभ्य अमर्यादित व्यवहार किया गया। क्या महिला आदिवासी संसद के साथ ऐसा व्यवहार किया जाएगा।

डेमोक्रेसी को कलंकित करने का पाप किया

कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 2 बजे संसद शुरू हुई तो अध्यक्ष की टेबल पर चढ़ गए। उन्होंने डेमोक्रेसी को कलंकित करने का पाप किया है। लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई गईं। मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि क्या भारत की ये सोच और व्यवहार है। ये गैर भारतीय आचरण है। अभी तक संसद में ये चल रहा था कि कौन अच्छे से बात रखेगा। कांग्रेस अब धारा बदलने का काम कर रही है। अब वहां पहलवान और गुंडे जाएं।

विपक्ष को बड़ा झटका, राज्यसभा सभापति के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव खारिज

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राज्यसभा के सभापति और उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष की तरफ से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को उप-सभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया है।इस तरह अब इसे सदन में पेश नहीं किया जा सकेगा। अनुच्छेद 67(बी) का इस्तेमाल करते हुए उपराष्ट्रपति को हटाने पर विचार करने वाले किसी भी प्रस्ताव के लिए अनिवार्य रूप से कम से कम 14 दिन पूर्व नोटिस देना अनिवार्य होता है, जिसका पालन नहीं किया गया। इस वजह से तकनीकी आधार पर विपक्ष के प्रस्ताव को खारिज किया गया।

उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि यह अविश्वास प्रस्ताव देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ नैरेटिव बनाने के उद्देश्य से लाया गया था। उन्होंने बताया कि उस प्रस्ताव में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का नाम भी ठीक से नहीं लिखा गया था। बताया जा रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव में दस्तावेज और वीडियो को जिक्र नहीं किया गया। उपसभापति ने कहा, संसद और उसके सदस्यों की प्रतिष्ठा के लिए चिंताजनक बात ये है कि यह नोटिस मौजूदा उपराष्ट्रपति को बदनाम करने के दावों से भरा हुआ है, जिसमें अगस्त 2022 में उनके पदभार ग्रहण करने के समय की घटनाओं का जिक्र किया गया है। नोटिस में प्रामाणिकता की कमी और बाद में सामने आई घटनाओं से पता चला कि यह राजनीतिक प्रचार को चमकाने का एक प्रयास था।

संसद के शाीतकालीन सत्र के 10वें दिन (10 दिसंबर) विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी पीसी मोदी को धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। पीसी मोदी ने ही आज उप-सभापति का जवाब सदन में रखा।

राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर INDIA ब्लॉक ने 11 दिसंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- सभापति राज्यसभा में स्कूल के हेडमास्टर की तरह व्यवहार करते हैं। विपक्ष का सांसद 5 मिनट भाषण दे तो वे उस पर 10 मिनट तक टिप्पणी करते हैं। सभापति सदन के अंदर प्रतिपक्ष के नेताओं को अपने विरोधी के तौर पर देखते हैं। सीनियर-जूनियर कोई भी हो, विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर अपमानित करते हैं। उनके व्यवहार के कारण हम अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हुए हैं।