अब जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ खड़ी हुई कनाडा की पुलिस, बदहाल कानून व्यवस्था देने का आरोप, इस्तीफे की मांग

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कनाडा में वहां की ट्रूडो सरकार के लिए सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पीएम ट्रूडो के लिए हालात किस कदर जटिल बने हुए हैं इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि उन्हें बीते कुछ समय से अपनी सरकार के भीतर भी तीखी आलोचनाएं झेलनी पड़ रही हैं। साथ ही साथ ट्रूडो जिन आतंकी ताकतों को सहारा दे रहे थे,उससे कनाडा के लोग नाराज हैं। उस पर से अमेरिका के होने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ट्रुडो फूटी आंख नहीं सुहाते। भारत का विरोध और खालिस्तान का समर्थन करने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो के लिए जनता का समर्थन हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है। उनके खिलाफ कनाडा में उसी बगावत की सबसे बड़ी झलक उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिश्टिया फ्रीलैंड का इस्तीफा है। इस बीच अब कनाडा पुलिस ने भी प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर पूरी तरह से अविश्वास जता दिया है।

कनाडा पुलिस की दो संगठन ने प्रधानमंत्री जस्टिन पर कनाडा में बदहाल कानून व्यवस्था देने का आरोप लगाया है। पुलिस संगठन का आरोप है कि जस्टिन के राज में अपराधी कल्चर बढ़ा है। अवैध हथियारों और ड्रग्स की सभ्यता को बढ़ावा मिला है। सबसे बड़ी बात यह है कि जिन अपराधियों को पुलिस अपनी जान पर खेल कर पकड़ती है। उन अपराधियों को कोर्ट से खड़े-खड़े जमानत मिल जाती है।

टोरंटो पुलिस एसोसिएशन ने इस बाबत बाकायदा अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी जस्टिन ट्रूडो की गलत नीतियों की आलोचना की है। टोरंटो पुलिस एसोसिएशन ने कहा कि खोखले वादों और बातों का बहुत कम अर्थ है और वे हमारे सदस्यों और आम जनता के प्रति कपटपूर्ण बने हुए हैं। हिंसक अपराध, बंदूक अपराध और वास्तविक जमानत सुधार की कमी जनता, अधिकारियों और पूरे समाज को खतरे में डालने के अलावा कुछ नहीं करती है।

दरहम क्षेत्रीय पुलिस एसोसिएशन ने भी टोरंटो पुलिस एसोसिएशन का समर्थन किया। उन्होंने जस्टिन ट्रूडो पर अविश्वास जताते हुए उनके इस्तीफे की मांग की और कहा कि देश में नए चुनाव होने चाहिए।

पुलिस द्वारा प्रधानमंत्री पर अविश्वास जताना दर्शाता है कि कनाडा में कानून व्यवस्था की स्थिति गंभीर हो चुकी है। पुलिस और प्रधानमंत्री के बीच अविश्वास की यह स्थिति अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई को और अधिक जटिल बना रही है। जस्टिन ट्रूडो पर दबाव लगातार बढ़ रहा है। पुलिस संगठनों और सांसदों की ओर से इस्तीफे की मांग की जा रही है।

पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम को लगा झटका, अमेरिका ने तीन कंपनियों पर लगाए प्रतिबंध

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अमेरिका ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को बड़ा झटका दिया है।अमेरिका ने बुधवार को पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में योगदान देने वाली तीन संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया। इसमें पाकिस्तानी सरकार के स्वामित्व वाले राष्ट्रीय विकास परिसर (एनडीसी) और उससे जुड़ी कराची स्थित तीन कंपनियों पर प्रतिबंध शामिल है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने खुलासा किया कि प्रतिबंध एक कार्यकारी आदेश के तहत जारी किए गए थे।

विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने एक बयान में कहा कि नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स और तीन कंपनियों पर लगाए गए ये प्रतिबंध एक कार्यकारी आदेश के तहत लगाए गए हैं। प्रतिबंधों के तहत लक्षित संस्थाओं से संबंधित किसी भी अमेरिकी संपत्ति को जब्त कर लिया जाएगा तथा अमेरिकियों को उनके साथ व्यापार करने से रोक दिया जाएगा। इसका उद्देश्य सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और उन्हें वितरित करने के लिए इस्तेमाल की जानी वाली टेक्नोलॉजी पर अंकुश लगाना था।

पाक ने कहा कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण और पक्षपातपूर्ण

इधर, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अमेरिका की कार्रवाई “दुर्भाग्यपूर्ण और पक्षपातपूर्ण” है और “सैन्य विषमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से” क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान पहुंचाएगी, जो परमाणु-सशस्त्र भारत के साथ देश की प्रतिद्वंद्विता का स्पष्ट संदर्भ है। विदेश विभाग के एक बयान में कहा गया है कि इस्लामाबाद स्थित एनडीसी ने देश के लंबी दूरी के बैलिस्टिक-मिसाइल कार्यक्रम और मिसाइल-परीक्षण उपकरणों के लिए कंपोनेंट्स प्राप्त करने की मांग की है।

पाकिस्तान के पास 170 परमाणु बम

बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स के शोध से पता चलता है कि पाकिस्तान के हथियार भंडार में अब लगभग 170 परमाणु बम हैं। पाकिस्तान ने 1998 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया। पाकिस्तान परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने से जुड़े अंतरराष्ट्रीय समझौता से बाहर है। प्रतिबंधों में तीन निजी कंपनियों-एफिलिएट्स इंटरनेशनल, अख्तर एंड संस प्राइवेट लिमिटेड और रॉकसाइड एंटरप्राइज शामिल हैं। इन पर एनडीसी के मिसाइल कार्यक्रम के लिए उपकरण हासिल करने में मदद का आरोप है।

हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जजों को मिल रही कितनी पेंशन? सुप्रीम कोर्ट ने बताया बेहद दयनीय

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सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों को मिलने वाली पेंशन को लेकर निराशा जाहिर की है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के कुछ रिटायर्ड जजों को 10,000 रुपये से 15,000 रुपये के बीच पेंशन दिए जा रहे हैं। यह दयनीय है।न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि हर मामले में कानूनी दृष्टिकोण अपनाना ठीक नहीं है। कुछ मामलों में मानवीय दृष्टिकोण भी अपनाया जाए।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पेंशन से जुड़े मुद्दे वाली याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। इस दौरान सरकार की ओर पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने पीठ से अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई जनवरी में की जाए। सरकार इस मुद़्दे को सुलझाने का प्रयास करेगी।

पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह अच्छा होगा कि आप उन्हें पूरी स्थिति के बारे में समझाएं कि हमारे हस्तक्षेप से भी बचा जाना चाहिए।पीठ ने कहा कि इस मामले पर कोई भी निर्णय अलग-अलग मामलों के आधार पर नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट की ओर से जो भी निर्णय लिया जाएगा। यह निर्णय सभी उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों पर समान रूप से लागू होगा। पीठ ने कहा कि अब इस मामले की 8 जनवरी को सुनवाई होगी।

उच्च न्यायालय के एक रिटायर्ड जज ने पीठ के समक्ष याचिका दायर की थी. पीठ उस पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें केवल 15,000 रुपये की ही पेंशन मिल रही है। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में 13 साल तक न्यायिक अधिकारी के रूप में सेवा दी थी। उसके बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए गये थे।

यह मामला पहली बार नहीं है जब न्यायालय ने इस तरह की समस्या पर चिंता जताई है। मार्च में, शीर्ष अदालत ने कहा था कि पेंशन लाभ की गणना में यह भेदभाव नहीं किया जा सकता कि न्यायाधीश बार से आए हैं या जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हुए हैं. अदालत ने यह भी कहा कि पेंशन का निर्धारण अंतिम वेतन के आधार पर होना चाहिए। अदालत ने पूर्व में यह भी बताया कि कुछ न्यायाधीशों को केवल 6,000 रुपये तक की पेंशन दी जा रही थी, जो कि उनके पद और सेवा के मानदंडों के खिलाफ है।

उत्तराखंड में जनवरी 2025 से लागू होगा यूनिफॉर्म सिविल कोड, सीएम पुष्कर सिंह धामी का बड़ा ऐलान

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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता अगले साल 2025 से लागू हो जाएगी। यह जानकारी सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दी। उन्होंने कहा है कि जनवरी 2025 से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी। इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बनने वाला है।

यह जानकारी सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर दी है। सीएम धामी ने कहा बुधवार को सचिवालय में उत्तराखंड निवेश और आधारिक संरचना विकास बोर्ड (यूआईआईडीबी) समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में होमवर्क पूरा कर चुकी है।

सीएम धामी ने कहा कि मार्च 2022 में प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति, गठित करने का निर्णय लिया गया था। इस क्रम में सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया।

समिति की रिपोर्ट के आधार पर 07 फरवरी, 2024 को राज्य विधान सभा से समान नागरिक संहिता विधेयक 2024 पारित किया गया। इस विधेयक पर महामहिम राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद 12 मार्च, 2024 को इसका नोटिफिकेशन जारी किया गया। इसी क्रम में अब समान नागरिक संहिता, उत्तराखण्ड 2024 अधिनियम की नियमावली भी तैयार कर ली है।उत्तराखंड जनवरी से यूसीसी को लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने वादा किया था कि उत्तराखंड में सरकार बनी तो यूसीसी को लागू करेंगे। उत्तराखंड आजादी के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बनेगा।

कांग्रेस पर बरसे अमित शाह, बोले मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया, वे भ्रम फैला रहे

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान डॉ. बीआर आंबेडकर को लेकर दिए बयान पर सियासत गरमा गई है। विपक्ष लगातार शाह से इस्तीफा मांग रहा है। अब गृह मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पलटवार किया। अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने संसद में हुई चर्चा के तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश किया है। यह कांग्रेस ने इसलिए किया क्योंकि भाजपा के वक्ताओं ने फैक्ट के साथ विषय रखे, इससे ये तय हो गया कि कांग्रेस अंबेडकर विरोधी, आरक्षण विरोधी और संविधान विरोधी पार्टी है।

शाह ने कहा, विगत सप्ताह में संसद में लोकसभा और राज्यसभा में संविधान को स्वीकार किए हुए 75 साल के मौके पर संविधान की रचना, संविधान निर्माताओं के योगदान और संविधान में प्रस्थापित किए गए आदर्शों पर एक गौरवमयी चर्चा का आयोजन हुआ। इस चर्चा में 75 साल की देश की गौरव यात्रा, विकास यात्रा और उपलब्धियों की भी चर्चा होनी थी। उन्होंने कहा कि 'ये तो स्वाभाविक है कि जब लोकसभा और राज्यसभा में पक्ष-विपक्ष होते हैं, तो हर मुद्दे पर लोगों का, दलों का और वक्ताओं का नजरिया अलग-अलग होता है। मगर संसद जैसे देश के सर्वोच्च लोकतांत्रिक फोरम में जब चर्चा होती है, तब इसमें एक बात कॉमन होती है कि बात तथ्य और सत्य के आधार पर होनी चाहिए।

गृहमंत्री ने कहा, कल से कांग्रेस ने जिस प्रकार तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर रखने का प्रयास किया है वो निंदनीय है। मैं इसकी निंदा करना चाहता हूं। ये इसलिए हुआ क्योंकि भाजपा के वक्ताओं ने संविधान पर, संविधान की रचना के मूल्यों पर और जब-जब कांग्रेस या भाजपा का शासन रहा, तब शासन ने संविधान के मूल्यों का किस तरह से मूल्यांकन, संरक्षण और संवर्धन किया, इस पर तथ्यों और अनेक उदाहरण के साथ भाजपा के वक्ताओं ने विषय रखे।

कांग्रेस आंबेडकर जी की विरोधी पार्टी-शाह

अमित शाह ने कहा, इससे तय हो गया कि कांग्रेस आंबेडकर जी की विरोधी पार्टी है, कांग्रेस आरक्षण विरोधी और संविधान विरोधी पार्टी है। कांग्रेस ने सावरकर जी का भी अपमान किया, कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर संविधान के सारे मूल्यों की धज्जियां उड़ा दी, नारी सम्मान को भी वर्षों तक दरकिनार किया, न्यायपालिका का हमेशा अपमान किया, सेना के शहीदों का अपमान किया और भारत की भूमि तक को संविधान तोड़कर दूसरे देशों को देने की हिमाकत कांग्रेस के शासन में हुई।

कांग्रेस ने बाबासाहेब को हाशिये पर धकेलने का काम किया-शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, कांग्रेस ने फिर एक बार अपनी पुरानी पद्धति को अपनाकर, बातों को तोड़-मरोड़कर और सत्य को असत्य के कपड़े पहनाकर समाज में भ्रांति फैलाने का एक कुत्सित प्रयास किया है। संसद में चर्चा के दौरान ये सिद्ध हो गया कि बाबा साहेब अंबेडकर का कांग्रेस ने किस तरह से पुरजोर विरोध किया था। बाबा साहेब के न रहने के बाद भी किस प्रकार से कांग्रेस ने उन्हें हाशिये पर धकेलने का प्रयास किया।

मेरे बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया-अमित शाह

अमित शाह ने कहा कि मैं उस पार्टी से आता हूं जो अंबेडकर का कभी अपमान नहीं कर सकती। राज्यसभा में मैंने जो कहा है कांग्रेस ने उसे तोड़ मरोड़ कर पेश किया है। कांग्रेस ने सत्य को असत्य के कपड़े पहनाकर भ्रांति फैलाई है। कांग्रेस आरक्षण का भी विरोध करती रही है। 31 दिसंबर 1980 को मंडल आयोग की रिपोर्ट आई, उसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया, 1990 में जब गैर कांग्रेसी सरकार आई तब मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू हुई। उस वक्त राजीव गांधी विपक्ष के नेता थे, जिन्होंने ओबीसी आरक्षण के विरोध में लंबा भाषण दिया था।

दिल्ली दंगा मामला में आरोपी उमर खालिद को मिली अंतरिम जमानत, जानें कितने दिनों के लिए रहेंगे बाहर*

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दिल्ली दंगों के आरोपी उमर खालिद को बड़ी राहत मिली है, कड़कड़डूमा कोर्ट ने बुधवार को उमर खालिद को अंतरिम जमानत दी है। उमर खालिद ने अपने मौसेरे भाई और बहन की शादी में शामिल होने के लिए 10 दिनों की अंतरिम जमानत मांगी थी। फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के पीछे बड़ी साजिश के आरोप में शामिल आरोपी उमर खालिद को कड़कड़डूमा कोर्ट ने 7 दिन की अंतरिम जमानत दी है।कोर्ट ने उमर खालिद को 28 दिसंबर से 3 जनवरी तक अंतरिम जमानत दे दी है।

उमर खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया था और उन पर आपराधिक साजिश, दंगा, गैरकानूनी सभा के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत कई अन्य अपराधों का आरोप लगाया गया था। 2020 से ही वह जेल में बंद है। यह उमर खालिद की जमानत याचिका का दूसरा दौर है। निचली अदालत ने पहली बार मार्च 2022 में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उमर खालिद ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद कोर्ट ने अक्टूबर 2022 में राहत देने से इनकार कर दिया था।

इसके बाद उमर खालिद ने मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका पर कई बार सुनवाई टली। बाद में उमर ने परिस्थितियों में बदलाव का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली थी। उमर के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि हम परिस्थितियों में बदलाव के कारण याचिका वापस लेना चाहते हैं और उचित राहत के लिए ट्रायल कोर्ट का रुख करना चाहते हैं।

2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में खालिद के अलावा ताहिर हुसैन, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, शिफा-उर-रहमान, आसिफ इकबाल तन्हा, शादाब अहमद, तस्लीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद, सलीम खान, अतहर खान, सफूरा जरगर, शरजील इमाम, फैजान खान और नताशा नरवाल भी आरोपी हैं।

वन नेशन-वन इलेक्शन पर जेपीसी में प्रियंका गांधी का नाम भी शामिल, कांग्रेस से इन नामों की भी चर्चा

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केंद्रीय मत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को लोकसभा में एक देश एक चुनाव के लिए 129वां संविधान संसोधन बिल पेश किया था। अब एक देश-एक चुनाव को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में भेजा गया है। लोकसभा के स्पीकर अब जेपीसी का गठन करेंगे। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वन नेशन-वन इलेक्शन बिल पर बनी जेपीसी का हिस्सा हो सकती हैं। जेपीसी में कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी, मनीष तिवारी, रणदीप सुरजेवाला और सुखदेव भगत शामिल होंगे। सूत्रों के मुताबिक टीएमसी से कल्याण बनर्जी और साकेत गोखले इसमें शामिल होंगे. वहीं शिवेसना शिंदे गुट से श्रीकांत इसमें शामिल होंगे।

संयुक्त संसदीय समिति का गठन राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों को मिलाकर किया जाता है। यह समिति किसी भी मुद्दे या बिल की पूरी समीक्षा कर रिपोर्ट तैयार करती है। इसके बाद इसे सरकार के पास भेजा जाता है।अब जेपीसी गठन की तैयारी शुरू हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जेपीसी में 31 सांसद शामिल हो सकते हैं, जो विधेयक की समीक्षा करेंगे। 31 सदस्यों में से 21 सदस्य लोकसभा से और 10 सांसद राज्यसभा से होंगे। गठन के बाद 90 दिनों के भीतर समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। हालांकि समयसीमा को बढ़ाया भी जा सकता है।

जेपीसी के लिए राजनीतिक पार्टियों से अपने सांसदों के नाम देने के लिए कहा गया है। किस पार्टी से कितने सांसद होंगे, अभी ये तय नहीं है, लेकिन लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते जेपीसी अध्यक्ष और सबसे ज्यादा सांसद भाजपा के होंगे। गौरतलब है कि देश में लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए सरकार ने लोकसभा में संविधान (129वां) संशोधन विधेयक पेश किया है। इसे एक देश एक चुनाव विधेयक कहा जा रहा है।

विधेयक के संसद से पारित होने के बाद साल 2029 के लोकसभा चुनाव के बाद राष्ट्रपति अधिसूचना जारी लोकसभा की पहली बैठक की तारीख तय करेंगे। जब 2029 में चुनी गई लोकसभा का कार्यकाल पूरा होगा तो सभी विधानसभाओं का कार्यकाल भी पूरा मान लिया जाएगा। जिसके बाद 2034 में संभवतः पूरे देश में एक साथ चुनाव कराए जा सकेंगे।

भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव कराए जाना। नवंबर 2020 में पीएम नरेंद्र मोदी ने कई मंचों पर 'वन नेशन वन इलेक्शन' पर बात की थी। उन्होंने कहा था, "एक देश एक चुनाव सिर्फ चर्चा का विषय नहीं, बल्कि भारत की जरूरत है। हर कुछ महीने में कहीं न कहीं चुनाव हो रहे होते हैं। इससे विकास कार्यों पर प्रभाव पड़ता है। पूरे देश की विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ होते हैं तो इससे चुनाव पर होने वाले खर्च में कमी आएगी।

आंबेडकर को लेकर अमित शाह को घेर रही कांग्रेस पर पीएम मोदी का वार, बोले-पार्टी के काले इतिहास को उजागर कर दिया, इसलिए...

#pmmodibigattackoncongressover_ambedkar

पूरा विपक्ष गृह मंत्री अमित शाह को बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर वाले बयान पर घेरने की कोशिश कर रही है। आंबेडकर को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर विपक्ष के हमलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पलटवार किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, 'संसद में गृह मंत्री ने डॉ. आंबेडकर का अपमान करने और एससी-एसटी समुदायों की अनदेखी करने के कांग्रेस के काले इतिहास को उजागर किया। कांग्रेस इससे स्पष्ट रूप से आहत और स्तब्ध हैं। यही कारण है कि वे अब नाटकबाजी कर रहे हैं। दुख की बात है। लोग सच्चाई जानते हैं।'

पीएम मोदी ने 'एक्स' एक के बाद एक कई ट्वीट कर कहा, 'अगर कांग्रेस और उसका बेकार हो चुका तंत्र यह सोचता है कि उनके दुर्भावनापूर्ण झूठ उनके कई सालों के कुकर्मों खासकर डॉ. आंबेडकर के प्रति उनके अपमान को छिपा सकते हैं, तो वे बहुत बड़ी गलतफहमी में हैं।'

पीएम मोदी ने दूसरे ट्वीट में कहा,'भारत के लोगों ने बार-बार देखा है कि कैसे एक वंश के नेतृत्व वाली एक पार्टी ने डॉ आंबेडकर की विरासत को मिटाने और एससी/एसटी समुदायों को अपमानित करने के लिए हर संभव गंदी चाल चली है।' पीएम मोदी आगे कहते हैं,'डा आंबेडकर के प्रति कांग्रेस के पापों की सूची में शामिल हैं, उन्हें एक बार नहीं बल्कि दो बार चुनावों में हराना, पंडित नेहरू ने उनके खिलाफ प्रचार किया और उनकी हार को प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाया। उन्हें भारत रत्न देने से इनकार करना, संसद के सेंट्रल हॉल में उनके चित्र को गौरवपूर्ण स्थान न देना।'

उन्होंने कहा कि कांग्रेस चाहे जितनी कोशिश कर ले, वे इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि एससी-एसटी समुदायों के खिलाफ सबसे भयानक नरसंहार उनके शासन में ही हुए हैं। वे सालों तक सत्ता में रहे, लेकिन एससी और एसटी समुदायों को सशक्त बनाने के लिए कुछ भी ठोस नहीं किया।

पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद में गृह मंत्री द्वारा दिए गए बयान का वीडियो ट्वीट में अटैच करते हुए लिखा, संसद में गृह मंत्री अमित शाह जी ने डॉ आंबेडकर का अपमान करने और एससी/एसटी समुदायों की अनदेखी करने के कांग्रेस के काले इतिहास को उजागर किया। उनके के ज़रिए प्रस्तुत तथ्यों से वे साफ तौर पर हैरान हैं। यही वजह है कि वे अब नाटकबाजी में शामिल हो गए। उनके लिए दुख की बात है कि लोग सच्चाई जानते हैं।

अमित शाह ने क्या कहा था?

अमित शाह मंगलवार को संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर बहस के दौरान सदन को संबोधित किया था। इस दौरान अमित शाह ने कहा था कि बीआर अंबेडकर का नाम लेना अब एक "फैशन" बन गया है. अब यह एक फैशन हो गया है। अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।

दुर्भावनापूर्ण झूठ’: बीआर अंबेडकर पर अमित शाह की टिप्पणी पर विवाद पर पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रतिक्रिया दी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह की बीआर अंबेडकर पर टिप्पणी पर विपक्ष के विरोध का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस ने दलित आइकन की विरासत को खत्म करने के लिए गंदी चालें चलीं। अगर कांग्रेस और उसका सड़ा हुआ पारिस्थितिकी तंत्र सोचता है कि उनके दुर्भावनापूर्ण झूठ उनके कई सालों के कुकर्मों, खासकर डॉ. अंबेडकर के प्रति उनके अपमान को छिपा सकते हैं, तो वे बहुत बड़ी गलतफहमी में हैं!” उन्होंने एक्स पर लिखा।

“भारत के लोगों ने बार-बार देखा है कि कैसे एक वंश के नेतृत्व वाली एक पार्टी ने डॉ. अंबेडकर की विरासत को खत्म करने और एससी/एसटी समुदायों को अपमानित करने के लिए हर संभव गंदी चाल चली है,” उन्होंने कहा।

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर अंबेडकर को भारत रत्न न देने का आरोप लगाया।

“डॉ. अंबेडकर के प्रति कांग्रेस के पापों की सूची में शामिल हैं: उन्हें एक बार नहीं बल्कि दो बार चुनावों में हराना, पंडित नेहरू ने उनके खिलाफ प्रचार किया और उनकी हार को प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाया, उन्हें भारत रत्न न देना, संसद के सेंट्रल हॉल में उनके चित्र को गौरवपूर्ण स्थान न देना,” मोदी ने एक्स पर लिखा। प्रधानमंत्री ने आगे कहा: “कांग्रेस चाहे जितनी कोशिश कर ले, लेकिन वे इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि एससी/एसटी समुदायों के खिलाफ सबसे भयानक नरसंहार उनके शासन में हुए हैं। वे सालों तक सत्ता में रहे, लेकिन एससी और एसटी समुदायों को सशक्त बनाने के लिए कुछ भी ठोस नहीं किया।”

अमित शाह ने क्या कहा?

पीएम मोदी ने कांग्रेस पर यह हमला ऐसे समय में किया है जब संसद में अमित शाह की बीआर अंबेडकर पर की गई टिप्पणी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है। अमित शाह ने मंगलवार को संविधान के 75 साल पूरे होने पर दो दिवसीय चर्चा के बाद राज्यसभा में अपने संबोधन में कहा कि कांग्रेस ने अंबेडकर का नाम लेना एक फैशन बना लिया है। "अभी एक फैशन हो गया है - अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर। शाह ने कहा, "अगर भगवान का इतना नाम लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता है। अगर वे भगवान का नाम इतनी बार लेते तो उन्हें स्वर्ग में जगह मिल जाती।"

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई कांग्रेस नेताओं ने शाह की इस टिप्पणी पर निशाना साधा। गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि जो लोग मनुस्मृति में विश्वास करते हैं, वे अंबेडकर से असहमत होंगे। खड़गे ने कहा कि गृह मंत्री द्वारा बाबासाहेब अंबेडकर का "अपमान" एक बार फिर साबित करता है कि भाजपा-आरएसएस तिरंगे के खिलाफ थे, उनके पूर्वजों ने अशोक चक्र का विरोध किया था और संघ परिवार के लोग पहले दिन से ही भारत के संविधान की जगह मनुस्मृति को लागू करना चाहते थे। खड़गे ने शाह के इस्तीफे की भी मांग की। "उन्होंने (अमित शाह) उन्होंने कहा, "उन्होंने बाबा साहब अंबेडकर और संविधान का अपमान किया है। मनुस्मृति और आरएसएस की उनकी विचारधारा से यह स्पष्ट है कि वह बाबा साहब अंबेडकर के संविधान का सम्मान नहीं करना चाहते। हम इसकी निंदा करते हैं और उनके इस्तीफे की मांग करते हैं। उन्हें देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए, उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।"

अरविंद केजरीवाल का एक और दांव,दिल्ली में बुजुर्गों के मुफ्त इलाज का ऐलान

#arvind_kejriwal_announced_sanjivani_yojana_before_delhi_chunav

दिल्ली में विधानसभा चुनाव नजदीक है। संभवतः फरवरी में होने वाले चुनाव को देखते हुए आम आदमी पार्टी ने कमर कस ली है।दिल्ली में बुजुर्गों के मुफ्त इलाज के लिए आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बड़ी घोषणा करते हुए संजीवनी योजना का ऐलान किया है।दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बुजुर्गों के लिए संजीवनी योजना शुरू करने की घोषणा की। इसके तहत दिल्ली में 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों का इलाज मुफ्त होगा।

अरविंद केजरीवाल ने योजना की घोषणा करते हुए कहा कि दिल्ली वालों के लिए संजीवनी लेकर आया हूं। दिल्ली में 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को मुफ्त इलाज मिलेगा। इलाज का सारा खर्च दिल्ली सरकार उठाएगी। ये केजरीवाल की गारंटी है। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता घर-घर जाकर रजिस्ट्रेशन करेंगे। दिल्ली के पूर्व सीएम ने कहा कि सरकारी या प्राइवेट अस्पतालों में फ्री इलाज होगा। कोई अपर लिमिट नहीं होगी। कोई एपीएल, बीपीएल कार्ड नहीं चाहिए। इसका रजिस्ट्रेशन दो-तीन दिन में शुरू हो जाएगा। हमारे कार्यकर्ता आपके घर में आएंगे, आपको एक कार्ड देंगे, उसे संभालकर रखना। चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर योजना बनाएगी और लागू करेगी।

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज मैं जो घोषणा कर रहा हूं वो भारत के इतिहास में कभी नहीं हुआ है। हम बुजुर्गों का बहुत सम्मान करते हैं और उन्ही की वजह से हमारा देश आज यहां तक पहुंचा है। इस वजह से अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनका ध्यान रखें। अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'आप लोगों ने मेहनत करके देश को आगे बढ़ाया है और अब हमारा फर्ज बतना है कि हम आपका ख्याल रखें। इस वजह से हम संजीवनी योजना की घोषणा कर रहे हैं। बुढ़ापे में एक चीज सबको तकलीफ देती है और वो है बढ़ती उम्र के साथ 10 बीमारियों की चिंता। इस वजह से यह संजीवनी योजना दिल्ली के बुजुर्गों के लिए है।

इससे पहले अरविंद केजरीवाल ने 12 दिसंबर को महिलाओं के लिए ‘महिला सम्मान योजना‘ की घोषणा की थी। इस योजना के तहत पात्र महिलाओं के खाते में हर महीने एक हजार रुपये ट्रांसफर करने का ऐलान किया था। बाद में उन्होंने कहा था कि चुनाव जीतने के बाद महिलाओं को एक हजार की जगह 2100 रुपये दिए जाएंगे।