एनएसए अजीत डोभाल का चीन दौरा, जानें 5 साल बाद हो रही ये बैठक कितनी अहम?
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भारत और चीन के रिश्ते पर जमी बर्फ अब पिघलती दिख रही है। दोनों देशों के बीच एलएसी पर सीमा विवाद के कारण बीते कुछ सालों में तनाव काफी बढ़ गया था। हालांकि, कई दौर की बातचीत के बाद हालात पटरी पर आते दिख रहे हैं। इसी क्रम में मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल बीजिंग पहुंचे हैं। लगभग पांच वर्षों के अंतराल के बाद उनकी चीन की आधिकारिक यात्रा है। इससे पहले एसआर संवाद दिसंबर 2019 में नई दिल्ली में हुआ था।
अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बुधवार को कई मुद्दों पर चर्चा की। अजीत डोभाल अपने चीनी समकक्ष और विदेश मंत्री वांग यी के साथ विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की 23वें दौर की वार्ता की। इस दौरान पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की वापसी और गश्त को लेकर दोनों देशों के बीच 21 अक्टूबर को हुए समझौते के बाद द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इस वार्ता का उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण चार साल से अधिक समय तक प्रभावित रहे द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करना है। साथ ही दोनों देशों के बीच आई खटास को दूर करना है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
अजीत डोभाल और वांग यी की विशेष बैठक से पहले चीनी विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। एक सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि चीन द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर करने और मतभेदों को दूर करने के लिए भारत संग काम करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि चीन और भारत के नेताओं के बीच महत्वपूर्ण आम समझ को लागू करने, एक-दूसरे के मूल हितों और प्रमुख चिंताओं का सम्मान करने, बातचीत और संचार के माध्यम से आपसी विश्वास को मजबूत करने, ईमानदारी और सद्भाव के साथ मतभेदों को ठीक से सुलझाने और द्विपक्षीय संबंधों को जल्द से जल्द स्थिर और स्वस्थ विकास की पटरी पर लाने के लिए भारत के साथ काम करने के लिए तैयार है।
कम होते तनाव के बीच दौरा कितना अहम
एनएसए का दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब दोनों देशों ने डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों से अपनी सेना को पीछे हटाने के समझौते पर सहमति बनाई है। खबरों के मुताबिक दोनों ओर से को-ऑर्डिनेट पेट्रोलिंग भी शुरू हो गई है। इस विवाद को सुलझाने के लिए कॉर्प्स कमांडरों की 21 राउंड की बैठक हो चुकी है, इसके अलावा डिप्लोमेटिक लेवल पर भी कई दौर की बातचीत हुई है।
मई 2020 में शुरू हुआ था सैन्य गतिरोध
दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था। उसी साल जून में गलवां घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच घातक झड़प हुई थी, जिससे दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आ गया था। सैनिकों की वापसी के समझौते को 21 अक्तूबर को अंतिम रूप दिया गया था। समझौते पर हस्ताक्षर होने के दो दिन बाद पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस के कजान शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर बातचीत की थी। बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता सहित कई वार्ता तंत्रों को बहाल करने पर सहमति व्यक्त की थी।
5 hours ago