आज बिहार दौरे पर आएंगी केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, पूर्वी क्षेत्र के ग्रामीण बैंक की करेंगी समीक्षा*

डेस्क : केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज शुक्रवार को बिहार दौरे पर आएंगी। इस दौरान दरभंगा में वे पूर्वी क्षेत्र के आठ ग्रामीण बैंक की समीक्षा करेंगी। पूर्वी क्षेत्र के चार राज्यों में बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड राज्य शामिल हैं। बिहार में दो, पश्चिम बंगाल में तीन, ओडिशा में दो और झारखंड में एक ग्रामीण बैंक हैं। इन सभी ग्रामीण बैंकों के चेयरमैन समीक्षा बैठक में भाग लेंगे। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के प्रदर्शन की समीक्षा के क्रम में डिजिटल विस्तार तथा सरकारी आर्थिक कार्यक्रमों में ज्यादा भागीदारी पर जोर देने की संभावना है। बैठक में केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री, वित्तीय सेवा विभाग के सचिव और वरिष्ठ अधिकारी, राज्य सरकारों, नाबार्ड, आठ ग्रामीण बैंक के चेयरमैन तथा प्रायोजक बैंकों के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे। बैठक में ग्रामीण बैंक के हितधारक और उनके प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है। समीक्षा बैठक में वित्त मंत्री सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां, जीएनपीए को कम करने पर भी जोर देंगी। आरआरबी के लिए अद्यतन प्रौद्योगिकी प्रणालियों को बनाए रखने की आवश्यकता पर प्रकाश डालेंगी। मोबाइल बैंकिंग जैसी डिजिटल बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रायोजक बैंक को तकनीकी सहायता प्रदान करने का निर्देश दे सकती हैं ताकि आवश्यक संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करके ग्रामीण बैंक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। मालूम हो कि दिल्ली में अगस्त में हुई पिछली बैठक में केन्द्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने आरआरबी और उनके प्रायोजक बैंकों से आग्रह किया था कि वे पीएम विश्वकर्मा और पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना जैसी योजनाओं के तहत ऋण स्वीकृत करते समय लाभार्थियों की सटीक पहचान पर जोर दें। उन्होंने आरआरबी को जमीनी स्तर पर कृषि ऋण वितरण में अपनी भागीदारी बढ़ाने का भी निर्देश दिया था।
बिहार विस उपचुनाव का परिणाम दे रहा बड़ा संकेत, अब बिहार की राजनीति में विशेष समीकरण और जातिवाद बड़ा फैक्टर नहीं रहा !

डेस्क : बिहार में 4 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में चारों सीटों पर NDA ने जीत हासिल की है। यह चुनाव अगले साल 2025 में होने वाले विधान सभा चुनाव से पहले सत्ताधारी एनडीए और महागठबंधन के लिए लिटमस टेस्ट माना जा रहा था। जिसमें एनडीए को बड़ी सफलता मिली। वही इस उपचुनाव में जो सबसे बड़ी बात हुई है उससे ऐसा लग रहा है कि बिहार की राजनीति में कोई विशेष समीकरण या जातिवाद बहुत बड़ा फैक्टर नही रह गया है। इस चुनाव में कहीं भी लालू और तेजस्वी यादव का जादू नहीं चला। चाहे लालू के MY समीकरण की बात करें या फिर तेजस्वी का नया BAAP समीकरण दोनों बुरी तरह से फेल रहा। इतना ही नहीं जातिवाद का फैक्टर भी बहुत कामयाब नहीं रहा। आलम यह रहा कि बिहार के चार सीट में एक भी जगह पर लालू की पार्टी का खाता नहीं खुला है।

आईए जानते है कैसे...

बिहार के चार सीटों पर हुए उपचुनाव एनडीए ने चारो सीट पर कब्जा किया है। जिसमें सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें जहां एनडीए ने राजद के दो पुराने किले को ध्वस्त किया है। वहीं एक सीट जिसपर पिछले 9 साल से वाम दल का राज था उसे भी अपने पाले में कर लिया।

सबसे पहले हम बात करते है बेलागंज विधानसभा सीट की। यह सीट पिछले 35 सालों से राजद के कब्जे में था। बेलागंज विधान सभा क्षेत्र में यादव और मुस्लिम की आबादी ऐसी है कि वह जिस तऱफ जाए उस प्रत्याशी की जीत पक्की है। बेलागंज सीट पर राजद के सुरेन्द्र यादव का लंबे समय तक कब्जा रहा। इसबार लोकसभा चुनाव जीतने के कारण यह सीट खाली हुई थी। वैसे सुरेन्द्र यादव बाहुबली नेता है, लेकिन इस सीट पर लंबे समय तक कब्जा करने के पीछे उनका सिर्फ बाहुबल ही नही माना जा सकता है। राजद सुप्रीमो का माय समीकरण यानि मुसलमान और यादव का साथ रहना भी बड़ा फैक्टर रहा है। लेकिन इस चुनाव में यह फैक्टर काम नहीं किया। ऐसा इसलिए माना जा सकता है कि इस सीट पर सुरेन्द्र यादव के बेटे बिश्वनाथ सिंह राजद से प्रत्याशी थे। लेकिन वे अपने पिता की विरासत को नही बचा पाए।

सबसे बड़ी बात यह रही कि इस क्षेत्र में लंबे समय बाद खुद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद चुनाव प्रचार को गए थे। इतना ही नहीं मुस्लिम वोटरो को गोलबंद करने के लिए पिछले दिनों राजद में दोबारा शामिल हुए सीवान के दिवंगत पूर्व बाहुबली सांसद मो. शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा भी इस क्षेत्र में चुनाव प्रचार को गए थे। लेकिन लालू प्रसाद और ओसामा दोनो की मेहनत यहां बेकार गई। साफ है कि यहां राजद का माय समीकरण इसबार काम नहीं आया और जदयू की मनोरमा देवी इस सीट पर कब्जा करने में कामयाबी रही।

बिहार विधान सभा के रामगढ़ सीट पर बड़ा खेल हुआ। यहां स्थिति यह रहा कि लंबे समय से इस सीट पर अपना वर्चस्व रखने वाली राजद इस उपचुनाव में तीसरे नंबर पर चली गई। इस सीट पर एनडीए की तरफ से बीजेपी ने जीत हासिल की। वहीं दूसरे नंबर पर रहते हुए बसपा ने खेल कर दिया। रामगढ़ में राजद प्रत्याशी तीसरे नंबर रहे।

रामगढ़ विधान सभा क्षेत्र राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के प्रभुत्व वाला माना जाता है। जगदानंद सिंह खुद इस सीट से लंबे समय तक विधायक बनते रहे थे। बाद में उनके बेटे सुधाकर सिंह इस सीट से विधायक बने। इस लोकसभा चुनाव में सुधाकर सिंह बक्सल से चुनाव जीतकर सांसद बन गए। जिसके बाद जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत सिंह इसबार राजद के टिकट पर चुनाव मैदान में थे। लेकिन ये अपने परिवार की विरासत को बचाने में नाकामयाब रहे। जबकि इस चुनाव में खुद लालू यादव भी कई जगहों पर चुनावी जनसभा में गए थे और तेजस्वी भी चुनाव प्रचार किए। यहां राजद का MY समीकरण का कोई फायदा नहीं हो पाया। जबकि इस क्षेत्र में मुस्लिम की आबादी तकरीबन 8.5 प्रतिशत है जो चुनाव में किसी भी प्रत्याशी की जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाता है।

वहीं तरारी विधान सभा सीट की बात करे तो इस सीट पर पिछले दो टर्म से वाम का कब्जा था। लेकिन इसबार यहां से बीजेपी प्रत्याशी की जीत हुई है। इस विधान सभा क्षेत्र की बात करे तो यहां वैसे तो सवर्ण जाति की संख्या अधिक है, लेकिन बैकवार्ड क्लास के कुल मतदाताओं को जोड़ दिया जाए तो उसकी संख्या काफी अधिक है। इसके साथ ही इस क्षेत्र के अधिकांश इलाके नक्सल प्रभावित है। जिसका लाभ यहां से वाम को मिलता रहा है। लेकिन इसबार वह भी ध्वस्त हो गया।

जबकि इमामगंज सीट की बात करें तो यहां एनडीए समर्थित हम अपना सीट बचाने में कामयाब रही। इमामगंज क्षेत्र दलित बहुल क्षेत्र है। यहां दलित के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय भी चुनाव में जीत-हार तय करने में निर्णायक भूमिका निभाते है। यहां दलित बनाम दलित की ही लड़ाई थी। ऐसा माना जा रहा था कि इसबार मुस्लिम मतदाता एनडीए के खिलाफ वोट कर सकते है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

वैसे यह उपचुनाव था, लेकिन जिस तरह के परिणाम सामने आए है उससे एक बात साफ दिख रहा है कि बिहार में कोई विशेष समीकरण या जातिवाद चुनाव में बहुत प्रभावी नहीं है। मतदाता अपने विवेक और विकास को ज्यादा अहमियत दे रहे है।

सदन के अंदर सिटिंग अरेजमेंट को लेकर भिड़े सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य, सदन की कार्यवाही स्थगित

डेस्क : बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आज चौथे दिन की कार्यवाही भारी हंगामे के बीच शुरु हुआ। सदन की कार्यवाही शुरु होते ही सिटिंग अरेंजमेंट को लेकर भारी हंगामा हो गया और सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे से भिड़ गए। इस दौरान दोनो के बीच भारी नोक-झोंक हुई। भारी हंगामे के बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया।

दरअसल हंगामे की शुरुआत उस वक्त शुरु हुई जब विपक्ष के विधायक सत्तापक्ष के तरफ़ आकर बैठ गए। जिसपर आरजेडी विधायक आलोक मेहता ने सदन में सिटिंग अरेजमेंट को लेकर सवाल उठाया। जिसके बाद विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया और बेल में जा पहुंचे। इस दौरान आरजेडी विदायक भाई बीरेंद्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कुर्सी तक जा पहुंचे और जोरदार हंगामा करने लगे।

बाद में मार्शन द्वारा भाई बीरेंद्र समेत सभी विधायकों को वहां से जबरन हटाया। भारी हंगामे के बाद विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने सदन की कार्यवाही को दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

विधान परिषद में भाजपा के सदस्यों ने मैथिली को शास्त्रीय भाषा में शामिल करने की मांग की, पूर्व सीएम राबड़ी देवी ने चुटकी लेते हुए की यह कटाक्ष

डेस्क : बीते बुधवार को बिहार विधान मंडल के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन विधान परिषद में एक मजेदार वाक्या हुआ। भाजपा सदस्यों की मांग पर पूर्व सीएम राबड़ी देवी ने जमकर चुटकी लेते हुए बड़ा कटाक्ष की। 

दरअसल बीते बुधवार को भाजपा के सदस्यों ने मैथिली भाषा में संविधान का अनुवाद होने को विधानपरिषद के गेट पर हाथ में तख्तियां लेकर प्रदर्शन के जरिए इस ऐतिहासिक कार्य को लेकर खुशी जताई। तख्ती संविधान की मैथिली अनुवाद के कवर पृष्ठ की थी। वहीं, कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा एमएलसी घनश्याम ठाकुर, हरि सहनी, संजय मयूख आदि ने यह मांग दुहराई। संविधान का अनुवाद मैथिली में किए जाने पर पीएम का धन्यवाद भी दिया।

घनश्याम ठाकुर ने संविधान की प्रति का अनुवाद मैथिली में करने के लिए पीएम और सीएम के प्रति आभार जताया। इस दौरान हरि सहनी ने मिथिला के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक महत्व को भी बताया। 

वहीं जब भाजपा के सदस्य यह मांग कर रहे थे तभी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा कि भाजपा के लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिथिला राज्य बनाने की मांग करनी चाहिए। इस पर सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सभी सदस्यों को शांत रहने का निर्देश दिया। इसके बाद सदन की कार्यवाही शुरू हुई। सदन की कार्यवाही के दौरान आगे भी घनश्याम ठाकुर ने मैथिली में ही अपनी बात रखी। एक बार जब वे हिन्दी में बोलने लगे तो मंत्री विजय चौधरी ने उन्हें टोक दिया। इस पर वे फिर मैथिली में बोलने लगे।

1 दिसंबर को पटना में मैराथन का होगा आयोजन, नशा मुक्त बिहार के लिए दौड़ेंगी बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल

डेस्क : बिहार में नशा के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए 1 दिसंबर को पटना में होगा अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैराथन का आयोजन होगा। इस वर्ष का थीम ‘रन फॉर नशा मुक्त बिहार’ रखा गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस मैराथन में देश की बैडमिंटन स्टार सायना नेहवाल भी दौड़ेंगी। मैराथन में चार श्रेणियों 42 किमी, 21 किमी, 10 किमी और 5 किमी की दौड़ का होगी।

उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सचिव विनोद सिंह गुंजियाल ने बुधवार को सूचना भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि विजेताओं को पुरस्कृत भी किया जाएगा। कुल पुरस्कार राशि 50 लाख रुपये रखी गई है। इस वर्ष के मैराथन में पहली बार बिहार फॉस्टेस्ट श्रेणी रखी गई है, जिसमें सबसे तेज पुरुष और महिला धावक को अलग से पुरस्कृत किया जाएगा। इसके अलावा एक एलिट (अतिविशिष्ट) श्रेणी भी रखी गई है, जिसमें अलग-अलग देशों के 40 से अधिक धावकों ने भी भाग लेने के लिए निबंधन कराया है।

यह दौड़ गांधी मैदान के गेट नंबर-1 से शुरू होकर मरीन ड्राइव, दीघा होते हुए शिवपुरी फुट ओवर ब्रिज तक होगी। यहां तक की दूरी 10.5 किमी होती है। यहां से यू-टर्न लेकर वापस गांधी मैदान लौटेंगे। फुल मैराथन (42 किमी) और हाफ मैराथन (21 किमी) का रूट समान ही रहेगा। इसके लिए 30 नवंबर की रात 11 बजे से रविवार सुबह 11 बजे तक मरीन ड्राइव के एक लेन को वाहनों के लिए पूरी तरह से बंद रखा जाएगा। 42 किमी की दौड़ सुबह 5 बजे, 21 किमी की 5:30 बजे, 10 किमी की 6:30 बजे और 5 किमी वाली दौड़ सुबह 7:30 बजे से शुरू होगी।

बिहार में 3 आईपीएस अधिकारियों का तबादल 1 को प्रोन्नति, गृह विभाग ने जारी की अधिसूचना

डेस्क : बिहार में एकबार फिर बड़ा प्रशासनिक फेर-बदल हुआ है। राज्य सरकार ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के तीन अधिकारियों का तबादला कर दिया है। वहीं एक आईपीएस अधिकारी को प्रोन्नति दी गयी है और एक आईपीएस अधिकारी को अतिरिक्त प्रभार से मुक्त कर दिया गया है। दूसरी ओर, बिहार पुलिस सेवा के डीएसपी स्तर के अधिकारी को स्थानान्तरित किया गया है। बुधवार को गृह विभाग की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी की गयी।

गृह विभाग से जारी अधिसूचना के अनुसार एडीजी, यातायात सुधांशु कुमार को एडीजी सह अपर आयुक्त असैनिक सुरक्षा के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त कर दिया गया है। नागरिक सुरक्षा की डीआईजी सह उप निदेशक को अनुसूईया रणसिंह साहू को प्रोन्नत करते हुए पुलिस महानिरीक्षक, नागरिक सुरक्षा बनाया गया है।

पटना के एसपी, विधि व्यवस्था विवेक कुमार को प्रोन्नत और स्थानांतरित करते हुए अपराध अनुसंधान विभाग में डीआईजी नियुक्त किया गया है। एसडीआरएफ के समादेष्टा मो. फरोगुद्दीन को प्रोन्नत और स्थानांतरित करते हुए गृह रक्षावाहिनी और अग्निशमन सेवाएं का डीआईजी सह उप महा समादेष्टा बनाया गया है। वहीं, गृह रक्षा वाहिनी के डीआईजी मृत्युंजय कुमार चौधरी तबादला करते हुए निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में डीआईजी बनाया गया है।

दूसरी ओर, सीआईडी के अपर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार नंबर-1 को स्थानांतरित करते हुए एसडीआरएफ का समादेष्टा नियुक्त किया गया है।

विधान सभा में बिहार सरकारी परिसर (संशोधन) विधेयक 2024 पास, अब ये काम करने वालों को जाना पड़ेगा जेल

* डेस्क : बिहार सरकारी परिसर (आवंटन, किराया, वसूली एवं बेदखली) (संशोधन) विधेयक, 2024 विधान सभा में पारित हो गया है। अब सरकारी परिसर पर अवैध कब्जा करने या सरकारी परिसर का आवंटन रद्द होने पर उसे खाली नहीं करने पर अब छह महीने तक जेल हो सकता है। 10 हजार तक जुर्माने का भी प्रावधान है। जुर्माना और जेल दोनों भी हो सकता है। बिहार सरकारी परिसर (आवंटन, किराया, वसूली एवं बेदखली) (संशोधन) विधेयक, 2024 में यह प्रावधान किया गया है। विधेयक पर विधानसभा ने बुधवार को मुहर लगा दी। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति विधेयक के प्रावधानों का उल्लंघन करता है या फिर प्रदत्त शक्ति के तहत की जा रही कार्रवाई में बाधा डालता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। *अबतक 1956 का अधिनियम था प्रभावी* बीते बुधवार को शीतकालीन सत्र की कार्यवाही के दौरान विधानसभा की दूसरी पाली प्रारंभ होते ही वक्फ संशोधन बिल वापसी की मांग को लेकर विपक्ष के वेल में प्रदर्शन के बीच भवन निर्माण मंत्री जयंतराज ने सदन में सरकारी जमीन, मकान और संपत्ति से संबंधित संशोधन विधेयक पेश किया। मंत्री ने बताया कि सरकारी परिसरों का उपयोग करने वाले व्यक्तियों से किराया वसूल करने, आवंटन निरस्त करने या फिर उक्त सरकारी संपत्ति से संबंधित व्यक्ति को बेदखल करने के लिए 1956 का अधिनियम प्रभावी था। परंतु समय के साथ कई नए आयाम और मुद्दे उत्पन्न हुए हैं। गौरतलब है कि अब तक सरकारी संपत्ति के आवंटी या लीजधारी से आवंटन, किराया, वसूली या बेदखली का कोई कठोर कानून नहीं था। संशोधन विधेयक के तहत सरकारी परिसर के आवंटन, किराया, वसूली और बेदखली को लेकर सजा के प्रावधानों को सख्त बनाया गया है। साथ ही नियमों को और स्पष्ट किया गया है। यही नहीं सरकारी जमीन, मकान या किसी भी अन्य संपत्ति पर कब्जा करना या लीज पर लेने के बाद समय पर भुगतान न करने की स्थिति में संबंधित लोगों से सख्ती से निपटा जा सकेगा।
तेजस्वी का सीएम पर बड़ा हमला : नीतीश कुमार गांधी का अनुयायी होने का दावा करते है और गोडसे के अनुयायी वाले लोगों का पक्ष लेते है*


डेस्क : नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होने कहा है कि सीएम नीतीश कुमार अपने को गांधी का अनुयायी होने का दावा करते है। लेकिन गांधी की हत्या करने वाले गोडसे के अनुयायियों का पक्ष लेते है। दरअसल आज बुधवार को विधान मंडल के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही के दौरान विधानसभा में विपक्षी सदस्यों ने सदन के बीचों-बीच आकर केंद्र सरकार से वक्फ संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग की और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस विवादास्पद मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने सदस्यों से बार-बार अनुरोध किया कि वे अपनी सीटों पर वापस लौट जाएं और समझें कि यह ऐसा मामला है जिसका फैसला राज्य स्तर पर नहीं किया जा सकता। बाद में, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, जो हंगामे के बीच चुपचाप बैठे रहे, उन्होंने सदन के बाहर मीडिया से कहा कि वे इस विवादास्पद मुद्दे पर आंदोलनकारी सदस्यों के साथ पूरी तरह से हैं। आरजेडी नेता ने आरोप लगाया कि "हमने संसद के अंदर और सड़कों पर भी इस विधेयक का विरोध किया है। इस विधेयक का उद्देश्य हिंदू-मुस्लिम विभाजन पैदा करना है, यह हमारी सांस्कृतिक विविधता के लिए हानिकारक होगा और यह असंवैधानिक है।" वहीं उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि नीतीश कुमार गांधी के अनुयायी होने का दावा करते हैं, लेकिन उन्होंने उन लोगों का पक्ष लिया है जो गोडसे के प्रति लगाव रखते हैं। उनकी जेडी(यू) के केंद्रीय मंत्रियों ने संसद के अंदर इस विधेयक का खुलकर बचाव किया है। तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारा मानना है कि जेडी(यू) सुप्रीमो की मंजूरी के बिना मंत्री ऐसा नहीं कर सकते थे। हालांकि, नीतीश कुमार के पास अपने पापों का प्रायश्चित करने का अवसर है। उन्हें अब इसके खिलाफ बोलना चाहिए और सदन के अंदर बयान देने से बेहतर कोई तरीका नहीं है।"
केन्द्रीय मंत्री ललन सिंह का यह बयान उनके लिए खड़ा कर दिया मुश्किल, मुजफ्फरपुर कोर्ट में दायर हुआ परिवाद*

डेस्क : केंद्रीय मंत्री व जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह द्वारा मुस्लिम समुदाय जदयू को वोट नहीं देता उनके लिए मुश्किलें खड़ा कर दिया है। इस बयान को लेकर ललन सिंह के खिलाफ मुजफ्फरपुर कोर्ट में परिवाद दर्ज हुआ है। केंद्रीय मंत्री के खिलाफ BNS एक्ट के धारा 298, 299, 302, 352 के तहत मामला दर्ज कराया गया है। जिसको लेकर अगली सुनवाई की तारीख 4 दिसंबर मुकरर्र की गई है। परिवाद दर्ज कराने वाले वकील तम्मना हाशमी ने बताया कि बीते दिनों केंद्रीय मंत्री व जदयू नेता ललन सिंह मुजफ्फरपुर पहुंचे थे। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों को लेकर कहा था कि मुसलमान जदयू को वोट नहीं करता। इससे मुस्लिमों की भावनाए आहत हुई हैं। उन्होंने कहा कि जदयू पार्टी से सभी धर्म के लोग जुड़े हुए है। इसके बावजूद केंद्रीय मंत्री द्वारा इस तरह का बयान देना बेहद निंदनीय है।
डिप्टी सीएम के पद पर बैठकर सफेद झूठ बोल रहे सम्राट चौधरी, शर्म से डूब मरना चाहिए : तेजस्वी यादव

* डेस्क : नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि उपमुख्यमंत्री के पद पर रहकर सम्राट चौधरी झूठा बयान दे रहे हैं। सम्राट चौधरी को ऐसा झूठा और असत्य बयान देने से पहले शर्म से डूब मरना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सम्राट चौधरी ने कल कहा था कि 1990 से 2004 तक हमलोगों (राजद) ने आरक्षण नहीं दिया। सम्राट चौधरी जी हमलोग की ही पार्टी में थे.. मंत्री भी बनाए गए थे क्या क्या हंगामा हुआ सब जान रहा है। लेकिन उनको जानकारी होना चाहिए कि लालू जी और राबड़ी जी की सरकार ने कितना आरक्षण लोगों को दिया। तेजस्वी ने बताया कि, 1978 में जननायक कर्पूरी ठाकुर ने अतिपिछड़ों को 12 प्रतिशत, पिछड़ों को 8 प्रतिशत आरक्षण दिया था। उस समय भाजपा के लोग कर्पूरी जी के खिलाफ क्या क्या नारा लगाते थे। वहीं जब 1990 में लालू जी सरकार ने आए तो उन्होंने अतिपिछड़ों के 12 प्रतिशत आरक्षण को 14 प्रतिशत कर दिया। वहीं ठीक 10 साल बाद जब राबड़ी देवी 2000 में बिहार की पहली मुख्यमंत्री बनी तो उन्होंने 14 प्रतिशत के आरक्षण को बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया। उन्होंने कहा कि पंचायती राज वाला कहते हैं वो तो राबड़ी सरकार ने ही प्रस्ताव रखा था कोर्ट से निरस्त हुआ तो उसे सीएम नीतीश ने लागू किया। जो पंचायतों में अतिपछिड़ों का आरक्षण था और सच्चाई जान जानी चाहिए की आज जिसके दम पर राजनीति में हैं सम्राट चौधरी। मंडल कमीशन लागू कराने में लालू जी का योगदान नहीं भूलना चाहिए। लालू जी के चक्कर में बीपी सिंह को गाली खाना पड़ा। शर्म आना चाहिए इन मंत्रियों को जिनको इतिहास नहीं पत्ता। तेजस्वी ने कहा कि 2005 में जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने उसके बाद से एसएसटी, ओबीसी आरक्षण की सीमा को कभी नहीं बढ़ाई गई। और फिर ये आरक्षण कब बढ़ी हमारे 17 महीने की सरकार में...हमलोगों ने पिछड़ों का अतिपिछड़ों के आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया। उन्होंने कहा कि कर्पूरी जी ने शुरुआत की फिर लालू राबड़ी जी ने आगे बढ़ाया फिर महागठबंधन की 17 महीने की सरकार बनी तो हमने उसे 65 प्रतिशत करने का काम किया।