Street Buzz की खबर का असर, रैन बसेरा का निरीक्षण करने पहुंचे एडीएम, व्यवस्थाएं दुरूस्त करने का निर्देश

नितेश श्रीवास्तव

भदोही। एडीएम वित्त व राजस्व कुंवर वीरेंद्र मौर्य ने नगर के इकलौते शेल्टर होम का जायजा लिया। इन दौरान उन्होंने कहा कि शेल्टर होम में सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त कराएं। लकड़ी की व्यवस्था कराएं।

किसी भी तरह की लापरवाही न बरती जाएं। Street buzz News ने 50 बेड के शेल्टर होम में बचे सिर्फ 28 बेड, चादर - कंबल भी फटे पुराने खबर को चलाया था। इसके बाद एडीएम शेल्टर होम का निरीक्षण करने पहुंचे। यहां उन्हें सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त मिली। खबर देखने के बाद अधिकारियों ने टूटे बेड को सही सही कराया और फटे चादर को बदलवाया। शौचालय में सफाई कराई।

ज्ञानपुर का शेल्टर होम जिले का स्थायी इकलौता रैन बसेरा है। यहां राहगीर सिर्फ आधार कार्ड दिखाकर रात गुजार सकते हैं। बता दें कि ज्ञानपुर में जिले का इकलौता 50 बेड का स्थायी शेल्टर होम विभुति नारायण राजकीय इंटर कॉलेज के ठीक सामने संचालित है। करीब पांच साल पहले बने इस पंडित दीनदयाल आश्रय स्थल की देखरेख का जिम्मा नगर पंचायत के ऊपर है।

नगर पंचायत ने इसकी देखरेख के लिए कार्यदायी संस्था नामित की है।

जिले के सीएचसी पर लगेगी अल्ट्रासाउंड मशीनें बेहतर होगी व्यवस्था

नितेश श्रीवास्तव

भदोही। जिले के बेहतर स्वास्थ्य सुविधा को लेकर स्वास्थ्य महकमा प्रयासरत हैं। जिले के तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर जल्द ही अल्ट्रासाउंड मशीनें लगाई जाएगी। डीघ, गोपीगंज,औराई सीएचसी पर मशीन लगाने की तैयारी है। तीनों सीएचसी पर मशीन लगने से करीब आठ लाख की आबादी को इसका लाभ मिल सकेगा। पहले चरण में गोपीगंज सीएचसी पर 15 दिसंबर के पहले अल्ट्रासाउंड मशीन लगेगी। वहीं विभागीय पहल पर डीघ और औराई में भी अल्ट्रासाउंड मशीन लगाने की तैयारी है।

जिले में कुल छह सीएचसी है। जिसमें गोपीगंज, डीघ, औराई के अलावा भानीपुर, भदोही और सुरियावां सीएचसी है। बड़े अस्पतालों के बाद अधिकतर लोगों को स्वास्थ्य सुविधा पहुंचने की जिम्मेदारी इन्हीं सीएचसी पर होती है। इन सीएचसी पर अल्ट्रासाउंड मशीन न होने के कारण मरीजों को निजी पैथोलॉजी सेंटरों पर जाना होता है।‌ खासकर हाईवे पर स्थित गोपीगंज और औराई सीएचसी पर इसकी खलती है। वहीं दूरस्थ इलाका होने के कारण डीघ क्षेत्र में भी लोगों को परेशानी होती है।

इन सीएचसी पर करीब आठ लाख लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने की जिम्मेदारी है। ऐसे में यहां अल्ट्रासाउंड मशीन लगने पर बड़ी संख्या में लोगों को लाभ मिलेगा। बीते दिनों शासन स्तर से प्रदेश में चार अल्ट्रासाउंड मशीन लगाने की स्वीकृति मिली थी। इसमें गोपीगंज सीएचसी का नाम भी शामिल था। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग की पहल पर औराई और डीघ सीएचसी में भी इसकी तैयारी जोरों पर है। सीएमओ डॉ संतोष कुमार चक बताया कि सब कुछ ठीक रहा तो गोपीगंज में 15 दिसंबर से पहले ही लोगों को अल्ट्रासाउंड का लाभ मिलने लगेगा। अल्ट्रासाउंड के मरीजों को कहीं भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगा।

सुरियावा लूट कांड का हुआ खुलासा तीन आरोपी गिरफ्तार, 32000 नकद दो एंड्रॉयड फोन

नितेश श्रीवास्तव

भदोही। सुरियावा थाना क्षेत्र के भीखमपुर गांव के पास 30 अक्टूबर को बाइक सवार बदमाशों ने बैंक ऑफ़ बड़ौदा की फ्रेंचाइजी चलने वाले से तमंचे के बल पर एक लाख की लूट कर ली थी। जिस मामले का खुलासा करते हुए सुरियावा पुलिस व स्वाट टीम ने तीन लुटेरे को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार आरोपी के पास से 32000 नकद एक आईफोन तीन एंड्राइड मोबाइल के साथ घटना में प्रयुक्त दो पिस्तौल चार जिंदा कारतूस तमंचा 315 व फर्जी नंबर प्लेट के बाइक को बरामद किया।

लूट कांड का खुलासा करते हुए एसपी डॉ मीनाक्षी कात्यान ने पुलिस लाइन में प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी।सुरियावा थाना क्षेत्र के मकनपुर रोही निवासी शारदा प्रसाद मौर्य से 30 अक्टूबर को बाइक सवार बदमाशों ने तमंचे के बल पर एक लाख की लूट कर लिया। घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस पहुंचकर मामले की छानबीन की। पुलिस अधीक्षक ने जल्द घटना का खुलासा करने का निर्देश दिया। जिसके क्रम में सुरियावा थाना पुलिस व स्वाट टीम ने संयुक्त रूप से बड़ी सफलता हासिल की।

टीम ने चेकिंग के दौरान गुवाली नहर पुलिया के पास से तीनों लुटेरे को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने लुटेरों के पास से 32 हजार नकद रुपया एवं लूट के रुपए से खरीदे गए आईफोन एवं तीन एंड्राइड मोबाइल बरामद किया। पुलिस ने लूट में प्रयुक्त दो पिस्टल चार जिंदा कारतूस एक तमंचा दो जिंदा करतू फर्जी नंबर प्लेट की बाइक बरामद किया। पुलिस अधीक्षक डॉक्टर मीनाक्षी कात्यायन पुलिस लाइन में घटना का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि लूटरों की पहचान सीसीटीवी फुटेज की मदद से की गई । सुरियावा पुलिस ने चेकिंग के दौरान तीनों लटूरों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की ।

उन्होंने बताया कि तीनों लुटेरों का आपराधिक इतिहास खंगाला जा रहा है, एवं उनके विरुद्ध विधिक कार्रवाई की जा रही है।गिरफ्तार अभियुक्त ने पूछताछ में बताया कि हम लोग अपने आर्थिक भौतिक लाभ के लिए संगठित होकर रेकी कर लूट की घटनाओं को अंजाम देते थे। 30 अक्टूबर को बैंक मित्र के साथ तमंचे से डरा कर बैग सहित एक लाख रुपए लूट लिया था। लूट के उपरांत हम लोगों द्वारा लूट के पैसे को आपस में बांट लिया। लुटेरे रोहित यादव ने बताया कि मैं अपने हिस्से के पैसे से 17000 का एंड्राइड मोबाइल फोन खरीदा। शेष पैसों अपनी जरूरत के वस्तु के लिए खर्च कर लिया।

भदोही में 50 बेड के शेल्टर होम में बचे सिर्फ 28 बेड, चादर - कंबल भी फटे - पुराने

नितेश श्रीवास्तव

भदोही। जिले के इकलौते स्थायी शेल्टर होम में दुर्व्यवस्थाओं की भरमार है। स्थिति यह है कि 50 बेड के इस आश्रय गृह में केवल 28 बेड बचे हैं। जिसमें 10 चौकिंयां नयी आयी हैं। शेल्टर होम के कमरे गंदगी और बिखरे सामान इसकी हकीकत को बयां कर रहे हैं। आश्रय स्थल में चादर और कंबल भी काफी गंदे व बदहाल मिले। जिले में ठंडक ने दस्तक दे दी है। शाम होते ही गुलाबी ठंड लोगों को स्वेटर और फुल बांह की शर्ट पहनने को मजबूर कर रही है।

निराश्रित लोगों ठिठुरती ठंड में खुले आसमान के नीचे न सोना पड़े। इसके लिए निकायों में आश्रय स्थल बनाए जाते हैं। वहीं ज्ञानपुर में जिले का इकलौता 50 बेड का स्थायी शेल्टर होम वीएनजीआईसी कॉलेज के ठीक सामने संचालित है। करीब पांच साल पहले बने इस पंडित दीनदयाल आश्रय स्थल की देखरेख का जिम्मा नगर पंचायत के ऊपर है। नगर पंचायत ने इसकी देखरेख के लिए कार्यदायी संस्था नामित की है, लेकिन कार्यदायी संस्था की अनदेखी के कारण शेल्टर होम दुर्दशा का शिकार हो रहा है। Street buzz News की टीम शेल्टर होम की पड़ताल की। जहां शेल्टर होम केवल 28 बेड मिले। उसमें भी कई ऐसे थे, जिस पर ढंग के बिस्तर भी नहीं पड़े हैं। शेल्टर के होम के कमरे गंदगी ऐसी पसरी थी। जैसे लग रहा था कि कई महीनों से इसकी सफाई नहीं की गयी है। इसके अलावा शौचालय व वाशरूम भी अच्छे तरीके से साफ नहीं मिले। ठंड के दस्तक के साथ निराश्रित लोगों को शेल्टर होम की जरूरत पड़ती है, लेकिन बिना चादर और कंबल के किस तरह से लोग रात बितायेंगे यह भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है।

भदोही में रानी लक्ष्मीबाई की संकल्प दिवस के रुप में मनी जयंती

नितेश श्रीवास्तव

भदोही। रानी लक्ष्मीबाई की जयंती आज यानी 19 नवंबर को मनाई जा रही है। हर साल इस दिन झांसी की रानी की वीरता को नमन किया जाता है और अंग्रेजों के खिलाफ उनकी शौर्य गाथा को याद किया जाता है। स्कूल के दिनों से ही बच्चे-बच्चे को रानी लक्ष्मी बाई की जीवनी या शौर्य गाथा सुनाई जाने लगती है।

वह झांसी की रानी थीं, जो अपने पति और पुत्र को खो चुकी हैं और दत्तक पुत्र के लायक होने तक खुद एक महिला होकर झांसी का शासन संभाल रही थीं। हालांकि अंग्रेज हुकूमत ने झांसी को अपने अधिकार क्षेत्र में लेने का प्रयास किया और झांसी के किले पर आक्रमण कर दिया। रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के आक्रमण का मुंह तोड़ जवाब दिया। घोड़े पर सवार लक्ष्मी बाई की पीठ पर उनका पुत्र था और वह अंग्रेजों के सीने को चीरते हुए अपना रास्ता बना रही थीं।बनारस में 19 नवंबर 1828 को जन्मी लक्ष्मीबाई का बचपन का नाम मणिकर्णिका था। प्यार से उन्हें मनु कहा जाता था।

उनके पिता मोरोपंत तांबे और मां भागीरथी सप्रे थीं। वह मनु चार साल की थीं, तभी उनकी मां की निधन हो गया। पिता बिठूर जिले के पेशवा बाजी राव द्वितीय के लिए काम करते थे। उन्होंने लक्ष्मी बाई का पालन पोषण किया। इस दौरान उन्होंने घुड़सवारी, तीरंदाजी, आत्मरक्षा और निशानेबाजी की ट्रेनिंग ली। 14 साल की उम्र में 1842 में मनु की शादी झांसी के शासक गंगाधर राव नेवलेकर से कर दी गई। शादी के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई पड़ा। उस दौर में शादी के बाद लड़कियों का नाम बदल जाता था। विवाह के बाद लक्ष्मी बाई ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसकी मृत्यु महज चार महीने में ही हो गई।

बाद में उनके पति और झांसी के राजा का भी निधन हो गया। पति और बेटे को खोने के बाद लक्ष्मी बाई ने खुद ही अपने साम्राज्य और प्रजा की रक्षा की ठान ली।उस समय ब्रिटिश इंडिया कंपनी के वायसराय डलहौजी ने झांसी पर कब्जे का यह बेहतर समय समझा क्योंकि राज्य की रक्षा के लिए कोई नहीं था। उन्होंने रानी लक्ष्मी बाई पर दबाव बनाना शुरू किया कि झांसी को अंग्रेजी हुकूमत के हवाले कर दें। रानी ने रिश्तेदार के एक बच्चे को अपना दत्तक पुत्र बनाया, जिनका नाम दामोदर थाअंग्रेजी हुकूमत ने दामोदर को झांसी का उत्तराधिकारी मानने से इनकार कर दिया और झांसी का किला उनके हवाले करने को कहा। अंग्रेजों ने साम्राज्य पर कब्जा करने की कोशिश की लेकिन लक्ष्मी बाई ने काशी बाई समेत 14000 बागियों की एक बड़ी फौज तैयार की। 23 मार्च 1858 को ब्रिटिश फौज ने झांसी पर आक्रमण कर दिया और 30 मार्च को बमबारी करके किले की दीवार में सेंध लगाने में सफल हुए। 17 जून 1858 को लक्ष्मीबाई आखिरी जंग के लिए निकली। पीठ पर दत्तक पुत्र को बांधकर हाथ में तलवार लिए झांसी की रानी ने अंग्रेजों से जंग की। लाॅर्ड कैनिंग की रिपोर्ट के मुताबिक, लक्ष्मीबाई को एक सैनिक ने पीछे से गोली मारी। फिर एक सैनिक ने एक तलवार से उनकी हत्या कर दी।नगर पंचायत स्थित शहीद मार्क में मंगलवार को लक्ष्मीबाई की जयंती संकल्प दिवस के रुप में मनाया गया। बाबा बर्फानी ग्रुप के लोगों ने झांसी की रानी को नमन कर उनके व्यक्तित्व को आत्मसात करने का संकल्प लिया। रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर चर्चा की गई। इस दौरान बाबा बर्फानी ग्रुप के अध्यक्ष ब्रह्मा मोदनवाल ने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी में 19 नवंबर वर्ष 1828 में हुआ था ‌बचपन में उनका नाम मणिकर्णिका था। सब उन्हें प्यार से मनु कहकर बुलाते थे। सिर्फ चार साल की उम्र में ही उनकी माता का निधन हो गया था। इसलिए मनु के पालन - पोषण की जिम्मेदारी उनके पिता पर आ गई थी। रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हुई थी। झांसी की रानी के नाम मात्र से ही अंग्रेज कांप उठते थे। रानी लक्ष्मीबाई के व्यक्तित्व को आत्मसात कर उनके बताए मार्ग पर चलने की जरूरत है। इनके त्याग व बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

डीएम बोले- शिक्षा के साथ बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास जरूरी

नितेश श्रीवास्तव

भदोही। ज्ञानपुर नगर स्थित पुलिस लाइन के मैदान में दो दिवसीय जनपद स्तरीय बाल क्रीड़ा समारोह का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ मुख्य अतिथि जिलाधिकारी विशाल सिंह ने दीप प्रज्वलित एवं मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। जनपद स्तरीय क्रीड़ा समारोह में जनपद की आधा दर्जन टीमों ने प्रतिभाग किया।

विगत वर्षों की बात इस वर्ष भी बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा पुलिस लाइन के मैदान में जनपद स्तरीय बाल क्रीड़ा समारोह का आयोजन किया। जिसमें जिले के परिषदीय विद्यालय के आधा दर्जन टीमों ने प्रतिभा किया। सभी टीमो ने अपनी अपनी प्रस्तुति देकर अतिथियों को मंत्र मुग्ध कर दिया। दो दिवसी समझ में अच्छा प्रदर्शन करने वाली टीमों को मेडल व पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा।

कार्यक्रम का शुभारंभ के पश्चात जिलाधिकारी ने कहा कि कीड़ा समारोह से जहां बच्चों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है तो वही उनके मानसिक स्थिति को मजबूत करने में सहायक होती है। उन्होंने कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ शारीरिक एवं मानसिक स्थिति का मजबूत होना भी जरूरी है। ऐसे में यह क्रीड़ा समारोह बच्चों के लिए काफी सहायक साबित होगा। उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यक्रम की सराहना करते हुए बधाई दी। इस अवसर पर बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेन्द्र नारायण सिंह सहित अन्य अधिकारी एवं काफी संख्या में विद्यालयों के छात्र व अध्यापक मौजूद रहे।

भदोही के दो युवा साइकिल से जाएंगे चित्रकूट मानवता की पुकार का देंगे संदेश, डीएम ने दिखाई हरी झंडी

नितेश श्रीवास्तव

भदोही। भदोही संस्कृतिक संस्थान द्वारा मानवता की पुकार को लेकर यात्रा शुरू की गई। यात्रा का शुभारंभ जिला अधिकारी विशाल सिंह ने पुलिस लाइन गेट से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। मानवता की पुकार यात्रा को लेकर जनपद के दो युवा साइकिल से चित्रकूट तक जाएंगे जहां यात्रा का समापन होगा।मानवता की पुकार को लेकर जिले के दो युवा साइकिल से यात्रा करते हुए चित्रकूट तक जाएंगे। यह यात्रा भदोही संस्कृत संस्थान द्वारा ज्ञानपुर पुलिस लाइन से शुरू किया गया है।

यात्रा में शामिल दोनों युवाओं द्वारा यात्रा के दौरान जगह-जगह लोगों को मानवता की पुकार के प्रति जागरूक करेंगे। लोगों के अंदर मानवता की भावना पैदा करने के लिए प्रेरित करेंगे। कार्यक्रम का शुभारंभ करने के बाद जिलाधिकारी विशाल सिंह ने कहा कि यह अभियान काफी सराहनी है । उन्होंने कहा कि यात्रा से जहां लोगों में मानवता की भावना उत्पन्न होगी तो वही साइकिल यात्रा से स्वास्थ्य के प्रति भी एक अच्छा संदेश है । उन्होंने यात्रा में शामिल दोनों युवाओं को यात्रा को सफल होने की बधाई दी। इस अवसर पर मौजूद संस्थान के लोगों ने दोनों युवाओं को माल्यार्पण कर उत्सवर्धन किया।

भगवान न करे झांसी अग्निकांड हो , क‌ई मासूमों की जाएगी जान

नितेश श्रीवास्तव

भदोही ‌ भगवान न करे कि जिले में झांसी कांड हो। ऐसा हुआ तो क‌ई मासूमों की जान चली जाएगी। झांसी मेडिकल कॉलेज में आग से 10 मासूमों की मौत से यहां हर कोई मर्माहत है। बहरहाल, जनपद में लोगों के इलाज के लिए सरकारी तौर पर जिला अस्पताल, एमबीएस अस्पताल और छह सीएचसी है। सरकारी व्यवस्था में तमाम खामियां है। बात अगर सरकारी अस्पतालों की करें तो कहीं आईसीयू नहीं है। दो जगह 25 बेड का एना‌आईसीयू जरूर है। वर्षों पहले इनका विद्युतीकरण तो कराया गया।

आलम यह है कि किसी भी सरकारी अस्पताल में आग बुझाने का पर्याप्त इंतजाम नहीं है। सबकुछ भगवान भरोसे है। जिले की आबादी करीब 20 लाख है। इसमें बच्चों की संख्या भी तीन लाख के आसपास है। ज्ञानपुर जिला अस्पताल, भदोही स्थित एमबीएस अस्पताल और छह सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में उनके इलाज की व्यवस्था है। डाक्टरों की ठीक ठाक संख्या है। सरकार पर्याप्त धन भी देती है। इसके बाद भी व्यवस्था पर भरोसा नहीं होने से अभिभावक अपने बच्चों के इलाज के लिए वाराणसी और प्रयागराज का रूख करते हैं।

जिले के अस्पतालों में आईसीयू और आग बुझाने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होना पूरे तंत्र पर बड़ा सवाल है। जिले के सरकारी एवं निजी अस्पतालों में विद्युतीकरण स्तरीय नहीं है। सरकारी अस्पतालों में सारी व्यवस्था भगवान भरोसे है। निजी अस्पतालों के भवन तो बना दिए गए। लेकिन विद्युतीकरण के तारों के जंलाल छोड़ दिया गया। आग बुझाने के समुचित उपकरण नहीं लगाए गए। सबकुछ पुराना है। शुक्र है कि अभी यहां झांकी कांड नहीं हुआ। अगर ऐसा हुआ तो बड़ा हादसा हो जाएगा। इस संबंध में आला अफसरों को तत्काल कदम उठाने होंगे।

सरकारी अस्पतालों आईसीयू की व्यवस्था नहीं है। भदोही और औराई के अस्पतालों में 83 बेड है। ज्ञानपुर जिला अस्पताल में 10 बेड का एना‌आईसीयू है। एमबीएस में 15 बेड है। दोनों बड़े अस्पतालों के अलावा छह सीएचसी में आग बुझाने के व्यापक बंदोबस्त हैं।

डॉ संतोष कुमार चक मुख्य चिकित्साधिकारी भदोही

*भदोही में मनाया गया वीरांगना ऊदा देवी का शहादत दिवस, आयोजित हुआ कजरी महोत्सव*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही- ऊदा देवी पासी, एक भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी थीं जिन्होने 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय सिपाहियों की ओर से युद्ध में भाग लिया था। ये अवध के छठे नवाब वाजिद अली शाह के महिला दस्ते की सदस्य थीं।इस विद्रोह के समय हुई लखनऊ की घेराबंदी के समय लगभग 2000 भारतीय सिपाहियों के शरणस्थल सिकन्दर बाग़ पर ब्रिटिश फौजों द्वारा चढ़ाई की गयी थी और 16 नवंबर 1857 को बाग़ में शरण लिये इन 2000 भारतीय सिपाहियों का ब्रिटिश फौजों द्वारा संहार कर दिया गया था।

इस लड़ाई के दौरान ऊदा देवी पासी ने पुरुषों के वस्त्र धारण कर स्वयं को एक पुरुष के रूप में तैयार किया था। लड़ाई के समय वो अपने साथ एक बंदूक और कुछ गोला बारूद लेकर एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ गयी थीं। उन्होने हमलावर ब्रिटिश सैनिकों को सिकंदर बाग़ में तब तक प्रवेश नहीं करने दिया था जब तक कि उनका गोला बारूद खत्म नहीं हो गया। ज्ञानपुर के अर्पित लान में वीरांगना ऊदा देवी का शहादत दिवस मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अथिति ज्ञानपुर विधायक विपुल दुबे ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। शहादत दिवस के अवसर पर कजरी महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न जिलों से आए कलाकारों ने कजरी के माध्यम से ऊदा देवी के वीरता की बखान की।

ज्ञानपुर के अर्पित लान में वीरांगना ऊदा देवी का शहादत दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रहे विधायक ज्ञानपुर विपुल दुबे ने वीरांगना के चित्र पर माल्यार्पण का श्रद्धा सुमन अर्पित किया। उन्होंने कहा कि 1857 की लड़ाई में वीरांगना ऊदा देवी की महत्वपूर्ण भूमिका रही । जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रमेश पासी ने कहा कि उदा देवी ने 36 अंग्रेजों को मार कर वीरगति प्रताप की। ऐसी वीरांगना को हम बार-बार नमन करते हैं। कार्यक्रम के दौरान कजरी महोत्सव का भी आयोजन किया गया। महोत्सव में आए पूर्वांचल के विख्यात कलाकारों ने कजरी के माध्यम से वीरांगना ऊदा देवी के वीरता की बखान की। इस अवसर पर काफी संख्या में पुरुष महिला जन मौजूद रहे।

*भदोही में तीन दिन में 2150 लोग इलाज के लिए पहुंचे जिला अस्पताल, बदले मौसम से बढ़ी मरीजों की संख्या*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही तापमान में अचानक से कमी आई है, जिसके चलते मौसम में बदलाव हुआ है। अब ठंड का एहसास लोगों को होने लगा है। इसका असर लोगों की सेहत पर भी पड़ा है। वहीं जिला चिकित्सालय में अचानक से मरीजों की संख्या बढ़ी है। बीते तीन दिनों में करीब 2150 मरीजों की जांच कर दवा उपलब्ध कराई गई। इसके अलावा चिकित्सालय के लैब में 4000 के करीब जांच हुई है।

बीते तीन दिनों से न्यूनतम तापमान में ढाई डिग्री की गिरावट आई है। न्यूनतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। इस कारण ठंड में वृद्धि हुई है। सुबह शाम लोगों को अब ठंड का एहसास होने लगा है। जरा सी लापरवाही बरतने पर लोग तत्काल बीमार पड़ रहे हैं। महाराजा चेतसिंह जिला चिकित्सालय में बीते सप्ताह भर से निरंतर मरीजों की संख्या बढ़ रही है।

लैब में चार हजार मरीजों की हुई जांच

जिला चिकित्सालय के लैब में बीते तीन दिनों में करीब 4000 जांच की गई है। इसमें डेंगू, मलेरिया, सुगर, सीबीसी, टायडफाइड आदि सहित कई जांच है। भीड़ अत्यधिक होने के कारण मरीज जांच के लिए घंटों कतार में खड़े रहे। जिन मरीजों की पर्ची पर मोबाईल नंबर अंकित था, उनका रिपोर्ट कार्ड ऑनलाइन मिला।