मुक्त विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में जुटे कई देशों के विद्वान
प्रयागराज। उ.प्र. राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज एवं शुआट्स,प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के रास्ते, संभावनाएँ एवं चुनौतियाँ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी (पीसीपीएसडीजी) का आयोजन गुरुवार को मुक्त विश्वविद्यालय के सरस्वती परिसर स्थित लोकमान्य तिलक शास्त्रार्थ सभागार में किया गया ।
संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि प्रोफेसर रमेश चन्द्रा, कुलपति, महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय, भरतपुर, राजस्थान ने कहा कि सतत विकास का सार गीता में निहित है। सतत विकास के लिए कर्म की प्रधानता आवश्यक है। भारतवर्ष आज निरंतर सतत विकास की ओर अग्रसर है। शिक्षा में गरीबी और असमानता को हटाना होगा। सभी के स्वास्थ्य की चिंता करनी पड़ेगी जिससे विकास के इस दौड़ में कोई भी व्यक्ति पीछे ना रह जाए।
अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से ही हम सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने सतत विकास के विभिन्न आयामों की चर्चा करते हुए गरीबी, राजनीति एवं विज्ञान को एक दूसरे में समाहित किया। उन्होंने वर्तमान विश्व में दवाइयों से आने वाली समस्या एवं उसके निराकरण पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मंथन काफी प्रभावी सिद्ध होगा।
उद्घाटन सत्र के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर आनंद वर्धन शर्मा, प्रोफेसर निदेशक, यूजीसी एचआरडीसी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय,वाराणसी ने कहा कि पर्यावरण एवं विकास में गहरा संबंध है। विश्व में पृथ्वी शिखर सम्मेलन में पर्यावरण के संबंध में विस्तृत चर्चा की जाती है। एक तरफ हमें विकास को आगे बढ़ाना है साथ में पर्यावरण की भी चिंता करनी है। सतत विकास के जिन 17 बिंदुओं की आज चर्चा हो रही है वह भारतीय परिप्रेक्ष्य में पुराणों एवं प्राचीन ग्रंथों में उपलब्ध हैं।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर कुलदीप कुमार, सेंटर फॉर डाटा एनालिस्टिक्स, बौन्ड बिजनेस स्कूल, बौन्ड यूनिवर्सिटी, क्वींसलैंड, आॅस्ट्रेलिया ने कहा कि भूख और गरीबी को हटाए बिना सतत विकास की अवधारणा को साकार नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही हमें महिला सशक्तिकरण पर भी बल देना होगा तथा विज्ञान का मानव कल्याण में प्रयोग करना होगा।
प्रारम्भ में संयोजक प्रोफेसर श्रुति ने अतिथियों का स्वागत किया। डॉ दिनेश कुमार गुप्ता ने संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत की। संचालन डॉक्टर गौरव संकल्प और धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने किया। विभिन्न तकनीकी सत्रों में विशिष्ट वक्ता डॉ विश्वेश दीक्षित, सिंगापुर, रवीन्द्र चंद्रसिरी, पल्लियागुरूगे, श्रीलंका, निमिषा चतुवेर्दी, फ्रांस, राजाअप्पुस्वामी, फ्रांस, सुश्री यू जी सी फर्नांडो, श्रीलंका, डॉ मृत्युंजय डी पांडेय, बी एच यू , डॉ जय सिंह, बीएचयू, डॉ सुधीर कुमार सिंह, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, डॉ मृगेन्द्र दुबे, आई आई टी, इंदौर एवं डॉ नंदकिशोर गोरे, बीबीएयू, लखनऊ ने सतत विकास पर प्रभावी व्याख्यान दिए।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रोफेसर अनूप चतुवेर्दी, सांख्यिकी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर बेचन शर्मा, संकायाध्यक्ष, विज्ञान संकाय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज ने कहा कि आजकल वैश्विक स्तर पर सतत विकास लक्ष्य सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसे संयुक्त राष्ट्र ने 2015 में प्रस्तावित किया था और कहा था कि सभी 17 लक्ष्यों को 2030 तक प्राप्त करने का लक्ष्य रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि आज की यह अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने की। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र में प्रोफेसर ए के मलिक ने सेमिनार की रिपोर्ट प्रस्तुत की। अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में आस्ट्रेलिया,सिंगापुर, फ्रांस, श्रीलंका एवं भारत के विभिन्न राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, असम, दिल्ली, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से 150 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिभाग कर शोध पत्र प्रस्तुत किए। उक्त जानकारी जनसंपर्क अधिकारी डा. प्रभात चन्द्र मिश्र ने दी।
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