उत्पाद विभाग की छापेमारी में रांची में शराब की मिनी फैक्ट्री का हुआ खुलासा,250 ब्रांडेड शराब की बोतलें ज़ब्त


रांची : सहायक आयुक्त उत्पाद अरुण कुमार मिश्रा के निर्देश पर गुरुवार को उत्पाद विभाग की टीम ने यह कार्रवाई की है। उत्पाद विभाग ने टाटीसिल्वे थाना के महिलोंग के महुआ टोली बस्ती में छापेमारी कर एक अवैध विदेशी शराब की मिनी फैक्ट्री का खुलासा किया है।

रांची के सहायक आयुक्त उत्पाद के निर्देश पर गुरुवार को उत्पाद विभाग की टीम ने यह कार्रवाई की है।

250 ब्रांडेड शराब की बोतलें ज़ब्त

छापेमारी के क्रम में मनोज कुजूर के मकान के अंदर और मकान के पीछे करकट के कमरे से 980 प्लास्टिक बोतल में विदेशी शराब और 250 ब्रांडेड शराब की बोतलें ज़ब्त की गई है

घटनास्थल से मकान मालिक मनोज कुजूर को हिरासत में लिया, जबकि मुख्य अभियुक्त चंदन यादव की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।

सभी प्लास्टिक बोतल के नकली शराब को ब्रांडेड शराब की बोतलों में भरा जा रहा था। मौके से अवैध विदेशी शराब 828 लीटर बरामद किया गया।

झारखंड स्थापना दिवस: विकास की अवधारणा को लेकर बिरसा मुंडा जयंती पर हुआ था अलग झारखंड राज्य की स्थापना


ममता कुमारी 

आज झारखंड का स्थापना दिवस है,15नवम्बर 2000 को बिहार से काट कर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने अलग झारखंड राज्य कि स्थापना की थी. इस सोच के साथ की छोटे छोटे राज्यों के प्रशासनिक व्यवस्था दुरुस्त होगी और विकास पर फोकस किया जा सकेगा.लेकिन इस सोच को साकार रूप देने में आज तक राजनेता सफल नहीं हो पाए.

यूं तो झारखंड भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक ऐसा राज्य है, जहाँ प्रकृति ने खनिज,वन संसाधन से सम्पन्न बनाया है यहाँ का इतिहास आदिवासी संस्कृति और संघर्ष से भरा पड़ा है। बिरसा मुंडा की जयंती यहाँ के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है।

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत

झारखंड, जो भारत के सबसे खूबसूरत और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर राज्यों में से एक है, 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर एक नए राज्य के रूप में स्थापित हुआ। इस दिन को झारखंड स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। झारखंड का इतिहास सदियों पुराना है, जहां यह क्षेत्र मुंडा, संथाल, उरांव जैसी अनेक आदिवासी समुदायों की भूमि रही है। इन समुदायों ने न केवल इस क्षेत्र की भूमि, जंगल और पानी की सुरक्षा की बल्कि भारतीय संस्कृति में भी अपना विशिष्ट योगदान दिया।

झारखंड की संस्कृति आदिवासी समुदायों से गहराई से जुड़ी है, जिनकी कला, नृत्य, गीत और हस्तकला राज्य के पहचान का हिस्सा हैं। यहां का छऊ नृत्य, करम पर्व, सरहुल और मगही गीत झारखंड की अनूठी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। इसके अलावा, झारखंड का भूगोल और खनिज संसाधन भी इसे एक महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्र बनाते हैं।

बिरसा का त्याग और बलिदान बना प्रेरणा का श्रोत

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के एक छोटे से गाँव में हुआ था। वे मुंडा आदिवासी समुदाय से संबंध रखते थे और बचपन से ही अपने अधिकारों के प्रति जागरूक थे। ब्रिटिश शोषण और धार्मिक आक्रमण से त्रस्त होकर बिरसा ने अपने समुदाय को संगठित किया और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए 'उलगुलान' (विद्रोह) की शुरुआत की।

बिरसा मुंडा न केवल एक महान योद्धा थे, बल्कि एक समाज सुधारक और धार्मिक नेता भी थे। उन्होंने अपने अनुयायियों को ब्रिटिश राज के अत्याचारों के खिलाफ संगठित होने के लिए प्रेरित किया। उनके संघर्ष का प्रमुख उद्देश्य आदिवासियों की भूमि की रक्षा और उनके परंपरागत अधिकारों को बनाए रखना था। उन्होंने अपने अनुयायियों को यह भी सिखाया कि वे प्रकृति के प्रति आदर और सम्मान करें, जो उनकी धार्मिक मान्यता का हिस्सा था।

झारखंड स्थापना दिवस और बिरसा मुंडा जयंती का महत्व

झारखंड का स्थापना दिवस और बिरसा मुंडा की जयंती एक ही दिन मनाई जाती है, जो आदिवासी समुदायों के अधिकारों और उनके संघर्ष का प्रतीक है। यह दिन राज्य में एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाया जाता है, जहां लोग बिरसा मुंडा के योगदान को याद करते हैं और उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लेते हैं।

बिरसा मुंडा का प्रभाव आज भी झारखंड और अन्य आदिवासी समुदायों में देखा जा सकता है। वे सभी आदिवासी समुदायों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और उनकी मूर्ति राज्य के विभिन्न भागों में स्थापित की गई है। झारखंड सरकार इस दिन को विशेष उत्सव के रूप में मनाती है और बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित करती है।

झारखंड स्थापना दिवस और बिरसा मुंडा जयंती का यह दिवस न केवल एक ऐतिहासिक अवसर है बल्कि आदिवासी समुदायों की संस्कृति, उनके संघर्ष और उनके अधिकारों की पहचान को भी दर्शाता है। बिरसा मुंडा का बलिदान और उनका संघर्ष झारखंड के हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है, और झारखंड का स्थापना दिवस उनके योगदान को नमन करने का सर्वोत्तम अवसर है।

दुनिया को योग की शिक्षा देने वाले योग गुरु शरत जोइस की हार्ट अटैक से हुई मौत,जानें कौन थे शरत जोइस


नयी दिल्ली : प्रसिद्ध योग प्रशिक्षक और योग के दिग्गज गुरु कृष्ण पट्टाभि जोइस के पोते शरत जोइस का निधन हो गया। सोमवार को अमेरिका के वर्जीनिया में उन्होंने अंतिम सांस ली है।

शरत जोइस 53 वर्ष के थे। खबरों की मानें तो वर्जीनिया विश्वविद्यालय के पास एक हाइकिंग ट्रेल पर दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई। इस दौरान वह घूमने निकले थे।

शरत जोइस की बहन शर्मिला महेश ने उनकी मृत्यु की पुष्टि की। उन्होंने लिखा कि यह लिखते हुए मेरे हाथ कांप रहे हैं। गहरे दुख के साथ हम सभी को सूचित करना चाहते हैं कि सरस्वती के बेटे और मेरे भाई शरत जोइस का आज तड़के अमेरिका में निधन हो गया।

शरत जोइस के योग केंद्र की तरफ से भी उनके निधन की खबर की पुष्टि की। योग केंद्र की तरफ से जारी किए गए के बयान में कहा गया है कि यह बहुत दुख की बात है कि हम अपने प्रिय गुरु शरत जोइस के अचानक निधन की खबर आपके साथ साझा कर रहे हैं। उनका निधन 11 नवंबर, 2024 को वर्जीनिया, अमेरिका में हुआ।

कौन थे शरत जोइस?

शरत जोइस प्रसिद्ध योग प्रशिक्षक और योग के दिग्गज गुरु कृष्ण पट्टाभि का पोते थे। उन्होंने अपने दादा कृष्ण पट्टाभि जोइस से यह कला सीखी। गुरु कृष्ण पट्टाभि दुनिया भर में प्रसिद्ध थे और उन्हें मानने वालों में ग्वेनेथ पाल्ट्रो और मैडोना जैसी हस्तियां शामिल थीं। 

2009 में अपने दादा की मृत्यु के बाद जोइस ने उनकी विरासत को संजोने के लिए जाना जाता है।

2019 में शरत जोइस की मां सरस्वती रंगास्वामी ने संस्थान का नाम बदलकर के पट्टाभि जोइस अष्टांग योग शाला रख दिया। 

शरत ने एक नया केंद्र, शरत योग केंद्र खोला। शरत के संस्थान में कथित तौर पर हर महीने 5,000 से ज्यादा आवेदन आते थे। जिसमें हर सत्र में लगभग 350-400 छात्र आते थे। उन्होंने प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया जिन्होंने अष्टांग योग को अफ्रीका, एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका सहित महाद्वीपों में फैलाया।

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, अपनी मृत्यु के दिन जोइस वर्जीनिया विश्वविद्यालय में एक सेमिनार में गए थे और लगभग 50 छात्रों के साथ पदयात्रा पर भी गए। उनके अंदर थकावट दिख रही थी और वह सबसे पीछे चल रहे थे। कुछ दूर चलने के बाद एक बेंच पर बैठे और बाद में उससे गिर गए। बाद में पता चला कि उन्हें हार्ट अटैक आया था।

उपलब्धि:आज ही के दिन शीतल महाजन ने माउंट एवरेस्ट से 21,500 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली पहली महिला बनी


नयी दिल्ली : 14 नवंबर 2023 का दिन भारतीय महिला शीतल महाजन के लिए एक खास उपलब्धि का प्रतीक बन था। इस दिन शीतल ने माउंट एवरेस्ट के सामने 21,500 फीट की ऊंचाई से हेलीकॉप्टर से छलांग लगाई और इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया था।

इस उपलब्धि के साथ 41 वर्षीय शीतल महाजन ने विश्व की पहली महिला के रूप में इस ऊंचाई से छलांग लगाने का गौरव हासिल किया। उनकी इस साहसिक उपलब्धि ने भारत को गर्व का अनुभव कराया और उन्हें प्रेरणा का स्रोत बना दिया। 

बता दें, शीतल महाजन राणे भारतीय साहसी खेलप्रेमी और विश्व रिकॉर्ड धारक स्काइडाइवर हैं। उन्होंने स्काइडाइविंग में आठ विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं। शीतल महाजन ने अपनी यूनिक अचीवमेंट से दुनियाभर में अपने साहस का परिचय दिया है।

वे पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने अंटार्कटिका के ऊपर 10,000 फीट की ऊंचाई से फ्री फॉल जम्प किया, और उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के ऊपर सफल छलांग लगाने वाली सबसे युवा महिला भी बनीं। 2011 में, भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था। 

19 सितंबर 1982 को पश्चिमी भारतीय राज्य महाराष्ट्र के जलगांव में जन्मी शीतल महाजन का साहसिक सफर 2006 में दक्षिणी ध्रुव पर फ्री फॉल जम्प करने के साथ नई ऊंचाईयों पर पहुंचा। 

उन्होंने न केवल दक्षिणी ध्रुव पर, बल्कि उत्तरी ध्रुव पर भी बिना किसी पूर्व अभ्यास के सफल छलांग लगाई।

महज 24 वर्ष की उम्र में इस कीर्तिमान को हासिल कर वे सबसे युवा महिला बन गईं जिन्होंने यह साहसिक कार्य किया। इसके साथ ही, वे पहली भारतीय महिला बनीं जिन्होंने विंगसूट जम्प का प्रदर्शन किया। शीतल महाजन का नाम स्काइडाइविंग के क्षेत्र में कई अन्य रिकॉर्ड्स से भी जुड़ा है।

उन्होंने अंटार्कटिका के ऊपर फ्री फॉल पैराशूट जम्प करने वाली टीम का नेतृत्व किया, जो अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड था। उन्होंने 2014 में 85 भारतीय स्काइडाइवर्स की टीम का नेतृत्व किया और स्पेन में एक घंटे में अधिकतम टैंडम जम्प करने का रिकॉर्ड भी स्थापित किया।

इसके अलावा, उन्होंने 19 अप्रैल 2009 को महिलाओं की श्रेणी में 13,000 फीट की ऊंचाई से जम्प कर एक और रिकॉर्ड अपने नाम किया। इसके साथ ही उन्होंने 5,800 फीट की ऊंचाई से हॉट एयर बलून से फ्री फॉल जम्प और 24,000 फीट की ऊंचाई से जम्प भी की है।

शीतल महाजन की उपलब्धियों को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। 2005 में उन्हें गोडावरी गौरव पुरस्कार से नवाजा गया और उसी वर्ष महाराष्ट्र राज्य खेल विशेष पुरस्कार भी मिला। इसके अलावा, 2004 में उत्तरी ध्रुव पर सफल छलांग के बाद, उन्हें तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली वह पहली सिविलियन बनीं।

बाल दिवस आज:पंडित नेहरू की जयंती पर बाल दिवस,बच्चों के लिए सुरक्षित और खुशहाल भविष्य का संकल्प

नयी दिल्ली : हर साल दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता है। लेकिन भारत में इसे हर वर्ष 14 नवंबर 2024 को मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के दिन बाल दिवस मनाया जाता है। यह दिन खासतौर से बच्चों के लिए होता है, जिसमें उनकी खुशियों, उनके अधिकारों और उनके उज्ज्वल भविष्य को संवारने के लिए जागरूकता फैलाई जाती है। 

इस दिन का मुख्य उद्देश्य बच्चों के प्रति जागरूकता को बढ़ाना और उन्हें एक सुरक्षित, खुशहाल और शिक्षा से भरपूर जीवन देने की दिशा में कार्य करना है। आइए जानें बाल दिवस से जुड़ी पांच अहम बातें, जिन्हें हर बच्चे और बड़े को जानना चाहिए।

बाल दिवस का इतिहास और महत्व

भारत में बाल दिवस की शुरुआत पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन पर हुई, जिन्हें बच्चे ‘चाचा नेहरू’ के नाम से जानते थे। पंडित नेहरू को बच्चों से गहरा लगाव था और वे मानते थे कि बच्चे देश का भविष्य हैं। उनके विचार में बच्चों को एक अच्छी शिक्षा और स्वस्थ जीवन देने की आवश्यकता है, ताकि वे आगे चलकर समाज और देश की बेहतरी के लिए योगदान दे सकें।

साल में दो बार मनाया जाता है बाल दिवस?

1954 में, संयुक्त राष्ट्र ने 20 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस घोषित किया। हर साल दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता है। लेकिन भारत में इसे पंडित नेहरू की जयंती पर मनाने का निर्णय लिया गया।

बाल दिवस का उद्देश्य

बाल दिवस का मुख्य उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना, उन्हें सुरक्षित वातावरण देना और उनकी शिक्षा व स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना है। बाल दिवस पर बच्चों के प्रति बढ़ते अत्याचार, बाल श्रम, और शिक्षा की कमी जैसी समस्याओं पर जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह दिन बच्चों की खुशियों के साथ-साथ उनके अधिकारों के प्रति समाज में जिम्मेदारी को भी बढ़ावा देने का प्रतीक है।

पंडित नेहरू का बच्चों के प्रति दृष्टिकोण

पंडित नेहरू का मानना था कि बच्चों को बचपन में सही मार्गदर्शन और प्यार दिया जाना चाहिए। उनके अनुसार, बच्चे बिना किसी भेदभाव के स्वतंत्र रूप से सीखने और बढ़ने का अधिकार रखते हैं। पंडित नेहरू हमेशा बच्चों के बीच जाकर उनके साथ समय बिताना पसंद करते थे, और उनका मानना था कि बच्चों में मासूमियत, सच्चाई, और निष्ठा होती है, जो बड़े लोगों को भी प्रेरणा देती है।

बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी

बाल दिवस के माध्यम से बच्चों के अधिकारों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। जैसे कि उन्हें अच्छी शिक्षा का अधिकार, बाल श्रम से सुरक्षा, और एक सुरक्षित व प्यार भरे वातावरण में बढ़ने का अधिकार। भारत में बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए बाल संरक्षण कानून और संस्थाएँ कार्यरत हैं, जिनका उद्देश्य बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाना है।

सीएम सोरेन ने ओल्ड पेंशन योजना को लेकर भाजपा पर किया करारा प्रहार, कहा कर्मचारियों के बुढ़ापे कि सहारा हीं छीन लिया


डेस्क : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने OPS के मुद्दे पर भाजपा पर करारा वार किया है। निरसा में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पुरानी पेंशन योजना को लेकर भाजपा का आड़े हाथों लिय़ा। उन्होंने भाजपा ने अपने कर्मचारियों के बुढ़ापे के सहारे को छिन लिया था। आज भाजपा के शासित राज्यों में कर्मचारियों को पुराना पेंशन नहीं मिलता है।

हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखण्ड के लाखों सरकारी कर्मचारियों को OPS का सम्मान देकर हमने उनके बुढ़ापे की लाठी मजबूत की है। भाजपा ने तो कर्मचारियों को असहाय कर उनके हक का पैसा बाजार में लगा रखा था। 

निरसा में भाकपा माले प्रत्याशी अरुप चटर्जी के लिए चुनावी रैली को संबोधित करते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि भाजपा के लोग ऐसे हैं, पूरे देश के कर्मचारियों का बुढ़ापे का लाठी छिन लिया है। किसी भी कर्मचारी को पेंशन नहीं मिलता है।

ये देश का पहला प्रदेश है, जहां हम अपने कर्मचारियों को उनके बुढ़ापे की लाठी, पुराने पेंशन से उन्हें जोड़ा है। आज कोई भी कर्मचारी, बिना पेंशन का नहीं है। पूछो, इनके भारतीय जनता पार्टी में सरकारी कर्मचारियों को पेंशन मिलता है क्या? किसी को नहीं मिलता है।

हेमंत सरकार ने लागू किया था पुरानी पेंशन

हेमंत सरकार ने 2021 में पुरानी पेंशन योजना झारखंड के कर्मचारियों के लिए लागू की थी। बजट में इसके लिए सरकार ने प्रावधान भी किया था। राज्य में करीब 1.95 लाख स्थाई अधिकारी-कर्मी हैं।

इनमें से 1.25 लाख नई पेंशन योजना के दायरे में थे, जो 2004 में अंशदायी पेंशन योजना लागू होने के बाद बहाल हुए, इन्हें इसका सीधा लाभ मिलेगा। बाद में पुरानी पेंशन योजना का दायरा धीरे-धीरे बढ़ाया गया। कर्मचारियों के अलावा अन्य संवर्ग को भी आज राज्य में पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है।

झारखण्ड के लाखों सरकारी कर्मचारियों को OPS का सम्मान देकर हमने उनके बुढ़ापे की लाठी मजबूत की है।

भाजपा ने तो कर्मचारियों को असहाय कर उनके हक का पैसा बाजार में लगा रखा था।

चंदा चोर भाजपा नए-नए तरीके ढूंढ कर लोगों को लूटने का षड्यंत्र रचती है।

छापेमारी से घबराया इंजीनियर, खिड़की से फेंक दिए 9 लाख रुपये


बेंगलुरु: कर्नाटक लोकायुक्त के अधिकारियों ने मंगलवार तड़के राज्य के कई स्थानों पर छापेमारी की. यह कार्रवाई कथित तौर पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले सरकारी अधिकारियों के ठिकानों पर की गई.लोकायुक्त द्वारा दावणगेरे, धारवाड़, बेलगावी, हावेरी और बीदर समेत राज्य के अन्य जिलों में सरकारी अधिकारियों के घरों और कार्यालयों में दस्तावेजों की जांच की जा रही है।

लोकायुक्त अधिकारियों ने हावेरी में ग्रामीण पेयजल आपूर्ति के उप-विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर (एई) काशीनाथ भजनत्री के कार्यालय और घर पर भी छापेमारी की. जैसे ही लोकायुक्त अधिकारियों ने छापेमारी की, काशीनाथ भजनत्री ने अपने घर की खिड़की से लाखों रुपये बाहर फेंक दिए।

अधिकारियों ने बताया कि लोकायुक्त पुलिस मंगलवार सुबह हावेरी शहर के बसवेश्वर नगर क्षेत्र में स्थित काशीनाथ भजनत्री के आवास पर पहुंची. इस दौरान काशीनाथ भजनत्री ने खिड़की से 9 लाख रुपये की गड्डी बाहर फेंकी. इसके अलावा उन्होंने 2 लाख रुपये बिस्तर में लपेटे हुए थे.लोकायुक्त एसपी एमएस कौलापुरे ने बताया कि लोकायुक्त पुलिस ने घर से कुल 14 लाख रुपये नकद जब्त किए हैं.

लोकायुक्त पुलिस ने हावेरी शहर में महिला एवं बाल कल्याण विभाग के डिप्टी डायरेक्टर श्रीनिवास अलादरती के घर पर भी छापेमारी की. इस दौरान अधिकारियों द्वारा घर की तलाशी ली गई.लोकायुक्त अधिकारियों ने हावेरी जिले के रानेबेन्नूर में महिला एवं बाल कल्याण विभाग की पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत ज्योति शिगली के घर पर भी छापेमारी की।

उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के सहायक निदेशक के घर पर छापेमारी

उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के सहायक निदेशक कमल राज के दावणगेरे स्थित घर पर छापेमारी की गई. लोकायुक्त एसपी एमएस कौलापुरे के नेतृत्व में निरीक्षक मधु सूदन और प्रभु समेत 10 से अधिक कर्मी छापेमार कार्रवाई में शामिल थे.

धारवाड़ में केआईएडीबी एईई के घर पर छापेमारी

लोकायुक्त अधिकारियों ने कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) एईई (असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर) गोविंदप्पा भजन्त्री से संबंधित छह स्थानों पर छापेमारी की. इनमें से तीन धारवाड़ में, दो सावदत्ती तालुक में और एक नरगुंडा में हैं. बेलगावी लोकायुक्त अधिकारियों ने गोविंदप्पा भजनत्री के रिश्तेदारों के सावदत्ती तालुक के उगरागोला स्थित फार्म हाउस पर छापा मारा.

बीदर में लोकायुक्त का छापा

लोकायुक्त डीएसपी हनुमंत के नेतृत्व में जिला प्रशिक्षण केंद्र के सहायक निदेशक रविंद्र कुमार रोट्टी के आवास और कार्यालय पर छापा मारा गया. लोकायुक्त पुलिस ने बीदर और बेंगलुरु में एक-एक आवास तथा नौबाद में एक कार्यालय पर एक साथ छापा मारा. जिला प्रशिक्षण केंद्र के सहायक निदेशक बनने से पहले रविंद्र कुमार ने बीदर डीसी कार्यालय और बीबीएमपी में अधिकारी के रूप में काम किया

आज का इतिहास:1975 में आज के दिन WHO ने की थी एशिया के चेचक मुक्त होने की घोषणा

नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 13 नवंबर का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं।

13 नवंबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 1975 में आज ही के दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एशिया के चेचक मुक्त होने की घोषणा की थी। 

1997 में 13 नवंबर के दिन ही सुरक्षा परिषद ने इराक पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था।

2008 में आज ही के दिन ‘असम गण परिषद’ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल हुई थी।

2004 में 14 नवंबर के दिन ही अमेरिकी राष्ट्रपति बुश ने फिलिस्तीनी राष्ट्र के निर्माण के लिए चार साल का समय निर्धारित किया था।

1998 में आज ही के दिन चीन के विरोध के बावजूद दलाई लामा और अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन मिले थे।

1997 में 13 नवंबर को ही सुरक्षा परिषद ने इराक पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था।

1975 में आज ही के दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एशिया के चेचक मुक्त होने की घोषणा की थी।

1971 में 13 नवंबर को ही अमेरिकी स्पेश एजेंसी नासा द्वारा भेजा गया यान मरीनर 9 मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचा था।

1968 में आज ही के दिन पाकिस्तान में जुल्फिकार अली भुट्टो को गिरफ्तार किया गया था।

1950 में 13 नवंबर को ही तिब्बत ने चीनी आक्रमण के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र में अपील की थी।

1918 में आज ही के दिन ऑस्ट्रिया गणराज्य बना था।

13 नवंबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1968 में आज ही के दिन फिल्म अभिनेत्री जूही चावला का जन्म हुआ था।

1945 में 13 नवंबर के दिन ही पूर्व ऑल इंडिया फ़ुटबॉल फ़ेडरेशन के अध्यक्ष प्रियरंजन दासमुंशी का जन्म हुआ था।

1917 में आज ही के दिन प्रसिद्ध प्रगतिशील कवि मुक्तिबोध गजानन माधव का जन्म हुआ था।

1780 में 13 नवंबर के दिन ही पंजाब के शासक महाराजा रणजीत सिंह का जन्म हुआ था।

13 नवंबर को हुए निधन

 1589 में आज ही के दिन लाहौर में भगवानदास का निधन हुआ था।

एयर इंडिया और विस्तारा के विलय से टाटा समूह का विमानन कारोबार हुआ मजबूत


एयर इंडिया और विस्तारा के विलय से टाटा समूह का विमानन कारोबार नए स्तर पर पहुंच गया है। इस विलय के बाद एकीकृत इकाई 90 से अधिक गंतव्यों को जोड़ते हुए 5,600 से अधिक साप्ताहिक उड़ानों का परिचालन करेगी।

एयर इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कैंपबेल विल्सन ने बताया कि विस्तारा के एयरलाइन में विलय के बाद पुनर्गठन चरण पूरा हो गया है। विलय के बाद अब एयर इंडिया का बेड़ा भी पहले से कहीं अधिक व्यापक हो गया है। इस विलय के साथ विस्तारित एयर इंडिया में सिंगापुर एयरलाइंस की हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत हो जाएगी।

टाटा समूह ने जनवरी 2022 में सरकार से घाटे में चल रही एयर इंडिया का अधिग्रहण किया था। एयर इंडिया के पास 80 नैरो बॉडी और 60 वाइड बॉडी विमानों का बेड़ा है, जबकि विस्तारा के पास 63 नैरो बॉडी और सात वाइड बॉडी विमान हैं। 

एयर इंडिया एक्सप्रेस के पास 90 नैरो बॉडी विमान हैं। कुल मिलाकर, एयर इंडिया समूह के पास 300 विमान हैं और यह 103 गंतव्यों- 55 घरेलू और 48 अंतर्राष्ट्रीय के लिए सेवाएं दे रहा है। वर्तमान में समूह 312 मार्गों पर परिचालन कर रहा है, जिनमें 160 घरेलू और 152 विदेशी मार्ग शामिल हैं।

बेंगलुरु से नफरत हो गई,पुणे की युवती ने बताया अपने अनुभव


बेंगलुरु: बेंगलुरु में हर रोज़ हज़ारों लोग आते हैं. नौकरी की तलाश में, दूसरे शहरों से ट्रांसफर लेकर, स्कूल, कॉलेज, बिज़नेस, इंडस्ट्री, ऐसे कई कारणों से लोग यहां आते हैं. बेंगलुरु तेज़ी से बढ़ रहा है.

लेकिन पुणे की एक युवती के साथ यहां कुछ बुरी घटनाएं घटी हैं. वाइटफ़ील्ड के रामेश्वरम कैफे में कतार में खड़े होने के दौरान हुई छेड़छाड़ की घटना से युवती का सब्र जवाब दे गया. उसने अपने अनुभव शेयर करते हुए कहा कि उसे अब बेंगलुरु से नफ़रत हो गई है।

रेडिट पर पुणे की युवती ने छेड़छाड़ की घटनाओं का खुलासा किया. उसने बताया कि वाइटफ़ील्ड के रामेश्वरम कैफे की कतार में खड़ी होने के दौरान पीछे से एक व्यक्ति ने उसके साथ छेड़छाड़ की. जब उसने शोर मचाया और उस व्यक्ति का विरोध किया, तो वह बिना किसी शर्म के वहां से भाग गया।

युवती ने आरोप लगाया कि बेंगलुरु में उसके साथ इस तरह की घटना पहली बार नहीं हुई है. पुणे से बेंगलुरु आने के बाद से उसके साथ कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं.

युवती ने बताया कि बेंगलुरु के एचएसआर लेआउट रोड पर पैदल चलते समय बाइक पर सवार दो लोगों ने उस पर अश्लील टिप्पणी की. इससे पहले भी ऑफिस में कुछ लोगों के व्यवहार, मैसेज आदि से उसे परेशानी हुई है. युवती का कहना है कि बेंगलुरु महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है. उसे अब बेंगलुरु में डर लगता है. 

उसे लगातार यह डर सताता रहता है कि कब उस पर हमला हो जाएगा. इस तरह की घटनाएं हर जगह हो रही हैं. अब उसे दूसरी जगह नौकरी ढूंढनी पड़ेगी. अगर बेंगलुरु में ही रहना हुआ तो इंदिरानगर या किसी सुरक्षित जगह पर रहना होगा. पुणे या मुंबई बेहतर विकल्प होंगे.

इन घटनाओं के बाद मुझे बेंगलुरु से नफ़रत हो गई है. मैं आज़ाद रहना चाहती हूं. पुणे में पली-बढ़ी मैं, बेंगलुरु में डर के साये में जी रही हूं. ऑफिस, घर, शॉपिंग, मैं हर जगह अकेले घूमना चाहती हूं. अपनी आज़ादी का आनंद लेना चाहती हूं. लेकिन यहां मैं ऐसा नहीं कर पा रही हूं. ऑफिस जाना हो या सड़क पर चलना, हर जगह मुझे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

हाल ही में एक महिला के साथ बेंगलुरु एयरपोर्ट से कैब में हुई घटना भी सामने आई थी. एक नकली ओला कैब ड्राइवर ने महिला को अपनी कैब में बैठाया और उससे पैसे ऐंठने की कोशिश की. लेकिन पुलिस की मदद से महिला बच गई।