बच्चों में वैज्ञानिक सोच का विकास करके सामाजिक विकास को संभव बनाना

गोरखपुर। जनता इण्टर कॉलेज माड़ापार, कुश्मी बाज़ार गोरखपुर में विज्ञान एवम् प्रौद्योगिकी विभाग उत्तर प्रदेश ( विज्ञान एवम् प्रौद्योगिकी परिषद लखनऊ) के क्षेत्रीय कार्यालय वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला( तारामण्डल ) गोरखपुर द्वारा बाल दिवस मनाया गया।

इस अवसर पर विधार्थियों के मध्य विज्ञान के विशेषज्ञों द्वारा वैज्ञानिक प्रयोगों को दिखाकर / प्रदर्शन करके विस्तृत रूप में समझाया गया, वैज्ञानिक विशेषज्ञ जितेंद्र सिंह द्वारा खराब एल ई डी बल्ब को ठीक करने का प्रदर्शन किया गया, एवं एक अन्य विशेषज्ञ यश राज़ जायसवाल द्वारा 30 सेकेंड में पानी द्वारा बर्फ़ बना कर दिखाया गया, और इस दोनों विशेषज्ञों द्वारा अन्य कई वैज्ञानिक प्रयोग करके दिखाया गया, इस अवसर पर विद्यालय के सम्मानित प्रधानाचार्य भागवत जी ने कहा कि विज्ञान के प्रयोग ने मानव समाज को पाषाण काल से आधुनिक वैज्ञानिक युग में पहुंचा दिया, विज्ञान एवम् प्रौद्योगिकी परिषद, गोरखपुर के क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारी महादेव पाण्डेय जी द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के विधार्थियों में विज्ञान के प्रति जागरूकता लाने के साथ साथ खगोल विज्ञान में भी रुचि पैदा करने के लिए विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों का वर्णन किया।

उक्त अवसर पर विद्यालय के वरिष्ठ प्रवक्ता वेद प्रकाश सिंह एवम् सहायक अध्यापक डॉ ० दिग्विजय नाथ पाण्डेय ने भी अपने विचार व्यक्त किए, इस कार्यक्रम में वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला (तारामण्डल) गोरखपुर के एस्ट्रोनोमी एजुकेटर खगोलविद अमर पाल सिंह, वेद प्रकाश पाण्डेय, अशोक कुमार मिश्रा, देवेंद्र दुबे, राम घिसियावन, इज़हार आदि लोग मौजूद रहे,

हरपुर बुदहट में धारदार हथियार से काट कर महिला की निर्मम हत्या

खजनी गोरखपुर।।तहसील के हरपुर बुदहट थाना क्षेत्र छपियां गांव में धारदार हथियार से काट कर महिला की निर्मम हत्या का मामला प्रकाश में आया है। बताया गया कि महिला गुरुवार को सबेरे नित्यकर्म के लिए अपने घर से निकली थी। देर तक महिला जब अपने घर वापस नहीं लौटी तो परिवारजनों की चिंता बढ़ गई। तलाश में निकले लोगों को महिला का रक्त रंजित शव गांव के पास घनी झाड़ियों में मिला।

सूचना पा कर मौके पर पहुंची हरपुर बुदहट पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पंचनामे के बाद पोस्टमार्टम के लिए जिले पर भेज दिया। घटनास्थल से कुछ दूरी पर बरामद हुई कुदाल को पुलिस ने फाॅरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है। सीओ गीडा ने बताया कि मृतका के पुत्र के द्वारा गाँव के ही एक युवक पर हत्या में शामिल होने का संदेह जताया गया है।

मिली जानकारी के अनुसार मृतका रविन्द्र यादव की पत्नी संगीता 45 वर्ष के साथ गांव के उक्त युवक ने फोन पर बातचीत होती थी। वहीं महिला की निर्मम हत्या की

सूचना पर एसएसपी डॉक्टर गौरव ग्रोवर एसपी नार्थ सीओ प्रशाली गंगवार समेत अन्य अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया, पुलिस टीम ने घटना की जांच पड़ताल शुरू कर दी है।

भूमि विवाद में हुई मारपीट में 5 घायल,केस दर्ज,सरयां तिवारी गांव की घटना, जांच में जुटी पुलिस

खजनी गोरखपुर।थाना क्षेत्र के सरयां तिवारी गांव में घर के सामने मिट्टी पाटने के दौरान भूमि विवाद के दौरान हुई मारपीट की घटना का वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। तहरीर के आधार पर केस दर्ज कर पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है।

पुलिस को दी गई तहरीर में सदानंद उर्फ भिखारी की पत्नी किसमती ने बताया कि वह अपने घर के सामने मिट्टी पाट रही थी इस दौरान उनके पड़ोसियों ने विवाद किया मौके पर जुटे आसपास के लोगों ने दोनों पक्षों को समझा बुझाकर शांत करा दिया था।अगले दिन 12 नवंबर मंगलवार को जब किसमती अपने घर के सामने बैठी थी तो दूसरे पक्ष ने गोलबंद होकर लाठी डंडे लेकर हमला कर दिया। घटना में आधा दर्जन लोग घायल हो गए सभी को इलाज के लिए भेजा गया। पीड़िता की तहरीर के आधार पर पुलिस ने 10 नामजद तथा अन्य के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। मिली जानकारी के अनुसार दूसरे पक्ष के लोग भी अपना मेडिकल करा रहे हैं।

इस बीच मारपीट की घटना का वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है।थानाध्यक्ष सदानंद सिन्हा ने बताया कि मारपीट की घटना में केस दर्ज कर लिया गया है। विधिक कार्रवाई की जा रही है।

बाजार से लौट रहे युवकों की पिटाई, केस दर्ज

खजनी गोरखपुर।थाना क्षेत्र के हुड़रा लठियहवा मौजे के निवासी तीन युवक कटयां बाजार से लौट रहे थे इस दौरान उन्हें स्थानीय युवकों ने रोक कर बुरी तरह से मारपीट कर घायल कर दिया। जिसमें तीन गंभीर रूप से घायल युवकों को इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा गया है।

मिली जानकारी के अनुसार हुड़रा लठियहवा गांव के दलित वर्ग के युवकों तथा हरपुर बुदहट थाना क्षेत्र के कटयां बाजार के पिछड़ी जाति के युवाओं के बीच आपसी वर्चस्व की लड़ाई है, एक दूसरे के क्षेत्र में पहुंचते ही दोनों पक्षों के बीच मारपीट शुरू हो जाती है। थाने में दी गई तहरीर में विशाल ने बताया कि आज वह कटयां बाजार से अपने साथियों ऋषभ और मनीष के साथ घर वापस लौट रहे थे, अचानक उन्हें रास्ते में रोक कर राहुल यादव,बल्ली उर्फ बलिराम यादव, संदीप यादव,रामा यादव, सन्नी यादव, विशाल यादव और तीन अन्य अज्ञात युवकों ने घेर कर लाठी डंडे से मारा-पीटा जिसमें विशाल का बायां हांथ टूट गया,ऋषभ का बायां हांथ दो स्थानों पर टूट गया तथा मनीष का पैर फ्रैक्चर हो गया। तीनों को इलाज के लिए गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। घटना के बाद खजनी थाने में पहुंचे भीम आर्मी के युवाओं ने थानाध्यक्ष से गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है।

विशाल की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा अपराध संख्या 435/2024 के तहत बीएनएस की धाराओं 191(2),191(3),190,352, 115(2),351(3),117(2) तथा एससी, एसटी की धारा 3(2) व्ही.ए में केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

थानाध्यक्ष सदानंद सिन्हा ने बताया कि शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर लिया गया है। कार्रवाई की जा रही है।

बाल कार्निवल मिशन शक्ति एक विशेष पहल के तहत बच्चों की रचनात्मकता और प्रतिभा को मिल रहा बढ़ावा

गोरखपुर। बाल कार्निवल मिशन शक्ति एक विशेष पहल के अवसर पर शिवपूजन अकादमी शिव नगर नारायणपुर मोहनपुर पादरी बाजार मे कार्यक्रम का आयोजन किया गया है है जिसका उद्देश्य बच्चों की रचनात्मकता और प्रतिभा को बढ़ावा देना है। यह कार्यक्रम विभिन्न गतिविधियों, खेलों और प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है, जिससे बच्चों को अपनी क्षमताओं को पहचानने और विकसित करने का अवसर मिलता है।इस मिशन के अंतर्गत विभिन्न विषयों पर कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं, जैसे कि कला, विज्ञान, संगीत, नृत्य, और भी बहुत कुछ। इसके माध्यम से बच्चों को अपनी रुचियों को खोजने और उन्हें व्यक्त करने का एक मंच मिलता है।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शिक्षा को मजेदार बनाना और बच्चों को आत्म-विश्वास से भरपूर बनाना है। साथ ही, यह बच्चों में टीम वर्क, नेतृत्व कौशल, और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को भी विकसित करता है के बारे मे बातचीत की गयी ! इस अवसर पर मुख्य अतिथि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से अपर सचिव विकास सिंह, विद्यालय के डायरेक्टर संतोष पांडे प्रभारी वन स्टॉप सेन्टर /मनो- सामाजिक परामर्शदाता गायत्री मणि त्रिपाठी और विद्यालय के अध्यापक अध्यापिका व कर्मचारी उपस्थित रहे।

बाल दिवस के पूर्व संध्या पर स्टार हॉस्पिटल में लिटिल चैम्प्स को किया गया सम्मानित

गोरखपुर। स्टार हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड, बैंक रोड, गोरखपुर में स्टार हॉस्पिटल एवं स्टार चेरिटेबल ट्रस्ट के सौजन्य से पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी के जयंती के अवसर पर गोरखपुर के प्राइड लिटिल चैंप्स को सम्मानित करने का समारोह आयोजित किया गया । जिसमें जिन बच्चों ने स्कूल में पढ़ाई के दौरान, खेल कूद में या गायकी में प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी प्रकार की कोई उपलब्धि हासिल की हो उन सभी को सम्मानित किया गया।

सम्मानित किए गए छात्रों में कक्षा 10 एवं 11 के स्कूल में श्रेस्ठ स्थान पर आने वाले कृष श्रीवास्तवा एवं अरुण प्रकाश को डॉ साईबा नदीम पूर्व सी.एम.एस. महिला चिकित्सालय गोरखपुर द्वारा सम्मानित किया गया क खेल के क्षेत्र में रजनी भारती कक्षा 11 नेशनल लेवेल हैण्ड बाल, खुशी पासवान कक्षा 11 नेशनल लेवेल हैंडबॉल में दूसरा स्थान, रौनक खान कक्षा 5 सैयेद मोदी बैडमिंटन चैंपियन, शाश्वत सिंह क्लास 9 नेशनल लेवेल चेस प्लेयर, ओम प्रकाश कन्नौजिया कक्षा 7 आॅरेंज बेल्ट कराटे में, वरद मिश्र तीसरा स्थान गोरखपुर कराटे क्लब, वारेन्य मिश्र दूसरा स्थान गोरखपुर कराटे क्लब में, रेयान कक्षा 10 फुटबॉल चैंपियन स्टेट लेवेल, अराव अगरवाल कक्षा 6 स्केटिंग को विशिस्ट अतिथि श्री सुदर्शन चौधरी प्रधानाचार्य सेंट पॉल स्कूल द्वारा सम्मानित किया एवं बधाई दी गयी ।

संगीत जगत में सा रे गा माँ प् में प्रथम एवं द्वितीया राउंड तक पहुचने वालीं दिव्यांश सोनकर कक्षा 7, तृषा सोनकर कक्षा 12 एवं संस्कार श्रीवास्तव कक्षा 7 को डॉ विजाहत करीम ने अवार्ड एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया । कार्यक्रम में मंजुला सिन्हा, अनुपम श्रीवास्तव, शबनम श्रीवास्तव, डॉ.अफरीन रिजवी, डॉ. खुतैजा बानो, डॉ. मधुरिमा अग्रवाल, डॉ. तुषार सिन्हा, डॉ आसिफ मसूद उपस्तिथ रहें । कार्यक्रम का संचंलन एच्.आर अंजला एवं मनेजमेंट टीम के स्वप्निल श्रीवास्तव, मु. कलीम, मंजरी एवं मनोज एवं समस्त स्टार परिवार का विशेष सहयोग रहा ।

आरटीसी एसएसबी गोरखपुर में तीन दिवसीय अंतर-फ्रंटियर खो-खो चैम्पियनशिप का हुआ समापन

गोरखपुर। RTC SSB गोरखपुर में 11 से 13 नवंबर तक आयोजित अंतर-फ्रंटियर खो-खो चैम्पियनशिप 2024 का समापन समारोह शानदार उत्साह और खेल भावना के साथ संपन्न हुआ। इस चैम्पियनशिप में भाग लेने वाली टीमों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिली, जिसमें खिलाड़ियों की प्रतिबद्धता और कौशल का परिचय हुआ।

समारोह के मुख्य अतिथि अनिल ढींगरा, आईएएस, आयुक्त, गोरखपुर थे। विशिष्ट अतिथियों में आनंद कुलकर्णी, आईपीएस, डीआईजीपी गोरखपुर और डॉ. गौरव ग्रोवर, आईपीएस, एसएसपी भी शामिल थे।

समारोह की मुख्य बातें:

1. DIG, RTC SSB गोरखपुर - ए. हेमचंद्र का संबोधन:

अपने संबोधन में ए. हेमचंद्र ने खो-खो जैसे खेलों के महत्व पर प्रकाश डाला, जो खिलाड़ियों में शारीरिक फिटनेस, टीम वर्क और अनुशासन को बढ़ावा देता है। उन्होंने खिलाड़ियों के खेलभावना की सराहना की और आयोजन दल की सराहना की, जिनके प्रयासों ने इस चैम्पियनशिप को सफल बनाया।

2. प्रदर्शनी मैच:

खिलाड़ियों को प्रेरित करने के लिए एक रोमांचक प्रदर्शनी मैच का आयोजन किया गया, जिसने दर्शकों को रोमांचित कर दिया और खेल की भावनाओं को और अधिक बढ़ावा दिया।

3. पुरस्कार वितरण समारोह:

चैम्पियन, उपविजेता और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को मुख्य अतिथि अनिल ढींगरा, आईएएस और अन्य विशिष्ट अतिथियों द्वारा ट्रॉफी और पदक देकर सम्मानित किया गया। यह सम्मान खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करता है और उनके कठिन परिश्रम की सराहना करता है।

पुरुष वर्ग में रानीखेत की टीम ने स्वर्ण पदक जीता, तेजपुर की टीम ने रजत पदक प्राप्त किया, जबकि गुवाहाटी की टीम ने कांस्य पदक हासिल किया, और मंजूनाथ को सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार मिला।

महिला चैंपियनशिप में गुवाहाटी की टीम ने स्वर्ण पदक जीता, लखनऊ की टीम ने रजत पदक प्राप्त किया, जबकि रानीखेत की टीम ने कांस्य पदक हासिल किया, और खुशबू कुमारी को सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार मिला।

4. स्मृति चिन्ह भेंट:

मुख्य अतिथि अनिल ढींगरा, आईएएस और विशिष्ट अतिथियों आनंद कुलकर्णी, आईपीएस और डॉ. गौरव ग्रोवर, आईपीएस को सम्मान स्वरूप स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। इस gesture ने RTC SSB गोरखपुर की ओर से उनके समर्थन और प्रोत्साहन के प्रति आभार व्यक्त किया।

5. मुख्य अतिथि का भाषण:

अपने प्रेरक भाषण में अनिल ढींगरा, आईएएस ने विजेताओं और सभी प्रतिभागियों को बधाई दी। उन्होंने खेलों के महत्व पर बल दिया, जो आपसी सौहार्द और सहनशीलता को बढ़ावा देता है। उन्होंने खिलाड़ियों को खेल में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।

6. चैम्पियनशिप समापन की घोषणा:

मुख्य अतिथि ने अंतर-फ्रंटियर खो-खो चैम्पियनशिप 2024 के समापन की औपचारिक घोषणा की, जिससे इस रोमांचक प्रतियोगिता का समापन हुआ।

7. कंटीजेंट मार्च आउट:

समारोह का समापन सभी प्रतिभागी टीमों के अनुशासित मार्च आउट के साथ हुआ, जो अनुशासन और एकता का प्रतीक था। इस कार्यक्रम ने खेल भावना और प्रतिस्पर्धा की भावना को प्रोत्साहित किया।

इस अवसर पर गोरखपुर सेक्टर मुख्यालय, कंपोजिट अस्पताल गोरखपुर और आरटीसी गोरखपुर के अधिकारी उपस्थित थे, साथ ही एसएसबी गोरखपुर के बल सदस्य और प्रशिक्षु भी कार्यक्रम में शामिल हुए।

यह समारोह एक बड़ी सफलता रही, जिसमें SSB के खिलाड़ियों में खेल भावना, अनुशासन और उत्कृष्टता का जश्न मनाया गया। अंतर-फ्रंटियर खो-खो चैम्पियनशिप 2024 को एक महत्वपूर्ण आयोजन के रूप में याद किया जाएगा, जिसने प्रतिभागियों को भविष्य में महान उपलब्धियों की ओर प्रेरित किया।

मातृ शिशु मृत्यु दर कम करने और खुशहाल समाज में लैंगिक समानता की अहम भूमिका

गोरखपुर, लिंग आधारित भेदभाव दूर करके न केवल सामाजिक खुशहाली लाई जा सकती है, बल्कि मातृ शिशु मृत्यु दर कम करने में भी इसकी अहम भूमिका है। किशोरियों की असमय मृत्यु रोकने के लिए जरूरी है कि लिंग आधारित भेदभाव न हो । यह संदेश शहरी समन्वय समिति की बैठक में लैंगिक समानता संबंधित संवेदीकरण कार्यक्रम के दौरान दिये गये । विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक शार्ट फिल्म के जरिये सभी प्रतिभागियों को लैंगिक समानता और स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर परिणाम के बीच के महत्वपूर्ण कड़ी को दिखाया गया ।

बैठक का आयोजन स्वयंसेवी संस्था पीएसआई इंडिया के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग ने सीएमओ कार्यालय के प्रेरणा श्री सभागार में मंगलवार को किया । इसमें आए समिति के सभी सदस्यों के जरिये शहर के सभी प्रमुख प्लेटफार्म पर लोगों को जागरूक करने की अपील भी की गई। उनसे कहा गया कि गतिविधियों के आयोजन में लैंगिंक समानता का ध्यान रखना है । सभी शहरी स्वास्थ्य केंद्रों और शहर स्तरीय बैठकों में लिंग संवेदीकरण सत्रों को भी रखा जाए। जेंडर चैम्पियन का चयन करें और उनका उपयोग निर्णयों में पुरुषों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए करें, जो सूचित परिवार नियोजन विकल्पों को बढ़ावा देता है। महिला आरोग्य समितियों और आशा कार्यकर्ता को स्वास्थ्य सेवा में लिंग मुद्दों एवं परिवार और मातृ बाल स्वास्थ्य संबंधित निर्णयों में पुरुष भागीदारी के महत्व को बताएं।

कार्यक्रम के दौरान अपेक्षा की गई कि स्वास्थ्य संबंधित सार्वजनिक कार्यक्रम में दंपति की भागीदारी को सुगम बनाना है और पारस्परिक संचार को बढ़ाने के लिए उन्हें संयुक्त रूप से शामिल करना है। साथ ही उन्हें परिवार नियोजन के बारे में सूचित निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करनी है। शहरी समन्वय समिति के जरिये विभिन्न दिवसों और अवसरों पर लैंगिक समता एवं लिंग को मुख्य धारा में लाने के संयुक्त मुद्दों पर ध्यान देना है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण डॉ एके चौधरी ने किया । संवेदीकरण की प्रस्तुति पीएसआई इंडिया संस्था की राज्य प्रतिनिधि इप्शा सिंह ने की। इस मौके पर एनयूएचम कोआर्डिनेटर सुरेश सिंह चौहान, डीईआईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना, जिला महिला अस्पताल के क्वालिटी मैनेजर डॉ कमलेश, फाग्सी की अध्यक्ष डॉ सविता अग्रवाल, क्वालिटी सेल प्रभारी विजय श्रीवास्तव, चिकित्सा अधिकारी डॉ एके वर्मा, एनयूएचएम सहयोगी फैजान, संस्था की प्रतिनिधि कृति, केवल सिंह सिसौदिया और प्रियंका सिंह समेत नगर निगम, डूडा, आईसीडीएस, शहरी स्वास्थ्य केंद्रों और आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के सोलह चिकित्सा अधिकारी व अन्य संबंधित विभागों के प्रतिनिधिगण भी मौजूद रहे।

मिसेज एक्स की कहानी से दिया संदेश

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएच डॉ एके चौधरी ने बताया कि बैठक के दौरान शार्ट फिल्म के जरिये मिसेज एक्स की कहानी से प्रभावकारी संदेश दिया गया। बताया गया कि अगर महिला को विवाह और गर्भधारण के निर्णय में लैंगिक समानता दी जाए तो कम उम्र में गर्भधारण और अनचाहे गर्भ से होने वाली मातृ मृत्यु को रोका जा सकता है। साथ ही गर्भावस्था में खानपान संबंधित लैंगिक भेदभाव को रोक कर मां को प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं से बचा कर मातृ शिशु मृत्यु दर को रोकने में मदद मिलेगी।

एसडीजी पांच की भूमिका अहम

प्रतिभागी चिकित्सा अधिकारी डॉ एके वर्मा ने बताया कि संवेदीकरण के जरिये सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (एसडीजी) पांच की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला गया । इसका उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ भेदभाव को समाप्त करना है। उनके खिलाफ सभी हिंसा और शोषण समाप्त करना है। जबरन विवाह और जननांग विकृति को समाप्त करना है। अवैतनिक देखभाल को महत्व देना और साझा घरेलू जिम्मेदारियों को बढ़ाना देना है। नेतृत्व और निर्णय लेन में पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करना है। प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों तक सार्वभौमिक पहुंच बनाना है। आर्थिक संसाधनों, संपत्ति के स्वामित्व और वित्तीय सेवाओं के समान अधिकार होने चाहिए। प्रोद्योगिकी के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ाना देना है। लैंगिंक समानता के लिए नीतियों और लागू करने योग्य कानून को अपनाना एवं मजबूत करना है।

शिशु में जटिलताएं बढ़ा सकता है गर्भावस्था का मधुमेह

गोरखपुर, गर्भावस्था में उच्च शर्करा स्तर (मधुमेह) अगर नियंत्रित न हो तो यह पैदा होने वाले शिशु में जटिलताएं बढ़ा सकता है। यही वजह है कि प्रसव पूर्व जांच के दौरान पहले ही त्रैमास में सभी गर्भवती की रैंडम ब्लड शुगर (आरबीएस) जांच कराई जाती है। जिन गर्भवती में गर्भावस्था में मधुमेह की पुरानी पृष्ठभूमि रही है उनकी प्रथम त्रैमास में ही मधुमेह की सम्पूर्ण जांच कराई जाती है और अन्य गर्भवती की भी दूसरे त्रैमास में मधुमेह की पूरी जांच कराई जाती है । यह कहना है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे का।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि गर्भावधि मधुमेह में रक्त शर्करा का मान सामान्य से अधिक होता है लेकिन मधुमेह के निदान से कम हो जाता है। गर्भावधि मधुमेह सिर्फ गर्भावस्था के दौरान ही होता है। इससे पीड़ित महिलाओं को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है। इन महिलाओं और संभवतः उनके बच्चों को भी भविष्य में टाइप दो मधुमेह की आशंका अधिक होती है। गर्भावधि मधुमेह का निदान लक्षणों के आधार पर नहीं, बल्कि प्रसवपूर्व जांच के माध्यम से किया जाता है, इसलिए प्रत्येक महिला को गर्भावस्था का पता चलते ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर तुरंत जांच करानी चाहिए। सरकारी अस्पतालों पर न सिर्फ जांच की सुविधा है, बल्कि गर्भावस्था में मधुमेह का पता चलने पर जांच के साथ साथ कुशल इलाज व प्रबन्धन से सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित कराया जा रहा है।

वहीं, प्रथम संदर्भन इकाई और पिपराईच सीएचसी की स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ एमडी वर्मन का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान मधुमेह के मामले औसतन दस फीसदी से भी कम आते हैं, लेकिन इन मामलों में सतर्कता अधिक जरूरी है। मधुमेह पाए जाने पर गर्भवती को उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) की श्रेणी में रखा जाता है और सुरक्षित प्रसव होने तक उनकी नियमित निगरानी की जाती है। उन्हें मधुमेह की दवाएं भी चलाई जाती हैं। अगर गर्भधारण करने के पहले से ही महिला मधुमेह पीड़ित है तो गर्भावस्था के दौरान उसे चिकित्सकीय देखरेख में अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी। मधुमेह पीड़ित महिला को गर्भधारण में भी दिक्कत होती है।

शाहपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ नीतू बताती हैं कि अगर गर्भावस्था में मधुमेह नियंत्रित नहीं रहता है तो शिशु के लिए अधिक दिक्कत बढ़ सकती है। गर्भावस्था के पहले आठ सप्ताह के दौरान शिशु के अंग, जैसे मस्तिष्क, हृदय, गुर्दे और फेफड़े आदि बनने लगते हैं। इस चरण में उच्च रक्त शर्करा का स्तर हानिकारक हो सकता है । इससे शिशु में जन्म दोष, जैसे कि हृदय दोष या मस्तिष्क अथवा रीढ़ की हड्डी में दोष होने की आशंका बढ़ जाती है। गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्त शर्करा स्तर के कारण इस बात की आशंका भी बढ़ जाती है कि शिशु समय से पहले पैदा हो जाए या उसका वजन बहुत अधिक हो जाए अथवा जन्म के तुरंत बाद उसे सांस लेने में समस्या हो या रक्त शर्करा का स्तर कम हो जाए। इसकी वजह से गर्भपात या मृत शिशु के जन्म की आशंका भी बढ़ जाती है ।

समुदाय तक सुविधा उपलब्ध

जिला मातृत्व स्वास्थ्य परामर्शदाता डॉ सूर्य प्रकाश का कहना है कि छाया बीएचएसएनडी सत्रों, एएनएम सब सेंटर, आयुष्मान आरोग्य मंदिर, सभी पीएचसी और सीएचसी पर गर्भवती के मधुमेह जांच की सुविधा उपलब्ध है। प्रयास होता है कि प्रथम त्रैमास में ही जांच हो जाए ताकि समय से मधुमेह की पहचान हो और चिकित्सकीय देखरेख में सुरक्षित प्रसव कराया जा सके।

प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय में चलेंगे यूनिक कोर्स

गोरखपुर, सिटी ऑफ नॉलेज के रूप में ख्याति अर्जित कर रहे गोरखपुर में प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य इस माह के अंत तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। महायोगी गुरु गोरखनाथ के नाम पर बने इस विश्वविद्यालय में आयुष से जुड़े सभी चिकित्सा पद्धतियों पर पारंपरिक पाठ्यक्रमों के साथ आज के दौर की आवश्यकताओं के अनुरूप यूनिक कोर्स भी चलाए जाएंगे। इसे लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर आयुष विभाग के अफसर देश के अन्य राज्यों में चलाए जा रहे आयुष पाठ्यक्रमों के तुलनात्मक अध्ययन में जुटे हैं ताकि यहां चलाए जाने वाले और नए कोर्स की ड्राफ्टिंग की जा सके। फिलहाल पीएचडी समेत दर्जनभर पाठ्यक्रमों को चलाने की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। 

52 एकड़ का है आयुर्वेद विश्वविद्यालय का परिसर

भटहट के पिपरी में 52 एकड़ क्षेत्रफल में बन रहे महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास 28 अगस्त 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था। आयुष विश्वविद्यालय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। शिलान्यास के बाद वह यहां आकर कई बार निर्माण कार्य का जायजा ले चुके हैं। अब इसका निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। फिनिशिंग से संबंधित जो कुछ कार्य शेष हैं, उसके भी 30 नवंबर 2024 तक पूर्ण हो जाने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि आयुष विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आने से पहले आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, योग, सिद्धा की चिकित्सा पद्धति, जिन्हें समन्वित रूप में आयुष कहा जाता है, के लिए अलग-अलग संस्थाएं रही हैं। पर, सत्र 2021-22 से प्रदेश के सभी राजकीय और निजी आयुष कॉलेजों का नियमन अब आयुष विश्वविद्यालय से ही होता है। वर्तमान सत्र 2024-25 में प्रदेश के 97 आयुष शिक्षण (आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी) के कॉलेज/संस्थान इस विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं। इस सत्र में इन सभी कॉलेजों में कुल मिलाकर स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों के करीब सात हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। 

महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके सिंह बताते हैं कि स्नातक और परास्नातक के साथ मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप समयानुकूल कई और रोजगारपरक पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। पाठ्यक्रमों को लेकर आयुष विश्वविद्यालय ने जो आगामी कार्ययोजना बनाई है उसमें पीएचडी, बीएससी नर्सिंग आयुर्वेद, बी फार्मा आयुर्वेद, बी फार्मा होम्योपैथ, बी फार्मा यूनानी, पंचकर्म असिस्टेंट डिप्लोमा, पंचकर्म थेरेपिस्ट डिप्लोमा, विदेशी छात्रों के लिए डिप्लोमा, क्षारसूत्र डिप्लोमा, अग्निकर्म डिप्लोमा, उत्तरवस्ति डिप्लोमा और योग नेचुरोपैथी डिप्लोमा शामिल है। इसके अलावा कुछ सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किए जाएंगे। 

आयुष ओपीडी में अबतक एक लाख मरीज ले चुके हैं परामर्श लाभ

आयुष विश्वविद्यालय में आयुष ओपीडी का शुभारंभ 15 फरवरी 2023 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था। तब से प्रतिदिन यहां आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी की ओपीडी में औसतन 300 मरीज परामर्श लेते हैं। ओपीडी शुभारंभ के बाद अब तक करीब एक लाख आयुष चिकित्सकों से परामर्श लाभ ले चुके हैं। अब जल्द ही यहां आयुष अस्पताल शुरू होने से आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथ योग, प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति आदि से उपचार की बेहतरीन सुविधा भी उपलब्ध होने लगेगी।

हेल्थ टूरिज्म और औषधीय खेती को मिलेगा बढ़ावा, सृजित होंगे रोजगार के अवसर 

आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने से आयुष हेल्थ टूरिज्म में रोजगार की संभावनाएं भी सृजित होंगी। इस पर गंभीरता से काम किया गया तो प्रदेश के इस पहले आयुष विश्वविद्यालय के आसपास के गांवों के लोगों को रोजगार के किसी न किसी स्वरूप से जोड़ा जा सकता है। आयुष विश्वविद्यालय के पूर्णतः क्रियाशील होने से किसानों की खुशहाली और नौजवानों के लिए नौकरी-रोजगार का मार्ग भी प्रशस्त होगा। लोग आसपास उगने वाली जड़ी बूटियों का संग्रह कर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकेंगे। किसानों को औषधीय खेती से ज्यादा फायदा मिलेगा। आयुष विश्वविद्यालय व्यापक पैमाने पर रोजगार और सकारात्मक परिवर्तन का कारक बन सकता है।