रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सैनिकों के साथ मनाएंगे दिवाली, लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ समझौते के बाद पहला दौरा
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चीन के साथ पिछले दिनों पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर विवाद सुलझा लिया गया है। दोनों तरफ से सेना के पीछे हटने का काम लगभग पूरा हो चुका है। अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने अरुणाचल प्रदेश के सीमाई इलाके तवांग में दिवाली मनाने का फैसला किया है। इसके लिए वे अरुणाचल प्रदेश के तवांग के लिए रवाना हो गए हैं।
अपने दौरे को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, अरुणाचल प्रदेश की दो दिवसीय यात्रा पर नई दिल्ली से तवांग के लिए रवाना हो रहा हूं। सशस्त्र बलों के कर्मियों के साथ बातचीत करने और बहादुर भारतीय सेना अधिकारी मेजर रालेंगनाओ बॉब खातिंग को समर्पित एक संग्रहालय के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए उत्सुक हूं।
रक्षामंत्री के दौरे के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू भी मौजूद रहेंगे। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और उपमुख्यमंत्री चोवना मेन ने 30 अक्टूबर को तवांग में भारतीय वायुसेना की उत्तराखंड युद्ध स्मारक कार रैली का स्वागत करेंगे। रक्षा मंत्री का यह दौरा सीमाओं की सुरक्षा में लगे सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इससे पहले अक्टूबर 2023 में भी तवांग गए थे। उस दौरान उन्होंने सैनिकों के साथ शस्त्र पूजा की थी। डिफेंस मिनिस्टर ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात सैनिकों के साथ बातचीत की थी और दशहरा का उत्सव मनाया था। इससे पहले उसी साल लेह में उन्होंने सेना के जवानों के साथ होली भी मनायी थी। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सीमा पर तैनात जवानों के साथ उत्सव मनाते रहे हैं।
बता दें कि तवांग पर चीन अक्सर ही अपना दावा ठोकता रहता है। चीन इसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है। भारत पड़ोसी देश चीन के इसके दावे को सिरे से खारिज करता रहा है। अरूणाचल प्रदेश में तवांग का यांग्त्से क्षेत्र दोनों देशों के बीच तनाव का एक प्रमुख केंद्र है। 2022 में इस क्षेत्र में भारतीय सेना और चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के बीच टकराव हुआ था, जिसमें दोनों पक्षों के सैनिकों को चोटें आई थीं। भारतीय सेना ने यांग्त्से क्षेत्र में चीनी सैनिकों की गश्त को रोका, जिससे भारत की क्षेत्र में पकड़ मजबूत हुई। बताया जा रहा है कि दोनों देश एक प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं, जिसके तहत चीनी सेना को नामित क्षेत्रों में गश्त की अनुमति दी जा सकती है। इसका उद्देश्य विवादित क्षेत्र में तनाव को कम करना और दोनों देशों की संतुलित उपस्थिति सुनिश्चित करना है।
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