धनतेरस पर धन्वंतरि की पूजा का है विशेष महत्व, जानिए, कौन हैं धन्वंतरि और धनतेरस पर क्यों होती है इनकी पूजा

दिवाली से पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी और कुबेर के साथ ही धन्वंतरि की भी पूजा की जाती है. यहां जानिए, कौन हैं धन्वंतरि और धनतेरस पर क्यों होती है पूजा. दीपावली पांच दिवसीय पर्व है, जिसकी शुरुआत धनतेरस के दिन से ही होती है. धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है. धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा की जाती है. साथ ही इस दिन धन्वंतरि की भी पूजा का महत्व है. पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने सामार्थ्यनुसार किसी न किसी वस्तु की खरीदारी जरूर करते हैं. इस साल धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा और दिवाली 31 अक्टूबर को होगी. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार धन्वंतरि की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी. पौराणिक कथा के अनुसार जिस अमृत कलश के लिए समुद्र मंथन किया गया था, उसे धन्वंतरि ही लेकर बाहर निकले थे. इन्हें आयुर्वेद का प्रणेता और चिकित्सा क्षेत्र में देवताओं के वैद्य के रूप में जाना जाता है. इसलिए धन्वंतरि आरोग्यता प्रदान करने वाले देवता माने जाते हैं. मान्यता है कि इनकी पूजा से रोगों से मुक्ति मिलती है और आयोग्यता की प्राप्ति होती है. अब प्रश्न यह उठता है कि धन्वंतरि जब आयोग्य प्रदान करने वाले देवता हैं तो धनतेरस के दिन इनकी पूजा क्यों होती है. पौराणिक कथा के अनुसार अमृत कलश के लिए देवताओं और दानवों के बीच में समुद्र मंथन किया गया था. समुद्र मंथन से एक-एक कर पूरे 14 रत्न बाहर निकले थे, जिसमें सबसे आखिर में अमृत कलश निकला था, जिसे धन्वंतरि लेकर प्रकट हुए थे. जिस दिन धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे वह कार्तिक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी का दिन था. इसलिए धनतेरस के दिन इनकी पूजा की जाती है. इस तिथि में प्रकट होने के कारण धनतेरस के दिन को धन्वंतरि त्रयोदशी या धन्वंतरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है.
बीजेपी के दबाव का भी अजीत पवार पर नहीं हुआ असर, नवाब मलिक मानखुद खुर्द शिवाजी नगर उतारा*
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन के आखरी दिन राजनातिक दलों ने चौंकाने वाले दांव चले हैं। पहले एकनाथ शिंदे की पार्टी बीजेपी नेता शाइना एनसी को मुंबा देवी से अपना प्रत्‍याशी बनाया है। अब एनसीपी ने मानखुद शिवाजी नगर सीट से नवाब मलिक को मैदान से उतार कर सबको चौंका दिया है।नवाब मलिक ने अंतिम घंटों में चौंकाते हुए मानखुद शिवाजी नगर ने नामांकन भी दाखिल कर दिया। बता दें कि बीजेपी ने नवाब मलिक को टिकट देने का विरोध किया था।महाराष्ट्र में बीजेपी और एनसीपी (अजित पवार) महायुति गठबंधन का हिस्सा हैं। ऐसे में अजीत पवार ने बीजेपी के विरोध को अनदेखी करते हुए नवाब मलिक पर दांव लगाया है। वहीं अपना नामांकन दाखिल करने के बाद नवाब मलिक ने कहा कि, आज मैंने एनसीपी उम्मीदवार के तौर पर मानखुर्द शिवाजी नगर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया। मैंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भी नामांकन दाखिल किया था। लेकिन पार्टी ने एबी फॉर्म भेजा और हमने इसे दोपहर 2.55 बजे जमा कर दिया और अब मैं एनसीपी का आधिकारिक उम्मीदवार हूं। उन्होंने आगे कहा कि मैं अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे का बहुत आभारी हूं। उन्हें मुझ पर भरोसा है, बड़ी संख्या में मतदाता निश्चित रूप से मेरा समर्थन करेंगे, मुझे पूरा विश्वास है कि इस बार हम मानखुर्द शिवाजी नगर निर्वाचन क्षेत्र जीतेंगे। अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी ने नवाब मलिक के चुनाव लड़ने को लेकर आखिर तक सस्पेंस बनाए रखा। पहले जब अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी ने अणुशक्ति नगर सीट से सना मलिक शेख को उम्मीदवारी घोषित की थी तब यह चर्चा सामने आई थी कि बीजेपी के दबाव के चलते एनसीपी ने नवाब मलिक से दूरी बनाई है, लेकिन नामांकन के कुछ घटों पर पहले जब एनसीपी की तरफ नवाब मलिक को एबी फार्म देने की जानकारी दी गई तो साफ हो गया कि एनसीपी ने एक रणनीति के खेला किया है। पहले यह कहा गया था नवाब मलिक के अंडरवर्ल्ड के साथ कथित आरोपों के चलते उनका उम्मीदवारी रद्द हो सकती है। इसलिए पार्टी ने उनकी बेटी सना मलिक को मुंबई की अणुशक्तिनगर सीट से टिकट दिया है। इस सीट पर सना का मुकाबला एनसीपी शरद पवार गुट की फहाद अहमद से होगा। फहाद अहम बॉलीवुड एक्टर स्वरा भास्कर के पति हैं।
*नसरल्लाह के खात्मे के बाद हिज्बुल्लाह को मिला नया चीफ, जानें कौन है नईम कासिम?*
#hezbollah_names_naim_qassem_as_new_chief
इजरायल लगातार हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बना रहा है। इस दौरान इजरिली सेना ने हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह की हत्या कर दी थी। इसके बाद हाशेम सफीद्दीन को हिजबुल्लाह का चीफ बनाना था, लेकिन एक एयर स्ट्राइक में इजरायल ने हिजहाशेम सफीद्दीन को भी मार गिराया था। अब हिजबुल्लाह चीफ को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। हिजबुल्लाह ने एक बयान जारी कर बताया है कि नईम कासिम को हिजबुल्लाह का नया चीफ बनाया गया है। हिजबुल्लाह की निर्णय लेने वाली शूरा परिषद ने लंबे मंथन के बाद नईम कासिम को अपना नया नेता चुन लिया है। हिजबुल्लाह ने एक बयान जारी कर बताया कि उसकी शूरा काउंसिल ने महासचिव चुनने के अपने स्थापित तंत्र के तहत नईम कासिम को नया प्रमुख चुना है। हिजबुल्लाह के बयान में साफ किया गया कि वे जीत हासिल होने तक नसरल्लाह की नीतियों पर काम करते रहेंगे और अल-अक्सा और फिलिस्तीनियों को अकेला नहीं छोड़ेंगे। कासिम लंबे समय से नसरल्ला के सहायक के तौर पर काम कर रहा था और मौत के बाद से वह हिजबुल्लाह के कार्यवाहक नेता के रूप में काम कर रहा था। *नईम कासिम को क्यों चुना गया?* हिजबुल्लाह ने एक बयान में कहा कि कासिम को संगठन के सिद्धांतों और उद्देश्यों का पालन करने के उनके उत्साह के लिए चुना गया है। नईम को आम तौर पर हिजबुल्लाह में नंबर दो नेता के रूप में जाना जाता है। वह 1980 के दशक की शुरुआत में हिजबुल्लाह की स्थापना करने वालों में भी शामिल थे। *कौन हैं हिजबुल्लाह का नया चीफ?* नईम कासिम का जन्म दक्षिणी लेबनान के कफर फ़िला शहर में हुआ था। उसने लेबनानी विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान की पढ़ाई की और उसके बाद कई वर्षों तक रसायन विज्ञान के शिक्षक के रूप में काम किया। इस दौरान उसने धार्मिक अध्ययन भी जारी रखा। उसने लेबनानी यूनियन फॉर मुस्लिम स्टूडेंट्स की स्थापना में भाग लिया, यह संगठन छात्रों के बीच धार्मिक पालन को बढ़ावा देने का काम करता है। *हिजबुल्लाह में कैसे हुआ शामिल* 1970 के दशक में नईम कासिम मूवमेंट ऑफ द डिसपोस्सेस्ड में शामिल हो गया। यह एक राजनीतिक संगठन था, जिसकी स्थापना इमाम मूसा सदर ने की थी। इसका मकसद लेबनान के ऐतिहासिक रूप से उपेक्षित और गरीब शिया समुदाय के लिए अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व पर जोर देना था। यह संगठन बाद में अमल आंदोलन में बदल गया, जो लेबनान के गृहयुद्ध के दौरान मुख्य सशस्त्र समूहों में से एक था और अब एक शक्तिशाली राजनीतिक दल है। इसके बाद कासिम ईरान के समर्थन से बनाए गए नए हिजबुल्लाह में शामिल हो गया। 1991 से उसने हिजबुल्लाह के उप महासचिव के रूप में कार्य किया। *तीन दशक बाद बदला नेता* बता दें कि हसन नसरल्लाह की मौत पिछले महीने एक इजराइली हवाई हमले में हुई थी। हसन नसरल्लाह ने लगभग तीन दशकों तक समूह का नेतृत्व किया था। नसरल्लाह के नेतृत्व के दौरान हिजबुल्लाह ने लेबनान में अपनी जड़ें मजबूत की।
*नसरल्लाह के खात्मे के बाद हिज्बुल्लाह को मिला नया चीफ, जानें कौन है नईम कासिम?*
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इजरायल लगातार हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बना रहा है। इस दौरान इजरिली सेना ने हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह की हत्या कर दी थी। इसके बाद हाशेम सफीद्दीन को हिजबुल्लाह का चीफ बनाना था, लेकिन एक एयर स्ट्राइक में इजरायल ने हिजहाशेम सफीद्दीन को भी मार गिराया था। अब हिजबुल्लाह चीफ को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। हिजबुल्लाह ने एक बयान जारी कर बताया है कि नईम कासिम को हिजबुल्लाह का नया चीफ बनाया गया है। हिजबुल्लाह की निर्णय लेने वाली शूरा परिषद ने लंबे मंथन के बाद नईम कासिम को अपना नया नेता चुन लिया है। हिजबुल्लाह ने एक बयान जारी कर बताया कि उसकी शूरा काउंसिल ने महासचिव चुनने के अपने स्थापित तंत्र के तहत नईम कासिम को नया प्रमुख चुना है। हिजबुल्लाह के बयान में साफ किया गया कि वे जीत हासिल होने तक नसरल्लाह की नीतियों पर काम करते रहेंगे और अल-अक्सा और फिलिस्तीनियों को अकेला नहीं छोड़ेंगे। कासिम लंबे समय से नसरल्ला के सहायक के तौर पर काम कर रहा था और मौत के बाद से वह हिजबुल्लाह के कार्यवाहक नेता के रूप में काम कर रहा था। *नईम कासिम को क्यों चुना गया?* हिजबुल्लाह ने एक बयान में कहा कि कासिम को संगठन के सिद्धांतों और उद्देश्यों का पालन करने के उनके उत्साह के लिए चुना गया है। नईम को आम तौर पर हिजबुल्लाह में नंबर दो नेता के रूप में जाना जाता है। वह 1980 के दशक की शुरुआत में हिजबुल्लाह की स्थापना करने वालों में भी शामिल थे। *कौन हैं हिजबुल्लाह का नया चीफ?* नईम कासिम का जन्म दक्षिणी लेबनान के कफर फ़िला शहर में हुआ था। उसने लेबनानी विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान की पढ़ाई की और उसके बाद कई वर्षों तक रसायन विज्ञान के शिक्षक के रूप में काम किया। इस दौरान उसने धार्मिक अध्ययन भी जारी रखा। उसने लेबनानी यूनियन फॉर मुस्लिम स्टूडेंट्स की स्थापना में भाग लिया, यह संगठन छात्रों के बीच धार्मिक पालन को बढ़ावा देने का काम करता है। *हिजबुल्लाह में कैसे हुआ शामिल* 1970 के दशक में नईम कासिम मूवमेंट ऑफ द डिसपोस्सेस्ड में शामिल हो गया। यह एक राजनीतिक संगठन था, जिसकी स्थापना इमाम मूसा सदर ने की थी। इसका मकसद लेबनान के ऐतिहासिक रूप से उपेक्षित और गरीब शिया समुदाय के लिए अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व पर जोर देना था। यह संगठन बाद में अमल आंदोलन में बदल गया, जो लेबनान के गृहयुद्ध के दौरान मुख्य सशस्त्र समूहों में से एक था और अब एक शक्तिशाली राजनीतिक दल है। इसके बाद कासिम ईरान के समर्थन से बनाए गए नए हिजबुल्लाह में शामिल हो गया। 1991 से उसने हिजबुल्लाह के उप महासचिव के रूप में कार्य किया। *तीन दशक बाद बदला नेता* बता दें कि हसन नसरल्लाह की मौत पिछले महीने एक इजराइली हवाई हमले में हुई थी। हसन नसरल्लाह ने लगभग तीन दशकों तक समूह का नेतृत्व किया था। नसरल्लाह के नेतृत्व के दौरान हिजबुल्लाह ने लेबनान में अपनी जड़ें मजबूत की।
इस बार खास होने वाली है जनगणना, जानें क्या हो सकता है अलग*
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देश में अगले साल से जनगणना की शुरुआत होने वाली है। इसके आंकड़े साल 2026 में जारी किए जा सकते हैं। इस बार की जनगणना काफी मायनों में अलग होने वाली है। इसकी एक खास वजह यह है कि यह ऐसे टाइम में हो रही है जब भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। भारत ने चीन को आबादी के मामले में पीछे छोड़ दिया है। साथ ही, इस बार की जनगणना में संप्रदाय को लेकर भी सवाल किए जाने के आसार हैं। यही नहीं, अब देश में हर 10 साल में होने वाली अगली जनगणना 2035 में होगी। कोविड की वजह से इसका चक्र गड़बड़ हो गया था। पहले हर दशक पर जनगणना होती आई है। इससे पहले 1991, 2001, 2011 में हुई थी और इस तरह से इसे साल 2021 में होने वाली थी। *अब आपसे संप्रदाय भी पूछ सकती है सरकार* अब तक की जनगणना का जो पैटर्न था उसके केवल धर्म और वर्ग ही पूछा जाता रहा है। साथ ही एससी, एसटी और जनरल कैटेगरी की गणना होती है। हालांकि, इस बार यह भी सवाल किया जा सकता है कि वह किस संप्रदाय के अनुयायी हैं। अब इसको एक उदाहरण के जरिये समझने की कोशिश करते हैं। जैसे इस्लाम में शिया और सुन्नी शामिल हैं, जबकि जातियों में ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य जैसे समूह शामिल हैं। दरअसल, जनगणना ऐसे समय होगी जब देश के कई राजनीतिक दल जाति आधारित गणना की मांग कर रहे हैं। बिहार, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों ने जाति सर्वेक्षण पूरे भी कर लिए हैं और तेलंगाना जैसे अन्य राज्य इसके लिए तैयार हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सरकार से इसपर सर्वदलीय बैठक की मांग की। उन्होंने कहा कि क्या इस नई जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा देश की सभी जातियों की विस्तृत गणना शामिल होगी जो हर जनगणना में की जाती रही है। संविधान के अनुसार, ऐसी जाति जनगणना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। *पहली बार होगी डिजिटल जनगणना* यह पहली डिजिटल जनगणना होगी, जिसके जरिए नागरिकों को स्वयं गणना करने का अवसर मिलेगा। इसके लिए जनगणना प्राधिकरण ने एक स्व-गणना पोर्टल तैयार किया है, जिसे अभी लॉन्च नहीं किया गया है। स्व-गणना के दौरान आधार या मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से एकत्र किया जाएगा। *पूछे जाएंगे 31 सवाल* लोगों से सर्वे में 31 सवाल पूछे जाएंगे, जिसमें परिवार के व्यक्तियों की कुल संख्या, परिवार की मुखिया महिला है या नहीं, परिवार के पास कितने कमरे हैं, परिवार में रहने वाले विवाहित जोड़ों की संख्या से जुड़े सवाल भी शामिल हैं। प्रश्नों में यह भी शामिल है कि क्या परिवार के पास टेलीफोन, इंटरनेट कनेक्शन, मोबाइल या स्मार्टफोन, साइकिल, स्कूटर या मोटरसाइकिल है और क्या उनके पास कार, जीप या अन्य वाहन है। इसके अलावा परिवार के रोजमर्रा के जीवन से जुड़े अन्य सवाल भी पूछे जाएंगे।
'साहेब ने परिवार में बंटवारा करवाया...', बारामती में शरद पवार पर बरसे अजित, रैली के दौरान हुए भावुक

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए बारामती सीट से नामांकन दाखिल करने के बाद उप मुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता अजित पवार एक रैली के दौरान भावुक हो गए। इस दौरान राकांपा के संस्थापक शरद पवार का नाम लिए बिना आरोप लगाया कि 'साहेब' ने परिवार में विभाजन पैदा किया और उनके खिलाफ एक उम्मीदवार खड़ा किया। अजित पवार ने कहा, 'मैंने पहले अपनी गलतियों को माना था। लेकिन अब लगता है कि दूसरे भी गलतियां कर रहे हैं। मेरे परिवार और मैंने तय किया था कि हम पहले बारामती से नामाकंन दाखिल करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मेरी मां ने मेरा बहुत समर्थन किया था और उन्हें (शरद पवार) सलाह दी थी कि किसी का भी मेरे खिलाफ नामांकन नहीं होना चाहिए। लेकिन मुझे बताया गया है कि साहेब (शरद पवार) ने किसी को मेरे खिलाफ नामांकन दाखिल करने का निर्देश दिया। साहेब ने परिवार में विभाजन पैदा किया है। मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि राजनीति को इस स्तर पर नहीं लाया जाना चाहिए, क्योंकि परिवार को एकजुट होने में पीढ़ियां लगती हैं और टूटने में एक पल भी नहीं लगता।' बारामती में विकास हुआ, लोगों के पास सवाल उठाने का अधिकार भी मिला है। उन्होंने कहा कि बारामती में काफी विकास हुआ है। इस पर लोगों को सवाल उठाने का अधिकार हैं। लेकिन कुछ लोग बारामती में किए गए विकास कार्यों पर सवाल उठाते हैं। यह कहना कि सड़कों और स्कूलों के निर्माण से विकास नहीं होता, गलत है। मुझे समझना है कि असली विकास क्या है, जो होना चाहिए, जिसे देखकर हम कहें कि यह विकास है। मैं समझता हूं कि आपके पास बोलने का अधिकार है।
सीवर का पानी तुम्हारे घर फेंकने आउंगी..', सीएम आतिशी पर भड़कीं स्वाति मालीवाल, वीडियो जारी कर लगाए ये आरोप


आम आदमी पार्टी (AAP) की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने दिल्ली के किराड़ी क्षेत्र की शीश महल कॉलोनी का दौरा किया और वहां की अत्यंत खराब स्थिति के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को चेतावनी दी कि अगर क्षेत्र की स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो वह टैंकर भरकर सीवर का पानी उनके घर के बाहर फेंकने का काम करेंगी। स्वाति मालीवाल ने इस दौरे का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया। जिसमें उन्होंने अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री आवास की तुलना शीश महल कॉलोनी से की। उन्होंने वीडियो में कहा, "दिल्ली के दो 'शीश महल' हैं। शायद नर्क भी इससे बेहतर होगा।" मालीवाल ने कॉलोनी की स्थिति का वर्णन करते हुए बताया कि एक ओर केजरीवाल का आलीशान आवास है, जबकि दूसरी ओर शीश महल कॉलोनी में टैक्स देने वाले नागरिकों को सड़क, पानी और साफ-सफाई की मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कॉलोनी में जगह-जगह खुले नाले हैं, और विधायक के फोन का जवाब भी नहीं मिला। वीडियो में देखा जा सकता है कि कॉलोनी में गंदगी फैली हुई है, सड़कों पर पानी जमा है, और स्थानीय लोग अपनी समस्याएं मालीवाल के सामने रख रहे हैं। लोग यह भी बता रहे हैं कि यहां के विधायक किसी मदद के लिए आगे नहीं आते। स्वाति मालीवाल ने वहां के विधायक को भी जमकर सुनाते हुए उन्हें स्थानीय लोगों की परेशानियों के प्रति लापरवाह बताया। स्वाति मालीवाल की यह टिप्पणी और वीडियो राज्य सरकार के प्रति गहरी निराशा और स्थानीय समस्याओं की अनदेखी को उजागर करता है, जो दिल्ली की आम जनता के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
कांग्रेस का तो अब भगवान ही मालिक है...', एमपी में जीतू पटवारी की नई टीम पर कांग्रेस नेता का-तंज

मध्यप्रदेश कांग्रेस की नई कार्यकारिणी पर स्वयं पार्टी के नेताओं ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ MLA एवं पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह 'राहुल भैया' ने कहा है कि जिन नेताओं की वजह से मध्य प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति खराब हुई, अगर उन्हीं का प्रभाव आज भी कायम है, तो पार्टी का भविष्य भगवान के भरोसे है। अजय सिंह ने कहा, "बीस साल हो गए, किन्तु निर्णय अब भी उन्हीं लोगों के चलते हैं। यह कांग्रेस पार्टी का दुर्भाग्य है। रायशुमारी हुई या नहीं, यह अलग मुद्दा है, लेकिन हमारे क्षेत्र की कांग्रेस में सोच ही नहीं है। रीवा, सीधी, सिंगरौली, अनूपपुर, उमरिया, कटनी सहित आठ-नौ जिलों में मुश्किल से दो-तीन नाम मिल पाएं, तो यह पार्टी की मजबूती कैसे होगी?" मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीतू पटवारी के नेतृत्व में बनाई गई नई कार्यकारिणी में 177 सदस्य हैं, जिनमें 17 उपाध्यक्ष, 71 महासचिव, 16 सदस्य, 33 स्थायी आमंत्रित एवं 40 विशेष आमंत्रित सदस्य सम्मिलित हैं। इस पर मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव ने भी टिप्पणी की, "मैंने कभी ऐसी कार्यकारिणी नहीं देखी जिसमें महासचिवों की संख्या उपाध्यक्षों से अधिक हो। ऐसे कामकाज की वजह से कांग्रेस पतन की ओर बढ़ रही है, क्योंकि वे वक़्त के साथ नहीं चलना चाहते।" यादव ने कहा कि वह प्रदेश में एक मजबूत विपक्ष देखना चाहते हैं।
एमपी की पूर्व सीएम उमा भारती के खिलाफ YouTube पर अपलोड किया आपत्तिजनक वीडियो, दर्ज हुई FIR

भोपाल पुलिस अपराध शाखा ने मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती के खिलाफ एक आपत्तिजनक रील बनाने के मामले में मामला दर्ज किया है। इस रील में पूर्व सीएम पर उनके कार्यकाल के चलते ठेकेदारों से पैसे लेने का आरोप लगाया गया है। उमा भारती के निजी सचिव उमेश गर्ग ने अपराध शाखा में शिकायत दर्ज करवाई, जिसमें बताया गया कि उन्हें यूट्यूब पर एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा अपलोड की गई रील मिली। वही इस रील में उमा भारती एवं महिला IPS अफसर रूपा दिवाकर मौदगिल (डी. रूपा) के फोटो को संपादित कर अत्यंत आपत्तिजनक, तथ्यहीन, भ्रामक, और फर्जी सामग्री प्रस्तुत की गई थी। रील में एक अज्ञात शख्स कह रहा है, "यह एक ऐसी IPS अफसर हैं, जो सीएम के काले कारनामों को देखने उनके घर नौकरानी बनकर पहुंच गईं।" इसमें कहा गया है कि डी. रूपा ने पूर्व सीएम उमा भारती को ठेकेदारों से पैसे मांगते हुए देखा तथा तत्पश्चात उन्हें उनके ही घर से गिरफ्तार कर लिया। इस तरह की बातें प्रस्तुत कर रील बनाने वाले ने उमा भारती की छवि धूमिल करने का प्रयास किया। उमा भारती के निजी सचिव ने शिकायत में मांग की है कि दोषी के खिलाफ FIR दर्ज कर उचित कानूनी कार्रवाई की जाए तथा पब्लिक डोमेन से इस रील को हटवाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। मामले की गंभीरता को देखते हुए, अपराध शाखा ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 336(4) और 356(2) के तहत मुकदमा दर्ज कर तहकीकात आरम्भ कर दी है।
महाराष्ट्र में सियासी “खेला”, बीजेपी की शायना एनसी को शिंदे ने दिया टिकट*
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की आज आखिरी तारीख है। पर्चा दाखिल से पहले सियासी दलों के राजनातिक दांव पेंच हैरान करने वाले हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए शिंदे गुट की शिवसेना ने उम्मीदवारों की एक और लिस्ट जारी कर दी है। लिस्ट में शिंदे गुट से 13 उम्मीदवार जबकि दो सहयोगी दलों के कैंडिडेट भी शामिल हैं। एकनाथ शिंदे की पार्टी ने शाइना एनसी को मुंबा देवी से अपना प्रत्‍याशी बनाया है। शाइना एनसी भाजपा की नेता हैं, लेकिन शिवसेना ने उन्‍हें अपना उम्‍मीदवार बनाया है। सोमवार सुबह तक बीजेपी में रहने वाली शाइना ने शाम होते-होते पाला बदल लिया और एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना में शामिल हो गई। उन्हें सीएम एकनाथ शिंदे ने खुद पार्टी में शामिल कराया। पार्टी में शामिल होते ही शाइना को शिंदे गुट की शिवसेना से टिकट भी मिल गया। वह मुंबादेवी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी। गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारे जाने के बाद शिवसेना नेता शाइना एनसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महायुति नेतृत्व का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वह मुंबई के लोगों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध हैं। चुनाव जीतने के बाद वह अपने मुंबई के लोगों की आवाज सदन में उठाएंगी। शिवसेना से अपनी उम्मीदवारी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह हमेशा महायुति नेतृत्व तय करता है कि किस उम्मीदवार को कहां से खड़ा किया जाना चाहिए। शायना (शाइना एनसी) के बारे में कहा जा रहा था कि भाजपा उन्हें वर्ली सीट से टिकट दे सकती है लेकिन यह शिवसेना के पास चली गई और मिलिंद देवड़ा को यहां से उतारा गया। अब शिवसेना ने मुंबादेवी निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व भाजपा नेता और प्रवक्ता शायना एनसी को कांग्रेस उम्मीदवार अमीन पटेल के खिलाफ मैदान में उतारा है। पटेल ने 2009, 2014 और 2019 में लगातार तीन बार जीत हासिल की है। बीजेपी के दिग्गज नेता रहे दिवंगत गोपीनाथ मुंडे ने शाइना को 14 सिंतबर 2004 को बीजेपी में शामिल कराया। वह 20 साल से बीजेपी में थीं। मार्च 2010 में वह बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की सदस्य बनीं। बीजेपी ने शाइना को अप्रैल 2013 को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया। वह टीवी न्यूज चैनल पर पार्टी का पक्ष रखते नजर आती रही हैं। हालांकि 28 अक्तूबर को उन्होंने शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल हो गईं। फरवरी 2007 में उन्हें मुंबई बीजेपी का प्रवक्ता बनाया गया। बता दें कि महाराष्ट्र के चुनाव में इस बार लड़ाई मुख्य रूप से दो गठंबंधनों के बीच में है। एक तरफ सत्ताधारी महायुति है तो दूसरी ओर विपक्षी महाविकास अघाड़ी है। महायुति में शिंदे गुट की शिवसेना, बीजेपी और अजित पवार गुट की एनसीपी है। वहीं, महाविकास अघाड़ी में उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना यूबीटी, कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी है।