इस्पात भवन स्थित कैंटीन में महिला समिति के “सुरभि” की तीसरे शाखा “स्वाद सदन” का हुआ उद्घाटन


झारखंड डेस्क 

बोकारो : बीएसएल के इस्पात भवन स्थित कैंटीन में महिला समिति के “सुरभि” की तीसरे शाखा “स्वाद सदन” का उद्घाटन बीएसएल के निदेशक प्रभारी बीके तिवारी तथा महिला समिति बोकारो की अध्यक्षा अनिता तिवारी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

इस अवसर पर अधिशासी निदेशक (परियोजना एवं अतिरिक्त प्रभार एमएम) सीआर महापात्रा, अधिशासी निदेशक (वित्त एवं लेखा) सुरेश रंगानी, अधिशासी निदेशक (माइंस) जयदीप दासगुप्ता, अधिशासी निदेशक (एसआरयू) पीके रथ, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बी बी करुणामय, महिला समिति की उपाध्यक्षगण एवं कार्यकारिणी कमिटी के सदस्य सहित बीएसएल के अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे।

महिला समिति संचालित सुरभि जो अपनी शुद्धता और ताज़ा खाद्य सामग्री के लिए प्रसिद्ध है, अब इस्पात भवन में भी स्वाद सदन के माध्यम से अपने उत्पाद लोगों तक पहुँचाने के लिए तैयार है. निदेशक प्रभारी श्री बी के तिवारी ने इस्पात भवन में “स्वाद सदन” के उदघाटन के मौके पर महिला समिति को बधाई और शुभकामनाएं दी।

बोकारो में डीसी-एसपी ने किया वज्रगृह व मतगणना केंद्र का निरीक्षण


बोकारो :बोकारो डीसी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी विजया जाधव व एसपी मनोज स्वर्गियारी ने शुक्रवार को ईवीएम रिसिविंग सेंटर (वज्रगृह) व मतगणना केंद्र के लिए कृषि उत्पादन बाजार समिति चास के भवनों निरीक्षण किया.

दोनों पदाधिकारियों बाजार समिति के गोदामों को वज्रगृह व मतगणना के लिए चिह्नित किया और संबंधित अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए. भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता को चिन्हित भवनों का विस्तृत ले-आउट (विधानसभा वार) बनाने को कहा. 

परिसर में झाड़ियों की साफ-सफाई, भवनों के कमरों का रंग-रोगन व जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने का निर्देश दिया. मार्केटिंग ऑफिसर को गोदाम व कमरों का अधिग्रहण कर 25 अक्टूबर तक उन्हें खाली कराने का निर्देश दिया. भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता को पोस्टल बैलेट, विधानसभावार निर्वाचन प्रेक्षकों, मतगणना प्रेक्षकों, मीडिया सेंटर, कंट्रोल रूम, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के लिए स्थान चिह्नित कर पंडाल, बैरिकेडिंग आदि की कार्रवाई समय पर पूरा करने को कहा.

 वहीं, मीडिया कोषांग के नोडल पदाधिकारी को परिसर में पर्याप्त साइनेज का कार्य कराने का निर्देश दिया.

धनबाद में कोयला चोरी के आरोपों की CBI जांच के आदेश पर SC ने लगाई रोक


झारखंड डेस्क 

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें झारखंड हाईकोर्ट ने धनबाद में कोयला चोरी और इसमें पुलिस संलिप्तता की सीबीआई जांच का आदेश दिया था.

हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत 3 अक्टूबर को इस मामले में प्रतिवादी बने सभी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच करने का निर्देश सीबीआई को दिया था.

हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था. शुक्रवार को राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट से रोक के बाद अब सीबीआई फिलहाल धनबाद में कथित रूप से कोयला चोरी और इसमें पुलिस की संलिप्तता की जांच नहीं कर पायेगी.

झारखंड में सीट शेयरिंग पर भाजपा ने खोला पत्ता, जाने आजसू, जेडीयू लोजपा (र) को कितनी सीटें मिली?


 झारखंड विधानसभा चुनाव में NDA की सीट शेयरिंग पर सस्पेंस हुआ खत्म, हेमंता बिस्वा सरमा ने किया एलान

रिपोर्टर जयंत कुमार 

भारतीय जनता पार्टी पहली बार झारखंड विधानसभा चुनाव में तीन दलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने जा रही है। काफी दिनों से यह संशय बना हुआ था कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा? 

13 नवंबर को पहले चरण का चुनाव होना है और आज से इसका नामांकन शुरू हो गया है। वही आज NDA गठबंधन की ओर से भाजपा ने अपने गठबंधन दलों के सीटों की खुलासा कर दिया है। जिसमे आजसू 10 सीटो पर चुनाव लड़ेगी। जिसमें, सिल्ली,रामगढ़, गोमिया, ईसागढ़ ,मांडू, जुगसलाई, डुमरी, पाकुड़, लोहरदगा, मनोहरपुर विधानसभा सीट शामिल है।

जेडीयू झारखंड में तमाड़ और पश्चिमी जमशेदपुर विधानसभा से चुनाव लड़ेगी

झारखंड विधानसभा चुनाव में रामविलास की पार्टी लोचपा को भी जगह दिया गया है जो चतरा से चुनाव लड़ेगी।

 जिसकी घोषणा भाजपा प्रदेश के चुनाव सह प्रभारी हिमंत बिस्व सरमा ने भाजपा के प्रदेश कार्यालय में किया। 

NDA गठबंधन के द्वारा भाजपा के प्रदेश कार्यालय में संयुक्त रूप से बीजेपी-जेडीयू और आजसू पार्टी के बीच सीट शेयरिंग को सामने गया। लेकिन उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की गई, इस पर पार्टी के नेता ने कहा कि सभी पार्टियों के नेता अपने-अपने उम्मीदवारों की नाम की घोषणा स्वयं करेंगे। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हम इस चुनाव में जनता के बीच रोजगार महिलाओं की सुरक्षा और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे को लेकर जाएंगे 

भाजपा कार्यालय में हुई संयुक्त वार्ता के दौरान आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि वर्तमान स्थिति जो राज्य की बनी हुई है जिसमें हर कोई तकलीफ में है और उससे निजात पाना चाहती हर जनता। राज्य में 5 वर्षों तक इंडिया गठबंधन काल रहा जिसमें भ्रष्टाचार चरम पर रहा और राज्य में डेवलपमेंट विलुप्त हो गया है।

*झारखंड मुक्ति मोर्चा में टिकट के लिए आवेदन देने वालो को पार्टी फंड के लिए देना होगा 51हज़ार, दबी जुबान से इस फरमान का हो रहा है विरोध

झारखंड डेस्क 

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने टिकट के दावेदारों के लिए नया नियम बनाया है जिसके कारण दावेदारों कि भीड़ काम हो जाएगी. नए नियम के तहत झारखंड विधानसभा में टिकट के दावेदारों को आप टिकट के लिए आवेदन के साथ पार्टी फंड के लिए 51 हज़ार रुपए भी जमा करने होंगे.

रांची में हुई केंद्रीय कमेटी की बैठक में यह निर्णय पार्टी की ओर से लिए गए. इस नियम के बाद झामुमो के वैसे स्वयंभू दावेदार जो टिकट के लिए होर्डिंग-बैनर छपवा रहे थे, अचानक से गायब हो जाएंगे.

पार्टी का मकसद भी यही है कि हर चौक-चौराहे पर अपने को टिकट का दावेदार बताने वाले रांची आकर भीड़ न बढ़ाएं.

हालांकि दबी जुबान से पार्टी कार्यकर्ता इसका विरोध भी कर रहे हैं, लेकिन कोई भी खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं हो रहा है. टिकट के जो वास्तविक दावेदार हैं, वह ड्राफ्ट बनवाने में जुट गए हैं.

दावेदारी के लिए जिला कमेटी से अनुशंसा की जरूरत नहीं

झामुमो में टिकट दावेदारी के लिए जिला कमेटी से अनुशंसा की भी जरूरत नहीं है. पहले जिलाध्यक्ष और सचिव दावेदारों की सूची अनुमोदित कर भेजते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है.

पार्टी ने नियम बनाया है कि टिकट के दावेदार अपना आवेदन और 51 हजार रुपये का ड्राफ्ट जिला कमेटी के पास सीधे जमा करा सकते हैं.जिला कमेटी उसे केंद्रीय कमेटी को भेजेगी। टिकट पर अंतिम निर्णय पार्टी अध्यक्ष शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन ही लेंगे.

टुंडी में कम, सिंदरी-निरसा में एक दर्जन से अधिक दावेदार

टुंडी विधानसभा सीट पर सीटिंग विधायक रहने की वजह से यहां दावेदार कम हैं. हालांकि यहां भी पूर्व जिलाध्यक्ष रमेश टुडू अपना दावा कर रहे हैं. सिंदरी विधानसभा सीट से कई दावेदार हैं.इसमें पूर्व विधायक फूलचंद मंडल, मन्नू आलम, मुकेश सिंह समेत कई और नेता हैं. 

इसी तरह निरसा में अशोक मंडल, जिलाध्यक्ष लक्खी सोरेन समेत कई दावेदार टिकट के लिए लॉबिंग कर रहे हैं. अब इन दावेदारों को अपना आवेदन 51 हजार रुपए के ड्राफ्ट के साथ सेंट्रल कमेटी के पास जमा करना होगा.

JMM से जुड़े नेताओं में पार्टी के प्रति नाराजगी

नाम नहीं छापने की शर्त पर झामुमो के एक कद्दावर नेता ने बताया कि झामुमो हमेशा से गरीबों की पार्टी रही है.वह पछले कई साल से झारखंड मुक्ति मोर्चा से जुड़े हुए हैं.

उन्होंने बताया कि वह अपना पूरा जीवन पार्टी के लिए समर्पित कर दिया.लेकिन चुनाव के समय पार्टी टिकट देने के नाम पर अगर उनसे पैसे मांग रही है तो क्या यह न्याय संगत है.

झारखंड में आचार संहिता लगने के बाद काला धन पर बड़ा प्रहार, 37 लाख के सामान और नगदी जब्त

झारखंड डेस्क 

रांची : झारखंड में विधानसभा चुनाव में अवैध रकम और संसाधनों के उपयोग पर रोक के लिए अभियान तेज हो गया है. आदर्श आचार संहिता लागू होने के साथ 48 घंटे के भीतर 37 लाख रुपए मूल्य की अवैध सामग्री और नकद राशि जब्त की गई है.

 यह जानकारी झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय की ओर से आधिकारिक तौर पर दी गई है. गुरुवार को पूर्वी सिंहभूम जिले के गालूडीह थाना क्षेत्र अंतर्गत केसरपुर चेक पोस्ट पर गाड़ियों की चेकिंग के दौरान तीन पिकअप वैन से 5 लाख 85 हजार रुपये जब्त किए गए हैं. तीनों गाड़ियां पश्चिम बंगाल की ओर से आ रही थीं. यहां चेकपोस्ट पर जांच टीम में मजिस्ट्रेट कुणाल कुमार और एएसआई जितेन्द्र कुमार शामिल थे.

झारखंड के कई जिलों के लिए तात्‍कालिक अलर्ट जारी किया गया, अगले 3 घंटें में होगी बारिश और वज्रपात

झा. डेस्क 

 झारखंड के कई जिलों के लिए तात्‍कालिक अलर्ट जारी किया गया है। इसके अनुसार अगले कुछ घंटें में यहां के कई इलाकों में वज्रपात होने की आशंका है। कई जगह बारिश हो सकती है। रांची मौसम केंद्र ने यह जानकारी दी है।

इन जिलों में असर

मौसम केंद्र के मुताबिक इसका प्रभाव गुमला, लोहरदगा, गिरिडीह, कोडरमा, रांची, सरायकेला-खरसावां, पश्चिम सिंहभूम, बोकारो, धनबाद, हजारीबाग जिले के कुछ भागों में देखने को मिलेगा।

इसका रखें ख्‍याल

अलर्ट को देखते हुए सतर्क और सावधान रहें। सु‍रक्षित स्‍थान में शरण लें। पेड़ के नीचे खड़ा नहीं रहें। बिजली के पोल से दूर रहें। किसान अपने खेत में नहीं जाएं। मौसम सामान्‍य होने का इंतजार करें। बिजली के उपकरणों का उपयोग नहीं करें।

झारखंड में 43 सीटों के लिए 18 अक्टूबर से शुरू होगा नामांकन , सुबह 11 बजे से प्रत्याशी कर पाएंगे नामांकन पत्र

* झारखंड डेस्क मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने कहा है कि पहले चरण में 43 विधानसभा सीटों के लिए 18 अक्टूबर से नामांकन शुरू हो जाएगा. नामांकन की आखिरी तारीख 25 अक्टूबर है. प्रत्याशी सुबह 11 बजे से तीन बजे तक नामांकन कर सकेंगे. अवकाश के दिन नामांकन नहीं होगा. सभी प्रत्याशी नामांकन के दौरान चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों का जरूर पालन करें. वे गुरुवार को धुर्वा के निर्वाचन सदन में प्रेस वार्ता कर रहे थे. पत्रकार वार्ता में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार के साथ संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सुबोध कुमार और उपनिदेशक, जनसंपर्क आनन्द मौजूद थे. *10 हजार रुपये होंगे जमानत राशि,जमा करना होगा प्रत्याशी को* झारखंड के सीईओ के रवि कुमार ने कहा कि नामांकन के दौरान नामांकन स्थल की 100 मीटर की परिधि के भीतर सिर्फ तीन गाड़ियों के प्रवेश की अनुमति होगी. प्रत्याशी के साथ सिर्फ चार लोग नामांकन कक्ष में जा सकेंगे. प्रत्याशी के नामांकन के लिए 10 लोगों का प्रपोजल अनिवार्य होगा. हर सामान्य प्रत्याशी को 10 हजार रुपए बतौर जमानत राशि जमा करानी होगी. अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए यह राशि पांच हजार रुपए होगी. *प्रत्याशियों के लिए ये है जरूरी* झारखंड के सीईओ ने जानकारी दी कि शपथपत्र के रूप में हर प्रत्याशी को फॉर्म 26 को स्पष्ट रूप से पूरा भरना होगा. प्रत्याशियों को अपने आपराधिक मामलों से जुड़ी जानकारी कम से कम तीन समाचार पत्रों में विज्ञापित करानी होगी. उसे अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर भी प्रदर्शित करना होगा. प्रत्येक प्रत्याशी चुनाव खर्च के ब्योरा के लिए अलग से बैंक अकाउंट खुलवा लेंगे. *दो चरणों में झारखंड में होंगे चुनाव* झारखंड में इस बार दो चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. पहले चरण का चुनाव 13 नवंबर को है, जबकि दूसरे चरण का चुनाव 20 नवंबर को है. 23 नवंबर को मतगणना है. पहले चरण के चुनाव को लेकर 18 अक्टूबर से नामांकन शुरू हो रहा है. झारखंड में कुल 81 विधानसभा सीटें हैं. दूसरे चरण में शेष 38 सीटों पर मतदान होंगे.
चुनाव बिगुल बजने ही शुरू हो गयी 'विरासत की सियासत'?*,

*कई राजनेताओं की बेटे-बेटियों और पत्नियों को चुनाव मैदान में उतारने की चल रही है तैयारी!* झारखंड डेस्क रांची :झारखंड विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही सभी दलों ने अपनी कमर कसकर मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है। लेकिन 'विरासत की सियासत' को चमकाने के लिए नेताओं ने गणेश परिक्रमा करना शुरू कर दिया है। सूबे के एक दर्जन से भी ज्यादा सांसद, विधायक, मंत्री और नेता अपने बेटे-बेटियों व पत्नियों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। उन्हें पार्टियों का टिकट दिलाने की लॉबिंग शुरू हो गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन को भाजपा घाटशिला से मैदान में उतारने जा रही है। कोल्हान प्रमंडल में चंपई सोरेन का काफी प्रभाव माना जाता है। उधर, संथाल परगना प्रमंडल की जामा सीट से तीन बार झामुमो की विधायक रहीं सीता सोरेन अब भाजपा में हैं। वह इस सीट पर अपनी पुत्री जयश्री सोरेन को भाजपा का टिकट दिलाना चाहती हैं। भाजपा के सामने दुविधा यह है कि इस सीट पर पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे सुरेश मुर्मू की भी मजबूत दावेदारी है। वहीं, झारखंड की मौजूदा कैबिनेट में नंबर दो की हैसियत वाले कांग्रेस कोटे के मंत्री रामेश्वर उरांव की उम्र 77 वर्ष है। उम्र के तकाजे के आधार पर उनका टिकट कट सकता है। ऐसे में वह अपने पुत्र रोहित उरांव को टिकट दिलाने की कोशिश में जुटे हैं। वह लोहरदगा से विधायक हैं। लेकिन इसी सीट पर कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत भी अपने पुत्र अभिनव भगत को उतारना चाहते हैं। अभिनव यूथ कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं और उन्होंने उम्मीदवारी की दावेदारी के साथ बायोडाटा पार्टी के पास जमा किया है। धनबाद जिले के बाघमारा से भाजपा के विधायक रहे ढुल्लू महतो अब सांसद बन चुके हैं। वह खाली हुई विधानसभा सीट पर अपनी पत्नी सावित्री देवी या पुत्र प्रशांत कुमार में से किसी एक के लिए टिकट के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। धनबाद जिले की ही सिंदरी सीट के भाजपा विधायक इंद्रजीत महतो गंभीर रूप से बीमार होकर साढ़े तीन साल से हॉस्पिटल के बिस्तर पर पड़े हैं। अब इस सीट पर उनकी पत्नी तारा देवी दावेदारी कर रही हैं। जबकि कोल्हान की मनोहरपुर सीट से झामुमो की विधायक रहीं जोबा मांझी लोकसभा चुनाव में चाईबासा सीट से जीतकर संसद पहुंच चुकी हैं। इस सीट पर उनके पुत्र उदय मांझी झामुमो टिकट के सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे हैं। वहीं, झामुमो के कद्दावर नेता और महेशपुर सीट से विधायक स्टीफन मरांडी अपनी पुत्री उपासना मरांडी को सियासत में लाना चाहते हैं। संभव है कि वह अपनी जगह बेटी को मैदान में उतारें। पलामू जिले की विश्रामपुर सीट से भाजपा के विधायक और पूर्व मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी भी अपने पुत्र ईश्वर सागर चंद्रवंशी को सियासी विरासत सौंपना चाहते हैं। इसी सीट से कई बार विधायक रहे और राज्य में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि उनका पुत्र अभय दुबे उनका सियासी उत्तराधिकारी होगा और वह विश्रामपुर से चुनाव लड़ेगा। जबकि हजारीबाग जिले की बरही सीट पर कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला अपने पुत्र रविशंकर अकेला को अपनी विरासत सौंपने की तैयारी कर रहे हैं। इस सीट पर पिता-पुत्र दोनों ने उम्मीदवारों की दावेदारी का आवेदन पार्टी को सौंपा है। इसी जिले की बड़कागांव सीट पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री विधायक योगेंद्र साव और उनकी विधायक पुत्री अंबा प्रसाद ने टिकट के लिए आवेदन दिया है। पलामू की हुसैनाबाद सीट से एनसीपी के विधायक और पूर्व मंत्री कमलेश सिंह भी अपने बेटे सूर्या सिंह को सियासी विरासत सौंपना चाहते हैं। पिछले साल एक कार्यक्रम में उन्होंने सार्वजनिक तौर पर इसका ऐलान भी किया था। उधर, डाल्टनगंज सीट से पांच बार विधायक-सांसद रह चुके दिग्गज नेता इंदर सिंह नामधारी ने पिछले चुनाव में अपने बेटे दिलीप सिंह नामधारी को मैदान में उतारा था। लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। दिलीप इस बार फिर मैदान में उतरेंगे, यह तय माना जा रहा है। इसी तरह सिमडेगा सीट पर चार बार विधायक रहे भाजपा के दिग्गज नेता निर्मल बेसरा के बेटे श्रद्धानंद बेसरा को पार्टी ने पिछले चुनाव में उतारा था और वह महज कुछ सौ वोटों के फासले से पराजित हो गए थे। इस बार फिर वह टिकट के मजबूत दावेदार हैं। ऐसे कई और नेता हैं जो अपने पुत्र-पुत्रियों को चुनावी मैदान में उतारकर अपनी धमक बरकरार रखना चाहते हैं।
इसबार के झारखंड विंधानसभा चुनाव में कई ऐसे चर्चित नए चेहरे होंगे मैदान में जिसपर रहेगी पूरे देश की नजर,आइए जानते हैं कौन हैं ये चेहरे...!

* झारखंड डेस्क झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा हो गयी है. चुनाव आयोग ने 2 चरण में राज्य में विधानसभा चुनाव करवाने का फैसला लिया है. पहले चरण के लिए 13 नवंबर और दूसरे चरण में 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. 23 तारीख को मतों की गिनती होगी. पूरे देश की नजर इस चुनाव पर है. हालांकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बीजेपी नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी सहित तमाम दिग्गजों के बीच कुछ ऐसे भी चेहरे हैं. जिन चेहरों पर पूरे देश की नजर रहेगी उनमें सबसे पहला नाम कल्पना मुर्मू सोरेन का आता है जिन्होंने बहुत ही कम समय में झारखंड की राजनीति में एक अलग पहचान बनायी है. इसी तरह जयराम महतो, बाबूलाल सोरेन और चंद्रदेव महतो पर भी पूरे देश की नजर रहेगी. *कल्पना सोरेन ने बहुत ही कम समय में किया अपने आपको स्थापित* झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने बहुत ही कम समय में झारखंड की राजनीति में अपने आपको स्थापित किया है. हेमंत सोरेन के सीएम बनने के बाद भी कल्पना सोरेन ने राजनीति से अपने आपको अलग रखा था. जब जेल जाने के कारण हेमंत सोरेन को पद छोड़ना पड़ा उस समय भी कल्पना सोरेन की राजनीति में डायरेक्ट एंट्री नहीं हुई थी. हालांकि बाद में गांडेय विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के माध्यम से उन्होंने राजनीति में एंट्री मारी. महज पिछले 4-5 महीने में ही कल्पना सोरेन ने अपने आपको पूरी तरह से राजनीति में स्थापित कर लिया है. सोशल मीडिया पर उनके हजारों की संख्या में फॉलोअर्स हैं. महिला वोटर्स के बीच भी उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है. सूत्रों के अनुसार मंइयां सम्मान योजना के पीछे भी कल्पना सोरेन की रणनीति ही बतायी जा रही है. इस विधानसभा चुनाव में पूरे देश की नजर कल्पना सोरेन पर होगी. कई विधानसभा सीटों पर अभी से ही उनकी सभा के लिए प्रत्याशियों की तरफ से तैयारी की जा रही है. *जयराम महतो ने पुराने मुद्दों को दी नई धार* जेएलकेएम के नेता जयराम महतो इस विधानसभा चुनाव में लगभग 1 दर्जन सीटों पर प्रभावी साबित हो सकते हैं. जयराम महतो ने झारखंड में स्थानीयता और भाषा जैसे मुद्दों के दम पर पिछले 2-3 सालों में छोटानागपुर और कोल्हान के कुछ क्षेत्रों में अपनी पकड़ बनायी है. हाल ही में उन्होंने अपनी पार्टी का भी गठन किया है. लोकसभा चुनाव में भी गिरिडीह सीट पर उन्होंने 3 लाख से अधिक वोट लाकर लोगों को चौका दिया था. कई अन्य सीटों पर भी उनके उम्मीदवारों ने अच्छा प्रदर्शन किया था. हालांकि हाल के दिनों में उनकी पार्टी में हुई टूट के कारण उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. युवाओं के बीच उनकी अच्छी पकड़ है. झारखंड की राजनीति में जयराम महतो की पार्टी को आजसू पार्टी के लिए खतरे के तौर पर देखा जा रहा है. *ए.के. रॉय की विरासत संभालने आगे आए हैं चंद्रदेव महतो* झारखंड अलग राज्य आंदोलन को 60,70 और 80 की दशक में ए.के. रॉय ने नई दिशा दी थी. उनके प्रयासों से ही स्थापित झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बढ़ चढ़कर झारखंड आंदोलन में हिस्सा लिया. एक दौर में शिबू सोरेन, बिनोद बिहारी महतो और ए.के रॉय की तिकड़ी की चर्चा देश भर में होती थी. ए.के. रॉय शिबू सोरेन के कट्टर प्रशंसक थे और वो झारखंड की कमान आदिवासियों के हाथ में जाए इसके सबसे बड़े पैरवीकार रहे थे. ए.के रॉय के निधन के बाद उनकी पार्टी का हाल ही में भाकपा माले में विलय हो गया. ए.के. रॉय की पार्टी के नेता रहे चंद्रदेव महतो, ए.के रॉय की परंपरागत सीट सिंदरी से इस चुनाव में भाकपा माले की टिकट पर उतरने वाले हैं. चंद्रदेव महतो बेहद ही इमानदार और ए.के. रॉय की ही तरह फक्कड़ स्वभाव के माने जाते हैं. चंद्रदेव महतो ने बतौर शिक्षक रहते हुए भी सिंदरी में जमकर काम किया और उन्होंने शिक्षक की नौकरी छोड़कर राजनीति में एंट्री ली है. उन तमाम पुराने मुद्दों को लेकर आगे बढ़ रहे हैं जिन्हें एक दौर में बिनोद बिहारी महतो, शिबू सोरेन और ए.के रॉय उठाते रहे थे. झारखंड की राजनीति में सिंदरी सीट इस चुनाव में चंद्रदेव महतो के द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों के कारण तेजी से चर्चित हो रहा है. राजनीति के जानकारों का मानना है कि भाकपा माले के इंडिया गठबंधन में शामिल होने के बाद उत्तरी छोटानागपुर के क्षेत्र में चुनाव परिणाम पर भी इसका असर पड़ सकता है. चंपाई के बेटे बाबूलाल सोरेन ने मान सम्मान को बनाया मुद्दा हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद जेएमएम की तरफ से झारखंड के मुख्यमंत्री बने चंपई सोरेन ने बाद में विद्रोह कर दिया और वो बीजेपी में शामिल हो गए. चंपई सोरेन के बीजेपी में एंट्री और जेएमएम में विद्रोह के पीछे सबसे बड़े सूत्रधार के तौर पर बाबूलाल सोरेन का नाम सामने आया. बाबूलाल सोरेन चंपई सोरेन के पुत्र हैं. उन्होंने चंपई सोरेन को सीएम पद से हटाने के जेएमएम के तरीके पर सवाल उठाया था और कहा जाता है कि बीजेपी के साथ दोस्ती के लिए भी पूरी कहानी के प्रमुख सूत्रधार वो रहे थे. बाबूलाल सोरेन के घाटशिला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा है. हालांकि बीजेपी की तरफ से प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं हुई है. लेकिन वो लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं. चंपई सोरेन के विधानसभा क्षेत्र में भी कार्यकर्ताओं की कमान बाबूलाल सोरेन के हाथ में ही लंबे समय से रही है. हालांकि जेएमएम की तरफ से उनके खिलाफ बड़ी तैयारी करने की योजना है. ऐसे में पूरे देश के लोगों की नजर है कि क्या बाबूलाल सोरेन राजनीति के मैदान में जोरदार एंट्री मार पाएंगे?