कौन हैं नोएल टाटा? जो रतन टाटा के बाद बने टाटा ट्रस्‍ट के चेयरमैन

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टाटा ट्रस्ट्स को नया चेयरमैन मिल गया है। रतन टाटा के निधन के बाद अब टाटा ट्रस्ट की कमान कौन संभालेगा इस सवाल का जवाब मिल गया है। रतन टाटा के उत्तराधिकारी की तलाश पूरी हो गई है। रतन टाटा के निधन के बाद अब टाटा ट्रस्ट की कमान नोएल टाटा संभालेंगे। टाटा ट्रस्ट के नए चेयरमैन को लेकर शुक्रवार को टाटा ट्रस्ट की अहम बैठक में यह फैसला हुआ। टाटा ट्रस्ट के बोर्ड ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से उन्हें अपना चेयरमैन चुना।

इस नियुक्ति के साथ ही नोएल सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के 11वें अध्यक्ष और सर रतन टाटा ट्रस्ट के छठे अध्यक्ष बन गए हैं। वह नवल एच. टाटा और सिमोन एन. टाटा के पुत्र और रतन टाटा के सौतेले भाई हैं। नोएल 40 से अधिक वर्षों से टाटा समूह से जुड़े हुए हैं। वह वर्तमान में टाटा ग्रुप की कई कंपनियों के बोर्ड में शामिल हैं। वह टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड, वोल्टास और टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के चेयरमैन और टाटा स्टील तथा टाइटन कंपनी लिमिटेड के वाइस-चेयरमैन हैं।

2010-11 में टाटा इंटरनेशनल के मैनेजिंग डायरेक्टर पद पर नियुक्ति के बाद से ही अटकलें लगनी शुरू हो गई थीं कि नोएल को रतन टाटा के बाद टाटा समूह के प्रमुख के रूप में तैयार किया जा रहा है। टाटा इंटरनेशनल विदेशों में पेश किए जाने वाले उत्पादों और सेवाओं के लिए टाटा समूह की शाखा है।

नोएल टाटा ने ससेक्स यूनिवर्सिटी (यूके) से ग्रेजुएशन किया है और फ्रांस में INSEAD से इंटरनेशनल एक्जीक्यूटिव प्रोग्राम (IEP) पूरा किया है। नोएल टाटा ने इससे पहले नेस्ले, यूके के साथ काम किया था। नोएल आयरिश नागरिक हैं और उनकी शादी पालोनजी मिस्त्री की बेटी आलू मिस्त्री से हुई है, जो टाटा संस में सबसे बड़े शेयरधारक थे। उनके तीन बच्चे हैं – लिआ, माया और नेविल।

दुनियाभर में इस्लामी शासन लाने का लक्ष्य! सरकार ने आतंकी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर पर लगाया प्रतिबंध

भारत सरकार ने गुरुवार को पैन-इस्लामिक संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (HuT) पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह संगठन, जिसकी स्थापना 1953 में यरुशलम में हुई थी, जिहाद और आतंकवादी गतिविधियों के जरिए भारत सहित दुनियाभर में इस्लामी राज्य और खिलाफत स्थापित करने का लक्ष्य रखता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में बताया कि HuT भोले-भाले युवाओं को आतंकवादी संगठनों, जैसे ISIS, में शामिल होने के लिए कट्टरपंथी बना रहा है और आतंकवादी गतिविधियों के लिए फंड जुटा रहा है।

गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति का पालन करते हुए, गृह मंत्रालय ने हिज्ब-उत-तहरीर को आतंकवादी संगठन घोषित किया है। उन्होंने बताया कि यह संगठन देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए गंभीर खतरा है। यह सोशल मीडिया और सुरक्षित मैसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल कर युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रहा है। साथ ही, इस संगठन के सदस्य 'दावा' बैठकों का आयोजन कर कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा दे रहे हैं।

अधिसूचना में कहा गया कि हिज्ब-उत-तहरीर का उद्देश्य भारत और अन्य देशों में लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकारों को उखाड़ फेंककर एक इस्लामी राज्य स्थापित करना है, जो भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली और आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है। केंद्र सरकार ने इस संगठन को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत प्रतिबंधित कर दिया है, जिससे यह प्रतिबंध प्रभावी होगा। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने हाल ही में तमिलनाडु में एचयूटी मामले में एक प्रमुख आरोपी को गिरफ्तार किया है, जो भारत विरोधी विचारधारा को फैलाने और अलगाववाद को भड़काने का प्रयास कर रहा था।

NIA ने अब तक इस मामले में कुल सात लोगों को गिरफ्तार किया है। एजेंसी का आरोप है कि ये लोग पाकिस्तान से सैन्य सहायता मांगकर भारत के खिलाफ जिहाद छेड़ने और कश्मीर को ‘आजाद’ कराने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे थे। 1953 में स्थापित यह समूह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका मुख्यालय लेबनान में है। यह संगठन दुनिया भर के 30 से अधिक देशों में सक्रिय है, जिनमें यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, कनाडा, और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। हिज्ब-उत-तहरीर का इतिहास यहूदियों और इजरायल के खिलाफ हमलों की प्रशंसा करने का रहा है। इस वजह से, जर्मनी, मिस्र, ब्रिटेन और कई मध्य एशियाई और अरब देशों सहित कई देशों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है।

अखिलेश यादव के घर के बाहर भारी फ़ोर्स तैनात, सपाई-कांग्रेसियों में गुस्सा, लखनऊ में बवाल, पुलिस ने लगाया बैरिकेड

'लोकनायक' जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर लखनऊ में राजनीति गर्मा गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जेपी सेंटर में जाकर श्रद्धांजलि देने का फैसला किया है, लेकिन सरकार ने उन्हें वहां जाने से रोक दिया है। जेपी सेंटर के प्रवेश द्वार पर टीन की बड़ी दीवार लगा दी गई है। अखिलेश यादव ने घोषणा की थी कि वह सुबह 10 बजे जेपी सेंटर जाकर प्रतिमा का माल्यार्पण करेंगे। इसके जवाब में लखनऊ पुलिस ने केंद्र के आसपास भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है।

अखिलेश यादव के आवास के बाहर बैरिकेडिंग लगा दी गई है, जिससे ट्रैफिक को बंद कर दिया गया है। पुलिस ने अखिलेश के आवास के दोनों ओर करीब 200 मीटर की दूरी पर बैरिकेड्स लगा दिए हैं, और केवल उनके सुरक्षाकर्मियों को ही आने-जाने की अनुमति दी गई है। समाजवादी पार्टी के नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, माता प्रसाद यादव, ने इस पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार समाजवादियों को जेपी सेंटर में क्यों जाने से रोकना चाहती है। उनका कहना है कि सरकार का यह कदम तानाशाही है, और वे केवल जयंती पर माल्यार्पण करने जाना चाहते थे।

इस मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अखिलेश और उनकी पार्टी के नेता केवल रात में सक्रिय क्यों होते हैं। दरअसल, अखिलेश कल रात को कई सपा कार्यकर्ताओं को लेकर जेपी सेंटर (JPNIC) पहुंच गए थे। इसको लेकर मनीष शुक्ला ने अखिलेश की गतिविधियों को बचकाना बताया। अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा और उनकी सरकार का हर काम नकारात्मक है और पिछली बार की तरह वे ‘जय प्रकाश नारायण’ की जयंती पर मूर्ति पर माल्यार्पण करने से समाजवादियों को रोक रहे हैं।

जेपी सेंटर के बाहर भारी सुरक्षा तैनात की गई है। पुलिस ने वाटर कैनन, आंसू गैस और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) के साथ महिला पुलिसकर्मियों को भी तैनात कर दिया है। पूरा मार्ग बैरिकेडिंग से बंद कर दिया गया है ताकि कोई व्यक्ति गेट तक न पहुंच सके। जॉइंट कमिश्नर स्वयं सुरक्षा बलों के साथ केंद्र पर मौजूद हैं और उन्होंने सड़क को पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया है।

लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने अखिलेश यादव के जेपी सेंटर के दौरे को लेकर एक पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि जेपी सेंटर अभी निर्माणाधीन है, जहां निर्माण सामग्री बिखरी हुई है और बारिश के कारण कीड़े-मकोड़े हो सकते हैं। चूंकि अखिलेश यादव को जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त है, इसलिए उनके दौरे के लिए यह सुरक्षित नहीं है।

पाकिस्तान के एक खदान में घुसे बंदूकधारी, की ताबड़तोड़ गोलीबारी, 20 मजदूरों को उतारा मौत के घाट

पाकिस्तान में एक बंदूकधारी ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसा कर 20 लोगों की जान ले ली है। खदान में काम करने वाले लोगों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई गईं। पाकिस्तान पुलिस ने इस घटना की जानकारी साझा की है। पुलिस की मानें तो हाथ में बंदूक लेकर खदान में घुसे एक शख्स ने धुंआधार फायरिंग शुरू कर दी। इस घटना में 20 मजदूरों की जान चली गई। वहीं 7 लोग गोली लगने के कारण बुरी तरह से घायल हैं।

यह हमला पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हुआ है। SCO सम्मेलन से ठीक पहले हुए इस हमले से न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि पूरी दुनिया में खलबली मच गई है। कुछ ही दिन में दुनिया के कई बड़े देशों के नेता पाकिस्तान में का रुख करने वाले हैं। ऐसे में बलूचिस्तान की खदान में हुए इस हमले ने हर तरफ हड़कंप मचा दिया है।

पुलिस ऑफिसर हिमांयु खान नासिर ने बताया कि गुरुवार की रात बलूचिस्तान के डंकी जिले में इस घटना को अंजाम दिया गया है। डंकी स्थित कोयले की खदान में एक बंदूकधारी आया और उसने सभी लोगों को एक-साथ खड़े होने का आदेश दिया। इसके बाद बंदूकधारी ने एक-एक करके सभी पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी। इस घटना में 20 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं 7 मजदूर गोली लगने से घायल हैं।

पाकिस्तान पुलिस का कहना है कि मरने वालों में ज्यादातर मजदूर बलूचिस्तान के पश्तून समुदाय से थे। इसके अलावा मृतकों में 3 अफगानी भी शामिल हैं। वहीं घायल मजदूरों में भी 4 मजदूर अफगानिस्तान के हैं।

पाकिस्तान में यह हमला शंघाई कॉपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) से ठीक पहले हुआ है। आगामी 16-17 अक्टूबर को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में यह सम्मलेन आयोजित होना है। भारतीय विदेश मंत्री एस.जयशंकर भी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए 15 अक्टूबर को पाकिस्तान जाएंगे। 9 सालों में भारतीय विदेश मंत्री की यह पहली पाकिस्तान यात्रा होगी। इससे पहले दिसंबर 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान गई थीं।

ANI की रिपोर्ट के अनुसार SCO समिट को लेकर इस्लामाबाद में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पाकिस्तान आर्मी का बेस कहे जाने वाले रावलपिंडी को 12 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक बंद कर दिया गया है। इसके अलावा इस्लामाबाद के रेस्टोरेंट से लेकर वेडिंग हॉल्स, कैफे और क्लब भी 5 दिनों के लिए बंद रहेंगे।

ये सत्य और झूठ की लड़ाई थी, ये भाजपा और एनसी के बीच नहीं थी..', जम्मू कश्मीर में चुनाव जीतकर बोले NC नेता सुरिंदर चौधरी

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में कांग्रेस-एनसी गठबंधन की जीत के बाद, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता सुरिंदर चौधरी ने कहा कि यह चुनाव भाजपा और एनसी के बीच मुकाबला नहीं बल्कि सत्य और झूठ के बीच लड़ाई थी। सुरिंदर चौधरी ने नौशेरा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना को 7,819 मतों से हराकर चुनाव जीता। मीडिया से बात करते हुए चौधरी ने जोर देकर कहा, "यह लड़ाई पीएम मोदी और फारूक अब्दुल्ला, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और फारूक अब्दुल्ला या भाजपा और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच नहीं थी। यह सच और झूठ के बीच थी। यह रविंदर रैना और सुरिंदर चौधरी के बीच थी... ऐसा लग रहा था कि यह चुनाव सिर्फ मेरे और रविंदर रैना के बीच नहीं था बल्कि मेरे और यहां के पूरे नागरिक प्रशासन के बीच था।"

कांग्रेस-एनसी गठबंधन ने केंद्र शासित प्रदेश में कुल 49 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल किया। एनसी को 42 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को छह सीटें मिलीं। इससे पहले, एनसी सांसद रूहुल्लाह मेहदी ने कहा कि सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उन्होंने मीडिया से कहा, "एक-दो दिन में सभी को सरकार गठन के बारे में पता चल जाएगा...सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।" इस बीच, जेकेएनसी के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जोर देकर कहा कि सरकार बनने के बाद जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए केंद्र सरकार से बातचीत करने के लिए प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "एक बार सरकार बन जाने के बाद उसे प्रस्ताव पारित करना चाहिए और फिर दिल्ली में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और अन्य मंत्रियों से बातचीत करनी चाहिए।"

उमर अब्दुल्ला ने आगे आश्वासन दिया कि वे लोगों के कल्याण के लिए उपराज्यपाल (एलजी) के साथ सामंजस्यपूर्ण सहयोग के लिए प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा, "हम एलजी और सरकार के बीच कोई बड़ा टकराव नहीं चाहते। इसके बजाय, हमारा लक्ष्य शांतिपूर्ण सहयोग और लोगों के लिए काम करना है जब तक कि हम एक राज्य के रूप में अपना सही दर्जा हासिल नहीं कर लेते। हम जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने की उम्मीद करते हैं।"

अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि सरकार की प्राथमिकताएं तय करना अभी जल्दबाजी होगी, क्योंकि पार्टी नेता और गठबंधन नेता का चयन अभी प्रतिनिधियों द्वारा नहीं किया गया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि आने वाली सरकार सभी नागरिकों के लिए काम करेगी, जिसमें भाजपा को वोट देने वाले और मतदान से दूर रहने वाले लोग भी शामिल हैं। अब्दुल्ला ने आगे कहा कि, "हम उन लोगों से बदला लेने वाले नहीं हैं जिन्होंने हमें वोट नहीं दिया। आने वाली सरकार कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, भाजपा और यहां तक ​​कि मतदान से दूर रहने वालों का भी प्रतिनिधित्व करेगी। श्रीनगर में केवल 20 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया - क्या हमें शेष 80 प्रतिशत लोगों की अनदेखी करनी चाहिए? वे भी शासन के लाभों के हकदार हैं। इसी तरह, जम्मू के लोग, जिन्होंने भाजपा को वोट दिया, उन्हें भी सरकार से लाभ उठाने का अधिकार है।"

2047 तक मिट जाएगा भारत का अस्तित्व..', आतंकी पन्नू की धमकी, आंदोलन भड़काने का प्लान

खालिस्तानी आतंकवादी संगठन 'सिख्स फॉर जस्टिस' (SFJ) के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू ने फिर से भारत की अखंडता के खिलाफ गंभीर धमकी दी है। अमेरिका में बसे पन्नू ने एक वीडियो जारी करते हुए 2047 तक भारत को कई टुकड़ों में बाँटने की बात कही है। उसने दावा किया कि 2047 तक भारत का कोई अस्तित्व नहीं रहेगा और इसका भूगोल बदल जाएगा। पन्नू की यह धमकी कनाडा के उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन के हालिया बयान के बाद आई, जिसमें मॉरिसन ने भारत की अखंडता और संप्रभुता का समर्थन किया था। इस बयान से पन्नू भड़क गया और उसने भारत के खिलाफ अपशब्द बोले।

अपने वीडियो में पन्नू ने SFJ के मिशन के बारे में बात करते हुए कहा कि 2024 से 2047 तक भारत को तोड़ने की योजना बनाई जा रही है। उसने दावा किया कि पंजाब के अलावा जम्मू-कश्मीर, असम, मणिपुर, और नागालैंड में भी अलगाववादी आंदोलन भड़काए जाएंगे ताकि भारत को खंडित किया जा सके। उसने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मदद की अपील की और चीनी सेना से कहा कि अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा मानते हुए उसे वापस ले लिया जाए। पन्नू ने दावा किया कि उसका संगठन SFJ अमेरिका और कनाडा में कानूनी सुरक्षा और संरक्षण में रहकर भारत के खिलाफ अपने एजेंडे को आगे बढ़ाएगा। उसने "2047: नॉन इंडिया" लिखे पोस्टर के सामने वीडियो बनाया, जिसमें वह यह बताने की कोशिश कर रहा था कि 2047 तक भारत का कोई अस्तित्व नहीं बचेगा। SFJ लंबे समय से पंजाब को भारत से अलग कर खालिस्तान नाम का एक स्वतंत्र देश बनाने की मांग कर रहा है। इसके लिए उसने एक अनौपचारिक वैश्विक जनमत संग्रह की पहल भी शुरू की है, लेकिन इस जनमत संग्रह को पंजाब के अंदर से कोई समर्थन नहीं मिला है। पंजाब के लोग खालिस्तान के विचार को खारिज कर चुके हैं, लेकिन पन्नू और उसके समर्थक इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उछालने की कोशिश करते रहते हैं।

भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में हाल ही में तनाव बढ़ा है, जिसका कारण कनाडा में खालिस्तानी समर्थक गतिविधियों का बढ़ना है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के नरम रुख से भारत ने नाराज़गी जताई थी, लेकिन डेविड मॉरिसन के हालिया बयान से लगता है कि कनाडा अब भारत की अखंडता का समर्थन कर रहा है, जिससे खालिस्तानी गुटों में हलचल मच गई है। यह ध्यान देने योग्य है कि पन्नू ने कुछ समय पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान का समर्थन किया था। जब राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों को कड़ा और पगड़ी पहनने या गुरुद्वारे जाने से रोका जा रहा है, आतंकी पन्नू ने इस बयान को अपनी खालिस्तान की मांग के समर्थन के रूप में पेश किया। हालांकि, भारत में ऐसी कोई घटना दर्ज नहीं की गई है जिसमें सिख समुदाय को इस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा हो। पन्नू ने राहुल गांधी के इस झूठे बयान का समर्थन करते हुए कहा कि इससे साबित होता है कि खालिस्तान की मांग सही है क्योंकि भारत में सिखों का उत्पीड़न हो रहा है। अब वही पन्नू, भारत के खिलाफ और भी खतरनाक बयान दे रहा है और चीन से भारत को नुकसान पहुंचाने में मदद मांग रहा है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां उसकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखे हुए हैं और उसकी धमकियों को गंभीरता से लिया जा रहा है।

चुनाव से पहले महायुति में तनाव! कैबिनेट की बैठक छोड़कर क्यों निकले अजित पवार

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महाराष्‍ट्र की सत्‍तारूढ़ महायुति (शिवसेना-बीजेपी-एनसीपी) सरकार में शायद सब कुछ टीक नहीं चल रहा है। राज्य में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। महायुति में तनाव की खबरें आ रही है। दरअसल, विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले गुरुवार को यह आखिरी कैबिनेट बैठक थी। उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार सिर्फ 10 मिनट के लिए बैठक में आये और रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने के फौरन बाद चले गए। उनके जाने के बाद ढाई घंटे तक चली बैठक में 38 फैसले ने लिये।

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले शिंदे सरकार दनादन कई बड़ी घोषणाएं कर रही है। दरअसल, आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। गुरुवार को इसी संदर्भ में मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्‍व में एक ऐसी ही कैबिनेट मीटिंग बुलाई गई। लेकिन जैसे ही मीटिंग शुरू हुई उसके 10 मिनट के भीतर ही डिप्‍टी सीएम और एनसीपी नेता मीटिंग छोड़कर चले गए। ऐसा तब हुआ जब उसके बाद भी मीटिंग करीब ढाई घंटे चली। उसमें वित्‍त विभाग के कई प्रोजेक्‍ट भी शामिल थे जिन पर फैसले हुए। जबकि वित्‍त विभाग का प्रभार अजित पवार के पास है।

द टाइम्‍स ऑफ इंडिया (टीओआई) की इस रिपोर्ट के मुताबिक कयास लगाए जा रहे हैं कि अजित पवार इस बात से नाराज थे कि अंतिम समय में अर्जेंट बेसिस पर मीटिंग में कई प्रस्‍तावों को रख लिया गया और इसका कोई सर्कुलर पहले से जारी नहीं किया गया था। वित्‍त विभाग ने कई मसलों पर आपत्तियां उठाई हैं जिनको कैबिनेट में पेश किया गया है।

अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि यह संभव है कि वह कुछ फैसलों से नाखुश थे और अंतिम समय में बिना पूर्व सूचना के कैबिनेट बैठक में बड़ी संख्या में जरूरी प्रस्ताव लाए गए थे। पिछले कुछ हफ्तों में वित्त विभाग ने कैबिनेट में लाए गए कई प्रस्तावों पर आपत्ति जताई थी। हालांकि बार-बार प्रयास करने के बावजूद अजित पवार से उनकी टिप्पणियों के लिए संपर्क नहीं किया जा सका।

बता दें कि विधानसभा चुनाव से पहले भूमि आवंटन, सब्सिडी और गारंटी को मंजूरी देने की होड़ मची हुई है। वित्त विभाग पहले ही चेतावनी दे चुका है कि 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटा 2 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। विभाग ने चेतावनी दी है कि राजकोषीय घाटा जीएसडीपी के 3% को पार कर गया है, जो कि महाराष्ट्र राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजटीय प्रबंधन अधिनियम द्वारा तय सीमा है।

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति में हालिया दिनों में शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी की टकराहट देखने को मिली है। 'लड़की बहन योजना' को लेकर दरार काफी दिनों से उभरी हुई है। शिवसेना शिंदे गुट के मंत्री ने योजना के विज्ञापनों और प्रचार सामग्री से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम "हटाने" के लिए सहयोगी एनसीपी और उसके अध्यक्ष अजित पवार के खिलाफ खुलेआम आपत्ति जताई गई। शिवसेना से राज्य के उत्पाद शुल्क मंत्री शंभूराज देसाई ने डिप्टी सीएम पवार द्वारा 'मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन' योजना को वस्तुतः "हाइजैक" करने का आरोप लगाया। इसके जरिये पात्र महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह देने की घोषणा की गई है। इस योजना का पूरा श्रेय अजित पवार की पार्टी ले रही है।

भारत पर ट्रंप के दो रुख़ः पहले की पीएम मोदी की तारीफ़, फिर साधा निशाना

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने फ‍िर से भारत की आलोचना की है। हालांकि, उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ की है। ट्रंप ने कहा है कि भारत, अमेरिका पर चीन से भी ज्यादा उत्पाद शुल्क लगाता है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी मेरे अच्छे दोस्त हैं लेकिन भारत हमसे बहुत ज्यादा टैरिफ वसूलता है जो मुझे पसंद नहीं है।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा क‍ि विदेशी वस्तुओं पर भारत की तरफ से सबसे ज्यादा टैक्स लगाया जाता है। डोनाल्ड ट्रम्‍प ने सत्ता में आने पर पारस्‍पर‍िक टैक्‍स लगाने का संकल्प दोहराते हुए आरोप लगाया कि सभी प्रमुख देशों में भारत विदेशी उत्पादों पर सबसे ज्‍यादा टैक्‍स लगाता है. उन्‍होंने कहा वह सत्‍ता में आने पर जैसे को तैसा टैक्‍स स‍िस्‍टम लाएंगे।

ट्रम्प ने डेट्रायट में प्रमुख आर्थिक नीति पर अपने भाषण में कहा, ‘शायद अमेरिका को फिर से असाधारण रूप से समृद्ध बनाने की मेरी योजना का सबसे अहम तत्व पारस्परिकता है। यह एक ऐसा शब्द है जो मेरी योजना में बहुत जरूरी है क्योंकि हम आमतौर पर शुल्क नहीं लगाते हैं। मैंने वह प्रोसेस शुरू क‍िया था वैन और छोटे ट्रक आदि के साथ, वह बहुत बढ़िया थी। हम वास्तव में शुल्क नहीं लगाते हैं। चीन 200 प्रतिशत शुल्क लगाएगा, ब्राजील भी बड़ा टैक्‍स वसूलता है। हालांकि, इनमें से सबसे अधिक शुल्क भारत लेता है।

इससे पहले सितंबर में भी ट्रंप ने कहा था, मोदी शानदार व्यक्ति हैं। कई नेता शानदार हैं। ये बिल्कुल भी पिछड़े हुए नहीं हैं। ट्रंप ने भले पीएम मोदी की तारीफ़ की है लेकिन भारत की नीतियों की आलोचना भी की। ट्रंप ने कहा कि भारत अमेरिका से आयात होने वाले वस्तुओं पर भारी टैक्स लगाता है और ख़ुद अमेरिका निर्यात करता है तो कोई टैक्स नहीं चाहता है। इसी मामले में ट्रंप ने भारत को नीतियों का दुरुपयोग करने वाला देश कहा था।

आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने इशारों में ड्रैगन को चेताया, जानें क्या कहा

#modisaidinindiaasean_summit

प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को लाओस की राजधानी वियनतियाने में ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। यहां बैठक को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, भारत हमेशा से ही आसियान देशों के बीच एकता को सपोर्ट करता रहा है। आसियान भारत के इंडो-पैसिफिक विजन और क्वाड को-ऑपरेशन के केंद्र में है।इस शिखर सम्मेलन में भारत ने एक बार फिर से चीन को सबक सिखा दिया। पीएम मोदी ने चीन का नाम लिए बगैर उसकी विस्तारवादी नीति पर जमकर प्रहार किया। पीएम मोदी ने साफ-साफ कहा कि हमारी अप्रोच विकासवाद की होनी चाहिए, न कि विस्तारवाद की।

दक्षिण चीन सागर को लेकर क्या बोले पीएम मोदी

शिखर सम्मेलन में पीएम मेदी ने कहा, 'भारत ने हमेशा ASEAN की एकता और केंद्रीयता का समर्थन किया है। ASEAN भारत के इंडो-पैसिफिक विजन और क्वाड सहयोग के केंद्र में भी है। भारत की "इंडो-पैसिफिक महासागरों की पहल'' और 'इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक'' के बीच गहरी समानताएं हैं। एक स्वतंत्र, खुला, समावेशी, समृद्ध और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक पूरे क्षेत्र की शांति और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। दक्षिण चीन सागर की शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के हित में है।'

समुद्री गतिविधियों पर चीन को सुनाया

पीएम मोदी ने कहा कि इस सम्मेलन में नेताओं ने कानूनी ढांचे के रूप में अनक्लोस के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि समुद्री गतिविधियां अन्क्लोस (UNCLOS) के तहत ही संचालित होनी चाहिए। फ्रीडम ऑफ नेविगेशन और एयर स्पेस सुनिश्चित करना जरूरी है। एक ठोस और प्रभावी कोड ऑफ कंडक्ट बनाया जाना चाहिए। इसमें क्षेत्रीय देशों की विदेश नीति पर अंकुश नहीं लगाए जाने चाहिए।

युद्ध को बीच ग्लोबल साउथ के देशों पर सबसे ज्यादा असर-पीएम मोदी

बिना नाम लिए चीन को नसीहत देते हुए पीएम मोदी ने अपने बयान में कहा कि हम शांतिप्रिय राष्ट्र हैं,जो एक-दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करते हैं। पीएम मोदी ने आगे कहा कि दुनिया भर में जारी अलग-अलग जंग का सबसे बुरा असर ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ रहा है। ऐसे में दुनिया में शांति बहाल करना बेहद जरूरी है। मैं बुद्ध की धरती से आता हूं। हमने हमेशा यही कहा है कि यह जंग का युग नहीं है।

भारत के भगोड़े पर भड़के पाकिस्तानी, जमकर सुनाई खरी-खोटी

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इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक इन दिनों पाकिस्तान में है। पहले तो पाकिस्तानियों ने इस कट्टरपंथी उपदेशक को सिर आंखों पर बैठाया और अब जमकर उसे खरी-खोटी सुना रहे हैं। दरअसल, इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक अक्सर अपने बयानों की वजह से विवादों में घिरा रहता हैं। अब पाकिस्तान में अपने हालिया बयानों के कारण आलोचना का सामना कर रहा है।खासकर उनके द्वारा महिलाओं पर दिए गए बयान पाकिस्तानी महिलाओं में गुस्सा भड़का है।नाइक के विवादास्पद बयानों की वजह उसके कुछ कट्टर अनुयायियों भी यह कहने लगे हैं कि इस्लामाबाद ने उसे देश में आमंत्रित करके 'बड़ी गलती' की है, वह भी एक 'राज्य अतिथि' के रूप में।

जाकिर नाइक के अलग-अलग शहरों में दिए जा रहे बयान उसकी आलोचना की वजह बन रहे हैं। खासतौर से महिलाओं पर जाकिर के बयान पाकिस्तान की औरतों को भड़का रहे हैं। जाकिर का एक और बयान अब पाकिस्तान में विवाद की वजह बन गया है, जिसमें उन्होंने गैरशादीशुदा लड़कियों को बाजारू कह दिया।

जाकिर नाइक से एक कार्यक्रम में दसवीं क्लास की बच्ची ने पूछा था कि इस्लाम मर्दों को चार शादी की इजाजत क्यों देता है। इस पर जाकिर ने कहा कि ये महिलाओं की हिफाजत के लिए है क्योंकि कुंवारी लड़कियों को लोग गलत निगाह से देखते हैं। जाकिर ने कह दिया किया कि बिना मर्द के बाहर घूमने वाली औरतों को पब्लिक प्रोपर्टी या बाजारू औरत की तरह देखा जाता है। जाकिर के इस बयान पर यूट्यूबर निमरा अहमद ने पाकिस्तान के आम लोगों से बात की है।

जाकिर नाइक के बयान पर पाकिस्तान की लड़कियों ने यूट्यूबर निमरा अहमद के साथ बातचीत के दौरान अपनी नाराजगी जाहिर की। एक लड़की ने कहा कि दसवीं की बच्ची के सवाल का जिस तरह से जवाब दिया गया, वह बेहद गलत था। उन्होंने यह भी कहा कि जाकिर नाइक को समझ नहीं है कि बच्चों से कैसे बात की जाए और उन्हें कैसे समझाया जाए। एक और लड़की ने कहा कि जाकिर नाइक का लड़कियां पब्लिक प्रॉपर्टी से जुड़ा बयान बहुत ही शर्मनाक है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जाकिर को कम से कम अपने घर की लड़कियों, बहनों और बेटियों के बारे में सोचना चाहिए और इस तरह की बातें करने से पहले समझना चाहिए कि वह किसी और की बेटी के बारे में क्या कह रहे हैं।

इससे पहले कराची में अपने एक लेक्चर के दौरान नाइक ने कहा, मैं पाकिस्तान आ रहा था, हमारा सामान 1000 किलोग्राम था। मैंने पीआईए के सीईओ से बात की. स्टेशन मैनेजर ने मुझसे कहा कि वह मेरे लिए कुछ भी करने को तैयार है। मैंने जवाब दिया, मेरे पास 500 से 600 किलोग्राम अतिरिक्त सामान है। उन्होंने मुझे 50 प्रतिशत छूट की पेशकश की। मैंने उनसे साफ कह दिया कि या तो सामान मुफ्त में जाने दें या रहने दें।

नाइक आगे कहा, भारत में मुझे मुफ्त में छोड़ दिया जाता है। वे मुझे देखते ही 1000-2000 किलो के लिए भी छूट दे देते हैं और यहां, पाकिस्तान में, मैं सरकार का मेहमान हूं, मेरे वीजा पर 'राज्य अतिथि' की मुहर लगी है लेकिन सीईओ मुझे 50 प्रतिशत की छूट दे रहे हैं।मुझे बुरा लग रहा है लेकिन यह सच है, पाकिस्तान में यही स्थिति है।

नाइक की यह टिप्पणी पाकिस्तानियों को पसंद नहीं आई और उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी जमकर आलोचना की।एक पाकिस्तानी कंटेंट क्रिएटर, साद कैसर, ने एक्स पर लिखा, 'जिसने भी जाकिर नाइक को आमंत्रित किया है, वह कृपया इसे दोबारा न बुलाएं!