इजरायली का एक और दुश्मन ढेर, एयर स्ट्राइक में हमास के प्रमुख रावी मुश्तहा की हुई मौत

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इजरायली से ने अपने एक और दुश्मन का खात्मा कर दिया है।मिडिल ईस्ट में जारी गंभीर तनाव के बीच इजरायल एक-एक कर अपने दुश्मनों को ढेर कर रहा है।हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को ठिकाने लगाने के बाद अब इजरायली सेना (आईडीएफ) ने हमास सरकार के प्रमुख रावी मुश्तहा के खात्मे का दावा किया है।आईडीएफ ने गुरुवार को रावी की मौत का ऐलान करते हुए कहा कि उसे कुछ महीने पहले हुए हवाई हमलों में मार दिया गया था। इजरायल ने ये दावा ईरान, फिलिस्तीन और लेबनान स्थित हिजबुल्लाह संग जारी जंग के बीच किया है।

गुरुवार को इजरायल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) और इजरायल सिक्योरिटीज अथॉरिटी (आईएसए) ने ऐलान किया कि उन्होंने तीन महीने पहले एक हवाई हमले में गाजा स्थित हमास सरकार के प्रमुख रावी मुश्तहा और उसके दो अन्य साथियों को मार गिराया है। इजरायली सेना ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है कि तीन महीने पहले गाजा में आईडीएफ और आईएसए के संयुक्त हमले में तीन हमास आतंकियों को मार गिराया था। इनमें गाजा में हमास सरकार के प्रमुख रावी मुश्तहा, हमास के राजनीतिक ब्यूरो और हमास की श्रम समिति में सुरक्षा विभाग संभालने वाला समेह अल-सिराज और हमास के सामान्य सुरक्षा तंत्र का कमांडर सामी औदेह शामिल हैं।

इजरायली सेना ने अपने बयान में कहा, 'रावी मुश्तहा ने याह्या सिनवार के साथ मिलकर हमास के सुरक्षा तंत्र की स्थापना की थी। रावी ने भी याह्या के साथ इजरायली जेल में सजा काटी थी। मुश्तहा ने गाजा पट्टी में युद्ध के दौरान हमास शासन पर नागरिक नियंत्रण बनाए रखा।

आईडीएफ ने करहा है कि उसकी वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने इन तीनों पर तब हमला किया थास जब वे उत्तरी गाजा में एक मजबूत अंडरग्राउंड बंकर में छिपे हुए थे। यह बंकर हमास कमांड और नियंत्रण केंद्र के रूप में काम कर रहा था। हमास के वरिष्ठ कमांडर इसके अंदर रह रहे थे। इसमें लंबे समय तक छिपे रहने के लिए हर तरह की सुख सुविधाएं थीं। इस बंकर का प्रबंधन हमास के सामान्य सुरक्षा तंत्र के वरिष्ठ सदस्यों द्वारा किया जाता था और यह मुश्तहा के नेतृत्व वाले हमास प्रमुखों के लिए एक ठिकाने के रूप में कार्य करता था।

इजरायली सेना ने कहा कि बंकर पर हमले और आतंकवादियों के खात्मे के बाद हमास ने इस वजह से मुश्तहा के मौत की पुष्टि नहीं कि क्योंकि उन्हें डर था कि इस खबर से आतंकवादी गुर्गों के मनोबल और कामकाज पर असर पड़ेगा।

भारत ने खारिज किया जापान का प्रस्ताव, 'एशियाई नाटो' पर असहमति की क्या है वजह?

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जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने एशिया में नाटो जैसा एक सैन्य गुट बनाने का प्रस्ताव रखा था। इसे लेकर भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि जापानी पीएम की ओर से 'एशियाई नाटो' के दृष्टिकोण से भारत सहमत नहीं है। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि जापान की सैन्य गठबंधनों की सोच से अलग, भारत अपने सहयोगियों के साथ स्वतंत्र रूप से काम करता है। उन्होंने कहा कि भारत के पास एक अलग इतिहास और सुरक्षा को लेकर अलग नजरिया है।

अमेरिका के वॉशिंगटन में ‘कार्नेगी एंडॉमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस' में एक कार्यक्रम के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत जापान की तरह सैन्य गठबंधनों पर निर्भर नहीं है और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए उसकी अपनी अलग रणनीति है। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, हम वैसे किसी रणनीतिक ढांचे के बारे में नहीं सोच रहे हैं। इशिबा के प्रस्ताव पर एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि भारत कभी भी किसी अन्य देश का औपचारिक सैन्य सहयोगी नहीं रहा है और यही स्थिति बनी रहेगी।

इससे पहले इशिबा ने कहा था कि वह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अपने देश के सामने आए सबसे गंभीर सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने के लिए मित्र देशों के साथ गहरे संबंध बनाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने एशियाई नाटो के निर्माण, अमेरिकी धरती पर जापानी सैनिकों को तैनात करने और यहां तक कि जापान के परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों, चीन, रूस और उत्तर कोरिया के खिलाफ निवारक के रूप में वॉशिंगटन के परमाणु हथियारों पर साझा नियंत्रण के लिए आह्वान किया है। इशिबा का तर्क है कि ये परिवर्तन चीन को एशिया में सैन्य बल का प्रयोग करने से रोकेंगे।

बता दें कि अमेरिका पहले ही एशियाई नाटो के विचार को खारिज कर चुका है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेल सुलिवन ने पिछले साल कहा था कि अमेरिका इंडो-पैसिफिक में नाटो बनाने पर विचार नहीं कर रहा है। इस महीने पूर्वी एशिया और प्रशांत के लिए अमेरिकी सहायक सचिव डैनियल क्रिटेनब्रिंक ने कहा कि ऐसी बात करना बहुत जल्दी होगी।

हरियाणा चुनाव: वोटिंग से दो दिन पहले सोनिया गांधी से मिलने पहुंची कुमारी सैलजा, क्या है मुलाकात की वजह
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हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। इससे पहले आज गुरुवार शाम को विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार थम जाएगा। प्रचार थमने से पहले सांसद कुमारी सैलजा ने सोनिया गांधी से मुलाकात की है। दरअसल, कुमारी सैलजा सोनिया गांधी से मिलने के लिए 10 जनपथ पहुंचीं और दोनों नेताओं के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई। मतदान से पहले कुमारी सैलजा का सोनिया गांधी से मिलना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सोनिया गांधी से मुकालात करने के बाद कुमारी सैलजा ने किसी से बात नहीं की। वो मीडिया से बात किए बगैर कार में वहां से निकल गईं। दोनों नेताओं की मुलाकात ने हरियाणा की राजनीति में हलचल मचा दी है। सैलजा और सोनिया की मुलाकात ऐसे समय हुई जब प्रदेश कांग्रेस में खटपट मची हुई है। प् हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी किसी से छिपी हुई नहीं है। कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा की नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। ऐसे में गुटबाजी से ही बचने के लिए कांग्रेस ने राज्य में किसी को सीएम का चेहरा नहीं बनाया।कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक रैली में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद कुमारी सैलजा का अपने हाथों से हाथ मिलवाया। इस दौरान राहुल गांधी हरियाणा की जनता को संदेश देना चाहते थे कि हरियाणा कांग्रेस में किसी भी प्रकार की कोई गुटबाजी नहीं है और कांग्रेस के सभी नेता मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। बता दें कि कुमारी सैलजा टिकट बंटवारे के बाद से पार्टी से नाराज चल रही थी। क्योंकि उनके गुट की टिकट बंटवारे में नहीं चली। सैलजा ने जिन नामों का ऐलान पब्लिक में किया था, उसे भी टिकट नहीं मिला। सैलजा बाबरिया के उन बयानों से नाराज थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि सांसद विधायकी का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। सैलजा का कहना था कि हाईकमान को ही फैसला करने का हक है। सैलजा हुड्डा गुट के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई उनपर टिप्पणियों से भी नाराज थी।
हरियाणा चुनाव: वोटिंग से दो दिन पहले सोनिया गांधी से मिलने पहुंची कुमारी सैलजा, क्या है मुलाकात की वजह

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हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। इससे पहले आज गुरुवार शाम को विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार थम जाएगा। प्रचार थमने से पहले सांसद कुमारी सैलजा ने सोनिया गांधी से मुलाकात की है। दरअसल, कुमारी सैलजा सोनिया गांधी से मिलने के लिए 10 जनपथ पहुंचीं और दोनों नेताओं के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई। मतदान से पहले कुमारी सैलजा का सोनिया गांधी से मिलना महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

सोनिया गांधी से मुकालात करने के बाद कुमारी सैलजा ने किसी से बात नहीं की। वो मीडिया से बात किए बगैर कार में वहां से निकल गईं। दोनों नेताओं की मुलाकात ने हरियाणा की राजनीति में हलचल मचा दी है। सैलजा और सोनिया की मुलाकात ऐसे समय हुई जब प्रदेश कांग्रेस में खटपट मची हुई है। प्

हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी किसी से छिपी हुई नहीं है। कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा की नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। ऐसे में गुटबाजी से ही बचने के लिए कांग्रेस ने राज्य में किसी को सीएम का चेहरा नहीं बनाया।कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक रैली में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद कुमारी सैलजा का अपने हाथों से हाथ मिलवाया। इस दौरान राहुल गांधी हरियाणा की जनता को संदेश देना चाहते थे कि हरियाणा कांग्रेस में किसी भी प्रकार की कोई गुटबाजी नहीं है और कांग्रेस के सभी नेता मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

बता दें कि कुमारी सैलजा टिकट बंटवारे के बाद से पार्टी से नाराज चल रही थी। क्योंकि उनके गुट की टिकट बंटवारे में नहीं चली। सैलजा ने जिन नामों का ऐलान पब्लिक में किया था, उसे भी टिकट नहीं मिला। सैलजा बाबरिया के उन बयानों से नाराज थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि सांसद विधायकी का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। सैलजा का कहना था कि हाईकमान को ही फैसला करने का हक है। सैलजा हुड्डा गुट के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई उनपर टिप्पणियों से भी नाराज थी।

सावरकर ब्राह्मण थे लेकिन गोमांस खाते थे’, कर्नाटक के मंत्री के विवादित बोल, चढ़ा सियासी पारा

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कर्नाटक के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री दिनेश गुंडुराव ने विनायक दामोदर सावरकर को लेकर एक विवादित बयान दिया है। मंत्री के बयान के बाद सियासी पारा चढ़ गया है। दिनेश गुंडुराव ने दावा किया है कि वीर सावरकर ब्राह्मण थे लेकिन वे खुलेआम गोमांस खाते थे और इसका प्रचार भी करते थे। उन्होंने कभी गोहत्या का विरोध नहीं किया। दिनेश गुंडुराव के इस दावे पर सियासी बवाल मच गया है।

दिनेश गुंडुराव ने कहा, सावरकर ब्राह्मण थे, लेकिन वे बीफ खाते थे और मांसाहारी थे। विनायक ने गौहत्या का विरोध नहीं किया। उन्होंने खुद की पहचान नॉन वेजिटेरियन के तौर पर की है। गुंडू राव ने कहा कि दूसरी तरफ मोहम्मद अली जिन्ना एक अलग तरह के चरमपंथ का प्रतिनिधित्व करते थे, हालांकि वे कभी भी हार्ड कोर इस्लामिस्ट नहीं थे, कट्टरपंथी नहीं थे।

इस दौरान मंत्री दिनेश गुंडुराव ने महात्मा गांधी का भी जिक्र किया। दिनेश गुंडूराव ने कहा कि गोडसे जैसा व्यक्ति जिसने महात्मा गांधी की हत्या की, वह कट्टरपंथी थे क्योंकि उनका मानना था कि वो जो कर रहे थे वह सही था। यह कट्टरवाद है। मान लीजिए कि कोई गोरक्षक जाता है और किसी को मारता है या पीटता है, तो वह यह नहीं सोचता कि वह कुछ गलत कर रहा है। यह सावरकर के कट्टरवाद का खतरा है। यह कट्टरवाद देश में बड़ी जड़ें जमा रहा है। गांधी एक धार्मिक व्यक्ति थे। सावरकर के कट्टरवाद का मुकाबला करने का असली तरीका गांधी के लोकतांत्रिक सिद्धांत और उनका दृष्टिकोण है। कट्टरवाद का मुकाबला किया जाना चाहिए।

कांग्रेस के लोग अज्ञानी- नकवी

दिनेश गुंडुराव के इस बयान के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। बीजेपी ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। दिनेश गुंडुराव के बयान पर आपत्ति जताते हुएमुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, कांग्रेस के लोग अज्ञानी है। इनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है।समाज इनको सीरियस नहीं लेता है। देश का बंटवारा करने वालों (जिन्ना) का महिमामंडन नहीं करना चाहिए।

राहुल गांधी ‘टुकड़े-टुकड़े’ की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे -अनुराग ठाकुर

बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने कहा है कि कांग्रेस झूठ की फैक्ट्री है। भारत वीर सावरकर का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा। देश के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले वीर सावरकर से कांग्रेस ने कभी कुछ नहीं सीखा। अनुच्छेद 370 कांग्रेस पार्टी द्वारा दिया गया था। यह जवाहरलाल नेहरू की गलती थी और हजारों लोग मारे गए। उन्होंने वीर सावरकर का अपमान करके यह दिखाया है कि वे कांग्रेस के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान नहीं करते हैं। देश को तोड़ने वालों को कांग्रेस पार्टी में शामिल कराकर राहुल गांधी ‘टुकड़े-टुकड़े’ की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं और वह बोलने वाले ‘आधुनिक जिन्ना’ हैं विदेश में देश की बुराई।

कौन है दिल्ली में कोकीन का कारोबार का “किंग”, 5 हजार करोड़ का ड्रग्स जब्त होने के बाद भाजपा हमलावर

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दिल्ली में नशे की सबसे बड़ी खेप बरामद हुई है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए मादक पदार्थों की अपने इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी खेप बरामद की है। इसकी कीमत 5 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। नशे का ये कारोबार राजधानी में दबे पैर चल रहा था।पुलिस को इसकी भनक तो पहले से ही थी, वह तो बस मौके का इंतजार कर रही थी कि सिर्फ खेप ही नहीं इसके तस्कर भी पकड़े जाएं। पुलिस ने जाल बिछाना शुरू कर दिया और मौका लगते ही इस गैंग पर छापा मार ड्रग्स की खेप के साथ तस्करों को भी धर दबोचा।

दिल्ली पुलिस ने एक अंतरर्राष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश कर चार मादक पदार्थ तस्कर तुषार गोयल, भरत कुमार जैन, औरंगजेब सिद्दीकी और हिमांशु कुमार को गिरफ्तार किया है। पुलिस को दिल्ली में एक्टिव संदिग्ध ड्रग कार्टल के खुफिया मैसेज को रिकॉर्ड करने के दौरान इंटरनेशनल ड्रग रैकेट की भनक लगी थी। पता चला कि विदेश से कोकीन की बड़ी खेप लाई जा रही है, इसको दिल्ली के साथ ही देश के दूसरे हिस्सों में पहुंचाया जाना था।

ड्रग की ये खेप पनामा पोर्ट से दुबई होते हुए गोवा पहुंची थी। सीक्रेट बातचीत के मुताबिक, इसको यूपी के हापुड़ और गाजियाबाद और फिर दिल्ली के महिपालपुर में पहंचना था। बस फिर क्या था, पुलिस ने जाल बिछाया और इसे पकड़ लिया।पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के पास से पहले 15 किलो कोकिन बरामद किया है बाद में इनकी निशानदेही पर महिपालपुर के गोदाम में छापा मारकर बाकी का ड्रग्स बरामद किया। पुलिस टीम के मुताबिक ये ड्रग्स 23 कार्टून और 8 यूएस पोलो शर्ट के कवर के अंदर छिपाकर रखी गई थी। इस रैकेट को मिडिल ईस्ट का हैंडलर ऑपरेट कर रहा था, दिल्ली में ये ड्रग्स अलग-अलग शहरों से पहुंची थी।

भाजपा ने इस मामले में कांग्रेस पर बड़ा आरोप लगाया है। भाजपा का कहना है कि तुषार दिल्ली प्रदेश कांग्रेस में आरटीआई सेल का हेड रहा है। भाजपा प्रवक्ता और सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने देश को बर्बाद करने में शामिल ड्रग डीलरों के साथ कथित संबंधों के लिए कांग्रेस की आलोचना की और मुख्य विपक्षी दल से स्पष्टीकरण मांगा।

भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, 'कल दिल्ली में 5,600 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की गई। यह मात्रा महत्वपूर्ण है क्योंकि यूपीए सरकार (2006-2013) के दौरान पूरे भारत में केवल 768 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की गई थी। 2014-2022 तक भाजपा सरकार ने 22,000 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की है। ड्रग सिंडिकेट का मुख्य आरोपी और किंगपिन तुषार गोयल भारतीय युवा कांग्रेस आरटीआई सेल का प्रमुख रहा है। कांग्रेस पार्टी का उसके (तुषार गोयल) साथ क्या संबंध है? क्या यह पैसा कांग्रेस पार्टी द्वारा चुनावों में इस्तेमाल किया जा रहा था? क्या कांग्रेस के कुछ नेताओं का ड्रग तस्करों से कोई समझौता है? कांग्रेस खासकर हुड्डा परिवार को जवाब देना चाहिए कि आपका तुषार गोयल से क्या संबंध है?'

ईरान के हमले से इजरायल को हुआ भारी नुकसान! एयरबेस तक पहुंची मिसाइलें, सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा

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ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर है। ईरान ने मंगलवार को इजराइल पर लगभग 200 मिसाइलें दागीं। इनमें से कई को इजराइल की वायु रक्षा प्रणाली ने रोक लिया, कुछ समुद्र में गिरीं, तथा अन्य ने धरती में गड्ढे कर दिए। ईरान का कहना है कि उसकी 90 फीसदी मिसाइलों ने अपने टारगेट को हिट किया है। ईरान द्वारा किए गए हमले में दो इजरायली एयरबेस, एक स्कूल का मैदान और मोसाद मुख्यालय के संदिग्ध क्षेत्र के निकट स्थित दो स्थान शामिल हैं। इसमें इजरायल को सबसे ज्यादा नुकसान नेवातिम एयरबेस और तेल नॉफ एयरबेस पर हुआ। हालांकि, इजराइल ने दावा किया है कि उसके मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने हमलों को नाकाम कर दिया।

इजरायल के सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक है नेगेव रेगिस्तान में मौजूद नेवातिम एयर बेस। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों ने इस एयरबेस पर नुकसान पहुंचाया है। सैटेलाइट तस्वीरों में यह खुलासा हो रहा है। इन तस्वीरों को प्लैनेट लैब्स की सैटेलाइट ने लिया है। जिसे समाचार एजेंसी एपी ने जारी किया है।

हालांकि सैटेलाइट तस्वीरों से यह स्पष्ट नहीं है कि इजरायली स्टेल्थ फाइटर जेट को नुकसान पहुंचा है या नहीं। वो उस हैंगर में थे या नहीं जिसपर मिसाइल हमले से ज्यादा नुकसान हुआ है। लेकिन एयरबेस पर कई क्रेटर यानी गड्ढे बने दिख रहे हैं, जो मिसाइलों की टक्कर से बने हैं।

नुकसान के दावों से इजराइल का इनकार

वहीं, इजरायल इस दावे को नकार रहा है। इजरायली सेना ने कहा कि हमले हुए हैं। मिसाइलें गिरी हैं। लेकिन उनसे किसी फाइटर जेट, विमान, ड्रोन, हथियार या जरूरी ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचा है। मिसाइल हमले में ऑफिस बिल्डिंग और मेंटेनेंस एरिया क्षतिग्रस्त हुआ है।

इजरायल के लिए कितना अहम है नेवातिम एयरबेस

नेवातिम एयरबेस नेगेव रेगिस्तान में स्थित नेवातिम एयरबेस, जहां इजरायल के एफ-35 लड़ाकू विमान स्थित हैं, को अप्रैल में ईरान के ड्रोन और मिसाइल हमले का निशाना बनाया गया था, जो दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमले के जवाब में किया गया था। यह इजरायल के सबसे बड़े रनवे में से एक है और इसमें अलग-अलग लंबाई के तीन रनवे हैं। यहां स्टील्थ लड़ाकू विमान, परिवहन विमान, टैंकर विमान और इलेक्ट्रॉनिक टोही/निगरानी के लिए मशीनें, साथ ही विंग ऑफ जियोन भी तैनात थे. इस एयरबेस पर ईरान का हमला मतलब इजरायल के लिए गहरी चोट के बराबर है। थोड़ा सा भी नुकसान इजरायल के लिए काफी भारी पड़ सकता है।

नेवातिम एयरबेस का इजरायल का क्या है महत्व?

नेवातिम एयरबेस एयर फोर्स बेस 8 के नाम से भी जाना जाने वाला यह बेस इज़रायली एयर फ़ोर्स (आईएएफ) का सबसे पुराना और मुख्य बेस है जो इजरायल के रेहोवोट से 5 किमी दक्षिण में स्थित है। तेल नॉफ में दो स्ट्राइक फ़ाइटर, दो हेलिकॉप्टर और एक यूएवी स्क्वाड्रन है। बेस पर फ़्लाइट टेस्ट सेंटर मनात और इज़राइल डिफेंस फ़ोर्स (आईएएफ) की कई विशेष इकाइयां भी स्थित हैं, जिनमें यूनिट 669 (हेलीबोर्न कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू (सीएसएआर) और पैराट्रूपर्स ब्रिगेड प्रशिक्षण केंद्र और उसका मुख्यालय शामिल हैं।

जंग के मुहाने पर खड़ा मिडिल ईस्ट, इजराइल-ईरान जंग में कौन देश किसके साथ?

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मध्यपूर्व में तनाव बढ़ा हुआ है।ईरान ने मंगलवार को इजरायल पर बड़ा हमला किया। ईरान ने इजरायल पर 180 से ज्यादा मिसाइलें दायर कीं। इस हमले को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान की बड़ी गलती बताया। उन्होंने कहा कि ईरान को इसकी कीमत चुकानी पड़े। इजरायली पीएम नेतन्याहू के इस बयान को ईरान के लिए खुली चेतावनी माना जा रहा है। ईरान के हमले के बाद मिडिल ईस्ट जंग के मुहाने पर आकर खड़ा हो गया।

मिडिल ईस्ट पिछले कई दशकों से अशांति की चपेट में रहा है। इस क्षेत्र में कई युद्ध और गृहयुद्ध हुए, जिसने क्षेत्र को एक नया आकार दिया। अक्टूबर 2023 में इजरायल और हमास के बीच जंग की शुरूआत हुई। इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच जारी संघर्ष का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस जंग में हमास के कई प्रमुख नेताओं और हिज्बुल्लाह के प्रमुख समेत ईरान के सीनियर कमांडरों को अपने अंदर समा लिया। ऐसे में अब ईरान भी जंग में कूद पड़ा है और क्षेत्र भयानक जंग की कगार पर है।आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में हालात बिगड़ सकते हैं।

करीब दो महीने पहले हमास नेता इस्माइल हनिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या हुई थी। जिसके बाद बीती 28 सितंबर को हिज़्बुल्लाह ने इसराइली हमले में अपने नेता हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की थी, उसके बाद से मध्य-पूर्व में संघर्ष और गंभीर होता जा रहा है। इजराइल हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर लेबनान में हमले जारी रखे हुए है और अब उसने हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर ज़मीन से सैन्य कार्रवाई भी शुरू कर दी है। हनिया की मौत के बाद ईरान ने फौरन कोई सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन एक अक्तूबर के ईरान के मिसाइल हमलों ने मध्य-पूर्व के इस संघर्ष को बढ़ा दिया है। इस बढ़ते संघर्ष पर अरब मुल्क़ के साथ ही दुनियाभर के कई देश स्पष्ट तौर पर बँटे हुए नज़र आ रहे हैं

अब जबकि जंग एक नया रूप अख्तियार करने की राह पर है, सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर मिडिल ईस्ट की इस जंग में कौन, किसके साथ खड़ा है?

इजराइल के खिलाफ इस्लामिक देशों को एकजुट करने के लिए ईरान ने पहले ही इन मुल्कों से इसराइल से व्यापार खत्म करने की अपील की थी। दूसरी तरफ अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश इसराइल के साथ खड़े हैं और इस युद्ध में उसकी मदद कर रहे हैं।

13 खाड़ी देश का रुख

मिडिल ईस्ट में कुल 18 देश हैं, इनमें से 13 अरब दुनिया का हिस्सा हैं। जानते हैं कि ईरान-इजरायल और लेबनान की जंग में इन 13 खाड़ी देश का रुख क्या है?

बहरीन: बहरीन ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि वह किस तरफ है। हालांकि इस देश के कुछ दल ईरान का समर्थन कर रहे हैं, इस देश ने 2020 से अपने संबध इजरायल से ठीक कर लिए थे।

ईरान: ईरान पूरी तरह से लेबनान के साथ खड़ा और हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत का बदले लेने के लिए इजरायल पर मंगलवार को 180 से ज्यादा मिसाइलें दागीं।

इराक: फिलहाल इस जंग से बाहर है, ईरान से इसकी दुश्मनी सभी जानते हैं, ईरान के इजरायल पर हमले का जश्न यहां भी लोगों ने मनाया।ईरानी समर्थित संगठनों ने इस हमले का समर्थन किया है। ईरान की मिसाइल सीरिया और इराक की हवाई सीमा को क्रॉस करके इजरायल में गिरीं।

फिलीस्तीन: 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर हमले किए थे। इसके बाद से इजरायल लगातार फिलिस्तीन और गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों को निशाना बना रहा है। हमास के समर्थन में ही लेबनानी संगठन हिजबुल्लाह इजरायल से जंग कर रहा है।

जॉर्डन: जॉर्डन ने खुद को इस जंग से अलग रखा हुआ है। जॉर्डन पीएम ने कहा है कि वो अपने देश को युद्ध का मैदान नहीं बनने देंगे। अरब मुल्क जॉर्डन की सीमा वेस्ट बैंक से मिलती है और यहां फिलिस्तीनी शरणार्थियों की बड़ी संख्या रहती है। इजराइल जब बना तो इस क्षेत्र की एक बड़ी आबादी भागकर जॉर्डन आ गई थी।

कुवैत: कुवैत ने कहा कि उसने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है। कुवैत ने यूएन में नेतनयाहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था।

लेबनान: इजराइल से सीधी जंग लड़ रहा है।

ओमान: इजराइल का विरोध करता रहा है। इसकी दोस्ती ईरान से भी है और यूएस से भी। शांति की अपील कर रहा है।

कतर: नसरल्लाह की मौत पर खामोश हैं, अभी तक कोई बयान नहीं दिया गया। हालांकि इस देश ने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है।

सऊदी अरब: सऊदी अरब ने भी खुद को जंग से दूर रखा है. सऊदी द्वारा इजराइल की निंदा तो की गई, लेकिन अभी तक किसी के साथ खुलकर नहीं आया है. यूएन में नेतन्याहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था.

सीरिया: इजराइल के खिलाफ रहा है, जंग लड़ता रहा है। इजरायल ने सीरिया में भी हमले किए हैं।

यूएई: नसरल्लाह की मौत पर खामोश है। कुछ भी नहीं बोल रहा है। इस देश ने 2020 से अपने संबध इजराइल से ठीक कर लिए थे।

यमन: इजरायल ने यमन में भी कई ठिकानों पर बमबारी की है।

अमेरिका और पश्चिमी देश

ये बात नई नहीं है कि फिलिस्तीन और इजराइल के संघर्ष में ज्यादातर पश्चिमी देशों का झुकाव इजराइल की तरफ रहा है। अब ईरान की बात करें तो इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान से पश्चिमी देशों ने दूरी बना ली है। अमेरिका के साथ साथ कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली आदि खुले तौर पर इजराइल के साथ हैं और अगर ईरान इजराइल पर हमला करता है, तो ये इजराइल को सैन्य मदद भी दे सकते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन ने पहले ही अपनी मौजूदगी मध्य पूर्व में बढ़ा दी है।

चीन-रूस किस तरफ जाएंगे?

इस पूरे तनाव के बीच दुनिया की नजरें चीन और रूस पर बनी हुई है। पिछले कुछ सालों में ईरान की चीन और रूस के साथ करीबी बढ़ी है। रूस और चीन के इजराइल के साथ सामान्य रिश्ते हैं, लेकिन चीन गाजा युद्ध के दौरान इजराइल के हमलों की निंदा करता रहा है और कुछ खबरों के मुताबिक वे हमास के नेताओं से भी संपर्क में है।

क्या होगा भारत का रूख?

इजराइल-ईरान संघर्ष के बीच भारत ने दोनों देश में रह रहे पने लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है। भारत इस मुद्दे पर शांतिपूर्ण समझौते के पक्ष में रहा है। हालांकि भारत ने साल 1988 में फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। लेकिन हाल के वर्षों में मध्य-पूर्व के हालात पर भारत किसी एक पक्ष की तरफ स्पष्ट तौर पर झुका नज़र नहीं आता है। पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजराइल के ख़िलाफ लाए गए एक प्रस्ताव में एक साल के अंदर गाजा और वेस्ट बैंक में इजराइली कब्ज़े को ख़त्म करने की बात कही गई थी।

सिंगापुर में पूर्व मंत्री को 12 महीने की जेल, भ्रष्टाचार के आरोप में ठहराए गए थे दोषी, जानें भारत से क्या कनेक्शन?

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सिंगापुर में भारतीय मूल के पूर्व परिवहन मंत्री एस. ईश्वरन को 12 महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। उन्हें लोक सेवक के तौर पर अपने दो व्यापारी मित्रों से सात साल में 403,300 सिंगापुर डॉलर मूल्य के उपहार लेने के आरोप में दोषी पाया गया था। 24 सितंबर को उपहार लेने और न्याय को अवरुद्ध करने के चार मामलों में 62 वर्षीय ईश्वरन को दोषी दोषी ठहराया गया था।

सजा सुनाने के दौरान जज विंसेंट हूंग ने कहा कि उन्होंने अभियोजन और बचाव पक्ष दोनों की ओर से सजा पर विचार किया, लेकिन वे दोनों स्थितियों पर सहमत होने में असमर्थ रहे।जज ने बताया कि पूर्व मंत्री ने उपहार लेकर अपने पद का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा कि ईश्वरन ने सार्वजनिक बयान देकर इन आरोपों को झूठा बताया था। जज ने आगे कहा, "प्रधानमंत्री को भेजी गई चिट्ठी में ईश्वरन ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए इसे झूठ बताया।

ईश्वरन के वकील दविंदर सिंह ने आठ महीने से अधिक की सजा न देने की दलीली दी थी। डिप्टी अटर्नी जनरल ताई वी शियोंग ने छह से सात महीने की सजा की मांग की। ईश्वरन के वकीलों ने सजा को सात अक्तूबर तक के लिए टालने और उन्हें उसी दिन शाम चार बजे अदालत में आत्मसमर्पण करने की मांग की।

ईश्वरन पर थिएटर शो, फुटबॉल मैच और सिंगापुर एफ1 ग्रैंड प्रिक्स, व्हिस्की, अंतरराष्ट्रीय उड़ानों और होटल में ठहरने समेत कीमती सामानों से संबंधित आरोप हैं। इसमें शामिल राशि SGD 400,000 (USD 300,000 से अधिक) से अधिक है। उसके पास से व्हिस्की और वाइन की बोतलें, गोल्फ क्लब और एक ब्रॉम्पटन साइकिल भी जब्त की गई। ईश्वरन के आरोप प्रॉपर्टी टाइकून ओंग बेंग सेंग और कंस्ट्रक्शन फर्म के मालिक लुम कोक सेंग के साथ उसके संबंधों से संबंधित हैं। हालांकि दोनों व्यवसायियों पर आरोप नहीं लगाए गए हैं।

संशोधित किए गए दो आरोपों में ओंग शामिल हैं, जो उस समय सिंगापुर जीपी के बहुसंख्यक शेयरधारक थे।संशोधित आरोपों में यह भी कहा गया है कि ईश्वरन को पता था कि सिंगापुर जीपी के माध्यम से ओंग सुविधा के प्रदर्शन से संबंधित था। सिंगापुर एफ1 ग्रैंड प्रिक्स 2022 से 2028 के लिए सिंगापुर जीपी और सिंगापुर पर्यटन बोर्ड (एसटीबी) के बीच समझौता, और यह ईश्वरन के मंत्री और एफ1 संचालन समिति के अध्यक्ष के रूप में आधिकारिक कार्यों से जुड़ा था। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मूल आरोपों में कहा गया था कि ईश्वरन ने भ्रष्ट तरीके से ओंग से ये उपहार प्राप्त किए, और ऐसा ओंग के व्यावसायिक हितों को आगे बढ़ाने के बदले में किया।

सहवाग बने कांग्रेस के “खेवनहार”, हरियाणा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी अनिरुद्ध चौधरी के लिए मांगा वोट

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हरियाणा में 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। शाम को 6 बजे चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा। इस बीच कोई भी उम्मीदवार अपने प्रचार-प्रसार में कमी नहीं छोड़ना चाहता। इसी कड़ी में बुधवार को पूर्व किक्रेटर वीरेंद्र सहवाग हरियाणा के तोशाम पहुंचे। यहां उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अनिरुद्ध चौधरी के लिए वोट मांगे।

सहवाग को क्रिकेट की दुनिया में अपनी धमाकेदार बल्लेबाजी के लिए जाना जाता था। साथ ही उनकी हाजिरजवाबी का भी हर कोई कायल है। ऐसे में जब सहवाग कांग्रेस कैंडिडेट के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे तो ठेठ हरियाणी में लोगों को ध्यान खींचा।सहवाग ने कहा कि लठ गाड़ रखा, इतनी आवाज तो स्टेडियम में ना आई जितनी अड़े आण लाग री है। अब ये आवाजा अनिरुद्ध चौधरी तक भी पहुंचेगी। अर अनिरुद्ध चौधरी ने आप लेके जाओंगे विधानसभा। चंडीगढ़ बैठाओंगे। मैं तो बस अपने बुजुर्गों से, ताऊ और ताइयां ने भाई-बहणा ते और सब ते कि 5 तारीख ने जब वोट डालन जाओ तब 1 नंबर पर अनिरुद्ध चौधरी का नाम आवेगा। बटन दबा के...मान लोंगे मेरी बात। अगर तम मान गए तो बाकी सब मान गए...राम-राम भाइयों।

वीरेंद्र सहवाग का ये वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। जिसमें वह जनता से अनिरुद्ध चौधरी के लिए वोट मांगने की अपील करते हुए दिख रहे हैं। इस दौरान वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि वे अपना फर्ज निभाने आएं हैं। जब कोई बड़ा भाई कोई काम करता है तो सभी को मिलकर उसकी मदद करनी होती है। सहवाग ने कहा कि अनिरुद्ध चौधरी ने जनता से जो वादे किए हैं, वो उन्हें जरूर पूरा करेंगे, क्योंकि उनके पास एडमिनिस्ट्रेशन चलाने का एक्सपीरियंस है।

तोशाम सीट पर भाई-बहन के बीच मुकाबला

बता दें कि तोशाम सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी और पोते अनिरुद्ध चौधरी के बीच मुकाबला है। श्रुति चौधरी, अनिरुद्ध चौधरी की चचेरी बहन हैं। श्रुति, किरण चौधरी की बेटी हैं तो वहीं अनिरुद्ध चौधरी बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष रणवीर सिंह महेंद्रा के बेटे हैं। इससे पहले श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद रह चुकी हैं।