खुलकर सामने सामने आई दो बड़ी शक्तियां, जवाब दिया तो पूरे इजरायल में करेंगे हमले, 200 मिसाइल दागने के बाद भी 'फायर मोड' में ईरान
अब तक जो लड़ाई बीते एक साल से इजरायल और हमास जैसे उग्रवादी संगठन के बीच चल रही थी। उसने अब विस्तार ले लिया है। एक तरफ बीते 10 दिनों से इजरायल की जंग हिजबुल्लाह से भी चल रही है और उसने लेबनान में ताबड़तोड़ हमले किए हैं तो वहीं ईरान ने भी इजरायल पर 200 मिसाइलें दाग दीं। इन मिसाइलों को इजरायल के आयरन डोम सिस्टम ने रोक लिया, लेकिन इस हमले ने दो बड़ी शक्तियों को आमने-सामने तो ला ही दिया है। हालात ऐसे हैं कि अमेरिका ने अतिरिक्त सैनिक भेजने का ऐलान कर दिया है तो वहीं इजरायल ने कसम खाई है कि या तो ईरान ही बचेगा या फिर हम ही रह जाएंगे।
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यही नहीं ईरान भी 200 मिसाइलों से हमला करने के बाद भी फायर मोड में ही दिख रहा है। ईरान के आर्मी चीफ जनरल मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी ने इजरायल को धमकी दी है कि यदि उसने ईरानी हमले के जवाब में ऐक्शन लिया तो फिर खामियाजा भुगतना होगा। ईरामी आर्मी चीफ ने कहा कि यदि अब इजरायल अटैक करता है तो हम उसके हर ठिकाने को टारगेट करेंगे। ईरान ने साफ कहा कि इजरायल के हर कोने में अब हमले करेंगे। मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी ने कहा कि अब इजरायल ने कुछ किया तो हम और बड़ा हमला करेंगे और उसके हर इलाके को निशाना बनाएंगे।
मंगलवार को ईरान की ओर से किए गए मिसाइल अटैक्स की फुटेज ईरानी मीडिया में खूब चल रही हैं। इसमें दिखाया गया है कि कैसे ईरान ने इजरायल के तीन मिलिट्री बेस को टारगेट करने की कोशिश की। इन हमलों में इजरायल का कोई खास नुकसान नहीं हुआ, लेकिन ईरान ने अरब और मुस्लिम जगत को यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह फिलिस्तीन और लेबनान की रहनुमाई कर रहा है। ईरान ने दावा किया है कि उसकी ओर से दागी गईं 90 फीसदी मिसाइलों ने टारगेट को हिट किया। इजरायली सेना ने कहा कि ईरान ने करीब 180 मिसाइलें दागीं, जिनमें से अधिकतर को बीच में ही रोक लिया गया।






भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल फ्रांस के यात्रा पर गए हुए हैं। इसी कड़ी में अजीत डोभाल की मुलाकात आज फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से हुई। इससे पूर्व अपनी यात्रा पर अजित डोभाल ने फ्रांस के सशस्त्र मंत्री सेबस्टियन लेकॉर्नू संग व्यापक चर्चा की थी। उनकी बातचीत का उद्देश्य द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को गहरा करना और अंतरिक्ष सहयोग को आगे बढ़ाना था। साथ ही उभरते हुए अंतरराष्ट्रीय भू-रातनीतिक परिदृश्य पर अंतर्दृष्टि साझा भी करना था। इजरायल और ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। पश्चिम एशिया में छिड़ी जंग के बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल फ्रांस पहुंचे। एनएसए डोभाल ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। इस दौरान फ्रांस के साथ रक्षा सौदों और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की गई। अजीत डोभाल ने फ्रांसीसी रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नु से मुलाकात की और रक्षा संबंधों को मजबूत बनाने पर जोर दिया। दोनों देश मेक इन इंडिया के तहत रक्षा उद्योग साझेदारी को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए। इसके अलावा, उन्होंने असैन्य परमाणु संबंधों पर भी चर्चा की। लेकोर्नु ने एक्स पर लिखा कि हमने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर चर्चा की। इस दौरान राफेल मरीन, स्कॉर्पीन पनडुब्बी और स्पेस क्षेत्र में द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर बात की। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय स्थिति, खासकर यूक्रेन पर भी बातचीत हुई। सवाल उठ रहा है डोभाल का फ्रांस जाना क्यों अहम है। इसकी वजह है भारत और फ्रांस के बीच होने वाली राफेल मरीन जेट डील। मौजूदा वक्त में भारत इंडियन नेवी के लिए 26 राफेल मरीन जेट खरीदने के लिए फ्रांस सरकार के साथ बातचीत कर रहा है। अगल डील पक्की हो जाती है तो बहुत जल्द भारत को राफेल एम फाइटर जेट मिल जाएगा। राफेल जहां भारतीय वायुसेना की ताकत में चार चांद लगा रहा है। वहीं, राफेल एम जेट इंडियन नेवी की ताकत को और बूस्ट करेगा। भारत और फ्रांस के बीच 26 राफेल मरीन जेट यानी समुद्री लड़ाकू विमानों के लिए डील हो रही है। यह डील करीब 50 हजार करोड़ रुपए की होगी। मैक्रों के साथ बातचीत में राफेल एम फाइटर जेट को लेकर भी डोभाल ने मुद्दा उठाया है। बता दें कि इससे पहले अजित डोभाल रूस की यात्रा पर थे, जहां उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन से मुलाकात की थी। रूस जाकर पुतिन से मुलाकात करने वाले अजीत डोभाल अब फ्रांस गए। उन्होंने फ्रांस में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की और कई अहम डील पर चर्चा की। अजीत डोभाल ने रूस-यूक्रेन जंग पर फ्रांस को पीएम मोदी का संदेश भी सुनाया है। साथ ही भारत कैसे रूस-यूक्रेन जंग खत्म कर सकता है, अजीत डोभाल ने मैक्रों को पूरा प्लान बताया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ पीएम मोदी की क्या-क्या बातचीत हुई, इससे एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को अवगत कराया।
अपने पड़ोसी देशों की हरकतों को देखते हुए भारत सेना लगातार अपनी ताकत बढ़ाने में जुटा हुआ है। इसी क्रम में भारत पाकिस्तान बॉर्डर पर एक नया एयरबेस बनाने जा रहा है जिसका नाम डीसा एयरफील्ड है। गुजरात के बनासकांठा में बनने वाले ये नया एयरबेस सीमा पर भारत के प्रहरी के तौर पर तैनात रहेगा। पाकिस्तान की सीमा से सिर्फ 130 किमी दूर गुजरात बनासकांठा जिले में स्थित डीसा शहर में बनने वाले भारतीय वायुसेना के नए स्टेशन का भारतीय रक्षा मंत्रालय ने सर्वेक्षण किया, जिसे ओब्सटेकल लिमिटेशन सरफेस सर्वे के रूप में जाना जाता है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने इस सर्वे का काम सिंगापुर की एक निजी कंपनी को सौंपा है। उसी के तहत सिंगापुर से डीए-62 प्रकार का एक छोटा विमान अहमदाबाद हवाई अड्डे पर पहुंचा। *1000 करोड़ का आएगा खर्च* इस एयरबेस के निर्माण कार्य के लिए 4,519 एकड़ जमीन आवंटित की गई है। इसे बनाने में करीब 1000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। वहीं रनवे 394 करोड़ की लागत से बनाया जाएगा। यहां आगे चलकर वायुसेना पश्चिमी सीमा पर किसी भी तरह के ऑपरेशंस को अंजाम दे सकती है। चाहे वह जमीन पर हो या फिर समुद्र में हो और इस तरह यह पश्चिमी सीमाओं पर किसी भी तरह के जरूरी हवाई सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार रहेगा। ताकि अहमदाबाद और वडोदरा जैसे अहम आर्थिक केंद्रों को दुश्मन के हमलों से बचाया जा सके। इसे कांडला पोर्ट और जामनगर रिफायनरी से पूर्व की दिशा में बनाया जा रहा है। *दुश्मन को मिलेगा मुंह तोड़ जवाब* एयरबेस के बनने के बाद वायुसेना की मौजूदगी अंतरराष्ट्रीय सीमा के काफी करीब तक होगी। किसी भी स्थिति में दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब दिया जा सकेगा। इस एयरबेस के निर्माण से गुजरात के आसपास के एयरबेस के बीच 355 किलोमीटर की दूर कम होगी। इसके चलते लड़ाकू विमानों की ऑपरेशन में बढ़ोतरी हो सकेगी। *भारतीय एयरफोर्स की क्षमता कई गुना बढ़ेगी* डीसा एयरफोर्स स्टेशन भुज एयरबेस और राजस्थान के उत्तरलाई एयरबेस के बीच की लंबी दूरी को कम कर देगा। डीसा एयरबेस के निर्माण से पाकिस्तान की मीरपुर खास और जैकोबाबाद की क्षमता के मुकाबले भारतीय एयरफोर्स की क्षमता कई गुना बढ़ेगी।
इजरायल और ईरान के बीच जंग के पूरे आसार नजर आ रहे हैं। ईरान ने इजरायल पर 200 से अधिक मिसाइलें दागी हैं। ईरान की ओर से की गई इस कार्रवाई के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान ने मिसाइल दागकर बहुत बड़ी गलती की है। वहीं, ईरान के इजराइल पर हमले के बाद आईडीएफ एक्टिव हो गया है। आईडीएफ के प्रवक्ता आरएडीएम. डैनियल हगारी ने कहा, ईरान की कई मिसाइलों को रोक लिया गया, लेकिन हम ईरान के इस हमले का जवाब देंगे। ईरान के इस हमले के बाद इजराइल एक्शन मोड में आ चुका है। इजराइल के आईडीएफ प्रवक्ता आरएडीएम डैनियल हगारी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक आधिकारिक बयान शेयर किया। आईडीएफ प्रवक्ता ने कहा, ईरान ने इजराइल पर 180 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों दागी। उन्होंने आगे कहा, ईरान के इस हमले में इजराइल के केंद्र में हमले हुए और दक्षिणी इजराइल में हमले हुए। आईडीएफ प्रवक्ता ने कहा, लेकिन ईरान की ज्यादातर मिसाइलों को रोक दिया गया। मिसाइलों को इजराइल और अमेरिका के रक्षात्मक गठबंधन ने रोक दिया। आईडीएफ प्रवक्ता ने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा, इस हमले के चलते ईरान को परिणाम भुगतने पड़ेंगे। हमारी रक्षात्मक और आक्रामक क्षमताएं हाई लेवल पर तैयार है। हमारे ऑपरेशन को अंजाम देने के प्लान तैयार है। हम इजराइल की सरकार के निर्देश के मुताबिक जवाब देंगे। सरकार जहां भी, जब भी और जैसे भी चुनेगी, हम तब ही ईरान को जवाब देंगे। द वॉल स्ट्रीट जर्नल की मंगलवार की रिपोर्ट में अरब अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा गया है कि ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजरायल ने तेहरान के परमाणु या ऑइल फैसिलिटी को निशाना बनाकर सीधे जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। इजरायली अधिकारियों ने कथित तौर पर इस बात पर जोर दिया कि हमले का जवाब देगा, भले ही हमले में ज्यादा नुकसान ना हुआ ओ। इजरायल की प्रतिक्रिया ये संकेत देती है कि ईरान की न्यूक्लियर साइट उसका निशाना हो सकती हैं। ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि तेहरान ने ‘बड़ी गलती’ की है और उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि मंगलवार रात को इजरायल पर किया गया ईरान का मिसाइल हमला ‘नाकाम’ रहा। पीएम नेतन्याहू ने कहा, इजरायल की एयर डिफेंस सिस्टम की बदौलत ईरान के हमले को विफल कर दिया गया, जो दुनिया में सबसे एडवांस है। उन्होंने अमेरिका को भी इसके लिए धन्यवाद दिया। ईरान के इस हमले के बाद इजराइल से लेकर अमेरिका एक्टिव मोड में आ गया है। राष्ट्रपति बाइडेन इजराइल के समर्थन में आ गए हैं। वहीं, राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार कमला हैरिस ने भी ईरान की इस अटैक के लिए निंदा की है। ईरान द्वारा इस्राइल पर लगभग 200 मिसाइलें दागे जाने के कुछ घंटों बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि, अमेरिका इजराइल का पूरी तरह से समर्थन करता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने हमले को लेकर रहा कि, मेरे निर्देश पर अमेरिका की सेना ने इस्राइल की रक्षा का सक्रिय रूप से समर्थन किया है और हम अभी भी इसके प्रभाव का आकलन कर रहे हैं। लेकिन अब जो हमें पता है कि ईरान का ये हमला पूरी तरह से विफल और अप्रभावी प्रतीत होता है। यह इजराइल की सैन्य क्षमता और अमेरिकी सेना का प्रमाण है।
Oct 02 2024, 17:19
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