सरायकेला : मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत उपायुक्त की अध्यक्षता में हुई जिला स्तरीय समिति की बैठक ।....

*समिति सदस्यों के सर्व सहमति से 72 आवेदन के स्वीकृति हेतु अनुमोदित करने के लिए गया निर्णय।*


सरायकेला : मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत उपायुक्त श्री रवि शंकर शुक्ला की अध्यक्षता में उनके कार्यालय कक्ष में जिला स्तरीय समिति की बैठक का आयोजन किया गया।

बैठक के दौरान जिला कल्याण पदाधिकारी श्री गोपी उरांव के द्वारा उपायुक्त सहित बैठक में उपस्थित समिति के अन्य सदस्यों को जानकारी दी गयी की वित्तीय वर्ष 2024 -25 में वर्तमान में मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत लाभ प्राप्त करने हेतु विभिन्न प्रखंड से जिला स्तर पर कुल 72 आवेदन प्राप्त हुए हैं। मौके पर उपायुक्त ने 72 आवेदनों का समिति के अन्य सदस्यों के साथ प्राप्त आवेदनों की समीक्षा करते हुए लाभुको को लाभ देने हेतु राज्य स्तर पर लाभुकों से सबंधित सूची भेजने को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दिए।


वही  उपायुक्त ने योजना के तहत प्रखंड स्तर पर लंबित आवेदनों का यथा शीघ्र निष्पादन करने, विभिन्न माध्यम से योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया गया।

इस बैठक में उप विकास आयुक्त श्री प्रभात कुमार बरदियार, परियोजना निदेशक आईटीडीए श्री आशीष अग्रवाल, जिला कल्याण पदाधिकारी श्री गोपी उरांव, जिला परिवहन पदाधिकारी श्री शंकराचार्य शामद समेत अन्य उपस्थित रहा ।
सरायकेला :स्वच्छता पखवाड़ा के अंतर्गत बोकारो रेलवे स्टेशन से रेलवे कॉलोनी तक वॉकथॉन, मानव श्रृंखला और प्रभात फेरी का आयोजन किया गया।..
सरायकेला : दक्षिण पूर्व रेलवे, आद्रा मंडल के विभिन्न स्टेशनों, कार्यालयों, रेलवे विद्यालयों और स्वास्थ्य इकाइयों में स्वच्छता पखवाड़ा "स्वच्छता ही सेवा-2024" के अंतर्गत अनेक गतिविधियों का आयोजन किया गया। इन गतिविधियों में स्वच्छता शपथ, मानव श्रृंखला, वॉकथॉन, प्रभात फेरी, निबंध प्रतियोगिता और सफाई अभियान शामिल थे। रेलवे बोर्ड द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से "स्वच्छता शपथ" भी दिलाई गई। स्वच्छता पखवाड़ा के अंतर्गत बोकारो रेलवे स्टेशन से रेलवे कॉलोनी तक वॉकथॉन, मानव श्रृंखला और प्रभात फेरी का आयोजन किया गया। इसी प्रकार, भोजुडीह स्वास्थ्य इकाई द्वारा भी मानव श्रृंखला का आयोजन किया गया। आद्रा मंडल के रेल सुरक्षा बल (RPF) के अधिकारियों और कर्मचारियों ने स्वच्छता शपथ ली, प्रभात फेरी निकाली। इस अवसर पर विभिन्न स्टेशनों एवं रेलवे आवासीय परिसरों पर गहन सफाई एवं जागरूकता अभियान चलाया गया । कार्यक्रम के दौरान अधिकारियों एवं कर्मचारिओं ने स्वच्छता के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने और सभी को अपने आसपास के क्षेत्रों को स्वच्छ रखने का आह्वान किया। इसके अतिरिक्त, दक्षिण पूर्व रेलवे मिश्रित हायर सेकेंडरी स्कूल (कैम्पस-II) द्वारा प्रभात फेरी निकाली गई । आद्रा मंडल के कार्मिक विभाग द्वारा इसी विद्यालय में "स्वच्छ भारत" विषय पर एक निबंध प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। इस प्रतियोगिता में विभिन्न कक्षाओं के छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतियोगिता के परिणामस्वरूप कक्षा 7 की सफिया आफरीन ने प्रथम पुरस्कार, कक्षा 8 के तौफीक खान ने द्वितीय पुरस्कार और कक्षा 7 की सुप्रिया कुमारी ने तृतीय पुरस्कार प्राप्त किया।
सरायकेला : आद्रा मंडल द्वारा कोई ट्रैन 2 oct को पुरुलिया -कोटशीला खंड पुरुलिया -गौरीनाथधमके बीच, ब्लॉक रहेगा।...
सरायकेला : आद्रा मंडल ने  अगामी 2 अक्टूबर बुधवार के दिन पुरुलिया -कोटशीला खंड पुरुलिया -गौरीनाथधाम के बीच स्तिथ LC No. PK-03 पर LHS (लिमिटेड हाईट सबवे) कार्य हेतु RCC बॉक्स स्लैब के लॉन्चिंग के लिए 06 घंटे का ट्रैफिक-कम-पावर ब्लॉक निर्धारित किया है।

यह ब्लॉक सुबह 10:15 बजे से लेकर शाम 16:15 बजे तक जारी रहेगा। इस ब्लॉक के कारण कुछ ट्रेनों की सेवाओं पर असर पड़ेगा।

रद्द की गई गाड़ियां:

1. 18602/18601 (हटिया -टाटा-हटिया ) मेमू 02 अक्टूबर को रद्द रहेगी।

2. 18019/18020 (झारग्राम - धनबाद - झारग्राम ) मेमू 02.10.2024 को रद्द रहेगी।

3. 08641/08642 (आद्रा -बरकाखाना- आद्रा) मेमू दिंनाक:-02.10.2024 को रद्द रहेगी।



4. 03598/03597 (आसनसोल-रांची- आसनसोल) मेमू 02.10.2024 को रद्द रहेगी।

आंशिक रूप से समाप्त/प्रारंभ होने वाली गाड़ियां । 1. 18035/18036 (खड़गपुर - हटिया - खड़गपुर ) एक्सप्रेस दिनांक:-02.10.2024 को आद्रा में शार्ट टर्मिनटेड/ शार्ट ओरिजिनटेड होंगी। इस दौरान इस ट्रेन की परिसेवा आद्रा- हटिया -आद्रा के बीच इसकी सेवा रद्द रहेगी।
सरायकेला : आद्रा मंडल में हिंदी पखवाड़ा का समापन  एक विशेष राजभाषा बैठक के साथ सफलतापूर्वक हुआ। इस कार्यक्रम ....
सरायकेला : आद्रा मंडल में हिंदी पखवाड़ा का समापन  एक विशेष राजभाषा बैठक के साथ सफलतापूर्वक हुआ। इस कार्यक्रम में श्री सुमित नक्ला, मंडल रेल प्रबंधक, उपस्थित थे और उन्होंने मंडल राजभाषा कार्यान्वयन समिति की 141वीं बैठक की अध्यक्षता की। बैठक की शुरुआत श्री विकास कुमार, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक और राजभाषा अधिकारी, आद्रा द्वारा मंडल रेल प्रबंधक, अतिरिक्त मंडल रेल प्रबंधक और सभी प्रतिभागी शाखा अधिकारियों का स्वागत करने के साथ हुई। कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण आकर्षण मंडल पत्रिका "जयचंदी" के 2024 संस्करण का विमोचन था। यह पत्रिका मंडल के साहित्यिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों को प्रदर्शित करती है। इसके बाद, श्री नक्ला ने हिंदी पखवाड़े के दौरान आयोजित विभिन्न हिंदी प्रतियोगिताओं, जैसे निबंध लेखन, नोट-मेकिंग, ड्राफ्ट लेखन और हिंदी भाषण के विजेताओं को नकद पुरस्कार और प्रशंसा प्रमाण पत्र प्रदान किए। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को मंडल के भीतर हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के अपने प्रयास जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। पिछली बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुसार, मुंशी प्रेमचंद के जीवन और कार्यों पर एक संक्षिप्त पावरपॉइंट प्रस्तुति प्रस्तुत की गई। राजभाषा विभाग के सराहनीय कार्य से प्रभावित होकर, श्री नक्ला ने विभाग को 10,000/- रुपये का नकद पुरस्कार घोषित किया। श्री उमा शंकर सिंह, वरिष्ठ अनुवादक ने पिछली बैठक में लिए गए निर्णयों के कार्यान्वयन पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। बैठक में कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे, जिनमें अतिरिक्त मंडल रेल प्रबंधक और अतिरिक्त मुख्य राजभाषा अधिकारी, श्री के. रण घोष शामिल थे। अंत में, श्री विकास कुमार ने सभी प्रतिभागियों को बैठक में सक्रिय भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया।
विश्व शाकाहारी दिवस पर आंदोलन लोगों को शाकाहार अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इनमें से कुछ आंदोलन पर्यावरणीय जागरूकता और पशु अधिकारों से ....
विश्व शाकाहार दिवस आज  प्रत्येक बर्ष की तरह 1 अक्टूबर को विश्व शाकाहारी दिवस मनाया जाता है। यह दिन उन सभी लोगों के लिए समर्पित है, जो शाकाहारी जीवनशैली को अपनाते हैं और इसे बढ़ावा देते हैं। शाकाहार न सिर्फ हमारी सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह पर्यावरण और पशु कल्याण के लिए भी आवश्यक है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य शाकाहार के लाभों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और लोगों को इसे अपनाने के लिए प्रेरित करना है। विश्व शाकाहारी दिवस कब है?


विश्व शाकाहारी दिवस 1 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह दिन पूरी दुनिया में शाकाहार के प्रति जागरूकता बढ़ाने और लोगों को शाकाहारी जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

विश्व शाकाहारी दिवस का इतिहास ।


विश्व शाकाहारी दिवस की शुरुआत 1977 में नॉर्थ अमेरिकन वेजिटेरियन सोसाइटी द्वारा की गई थी, और अगले ही साल 1978 में इसे इंटरनेशनल वेजिटेरियन यूनियन ने भी मान्यता दी। इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य है लोगों को शाकाहारी भोजन के स्वास्थ्य लाभों के प्रति जागरूक करना, और साथ ही यह भी बताना कि कैसे शाकाहार पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।

शाकाहारी जीवनशैली के स्वास्थ्य लाभ ।


शाकाहारी भोजन से जुड़ी अनेक स्वास्थ्य सुविधाएं हैं, जिनमें हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मोटापे जैसी बीमारियों के जोखिम में कमी शामिल है। शाकाहारी भोजन में फल, सब्जियाँ, अनाज, और फलियों का समावेश होता है, जो हमारे शरीर को आवश्यक पोषण प्रदान करते हैं। हृदय स्वास्थ्य: ---------------------- शाकाहार हृदय रोग के जोखिम को कम करने में सहायक है। पौधे-आधारित आहार से कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करना आसान होता है।

वजन घटाना:  शाकाहारी भोजन कैलोरी में कम और फाइबर में उच्च होता है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है। डायबिटीज नियंत्रण: शाकाहारियों में टाइप 2 डायबिटीज की संभावना कम होती है। यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है।

कैंसर का खतरा घटाएं:शाकाहारी भोजन में एंटीऑक्सीडेंट्स अधिक होते हैं, जो शरीर को कैंसर जैसे रोगों से बचाते हैं।


पर्यावरण पर शाकाहार का प्रभाव ।


शाकाहारी जीवनशैली अपनाने से न केवल हमारी सेहत बेहतर होती है, बल्कि पर्यावरण पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मांस उत्पादन में पानी, ऊर्जा और भूमि की अधिक खपत होती है, जबकि शाकाहार से इन संसाधनों की बचत होती है।

पानी की बचत:  मांस उत्पादन के लिए बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है, जबकि शाकाहारी खाद्य पदार्थों के उत्पादन में इसकी खपत काफी कम होती है।


कार्बन फुटप्रिंट: शाकाहारी जीवनशैली कार्बन फुटप्रिंट को कम करती है, क्योंकि मांस उत्पादन के लिए अधिक ऊर्जा और संसाधनों की जरूरत होती है।


भूमि संरक्षण:  पशुधन पालन के लिए बहुत अधिक भूमि की जरूरत होती है, जबकि शाकाहार अपनाने से भूमि का संरक्षण किया जा सकता है और जंगलों की कटाई भी रोकी जा सकती है।


शाकाहार अपनाने के सामाजिक और नैतिक पहलू

शाकाहारी जीवनशैली न केवल स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह नैतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। शाकाहार से पशु हिंसा को रोका जा सकता है और पशुओं के प्रति दयालुता का संदेश फैलाया जा सकता है।


पशु कल्याण:शाकाहार पशु कल्याण को बढ़ावा देता है। मांस उत्पादन के लिए हर साल लाखों जानवरों को मारा जाता है। शाकाहार अपनाकर हम इस क्रूरता को कम कर सकते हैं।


मानवता का संदेश:  शाकाहार मानवता का प्रतीक है, जो करुणा, दयालुता और सद्भावना का संदेश देता है। शाकाहारी जीवनशैली से हम अन्य प्राणियों के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा कर सकते हैं।


विश्व शाकाहारी दिवस क्यों मनाया जाता है ? विश्व शाकाहारी दिवस 1 अक्टूबर को मनाया जाता है, और इसका उद्देश्य शाकाहारी जीवनशैली के स्वास्थ्य, पर्यावरणीय, और नैतिक लाभों के प्रति जागरूकता फैलाना है। इस दिन को 1977 में नॉर्थ अमेरिकन वेजिटेरियन सोसाइटी द्वारा शुरू किया गया था और 1978 में इंटरनेशनल वेजिटेरियन यूनियन द्वारा इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली। विश्व शाकाहारी दिवस मनाने का मुख्य कारण शाकाहार के लाभों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।


इसके कई उद्देश्य हैं: स्वास्थ्य लाभ: शाकाहारी भोजन स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। यह हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, और मोटापे जैसी बीमारियों को कम करने में मदद करता है।


पर्यावरण संरक्षण: शाकाहारी जीवनशैली पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है। मांस उत्पादन में अत्यधिक संसाधनों की खपत होती है, जैसे कि पानी और ऊर्जा, जबकि शाकाहारी भोजन पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।


पशु कल्याण:  शाकाहार अपनाने से पशु हिंसा में कमी आती है और इससे पशुओं के अधिकारों को भी बढ़ावा मिलता है। मानवता और करुणा: यह दिन हमें सभी जीवों के प्रति दया और करुणा की भावना को अपनाने की प्रेरणा देता है, जो एक बेहतर समाज के निर्माण में सहायक हो सकती है। विश्व शाकाहारी दिवस कैसे मनाया जाता है?

विश्व शाकाहारी दिवस पर दुनिया भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ये कार्यक्रम शाकाहार को बढ़ावा देने और लोगों को इसके महत्व को समझाने के लिए होते हैं।

खानपान के आयोजन:कई शाकाहारी संगठनों द्वारा फूड फेस्टिवल, सेमिनार और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां लोग शाकाहारी भोजन का आनंद लेते हैं और शाकाहारी भोजन की विविधताओं को पहचानते हैं।

शाकाहारी व्यंजनों की प्रतियोगिताएं: इस दिन शाकाहारी व्यंजनों की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं, जहां लोग विभिन्न प्रकार के पौष्टिक और स्वादिष्ट शाकाहारी व्यंजनों का आनंद लेते हैं।

जागरूकता अभियान:  कई सामाजिक संगठनों द्वारा इस दिन जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, जिनमें शाकाहार के स्वास्थ्य और पर्यावरणीय लाभों पर ध्यान केंद्रित किया जाता हे।


विश्व शाकाहारी दिवस का महत्व , विश्व शाकाहारी दिवस का महत्व कई पहलुओं से जुड़ा हुआ है। यह दिन शाकाहार को बढ़ावा देने, इसके स्वास्थ्य और पर्यावरणीय लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने, और पशु कल्याण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। शाकाहारी जीवनशैली अपनाने से न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य में सुधार होता है,


बल्कि यह हमारे पर्यावरण और समाज पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। स्वास्थ्य लाभ: शाकाहारी आहार में पौष्टिक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है, जो हमें स्वस्थ जीवन जीने में मदद करती है। हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, और मोटापे जैसी बीमारियों का खतरा शाकाहार अपनाने से कम हो जाता है।

पर्यावरणीय संरक्षण:  शाकाहार मांसाहार की तुलना में पर्यावरण पर कम दबाव डालता है। इससे जल, ऊर्जा और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की बचत होती है। शाकाहारी जीवनशैली अपनाने से कार्बन फुटप्रिंट भी कम होता है,
जो पर्यावरणीय संरक्षण के लिए अहम है। पशु कल्याण: विश्व शाकाहारी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि पशुओं के प्रति दयालुता और करुणा दिखाना आवश्यक है। शाकाहारी जीवनशैली अपनाने से हम पशुओं की हिंसा को कम कर सकते हैं और उन्हें बेहतर जीवन जीने का अवसर दे सकते हैं।

मानवता और नैतिकता:  शाकाहारी जीवनशैली मानवता का प्रतीक है, जो करुणा, दया और समानता का संदेश देती है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि हम सभी जीवित प्राणियों के प्रति संवेदनशीलता दिखाएं और नैतिक रूप से सही चुनाव करें।


भारत में शाकाहारी जीवनशैली का महत्व । भारत एक ऐसा देश है, जहां शाकाहारी भोजन का महत्व बहुत अधिक है। धार्मिक और सांस्कृतिक कारणों से लाखों भारतीय लोग शाकाहारी भोजन को अपनाते हैं। जैन धर्म, बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म में शाकाहार को एक महत्वपूर्ण जीवनशैली के रूप में देखा जाता है।

धार्मिक दृष्टिकोण:- भारत में विभिन्न धर्मों, जैसे हिंदू, जैन, और बौद्ध धर्म, में शाकाहारी जीवनशैली को अत्यधिक महत्त्व दिया जाता है। ये धर्म अहिंसा के सिद्धांत पर आधारित हैं, जो शाकाहार को प्रोत्साहित करते हैं।

पारंपरिक आहार: भारत में सदियों से पारंपरिक आहार में शाकाहारी भोजन का प्रमुख स्थान रहा है। विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार के शाकाहारी व्यंजन मिलते हैं, जो न केवल पौष्टिक होते हैं, बल्कि स्वादिष्ट भी होते हैं।

शाकाहारी आंदोलन: शाकाहारी आंदोलन लोगों को शाकाहार अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इनमें से कुछ आंदोलन पर्यावरणीय जागरूकता और पशु अधिकारों से जुड़े हैं।
शाकाहारी जीवनशैली अपनाने के लिए सुझाव । यदि आप शाकाहारी जीवनशैली अपनाने की सोच रहे हैं, तो इसे शुरू करने के लिए यहां कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं:

धीरे-धीरे शुरुआत करें:- शाकाहारी जीवनशैली को धीरे-धीरे अपनाएं। पहले कुछ दिन मांसाहार को कम करें और फिर धीरे-धीरे शाकाहारी भोजन को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।

नए व्यंजनों का आनंद लें: -शाकाहारी भोजन उबाऊ नहीं है। विभिन्न प्रकार के शाकाहारी व्यंजन बनाकर उनका आनंद लें और अपनी डाइट को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाएं।




सरायकेला : स्वच्छता अभियान के दौरान 3 किलोमीटर की दौड़ की शुरुआत से पहले स्वच्छता को लेकर सपथ लिया ।....


सरायकेला : जिला के आदित्यपुर नगर निगम द्वारा स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा यह अभियान 15 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक चलेगा जिसके तहत नगर निगम ने आदित्यपुर फुटबॉल मैदान के समीप एक मंच में एक साथ अपने अधिकारी पाधिकारी कमर्चारियों के साथ शहरवासी समाजसेवी ओर अपने पार्टनर श्रीनाथ यूनिवर्सिटी के चेयरमैन संजय महतो अपर नगर आयुक्त रवि प्रकाश पारुल सिंह पुरेन्द्र नारायण सिंह टाटा स्टील खेल विभाग हसन इमाम नगर निगम के सभी वरीय अधिकारियों कर्मचारियों शामिल थे ।


इस दौरान 3 किलोमीटर की दौड़ की शुरुआत से पहले स्वच्छता को लेकर सपथ लिया और लोगो को दिलाई फिर दौड़ की शुरुआत हुई जो आदित्यपुर फुटबॉल मैदान से लेकर आदित्यपुर खरकई बृज के समीप पहुचकर सम्पन हुआ स्वच्छता ही सेवा और स्वभाव स्वच्छता संस्कार रन फ़ॉर रैली निकाली गई जिसमे आदित्यपुर नगर निगम के वासियो को एक वेबसाइट दिया गया जिसकी शुरुआत हुई हैं और जो नगर निगम के वासी है ।

वह ऑनलाइन शिकायत किसी भी प्रकार का नगर निगम से सम्बंधित होंगे उसकी शिकायत कर सकते है जिसपर विभाग करवाई की जाएगी वही विभाग द्वारा सड़को गली मोहल्ले में स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए जोर शोर से सफाई अभियान चलाया जा रहा है कैसे नगर निगम आदित्यपुर पर नबर 1 बन सके ।
सरायकेला : आरडीडी दिनेश रंजन ने इसरो प्रतिनिधि मंडल के समस्याओं को गंभीरता पूर्वक सुनने के पश्चात मिलकर समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया।


सरायकेला : औद्योगिक क्षेत्र के विकास, समस्याओं को लेकर इसरो के अधिकारी आरडीडी से मिले आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में विकास को गति देने एवं औद्योगिक क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से इंडस्ट्रियल स्टेबिलिटी एंड रिफॉर्म आर्गेनाइजेशन ,इसरो के प्रतिनिधिमंडल ने अध्यक्ष रूपेश कतरियार के नेतृत्व में जियाड़ा में पदस्थापित नए रीजनल डिप्टी डायरेक्टर दिनेश रंजन से मुलाकात की।

ज्यादा के नव पदस्थापित रीजनल डिप्टी डायरेक्टर दिनेश रंजन से इसरो प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात कर औद्योगिक विकास को गति प्रदान करने ,आपसी तालमेल स्थापित कर औद्योगिक क्षेत्र को की समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से औपचारिक मुलाकात की।


आरडीडी दिनेश रंजन ने इसरो प्रतिनिधि मंडल के समस्याओं को गंभीरता पूर्वक सुनने के पश्चात मिलकर समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया। दिनेश रंजन ने कहा कि ज़ियाडा क्षेत्रीय निदेशक के निर्देशानुसार समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जाएगा ।इसरो प्रतिनिधि मंडल में उपाध्यक्ष समीर सिंह, विकास गर्ग, महासचिव संदीप मिश्रा,कोषाध्यक्ष उत्तम कुमार,सचिव सौरव चौधरी,राजीव शुक्ला और अवनीत मूतरेजा मौजूद थे।
सरायकेला : टीकर गांव में भेजपा नेता मधुसूदन गोराई को ग्रामीणों दिया बधाई।एक सप्ताह से बिजली गुल था।...
सेर्यकेला : ईचागढ़ प्रखंड के टीकर गांव में बिजली संबंधी समस्या के समाधान के बारे में है। भाजपा के जिला महामंत्री मधुसदन गोराई ने ग्रामीणों की समस्या सुनी और तत्परता से नई ट्रांसफार्मर लगवाकर बिजली आपूर्ति बहाल की।


ग्रामीणों ने उनके प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया और लड्डू वितरण कर खुशी मनाई।
सरायकेला : हेमंत सरकार ने OPS से कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा दिया था वहीं कैशलेस मेडिकल से सुनिश्चित हुआ है स्वास्थ्य सुरक्षा ।...


सरायकेला :  झारखंड सरकार ने कर्मचारियों के बहुप्रतीक्षित मांग कैशलेस मेडिकल को टाटा एआईजी के साथ मिलकर अंतिम मुहर लगा दिया है। अब हर राज्य कर्मचारियों एवम उनके आश्रित माता पिता को स्वास्थ्य बीमा का लाभ प्राप्त होगा । पांच लाख की बीमा से आज कर्मचारी वर्ग का हर परिवार मेडिकल सेवा से आच्छादित है। सरकार ने पुरानी पेंशन के बाद शिशु देखभाल अवकाश और अब स्वास्थ्य बीमा का लाभ देकर

पुनः झारखंड ऑफिसर्स टीचर्स एंड एंप्लॉयज़ फेडरेशन के एक और डिमांड पर मुहर लगाकर एक स्वस्थ कर्मचारी वर्ग की परिकल्पना को साकार कर दिया है। हर कर्मचारी सीएम हेमंत सोरेन के इस फैसले से हर्षित होकर अपने परिवार सहित खुशियां मना रहा है। झारोटेफ की राज्य, जिला और सभी प्रखंड टीम ने इस कार्य के लिए सरकार का धन्यवाद ज्ञापित किया है।

प्रांतीय अध्यक्ष विक्रांत सिंह

ने सरकार के इस कल्याणकारी योजना का स्वागत करते हुए बताया के इससे राज्य के सभी पदाधिकारी/कर्मचारी एवं उनके परिजन सीधे जुड़ेंगे हेमंत सोरेन ने कर्मचारियों के सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर पुरानी पेंशन बहाल किया, महिला कर्मियों और नोनीहालों को ध्यान में रखकर चाइल्ड केयर लीव लागू किया अब कर्मचारियों तथा उनके परिवारों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर सरकार ने कैशलेस मेडिकल लागू कर दिया है। यह सब दिखता है कि वर्तमान सरकार कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील है और उनके मुद्दों के समाधान बिना किसी विरोध प्रदर्शन के संवाद के माध्यम से करने में विश्वास रखती है। यह हमारे फेडरेशन का बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा था जिसके लिए हम लगातार प्रयासरत थे।


प्रांतीय महासचिव उज्ज्वल तिवारी ने कहा कि झारखंड ऑफिसर्स टीचर्स एंड एम्पलॉइज फेडरेशन ( झारोटेफ) आज  न केवल एक नाम है बल्कि यह आज एक विचारधारा के स्वरूप में समस्त राज्य कर्मचारियों के दिल दिमाग और जुबान पर विद्यमान हो चुका। अपने चार्टर्ड ऑफ डिमांड्स में सम्मिलित एक के बाद एक मांगो को संवाद समन्वय और संघर्ष के अपने सिद्धांत के माध्यम से सरकार से पूर्ण कराने में सफल रहा है। यह सभी जानकारी मीडिया प्रभारी शिवानंद काशी ने दिया।
सरायकेला : फूलो-झानो के रक्त से सिंचित संथाल की महिलाएं आज स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
सरायकेला : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद झारखंड द्वारा वर्तमान झारखंड सरकार के विफलता के लेकर बीते पंद्रह सितंबर को प्रांत स्तरीय छात्र गर्जना का आयोजन रांची में किया था साथ ही इस कार्यक्रम को झारखंड राज्य के सभी जिलों में छात्र गर्जना के साथ बदहाल झारखंड का काला दस्तावेज समाज के समक्ष रखने का कार्यक्रम का आह्वान किया था।


आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सरायकेला खरसावां जिले द्वारा स्थानीय जिला उपायुक्त कार्यालय पर छात्र गर्जना कार्यक्रम एवं "आक्रोश मार्च "का आयोजन किया गया कार्यक्रम में प्रवासी कार्यकर्ता के रूप में प्रांत अभावीप एसएफडी सह संयोजक सनातन गोराई जी उपस्थित रहे। उन्होंने वर्तमान झारखंड के परिदृश्य पर अपना विचार रखते हुए कहा कि  2019 के विधानसभा चुनाव में विद्यार्थियों को शिक्षा, युवाओं को रोजगार और महिलाओं को सुरक्षा एवं समान अधिकार के वादे पर राज्य की जनता ने हेमंत सोरेन को अवसर प्रदान किया। सरकार को चुनते समय 19 वर्ष का युवा झारखंड आज 24 वर्ष पूरे करने के कगार पर खड़ा है। लेकिन अपना वयस्क राज्य झारखंड आज भी गरीबी और कमजोर प्रशासन की मार झेल रहा है। देश के 40 प्रतिशत खनिज संपदा से परिपूर्ण इस राज्य में आज भी लगभग 40 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। वहीं लगभग 20 प्रतिशत शिशु और बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। तिलका मांझी और सिदो कान्हू के रक्त से सींचा गया राज्य झारखंड आज भी अपनी तंग हाली पर रो रहा है। आज भी यहां के मूल निवासी अनाज के लिए तरसते हुए जान दे रहे हैं।

राज्य सरकार के मंत्री एवं कई अधिकारियों ने झारखंड को लूट खंड बना कर रख दिया है। सरकार के मुखिया स्वयं सेना की जमीन घोटाले के आरोप में जेल जा चुके हैं और अभी जमानत पर बाहर हैं। मुख्यमंत्री और मंत्रियों एवं सत्ताधारी राजनीतिक दलों के अधिकारियों ने भी राज्य को लूटने में कोई अवसर नहीं छोड़ा। इनके द्वारा खुलेआम जल, जंगल एवं जमीन को मिटाने का प्रयास किया गया। फूलो-झानो के रक्त से सिंचित संथाल की महिलाएं आज स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रही हैं।


बिलखती महिलाएं- तड़पता झारखंड, सरकार के पूरे कार्यकाल पर एक प्रश्न चिन्ह लगाता है? राज्य में लवजिहाद और लैंड जिहाद झारखंड के आदिवासी समाज और उनकी बेटियों के अस्तित्व को समाप्त करने की तैयारी में है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार आदिवासी समाज की जनसंख्या में 10 प्रतिशत की गिरावट हुई, इस बात का साक्ष्य है कि संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ और धर्मांतरण अपने चरम पर है। जिला संयोजक समीर महतो ने कहा साल में 5 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा हो अथवा झारखंड की बेटियों को प्राथमिक विद्यालय से पीएचडी तक की मुफ्त शिक्षा का वादा, राज्य की महिलाओं को चूल्हा भत्ता देने का वादा हो अथवा राज्य के जनमानस को उत्तम स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने का वादा, सरकार अपने हर वादे को पूरा करने में पूरी तरह से नाकाम रही है। छात्र संघ सह अभाविप नेता प्रकाश महतो ने कहा कि राज्य के युवा, महिला, मजदूर, किसान और आम जनता ने यह महसूस किया है कि लोक लुभावन वादों के साथ सत्ता में आई झारखंड सरकार एक बार पुनः मुफ्त की योजनाएं लाकर राज्य की जनता को दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रही है। अपने पूरे कार्यकाल में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस एवं राजद गठबंधन की यह सरकार युवा, किसान, मजदूर, आदिवासी एवं महिला विरोधी तो रही ही हैं, साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार एवं महिला सुरक्षा जैसे प्रमुख विषयों पर पूरी तरह से विफल रही है। सरायकेला नगर उपाध्यक्ष सह पूर्व अभाविप कार्यकर्ता मनोज चौधरी ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था किसी भी राज्य की रीढ़ की हड्डी होती है।उच्च शिक्षा में सामान्य विश्वविद्यालय, महाविद्यालय,इंजीनियरिंग कॉलेज,मेडिकल कॉलेज, एग्रीकल्चर कॉलेज आदि शामिल है इसका सशक्त होना राज्य के तरक्की के लिए महत्वपूर्ण होती है विगत 5 वर्षों में शिक्षा वेंटिलेटर पर आ चुकी है।यहां ना तो विश्वविद्यालय में नियमित कुलपति है ना तो कॉलेज में नियमित प्रधानाचार्य। शिक्षक की कमी का असर गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई पर हो रही है।जिसके कारण झारखंड राज्य के विद्यार्थी बाकी राज्य की तुलना में रोजगार और जीवन मूल्यों के मापदंड में पिछड़ते जा रहे हैं।आखिर इस सब का जवाबदेह कौन है। पिछले 5 वर्षों में शिक्षा,सुरक्षा, रोजगार,समाज कल्याण और अन्य सरकारी व्यवस्था की तरह ही राज्य की स्वास्थ्य सुविधाओं और स्थिति में कोई बड़ी परिवर्तन देखने को नहीं मिल रहा है राज्य की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति अत्यंत ही दयनीय और चिंताजनक है राष्ट्र स्तर पर आज भी समाज के गरीब और शोषित वर्गों तक स्वास्थ्य सेवाएं की पहुंच के मामले में झारखंड काफी पीछे हैं राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था सड़क पर छितराये हुए किसी दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति सा है,जो सीख-चीखकर बेरहमी रोंदनी वाली सरकार से अपनी जान बचाने हेतु गुहार लगा रही है। लेकिन स्वार्थ के नशे में चूर हाईवे पर बेहतरीन भागने वाली है हेमंत सरकार और उसके भ्रष्ट तंत्र को तनिक भी फर्क नहीं पड़ता कि कौन गरीब,आदिवासी और बेसहारा उनकी भ्रष्टता के रफ्तार में कुचलते जा रहे हैं, किनका का अधिकार मारा जा रहा है किन-किन का विश्वास इनके ऊपर से उठता जा रहा है और कौन-कौन इन्हें कोस रहे हैं दो पंक्तियों में राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था की अगर बात करें तो इतना ही कह सकते हैं कि

*ना डॉक्टर ना दवाई* *हेमंतसरकार बस हवा हवाई*।


बांग्लादेशी घुसपैठ झारखंड के संथाल प्रगण प्रमंडल के रास्ते बांग्लादेश घुसपैठी लगभग एक दशक से होता आ रहा है।अब यह समस्या जटिल रूप ले चुकी है। इसमें झारखंड में आदिवासी और आदिम जनजातीय का अस्तित्व खतरे में है झारखंड सरकार इनके सांस्कृतिक धरोहर को बचाने की पूरी तरह से भी विफल रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ महज एक सहयोग है या एक गहरी साजिश। बिना राज्य सरकार के संरक्षण के ऐसा कैसे संभव है?


झारखंड के संथाल परगना के पाकुड़,साहिबगंज,जामताड़ा, राजमहल,गोड्डा और दुमका में बड़ी संख्या में अवैध रूप से बांग्लादेशी घुसपैठ का अलग-अलग माध्यम से आने की सूचना मिलती रहते है।बदलाव आंकड़े की अगर हम बात करें तो साल 2001 में जनगणना में दुमका की जनसंख्या 11 लाख 7 हजार के करीब थी वर्ष 2011 में दुमका की जनसंख्या बढ़कर लगभग 14 लाख हो गई आंकड़े बताते हैं कि संथाल के सभी 6 जिले में 12 लाख से ज्यादा नई आबादी बस गई है। यहां आंकड़े एक बड़ी साजिश की तरफ इशारा करते हैं। क्योंकि बिना बांग्लादेशी घुसपैठ के प्रवेश में आबादी कितनी तेजी से बढ़ाना नामुमकिन है। अतः झारखंड राज्य में व्याप्त अराजकता एवं विभिन्न शैक्षणिक, सामाजिक, रोजगार, स्वास्थ्य, महिला सुरक्षा के विषय पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा जारी "काला दस्तावेज" झारखंड सरकार के निरंकुशता का परिणाम है। इस अवसर पर अजय ज्योतिषी, निशांत साहू,रौशन महतो, पूजा सिंह महापात्र, रंजन आचार्य, विकाश स्वाई, कृष्णा राणा, विकाश महतो, प्रधुन महतो, मनी महली , अभिराम महतो आदि सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थें