लोन के बदले बैंक में मॉर्गेज जमीन को फर्जीवाड़ा कर बेचने का आरोपी धराया
दरभंगा के सिमरी थाना क्षेत्र के भराठी में स्थित जमीन को बैंक में मॉर्गेज कर लोन लेकर उक्त जमीन को दूसरे व्यक्ति के हाथों बेचकर ठगी करने के मामले में नामजद फरार अभियुक्त सिंहवाड़ा थाना क्षेत्र के चक दरगाह निवासी मो साबिर को सिमरी पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया है।

बताया गया है कि उक्त मामले में मुख्य आरोपी रमीज साबरी को पुलिस ने पूर्व में ही गिरफ्तार किया था। वहीं, उसके पिता मो साबिर व भाई अरशद साबरी की अग्रिम जमानत याचिका पटना हाई कोर्ट से खारिज होने के बाद न्यायालय से दोनों के खिलाफ वारंट के साथ कुर्की जब्त की कार्रवाई का आदेश दिया गया था। इस मामले में नौ माह से गिरफ्तार मुख्य आरोपी रमीज साबरी न्यायिक हिरासत जेल में अबतक बंद है।

वहीं, एक अन्य फरार अभियुक्त की पुलिस तलाश कर रही है। विदित हो कि सीवान जिला के भगवानपुर थानाक्षेत्र के बड़का गांव निवासी डा एजाज अहमद ने सिमरी थाना में 21अक्टूबर 2023 को धोखाधड़ी की प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

जिसमें उक्त तीनों पिता व पुत्र को नामजद किया था। उसने बताया था कि पटना में उनका अस्पताल है। आरोपितों ने जमीन की कीमत, बाउंड्री वाल व कमरा निर्माण कराने को लेकर 46 लाख की ठगी कर ली थी।

23 अगस्त 2023 को भराठी मौजा में दो कट्ठा जमीन मो साबिर व अरशद साबरी से निबंधित केवाला के माध्यम से खरीदा था। जबकि उक्त जमीन पर पीएनबी बैंक से 42 लाख 61 हजार 704 रुपए का लोन 2017 में लिया गया था। जिसका नोटिस भी भूखंड पर बैंक के अधिकारी ने चस्पा किया है।

बेचते समय उक्त आरोपितों ने भूखंड को निर्विवाद बताया था। जमीन की तय कीमत 16 लाख रुपए आरोपित को भुगतान के बाद निबंधित कराने में एक लाख 63 हजार रुपए खर्च हुआ था।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
चार हजार से अधिक सीटों पर होना है एडमिशन, तीन हजार रुपए ऑनलाइन देने होंगे
दो वर्षीय बीएड और शिक्षा शास्त्री में नामांकन को लेकर राज्य के विभिन्न बीएड कॉलेजों में रिक्त सीटों की सूची 20 सितंबर यानी शुक्रवार को प्रकाशित कर दी गई। राज्य के विभिन्न बीएड कॉलेजों में रिक्त 4469 सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के राज्य नोडल पदाधिकारी प्रो. अशोक कुमार मेहता ने बताया कि राज्य के सभी संबंधित विश्वविद्यालयों के अधीन बीएड कॉलेजों में रिक्त सीटों की सूची वेबसाइट पर प्रकाशित कर दी गई है। इस वर्ष स्पॉट नामांकन की जगह केंद्रीकृत काउंसिलिंग और नामांकन राउंड प्रक्रिया शुरू की गई है।

4469 सीटों पर नामांकन होना है

बिहार के परंपरागत 14 विश्वविद्यालयों के अधीन बीएड कॉलेजों में रिक्त कुल 4469 सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया पूरी होनी है। चयनित अभ्यर्थी 21 से 22 सितंबर तक नामांकन के लिए बीएड पोर्टल पर तीन कॉलेजों का चयन कर सकेंगे। 24 सितंबर को चयनित अभ्यर्थियों को कॉलेज आवंटित कर दिया जाएगा। 25 से 28 सितंबर तक ऑनलाइन तीन हजार रुपए जमा कर कॉलेजों में नामांकन की स्वीकृति लेनी होगी।

वहीं 25 से 28 सितंबर तक आवंटित कॉलेजों में पेपर सत्यापन के बाद नामांकन की प्रक्रिया संपन्न की जाएगी।

कहां कितनी सीटें रिक्त हैं

पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय पटना में सर्वाधिक 893 सीटें रिक्त हैं। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर में 671, मगध विश्वविद्यालय बोधगया में 654, मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय में 571, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में 404, आर्यभट ज्ञान विश्वविद्यालय पटना में 321, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा में 219, तिलका मांझी विश्विद्यालय भागलपुर में 209, पूर्णिया विश्वविद्यालय में 143, जय प्रकाश विश्वविद्यालय छपरा में 162, मुंगेर विश्वविद्यालय में 127, बीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा में 77, पटना विश्वविद्यालय में 16 सीटें रिक्त चल रही हैं। शिक्षा शास्त्री के लिए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में दो सीटें रिक्त हैं।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
दरभंगा में 500 लोगों के पास जमीन के दस्तावेज नहीं, 70 सालों से अवैध कब्जा
दरभंगा में विशेष भूमि सर्वे हो रहा है। इसमें नई बात निकल कर सामने आ रही है। यहां एक ऐसा गांव है, जो बिहार सरकार की जमीन पर बसा हुआ है। इस जमीन के लिए यहां के लोगों के पास न तो कोई पर्चा है, न ही इस जमीन के कोई कागजात है। सरकार के इस जमीन पर लोगों का अवैध कब्जा बताया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार गांव में करीब 70 साल से लोग रह रहे हैं। जहां 500 से अधिक घर है। यह पूरा मामला जिला के गौरा बौराम प्रखड के बौराम पंचायत के बरदाहा परती का है। यह जमीन इसी प्रखंड क्षेत्र के कन्हई मोजे की है। 72 एकड़ की जमीन पर अलग-अलग जगह से आए लोगों ने कब्जा कर रखा है। उनके पास इस संदर्भ में सरकार की ओर से कोई भी समुचित कागजात मौजूद नहीं है। अब सवाल खड़ा होता है कि आखिर कैसे सरकार की 72 एकड़ की जमीन पर कोई कब्जा कर सकता है।

अलग-अलग जगह से यहां पहुंचे लोग

गांव के निवासी मोहम्मद आरिफ ने हमें बताया कि इस पूरी जमीन पर लगभग 500 से ज्यादा घरों की आबादी है। जिसमें कुछ बौराम पंचायत के और कुछ कन्हय पंचायत के लोग हैं। अलग-अलग जगह से लोग यहां पहुंचे है। क्योंकि, उनके पास जमीन नहीं थी। उन्होंने यहां शरण ली। कोई यहां 70 सालों से रह रहा है। कोई 60 सालों से रह रहा है। यहां लगभग सभी लोग 50 साल से ज्यादा रह रहे हैं।

मोहम्मद आरिफ ने आगे बताया कि यहां जितने लोग रह रहे हैं। वह सभी भूमिहीन है। किसी के पास कोई जमीन नहीं है। आवास योजना के तहत सरकार जो मकान देती है। इसका लाभ लेने के लिए जमीन के कागजात होने जरूरी है, जो हम लोगों के पास नहीं है। इससे हमें वह भी फायदा नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि हमने खुद जाकर तीन बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस समस्या के निदान के लिए आवेदन दिया। लेकिन, इस पर क्या पहल हुई, इसकी जानकारी हम लोगों को नहीं है।

ग्रामीण बताते है कि साल 1972 में हुए सर्वे से पहले यह एक ही खाता एक ही खेसरा का जमीन था। लेकिन, इसके बाद सरकार ने इस जमीन को टुकड़े टुकडे में बांट दिया। उस सर्वे में जिस प्लॉट पर जिसका कब्जा है, उसके नाम के साथ अवैध कब्जा लिखा हुआ आता है।

पूर्वजों ने की थी पर्चा लेने की कोशिश

स्थानीय मोहम्मद आजाद आलम बताते हैं कि हम लोग यहां अल्पसंख्यक समाज के अति पिछड़ी जाति से आते हैं। जो आसपास के गांव से भटक कर यहां शरण ले रहे हैं। हमारे लोगों के पास कोई जमीन नहीं है। इसलिए, हम लोग यहां पर कब्जा कर रह रहे हैं। इस जमीन का पर्चा मिल जाए, इसको लेकर हमारे पूर्वजों ने काफी कोशिश की। अगर हम लोगों को यहां से हटा दिया जाता है, तो हम लोग पूरी तरह से बेघर हो जायेंगे।

गौरा बौराम के अंचल अधिकारी ने कहा कि इस तरह की कोई जानकारी मेरे पास नहीं है। हम इस बात को स्थानीय कर्मचारियों से वेरीफाई करवाएंगे। फिर संदर्भ में कुछ जानकारी दे पाएंगे।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
सीखने में तीन महीने का समय लग सकता
भाषा वैज्ञानिकों की मानें तो इसे अच्छी तरह सीखने में तीन महीने का समय लग सकता है, लेकिन राज्य सरकार ने प्रशिक्षण के लिए तीन दिन का समय ही निर्धारित किया है। यह सिखाने वालों के अलावा सीखने वालों के लिए भी बड़ी चुनौती होगी। बता दें कि पुरानी कैथी लिपि में खतियान होने से इसे पढ़ पाना कठिन हो रहा था। ऐतिहासिक ब्राह्मी लिपि कैथी को कायथी या कायस्थी भी कहा जाता है। इसका उपयोग 600 ईसवी से शुरू होने का अनुमान है।

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। अगले माह चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। विश्वविद्यालय मुख्यालय से लेकर कॉलेजों तक छात्र संगठनों की सक्रियता बढ़ गई है। पांच वर्ष बाद होने वाले चुनाव को लेकर विभिन्न छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर विभागों समेत कॉलेजों में सदस्यता अभियान चलाना शुरू कर दिया है।

कॉलेजों से लेकर विश्वविद्यालय मुख्यालय तक धरना-प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया है। छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, मिथिला स्टूडेंट यूनियन, आईसा, एनएसयूआई, एआईएसएप, एसएपआई, छात्र राजद, छात्र जदयू, छात्र युवा शक्ति की और से सदस्यता अभियान चलाकर छात्र-नौजवानों को जोड़ा जा रहा है।

संगठनों के विचारधाराओं से छात्रों को अवगत कराया जा रहा है। इसके साथ ही छात्र-छत्राएं भी अपने प्रतिनिधियों को चुनने को लेकर काफी उत्साहित हैं। कॉलेजों से लेकर विश्वविद्यालय तक समस्याओं की अंबार लगी है। अब इसे उठाने वाले छात्र प्रतिनिधियों की सक्रियता बढ़ने लगी है। छात्र संगठनों की ओर से मोबाइल और वाट्सएप नंबर जारी कर समस्याओं के निदान की गारंटी दी जा रही है।

2019 में हुआ था अंतिम चुनाव

मिथिला विश्वविद्यालय में 2019 के दिसंबर माह में छात्र संघ के प्रथम चरण का मतदान शांतिपूर्ण संपन्न हुआ था। इसमें चार जिला के कुल 38 अंगीभूत कॉलेजों व चार संकायों में छात्र-छात्राओं ने अपने प्रतिनिधियों को चुनने के लिए वोट डाले थे। दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर व बेगूसराय को मिलाकर कुल 13.29 प्रतिशत मतदान हुए थे। प्रथम चरण में ऑफिस बियरर व काउंसिल मेंबर के 414 पदों के लिए करीब 1074 प्रत्याशी मैदान में थे।

अभाविप समर्थित उम्मीदवारों ने सभी सीटों दर्ज की थी जीत

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में वर्ष 2019 में लगातार तीसरी बार छात्र संघ चुनाव में अभाविप समर्थित उम्मीदवारों ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी। अध्यक्ष पद पर एपीएसएम कालेज, बरौनी के आलोक कुमार, उपाध्यक्ष पद पर वीएसजे कॉलेज, राजनगर के ध्रुव कुमार, महासचिव पद पर एमआरएम कॉलेज, दरभंगा की प्रीति कुमारी, संयुक्त सचिव पद पर आरबी कॉलेज, दलसिंहसराय के अमत्र्य कुमार व कोषाध्यक्ष पद पर बीआरबी कॉलेज, समस्तीपुर के नीतीश कुमार सिंह ने जीत हासिल की थी।

इस तरह अभाविप ने पांच संगठनों के प्रगतिशील गठबंधन, तीन संगठनों के वाम-जनवादी गठबंधन और मिथिला स्टूडेंट यूनियन को शिकस्त दी थी। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव व कोषाध्यक्ष के पदों पर वाम-जनवादी गठबंधन ने दूसरा स्थान प्राप्त किया था।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
SDO ने महादलित-टोला चंपाकरिया का किया औचक निरीक्षण
किरतपुर प्रखंड के चंपाकरिया महादलित टोला में वर्ष 2018 से विद्युत सेवा की अनुपलब्धता के मामले में गुरूवाक को एसडीओ उमेश कुमार भारती ने कनीय अभियंता, विद्युत अंचल अधिकारी किरतपुर और मुखिया के साथ गांव का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि गांव तक बिजली पोल पहुंचाने के लिए 750 मीटर की दूरी तय करनी होगी। एसडीओ ने विभागीय अभियंता को चंपाकरिया महादलित टोला में जल्द विद्युत उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

साल 2018 से नहीं है बिजली की सुविधा

उपस्थित ग्रामीणों के समक्ष विद्युत अभियंता ने बताया कि पोल, तार और ट्रांसफॉर्मर सभी उपलब्ध है। जल्द ही कार्य पूरा कर लिया जाएगा। मुखिया ने विद्युत पदाधिकारी को तत्काल कार्य शुरू करने को कहा। ग्रामीणों ने बताया कि साल 2018 से विद्युत सेवा नहीं होने की वजह से उन्हें बहुत परेशानी हो रही है।

विद्युत सेवा की बहाली के लिए उन्होंने कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई। लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है। अब एसडीओ के संज्ञान में आने और निरीक्षण के बाद उम्मीद है कि जल्द ही विद्युत सेवा बहाल हो जाएगी और ग्रामीणों को राहत मिलेगी।

पीएचसी किरतपुर का भी निरीक्षण

मुखिया ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया है कि विद्युत सेवा की बहाली के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। इस मामले में अनुमंडल प्रशासन भी सक्रिय हो गया है और विद्युत विभाग को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।

उसके बाद यहां रास्ते की समस्या को भी दूर कर दिया जायेगा। इस क्रम में एसडीओ उमेश कुमार भारती पीएचसी किरतपुर का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान पाये गये त्रुटि को सुधारने का निर्देश चिकित्सा प्रभारी को दिया।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
बास्केट बॉल टीम के सदस्य दरभंगा के सांसद से मिले
भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा के बाद खेल मानव जीवन की पांचवी मौलिक आवश्यकताओं की सूचि में शामिल है। खेल हर व्यक्ति के मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने के लिए अति आवश्यक है। खेल भावना का विकास और देश स्तर पर खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वोच्च प्राथमिकता है।बास्केट बॉल टीम के सदस्य दरभंगा के सांसद से मिले । दरभंगा में भी हर तरह से खेल और खिलाड़ियों के विकास के लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं। उक्त बातें दरभंगा के सांसद डॉ.गोपाल जी ठाकुर ने अपने आवासीय कार्यालय में बास्केट बॉल की जिला टीम के सदस्यों को भेंट के दौरान कही है।

सांसद डॉ.ठाकुर ने खेल के लिए उचित वातावरण को जरूरी बताते हुए उचित मैदान खिलाड़ियों को आवश्यक सभी सुविधाओं को जरूरी बताया है। उन्होंने बताया कि युवाओं में खेल भावना को विकसित करना आवश्यक है। इसके लिए उन्हें हर तरह से मदद किया जाएगा।

सांसद डॉ.ठाकुर ने बास्केट बॉल टीम के प्रतिनिधिमंडल से दिए गए ज्ञापन में वर्णित समस्यायों पर गंभीरता से पहल की जाएगी। सांसद डॉ.ठाकुर ने खिलाड़ियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि युवाओं को खेल का अभ्यास, प्रतियोगिता के लिए सरकार के स्तर पर आर्थिक सहायता जैसे अन्य सभी मुद्दों पर खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया जाएगा।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
राज्यस्तरीय टेबल टेनिस प्रतियोगिता भाग लेंगे दरभंगा के खिलाड़ी
बिहार राज्य टेबल टेनिस एसोसिएशन द्वारा राज्यस्तरीय मेजर टेबल टेनिस चैंपियनशिप का आयोजन 26 से 29 सितंबर तक कटिहार में होगा। जिलास्तरीय टेबल टेनिस एसोसिएशन के गठन के बाद पहली बार दरभंगा की टीम किसी बड़ी प्रतियोगिता में भाग लेगी। टेबल टेनिस चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए गुरुवार 19 सितंबर को दरभंगा क्लब में ओपन ट्रायल आयोजित किया गया। ट्रायल में विभिन्न स्कूल के विद्यार्थी ने अपने खेल के जज्बे को दिखाने और राज्यस्तरीय खेल प्रतियोगिता में चयन होने के लिए अपना पूरा दम लगा दिया। बता दें कि दरभंगा से एक मजबूत टीम प्रतियोगिता में अपने जिला का नाम रौशन करने के लिए तैयार है। टीम चयन के लिए ट्रायल के अवसर पर जिला टेबल टेनिस संघ अध्यक्ष डॉ सविता मिश्रा, अध्यक्ष बलराम टेकरीवाल, कोषाध्यक्ष मनीष कुमार, जिला खेल संघ के सचिव जितेंद्र सिंह, मनीष कोहली, संजीव कुमार, सुजीत और अन्य लोग उपस्थित थे।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
भूमि सर्वे को लेकर पुश्तैनी जमीन की चिंता
दरभंगा में विशेष भू सर्वेक्षण को लेकर गांव के लोगों में अफरा-तफरी मची हुई है। शहर समेत दूसरे जिले और प्रदेश में रोजी-रोटी को लेकर रह रहे लोग काम-धंधा छोड़ कर गांव लौट आए हैं। उन्हें पुश्तैनी जमीन को बचाने की चिंता सताने लगी है। दिनभर लोग कागजात की तलाश में हुए हैं। उपलब्ध कागजात को व्यवस्थित करने में लगे हैं।

गांव की मिट्टी से दूर चले गये शहरी लोग आजकल गांव में गली- गली की खाक छान रहे हैं। गांव में रहने वाले भाई और फरीक जमीन से जुड़े कागजात इनको साझा नहीं कर रहे। अब-तक पुश्तैनी जमीन से आंख मूंदे लोग कागजातों की तलाश में जिला अभिलेखागार, सर्वे कार्यालय, बंदोबस्त कार्यालय, कोर्ट और रजिस्ट्री कार्यालय की चक्कर लगा रहे हैं।

जमीन की चौहद्दी पता की जा रही है। प्रपत्र भरने के लिए मनमाना पैसा लेने का निजी अमीनों पर आरोप है। कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जहां मौखिक बंटवारे को लेकर तनाव का माहौल देखा जा रहा है।

निजी अमीन नहीं दे रहे समय

सर्वे प्रपत्रों को भरने में पढ़े लिखे लोगों को भी पसीना छूट रहा है। अब-तक लोग बीघा, कट्टा और धुर से ही काम चला रहे थे। प्रपत्रों में डिसमिल में भरकर देना है। इसे लेकर लोग अमीन की तलाश कर रहे हैं।

किताब की दुकान से अमानत की किताब खरीद रहे हैं। लेकिन, समझ नहीं आ रहा है। जानकर इसके लिए भी फीस वसूल रहे हैं। लोगों ने बताया कि विशेषकर धुर को डिसमिल में बदलना मुश्किल हो रहा। इसके लिए निजी अमीन का सहारा ले रहे हैं।

दावा आपत्ति के लिए मिलेगी तीन मौका

जिला प्रभारी बंदोबस्त पदाधिकारी कमलेश प्रसाद ने बताया कि किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है। विशेष सर्वे में दावा आपत्ति के लिए तीन मौका है। अंचल क्षेत्र में शिविर लगाकर प्रपत्र प्राप्त किया जा रहा है। अभिलेखागार के प्रभारी पदाधिकारी प्रशांत कुमार ने बताया कि जिला अभिलेखागार में खतियान का नकल सहूलियत से उपलब्ध कराया जा रहा है।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
अनियंत्रित बस ने मारी ठोकर, एक महिला और बच्चा घायल
दरभंगा जिला के बिरौल थाना क्षेत्र के ऊछटी पंचायत के कलना मूसहरी टोला के पास दिन के करीब 11:30 बजे सड़क हादसे में अपने बच्चों को बचाने के क्रम में एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई। घटना के बाद स्थानीय लोगों ने बस को घेर लिया। घायल महिला को लोगों की ही मदद से बिरौल सीएससी ले जाया गया।

घटना में क्रम में महिला का पूरा सर फट गया है और बच्चे के पैर में हल्की चोटें आई है। घायल की पहचान कलना मुसहरी के उमेश मालिक की पत्नी 25 वर्षीय हिना देवी और 4 वर्षीय पुत्र सौरव कुमार के रूप में की गई।
तेज रफ्तार बस ने मारी ठोकर

मामले को लेकर घायल के पड़ोसी ललित सदा ने बताया कि बस तेज रफ्तार से दरभंगा की ओर से आती हुई कुशेश्वरस्थान जा रही थी। इसी बीच बस अनियंत्रित हो गई और बच्चे की ओर आने लगी इसी को देखकर मां बच्चे को गोदी में उठा सड़क से भागी। बस ने मां को ठोकर मार दिया और बच्चा उसकी गोदी से गिर गया। महिला के सिर में गंभीर चोट आई और सर फट गया। घटना के वक्त बस में सवारी भी भरे हुए थे। फिलहाल दोनों का इलाज बिरौल सीएससी में चल रहा है। जहां चिकित्सकों के द्वारा उनकी स्थिति को स्थिर बताया गया है।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
दरभंगा में भूमि का सर्वे कार्य प्रारंभ
दरभंगा के सभी 18 प्रखंड के 1234 गांवों में विशेष भू-सर्वेक्षण काम शुरू हो चुका है। लेकिन जमीन सर्वे में कैथी लिपि में लिए गए दस्तावेज के जानकार लोग ढूंढने पर भी नहीं मिल रहे हैं। इससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है। बिहार भूमि सर्वे में लगे अधिकतर कर्मचारियों को कैथी लिपि का ज्ञान नहीं है। इलाके में इस लिपि के जानकार भी कम हैं। ऐसे में जमीन के दस्तावेज में लिखे गए तथ्यों की जानकारी पाना एक बड़ी समस्या बन गई है। वैसे तो जिले में कैथी लिपि के जानकार 100 से अधिक बताए जाते हैं। लेकिन निबंधित कैथी लिपि के जानकार दरभंगा कोर्ट में 1 ही हैं।


गौड़ाबौराम प्रखंड के आसी गांव निवासी सतीशचंद्र दास पिछले 35 सालों से दरभंगा कोर्ट में टाइपिंग कर जीवन यापन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पूरे जिले में लगभग 100 से अधिक लोग कैथी भाषा के जानकार हैं। दरभंगा कोर्ट परिसर में लगभग 10 लोग कैथी भाषा दस्तावेज को हिन्दी में अनुवाद करते हैं। लेकिन बिहार सरकार से निबंधित सिर्फ मैं ही हूं। अभी लोग मेरे पास सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, मधुबनी, समस्तीपुर आदि जगहों से कैथी दस्तावेज का अनुवाद कराने आते हैं। मेरे पास दो महीने तक किसी अन्य के काम करने का समय नहीं है।

जब उनसे पूछा कि इस भाषा को आगे बढ़ाने के लिए आप अपने स्तर से प्रयास कर रहें है कि नहीं। उन्होंने बताया कि आजकल के बच्चे मैट्रिक और इंटर करने के बाद रोजगार की तलाश में लग जाते हैं। नई पीढ़ी को सिर्फ अंग्रेजी और हिन्दी की जानकारी चाहिए। मालूम चला है कि पटना हाईकोर्ट में सरकार की ओर से कैथी भाषा के अनुवाद के लिए एक मशीन लगाया गया है। यह कैसे काम करता है। इसे लेकर मुझे कोई जानकारी नहीं है। दस्तावेज के अनुवाद को लेकर भटक रहे हैं लोग

आजादी से पहले 1910 में अंग्रेजों के शासनकाल में जमीन का सर्वेक्षण हुआ था। उस समय जो खतियाना या दस्तावेज बना था, वह कैथी लिपि में बनाया गया था। पुराने जो भी दस्तावेज या जमीन से जुड़े हुए खतियाना कागजात है, वह कैथी लिपि में लिखी हुई है। उस लिपि को जानने वाले लोग अब कम रह गए हैं। यही कारण है कि दस्तावेज में क्या लिखा हुआ है, यह जानकारी पाने के लिए लोग भटक रहे हैं।

अनुवादक ने बढ़ा दी फीस

दरभंगा के बिरौल प्रखंड के पटनियां गांव के रहने वाले सत्यनारायण लाल दास, चन्द्र भूषण लाल दास, गुणेश्वर प्रसाद कर्ण आदि ने बताया कि 15 बीघा जमीन के मालिक हैं। जमीन की रसीद हर साल कटाता आ रहा हूं। लेकिन अब जब सर्वे शुरू हुआ है तो कई परेशानी सामने आ रही है। दस्तावेज कैथी लिपि में है और देवनागरी में अनुवाद करने वाला नहीं मिल रहा है। पूरे जिले में कैथी लिपि के जो 3-4 जानकार अभी तक मिले हैं। पहले अनुवाद के लिए प्रति पेज 500 रुपए मांगते थे। लेकिन अब एक खतियाना के अनुवाद के 15 से 20 हजार रुपए की मांग कर रहे हैं।

क्या है कैथी लिपि

कैथी भाषा (कैथी लिपि) एक ऐतिहासिक लिपि है। आजादी से पूर्व उत्तर प्रदेश और बिहार के इलाकों में इस लिपि में कानूनी और प्रशासनिक कार्य किया जाता था। इसे "कायथी" या "कायस्थी" के नाम से भी जाना जाता है। पूर्व उत्तर-पश्चिम प्रांत, मिथिला, बंगाल, ओडिशा और अवध में इसका प्रयोग होता था।

धीरे-धीरे समाप्त हो रही कैथी लिपि

कैथी लिपि बिहार की आत्मा थी। यहां के जितने भी दस्तावेज हैं, सब कैथी लिपि में लिखी हुई है। लेकिन इसके साथ दुर्भाग्य यह हुआ कि मुगल काल से लेकर अंग्रेजों के काल तक अपने-अपने भाषा को बढ़ावा देने के कारण कैथी लिपि धीरे-धीरे समाप्त होती गई। कैथी लिपि के समाप्त होने का सबसे ज्यादा घाटा बिहार को हुआ। लोगों के पास जमीन के दस्तावेज तो हैं, लेकिन वह कैथी लिपि में लिखी है। जो लोग पढ़ नहीं पा रहे हैं।
दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट