महाभारत के तीन 'कुटश्लोक'


डेस्क :– महाभारत किसने लिखा? महर्षि व्यास क्या ? महर्षि व्यास ने महाभारत कहा। गणेश जी द्वारा लिखी गई । ऋषि व्यास ने गणेश से महाभारत लिखने का अनुरोध किया और गणेश ने वह अनुरोध स्वीकार कर लिया। लेकिन गणेश जी ने एक शर्त रखी, वह शर्त यह है कि आप कहोगे और मैं लिखूंगा। मैं लिखना बंद नहीं करूंगा. महर्षि व्यास ने गणेश को एक शर्त भी दी, उन्होंने कहा, गणेश आपको भी  हर श्लोक का अर्थ  समझ कर लिखना होगा। महर्षि व्यास गणेश जी को कुछ पहेलियाँ दिया करते थे। गणेशजी को उस पहेली का अर्थ समझने में थोड़ा समय लगता था और उस अंतराल में महर्षि व्यास अगले श्लोक के बारे में सोचते थे। इन सभी पहेलियों को 'कुटश्लोक' कहा जाता है। ये 'कुटश्लोक' महाभारत में हैं।


ऐसे तीन 'कुटश्लोक' हैं- 1) क्या कोई ऐसा पेय है जो जूठा होता है, लेकिन फिर भी हम उसे भगवान को अर्पित करते हैं?
# जवाब है 'गाय का दूध'. क्योंकि दूध  तो  बछड़ा  मुंह से पीती है

2) ऐसा कोई  कपड़े हैं जो लाश के कपड़े हैं लेकिन धार्मिक उद्देश्यों के लिए भी उपयोग किए जाते हैं?

उत्तर है- 'रेशम' क्योंकि रेशम का जन्म छोटे-छोटे कीड़ों के मरने से होता है।

3) क्या कोई ऐसा भोजन है, जिसे किसी ने उल्टी कर दिया हो, जिसका उपयोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए भी किया जाता है?

# उत्तर है 'शहद'. क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि शहद मधुमक्खियों की उल्टी होती है।
भारत 376 रन पर ऑल आउट

डेस्क: चेन्नई टेस्ट में भारत 376 रन पर ऑल आउट हो गई। बांग्लादेश के हसन को 5 विकेट मिले। पहली पारी में हसन ने 5 विकेट लिए। भारत को पहली पारी में 376 रन पर ऑलआउट करने के अलावा हसन ने 92वें ओवर की दूसरी गेंद पर स्लिप में बुमराह को कैच कराकर बैक टू बैक पारी में 5 विकेट भी लिए।

हसन ने रावलपिंडी में दूसरे टेस्ट में पाकिस्तान की दूसरी पारी में 43 रन देकर 5 विकेट लिए। तब उन्होंने चेन्नई में भारत की पहली पारी में 83 रन देकर 5 विकेट लिए थे। भारत ने दूसरे दिन का खेल 80 ओवर में 6 विकेट पर 339 रन से शुरू किया। उनकी पारी आज 11.2 ओवर तक चली । इनमें तस्कीन ने 3 विकेट, हसन ने 1 विकेट लेकर भारत के बाकी 4 विकेट चटकाए।
आम की उपज और गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर। भारत, ऑस्ट्रेलिया और इजरायल मिलकर तैयार करेंगे आम की उपज
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, रहमानखेड़ा में 21 सितंबर को आम पर होने वाली नेशनल डायलॉग ऑन मैंगो इंप्रूवमेंट एंड स्ट्रैटेजिस में भारत, ऑस्ट्रेलिया और इजरायल के प्रसिद्ध वैज्ञानिक, प्रजनक और जैव प्रौद्योगिकी के एक्सपर्ट्स आम की उत्पादकता और गुवत्ता बनाए रखने के लिए भविष्य का रोडमैप तैयार करेंगे।

भारत में आम की उत्पादकता और गुवत्ता बनाए रखने के लिए भविष्य का रोडमैप पूरे देश में खासकर उत्तर भारत के आम के बागवानों के लिए उपयोगी होगी, उस पर आम का सर्वाधिक उत्पादन करने की वजह से उत्तर प्रदेश के लिए सबसे उपयोगी होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस पर फोकस भी है। यहां मलिहाबाद (लखनऊ) के दशहरी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के आसपास के जिलों में होने वाले चौसा की खासी मांग है। गुणवत्ता में सुधार के बाद इनके निर्यात की भी खासी संभावना है। योगी सरकार जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास एक्सपोर्ट हब भी बना रही है। फलों और सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के उत्पाद की सुरक्षा के लिए मंडियों में कोल्ड स्टोरेज, रायपेनिंग चैंबर का भी निर्माण करवा रही है। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक टी. दामोदरन ने बताया कि संस्थान इस दिशा में क्लस्टर अप्रोच से काम भी कर रहा है। इस क्रम में उक्त दोनों प्रजातियों के कुछ क्लस्टर बनाकर इनसे करीब 4000 बागवानों को जोड़ा गया है। इनको बताया जा रहा है किस तरह ये अपने 15 साल से पुराने बागों का कैनोपी मैनेजमेंट के जरिए कायाकल्प कर सकते। इससे कालांतर में इनकी उपज भी बढ़ेगी और फलों की गुणवत्ता भी सुधरेगी।

संगोष्ठी के आयोजक सचिव आशीष यादव ने बताया कि संस्थान ने फ्रूट प्रोटेक्शन और वाटर रेजिस्टेंस टेक्निक का भी बागवानों को अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। इसमें फलों को कागज के बैग से ढक दिया जाता है। इससे इनमें रोगों और कीड़ों का संक्रमण नहीं होता। दाग धब्बे नहीं आते। साथ ही परिपक्व फलों का रंग भी निखर आता है। प्रति बैग मात्र दो रुपए की लागत से ये फल बाजार में दोगुने दाम पर बिक जाते हैं।

आशीष यादव ने बताया कि आम यूं भी यूपी के लाखों लोगों के रोजगार का जरिया है। फ्रूट प्रोटेक्शन और वाटर रेजिस्टेंस टेक्निक के चलन में आने पर स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावना और बढ़ेगी। शुरू में ऐसे बैग चीन से आते थे। अब भी अधिकांश बैग कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से आते है। यूपी में मेरठ और कुछ अन्य शहरों से भी आपूर्ति शुरू हुई है। मांग बढ़ने पर ये स्थानीय स्तर पर भी तैयार किए जाने लगेंगे। इससे रोजगार भी मिलेगा। आशीष यादव के अनुसार, गोष्ठी में ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड और इजरायल के आम वैज्ञानिक भी आ रहे हैं। यह गोष्ठी वैज्ञानिकों और बागवानों के लिए मार्गदर्शन साबित होगी।
RT समेत कई सरकारी मीडिया हाउस पर लगा दिया बैन,Meta का रूस पर बड़ा एक्शन
डेस्क : –Meta प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, “खूब विचार करने के बाद, हमने रूसी स्टेट मीडिया आउटलेट्स के खिलाफ अपने चल रहे प्रवर्तन का विस्तार किया। रोसिया सेगोडन्या, आरटी और दूसरे संबंधित संस्थाओं को अब विदेशी हस्तक्षेप गतिविधि के लिए विश्व स्तर पर हमारे ऐप्स से बैन कर दिया गया है।

फेसबुक, इंस्टाग्राम की पैरेंट कंपनी मेटा ने अपने सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से रूसी मीडिया को बैन कर दिया है। मेटा ने ऐलान किया कि उसने कथित ‘विदेशी हस्तक्षेप’ वाली गतिविधियों को देखते हुए रूसी स्टेट मीडिया RT न्यूज और अन्य क्रेमलिन नियंत्रित नेटवर्क पर बैन लगाया है। मेटा ने आरोप लगाया कि रूसी मीडिया ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पहचान से बचते हुए, इंफ्लूएंस ऑपरेशन चलाने के लिए भ्रामक रणनीति का इस्तेमाल किया है।

मेटा ने अपने जारी बयान में कहा, “सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, हमने रूसी स्टेट मीडिया आउटलेट्स के खिलाफ अपने चल रहे प्रतिबंधों का विस्तार किया है. रोसिया सेगोदन्या, RT और अन्य संबंधित नेटवर्क्स को विदेशी हस्तक्षेप गतिविधि के लिए वैश्विक स्तर पर हमारी ऐप्स से बैन कर दिया गया है ”

मेटा ने ये कदम दूसरी बार उठाया है, इससे पहले 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद मेटा ने रूस की ओर से फैलाई जा रही गलत जानकारियों को रोकने के लिए रूसी नेटवर्क को सीमित किया था। मेटा ने ऐसे पोस्ट और अकाउंट्स को डाउन और डिमॉनेटाइज किया था जो रूसी सरकार से जुड़े एजेंडे को चला रहे थे। मेटा के अंदर फेसबुक, इंस्टाग्राम, थ्रेड, व्हाट्सएप आते हैं। प्रतिबंध से पहले RT के फेसबुक पर 7 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स थे, जबकि इसके इंस्टाग्राम अकाउंट पर दस लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं।

अमेरिका में पिछले हफ्ते अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने RT के खिलाफ नए प्रतिबंध लगाए थे और उसको रूस की खुफिया एजेंसी से जुड़ा होने का आरोप लगाया था। ब्लिंकन ने शुक्रवार को मीडिया से कहा कि RT रूस समर्थित मीडिया आउटलेट्स के एक नेटवर्क का हिस्सा है, जिसने गुप्त तरीके से अमेरिका में लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश की है। इसके अलावा उन्होंने RT पर आरोप लगाया कि रूस इसकी मदद से अमेरिका में साइबर हमले कर रहा है। ब्लिंकन के इन आरोपों का RT अपने एक्स पर लाइव स्ट्रीम किया और इसे अमेरिका का नया षड्यंत्र बताया था।
पहली बार BMW XM लेबल भारत में लॉन्च , कीमत 3.15 करोड़
डेस्क :–लक्जरी यात्री वाहन बनाने वाली प्रमुख जर्मन कंपनी बीएमडब्ल्यू ने पहली बार भारत में बीएमडब्ल्यू एक्सएम लेबल लाँच किया है जिसकी एक्स शोरूम कीमत 3.15 करोड़ रुपये है। कंपनी ने वैश्विक स्तर 500 कारें बनायी है जिसमें और भारत में मात्र एक कार बेची जायेगी।

कंपनी ने जारी बयान में कहा कि इस कार की पूरी तरह से निर्मित इकाई (सीबीयू) के रूप में उपलब्ध है और कंपनी ने वैश्विक स्तर पर बीएमडब्ल्यू एक्स एम लेबल की 500 कारें बनायी हैं। जिसमें से केवल एक कार भारत आ रही है। अब तक का सबसे शक्तिशाली बीएमडब्ल्यू एम मॉडल: वी8 आधारित बीएमडब्ल्यू एम हाईब्रिड पावरट्रेन जिसमें 550 केडब्ल्यू (748 एचपी) और 1000 एनएम का टॉर्क है।

बीएमडब्ल्यू ग्रुप इंडिया के अध्यक्ष और सीईओ विक्रम पावाह ने कहा, ‘‘ यह एम हाइब्रिड सिस्टम को अतिरिक्त शक्ति और खास डिज़इन तत्वों के साथ लाता है जो इसके बेहतरीन प्रदर्शन विशेषताओं को अचूक प्रभाव के साथ प्रदर्शित करते हैं। बीएमडब्ल्यू एक्स एम लेबल ग्राहकों की ज़रूरतों और इच्छाओं को पूरा करता है, जिसमें एक बहिर्मुखी जीवनशैली और पारंपरिक परंपराओं से परे कार में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए जुनून है।’’ यह कार 3.8 सेकंड में 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार पकड़ लेती है।

अधिकतम गति इलेक्ट्रॉनिक रूप से 250 किलोमीटर प्रति घंटे तक सीमित है, हालांकि एम ड्राइवर पैकेज के साथ यह आंकड़ 290 किलोमीटर प्रति घंटे तक बढ़ जाता है। चौथी पीढ़ का 8-स्पीड एम स्टेपट्रॉनिक ट्रांसमिशन स्मूथ गियर शिफ्ट और पावर डिलीवरी और शिफ्ट कम्फर्ट के साथ-साथ प्रभावशाली दक्षता के शीर्ष स्तर प्रदान करता है। सेंटर कंसोल पर एम हाइब्रिड बटन का उपयोग करके तीन ड्राइविंग मोड का चयन किया जा सकता है।

इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर के बुद्धिमानी से नियंत्रित इंटरप्ले के लिए हाइब्रिड डिफ़ल्ट सेटिंग आवश्यकता के आधार पर दक्षता या प्रदर्शन को अधिकतम करती है।बीएमडब्ल्यू कनेक्टेडड्राइव तकनीक नवाचार की बाधा को तोड़ती है और कार को एक इंटरकनेक्टेड डिजिटल डिवाइस में बदल देती है। कनेक्टेड ड्राइव सुविधाओं में डिजिटल की प्लस, इमरजेंसी कॉल, रियल-टाइम ट्रैफिक सूचना और माय बीएमडब्ल्यू ऐप के माध्यम से रिमोट सेवाएँ शामिल हैं। बीएमडब्ल्यू लाइव कॉकपिट प्रोफेशनल में नेविगेशन के साथ फ्रीस्टैंडिंग 14.9 इंच बीएमडब्ल्यू कर्व्ड डिस्प्ले शामिल है जिसमें रियल-टाइम ट्रैफिक सूचना और संवर्धित दृश्य, स्टीयरिंग व्हील के पीछे 12.3 इंच का डिजिटल सूचना डिस्प्ले और बीएमडब्ल्यू हेड-अप डिस्प्ले है।

नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
माइलेज, सेफ्टी और कीमत में स्विफ्ट या टियागो,कौन सी कार बेस्ट? आईए जानते हैं
डेस्क : –  मारुति सुजुकी ने ग्राहकों के लिए कुछ समय पहले स्विफ्ट CNG मॉडल को लॉन्च किया है. इस हैचबैक की मार्केट में सीधी भिड़ंत  टाटा टियागो सीएनजी और Hyundai Grand i10 Nios जैसे हैचबैक मॉडल्स से होगी। आप भी अगर नई स्विफ्ट या फिर टियागो सीएनजी मॉडल को खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो पहले आपको कुछ जरूरी चीजों के बारे में पता होना चाहिए।


नई स्विफ्ट सीएनजी में 1197 सीसी का इंजन दिया गया है और इस कार में 1.2 लीटर 3 सिलेंडर नेचुरली एसपिरेटेड इंजन मिलेगा। सीएनजी वेरिएंट 5700rpm पर 69bhp की पावर और 2900rpm पर 101.8Nm टॉर्क जेनरेट करता है।

ये गाड़ी 5 स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन के साथ मिलेगी, माइलेज की बात करें तो कंपनी का दावा है कि ये कार एक किलोग्राम सीएनजी में 32.85 किलोमीटर तक साथ देगी।

वहीं, दूसरी तरफ टियागो के सीएनजी अवतार में 1199 सीसी इंजन मिलता है और इस कार में 1.2 लीटर नेचुरली एसपिरेटेड इंजन दिया गया है जो 6000rpm पर 72bhp की पावर और 3500rpm पर 95Nm टॉर्क जेनरेट करती है।

ये गाड़ी आपको 5 स्पीड मैनुअल और ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन में मिलेगी।मैनुअल ट्रांसमिशन के साथ एक किलोग्राम में 26.49km तो वहीं ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन के साथ एक किलो सीएनजी में 28.06km तक का माइलेज मिलेगा।

*फीचर्स और सेफ्टी रेटिंग*

नई स्विफ्ट सीएनजी में वायरलेस चार्जिंग सपोर्ट, एपल कार प्ले, एंड्रॉयड ऑटो ऑटोमेटिक क्लाइमेट कंट्रोल, रियर एसी वेंट्स, 7 इंच स्मार्ट प्ले प्रो इंफोटेंमेंट सिस्टम दिया गया है. सेफ्टी के लिए इस हैचबैक में स्टैंडर्ड 6 एयरबैग्स, रिवर्स पार्किंग सेंसर, हिल होल्ड असिस्ट, EBD के साथ ABS और ESP (इलेक्ट्रॉनिक स्टेबलिटी प्रोग्राम) जैसे फीचर्स मिलेंगे।

नई वाली स्विफ्ट में कंपनी ने सिंगल सीएनजी सिलेंडर दिया है जो 55 लीटर कैपेसिटी के साथ आता है।2022 में आखिरी बार Global NCAP में स्विफ्ट की क्रैश टेस्टिंग हुई थी और उस वक्त इस कार को एडल्ट और चाइल्ड सेफ्टी में 1 स्टार सेफ्टी रेटिंग दी गई थी।

टियागो सीएनजी में फुल बूट स्पेस के साथ ट्वीन सीएनजी सिलेंडर मिलता है जिसकी कैपेसिटी 66 लीटर है, इस गाड़ी की खास बात यह है कि ये गाड़ी सीधे सीएनजी मोड पर भी स्टार्ट हो सकती है।

इस कार में 2 एयरबैग्स, EBD के साथ ABS, टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम, एपल कार प्ले, एंड्रॉयड ऑटो, 7 इंच इंफोटेंमेंट सिस्टम, रियर पार्किंग कैमरा, रेंस सेंसिंग वाइपर्स, फॉग लैंप्स और ऑटोमेटिक हेडलाइट्स जैसे फीचर्स दिए गए हैं।सेफ्टी की बात करें तो इस कार को Global NCAP क्रैश टेस्टिंग में 4 स्टार रेटिंग मिली हुई है।
आईए जानते हैं बिना सिम और टावर  के कैसे काम करता है पेजर
डेस्क :–लेबनान में 1000 पेजर फटने से तहलका मच गया है। इस घटना में करीब 3000 लोग घायल हो गए।खबरों के अनुसार, आतंकवादी संगठन हिज्बुल्लाह के लड़ाकों के पास थे।पेजर का इस्तेमाल आज दुनिया में बहुत कम होता है।ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर हिज्बुल्लाह इसका इस्तेमाल क्यों कर रहा था और पेजर आखिर काम करता कैसे है. साथ ही यह स्मार्ट फोन से अलग कैसे होता है।

*क्या होता है और कैसे काम करता है पेजर?*

पेजर एक छोटा टेलीकम्युनिकेशन डिवाइस होता है जो पेजिंग नेटवर्क से रेडियो सिग्नल रिसीव करता है। पेजर में लगे ट्रांसमिटर्स एक खास फ्रीक्वेंसी पर सिग्नल ब्रॉडकास्ट करते हैं। इन ट्रांसमिटर्स की रेंज में जो दूसरे पेजर्स होते हैं वह सेम फ्रीक्वेंसी पर यह मैसेज प्राप्त करते हैं। पेजर द्वारा भेजा मैसेज एक सिग्नल में एन्कोड होकर जाता है। केवल न्यूमेरिक वाले पेजर्स के सिग्नल आमतौर पर बीप्स की एक सीरीज या फिर न्यूमेरिक कोड होते हैं। जबकि अल्फान्यूमेरिक पेजर्स के सिग्नल अधिक जटिल होते हैं।l

एन्कोड किए गए सिग्नल को फिर सेंट्रल ट्रांसमीटर के जरिए पेजिंग नेटवर्क को भेजा जाता है। यही सिग्नल रेडियो फ्रीक्वेंसी से ब्रॉडकास्ट होते हैं। दूसरा पेजर अपना एंटीना के माध्यम से यह सिग्नल प्राप्त करता है। यह एक खास फ्रीक्वेंसी पर ही सेट होते हैं जो पेजिंग नेटवर्क इस्तेमाल कर रहा होता है।

अगला चरण रिसीवर पेजर के पास डिकोडिंग का होता है। रिसीव करने वाला पेजर सिग्नल को डिकोड करता है. डिकोड का मतलब है जो संदेश टोन्स या कोड्स के रूप में आया है उसे नंबर में बदलना या फिर अल्फान्यूमेरिक वाले पेजर्स में इन कोड्स को टेक्स्ट में बदला जाता है जिसे रिसीवर पढ़ सकता है। एडवांस पेजर्स में रिसीवर रिप्लाई भी कर सकता है। गौरतलब है कि पेजिंग नेटवर्क्स किसी सेल्यूलर नेटवर्क से ज्यादा बेहतर होते हैं क्योंकि ये बहुत हाई फ्रीक्वेंसी पर सदेंश ट्रांसमिट करते हैं ।

*स्मार्टफोन से कैसे अलग*

पेजर जहां रेडियो सिग्नल का इस्तेमाल करते हैं वहीं स्मार्टफोन सेल्युलर नेटवर्क्स पर निर्भर होते हैं। पेजर का इस्तेमाल बहुत सीमित होता है। यह किसी को संदेश भेजने या अलर्ट करने के लिए यूज किया जाता है। इसमें कॉल या फिर मल्टीटास्किंग की सुविधा नहीं होती। कई पेजर्स में तो रिप्लाई का ऑप्शन भी नहीं होता है। वहीं, स्मार्टफोन ये कॉल, मैसेज, इंटरनेट, वीडियो स्ट्रीमिंग व कई अन्य तरह के काम कर सकता है। पेजर का स्टोरेज स्मार्टफोन के मुकाबले बहुत कम होता है।

*हिज्बुल्लाह क्यों करता है इनका इस्तेमाल*

आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि पेजर ज्यादा सुरक्षित होते हैं। ये बहुत हाई फ्रीक्वेंसी पर काम करते हैं इसलिए ये संदेश पहुंचाने या रिसीव करने में काफी भरोसेमंद साबित होते हैं। इनका इस्तेमाल मुख्यत: क्लोज्ड जगहों के लिए किया जाता है जहां फोन आदि पर निर्भरता काम में देरी करा सकती है. मसलन, अस्पताल, सिक्योरिटीड कंपनीज और आपातकालीन सेवाओं का स्थान. यह सस्ते होते हैं और इसे ऑपरेट करने के लिए आपको कोई सिम वगैरह की जरूरत नहीं होती। इस पर कोई अतिरिक्त खर्च नहीं आता है। ऐसा भी माना जाता है कि इन्हें हैक करना तुलनात्मक रूप से काफी मुश्किल है।
दो महिलाओं की पीट-पीटकर हत्या करने के बाद मचा हड़कंप,चार रिश्तेदार समेत 15 गिरफ्तार
डेस्क:– बंगाल के बीरभूम जिले में दो महिलाओं की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या करने के बाद हड़कंप मच गया। जानकारी के मुताबिक, दोनों महिलाएं अधेड़ उम्र की थी, जिन्हें जादू-टोना करने के शक में इतना पीटा गया कि उनकी मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि दोनों आदिवासी महिलाओं के शव मयूरेश्वर पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत हरिसराह गांव के पास एक नहर में मिले।

अधिकारी ने बताया कि घटना शुक्रवार रात की है और मामले में 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।रस्सियों से बांधने के बाद लाठियों से पीटा: मृतका लोदगी किस्कू और डॉली सोरेन के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया, कि उन्हें रात में कुछ लोगों ने घरों से बाहर बुलाया और रस्सियों से बांधने के बाद लाठियों से पीटा । लोदकी किस्कू की बेटी रानी किस्कू ने बताया, मेरे चचेरे भाई और अन्य ग्रामीणों ने मेरी मां को घर से बाहर खींच लिया. मेरे दो भाई घर से बाहर थे, इसलिए हम उनको बचा नहीं सके।पुलिस ने 15 लोगों को किया गिरफ्तार।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रथम दृष्टया हत्या के पीछे जादू-टोना करने का संदेह प्रतीत होता है। लेकिन हम अन्य संभावनाओं से भी इनकार नहीं कर रहे हैं। घटना की सूचना मिलने के बाद बड़ी संख्या में पुलिस बल गांव पहुंचा और मामले में कथित संलिप्तता के आरोप में 15 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के मुताबिक, मृतकों के शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिये गए हैं।


पुलिस ने बताया कि उसे भीड़ द्वारा कथित पिटाई की एक वीडियो क्लिप मिली है और फुटेज का विश्लेषण किया जा रहा है।पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार किये गये 15 आरोपियों को बाद में रामपुरहाट के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया। गिरफ्तार आरोपियों में चार आरोपी एक मृतका के रिश्तेदार हैं, जिन्हें मजिस्ट्रेट अदालत ने छह दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। पुलिस ने बताया कि अन्य को अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा है।
पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों की बैठक बेनतीजा रहने के बाद भी जारी रहेगा आंदोलन

कोलकाता: कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के दुष्कर्म-मर्डर केस को लेकर प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों और बंगाल सरकार के बीच बीते बुधवार को दूसरे दौर की बातचीत हुई। इस दौरान डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर बंगाल के चीफ सेक्रेटरी मनोज पंत के साथ ढाई घंटे बैठक की, लेकिन इसका कोई भी नतीजा नहीं निकला। वहीं डॉक्टरों ने कहा कि वे सरकार से हुई बातचीत से फिलहाल असंतुष्ट हैं और अपनी हड़ताल को जारी रखेंगे। डॉक्टरों ने यह भी आरोप लगाया कि बैठक में डॉक्टरों राज्य सरकार ने बैठक की लिखित कार्यवाही मिनट्स ऑफ मीटिंग मांगे थे, जिसे देने से सरकार ने साफ इनकार कर दिया।

इस बैठक के बाद जूनियर डॉक्टरों ने घोषणा की कि वे अपना आंदोलन और ‘काम रोको’ अभियान तब तक जारी रखेंगे जब तक सरकार बैठक में हुई सहमति के अनुसार सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की सुरक्षा के संबंध में लिखित निर्देश जारी नहीं कर देती।

आपको बता दें कि बीते 16 सितंबर को जूनियर डॉक्टर और ममता के बीच मीटिंग हुई थी। इसमें ममता ने डॉक्टरों की 5 में से 3 मांगें मान ली थीं। उन्होंने बीते मंगलवार को पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल को पद से हटाया भी था। उनकी जगह मनोज वर्मा को कमिश्नर बनाया गया। लेकिन डॉक्टर राज्य के हेल्थ सेक्रेटरी एनएस निगम को हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं।

राज्य ने आरजी कर अस्पताल की स्नातकोत्तर ट्रेनी डॉक्टर से कथित दुष्कर्म और हत्या के मद्देनजर स्वास्थ्य सचिव एन. एस. निगम के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने की चिकित्सकों की मांग को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया। प्रशिक्षु डॉक्टर से कथित बलात्कार और हत्या की घटना तथा सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में व्यापक भ्रष्टाचार एवं छात्रों और प्रशिक्षु चिकित्सकों के साथ दुर्व्यवहार के आरोपों के बाद से राज्य की राजधानी में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसके कारण स्वास्थ्य सचिव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है।

बीते 48 घंटों में चिकित्सकों और राज्य सरकार के बीच यह दूसरी वार्ता थी। पहले दौर की वार्ता सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कालीघाट स्थित आवास पर हुई थी। मुख्य सचिव मनोज पंत की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा कार्य बल और 30 कनिष्ठ चिकित्सक के प्रतिनिधिमंडल के बीच बुधवार को ‘नबन्ना’ (राज्य सचिवालय) में राज्य द्वारा तय समय से एक घंटे बाद शाम करीब साढ़े सात बजे बैठक शुरू हुई, जो साढ़े पांच घंटे से अधिक समय तक चली।

प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने कहा कि उन्होंने बैठक में राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पताल परिसर के अंदर अपनी सुरक्षा के मुद्दों और वादे के अनुरूप कार्य बल के गठन का विवरण एवं उसके कार्यों को रेखांकित किया। डॉक्टरों ने ‘रेफरल सिस्टम’ में पारदर्शिता, मरीजों को बिस्तर आवंटन, स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती और परिसरों में प्रचलित ‘‘धमकाने की संस्कृति” को खत्म करने से संबंधित मामले उठाए। चिकित्सकों ने कहा कि उनकी मांगें इस चिंता से जुड़ी हुई हैं कि आरजी कर अस्पताल में जो जघन्य अपराध हुआ है वैसा फिर कभी नहीं हो।

प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने कहा कि सरकार इस बात पर सहमत थी कि हमारी अधिकांश मांगें जायज हैं और उन्हें तत्काल लागू किया जाना चाहिए। लेकिन बातचीत के अंत में हमें इस बात से निराशा हुई जब मुख्य सचिव ने हमें बैठक की हस्ताक्षरित कार्रवाई का विवरण देने से इनकार कर दिया। बैठक के बाद पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जारी बैठक के गैर हस्ताक्षरित विवरण में कहा गया है कि कनिष्ठ चिकित्सकों ने पिछले चार-पांच वर्षों में कथित कदाचार के लिए प्रधान स्वास्थ्य सचिव के खिलाफ एक जांच समिति के गठन की मांग की, जिसमें स्वास्थ्य ढांचा प्रणाली को मजबूत करना भी शामिल है।

मुख्य सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली की व्यापक जांच की जरूरत है। बैठक के विवरण से पता चला कि सरकार ने चिकित्सकों से अनुरोध किया कि वे बचाव और सुरक्षा पर राज्य कार्य बल में चार-पांच प्रतिनिधि भेजें, लेकिन चिकित्सकों ने सभी मेडिकल कॉलेजों से व्यापक प्रतिनिधित्व का प्रस्ताव रखा। बैठक के विवरण के अनुसार, ‘‘दोनों पक्ष रात्रि गश्त के लिए महिला पुलिस अधिकारियों की तैनाती, विभागों द्वारा पैनिक बटन लगाने और त्वरित हस्तक्षेप के लिए हेल्पलाइन स्थापित करने के संबंध में केंद्रीय निर्देश को लागू करने पर सहमत हुए।” सोमवार को प्रदर्शनकारी चिकित्सकों के साथ बैठक की कार्रवाई रिकॉर्ड करने के लिए स्टेनोग्राफर भी मौजूद थे।
अलग-अलग अकाउंट के लिए अलग-अलग पासवर्ड रखना चाहिए, जानिए ये पांच चीजें जो याद रखना है जरूरी

डेस्क: –पासवर्ड ऐसी चीज है जो आपके किसी भी अकाउंट की सिक्योरिटी तय करता है. आपका हर पासवर्ड सिर्फ आपके लिए होता है और अगर आपका पासवर्ड किसी और को पता चल जाए तो समझ लीजिए कि वह खुला अकाउंट है जिसे वह जब चाहे देख सकता है, छेड़छाड़ कर सकता है । पासवर्ड होते ही इसलिए हैं ताकि आपकी चीज़ को सिर्फ आप ही एक्सेस कर सकें।लेकिन अब हर चीज़ के लिए आईडी पासवर्ड क्रिएट करवाए जाते हैं।

एक-एक को याद करने की झंझट से बचने के लिए हम सभी अकाउंट का पासवर्ड या तो एक तरह रख देते हैं या फिर मिलता-जुलता रख देते हैं। लेकिन ऐसा करना गलत है. आजकल हैकिंग की खबरों में इतनी तेजी आ गई है कि डिजिटल वर्ल्ड में थोड़ी सी भी लापरवाही से हैंकिंग का डर हो सकता है। इसलिए पासवर्ड सेट करने के दौरान कुछ बातों का खास ख्याल रखना जरूरी होता है। इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स के बारे में बता रहे हैं जो आपको पासवर्ड सेट करते समय जरूर ध्यान में रखने चाहिए। सलाह दी जाती है कि ऐसा पासवर्ड रखें जिसमें संख्याओं और अपरकेस, लोअरकेस अक्षरों को मिक्स किया गया हो। इसके अलावा आप #, जैसे चिह्न का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

जितना लंबा पासवर्ड रखा जाएगा, उतनी ज्यादा सिक्योरिटी होगी। लंबे पासवर्ड चुनें। हो सकता है लंबे पासवर्ड याद रखना आसान न हो लेकिन ये आपके डेटा को सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है। लंबे पासवर्ड को समझना या उसके बारे में अनुमान लगाना आमतौर पर मुश्किल होता है। कोशिश करें कि पासवर्ड कम से कम 12 से 15 अक्षर का हो। पाववर्ड ऐसा रखने की कोशिश करें जिनका अंदाजा लगाना कठिन हो।कुछ लोग पासवर्ड में नाम रख लेते हैं।लेकिन सामान्य नामों से बचना जरूरी है, क्योंकि इन्हें जल्दी से क्रैक किया जा सकता है. कभी भी अपना नाम, लोकेशन, डेट ऑफ बर्थ पर पासवर्ड न रखें।आसान रखने के चक्कर में आमतौर पर हम पासवर्ड रिपीट कर देते हैं, जिससे हैकिंग का खतरा हो सकता है। आपको अलग-अलग अकाउंट के लिए अलग-अलग पासवर्ड रखना चाहिए।

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