आज के भारत में विश्व को अपने अनुरूप चलाने की क्षमता : मंजीव पुरी
गोरखपुर, 8 सितंबर। नेपाल, बेल्जियम और लक्जमबर्ग में भारत के पूर्व राजदूत मंजीव पुरी ने कहा कि आज के भारत में विश्व को अपने अनुरूप चलाने की क्षमता है। आज का भारत किसी भी देश की घुड़कियों या धमकियों की परवाह नहीं करता है। भारत की विदेश नीति इतनी सशक्त हो चुकी है आज के दौर में कोई भी देश भारत पर दबाव बनाकर कुछ लोग करा सकता।
मंजीव पुरी रविवार को महाराणा प्रताप पीजी (एमपीपीजी) कॉलेज जंगल धूसड़ में आयोजित ‘भारतीय विदेश नीति के बदलते आयाम : 2019 से अब तक’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह (समारोप) को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। संगोष्ठी के प्रतिभागियों के साथ दोतरफा संवाद करने के अंदाज में श्री पुरी ने कहा कि विदेश नीति के मुद्दे पर देश में मजबूती और बदलाव का यह दौर पिछले दस वर्षों में सशक्त नेतृत्व के चलते आया है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश के मजबूत होने के लिए आर्थिक मजबूती बहुत जरूरी है। वैश्विक स्तर पर धाक जमाने में मजबूत हो रही भारतीय अर्थव्यवस्था का बड़ा योगदान है। जिसकी जितनी जीडीपी, वह उतना अधिक शक्तिशाली। इस फॉर्मूले पर भारत 3.7 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। उन्होंने कहा कि 2023 में दुनिया के 20 बड़े और प्रभावशाली देशों के समूह जी-20 का नेतृत्व करके यह दिखा दिया है कि उसका सामर्थ्य क्या है। श्री पुरी ने कहा कि तेजी से बदलता और वैश्विक परिदृश्य पर आगे बढ़ता भारत पूरी दुनिया को नेतृत्व देने को तैयार है और इसमें विगत कुछ सालों से बेहद असरदार साबित हुई भारत की विदेश नीति और कूटनीति का महत्वपूर्ण योगदान है।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) आरपी शाही ने कहा कि विगत कुछ सालों में भारत ने अपनी विदेश नीति को समयानुकूल और त्वरित प्रतिक्रियावादी बनाया है। यही वजह है कि आज जब दुनिया के किन्हीं भी दो देशों के बीच टकराव की स्थिति आती है तो पूरा विश्व चाहता है कि इस टकराव को रोकने की पहल भारत करे। श्री शाही ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ जब सर्जिकल स्ट्राइक की गई तब भारत की कूटनीति इतनी शानदार थी कि किसी भी ताकतवर देश ने भारत के खिलाफ प्रतिक्रिया करने का साहस नहीं किया। उन्होंने कहा कि 2019 के बाद भारत की विदेश नीति में बहुत प्रभावी परिवर्तन देखने को मिला है। आज देश का नेतृत्व इंडिया फर्स्ट की भावना से सभी देशों से संवाद की भूमिका में रहता है। किसी भी देश में यदि भारतीयों पर संकट आता है तो उन्हें सुरक्षित निकालने की त्वरित पहल की जाती है। आज भारतीय विदेश नीति एकदम स्पष्ट है कि देश के हित में जो भी सर्वोत्तम होगा, हम उसे करेंगे। श्री शाही ने कहा कि आज ग्लोबल साउथ की आवाज बन चुका है।
समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि सेंटर फॉर कैनेडियन, यूएस एंड लैटिन अमेरिकन स्टडीज (स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज) जेएनयू नई दिल्ली के प्रोफेसर अरविंद कुमार ने भारत की विदेश नीति में आए क्रमिक परिवर्तन की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत को अपने पड़ोस में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। चुनौतियों के अनुरूप ही भारत ने अपनी विदेश नीति और कूटनीति (डिप्लोमेसी) में परिवर्तन किया है। चीन की विस्तारवादी नीतियों को करारा जवाब देते हुए भारत ने उसे पिछले कुछ सालों में टेबल टाक (संवाद) के लिए विवश किया है। प्रो. अरविंद कुमार ने कहा कि वास्तव में भारत विश्व को परिवार मानता है और विश्व शांति की बात करता है। इसकी झलक उसकी विदेश नीति में भी देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि हाल के कुछ सालों में भारत ने अपनी पोलिटिकल डिप्लोमेसी को इकोनॉमिकल डिप्लोमेसी की तरफ शिफ्ट किया है। वैश्विक महामारी कोविड के दौर में भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी ने तो विश्व समुदाय के लिए संकटमोचक की भूमिका निभाई। तमाम उद्धरणों का हवाला देकर उन्होंने बताया कि आज भारत अमेरिका और रूस जैसे ताकतवर देशों से ‘बारगेनिंग’ करने की स्थिति में है।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में अतिथियों का स्वागत करते हुए महाराणा प्रताप पीजी कॉलेज जंगल धूसड़ के प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार राव ने संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। दो दिन तक चली संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों की रिपोर्ट महाराणा प्रताप पीजी कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष हरिकेश यादव ने प्रस्तुत की जबकि संचालन सहायक आचार्य डॉ. सलिल कुमार पांडेय ने किया। इस अवसर प्रमथनाथ मिश्रा, प्रो. तेज प्रताप सिंह, डॉ. श्रीभगवान सिंह, डॉ. अविनाश प्रताप सिंह, डॉ. सत्यपाल सिंह, डॉ. आमोद राय, डॉ. उग्रसेन सिंह, डॉ. घनश्याम शर्मा, डॉ. अभय प्रताप सिंह आदि मौजूद रहे।
Sep 08 2024, 20:19