हिमाचल में कर्मचारियों को नहीं मिली सैलरी ना ही पेंशन, जानें क्यों गहराया आर्थिक संकट?
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कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश भारी आर्थिक संकट में फंस गया है। आर्थिक संकट इतना गहरा गया है कि 2 लाख कर्मचारी सितम्बर महीने में अपनी सैलरी का इंतजार कर रहे हैं। राज्य के पेंशनर भी अपनी पेंशन से वंचित हैं।राज्य के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब सरकारी कर्मचारियों का वेतन महीने की पहली तारीख को नहीं मिला। माना जा रहा है कि कर्मचारियों को वेतन के लिए 5 सितंबर तक का इंतजार करना होगा।केंद्र सरकार से राजस्व घाटा अनुदान के 490 करोड़ रुपए मिलने के बाद ही वेतन और पेंशन का भुगतान होगा।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनरों को अगस्त महीने की सैलरी सितम्बर माह के 3 दिन होने के बाद भी नहीं मिली है। सामान्यतः हर महीने की 1 तारीख को आने वाली सैलरी और पेंशन सितम्बर माह में नहीं आई। 1 तारीख को रविवार होने के कारण इसे बैंकिंग व्यवस्था में देरी मानी गई। कर्मचारियों और पेंशनरों को आश्चर्य तब हुआ जब उन्हें 2 तारीख को पैसा भी नहीं मिला, इस दिन सोमवार था और बैंक खुले थे। बताया गया है कि सैलरी और पेंशन में देरी सरकार की आर्थिक स्थिति के कारण हुई है।
आर्थिक संकट पैदा क्यों हो गया है?
हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट की चर्चा इन दिनों पूरे देश भर में हो रही है। ऐसे में हर किसी के मन में यह सवाल है कि राज्य में ऐसा आर्थिक संकट पैदा क्यों हो गया है? इसके पीछे की वजह देखें, तो रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में टेपर फॉर्मूला की वजह से राज्य सरकार को नुकसान हो रहा है। इस फॉर्मूले के मुताबिक, केंद्र से मिलने वाली ग्रांट हर महीने कम होती है। इसके अलावा, लोन लिमिट में भी कटौती की गई है। साल 2024-25 में रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में 1 हजार 800 करोड़ रुपये की कटौती हुई। आने वाले समय में यह परेशानी और भी ज्यादा बढ़ेगी।
ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली भी बनी वजह
आर्थिक हालत खराब होने की एक और वजह ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली भी है। इसकी वजह से नई पेंशन स्कीम के राज्य के कंट्रीब्यूशन के कारण मिलने वाला 2 हजार करोड़ का लोन भी राज्य सरकार को अब नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह से भी राज्य के खजाने पर बोझ आ गया है।
कैसे बिगड़ा बैलेंस?
हिमाचल की बदहाल आर्थिक स्थिति इसके 2024-25 के बजट से समझी जा सकती है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ₹58,444 करोड़ का बजट सुक्खू सरकार ने पेश किया था। इस बजट में भी सरकार का राजकोषीय घाटा (सरकार की आय और खर्चे के बीच का अंतर, जिसे कर्ज लेकर पूरा किया जाता है) ₹10,784 करोड़ है।
इस बजट का बड़ा हिस्सा तो केवल पुराने कर्जा चुकाने और राज्य के कर्मचारियों की पेंशन और तनख्वाह देने में ही चला जाएगा। इस बजट में से ₹5479 करोड़ का खर्च पुराने कर्ज चुकाने, ₹6270 करोड़ का खर्च पुराने कर्ज का ब्याज देने में करेगी। यानी पुराने कर्जों के ही चक्कर बजट का लगभग 20% हिस्सा चला जाएगा।
इसके अलावा सुक्खू सरकार तनख्वाह और पेंशन पर ₹27,208 करोड़ खर्च करेगी। इस हिसाब से देखा जाए तो ₹38,957 का खर्च तो केवल कर्ज, ब्याज, तनख्वाह और पेंशन पर ही हो आएगा। यह कुल बजट का लगभग 66% है। अगर नए कर्ज को हटा दें तो यह हिमाचल के कुल बजट का 80% तक पहुँच जाता है। यानी राज्य को बाकी खर्चे करने की स्वतंत्रता ही नहीं है।
हिमाचल प्रदेश 2024-25 में लगभग ₹1200 करोड़ सब्सिडी पर भी खर्च करने वाला है। यह धनराशि सामान्य तौर पर छोटी लग सकती है, लेकिन आर्थिक संकट में फंसे हिमाचल के लिए यह भी भारी पड़ रही है। इस सब्सिडी में सबसे बड़ा खर्चा बिजली सब्सिडी का है।
अभी कम नहीं होने वाली है मुश्किलें
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को हर महीने वेतन देने के लिए राज्य सरकार को 1 हजार 200 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसी तरह पेंशन देने के लिए हर महीने 800 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च होती है।कुल-मिलाकर यह खर्च 2 हजार करोड़ रुपये बनता है। वहीं, हिमाचल प्रदेश सरकार के पास इस वित्त वर्ष में दिसंबर तक लोन लिमिट 6 घर 200 करोड़ रुपये है। इनमें से 3 हजार 900 करोड़ रुपये लोन लिया जा चुका है। अब सिर्फ 2 हजार 300 करोड़ की लिमिट बची है। इसी से राज्य सरकार को दिसंबर महीने तक का काम चलाना है।
दिसंबर से लेकर मार्च तक वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही के लिए केंद्र से अलग लोन लिमिट सैंक्शन होगी। ऐसे में राज्य सरकार के समक्ष अब सितंबर के बाद अक्टूबर और नवंबर महीने का वेतन और पेंशन देने के लिए भी कठिनाई होगी।






भारतीय तटरक्षक बल के एक हेलीकॉप्टर को समुद्र में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी है।इस घटना में हेलीकॉप्टर पर सवार चार लोगों में तीन लापता बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश जारी है। वहीं क्रू के एक सदस्य को बचा लिया गया है। तटरक्षक बल ने जानकारी दी है कि 02 सितम्बर 2024 को रात 11 बजे गुजरात के पोरबंदर में मोटर टैंकर हरि लीला से एक घायल चालक दल के सदस्य को निकालने के लिए एएलएच हेलीकॉप्टर को भेजा गया था। यह कार्रवाई गुजरात के पोरबंदर तट से करीब 45 किलोमीटर दूर की गई। तटरक्षक बल ने बताया कि मोटर टैंकर हरि लीला के मालिक के अनुरोध पर यह कार्रवाई की गई थी। तटरक्षक बल के दल में चार लोग सवार थे। कथित तौर पर अभियान के दौरान हेलीकॉप्टर को अरब सागर में ही आपात लैंडिंग करनी पड़ी। इंडियान कोस्ट गार्ड ने ट्वीट कर के जानकारी दी है कि यह घटना तब हुई जब हेलीकॉप्टर निकासी के लिए जहाज के पास आ रहा था। आपातकालीन लैंडिंग करने वाले हेलीकॉप्टर के चालक दल के एक सदस्य को खोज लिया गया है। वहीं, 3 अन्य सदस्यों की तलाश जारी है।रेस्क्यू टीम को हेलीकॉप्टर का मलबा मिल गया है। इंडियान कोस्ट गार्ड ने बचाव अभियान के लिए 04 जहाज और 02 विमान तैनात किए हैं।
बीजेपी का सदस्यता अभियान सोमवार को से शुरू हो गया। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदस्यता दिलाई। पीएम नरेंद्र मोदी ने मिस्ड कॉल के जरिए बीजेपी की सदस्यता ली। इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह समेत पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने सदस्यता ली।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी के राष्ट्रीय सदस्यता अभियान के शुभारंभ के अवसर पर कहा कि बीजेपी अपने संविधान के आधार पर चलती है। पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज सदस्यता अभियान का एक और दौर शुरू हो रहा है। भारतीय जनसंघ से लेकर अब तक हमने देश में एक नई राजनीतिक संस्कृति लाने का भरसक प्रयास किया है। जब तक जिस संगठन के माध्यम से या जिस राजनीतिक दल के माध्यम से देश की जनता सत्ता सुपुर्द करती है, वो ईकाई, वो संगठन और वो दल अगर लोकतांत्रिक मूल्यों को नहीं जीता है, आंतरिक लोकतंत्र निरंतर उसमें पनपता नहीं है तो वैसी स्थिति बनती है जो आज देश कई दलों को हम देख रहे हैं। *भाजपा एकमात्र पार्टी,जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन करती है-पीएम मोदी* प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी है, जो अपनी पार्टी के संविधान अनुसार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए अपने कार्यों का विस्तार कर रही है और जन-सामान्य की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए अपने आप को निरंतर योग्य बनाती रहती है। मोदी ने कहा, मैं जब राजनीति में नहीं था, तो जनसंघ के जमाने में बड़े उत्साह के साथ कार्यकर्ता दीवारों पर पेंट करते थे, तो कई राजनीतिक दल के नेता अपने भाषण में मजाक उड़ाते थे कि दीवारों पर पेंट करने से सत्ता के गलियारों तक नहीं पहुंचा जा सकता है। हम वो लोग हैं, जिन्होंने दीवारों पर कमल पेंट किया, क्योंकि भरोसा था कि दीवारों पर पेंट किया गया कमल...कभी न कभी तो दिलों पर भी पेंट हो जाएगा। *नई राजनीतिक संस्कृति लाने का प्रयास किया-पीएम मोदी* पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, 'जनसंघ से लेकर अब तक हमने देश में एक नई राजनीतिक संस्कृति लाने का भरसक प्रयास किया है। जिस संघठन के माध्यम से देश की जनता सत्ता सुपुर्द करती है, वो ईकाई, वो संगठन, वो दल अगर लोकतांत्रिक मूल्यों को नहीं जीता है या उसके अंदर आंतरिक लोकतंत्र निरंतर नहीं पनपता है तो ऐसी स्थिति आती है जो आज हम देश कई दलों में देख रहे हैं। अमित भाई ने कहा कि देश में एकमात्र यही एक दल है जो पार्टी के संविधान का अक्षरश: पालन कर रहा है।' *जहां चुनौती है, वहां दिलों में कमल खिलाना है-पीएम मोदी* पीएम मोदी ने कहा कि यह दल ऐसे ही यहां तक नहीं पहुंचा। अनेक पीढ़ियां खप गई है। तब जाकर यह दल लोगों के दिलों में जगह बना पाया है। मैं जब राजनीति में नहीं था, जनसंघ के जमाने में बड़े उत्साह के साथ कार्यकर्ता दीवारों पर दीपक (जनसंघ) पेंट करते थे। तब कई राजनीतिक दल के नेता मजाक उड़ाते थे कि दीवारों पर दीपक जलाने से सत्ता के गलियारे तक नहीं पहुंचा जा सकता है। हम वो लोग हैं जिन्होंने दीवारों पर इतनी श्रद्धा से पेंट किया कि दीवारों पर पेंट किया हुआ कमल कभी न कभी तो दिलों पर पेंट हो जाएगा। कुछ लोग हमेशा हमारा मजाक उड़ाते रहे। जब संसद में हमारे दो सदस्य थे तब भी इतना भद्दा मजाक उड़ाया गया था। कुछ लोगों का चरित्र ही ऐसा होता है। ऐसी सभी आलोचनाओं को झेलते हुए हम जनसामान्य के कल्याण के लिए समर्पित होकर नेशन फर्स्ट की भावना को जीते हुए चलते ही रहे। पीएम मोदी ने कहा कि चुनौती को चुनौती देना बीजेपी की रगों में है। जहां चुनौती है, वहां दिलों में कमल खिलाना है।
Sep 03 2024, 14:09
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