तकनीक के युग में बदले युद्ध के तरीके, क्या सैनिकों की जगह हथियारों से लैस ड्रोन लड़ेंगे युद्ध?

#drone_are_the_weapons_of_the_future

आज यूरोप और मिडिल ईस्ट में संघर्ष की हालात है। एक तरफ रूस-यूक्रेन करीब ढाई साल से युद्ध लड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ इजराइल-हमास के बीच जंग जारी है। संघर्षों पर ध्यान दें तो अधिकतर हमलों में ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है।बीते कुछ महीनों में यूक्रेन ने रूस के भीतर लंबी दूरी तक हमले बढ़ा दिए हैं, वो सप्ताह में कई बार ड्रोन का इस्तेमाल कर रणनीतिक तौर पर अहम ठिकानों पर हमले कर रहा है। वो रूसी वायु सेना के ठिकानों, तेल और हथियारों के डिपो और उसके कमांड सेंटर्स को निशाना बना रहा है।यूक्रेनी कंपनियां अब सैकड़ों वन-वे (एक बार इस्तेमाल होने वाले) ड्रोन का उत्पादन कर रही हैं। यूक्रेन के एक टॉप कमांडर ने दावा किया है कि जंग की शुरुआत से लेकर अब तक रूस 14 हज़ार ड्रोन का इस्तेमाल कर चुका है।

वहीं दूसरी तरफ लगातार हमास और हिज्बुल्ला आतंकियों के ठिकानों पर ड्रोन से हमला कर रहा है। एक ड्रोन निगरानी और जासूसी करता है, तो दूसरे से हमला हो जाता है। कई बार तो एक ही ड्रोन से ये दोनों काम कर दिए जाते हैं। जिस ड्रोन से इजरायल ने निगरानी की. हमास आतंकियों की सुरंगों का पता लगाया, उसका नाम है एलबिट हर्मेस 450 (Elbit Hermes 450) ड्रोन। यह मीडियम साइज मल्टी पेलोड अनमैन्ड एरियल व्हीकल है। इसे लंबे समय वाले टैक्टिकल मिशन के लिए ही बनाया गया है। यह एक बार में कम से कम 20 घंटे तक उड़ान भर सकता है।

इन दोनों युद्दों पर गौर करें तो दुश्मन को नज़र आए बिना छिपकर वार करना अब युद्ध का यही तरीका बनता जा रहा है। ड्रोन, एक मानव रहित हथियार है। जिसके जरिए दुश्मन की जमीन पर कदम रखे बिना उसे ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सकता है। ड्रोन में इलेक्ट्रोऑप्टिकल, इंफ्रारेड सेंसर्स लगे हैं। जिनकी मदद से ये कम्यूनिकेशन और इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस, सिंथेटिक अपर्चर राडार, ग्राउंड मूविंग टारगेट इंडीकेशन, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर या हाइपरस्पेक्ट्रल सेंसर्स का इस्तेमाल करता है। ये ऐसी तकनीक हैं, जिनसे दुश्मन पाताल के अंदर कहीं भी छिपा हो, उसे ये खोज निकलते हैं।

वैसे ड्रोनों के इस्तेमाल का ये तरीका नया नहीं है। हां कह सकते हैं कि हाल के दशकों में इसी तरीके से जंग लड़े जा रहे हैं। 2019 में हूती लड़ाकों के ठिकानों से उड़े इन ड्रोन्स ने 1500 किलोमीटर दूर जाकर साउदी अरब में हमला किया। साउदी अरब की क्रूड ऑयल प्रोसेस करने वाले अबैकक पर हुए हमले में उन्हें पूरी तरह से तहस नहस कर डाला, लेकिन साउदी अरब का डिफेंस सिस्टम इन्हें डिटेक्ट नहीं कर सका। सउदी अरब में अमेरिकी पैट्रिओट -3 एयर डिफेंस सिस्टम लगा है, जो इन ड्रोन्स को डिटेक्ट करने में फेल हो गया। 2018 में भी हूती ने अबु धाबी एयरपोर्ट पर 3 हमले किए थे, इन हमलों में भी ड्रोन ही थे।

6 जनवरी 2018 को सीरीया पर इसी तरह का हमला हुआ , जो दूनिया का पहला ऐसा हमला था। जब अज्ञात जगह से आए हथियारों से लोडेड 13 ड्रोन्स ने सीरीया के हेमेमिन एयरबेस और टार्टस नवल बेस पर हमला किया था। इसके तीन महीने बाद रूस को भी ऐसे हमलों का सामना करना पड़ा था। एक के बाद एक तीन हमले, अप्रैल उसके बाद जून फिर अगस्त। इन हमलों में रूस ने कुल 47 ड्रोन्स को मार गिराया था।

2018 के अगस्त में वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मदुरो पर भी जो हमला हुआ, वो हथियारों से लैस ड्रोन से ही था। हालांकि राष्ट्रपति इस हमले में बच गए, लेकिन हथियार के तौर पर ड्रोन का इस्तोमाल किए जाने का खतरा बढ़ने की आशंका जतायी जाने लगी थी। जिसके बाद दुनिया के बड़े नेताओं की सुरक्षा में ड्रोन गन और बजूका जैसी बंदूकें शामिल की गई हैं। जो ड्रोन के हमले को पहले से ही मार गिराए।

युद्ध में इनका इस्तेमाल करने की शुरूआत सीआईए ने की, जब 2001 में तालीबान को निशाना बनाया गया। इसके बाद 15 सालों का कैंपन शुरू हुआ, जिसके बाद अफगानिस्तान और पाकिस्तान के इलाके में 400 से भी ज्यादा हमले हुए।

अमेरिका में ड्रोन का सालों से इस्तेमाल होता आ रहा है। ये बात भी किसी से छिपी नहीं है कि अमेरिका ड्रोन के जरिए सालों तक ओसामा बिन लादेन पर निगाहें बनाये हुए था और इसी सर्विलांस के जरिए 2011 में उसे मार गिराने में कामयाब रहा। ठीक इसी तरह अमेरिका ने 2015 में ड्रोन हमले में आईएसआईएस के आतंकी जिहादी जाॅन का भी काम तमाम किया था।

ये हमलावर ड्रोन शुरूआत में अमेरिका और इजराइल जेसै देशों के पास थे, जो तकनीक के मामले में आगे थे। बाद में चीन भी इसमें शामिल हो गया। चीन एक ऐसा देश है, जो अपने हथियार दूसरे देशों को बेचने की इच्छा रखता है। चीन ने अपने यहां बने ड्रोन्स को कई दूसरे देशों में बेचना शुरू किया और अब इस ड्रोन्स को तकनीक बदलकर हमलावर और आत्मधाती बनाया जा रहा है

ये ड्रोन्स ना केवल बहुत सस्ते हैं, बल्कि इनका रखरखाव भी आसान है। हथियारों से लोड दर्जन भर ड्रोन्स पर महज 1.5 लाख के करीब डॉलर खर्च कर अरबों का नुकसान किया जा सकता है।

दुश्मनों तो खाक में मिलाना हो तो ड्रोन्स अच्छे विकल्प साबित हो रहे हैं...पहले दुश्मनों की खुफिया जानकारी जुटाओ...फिर उन्हें मिट्टी में मिलाओं...इसका सबसे अच्छा उदाहरण ईरान है...जिसने ड्रोन की अत्याधुनिक तकनीक यमन के हूती विद्रोहियों को ट्रांसफर किया है....

केदारनाथ में आसमान से गिरा हेलीकॉप्टर, दूसरे हेलिकॉप्टर से लटकाया गया था, हवा में बैलेंस बिगड़ने पर पायलट ने ड्रॉप किया

#kedarnath_accident_crystal_helicopter_going_for_repairs_fell_down

केदारनाथ में एक हेलिकॉप्टर नदी में जा गिरा। यहां एमआई-17 हेलिकॉप्टर से खराब हुए हेलिकॉप्टर ले जाते वक्त हादसा हो गया।खराब हेलीकॉप्टर को एक अन्य हेलीकॉप्टर में बांधकर ले जाया जा रहा था। इसी बीच हेलीकॉप्टर जिस चैन से बंधा था वह चैन टूट गई। इसके बाद खराब हेलीकॉप्टर आसमान से सीधे जमीन पर आ गिरा। इस पूरी घटना का वीडियो भी कैमरे में कैद हो गया है।

24 मई 2024 को लैंडिंग के दौरान तकनीकी खराबी आने से जिस हेलिकॉप्टर की आपात लैंडिंग करानी पड़ी थी वो आज शनिवार सुबह क्रैश हो गया। हेली को ठीक करने के लिए वायु सेना के एमआई 17 हेलिकॉप्टर की मदद से हैंग करके गौचर हवाई पट्टी पहुंचाया जा रहा था। इस दौरान एमआई 17 डिसबैलेंस होने लगा। खतरे को भांपते हुए पायलट ने खाली स्थान देखते हुए हेली को घाटी में ड्रॉप कर दिया।

जिला पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे पर्यटन अधिकारी के मुताबिक, हादसा शनिवार सुबह सात बजे का है। शनिवार को हेली को ठीक करवाने के लिए गौचर हवाई पट्टी ले जाने की योजना थी, जिसके अनुसार सुबह सात बजे करीब वायु सेना के एमआई 17 हेलिकॉप्टर से क्रिस्टल एविएशन के हेली को हैंग कर गौचर पहुंचाया जाना था। थोड़ा दूरी पर आते ही हेली के भार एवं हवा के प्रभाव से एमआई 17 का बैलेंस बिगड़ने लगा, जिसके चलते थारू कैंप के नजदीक पहुंचने पर एमआई 17 से हेलिकॉप्टर को ड्रॉप करना पड़ा।

पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे ने बताया कि 24 मई 2024 को क्रिस्टल एविएशन कंपनी में तकनीकी खराबी आने के कारण पायलट की सूझबूझ से हेली को केदारनाथ हेलीपैड से कुछ दूरी पहले ही आपात स्थिति में लैंडिंग कराई गई थी। पायलट की सूझबूझ से हेली में सवार सभी यात्रियों की सुरक्षित लैंडिंग हुई थी।

केरल के आज से आरएसएस की सालाना समन्वय बैठक, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और बीएल संतोष होंगे शामिल
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* केरल के पलक्कड़ में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की 3 दिवसीय बैठक शनिवार यानी 31 अगस्त से शुरू हो रही है। इस मीटिंग में आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत, सहकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले समेत सभी सह सरकार्यवाह मौजूद रहेंगे। साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष भी मौजूद रहेंगे। वहीं, इस बैठक से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मुलाकात हुई है। इस मुलाकात के दौरान सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले भी मौजूद थे। जेपी नड्डा के संघ पर दिए विवादित बयान के बाद ये पहली मुलाकात सरसंघचालक मोहन भागवत से हुई है। आरएसएस की यह बैठक 31 अगस्त से 2 सितंबर तक होगी। इसमें आरएसएस से प्रेरित करीब 32 संगठनों के प्रतिनिधि भी भाग लेंगे, जिनके करीब 320 कार्यकर्ता शामिल होंगे। संघ के पदाधिकारियों के मुताबिक, यह आरएसएस की कार्यकारी बैठक नहीं है, बल्कि उससे जुड़े विभिन्न संगठनों की बैठक है। इस बैठक में आरएसएस से प्रेरित संगठनों के कार्यकर्ता अपने-अपने काम की जानकारी साझा करेंगे और अनुभवों का आदान-प्रदान करेंगे। मीडिटा रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मीटिंग में लोकसभा चुनाव के नतीजे और बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति को लेकर भी चर्चा हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरएसएस की इस समन्वय बैठक में आरएसएस के शताब्दी वर्ष को लेकर चल रही तैयारियों पर भी चर्चा होगी। आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी। सितंबर 2025 से सितंबर 2026 तक आरएसएस 100 साल होने पर कई कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा इस बैठक में पर्यावरण संरक्षण, पारिवारिक संबंधों को मजबूत करना जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होगी। इसके अलावा संघ के सभी 32 सहयोगी संगठनों के प्रतिनिधि अपने-अपने संगठनों की वर्किंग को लेकर रिपोर्टिंग भी करेंगे।
क्या हसीना के हटते ही ढाका में भारत विरोधी एजेंडे पर काम हो रहा? अब इस आतंकी को जेल से रिहा किया गया

#mufti_jashimuddin_rahmani_abt_chief_released_bangladesh_jail 

बांग्लादेश में शेख हसीने के सत्ता से हटने और देश छोड़ने के बाद गठित अंतरिम सरकार ने कुछ ऐसे फैसले लिए हैं, जिसपर सवाल उठ रहे हैं। सवाल ये हो रहे हैं कि क्या बंगाल की केयर टेकर सरकार के फैसले भारत की मुश्किलें बढ़ सकती है? एक तरफ बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी पर लगी पाबंदी हटा ली है। वहीं, दूसरी ओर अल-कायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन अंसारुल्लाह बंगला टीम (एबीटी) के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को रिहा कर दिया है। यह भारत के लिए बड़ी सुरक्षा चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि एबीटी कभी भारत में अपने नेटवर्क का विस्तार करने की कोशिश कर चुका है।

मुफ्ती जशीमुद्दीन रहमानी उन सैकड़ों आतंकवादियों में से एक था, जिसे तत्कालीन शेख हसीना सरकार ने सलाखों के पीछे डाला था। 12 अगस्त 2013 को रहमानी को लोगों को हिंसा के लिए उकसाने के आरोप में बरगुना में गिरफ़्तार किया गया था। अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के 30 सदस्यों को भी गिरफ़्तार किया गया था। 2013 में गिरफ़्तारी के बाद से रहमानी जेल में ही था। उन पर छह अलग-अलग मामले चल रहे हैं और पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ सभी मामलों में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। 31 दिसंबर 2015 को ढाका की एक अदालत ने ब्लॉगर राजीब हैदर की हत्या से जुड़े एक मामले में उन्हें पांच साल की सजा सुनाई थी। 

जशीमुद्दीन रहमानी को 2013 में धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगर राजीब हैदर की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। 15 फरवरी, 2013 की रात को हैदर को ढाका में उनके घर के सामने मौत के घाट उतार दिया गया था। इस हत्या के लिए शहर की एक अदालत ने दो लोगों – फैसल बिन नईम और रिजवानुल आजाद राणा – को मौत की सजा सुनाई थी।

बांग्लादेश ने मई 2015 में तीन धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगर्स की हत्या में शामिल होने के लिए कट्टरपंथी इस्लामी संगठन एबीटी पर प्रतिबंध लगा दिया था। समूह ने अत्यधिक प्रेरित और शिक्षित विश्वविद्यालय के छात्रों की भर्ती शुरू की, जो अंग्रेजी भाषा में पारंगत और सोशल मीडिया के जानकार होते थे। 2016 में किए गए एक आकलन के अनुसार, एबीटी हरकत उल-जिहाद अल-इस्लामी-बांग्लादेश (एचयूजेआई-बी) और जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) से बड़ा संगठन था।

विश्लेषकों ने आशंका जताई है कि मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता कट्टरपंथी इस्लामी तत्वों को बांग्लादेश में खुद को एकजुट करने में अहम रोल निभाग सकता है। वे कहते हैं कि ये तत्व पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के कहने पर भारत विरोधी गतिविधियों में भी शामिल हो सकते हैं।

बता दें कि 2017 में भारत में पैर जमाने की कोशिश कर रहे पांच एबीटी आतंकवादियों को असम में पकड़ गया था। जुलाई 2022 में, असम में एबीटी से जुड़े दो मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया। 2022 में फिर से, एबीटी से जुड़े दो इमामों को गिरफ्तार किया गया। दोनों इमामों को असम में गोलपारा पुलिस ने अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) और इस्लामिक आतंकवादी समूह अल कायदा भारतीय उपमहाद्वीप के खिलाफ व्यापक आतंकवाद विरोधी अभियान के तहत गिरफ्तार किया था। पुलिस द्वारा कई घंटों तक पूछताछ करने के बाद, तिलपारा नतून मस्जिद के इमाम जलालुद्दीन शेख (49) और मोरनोई के टिंकुनिया शांतिपुर मस्जिद के इमाम अब्दुस सुभान (43) दोनों को पुलिस हिरासत में ले लिया गया।

परमाणु मिसाइल पनडुब्‍बी अर‍िघात से डरा ड्रैगन! भारत को दे रहा शांति का ज्ञान

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भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात शुक्रवार को नौसेना में शामिल हो गई।यह पनडुब्‍बी के-15 परमाणु मिसाइल से लैस है जो 750 किमी तक मार कर सकती है। भारत बंगाल की खाड़ी के उत्‍तरी इलाके से अगर इस मिसाइल को दागता है तो चीन के यून्‍नान प्रांत और तिब्‍बत को तबाह कर सकता है। यही नहीं आगे चलकर इस सबमरीन में 3 हजार किमी तक मार करने वाली के 4 मिसाइल को भी फिट किया जा सकता है। जाहिर सी बात है भारत की इस बढ़ी हुई ताकत से देश के दुश्मन जरूर बौखला गए हैं।

आईएनएस अरिघात को लेकर चीन में भी दहशत है। ड्रैगन के जर का दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पड़ोसियों पर अपनी धौंस जमाने वाला चीन, भारत को शांति का पाठ पढ़ा रहा है।चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने चीनी विशेषज्ञों के हवाले से इस मिसाइल पनडुब्‍बी को लेकर भारत को नसीहत दी है।

चीन दे रहा है शांति तथा स्थिरता में योगदान देने की नसीहत

ग्‍लोबल टाइम्‍स ने अपने एक लेख में कहा, 'चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को शक्ति प्रदर्शन की बजाय इस ताकत को जिम्‍मेदारी के साथ रखना चाहिए और शांति तथा स्थिरता में योगदान देना चाहिए।' बीजिंग के सैन्‍य एक्‍सपर्ट ने ग्‍लोबल टाइम्‍स से कहा कि ज्‍यादा परमाणु ऊर्जा से चलने वाली मिसाइल पनडुब्‍बी से भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है लेकिन इसके साथ ही इस तरह की ताकत रखने से जिम्‍मेदारी भी बढ़ जाती है। चीनी एक्‍सपर्ट ने कहा कि जब तक परमाणु हथियार मौजूद हैं, इनका इस्‍तेमाल शांति और स्थिरता के लिए किया जाना चाहिए न कि शक्ति प्रदर्शन या परमाणु ब्‍लैकमेलिंग के लिए।

भारत को ज्ञान ना देने की मिली सलाह

चीन की इस नसीहत का भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्‍बल ने जवाब दिया है। उन्होंने एक्‍स पर लिखा, 'चीन के पास 6 परमाणु ऊर्चा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन और 6 परमाणु अटैक पनडुब्बी मौजूद हैं।' उन्होंने चीन पर तंज कसते हुए कहा कि चीन तो अपनी शक्ति का प्रदर्शन नहीं करता है, बस दोस्तों के बंदरगाहों पर जाता है। उन्होंने इसे चीन का पाखंड बताते हुए कहा कि चीन अक्सर अपनी नौसेना भेजकर ताइवान, जापान, फिलीपीन्‍स और वियतनाम जैसे पड़ोसी देशों को धमकाता रहता है। इसके बावजूद चीन के विशेषज्ञ भारत को ज्ञान दे रहे हैं।

जानें अरिघात में क्या है खास?

बता दें कि हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की नौसेना लगातार अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है। भारत के लिए ये चिंता का विषय है। जिसको देखते हुए भारत लगातार अपनी सेना को मजबूत करने में लगा है। इसी क्रम में आईएनएस अरिघात की एंट्री हुई है। लगभग 112 मीटर लंबी इस पनडुब्बी में K-15 मिसाइलें लगी हैं, जो 750 किलोमीटर तक मार कर सकती हैं। अरिघात K15 मिसाइलों को अधिक ले जा सकता है। यह दुश्मनों को छिपकर ध्वस्त कर सकता है। भारत की ये ताकत दुश्मन देशों के लिए काल बन चुकी है। चीन के समुद्री विस्तार को लगाम लगाने के लिए भारत का हर एक कदम उसे पीछे खदेड़ेगा।

गाजा में रुकेगी जंग, इजरायल नहीं बरसाएगा बम, 6 लाख बच्चों को देनी है वैक्सीन

#the_war_in_gaza_will_stop_more_than_6_lakh_children_will_be_given_vaccine 

इजरायल-हमास युद्ध से बड़ी राहत की खबर आ रही है। रविवार से अलग-अलग क्षेत्रों में 9 दिनों तक हमास को जान की फिक्र नहीं । सताएगी। दरअसल, इजराइल-हमास के बीच गाजा में तीन-तीन दिन के लिए कुछ इलाकों में सीजफायर पर सहमति बनी है। यानी कि गााज के अलग-अलग हिस्सों में तीन-तीन दिन (कुल 9 दिन) तक इजरायल की ओर से कोई रॉकेट या ड्रोन हमला नहीं होगा। बता दें कि गाजा में 25 साल बाद 23 अगस्त को पोलियो का पहला केस मिला था, जिसके बाद 6.40 लाख बच्चों को पोलियो का टीका लगाया जाएगा।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के अधिकारी रिक पीपरकोर्न ने कहा कि फिलिस्तीनी इलाकों में वैक्सीनेशन अभियान रविवार (1 सितंबर) को शुरू होगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय समयानुसार सुबह 6 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच सीजफायर रहेगा। डब्ल्यूएचओ अधिकारी ने कहा कि वैक्सीनेशन अभियान सेंट्रल गाजा में शुरू होगा, जहां तीन दिन का सीजफायर रहेगा। फिर दक्षिणी गाजा की ओर बढ़ेगा, जहां तीन दिन का और सीजफायर रहेगा। उसके बाद वैक्सीनेशन ड्राइव उत्तरी गाजा में चलाई जाएगी। पीपरकोर्न ने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो हर इलाके में सीजफायर को चौथे दिन तक बढ़ाया जा सकेगा।

डब्लूएचओ के इमरजेंसी डायरेक्टर रयान ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया, टीकाकरण को पूरा करने में अक्सर एक या दो दिन का अतिरिक्त समय लग जाता है। इसलिए दोनों पक्षों को इस पर राजी करवा लिया गया है। वहीं, पीपरकोर्न ने कहा कि अगर टीकाककरण का पहला दौर पूरा होता है तो चार सप्ताह बाद टीकाकरण का दूसरा दौर शुरू किया जाएगा।

बता दें कि इजरायल ने 7 अक्टूबर को दक्षिणी इज़राइल पर हमास द्वारा किए गए अभूतपूर्व हमले के जवाब में गाजा में सैन्य अभियान शुरू किया। हमास के हमले के दौरान लगभग 1,200 लोग मारे गए और 251 बंधक बनाए गए। क्षेत्र के हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 7 अक्टूबर से गाजा में 40,530 से अधिक लोग मारे गए हैं।

पेरिस पैरालंपिकःभारत का शानदार आगाज, पैरा शूटर अवनी लेखरा ने रचा इतिहास, अपना ही रिकॉर्ड तोड़ जीता सोना

#paris_paralympics_2024_avani_lekhara_wins_gold

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत ने शानदार शुरूआत की है। देश की स्टार पैरा शूटर अवनी लेखरा ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में गोल्ड मेडल पर कब्जा किया है। अवनी लेखरा ने पैरालिंपिक गेम्स में भारत को पहला मेडल दिला दिया है। उन्होंने विमेंस 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग की एसएच1 कैटेगरी में पैरालिंपिक रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने 249.7 स्कोर किया। पिछला पैरालिंपिक रिकॉर्ड 249.6 भी अवनी के ही नाम था, जो उन्होंने टोक्यो में बनाया था।

अवनी ने लगातार दूसरी बार पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीता है। महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल (एसएच1) कैटेगरी में अवनी ने पहला स्थान हासिल किया वहीं इसी इवेंट में भारत की अन्य पैरा शूटर मोना अग्रवाल ने ब्रॉन्ज पर निशाना साधा। मोना ने फाइनल में 228.7 स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता जबकि अवनी ने पैरालंपिक रिकॉर्ड के साथ सोने का तमगा हासिल किया। कोरिया की युनरी ली को सिल्वर मिला, उनका स्कोर 246.8 रहा। 

अवनी ने एसएच1 कैटेगरी में गोल्ड जीता था। शूटिंग में एसएच1 कैटेगरी में वे शूटर शामिल होते हैं, जिनके हाथ, शरीर के निचले हिस्से या पैर प्रभावित होते हैं। या फिर जिनके कोई अंग नहीं होते। क्वालिफिकेशन राउंड में अवनी लेखरा दूसरे और मोना अग्रवाल पांचवें नंबर पर रही थीं। फाइनल में 2 राउंड की शूटिंग बाकी थी, तब मोना 208.1 स्कोर के साथ टॉप पर थीं। अवनी दूसरे और कोरियन शूटर तीसरें नंबर पर थीं।

सेकेंड लास्ट राउंड में कोरियन शूटर ने पहला स्थान हासिल कर लिया और अवनी दूसरे पर पहुंची। जबकि मोना तीसरे नंबर पर रहकर गोल्ड मेडल की रेस से बाहर हो गईं। आखिरी राउंड में अवनी ने पैरालिंपिक रिकॉर्ड बनाया और 249.7 के स्कोर के साथ गोल्ड जीत लिया। जबकि कोरियन शूटर 246.8 पॉइंट्स के साथ दूसरे नंबर पर रही।

बता दें, अवनी लेखरा जयपुर की रहने वाली हैं और स्टार पैरा शूटर हैं. अवनी पहली बार उस समय सुर्खियों में आई थी जब तीन साल पहले टोक्यो पैरालंपिक में एसएच1 कैटेगिरी में उन्होंने गोल्ड मेडल जीतने का बड़ा कारनामा किया था। उनके नाम एक ही पैरालंपिक में दो मेडल जीतने का रिकॉर्ड है। टोक्यो पैरालंपिक में उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल में गोल्ड मेडल जीता था जबकि 50 मीटर राइफल थ्री-पोजीशन में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था। पेरिस में अब मेडल जीतने के साथ ही अब वह लगातार 2 पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पैरा एथलीट बन गईं हैं।

पीएम मोदी ने शिवाजी महाराज से मांगी माफी, छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा गिरने पर बोले- वे हमारे आराध्य

#pm_modi_apologize_on_falling_of_shivaji_maharaj_statue_in_maharashtra 

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में बीते दिनों छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिर गई थी। इस घटना को लेकर महाराष्ट्र में बड़ा राजनीतिक घमासान मचा हुआ था। आज शुक्रवार को महाराष्ट्र पहुंच कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एकसभा में इस घटना को लेकर माफी मांगी है। पीएम मोदी ने इस घटना को लेकर माफी मांगते हुए कहा है कि हमारे लिए शिवाजी आराध्य है।

मोदी ने पालघर में कहा, "2013 में भाजपा ने मुझे प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया। सबसे पहला काम जो मैंने किया, वह था रायगढ़ में छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि के सामने एक भक्त के रूप में बैठना और एक नई यात्रा शुरू करना।"

उन्होंने कहा, "छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे लिए सिर्फ एक नाम नहीं हैं। आज मैं सिर झुकाकर अपने भगवान छत्रपति शिवाजी महाराज से माफ़ी मांगता हूं। हमारे मूल्य अलग हैं, हम वो लोग नहीं हैं जो भारत माता के महान सपूत, इस भूमि के सपूत वीर सावरकर को गाली देते रहते हैं और उनका अपमान करते रहते हैं। वे माफ़ी मांगने के लिए तैयार नहीं हैं, वे अदालतों में जाकर लड़ने के लिए तैयार हैं।"

सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम फडणवीस भी मांग चुके हैं माफी

प्रधानमंत्री की यह प्रतिक्रिया 26 अगस्त को सिंधुदुर्ग में 35 फीट ऊंची छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के ढहने को लेकर चल रहे विवाद के बीच आई है। पीएम मोदी से पहले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने भी शिवाजी महाराज की प्रतिमा के ढहने पर बीते 28 अगस्त को राज्य के लोगों से माफी मांगी थी। इस घटना को लेकर विपक्ष महायुति गठबंधन सरकार पर लगातार निशाना साध रहा है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बृहस्पतिवार को कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो वह शिवाजी महाराज के 100 बार पैर छूने और घटना के लिए माफी मांगने से नहीं हिचकिचाएंगे।

'अजित पवार के बगल में बैठता हूं तो उल्टी...', शिंदे के मंत्री के बयान ने महाराष्ट्र में मचाया बवाल

शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता तानाजी सावंत ने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) और उसके प्रमुख अजित पवार पर विवादित टिप्पणी की है। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि वह पूरी जिंदगी एनसीपी की विचारधारा से कभी सहमत नहीं रहे. एकनाथ शिंदे की पार्टी के नेता ने कहा कि मैं शिवसैनिक हूं. यह सच है कि हमारी जिंदगी में कांग्रेस एवं NCP की कभी नहीं बनी. मैं जब से छात्र था, तब से कभी तालमेल नहीं बैठा. यह हकीकत है. आज, यदि मैं उनके (NCP) साथ कैबिनेट में भी बैठता हूं, तो बाहर आने के बाद मुझे उल्टी आती है. मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता.

तानाजी सावंत ने कहा कि मैं बेशक मंत्रिमंडल में NCP चीफ अजित पवार के साथ बैठता हूं किन्तु जैसे ही मैं बाहर आता हूं, मुझे उल्टी आने लगती है. इसे रोका नहीं जा सकता. ऐसा नहीं है कि इसे बदला नहीं जा सकता बल्कि हम अपने सिद्धांतों को लेकर प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि एलर्जी वाले शख्स को जैसे गोलियां खाने पर उल्टियां गिरती हैं. वैसी ही स्थिति मेरे साथ है.

वहीं, NCP के प्रवक्ता तथा एमएलसी अमोल मिटकरी ने सावंत के इस बयान की निंदा की. उन्होंने काह कि क्या शिवसेना के साथ संबंधों को सामान्य बनाए रखने की जिम्मेदारी सिर्फ एनसीपी की है. हम सिर्फ गठबंधन धर्म निभा रहे हैं. बता दें कि तानाजी सावंत पहले भी विवादित बयानों के लिए सुर्खियों में रह चुके हैं। 2022 में, उन्होंने रत्नागिरी जिले में बांध टूटने की घटना के लिए केकड़ों को जिम्मेदार ठहराया था, जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई थी। इस बयान की भी बहुत आलोचना की गई थी।

हिंदी फिल्म द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल की रिलीज़ रोकने की मांग, जानिए, क्या बोला हाई कोर्ट

 हिंदी फिल्म द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल की रिलीज के रास्ते में अब कोई रोड़ा नहीं है। हालाँकि, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस हिंदी फिल्म की रिलीज पर कोई अभी तक अंतरिम आदेश पारित नहीं किया है, कोर्ट ने रिलीज़ पर कोई भी आदेश देने से साफ़ इनकार कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी प्रकार की स्वस्थ आलोचना को रोका नहीं जाना चाहिए। अदालत में फिल्म को रोकने के लिए एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी।

रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में दावा किया गया था कि फिल्म में सूबे की सीएम (ममता बनर्जी) को गलत तरह से पेश किया गया है। इस पर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवज्ञानम और न्यायाधीश हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि उसका इस याचिका पर विचार करने का कोई इरादा नहीं है। हालाँकि, इस दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से हाई कोर्ट में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने याचिका के समर्थन में विस्तृत दलीलें देने की इच्छा जताई, इसलिए मामले को तीन हफ्ते बाद सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है। हाई कोर्ट ने याचिका पर कहा कि हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में हैं और बायोपिक के माध्यम से किसी भी प्रकार की स्वस्थ आलोचना को नहीं रोका जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि, हम एक सहिष्णु समाज हैं, पश्चिम बंगाल शुरू से एक सहिष्णु समाज रहा है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ज्वॉय साहा ने हाई कोर्ट से कहा कि सनोज मिश्रा द्वारा निर्देशित ये फिल्म दो समुदायों के बीच विवाद को बढ़ावा देने का काम करती है।

हाई कोर्ट ने कहा कि किसी पुस्तक, फिल्म या नाटक पर बैन लगाने के आग्रह संबंधी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया हुआ है कि ये लोगों पर निर्भर है कि वे उन्हें देखेंगे या पढ़ेंगे या नहीं। अदालत ने जनहित याचिका दाखिल करने वाले व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि यदि फिल्म में चित्रित किसी व्यक्ति को पीड़ा होती है, तो वह व्यक्ति कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता विवादित फिल्म की रिलीज के लिए सर्टिफिकेट कैंसिल करने का अनुरोध करते हुए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) का रुख कर सकता है। CBFC का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कोर्ट में कहा कि उसने फिल्म की रिलीज के लिए प्रमाणपत्र दे दिया है।