आयुर्वेद कॉलेज में नामांकन प्रक्रिया फिर लटकी
राजकीय महारानी रमेश्वरी आयुर्वेद कॉलेज की मान्यता के लिए बिहार सरकार ने पिछले माह में ही 5 चिकित्सकों की बहाली की थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की अधिसूचना के अनुसार एक माह भी नहीं बीते हैं कि इस आयुर्वेद कॉलेज के दो वरीय चिकित्सकों का पदस्थापन बेगूसराय में कर दिया है। इससे इस आयुर्वेद कॉलेज में छात्रों के नामांकन प्रक्रिया शुरू होने पर तलवार लटक गई है। बेगूसराय में स्थानांतरित होने वालों में इस आयुर्वेद कॉलेज के सह प्राध्यापक बाल रोग विभाग के डॉ. ओमप्रकाश द्विवेदी और नाक, कान और गला विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. मुकेश कुमार शामिल हैं।

आयुर्वेद कॉलेज की स्थापना 1975 में हुई थी

जानकारी के अनुसार इस आयुर्वेद कॉलेज की स्थापना 1975 में हुई। इसके बाद कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति रामकरण शर्मा के नेतृत्व में अंडरग्रेजुएट छात्र-छात्राओं नामांकन की मान्यता मिली थी। उनके यहां से अवकाश ग्रहण के बाद इस आयुर्वेद कॉलेज की आधारभूत संरचना निरंतर लचर होती गई।

इसके बाद भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली की टीम ने इस कॉलेज को निरीक्षण के दौरान मानक पर नहीं पाया। जिसमें अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर समेत चिकित्सकों की भारी कमी मिली। टीम के निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 2004 में मान्यता समाप्त कर दी गई। तब से इस आयुर्वेद कॉलेज में छात्र-छात्राओं के नामांकन पर रोक लगी हुई है।

बेगूसराय और पटना में चिकित्सक हुए ट्रांसफर

2021 में इसकी मान्यता बहाल करने के लिए शैक्षणिक सत्र 2022 में 60 सीटों पर नामांकन प्रारंभ करने का प्रस्ताव जारी किया। इस आयुर्वेद कॉलेज के 12 विभागों में करीब डेढ़ दर्जन से अधिक चिकित्सकों और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर की तैयारी शुरू कर दी गई।

इसमें डेढ़ दर्जन चिकित्सकों की बहाली भी की गई। उम्मीद जताई गई कि दिल्ली की टीम यहां का जायजा लेकर नामांकन की प्रक्रिया बहाल कर देगी। इसके एक साल के बाद ही आधा दर्जन चिकित्सकों को बेगूसराय और पटना के आयुर्वेद कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया। चिकित्सकों की फिर से कमी हो गई।

6 चिकित्सकों की बहाली हुई थी

इसके बाद 6 चिकित्सकों की बहाली हुई। अगले सत्र में नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद जगी, लेकिन चिकित्सकों और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी को लेकर तत्काल इस कॉलेज में छात्र-छात्राओं के नामांकन पर प्रश्न चिह्न लग गया है।

राजकीय महारानी रमेश्वरी आयुर्वेद काॉज के प्राचार्य डॉ. सीवी सिंह ने बताया कि एक सप्ताह में सरकार के आदेश पर यहां के दो चिकित्सकों को विरमित कर दिया जाएगा। इस कॉलेज में चिकित्सकों की भारी कमी है। स्थिति से विभाग को अवगत कराया गया है।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
दरभंगा में 19 सबमर्सिबल पंप की जांच करेगी पीएचईडी, कहीं नल नहीं तो कहीं चबूतरा का निर्माण अधूरा
सरकार ने दरभंगा जिले के 188 विद्यालयों में सबमर्सिबल लगाने का आदेश दिया था। इस योजना के लिए 2 लाख 65 हजार रुपए प्रति सबमर्सिबल की राशि डीईओ कार्यालय को उपलब्ध करा दी गई। विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के कार्यकाल में प्रतिदिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सबमर्सिबल की समीक्षा होती थी। बिहार शिक्षा परियोजना के अभियंताओं ने जैसे-तैसे सबमर्सिबल लगा भी दिया लेकिन काम अब तक पूरी तरीके से पूरा नहीं हुआ है। कहीं बोरिंग हुई तो टैंक नहीं लगा। टैंक लगा तो रनिंग वाटर आपूर्ति का पाइप नहीं लगा। किसी विद्यालय में दोनों काम हुए तो उसका चबूतरा नहीं बना। शिकायत मिलने पर ही राज्य सरकार ने पीएचईडी को सबमर्सिबल जांच का जिम्मा सौंपा है। 19 विद्यालयों में लगाए गए सबमर्सिबल की जांच पीएचईडी द्वारा की जा रही है। वह अपना जांच प्रतिवेदन सीधे शिक्षा विभाग को सौंपेगा। इधर डीईओ समर बहादुर सिंह ने कहा कि अभियंताओं से सबमर्सिबल का भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है। उनके सत्यापन के बाद ही भुगतान किया जाएगा।

हनुमान नगर प्रखंड मोरो उत्क्रमित उच्च विद्यालय में बोरिंग तो हुआ लेकिन बच्चों की संख्या के अनुपात में नलका नहीं लगा हुआ है। विद्यालय के उत्क्रमण सहित सभी कार्यों में लगे उमेश राय ने कहा कि आधा अधूरा काम का कभी पूरा लाभ नहीं मिलता है।

बेनीपुर प्रखंड के अमेटी उच्च विद्यालय में भी बोरिंग होने के बावजूद बच्चे चबूतरा के अभाव में नल से पानी नहीं पीते हैं। यह इसलिए क्योंकि नल से धरती पर गिरने वाले पानी से ड्रेस गंदी हो जाती है।
दरभंगा में 90% अनुदान पर नलकूप लगाने की थी योजना, 3 हजार लोग योजना से वंचित
सरकार किसानों की सुविधा बहाली के लिए कई तरह के प्रयास कर रही है। कई योजना की घोषणा हुई है। लेकिन, जमीनी स्तर पर किसानों को इसका सही फायदा नही मिल पा रहा है। दरभंगा में 34 साल से किसानों को बोरिंग नहीं मिली है। दरभंगा में 90% अनुदान पर नलकूप लगाने की योजना थी। 3 हजार लोग योजना से वंचित है। पूर्व मुख्यमंत्री डा
जगन्नाथ मिश्रा के तृतीय मुख्यमंत्रित्व काल में किसानों को नब्बे प्रतिशत सरकारी अनुदान पर लोहे के निजी नलकूप देने के लिए राशि जमा की थी। उनमें से इस जिला के लगभग तीन हजार सीमांत कृषकों को 34 साल बीतने के बाद भी राज्य सरकार ने बोरिंग नहीं दे पाई है।

तीन हजार किसान योजना से हुए

वंचित बता दें कि वित्तीय वर्ष 1990 - 91 में 90 प्रतिशत सरकारी अनुदान पर लोहे के नलकूप गड़वाने के लिए प्रति किसानों ने 1370 रुपए की दर से प्रखंड नजारत में राशि जमा की थी। 1370 रुपए की दर से राशि जमा करने वाले इस जिला के हजारों सीमांत किसानों को 150 फीट की गहराई वाला लोहे का नलकूप गड़वा भी दिया गया।

लेकिन, बाद में सरकार बदल जाने के बाद बोरिंग देने के काम में शिथिलता बरतनी शुरू हो गई। इसके कारण जिले में लगभग तीन हजार किसान इस योजना के फायदा पाने से वंचित रह गए। 34 साल की इस अवधि में किसानों को ना बोरिंग मिली न ही जमा की गई राशि मिल सकी है।

लोगों को नलकूप की उम्मीद

योजना लघु जल संसाधन विभाग संचालित कर रही थी। बघौल के योगेन्द्र ठाकुर, पधारी के चंद्रकांत चौधरी व सावित्री देवी नलकूप लिए बगैर इस दुनिया से चल बसे। बिठौली के करमचन्द्र राय, बन्डिहुली के लोटन यादव व महावीर मंडल, पघारी के बद्रीनारायण चौधरी व प्रफुल्ल चौधरी, शिवराम के शशिभूषण राय, कमलेश झा, योगेन्द्र झा सहित कई अन्य लोग जमा की गई राशि के बदले नलकूप की उम्मीद में बैठे हैं।

मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुमार चौधरी ने बताया कि मुख्यमंत्री, लघु जल संसाधन विभाग के मंत्री, प्रधान सचिव व जिलाधिकारी को कई बार ज्ञापन देकर मांग कर चुके हैं फिर भी कोई पहल नहीं हो सकी है।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
रेलवे स्टेशन पर टिकट चेक करता फर्जी TTE गिरफ्तार
दरभंगा स्टेशन पर पुलिस ने टिकट चेक कर रहे एक फर्जी TTE को गिरफ्तार किया गया है। फर्जी TTE मंगलवार सुबह समस्तीपुर से ट्रेन संख्या 13212 (दानापुर-जोगबनी एक्सप्रेस) पर चढ़ा और यात्रियों की टिकट चेक करने लगा। इसी दौरान एक यात्री को शक हुआ। उसने फर्जी TTE की फोटो खींची और इसकी जानकारी रेल प्रशासन को दी। जिसके बाद टाइगर स्क्वाड के चंद्र किशोर यादव और धर्मेद्र कुमार ने तुरंत करवाई करते हुए दरभंगा से उसे गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए फर्जी TTE का नाम अखिल चौधरी है। उसने अपने पिता को TTE में नौकरी मिलने का जॉइनिंग लेटर भी दिखाया था। पूछताछ में उसने टिकट चेक करने के आरोपों से इनकार कर दिया है। अखिल ने बताया कि वह टिकट चेक नहीं कर रहा था। वह बस ऐसे ही ट्रेन में चढ़ा था। उसने बताया कि उसे रेलवे में लोको पायलट बनने का शौक है। वह रेलवे में जॉब की तैयारी कर रहा है।

वहीं, आरोपी के पिता किशुन चौधरी ने कहा कि मेरे बेटे ने मुझे बताया था कि रेलवे में TTE की नौकरी लग गई है। उसने अपने घरवालों को TTE पद पर नौकरी मिलने का जॉइनिंग लेटर भी दिखाया था, लेकिन अचानक से रेलवे पुलिस ने बुलाया और कहा कि आपका बेटा फर्जी TTE बनकर लोगों से ठगी कर रहा था।

पिता का कहना है कि उनके बेटे ने पंद्रह दिन पहले ही नौकरी लगने की बात कही थी, लेकिन उसने ये काम कैसे शुरू किया, इसकी कोई जानकारी नहीं है।

रेल मंडल ने यात्रियों से की अपील

बता दें कि रेलवे प्रशासन को इसकी सूचना 26 अगस्त को ही दी गई थी। इसके बाद से ही प्रशासन काफी सजग थी। इसे लेकर स्टेशन और ट्रेनों में प्रशासन की टीम असामाजिक तत्व पर नजर बनाए हुई थी।

इसी क्रम में मंगलवार को दरभंगा स्टेशन से इसे गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में समस्तीपुर मंडल के सूचना जनसंपर्क पदाधिकारी ने अपील की है। उन्होंने कहा कि हम सभी यात्रियों से अनुरोध करते हैं कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को दें।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
दरभंगा में घरेलू गैस पाइप लाइन का काम युद्धस्तर पर
भोजन, वस्त्र, आवास हर मनुष्य की मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति होना जरूरी है। उसमें घरेलू गैस का हर चूल्हा तक पहुंचना केंद्र की मोदी सरकार की प्राथमिकता है। दरभंगा में लाखों लोगों का इसकी आपूर्ति के लिए जागरूक दिखना। इसके कार्यों के प्रति एक जिज्ञासा रखना इसका ज्वलंत उदाहरण है।

दरभंगा में सांसद डॉ.गोपाल जी ठाकुर ने दरभंगा में चल रहे उज्जवला योजना, गैस सिलेंडर कनेक्शन एवं वितरण, पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी, सीएनजी पंप, अंडर गैस पाइप लाइन सहित अन्य कार्यों की प्रगति और स्थिति से अवगत कराते उपरोक्त बातें कही।

सांसद ने कहा कि वर्तमान में दरभंगा में IOCL का 62, BPCL का 21 और HPCL का 15 पेट्रोल पंप क्रियाशील है। आने वाले दिनों में कई और नए जगहों पर पेट्रोल पंप खोले जाने का प्रस्ताव प्रक्रियाधीन है। सांसद ने अधिकारियों को ग्रामीण और क्षेत्र में जरूरत के अनुरूप नए पेट्रोल पंप खोलने और सभी पेट्रोल पंप पर सरकारी नियमानुसार दिए जाने वाले सुविधा जिसमें फ्री हवा, पीने का पानी, महिला और पुरुष के लिए अलग-अलग शौचालय, फोन की सुविधा सहित फर्स्ट एड किट की सुविधा उपलब्ध कराने के बारे में यह बात कही।

सांसद डॉ ठाकुर ने कहा कि वर्तमान में दरभंगा में 9 लाख 32 हजार LPG उपभोक्ता है। वहीं, उज्जवला कनेक्शनधारियों की संख्या 4 लाख 91 हजार है। उन्होंने क्षेत्र में विशेष अभियान चलाकर छूटे हुए सभी परिवार को LPG कनेक्शन लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में दरभंगा में कुल 77 गैस डिस्ट्रीब्यूटर क्रियाशील है। सांसद ने जानकारी देते हुए कहा कि दरभंगा में घरेलू गैस पाइप लाइन का काम युद्ध-स्तर पर चल रहा है।

दरभंगा में अभी तक 55 हजार से अधिक लोगों का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है। उसमें से लगभग 15 हजार घरों में पाइपलाइन लगाने का कार्य पूरा कर लिया गया है। सांसद ने कहा कि दरभंगा में गैस पाइप लाइन के माध्यम से घर-घर तक रसोई गैस पहुंचाना उनके ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में बेगूसराय से बहेड़ी के बीच दोनों ओर से चल रहे मुख्य पाइप लाइन के कार्य को तीव्र गति से पूरा करने का जानकारी दिए।

वहीं, बहेड़ी से दरभंगा के बीच गैस पाइप लाइन बिछाने की प्रक्रिया को जल्द पूरा कर कार्य प्रारंभ करने की बात कही। सांसद ने क्षेत्रवासियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि जनहित के किसी भी कार्य में कोई कठिनाई हो तो उसमें वह हर संभव सहायता करने का प्रयास करेंगे।

सांसद डॉ ठाकुर ने कहा कि यह पीएम नरेंद्र मोदी की गारंटी का नतीजा है कि आज देश के छोटे शहरों तक CNG और गैस पाईप लाईन के माध्यम से गैस आपूर्ति संभव हो रही है। उन्होंने कहा कि बीते दिनों वह केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पूरी से मिलकर भी इन सभी कार्यों की समीक्षा कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि विकसित दरभंगा बनाने के लिए वह हर समय प्रयत्नशील रहेंगे।
15 साल से जर्जर पड़ा स्कूल भवन, खंडहर में बदला
दरभंगा के गौड़ाबौराम प्रखंड क्षेत्र के बरदाहा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में राशि उठाव होने के 15 साल बाद भी स्कूल भवन का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है। काम कराने वाले प्रभारी प्रधानाध्यापक को उसके मूल स्कूल बरदाहा उर्दू में स्थनांतरित कर दी गई है। आश्चर्य की बात है की स्कूल में भवन निर्माण से संबंधित कार्य स्थल पर योजना पट्ट नहीं लगाई गई है।

वहीं, इस बीच बना बनाया अधूरा भवन खंडहर में तब्दील होने लगा है। भवन का ईंट उखड़ रहा है। स्कूल के छत से मटेरियल झड़ रहे हैं। चारों ओर गंदगी और जंगल का अंबार लग गया है।

जर्जर हालत में छोड़ा भवन

मालूम होता हैं कि साल 2007-2008 में 15 साल पहले लगभग 12 लाख रुपए की लागत से तात्कालीन प्रभारी प्रधानाध्यापक मो.अकरम द्वारा 3 कमरे और एक किचन और बाथरुम के भवन का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। जैसे तैसे भवन के छत की ढलाई कर छोड़ दी गई है।

इस बीच कई बार स्थानीय लोग भवन निर्माण का कार्य पूर्ण करने की मांग करते रहे। लेकिन उक्त भवन को उसी अवस्था में छोड़ दिया गया। इन सालों में अर्ध निर्मित भवन भी जर्जर होने लगा है। जबकि उक्त स्कूल में लगभग 150 छात्र नामांकित हैं। प्रत्येक दिन 120 की संख्या में बच्चों की उपस्थिति रहती है।

भवन के अभाव में छात्र-छात्राओं को पठन-पाठन में काफी परेशानियों का सामना करना पर रहा है। 4 शिक्षक दो कमरे में ही कक्षा 1 से वर्ग 5 तक की छात्रों को पढ़ाने में विवश हैं।

शुक्रवार को स्कूल रहती है बंद

कई लोगों ने बताया कि विभागीय पदाधिकारी और अभियंता की मिली भगत से स्कूल भवन की राशि को निकाल कर बंदरबांट कर लिया गया है।

भवन को यूं ही अधूरा छोड़ दिया गया है। इस दिशा में विभागीय स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। इस संबंध में कई अभिभावकों ने ऐसे अधूरे भवन को शीघ्र पूर्ण कराने के साथ ही वैसे शिक्षक और विभागीय अभियंता पर कार्रवाई की मांग की है।

मुस्लिम  क्षेत्र होने की वजह से यह स्कूल शुक्रवार को बंद रहती है। RTI कार्यकर्ता राजकुमार झा ने सूचना अधिकार के तहत उक्त स्कूल के स्थापना काल से ही अब तक विभाग से विभिन्न मद से उठाव और खर्च की गई राशि का विवरण पंजी की मांग BEO से किया है। प्रभारी प्रधानाध्यापक नवीन कुमार ने बताया कि स्कूल के प्रधानाध्यापक के चार्ज लिए डेढ़ साल हुए है। उन्होंने कहा कि हमसे पहले के प्रभारी प्रधानाध्यापक रविंद्र कुमार गुप्ता ने अधूरे भवन का निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए कई बार शिक्षा पदाधिकारी से अनुरोध किया था। लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। इस संबंध में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी आशानंद हाजरा ने बताया कि ये मुझसे पहले का मामला है। मैं इसकी जांच करवाता हूं की आखिर क्या वजह है।

वहीं, DEO समर बहादुर सिंह ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में है। मैं इस बात की जानकारी जुटवाता हूं। उचित समाधान किया जाएगा।
मखाना खेती जागरूकता के लिए होगा राष्ट्रीय स्तर का सेमिनार
मिथिला के मखाना ने दरभंगा सहित पूरे मिथिलांचल को विश्व मानचित्र पर एक बार फिर से प्रतिष्ठित किया है। इस चमत्कारिक जलीय फसल में उत्तर बिहार की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में क्रांति ला देने की पूरी क्षमता है। अब मखाना की खेती और इसके ग्लोबिंग मार्केटिंग के माध्यम से करोड़ों लोगों को रोजगार मुहैया होगी। दरभंगा के सांसद डॉ.गोपाल जी ठाकुर ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक डॉ.के.नरसैया और राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.मनोज कुमार के साथ दरभंगा स्थित अपने आवासीय कार्यालय में एक बैठक के बाद उपरोक्त बातें कहीं।

डॉ.नरसैया ने जानकारी दी कि मखाना और मखाना आधारित उत्पादों की बढ़ती राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मांग उत्तर बिहार की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हो सकती है। विश्व के कुल मखाना उत्पादन में बिहार का योगदान लगभग 80 प्रतिशत है।

अब मखाना की दोगुना हो रही खेती

मखाना की खेती और प्रसंस्करण में किसानों और उद्यमियों की बढ़ती रुचि, बेहतर आमदनी की सम्भावना, सकारात्मक नीतियां और राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा के शोध और प्रसार प्रयासों के कारण पिछले 5 सालों में मखाने की खेती का विस्तार तेजी से हुआ है। 5 साल पहले तक मखाने की खेती लगभग 15 हजार हेक्टेयर में होती थी, जो अब 30 से 35 हजार हेक्टेयर में होती है। इसकी उत्पादकता इस दौरान 14-16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बढ़ गई है। प्रति हेक्टेयर आमदनी 50-60 हजार रुपए से बढ़कर 1.5 से दो लाख तक अनुमानित है। मखाना किसानों और उद्यमियों की संख्या भी अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है।

1 लाख से 3 लाख तक पहुंची

आमदनी बिहार के दरभंगा में मखाना की खेती से 1 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर से 3 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर तक की आमदनी देखी गई है। दरभंगा स्थित मखाना अनुसंधान केंद्र को राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त होने के साथ ही संस्थान में रिसर्च के लिए जरूर आधारभूत संरचनाओं का विकास तेज हो गया है। विकासात्मक कार्यों के लिए फंड की उपलब्धता बढ़ी है। साथ ही वैज्ञानिकों की संख्या भी बढ़ी है।

मिथिला के किसानों और उद्यमियों के साथ-साथ पूरे देश में मखाने के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आगामी 17 अक्टूबर को मखाना अनुसंधान केंद्र में एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन होना है। आश्विन शुक्ल पूर्णिमा कोजागरा के दिन हर साल अक्टूबर महीने में राष्ट्रीय मखाना दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर विभिन्न जनप्रतिनिधि और दर्जनों मखाना खेती और उद्यमी मौजूद थे।
1350 रुपए की डीएपी के लिए किसानों को खर्च करने पड़ रहे 1700 से अधिक रुपए
दरभंगा में खरीफ मौसम के तहत विभिन्न फसलों की बुआई हो चुकी है। किसानों को डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) और एनपीके खाद को लेकर दिक्कत शुरू हो गई है। किसानों को डीएपी खाद मिलने में कठिनाई हो रही है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक पिछले करीब 4 महीने से जिले में डीएपी की भारी किल्लत चल रही है। किसानों का कहना है कि 1350 रुपए की डीएपी के लिए वह 1700 रुपए देने के लिए भी तैयार हैं।

फिर भी खाद नहीं मिल रही है। मानसून आने के बाद किसानों को डीएपी खाद की किल्लत शुरू हो गई है। बारिश के बाद किसान धान, मरूआ, मक्का, मूंग, उड़द की फसलों की खेती कर ली है। लेकिन डीएपी और एनपीके खाद नहीं मिलने से किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

5 दिनों से चक्कर काट रहे थोक विक्रेता

बहादुरपुर प्रखंड के किसान अरुण झा कहते हैं पिछले 5 दिनों से थोक विक्रेता व खुदरा विक्रेता के यहां चक्कर काट रहे हैं। लेकिन धान की फसल में देने के लिए डीएपी नहीं मिल रहा है। यूरिया देना पड़ रहा है। डीएपी की किल्लत से मेरे जैसे सैकड़ों किसान परेशान हैं।

कई किसान तो मजबूरी में बिना डीएपी और एनपीके धान में डाल रहे हैं। किसान संगठन से जुड़े रमेश कुमार ठाकुर कहते हैं कि देश के कई राज्यों में डीएपी खाद की कमी है। इसकी वजह है कि केंद्र सरकार ने राज्यों का कोटा घटा दिया है। इसमें कालाबाजारी से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है। डीएपी खाद की प्रति बैग की कीमत 1350 रुपए है।

लेकिन व्यापारी 1650 से लेकर 1700 रुपए तक वसूल रहे हैं। डीएओ कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल से अगस्त माह तक जिले में यूरिया की 20 हजार मीट्रिक टन की आवश्यकता थी। लेकिन जिले को 10,124 मीट्रिक टन उपलब्ध कराया गया। इसी प्रकार से अप्रैल से अगस्त माह तक 5400 मीट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता थी। लेकिन 2097 मीट्रिक टन उपलब्ध कराया गया।

इस मामले में जिला कृषि पदाधिकारी विपिन विहार सिन्हा ने बताया कि जिले में खाद की कोई कमी नहीं है। सरकार डीएपी की जगह मिक्सचर की आपूर्ति अधिक कर रही है। ताकि किसानों को खेती की लागत में कमी आ सके। एक बोरी डीएपी की जितनी कीमत है। उतने में किसानों को मिक्सचर मिल रहा है। मिक्सचर में सभी पोषक तत्व मौजूद रहता है।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
दरभंगा के SSP का तबादला एक्सप्रेस
दरभंगा में बड़े पैमाने पर पुलिस अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग की गई है। इसको लेकर दरभंगा के SSP जगुनाथ रेड्डी जला रेड्डी ने जानकारी दी है। ये ट्रांसफर और पोस्टिंग उन्हीं के आदेश पर जिले के अलग-अलग थाने में की गई है। जानकारी हो की वरीय पुलिस अधीक्षक ने 8 थानों के थानेदार को बदल दिया है। इसमें कुछ थानेदार को इधर से उधर कर दिया है। इसके अलावा नए कनीय अवर निरीक्षक को भी थानाध्यक्ष का मौका एसएसपी ने दिया है। ये वैसे कनीय अवर निरीक्षक हैं, जिन्होंने थाना में रहते हुए बेहतर पुलिसिंग की है।

पुअनि शैलेश कुमार को त्रिलोकेश्वर थाना अध्यक्ष से हटाकर विशनपुर का थानाध्यक्ष, पुअनि रूदल कुमार को सोनकी थाना अध्यक्ष से हायाघाट थानाध्यक्ष, पुअनि मनीष कुमार को बाजितपुर थाना से थानाध्यक्ष सिमरी, पुअनि धर्मेंद्र कुमार हांसदा शुभंकरपुर टीओपी से थानाध्यक्ष रेड्याम थानाध्यक्ष, पुअनि आलोक कुमार कअनि घनश्यामपुर थाना से थानाध्यक्ष अनुसूचित जनजाति/जाति थानाध्यक्ष, पुअनि मुकेश कुमार कअनि कमतौल थाना से बाजितपुर थानाध्यक्ष, पुअनि बसंत कुमार कअनि बहेड़ा थाना से सोनकी थानाध्यक्ष, पुअनि अंकित कुमार को कअनि बिरौल थाना से तिल्केश्वर थाना का थानाध्यक्ष बनाया गया हैं।
दरभंगा में 29 अगस्त को लगेगा जॉब कैंप
दरभंगा के युवाओं को एक बार फिर रोजगार के अवसर दिए गए है। संयुक्त श्रम भवन दरभंगा में 29 अगस्त को जॉब कैंप का आयोजन होगा। कैंप दिन के 11 बजे से शाम के 3 बजे तक लगेगा। 18 से 32 साल के युवक इस जॉब कैंप में भाग ले सकते है। फील्ड एसिस्टेंट ट्रेनी के पदों पर चयनित युवकों की बहाली की जाएगी। बहाली इन्टरव्यू के आधार पर रोगी। जॉब कैंप में कुल 50 सीट निर्धारित है। बहाली Bharat Financial Inclusion LTD की ओर से होगी।

जानकारी अवर प्रादेशिक नियोजनालय ने दी है। सहायक निदेशक (नियोजन) ने कहा कि इस जॉब कैंप में चयनित अभ्यर्थियों को 10,500 रुपए (Fresher) और अनुभवी अभ्यर्थी को साक्षात्कार के आधार पर वेतन सहित अन्य मुफ्त आवास इनसेंटिव, फ्यूल खर्च प्रतिमाह मिलेगा। चयनित अभ्यर्थी को दरभंगा व मधुबनी में रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। चयनित अभ्यर्थियों के पास दो पहिया वाहन और लाइसेंस होना अनिवार्य है।

जॉब कैंप में निःशुल्क भाग ले सकते

उप निदेशक, जन-सम्पर्क सत्येन्द्र प्रसाद ने कहा कि इच्छुक अभ्यर्थी मेले में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर रोजगार के अवसर का लाभ उठा सकते हैं। जॉब कैंप में भाग लेने के लिए अभ्यर्थियों के लिए नियोजनालय निबंधन अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि इच्छुक अभ्यर्थी भारत सरकार के NCS Protal (www.ncs.gov.in) पर जाकर खुद से या इस नियोजनालय में आकर निबंधन करा सकते हैं।