आइए जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर की सबसे पहली पॉलिटिकल पार्टी कौन सी थी
कश्मीर की पहली राजनीतिक पार्टी 1932 में बनी थी। उसका नाम था – ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस। बाद में इसका नाम नेशनल कॉन्फ्रेंस कर दिया गया और यह आज भी कश्मीर में एक प्रमुख राजनीतिक दल बनी हुई है।

किस घटना के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस की नींव पड़ी?

शेख अब्दुल्ला ने मीरवाइज यूसुफ शाह और चौधरी गुलाम अब्बास के सात मिलकर ‘ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस’ की स्थापना की थी। पार्टी के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला का जन्म 5 दिसंबर 1905 को कश्मीर के श्रीनगर के बाहरी इलाके में एक गांव में हुआ था। उनकी पहली बड़ी राजनीतिक भागीदारी जुलाई 1931 में हुई थी। दरअसल, उस समय पुलिस गोलीबारी में 21 लोगों की मौत हो गई थी। इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान शेख अब्दुल्ला को गिरफ्तार कर लिया गया था। अपनी रिहाई के तुरंत बाद, उन्होंने अक्टूबर 1932 में ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस की स्थापना की।

नाम बदलने पर दो हिस्सों में टूट गई पार्टी

शेख अब्दुल्ला को जल्द ही एहसास हुआ कि कश्मीरी राजनीति को खुद को धर्मनिरपेक्ष के सिद्धांत पर स्थापित करने की जरूरत है। इस सोच के साथ उन्होंने 1939 में पार्टी का नाम ‘ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस’ से बदलकर ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस’ कर दिया।लेकिन इस फैसले से कई नेता खुश नहीं थे। उन असंतुष्ट नेताओं ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर ‘मुस्लिम कॉन्फ्रेंस’ की स्थापना की। दूसरी तरफ नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कश्मीर के अल्पसंख्यक नेताओं और कांग्रेस नेतृत्व दोनों के साथ संबंध स्थापित किए। जवाहरलाल नेहरू के साथ उनकी साझा विचारधारा ने इसमें सहायक स्थापित हुई।

भारत में कश्मीर के विलय को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस की क्या राय थी?

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सत्तारूढ़ डोगरा राजवंश के खिलाफ बड़े पैमाने पर ‘कश्मीर छोड़ो’ आंदोलन शुरू किया था. एक समय पर कश्मीर महाराजा ने अब्दुल्ला को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। पंडित नेहरू ने इस दमन का विरोध किया था।

नेशनल कॉन्फ्रेंस कश्मीर के भारत में विलय के पक्ष में थी। उन्होंने पाकिस्तान की ओर से भेजे आदिवासी हमलावरों के खिलाफ कश्मीर की रक्षा के लिए लोगों को संगठित किया था।पार्टी ने महाराजा से भारत में विलय स्वीकार करने का आग्रह किया।

जम्मू-कश्मीर की राजनीति में नेशनल कॉन्फ्रेंस का इतिहास

पंडित नेहरू की अंतरिम सरकार ने 5 मार्च 1948 को शेख अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।इसके बाद जब सितंबर 1951 में चुनाव हुए , तो नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा की सभी 75 सीटें जीतीं।

हालांकि, नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख शेख अब्दुल्ला को देश के खिलाफ साजिश करने के आधार पर अगस्त 1953 में प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया। 1965 में, नेशनल कॉन्फ्रेंस का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) में विलय हो गया. यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की जम्मू और कश्मीर शाखा बन गई।शेख अब्दुल्ला को राज्य के खिलाफ साजिश के आरोप में 1965 से 1968 तक फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।

केंद्र सरकार के साथ एक समझौते के बाद फरवरी 1975 में अब्दुल्ला को सत्ता में लौटने की अनुमति मिल गई गई और 1977 में वो फिर से भारी बहुमत से राज्य विधानसभा चुनाव जीत गए।शेख अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने। 8 सितंबर 1982 को उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने। जून 1983 के चुनावों में, फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) ने फिर से बहुमत हासिल किया।

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव आखिरी बार दस साल पहले 2014 में हुए थे।  तब कांग्रेस ने JKNC के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया। JKNC ने सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन केवल 15 सीटें जीतीं, यानी बहुमत से 13 सीट कम। PDP ने 28 सीटें जीतीं और विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई।इस चुनाव में किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल सका था. इसके बाद पीडीपी-भाजपा ने गठबंधन कर प्रदेश सरकार बनाई थी।


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जानिए सरकारी नौकरियों में टैटू क्यों बढ़ाता है रिजेक्शन, कौन-कौन सी नौकरियों में टैटू के कारण नहीं मिलती नौकरी

डेस्क :– शरीर पर बना टैटू भी सरकारी नौकरी मिलने में मुश्किल खड़ी कर सकता है।हाल में एक ऐसा ही मामला चर्चा में आया  उत्तर प्रदेश के बागपत के 20 वर्षीय दीपक यादव को टैटू के कारण दिल्ली पुलिस भर्ती में रिजेक्ट कर दिया गया। दीपक ने इसके लिए बकायदा कानूनी लड़ाई लड़ी ।अब दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया है। फैसले में कहा गया है कि हल्के पड़ चुके टैटू के निशान के आधार पर उम्मीदवार को सरकारी नौकरी से रिजेक्ट नहीं किया जा सकता।

टैटू क्यों बढ़ाता है रिजेक्शन?

टैटू बनवाया है तो कोई भी सरकारी नौकरी के लिए रिजेक्ट कर दिया जाएगा, यह पूरी तरह से सच नहीं है। कुछ ऐसी जॉब प्रोफाइल हैं जहां पर टैटू को लेकर सख्ती है और कुछ में पाबंदियां हैं। टैटू के नाम पर उम्मीदवारों को रिजेक्ट क्यों कर दिया जाता है, अब इसे समझ लेते हैं।इसकी कई वजह बताई गई हैं।

माना जाता है कि टैटू कई तरह के रोगों जैसे एचआईवी, स्किन डिजीज, हेपेटाइटिस ए और बी को बढ़ावा दे सकता है। टैटू बनवाने वाले लोग अपने काम को गंभीरता से नहीं करते। सबसे बड़ा कारण यह बताया जाता है कि ऐसा नौकरियों में समानता दिखाने के लिए किया जाता है। वहीं, सेना में ऐसे उम्मीदवारों की भर्ती नहीं की जाती है जिनकी बॉडी पर बड़े टैटू होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि टैटू बनवाने से उस शख्स की पहचान आसानी से हो जाती है और सेना में सुरक्षा के लिहाज से ऐसा ठीक नहीं होता। टैटू को लेकर क्या हैं नियम?

टैटू को लेकर कई बार मामले कोर्ट तक पहुंच चुके हैं। इसको लेकर फैसले भी आए। भारत सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक, जनजाति के प्रचलित रीति-रिवाजों और परंपराओं से जुड़े शख्स के शरीर में किसी भी हिस्से पर स्थायी टैटू पहनने की अनुमति है। हालांकि, अन्य लोगों के लिए केवल छोटे, सुरक्षित टैटू की अनुमति है। इसमें धार्मिक प्रतीक या किसी अपने प्रियजन का नाम नहीं होना चाहिए।

टैटू के ज्यादातर मामले सेना से जुड़ी भर्ती के रहे हैं, जहां इसको लेकर गाइडलाइन सख्ती से लागू की जाती है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय नौसेना, तटरक्षा और पुलिस विभाग में शामिल होने शख्स के शरीर के किसी बाहरी हिस्से में, कोहनी से कहलाई तक या हथेली के पिछले हिस्से में टैटू की अनुमति नहीं है। शरीर के अंदरूनी हिस्से में छोटे टैटू की अनुमति है। टैटू अभद्र, लैंगिकवादी या नस्लवादी नहीं होने चाहिए। आमतौर पर अगर टैटू आपत्तिजनक नहीं है तो भर्ती के कैंडिडेट को अयोग्य नहीं घोषित किया जा सकता। टैटू के मामले जो कोर्ट तक पहुंचे

बागपत के दीपक ने साल 2023 में कर्मचारी चयन आयोग का विज्ञापन देखा, जिसमें दिल्ली पुलिस कॉन्सटेबल भर्ती का जिक्र था। उन्होंने आवेदन किया। दिसम्बर 2023 में लिखित परीक्षा पास की. मेडिकल परीक्षा में फिटनेस टेस्ट के लिए दीपक के दाहिने हाथ पर बने मां के टैटू को मिटवाने की कोशिश की थी। फिटनेस टेस्ट में वो सफल रहे, लेकिन मिटाए हुए टैटू के कारण उन्हें अनफिट बता दिया गया। फिर मामला कोर्ट पहुंचा और दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया।

अब दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया है।फैसले में कहा गया है कि हल्के पड़ चुके टैटू के निशान के आधार पर उम्मीदवार को सरकारी नौकरी से रिजेक्ट नहीं किया जा सकता।

ऐसा ही एक मामला दो साल पहले आया था। एक शख्स ने अपने दाहिने हाथ के पिछले हिस्से में धार्मिक टैटू बनवाया था। उसने CRPF, NIA समेत अन्य बलों में भर्ती के लिए परीक्षा दी तो उसे रिजेक्ट कर दिया गया।इसके बाद मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा।

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क्या आप जानते हैं राम मंदिर बनाने में कितना  खर्च हुआ और कितना मिला पैसा?

डेस्क :– अयोध्या में बने राम मंदिर में 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा हुई। इसके बाद रामलला के दरबार में भक्तों ने जमकर दान दिया। साथ ही मंदिर को भव्य रूप देने के लिए करोड़ों का खर्चा किया गया। मंदिर पर आज भी निर्माण कार्य जारी है। इस बीच रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंदिर में आय-व्यय का लेखा-जोखा जारी किया है । ट्रस्ट ने एक अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक हुए खर्चे और दान में मिली रकम को लेकर जानकारी सार्वजनिक की है।

रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बताया कि भक्तों से रामलला के दरबार में एक साल में 363 करोड़ 34 लाख रुपये प्राप्त हुए। यह अलग-अलग मदों से भक्तों ने दान के रूप में मंदिर में पेश किए हैं  इसके साथ ही एक साल में राम मंदिर और उसके परिसर में 776 करोड़ रुपये निर्माण में खर्च हुए हैं। केवल मंदिर निर्माण की बात करें तो इसमें 540 करोड़ रुपये खर्चा एक साल में आ चुका है।

भक्तों ने दिया जमकर दान

राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने वित्तीय वर्ष के आयव्यय का लेखाजोखा सार्वजनिक करते हुए बताया कि एक साल में मंदिर को दान के रूप में 363 करोड़ 34 लाख रुपये मिले । इनमें ट्रस्ट के दान पत्र में 53 करोड़ रुपये । रामलला की हुंडी में 24.50 करोड़। रामलला को ऑनलाइन 71.51 करोड़ रुपये मिले हैं। इसके अलावा विदेशी राम भक्तों ने रामलला को 10.43 करोड़ रुपये का दान दिया ।

इतना आया खर्चा, मिला सोना-चांदी
ट्रस्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि 4 वर्षों में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को 13 कुंतल चांदी और 20 किलो सोना राम भक्तों ने रामलला को समर्पित किया है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष के नाम से 2100 करोड़ रुपये का चेक प्राप्त हुआ है। चंपत राय ने जानकारी दी कि वित्तीय वर्ष में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण सहित अन्य निर्माण पर 776 करोड़ रुपए खर्च हुए। सिर्फ मंदिर निर्माण में 1 साल में 540 करोड रुपए खर्च हुए।1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक मंदिर के निर्माण में 670 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव पास किया गया है।

जन्मभूमि पथ पर जर्मन हैंगर, बनेगा टाइटेनियम राम दरबार

मंदिर में दर्शन करने वाले भक्तों की सुविधाओं को लेकर खास ख्याल रखा जा रहा है। ट्रस्ट ने बैठक में बताया कि श्रद्धालुओं को गर्मी और बरसात में राहत देने के लिए राम जन्मभूमि पथ पर जर्मन हैंगर लगाया जाएगा।इसका काम अक्टूबर से शुरू हो जाएगा। जर्मन हैंगर डेढ़ किलोमीटर जन्मभूमि पथ पर लगाया जाएगा। इसके अलावा राम मंदिर के प्रथम तल पर टाइटेनियम के राम दरबार का निर्माण किया जाएगा। इसको उत्सव मूर्ति के रूप में स्थापित किया जाएगा। इसकी ऊंचाई डेढ़ फीट और चौड़ाई एक फीट की होगी।

कामगारों के लिए राजस्थान में कैंपिंग

ट्रस्ट ने बताया कि राम जन्मभूमि पर भगवान राम लला के मंदिर के द्वितीय तल का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। राम मंदिर के शिखर के निर्माण को लेकर भी कार्यदाई संस्थाओं को कामगारों की संख्या बढ़ाने का निर्देश ट्रस्ट ने जारी किया है। इसके लिए लार्सन ऐंड टुब्रो के अधिकारी शिखर निर्माण में पारंगत कामगारों की खोज में राजस्थान में कैंपिंग कर रहे हैं। शिखर निर्माण में कुशल 24 कामगारों को अयोध्या लाने की तैयारी की जा रही है।

बैठक में ऑनलाइन भी शामिल हुए महंत

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नित्य गोपाल दास के आश्रम मणिराम दास छावनी में गुरुवार को एक महत्वपूर्ण बैठक की गई थी। यह बैठक राममंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष निपेंद्र मिश्र और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नित्य गोपाल दास के नेतृत्व में आयोजित हुई थी। ट्रस्ट की इस बैठक में कुल आठ ट्रस्टियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। वहीं कुछ ट्रस्टी ऑनलाइन के माध्यम से ट्रस्ट की बैठक में शामिल हुए थे।

ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी, अनिल मिश्र, विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, महंत दिनेंद्र दास और पदेन ट्रस्टी अयोध्या के जिला अधिकारी भी इस बैठक में शामिल हुए, जबकि जगत गुरु विश्व प्रसन्न तीर्थ, केशव पारासारण , युग पुरुष परमानंद, केंद्र सरकार के सचिव प्रशांत लोखंडे , जगद्गुरु वासुदेवानंद सरस्वती, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ट्रस्ट ट्रस्ट की बैठक में शामिल हुए। राम मंदिर के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल अस्वस्थ होने के करण बैठक में शामिल नहीं हुए।


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आइए जानते हैं कि किस तरह किसी भारतीय की नागरिकता रद्द हो सकती है, जाने नियम

डेस्क :– भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने संसद में विपक्ष नेता (LoP) राहुल गांधी की नागरिकता को रद्द करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने अब इस मामले को जनहित याचिकाओं से निपटने वाली रोस्टर बेंच को भेज दिया है। याचिक में अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने के लिए गृह मंत्रालय को निर्देश दे। आइए जानते हैं कि किस आधार पर कोई अपनी भारतीय नागरिकता खो सकता है।

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2019 में गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि बैकऑप्स लिमिटेड नाम की एक यूनाइटेड किंगडम की कंपनी में राहुल गांधी निदेशक और सचिव थे।उस कंपनी की ओर से 2005 और 2006 में दाखिल वार्षिक रिटर्न में गांधी ने अपनी राष्ट्रीयता ब्रिटिश बताई थी

याचिका में किस आधार पर नागरिकता रद्द करने की मांग है?

सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत पर गृह मंत्रालय ने अप्रैल 2019 में राहुल के खिलाफ एक नोटिस जारी किया था।राहुल को ब्रिटिश नागरिक होने के आरोपों पर 15 दिन के अंदर जवाब देने को कहा गया था। सुब्रमण्यम का कहना है कि 5 साल बीत जाने के बाद भी गृह मंत्रालय की ओर से अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि इस पर क्या निर्णय लिया गया है। याचिका में सुब्रमण्यम का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 9 और भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द हो जानी चाहिए।

संविधान के अनुच्छेद 9 में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति ने किसी दूसरे देश की नागरिकता अपनी इच्छा से ले ली है तो वह अनुच्छेद 5 के आधार पर भारत का नागरिक नहीं होगा। उसे अनुच्छेद 6 या अनुच्छेद 8 के आधार पर भारत का नागरिक नहीं समझा जाएगा। अनुच्छेद 5 के अनुसार, भारत में जन्मा या जिसके माता-पिता में से कोई भारतीय है, वो शख्स भारतीय नागरिक होगा। भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 में भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की शर्तें और प्रक्रिया का जिक्र है. इसमें बताया गया है कि भारतीय नागरिकता जन्म, वंश, पंजीकरण और नेचुरलाइजेशन (प्राकृतिककरण) द्वारा हासिल की जा सकती है।

किन-किन मामलों में रद्द हो सकती है नागरिकता?

सिटिजनशिप एक्ट 1955 में नागरिकता हासिल करने के साथ-साथ रद्द होने का भी प्रोसेस बताया गया है। इसके अनुसार तीन तरह से भारतीय नागरिक, चाहे वह संविधान के प्रारंभ में नागरिक हो या उसके बाद का नागरिक हो, अपनी नागरिकता खो सकता है। यह हैं – त्याग, समाप्ति और अभाव।

सिटिजनशिप एक्ट के सेक्शन 8 के तहत कोई भारतीय नागरिक अपनी नागरिकता खुद से त्याग सकता है। इस सिलसिले में घोषणा करके और इसे पंजीकृत करवाकर वो अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ सकता है। जब कोई पुरुष अपनी नागरिकता छोड़ देता है, तो उसका प्रत्येक नाबालिग बच्चा भारतीय नागरिक नहीं रहता है। हालांकि, अगर ऐसा बच्चा 18 साल का होने के एक साल के भीतर भारतीय नागरिकता फिर से पाने के लिए आवेदन करता है, तो उसे नागरिकता मिल जाएगी। यदि भारत का कोई नागरिक अपनी इच्छा से किसी दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, तो वह भारत का नागरिक नहीं रहेगा। सिटिजनशिप एक्ट के सेक्शन 9 के तहत उसकी नागरिकता रद्द कर दी जाएगी। यदि कोई सवाल उठता है कि क्या, कब या कैसे किसी व्यक्ति ने दूसरे देश की नागरिकता हासिल की है, तो इसका फैसला नियमों द्वारा निर्धारित उचित अथॉरिटी करेगी

किसी भारतीय की नागरिकता को रद्द करने की पावर केंद्र सरकार के पास भी होती है. अगर कोई नेचुरलाइजेशन, रजिस्ट्रेशन, डोमिसाइल और निवास से भारत का नागरिक बना है, तो केंद्र सरकार आदेश पारित करके उसकी नागरिकता खत्म कर सकता है यदि –

नागरिक ने भारत के संविधान के प्रति निष्ठा नहीं दिखाई।

नागरिक ने धोखाधड़ी, गलत प्रतिनिधित्व या किसी भौतिक तथ्य को छिपाकर नागरिकता प्राप्त की है।

युद्ध के दौरान नागरिक ने दुश्मन के साथ गैरकानूनी तरीके से व्यापार या संचार किया है।

नागरिक, पंजीकरण होने के पांच साल के भीतर, किसी भी देश में दो साल के लिए कैद हो

नागरिक सामान्यतः लगातार सात सालों से भारत से बाहर रह रहा हो।

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अगर आप भी इतिहास को जानने के इच्छुक हैं तो हम आपको ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में आज बताएंगे


डेस्क :– घूमने-फिरने के शौकीन लोगों को ट्रिप पर जाने के अलावा नई नई जगहों को एक्सप्लोर करना पसंद होता है। घूमने के शौकीन लोग हमेशा यही कोशिश करते हैं कि वह कुछ नई जगहों पर वक्त बिताएं। हालांकि कई ट्रैवलर मूड फ्रेश करने के लिए नहीं बल्कि किसी जगह की हिस्ट्री या हेरिटेज जानने के लिए यूनिक जगहों पर घूमते हैं। अगर आप भी इतिहास को जानने के इच्छुक हैं तो हम आपको ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में बताएंगे। प्लोवदीव को अक्सर बुल्गारिया में ‘सात पहाड़ियों का शहर’ कहा जाता है. यहां घूमने के लिए पर्यटकों को कई शानदार जगह मिल जाएंगी। यहां धार्मिक स्थल, पार्क, एतिहासिक इमारतें हर किसी को भाती हैं।

यरुशलम इजरायल का प्राचीन और ऐतिहासिक शहर माना जाता है। यह शहर मूल रूप से यहूदियों का शहर कहा जाता है। खास बात ये है कि यहां ईसाई और मुस्लिमों के लिए भी कई पवित्र स्थल हैं। यहां के पुराने और नए शहर में देखने के लिए बहुत से दर्शनीय स्थल मौजूद हैं।

बेयरूत लेबनान की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है  यहां का नजारा हर किसी को भा जाता है। लेबनान में सांस्कृतिक, राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप लोगों को पसंद आता है। यहां की पुरानी इमारतें एक नया रूप पेश करती हैं।


दमिश्क शहर, सीरिया का ऐतिहासिक शहर है। यहां घूमने वालों को यहां की ऐतिहासिक चर्च और मस्जिद पसंद आने वाली हैं। हालांकि 2011 में सीरियाई गृह युद्ध, के बाद से यहां कम ही लोग घूमने जाते हैं। लेकिन एक वक्त पर यहां का एतिसाहिक नजारा खूब फेमस था।


ग्रीस में बना एथेंस जिसे एथीना भी कहा जाता है। घूमने के लिए विश्व में फेमस है। यहां शहर 3000 साल पुराना बताया जाता है। यह विश्व के प्राचीनतम शहरों में शामिल है, जहां की प्राचीन इमारतें विश्व भर के लोगों को अपनी तरफ खींचते हैं।

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आज हम आपको उन 4 आदतों के बारे में बताएंगे, जिन्हें अपनाकर आप अपने जीवन में खुश रह सकते हैं



डेस्क :– भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक रूप से बीमार होना बेहद आम बात है, क्योंकि लोग इस कदर दुनिया के साथ चलने में व्यस्त है कि उन्हें सेल्फ केयर करने का मौका ही नहीं मिलता। जिस कारण आगे चलकर वह मेंटल हेल्थ की समस्या जैसे स्ट्रेस, एंजायटी, डिप्रेशन आदि के शिकार हो जाते हैं। शुरुआती लक्षणों में यह बेहद आम से दिखते हैं, लेकिन अगर समय रहते इसपर ध्यान ना दिया गया, तो आगे चलकर यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसकी मुख्य वजह बदलती हुई लाइफस्टाइल है।

लोग इस कदर सोशल मीडिया इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं कि सोते, जागते, बैठते हर जगह उनके हाथ में फोन देखने को मिलता है। यह उनकी आंखों के साथ-साथ मेंटल हेल्थ को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। इससे उनकी नींद धीरे-धीरे खत्म हो रही है। इसके अलावा, शारीरिक तौर पर भी बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। इंसान की कुछ आदतें ऐसी होती है, जो उनको धीरे-धीरे दुखी कर देती है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको उन 4 आदतों के बारे में बताएंगे, जिन्हें अपनाकर आप अपने जीवन में खुश रह सकते हैं।

हालांकि, हर बार लोग नए-नए ट्रिक्स अपनाते हैं ताकि वह खुश रह सके। कुछ लोगों को मीठा खाकर खुशी मिलती है, तो कुछ लोगों को क्रिएटिविटी करके मजा आता है। कुछ लोग शॉपिंग करके खुश रहते हैं, तो कुछ लोग बाहरी लोगों से मिलकर खुश होते हैं। कुछ ऐसे सिंपल एडिक्शन है, जिन्हें अपनाकर शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज होते हैं और इसका मेंटल हेल्थ पर गहरा प्रभाव देखने को मिलता है।

अपनाएं ये टिप्स

मेंटली हेल्दी रहने के लिए आपको ध्यान करना चाहिए। मेडिटेशन करने से इंसान का दिमाग एकदम शांत हो जाता है और किसी भी काम में मन लगता है, क्योंकि जब दिमाग एकाग्र रहता है, तो चीजें बहुत शांतिपूर्ण तरीके से होती है। इससे सेरोटोनिन और एंडोफिर्न लेवल बढ़ता है, जिससे मूड सही हो जाता है। साथ ही स्ट्रेस कम होता है। इससे हैप्पी हार्मोन रिलीज होते हैं और आप खुश हो सकते हैं। इसलिए बिना देरी किए आज ही इस आदत को अपनी डेली लाइफ का आप हिस्सा बना सकते हैं।

किसी भी व्यक्ति के जीवन में हॉबी बहुत बड़ा रोल प्ले करता है। यह एक ऐसा तरीका होता है, जो न केवल समय गुजरता है, बल्कि यह खुशी का भी एक जरिया होता है। जिस भी एक्टिविटी को करके आप खुश होते हैं, उन्हें अपने डेली लाइफस्टाइल में शामिल कर सकते हैं। इससे डोपामाइन का स्त्राव शुरू होता है, जोकि हैप्पी हार्मोन से जुड़ा होता है। अगर आप अपने शौक के साथ समय बिताते हैं, तो आपका मूड सही हो जाता है और दिनभर की थकान भी दूर हो जाती है। स्ट्रेस फ्री रहने के लिए इंसान को पर्याप्त नींद की जरूरत होती है। नींद की कमी से सेरोटोनिन का स्तर कम हो जाता है, जिससे हैप्पी हारमोंस कम हो जाते हैं। इसलिए दिन भर में 7 से 8 घंटे की नींद अवश्य लें। आपको इस दौरान ख्याल रखना है कि सोने से पहले गलती से भी कैफकीन का सेवन न करें। इससे आपको नुकसान भी हो सकता है।

इंसान को हैप्पी रहने के लिए सोशल कनेक्टिविटी बढ़ाना बेहद जरूरी होता है, क्योंकि जब आप समाज के 4 लोगों से मिलते हैं, तो आपको तरह-तरह की बातों की जानकारी होती है। यह आपके लिए प्लस पॉइंट भी होता है। इसके अलावा, बातचीत करने और मिलने जुलने से स्ट्रेस लेवल कम हो जाता है। साथ ही, हैप्पी हार्मोन रिलीज होते हैं इससे मन हल्का होता है और जीवन में खुशहाली आती है।



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आज हम आपको बताएंगे कि कच्चा प्याज महिलाओं के लिए कितना लाभदायक है और जरूरी भी


डेस्क :– खाने में तड़का लगाते समय प्याज न डले और सलाद में इसकी जगह न हो, तो खाने का स्वाद ही नहीं आता। बेशक, इसे काटते समय आंखों में पानी जरूर आता है, लेकिन इसे खाने से जो अनगिनत फायदे होते हैं..

प्याज को गंध के कारण कई बार लोग खाने से बचते हैं। इस लिस्ट में महिलाएं टॉप पर आती हैं। महिलाओं को कच्चा प्याज खाना पसंद नहीं होता है क्योंकि इसके खाने के बाद मुंह से गंध आने लगती है। अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जो कच्चा प्याज नहीं खाते, तो आप इन स्वास्थ्य लाभों से वंचित हैं  आपको बता दें कि प्याज में काफी कम कैलोरी होती है।

इतना ही नहीं प्याज में विटामिन सी, बी, आयरन, फोलेट और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो अच्छी सेहत के लिए काम में आते हैं। प्याज सर्दी जुकाम के लिए भी फायदेमंद होता है। प्याज में फाइटोकेमिकल्स, अल्लियम और एलिल डिसुलफाइड जैसे तत्व भी होते हैं, जो एलिसिन पोस्ट इनग्रेशन में परिवर्तित हो जाते हैं।आज हम आपको बताएंगे कि प्याज महिलाओं के लिए कितना लाभदायक है और जरूरी भी है।

मेनोपॉज के लक्षणों को करता है कम

मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजेन का उत्पादन काफी कम हो जाता है  जिसकी वजह से महिलाओं का शरीर आहार से कैल्शियम को कम पाने लगता है।यही कारण है कि ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या को रोकने के लिए कैल्शियम सप्लीमेंट लेने की सलाह दी जाती है। ऐसे में महिलाओं के लिए प्याज कारगर साबित होता है। समय से पहले बूढ़ा होने से करता है बचाव

अगर आप समय से पहले होने वाले बुढ़ापे से बचना चाहती हैं, तो प्याज बहुत उपयोगी है। प्याज में विटामिन ए, सी, और ई पाए जाते हैं। यही कारण है कि ये स्किन के लिए भी लाभदायक होता है। प्याज में मौजूद एंटीसेप्टिक गुण, बैक्टीरिया के संक्रमण को रोकने में आपकी मदद कर सकती है। ऐसे में अपनी स्किन के लिए आपको प्याज का उपयोग करना चाहिए।

मुहांसों और फुंसियों का करे इलाज
प्याज से कई तरह के लाभ मिलते हैं, क्योंकि इसमें जीवाणुरोधी, रोगाणुरोधी और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं। यानी कि इससे मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया  दूर किया जा सकता है। जी हां कहा जाता है कि  प्याज के सेवन से मुंहासे और पिंपल्स की समस्या भी कम होती है। इसके साथ ही  आप प्याज के रस में 1 चम्मच जैतून के तेल को मिलाकर अपने चेहरे पर लगा सकती हैं। इसको अपने चेहरे पर 20 मिनट लगाने के बाद साफ पानी से धो दें। इससे लाभ मिलेगा।

बालों के विकास में मददगार है प्याज

कैरोटीन एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो बालों, नाखूनों और हमारी स्किन की परेशानियों को दूर करने का काम करता है, जबकि  प्याज में सल्फर भरपूर रूप से पाया जाता है। यही कारण है कि  सल्फर बालों के विकास को बढ़ावा देने के साथ ही पतले बालों से छुटकारा दिलाने में भी मदद करता है। बालों को उचित पोषण देने के लिए प्यार के रस का उपयोग हर किसी को करना चाहिए।


नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
क्या आपको पता है कि शराब पीने के बाद या फिर शराब के साथ कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका सेवन नहीं करना चाहिए

डेस्क :– शराब को पीने से शरीर में ऐसी उत्तेजना पैदा होती है जैसी कॉफी और चाय को पीने से होती है और इसलिए इसका शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव भी पड़ता है।

आजकल युवाओं में अल्कोहल पीने का एक प्रचलन सा देखा जा रहा है।जहां शराब पीना आज के वक्त में आम सी बात होती जा रही है  लेकिन इसका सेवन भी अलग अलग कारणों से और खास मात्रा के साथ किया जाता है। हम अक्सर देखते हैं कि अल्कोहल लेते वक्त खाने की चीजों का भी सेवन साथ में किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि शराब पीने के बाद या फिर शराब के साथ कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका सेवन नहीं करना चाहिए। अक्सर लोगों के मन में सवाल होता है कि अगर उन्होंने थोड़ी सी ड्रिंक की है तो क्या वो बाद में मिल्क पी सकते हैं।अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल हैं तो आपको इसके बारे में जरूर जनना चाहिए। शराब पीने के बाद खाने में क्या सावधानी रखनी चाहिए। अगर आप भी अल्कोहल  का सेवन करते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि आपको क्या क्या बाद में नहीं खाना चाहिए।

शराब पीने के बाद न खाएं काजू या मूंगफली

अधिकतर देखा जाता है कि अल्कोहल लेते समय आमतौर पर लोग मूंगफली खाना पसंद करते हैं इतना ही नहीं बहुत से लोग ड्राई काजू भी खाना पसंद करते हैं. लेकिन आपको बता दें कि शराब के साथ यह दोनों ही चीजें कभी नहीं खानी चाहिए. इसका कारण ये है कि इनमें कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो अल्कोहल  के साथ शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक होता है सोडा या कोल्ड ड्रिंक है खतरनाक

आपको कभी भी सोडे और कोल्ड ड्रिंक के साथ शराब नहीं पीनी चाहिए।ये दोनों ही चीजें शरीर में पानी की मात्रा को कम कर देती हैं. इसलिए इनकी जगह अल्कोहल में पानी या बर्फ मिलाकर पी सकतें हैं। या फिर ऐसे अल्कोहल  का चलन करें जिनमें किसी भी चीज को मिलाने की आपकी जरूरत ही ना पड़े.।


ऑयली स्नैक्स शराब के साथ न खाएं
जब भी अल्कोहल  का सेवन करें तो ध्यान में रखें कि आप ऑयली स्नैक्स ना लें  बहुत बार ऐसा होता है कि अल्कोहल के  लोग वक्त चिप्स खाते हैं क्योंकि यह असानी से मिल जाते हैं लेकिन अधिक प्यास लगती है। यही कारण है कि लोग ज्यादा शराब पी लेते हैं, जो नुकसानदायक है।

दूध से बनी चीजें शराब पीने के बाद न खाएं अल्कोहल  डाइजेस्टिव एंजाम्स को नुकसान पहुंचता है।  जिससे अगर आप शराब के बाद दूध पीते हैं तो दूध में मौजूद पोषक तत्वों का पूरा लाभ आपको नहीं मिलता. ऐसे में आप थोड़ी सी भी ड्रिंक के बाद दूध ना लें।

मिठाई क्यों नहीं खानी चाहिए
शराब के साथ कभी भी मीठा खाने की गलती नहीं करना चाहिए। क्योंकि शराब के साथ मीठा खाने से वह नाशा दोगुना चढ़ जाता है। कई लोग जानकर शराब के बाद मीठा खाते हैं, जबकि सही मायने में मीठी चीजें शराब के बाद जहर जैसी होती हैं।

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आईए जानते हैं अगर आप कम मात्रा में या कभी-कभी शराब पीते हैं तो इससे कोई नुकसान नहीं होता है। क्या वास्तव में ऐसा है?

डेस्क :– शराब को कई प्रकार से संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता रहा है। लिवर की बीमारियों से लेकर कई प्रकार के कैंसर तक के लिए अध्ययनों में शराब के सेवन को प्रमुख कारण बताया जाता रहा है। हालांकि लोगों में एक आम धारणा रही है कि अगर आप कम मात्रा में या कभी-कभी शराब पीते हैं तो इससे कोई नुकसान नहीं होता है। क्या वास्तव में ऐसा है?

इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन ने वैज्ञानिकों ने कई मिथकों को तोड़ा है। शोधकर्ताओं ने कहा, शराब हर तरह से हमारी सेहत के लिए हानिकारक है, भले ही इसका कम मात्रा में ही क्यों न सेवन किया जाए।

शोधकर्ताओं ने कहा, शराब की थोड़ी भी मात्रा शरीर के लिए नुकसानदायक है। हल्की मात्रा में भी शराब पीना भी गंभीर और जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।

शराब की कम मात्रा भी नुकसानदायक

इससे पहले के कई अध्ययनों और रिपोर्ट्स में कहा जाता रहा था कि थोड़ी मात्रा यानी पुरुषों के लिए प्रतिदिन 20 ग्राम और महिलाओं के लिए प्रतिदिन 10 ग्राम तक शराब का सेवन ज्यादा नुकसानदायक नहीं है। हालांकि इस अध्ययन की रिपोर्ट में कहा गया है कि कम मात्रा भी सुरक्षित नहीं है। शराब की कम मात्रा भी कैंसर जैसे रोगों का खतरा बढ़ाने वाली हो सकती है।

ब्रिटेन में एक लाख से अधिक लोगों पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि ये कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाली समस्या हो सकती है, जिसको लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।

अध्ययन में क्या पता चला?

12 वर्षों तक 60 और उससे अधिक आयु के 135,103 वयस्कों पर शराब के कारण होने वाली समस्याओं को लेकर शोध किया गया। यूनिवर्सिडाड ऑटोनोमा डी मैड्रिड में प्रोफेसर और शोध पत्र के मुख्य लेखक डॉ. रोसारियो ओर्टोला बताते हैं, कम शराब पीना भी सेहत को क्षति पहुंचाने के लिए काफी है। शराब पहली बूंद से ही कैंसर का जोखिम बढ़ाने लगता है।

यहां गौर करने वाली बात है कि वर्तमान अमेरिकी आहार संबंधी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि कम शराब पीना नुकसानदायक नहीं है। हालांकि ध्यान देने वाली बात ये भी है कि पिछले कुछ वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका में अत्यधिक शराब पीने से होने वाली मौतों में 30 प्रतिशत की वृद्धि भी हुई है।

हानिकारक है शराब का सेवन

शराब से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर पहले के कुछ अध्ययनों में भी लोगों को अलर्ट किया जाता रहा है। कैनेडियन सेंटर ऑन सब्सटेंस यूज एंड एडिक्शन ने एक गाइडलाइन जारी करके बताया कि कम मात्रा में शराब का सेवन सेहत के लिए ठीक नहीं है।

अध्ययन के मुताबिक कम शराब पीने वाले वृद्ध वयस्कों में मृत्यु का जोखिम अधिक देखा जाता रहा है। इससे सिर्फ लिवर ही नहीं, हृदय रोग, कैंसर और अन्य जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं का भी जोखिम हो सकता है।

नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
गंभीर स्थितियों में डेंगू जानलेवा समस्याओं का भी  बन सकती है कारण

डेस्क:– महाराष्ट्र-दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में मच्छर जनित रोग डेंगू के मामले बढ़ते हुए रिपोर्ट किए जा रहे हैं। महाराष्ट्र में ये बीमारी पिछले वर्षों के रिकॉर्ड तोड़ रही है। पिछले साल की तुलना में इस बार साल के पहले सात महीनों में राज्य में डेंगू के केस में 83 फीसदी तक का उछाल दर्ज किया गया है। इसी तरह से कर्नाटक-केरल सहित कई अन्य राज्यों को भी प्रभावित देखा जा रहा है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को डेंगू के खतरे को लेकर सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है। गंभीर स्थितियों में डेंगू जानलेवा समस्याओं का भी कारण बन सकती है।

मीडिया रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो पता चलता है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली-एनसीआर में भी डेंगू का खतरा बढ़ रहा है। बारिश और जलजमाव के कारण मच्छर जनित रोगों को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अलर्ट किया है। क्या कहते हैं डॉक्टर्स?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोग मच्छरों से बचाव के उपायों पर गंभीरता से ध्यान दें।  दिल्ली स्थित एक अस्पताल में कंसल्टेंट डॉ दिवाकर सिंह बताते हैं, फिलहाल राजधानी दिल्ली-एनसीआर में डेंगू के मामले नियंत्रित हैं, हालांकि आशंका है कि ये बढ़ सकते हैं।

दिल्ली के कई अस्पतालों में ओपीडी में आ रहे रोगियों में डेंगू का निदान किया जा रहा है। फिलहाल भर्ती होने वाले रोगियों की संख्या कम है।

डेंगू की जटिलताएं

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में बताया डेंगू की समस्या दो-सात दिनों की होती है, हालांकि गंभीर स्थितियों में इसका जोखिम अधिक हो सकता है। इसके कारण सिरदर्द, रेट्रो-ऑर्बिटल पेन, त्वचा पर दाने होने, रक्तस्राव की समस्या का खतरा हो सकता है। बच्चों में डेंगू आमतौर पर हल्का होता है। वहीं कुछ वयस्कों में ये हड्डियों में गंभीर दर्द के साथ अन्य जटिलताओं का कारण बन सकती है।

आइए जानते हैं कि किसी को डेंगू हो जाए तो क्या करें-क्या नहीं?

डेंगू हो जाए तो क्या करें?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया डेंगू हो जाने पर कुछ बातों पर गंभीरता से ध्यान देना जरूरी है।

डेंगू के मामलों में हर घंटे बुखार पर नजर रखी जानी चाहिए। बुखार की जांच करते रहना चाहिए।

बुखार अगर ठीक नहीं हो रहा है तो प्लेटलेट्स की जांच जरूर कराएं। प्लेटलेट्स का शुरुआती निदान के लिए आवश्यक है।

खूब सारे तरल पदार्थों का सेवन करें।

दर्द के लिए एसिटामिनोफेन (पैरासिटामोल) का उपयोग करें।

इबुप्रोफेन और एस्पिरिन जैसी एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं से बचें।

गंभीर लक्षणों पर नजर रखें और यदि आपको लक्षणों में आराम नहीं मिलता है तो जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
डेंगू की स्थिति में क्या न करें?

डेंगू बुखार के इलाज के लिए एस्पिरिन या ब्रूफेन न लें।
  • डेंगू के कारण आपकी भूख कम हो सकती है
  • हालांकि आहार का सेवन बंद न करें।
  • नमकीन और मसालेदार भोजन से बचें, इससे निर्जलीकरण और पाचन संबंधी परेशानी बढ़ सकती है।
  • अगर बुखार 2-3 दिनों में ठीक न हो रहा हो तो डॉक्टर से जरूर मिलें। इलाज में देरी नहीं की जानी चाहिए।

नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।