राज्य सरकार अपनी जबाबदेही तय नहीं कर पाती है बल्कि आजसू पूरी जबावदेही के साथ आपके बीच सदैव खड़ी रहती है - सुदेश कुमार महतो


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 पटमदा में जुगसलाई विधानसभा स्तरीय चूल्हा प्रमुख सम्मेलन सह शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हुआ।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आजसू पार्टी के अध्यक्ष श्री सुदेश कुमार महतो ने बताया कि बहुत दिन के बाद 2009 का उत्साह आज इस पावन भूमि पर देखने को मिला है इसलिए मैं अपने हजारों चूल्हा प्रमुख को हार्दिक बधाई और धन्यवाद देते है क्योंकि सत्ता में बैठे राजनीति करने वाले नेताओं को जो सीधे वोट की राजनीति करते है उन्हे आजतक चूल्हा प्रमुख को समझ नही पाया है लेकिन आजसू पार्टी पार्टी एक रामचंद्र सहिस को नेता नही बल्कि 16 हजार रामचंद्र सहिस को नेतृत्व देने का कार्य चूल्हा प्रमुख के माध्यम से आप सभी चूल्हा दीदी के रूप में देने का कार्य करते है और उन सभी चूल्हा दीदी को जबाबदेही तय करने आया हूं। 

आपको बता दू मुझे याद है शहीद निर्मल दा जो इस मिट्टी से जन्मे है निर्मल दा के शहादत के दिन में जब जाने का समय आता था मेरे पास कोई गाड़ी नही था और मैं इसी पटमदा के रास्ते से जमशेदपुर जाता था तो सड़क नही था मैं आश्चर्य रहता था कैसे इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधि है जो इस क्षेत्र को सड़क नही दे पा रहे है तब मैने एक साधारण लड़का को इस क्षेत्र का प्रतिनिधत्व करने का अवसर दिया और उनके कार्य क्षमता पर आज पार्टी ने दूसरा सबसे बड़ा दायित्ववान नेता बना दिया है.

वर्तमान सरकार को 5 वर्ष हो गया लेकिन इस लूट खसोट की सरकार लोगो के भावनाओ से खिलवाड़ करने का कार्य करती है ये सरकार राज्य के जनमानस को कुछ भी बोलकर निकल जाता है और उसकी जबाबदेही तय नहीं कर पाता है लेकिन सुदेश महतो कुछ भी नही बोलता है और वही बोलता है जिसकी जबाबदेही तय करता है राज्य की भोली भाली जनता वैसे बहुरूपिए नेताओं के भावनाओ में बह जाता है क्योंकि सत्ता में बैठे झामुमो के चरित्र में विकास नाम नहीं है उसके कैरेक्टर में सिर्फ लूट खसोट है मुझे वर्तमान सरकार में चल रहे उठपठाक पर नही जाना है लेकिन राज्य में संघर्ष करने वाले लगभग 35 वर्षो तक राज्य का एक जनप्रतिनिधि के रूप में सेवा करने वाले चंपई दा के खिलाफ उसी सरकार के मंत्री का बयान आता है.

अखबार में की चंपई दा विभीषण है तो मैं पूछता हु आपलोगो से अगर चंपई दा विभीषण है तो रावण किसको बोला इसका जबाव पूछना होगा की आपने रावण किसको बोला है और आपके सत्ता में बैठे लोग रावण है तो मेरे पास राम है रामचंद्र है मंत्री जी आप रावण किसको बोला इसे स्पष्ट करो आपके स्वस्थ विभाग तो पूरी तरह से चरमराई हुई है बड़े बड़े अस्पताल बने हुए है लेकिन डाक्टर नही है उसकी व्यवस्था कब होगा इसे बताना चाहिए.

वर्तमान सरकार में तीन महीने से पेंशन नही आया है तीन महीने से राशन नही मिला है और आप मईया योजना के नाम पर राज्य के महिलाओ को ठगने का कार्य कर रहे है वर्तमान सरकार राज्य के युवाओं को धोखा देने का कार्य किया है आजसू पार्टी आपके मईया योजना को स्वागत करते है लेकिन उसे यह भी बता दो की आखिर ये मईया योजना है क्या और किसके लिए है और उसका कारण क्या है स्पष्ट करे चुकी ये आपके चुनावी मेनोफेस्टो में नही था हमने देखा फिर हमने सोचा ये कांग्रेस की मेनोफेस्टों में होगा उसमे भी नही है फिर हमने राजद के मेनोफेस्टो में देखा उसमे भी नही दिखा तभी समझ आया ये भी एक धोखा है जब वृद्धा पेंशन नही दे सकते हो जब विधवा पेंशन नही दे सकते हो तो ई मईया योजना क्यू लाए हो.

इसको थोड़ा स्पष्ट करिए ये लोग वोट की राजनीति करने आए है इसलिए इनके धोखे में नही आना है और रामचंद्र सहिस को मौका देना है आपके उम्मीद को गरीब शोषित वंचित के अधिकार को धरातल पर आपके साथ सदैव सेवा देने का कार्य करेंगे.

मौके पर राज्य के पूर्व मंत्री 

रामचंद्र सहिस ने कहा की 2009 से मैं पटमदा की पावन भूमि से अपने राजनीतिक जीवन का आगाज किया था और उसका मुख्य उद्देश्य था की इस क्षेत्र के लोगो का प्रतिनिधित्व करने वाला इस क्षेत्र के भाषा और इस क्षेत्र के शोषित वंचित पीड़ित लोगो की आवाज बनने का कार्य हेतु स्थानीय लोगो के बीच से बाहरी व्यक्तियों का विरोध करते हुए राजनीतिक गुरु श्री सुदेश कुमार महतो के सरंक्षण में आगे बढ़ा और निरंतर इस क्षेत्र का विकास को गति दिया लेकिन 2019 में किन्ही कारणों से क्षेत्र का समुचित विकास रुक सा गया है इसलिए सुदेश कुमार महतो के हाथो को मजबूत करना है.

क्योंकि पूरे झारखंड में समाजिक न्याय और समुचित विकास का कार्य करने का संकल्प लेकर गांव गांव घूम कर लोगो के बीच चूल्हा प्रमुख का निर्माण करते है और विरोधी लोगो को चूल्हा प्रमुख का महत्व नही समझ पाए लेकिन उन्हें यह नहीं पता की 10 चूल्हा को मिलाकर एक चूल्हा का प्रमुख बना दिया और एक विधायक एक जिला अध्यक्ष से ज्यादा महत्व चूल्हा प्रमुख को देने का कार्य आदरणीय सुदेश कुमार महतो जी देते है और इस वर्तमान राजा के बेटा राजकुमार अपने अहंकार में चूर है और राजा को सत्ता से उखाड़ने का संकल्प लेकर आप लोग को आगामी चुनाव में जोर शोर से लगना है ताकि इस क्षेत्र का मान सम्मान को बचाना है.

 तो इस जुगसलाई विधानसभा के साथ साथ पूरे राज्य में में केला का बगान लगाना है 

पार्टी के केंद्रीय प्रधान प्रवक्ता ने देवशरण भगत ने कहा की चूल्हा प्रमुख के सम्मेलन में 16हजार 342 चूल्हा प्रमुख की अपार भीड़ बता रही है की जुगसलाई विधानसभा जीते थे और जीतेंगे और 2024 में इतिहास रचेंगे आपने यह साबित कर दिया है की आम व्यक्ति ही इस झारखंड के निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करता है और वह आम आदमी रामचंद्र सहिस है आजसू पार्टी एक मात्र ऐसी पार्टी है जो स्वयं पूरे दुनिया में एक मात्र चूल्हा प्रमुख का निर्माण करने का कार्य किया है और लोग तरह तरह को बात करते है लेकिन उन्हें यह नहीं पता की चूल्हा प्रमुख का महत्व क्या होता है गांव की महिलाओ के हाथो को नेतृत्व देना उनके अधिकारों और हाथो को मजबूती प्रदान करना लेनिक वर्तमान हालात देख कर यह लगता है को झारखंड में दिन में झूठ और रात में लूट यही इनकी नियत बन गई है सरकार यहां के लोगो के भावनाओ को बेचना और उनके अधिकारों को समाप्त करने का कार्य रही है इसलिए उन बहरूपिए के उम्मीद को खत्म करना है और जुगसलाई में केला का बगान खिलाना है.

आज दिल्ली भाजपा कार्यालय में चम्पई सोरेन जे एम एम के 3 विधायक के साथ थामेगें भाजपा का दामन

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जमशेदपुर : झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन तीन जेएमएम विधायकों के साथ आज दोपहर 3 बजे दिल्ली भाजपा मुख्यालय में बीजेपीजॉइन कर सकते हैं। यह सूचना जानकार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वे इसके लिए दिल्ली रवाना हो गए.

 एयर इंडिया फ्लाइट संख्या 0769 से अब से कुछ देर में 11.38 पर वे दिल्ली लैंड कर रहें हैं ।

 चंपई के साथ दसरथ गगराई, रामदास सोरेन, चमरा लिंडा, लोबिन हेमब्रोम,समीर मोहनती

वरलक्ष्मी व्रतराम की भव्य 30वीं वर्षगांठ श्रीमती ज्योति राजशेखर द्वारा वीपी अपार्टमेंट, जमशेदपुर में मनाई गई


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जमशेदपुर: 16 अगस्त 2024 - ए -5, वीपी अपार्टमेंट कदमा दिव्य ऊर्जा से भर गया है क्योंकि श्रीमती ज्योति राजशेखर ने श्रद्धेय वरलक्ष्मी व्रतराम मनाने के 30 वें वर्ष को चिह्नित किया है।

 पूजा में समर्पित प्रतिभागियों की उत्साहपूर्ण उपस्थिति देखी गई, सभी पवित्र पूजा और अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए एकत्र हुए। इस वर्ष का उत्सव विशेष रूप से विशेष था क्योंकि यह इस शुभ अवसर के प्रति तीन दशकों की भक्ति और प्रतिबद्धता का स्मरण कराता है।

वरलक्ष्मी व्रतम एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भगवान विष्णु की पत्नी और धन, समृद्धि और सौभाग्य की अवतार देवी लक्ष्मी के सम्मान में मनाया जाता है। व्रत की कहानी एक ग्रामीण महिला - चारुमती से जुड़ी है, जो देवी लक्ष्मी की बहुत बड़ी भक्त थी और अत्यंत ईमानदारी से उनकी पूजा करती थी। एक दिन, देवी लक्ष्मी चारुमती के सपने में प्रकट हुईं और उन्हें श्रावण माह के दौरान शुक्रवार को व्रत (उपवास) रखने का निर्देश दिया। देवी ने उसकी इच्छाएँ पूरी करने और उसे धन और समृद्धि का आशीर्वाद देने का वादा किया।

सभा ने न केवल त्योहार मनाने का अवसर प्रदान किया बल्कि समुदाय को साझा भक्ति में एक साथ आने के लिए एक मंच के रूप में भी काम किया। श्रीमती। ए-5, वीपी अपार्टमेंट कदमा में पिछले 30 वर्षों से वरलक्ष्मी व्रत के उत्सव के प्रति ज्योति राजशेखर का अटूट समर्पण समुदाय के लिए प्रेरणा और आध्यात्मिक उत्थान का स्रोत रहा है

छठवीं पुण्यतिथि पर याद किये गए पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, भाजपा जमशेदपुर महानगर के कार्यकर्ताओं ने दी श्रद्धांजलि


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जमशेदपुर: भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री एवं भाजपा के प्रेरणापुंज स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की छठवीं पुण्यतिथि को भाजपा जमशेदपुर महानगर द्वारा पूरे श्रद्धाभाव से मनाया गया। शुक्रवार को साकची स्थित जिला भाजपा कार्यालय में कृतज्ञ भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने अटल जी का भावपूर्ण स्मरण कर उनके चित्र पर श्रदासुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और उनके बताये आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया। 

इस दौरान कार्यकर्ताओं ने 'अटल बिहारी वाजपेयी अमर रहे' और 'भारत माता की जय' के नारों से कार्यालय परिसर गुंजायमान रखा। इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जमशेदपुर महानगर के पूर्व जिलाध्यक्ष देवेंद्र सिंह ने ने कहा कि श्रद्धेय अटल जी जैसे व्यक्तित्व विरले ही जन्म लेते हैं। 

भारतीय जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी तक के विस्तार को लेकर उन्होंने अथक परिश्रम कर भाजपा को एक छोटे से पौधे से विशाल वटवृक्ष के रूप में स्थापित करने में अहम भुमिका निभाई। देशनिर्माण में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने देश की अखंडता को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। 

उनके आदर्शों पर चलकर भाजपा देश को तरक्की और उन्नति की राह पर ले जा रही है। उन्होंने कहा कि झारखंड प्रदेश का निर्माण भी अटल जी की देन है। दशकों तक चले आंदोलन के बाद उनके अटल इरादों के कारण झारखंड राज्य अस्तित्व में आया।

आज है पुत्रदा एकादशी, इस कथा के बिना अधूरा है पुत्रदा एकादशी व्रत, संतान की होगी प्राप्ति


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नयी दिल्ली : हर महीने में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है। सावन माह की पुत्रदा एकादशी का व्रत आज 16 अगस्त 2024 को किया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत करने से संतान प्राप्ति और बच्चे की तरक्की से जुड़ी सभी तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत बिना अधूरा कथा पाठ करने से अधूरा माना जाता है ।

एकादशी तिथि को शुभ माना जाता है।

इस दिन श्रीहरि की पूजा होती है।

सावन में पुत्रदा एकादशी व्रत किया जाता है। एकादशी तिथि पर विधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मत है कि पुत्रदा एकादशी व्रत करने से साधक को भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही यश कीर्ति सुख और समृद्धि में भी वृद्धि होती है। अगर आप भी संतान की प्राप्ति चाहते हैं, तो सावन की पुत्रदा एकादशी का व्रत करें और पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करें। इससे साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होगा। आइए पढ़ते हैं पुत्रदा एकादशी व्रत कथा।

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

प्राचीन कथा के अनुसार, द्वापर युग के शुरुआत में एक नगरी थी, जिसका नाम महिरूपति था। इस नगरी में महीजित नाम का राजा राज्य करता था। लेकिन उसको पुत्र न होने की वजह से राजा को राज्य सुखदायक नहीं लगता था।

पुत्रदा एकादशी पर राशि अनुसार करें इन चीजों का दान, चमक उठेगा सोया हुआ भाग्य

पुत्र की प्राप्ति के लिए राजा ने कई तरह के उपाय किए। लेकिन पुत्र सुख प्राप्त नहीं हुआ। एक बार राजा ने सभी ऋषि-मुनियों, सन्यासियों और विद्वानों को बुलाया और उनसे पुत्र प्राप्ति के उपाय पूछे। सभी ने राजा की समस्या को सुनकर कहा कि हे राजन तुमने पूर्व जन्म में सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन तालाब से एक गाय को जल नहीं पीने दिया था, जिसकी वजह से गाय ने तुम्हे संतान न होने का श्राप दिया था। इसकी वजह से तुम पुत्र की प्राप्ति से वंचित हो।

इसके पश्चात ऋषि-मुनियों ने कहा कि अगर तुम सावन की एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करोगे, तो इस श्राप से मुक्ति पा सकते हो। जिसके बाद तुम्हें संतान की प्राप्ति हो सकती है। इसके बाद राजा न सच्चे मन से सावन की एकादशी का व्रत किया। 

इस व्रत के पुण्य से राजा की पत्नी गर्भवती हुई और पुत्र को जन्म दिया। धार्मिक मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मुरादें पूरी होती हैं।

बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्देशक डेविड धवन का 73वां बर्थडे आज,आइए जानते है निर्देशक की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बाते।




					
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नयी दिल्ली : डेविड धवन बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्देशक हैं, जिनकी फिल्मों के बिना इंडस्ट्री अधूरी है। निर्देशक अपनी फिल्मों से हंसा-हंसाकर दर्शकों के पेट में दर्द करवा चुके हैं। कई साल से वह दर्शकों का अपनी फिल्मों के जरिए मनोरंजन कर रहे हैं। लोगों का उनकी फिल्मों के साथ खास जुड़ाव रहता है। 

डेविड धवन इंडस्ट्री को अपने करियर के दो से ज्यादा के दशक में कई सुपरहिट फिल्में दे चुके हैं। निर्देशक ने बॉलीवुड के कई बड़े सुपरस्टार्स के करियर को चमकाया है। वहीं, उनकी कई बेहतरीन फिल्मों के कारण उन्हें 'किंग ऑफ कॉमेडी' का टैग भी मिला।डेविड धवन आज अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। चलिए इस खास मौके पर जानते हैं निर्देशक की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बाते।

निर्देशक डेविड धवन का जन्म 16 अगस्त 1951 में अगरतला में हुआ था। उनका नाम राजिंदर धवन रखा गया। निर्देशक का पिता बैंक में मैनेजर थे, जिनका ट्रांसफर कानपुर हो गया था। डेविड ने कानपुर से अपनी पढ़ाई की। 12वीं पास करने के बाद उनका रुझान फिल्मों की और हो गया और उन्होंने सोचा कि वह फिल्म इंडस्ट्री में ही काम करेंगे। इसके बाद उन्होंने एफटीआईआई में दाखिला लिया, जहां उन्होंने अभिनय से लेकर निर्देशन और एडिटिंग तक की बारीकियां सीखीं। 

अभिनय सीखने के बावजूद डेविड ने निर्देशन और एडिटिंग का रास्ता चुना, क्योंकि वह शुरुआत में ही समझ चुके थे कि वह अभिनय नहीं कर पाएंगे, इसलिए उन्होंने फिल्म मेकिंग पर खास ध्यान दिया।

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद डेविड धवन ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा और एडिटर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। डेविड की पहली फिल्म 1984 में आई 'सारांश' थी, जिसमें अनुपम खेर ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म का निर्देशन महेश भट्ट ने किया था और एडिटिंग डेविड धवन ने की थी। 

एडिटिंग के बाद डेविड धवन ने अपना हाथ निर्देशन में आजमाया और बहुत जल्दी इस लाइन में अपना सिक्का जमा लिया। डेविड ने 1989 में आई फिल्म 'ताकतवर' से अपना निर्देशन डेब्यू किया था, जिसमें गोविंदा और संजय दत्त मुख्य भूमिका में नजर आए थे। अपनी पहली फिल्म से ही बतौर निर्देशक डेविड धवन इंडस्ट्री में छा गए। इसके बाद लगातार वह अपनी फिल्मों के जरिए सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए।

निर्देशक में 90 के दशक से लेकर अब तक बॉलीवुड के कई बड़े सितारों के साथ काम किया, लेकिन उनकी सबसे ज्यादा जोड़ी गोविंदा के साथ जमी। इस जोड़ी ने कई सुपरहिट फिल्में दीं। दोनों ने एक साथ 17 फिल्मों में काम किया, जिनमें से अधिकतर हिट साबित हुई थीं। डेविड ने 'स्वर्ग', 'आंखें', 'शोला और शबनम', 'साजन चले ससुराल', 'जुड़वा', 'बड़े मियां छोटे मियां', 'दुल्हन हम ले जायेंगे', 'मुझसे शादी करोगी', 'पार्टनर', 'चश्मे बद्दूर', 'मैं तेरा हीरो' और 'जुड़वा 2' सहित कई सुपरहिट फिल्में इंडस्ट्री को दीं। डेविड धवन ने अपने करियर में करीब 42 फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें से 17 फिल्में उन्होंने गोविंदा के साथ की थीं। हालांकि, बाद में दोनों के रिश्ते में दरार आने के बाद कभी वह साथ नहीं दिखे।

डेविड धवन की तमाम सुपरहिट फिल्मों की बदौलत उन्हें किंग ऑफ कॉमेडी के टैग से भी नवाजा गया। वहीं डेविड धवन की निजी जिंदगी के बारे में बात करें तो उन्होंने करुणा चोपड़ा धवन के साथ शादी की, जिनसे उन्हें दो बच्चे हुए- रोहित धवन और वरुण धवन। उनके बेटे वरुण धवन ने बतौर अभिनेता बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा और अपना नाम कमाया।

भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि,आइए जानते है उनसे जुड़ी कुछ खास बाते


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भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के उन महान नेताओं में से एक थे जिनका योगदान न केवल राजनीति में, बल्कि देश की सामाजिक और सांस्कृतिक धारा में भी महत्वपूर्ण रहा है। उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें:

1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था। अटल जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर से पूरी की और आगे की पढ़ाई कानपुर के डीएवी कॉलेज से की, जहाँ से उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।

2. राजनीतिक करियर की शुरुआत:

वाजपेयी जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जन संघ से की, जिसे आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी के रूप में पुनर्गठित किया गया। 1957 में वे पहली बार बलरामपुर, उत्तर प्रदेश से सांसद चुने गए। इसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री का पद भी शामिल है।

3. प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल:

अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। पहली बार 1996 में, दूसरी बार 1998 में और तीसरी बार 1999 में। उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किए, जिसने भारत को विश्व स्तर पर एक मजबूत परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया।

4. भारत रत्न सम्मान:

अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें भारतीय राजनीति और समाज में उनके अद्वितीय योगदान के लिए दिया गया।

5. कवि और लेखक:

अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रख्यात कवि और लेखक भी थे। उनकी कविताओं में देशभक्ति, समाज सुधार और मानवीय संवेदनाओं की झलक मिलती है। "मेरी इक्यावन कविताएँ" उनकी प्रमुख काव्य संग्रह में से एक है।

6. विनम्रता और सर्वसम्मति की राजनीति:

वाजपेयी जी की राजनीति की सबसे बड़ी खासियत उनकी विनम्रता और सभी दलों के साथ मिलकर काम करने की क्षमता थी। उनकी नेतृत्व क्षमता और सर्वसम्मति बनाने की कला ने उन्हें सभी दलों में सम्मान दिलाया।

7. स्वास्थ्य और निधन:

अटल बिहारी वाजपेयी का स्वास्थ्य उनके जीवन के अंतिम वर्षों में धीरे-धीरे बिगड़ता गया। 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।

अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि के अवसर पर, हमें उनके महान विचारों और उनकी सेवाओं को याद करते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। उनका जीवन हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी मातृभूमि की सेवा में हमेशा समर्पित रहें।

आज का इतिहास:1990 में आज ही के दिन ही चीन ने अपना पहला न्यूक्लियर टेस्ट किया था,जाने 16 अगस्त से जुड़े महत्वपूर्ण घटनाक्रम


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नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 16 अगस्त का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं।

16 अगस्त का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 2012 में आज ही के दिन विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को इक्वाडोर ने राजनीतिक शरण दी थी।

2010 में 16 अगस्त को ही नई दिल्ली में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिए एआर रहमान के रचे थीम गीत जियो उठो बढ़ो जीतो को स्वीकृति दी गई थी।

2018 में आज ही के दिन भारत रत्न से सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु हुई थी।

2008 में आज ही के दिन कांगो में तैनात 125 भारतीय पुलिस अधिकारियों को संयुक्त राष्ट्र शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

2006 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र परिषद ने हैती में अपने अभियान को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया था।

2004 में 16 अगस्त को ही ओलंपिक नौकायन में ऑस्ट्रेलियाई और अमेरिकी टीम ने वर्ल्ड रिकाॅर्ड बनाया था।

2000 में आज ही के दिन वेरेंटर्स सागर में रूस की परमाणु पनडुब्बी दुर्घटनाग्रस्त हुई थी।

1990 में 16 अगस्त के दिन ही चीन ने अपना पहला न्यूक्लियर टेस्ट किया था।

1960 में आज ही के दिन साइप्रस को ब्रिटेन से छुटकारा मिला था और वहां इस दिन को फ्रीडम के रूप में मनाया जाता है।

1943 में 16 अगस्त को ही बुल्गारिया के जार बोरिस तृतीय अडोल्फ़ हिटलर से मिले थे।

1924 में आज ही के दिन नीदरलैंड-तुर्की के बीच शांति समझौते पर साइन हुए थे।

1918 में आज ही के दिन दूसरी लोकसभा के सदस्य टी. गणपति का जन्म हुआ था।

1787 में 16 अगस्त के दिन ही तुर्की ने रूस के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी।

1777 में आज ही के दिन ही अमेरिका ने ब्रिटेन को बेन्निनगटोन के युद्ध में हराया था।

आइए जानते है कैसे करे राइस वाटर का इस्तेमाल की चेहरे की चमक हमेशा बनी रहें


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राइस वाटर, या चावल का पानी, चेहरे की चमक को बनाए रखने के लिए एक प्राचीन और प्राकृतिक उपाय है। इसमें मौजूद विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट्स आपकी त्वचा को स्वस्थ और निखारने में मदद करते हैं। आइए जानते हैं कैसे करें राइस वाटर का इस्तेमाल:

1. राइस वाटर कैसे बनाएं:

चावल धोएं: आधा कप चावल लें और इसे पानी में अच्छे से धो लें ताकि धूल और गंदगी निकल जाए।

भिगोना: धोए गए चावल को 2-3 कप पानी में 30 मिनट के लिए भिगो दें।

पानी छानें: भीगे हुए चावल से पानी को छान लें। यही पानी राइस वाटर के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।

2. राइस वाटर का उपयोग कैसे

 करें:

फेस वॉश: आप राइस वाटर को फेस वॉश की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे चेहरा धोने पर त्वचा को नमी और पोषण मिलेगा।

टोनर: राइस वाटर को टोनर के रूप में उपयोग करें। इसे एक स्प्रे बॉटल में भर लें और चेहरे पर हल्के हाथों से स्प्रे करें। कुछ मिनट के बाद चेहरे को साफ पानी से धो लें।

फेस मास्क: राइस वाटर को बेसन, मुल्तानी मिट्टी, या ऐलोवेरा जेल में मिलाकर फेस मास्क बना सकते हैं। इसे 15-20 मिनट तक चेहरे पर लगाएं और फिर ठंडे पानी से धो लें।

हफ्ते में दो बार: इस प्रक्रिया को हफ्ते में 2-3 बार दोहराएं। इससे त्वचा में निखार आएगा और त्वचा स्वस्थ दिखेगी।

3. राइस वाटर के फायदे:

त्वचा को नमी: राइस वाटर त्वचा को गहराई से मॉइस्चराइज करता है, जिससे आपकी त्वचा मुलायम और चमकदार बनती है।

एंटी-एजिंग: इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा की उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करने में मदद करते हैं।

पिगमेंटेशन कम करता है: नियमित इस्तेमाल से त्वचा का रंग साफ होता है और काले धब्बे कम होते हैं।

4. सावधानियाँ:

अगर आपको किसी प्रकार की एलर्जी या संवेदनशीलता है, तो पहले पैच टेस्ट जरूर करें।

हमेशा ताजा राइस वाटर का ही इस्तेमाल करें, इसे लंबे समय तक न रखें।

राइस वाटर का नियमित उपयोग आपकी त्वचा को चमकदार और स्वस्थ बनाए रख सकता है। 

यह एक प्राकृतिक और सस्ता उपाय है जो आसानी से घर पर तैयार किया जा सकता है।

जमशेदपुर:वन विभाग ने साकची आमबगान में बाघ का खाल बेचने के आरोप में तीन लोगों को किया गिरफ्तार


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जमशेदपुर:- वन विभाग ने गुरुवार को साकची आमबगान में बाघ का खाल बेचने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। वन विभाग ने खाल बरामद कर लिया है। गिरफ्तार आरोपियों की निशानदेही पर अन्य तस्करों को गिरफ्तार करने की कोशिश की जा रही है। 

वन विभाग को गुप्त सूचना मिली कि साकची आमबगान में एक व्यक्ति बाघ का खाल बेचने की कोशिश कर रहा है। सूचना मिलने के बाद वन विभाग ने नकली ग्राहक बनाकर तस्कर के पास भेजा। उसे पैसों का प्रलोभन देकर खरीदने का प्रयास किया गया। जैसे ही बाघ का खाल उसने वन विभाग के ग्राहकों को दिखाया, तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

गिरफ्तार आरोपी अशोक विश्वकर्मा सोनारी का रहने वाला है। उसके अन्य दो सहयोगियों को भी हिरासत में पूछताछ की जा रही है। 

वन विभाग के जमशेदपुर प्रमंडल के डीएफओ सबा आलम अंसारी ने बताया कि आरोपियों को पकड़ने के लिए एक टीम का गठन किया गया। पैसे का प्रलोभन देकर बाघ का खाल खरीदने के बहाने जब्त कर लिया गया। 

इस मामले में जुड़े अन्य लोगों को भी गिरफ्तार करने के लिए वन विभाग की ओर से छापेमारी की जा रही है। 

वहीं, रेंज अफसर दिग्विजय सिंह का कहना है कि बाघ का खाल किसी अन्य जगह से लाकर बेचने की कोशिश की जा रही थी। 

कोल्हान के वन में बाघ के मिलने की कोई संभावना नहीं है। गिरफ्तार आरोपी चाईबासा से बाघ का खाल लाकर साकची में बेचने का प्रयास कर रहा था।