जब शेख हसीना पर अमेरिका ने बनाया था दबाव, भारत ने दी थी चेतावनी, रिपोर्ट में खुलासा

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बांग्लादेश में तख्तापलट हो चुका है। देश में जारी भारी हिंसा के बीच शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा और भारत में शरण लेनी पड़ी है।बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाला ही में देश के इस हालात के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा है कि सेंट मार्टिन द्वीप न देने के कारण उन्हें सत्ता से हटाने की योजना बनाई गई थी। इसके पहले वो अमेरिका पर इशारों में आरोप लगाती थीं, जैसे मई 2024 में हसीना ने दावा किया था कि बांग्लादेश को तोड़कर एक ईसाई मुल्क बनाने की साज़िश चल रही है। एक गोरी चमड़ी वाले विदेशी ने उन्हें आसानी से चुनाव जीतने का ऑफर दिया था, बदले में वो बांग्लादेश में मिलिटरी बेस बनाना चाहता था। इस बीच एक चौंकाने वाले खुलासा हुआ है।

वॉशिंगटन पोस्ट में बांग्लादेश की राजनीति को लेकर बड़ा दावा किया गया है। रिपोर्ट में भारतीय और अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा कि शेख हसीना के बांग्लादेश से भागने के एक साल पहले भारतीय अधिकारियों ने अपने अमेरिकी समकक्षों से बांग्लादेश की पूर्व पीएम पर दबाव डालना बंद करने को कहा था। 

इस रिपोर्ट के मुताबिक, बाइडन सरकार ने हसीना के कार्यकाल में एक बांग्लादेशी पुलिस यूनिट को बैन कर दिया था जिस पर अपहरण और हत्या करने का आरोप था। साथ ही लोकतंत्र को कमजोर करने वाले और मानवाधिकारों का हनन करने वाले बांग्लादेशियों पर वीज़ा प्रतिबंध लगाने की धमकी भी दी थी।

रिपोर्ट में कहा गया है भारतीय अधिकारी अमेरिका के अधिकारियों से लगातार संपर्क में भी रहे। कई बैठकों में, भारतीय अधिकारियों ने अनुरोध किया कि संयुक्त राज्य अमेरिका अपने लोकतंत्र समर्थक बयानबाजी को कम करें।इसके लिए भारतीय अधिकारियों ने तर्क दिया कि अगर विपक्ष को चुनाव में सत्ता हासिल करने की अनुमति दी गई, तो बांग्लादेश इस्लामी गुटों के लिए पनाहगाह बन जाएगा, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन जाएगा।

रिपोर्ट के मुताबिक एक भारतीय अधिकारी ने कहा, 'आप इसे लोकतंत्र के स्तर पर देखते हैं, लेकिन हमारे लिए यह मुद्दे बहुत गंभीर और अस्तित्व से जुड़े हैं।' उन्होंने आगे कहा, 'अमेरिकियों के साथ बहुत सी बातचीत हुई, जिसमें हमने कहा कि यह हमारे लिए एक मुख्य चिंता का विषय है और आप हमें रणनीतिक साझेदार के रूप में नहीं मान सकते जत कि हमारे पास किसी तरह की रणनीतिक सहमति न हो।' 

रिपोर्ट की माने तो इसके बाद बाइडन प्रशासन ने आलोचना को कम कर दिया और हसीना के शासन के खिलाफ आगे के प्रतिबंधों की धमकियों को टाल दिया, जिससे कई बांग्लादेशी निराश हो गए।

राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने की मांग लेकर दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे सुब्रह्मण्यम स्वामी, दायर की याचिका

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कांग्रेस नेता व लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर एक बार फिर विवाद उठा है। पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने राहुल के नागरिकता में सवाल खड़े किए हैं। इस मुद्दे को लेकर वे दिल्ली हाईकोर्ट चले गए हैं। स्वामी ने केंद्र सरकार को राहुल गांधी के खिलाफ अपनी शिकायत पर स्टेट्स रिपोर्ट देने का निर्देश देने की भी मांग की है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता ने उनकी नागरिकता के सवाल पर गृह मंत्रालय को जवाब नहीं दिया। इस मामले को लगातार उठा रहे बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने अब जानकारी दी है कि राहुल के खिलाफ कोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल की गई है। स्वामी ने एक एक्स पोस्ट में बताया कि उनके सहयोगी वकील सत्य सभरवाल ने पीआईएल फाइल की है।

सुब्रमण्यम स्वामी ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने के लिए गृह मंत्रालय को निर्देश देने की मांग वाली याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल की। भाजपा नेता ने कोर्ट से मांग की है कि वह इस मामले पर केंद्र सरकार से स्टेटस रिपोर्ट की मांग करे।

सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया है कि राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की नागरिकता है। उनके पास ब्रिटिश पासपोर्ट है। स्वामी ने दावा किया है कि राहुल गांधी ने एक ब्रिटिश कंपनी के लिए दाखिल किए गए एनुअल रिटर्न में खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया है। तब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी यह पूछते हुए कठघरे में खड़ा किया था कि क्या सोनिया गांधी उन्हें ब्लैकमेल कर रहीं हैं कि वो राहुल के खिलाफ कार्रवाई नहीं करें?

स्वामी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने इंडियन सिटिजन होने के नाते भारतीय संविधान के आर्टिकल 9 का उल्लंघन किया। बता दें कि भारत में एक व्यक्ति को केवल एकल नागरिकता प्रदान की जाती है।

बांग्लादेश के नए मुखिया यूनुस ने पीएम मोदी को किया फोन, जानें क्या बात हुई

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बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद अंतरिम सरकार का गठन हो गया है। हसीना सरकार की तख्‍ता पलट के बाद बांग्‍लादेश की मौजूदा सरकार में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मोहम्‍मद यूनुस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टेलीफोन पर बात की है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने जानकारी दी है कि उन्हें प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस का फोन आया। दोनों नेताओं ने बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, "प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस से टेलीफोन पर बात की। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार ने मौजूदा स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान किया। लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन को दोहराया। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, संरक्षा और संरक्षा का आश्वासन दिया।

बता दें कि पीएम मोदी ने भी स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से बांग्लादेश के हालात का जिक्र किया था। पीएम मोदी ने उम्मीद जताई थी कि हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में हालात जल्द ही सामान्य होंगे। उन्होंने कहा था कि 140 करोड़ भारतीय पड़ोसी देश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में कहा कि भारत शांति के लिए प्रतिबद्ध है और वह बांग्लादेश की विकास यात्रा में उसका शुभचिंतक बना रहेगा।

बांग्लादेश में शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के तख्तापलट और शेख हसीना के भारत आने के बाद आठ अगस्त को मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ ली थी। यूनुस के कार्यभार संभालने के बाद पीएम मोदी ने उन्हें शुभकामनाएं दी थी और बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया था।

बांग्लादेश के बाद अब इस देश में मचा सियासी तूफान, प्रधानमंत्री को पद से हटाया गया, अब कौन संभालेगा देश की बागडोर?

बांग्लादेश की आजादी के समय से चली आ रही सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था ने इस देश में आखिरकार सरकार ही बदल दी। शेख हसीना प्रधानमंत्री पद और देश दोनों छोड़ चुकी हैं। साल 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर अस्तित्व में आए बांग्लादेश में नई अंतरिम सरकार बन चुकी है। हालांकि, हालात पूरी तरह से अभी भी नियंत्रित नहीं हो पाए हैं। इसी बीच एशिया के एक और देश में राजनीतिक संकट गंभीर हो गया है। हम बात कर रहे हैं थाईलैंड की जहां के प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन (Srettha Thavisin) को पद से हटा दिया गया है। 10 पॉइंट्स में समझिए थाईलैंड में चल रहा पूरा घटनाक्रम और अब वहां हालात कैसे हैं।

थाईलैंड की सांविधानिक अदालत ने बुधवार को प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को उनके पद से हटाने का फैसला सुना दिया। यह फैसला थाविसिन के खिलाफ नैतिकता से जुड़े एक केस में सुनाया गया है। अदालत ने कहा कि श्रेथा थाविसिन ने संविधान का उल्लंघन किया है। जजों ने कहा कि श्रेथा को यह अच्छी तरह से पता था कि उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति की है जिसके अंदर नैतिकता को लेकर निष्ठा है ही नहीं। बता दें कि श्रेथा थाविसिन एक रियल एस्टेट टायकून हैं और उनका राजनीतिक करियर तुलनात्मक रूप से काफी नया है।

राजधानी बैंकॉक में स्थित इस संवैधानिक अदालत ने कहा कि श्रेथा ने जेल की सजा काट चुके वकील को कैबिनेट में नियुक्ति देकर नैतिकता के नियमों का उल्लंघन किया है। 9 जजों की बेंच में से 5 जजों ने श्रेथा और उनकी कैबिनेट को डिसमिस करने के लिए वोट किया। यह फैसला आने के एक सप्ताह पहले ही थाईलैंड की सुप्रीम कोर्ट ने यहां की ‘प्रोग्रेसिव मूव फॉरवर्ड पार्टी’ को भंग कर दिया था और इसके नेताओं पर 10 साल तक पॉलिटिक्स से बैन कर दिया था। इस पार्टी ने पिछले साल हुए चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें जीती थीं।

श्रेथा के खिलाफ यह केस सेना की ओर से नियुक्त 40 सीनेटरों के ग्रुप की ओर से फाइल किया गया था। उन्होंने कैबिनेट में पिचिट चुएनबेन को नियुक्त करने के लिए श्रेथा को पीएम कार्यालय से हटाने की मांग की थी। पिचिट पूर्व प्रधानमंत्री थकसिन शिनावात्रा के भी करीबी हैं। फैसला आने के बाद श्रेथा ने कि मैंने प्रधानमंत्री के तौर पर अपने कर्तव्य जिता संभव हो सकते थे उतनी निष्ठा के साथ निभाए। मैं अदालत का फैसला स्वीकार करता हूं। वहीं, भविष्य को लेकर उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि नई सरकार हमारी नीतियां जारी रखेगी या नहीं।

श्रेथा पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री बने थे। इसके साथ ही वहां 3 महीने से चल रहा गतिरोध भी खत्म हो गया था। लेकिन इसका परिणाम यह रहा था कि उनकी फ्यू थाई पार्टी अपने लंबे समय से चले आ रहे सैन्य प्रतिद्वंद्वियों के साथ एक सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा बन गई थी। इस फैसले का मतलब पहले से ही उथल-पुथल का सामना कर रही थाईलैंड की राजनीति में और संकट की आमद हो सकता है। यहां राजनीति में बदलाव की मांग करने वाले अक्सर, सत्ता, सेना, राजशाही के समर्थकों और बड़े कारोबारियों के पावरफुल समूह से टकराते रहते हैं।

सरकार को बर्खास्त किए जाने के बाद अब यहां नई सरकार का गठन किया जाएगा। सत्ताधारी ‘फ्यू थाई’ पार्टी की अगुवाई वाला गठबंधन प्रधानमंत्री पद के लिए नया कैंडिडेट चुनेगा, जिस पर 500 सदस्यों वाली संसद में वोटिंग की जाएगी और नया प्रधानमंत्री चुना जाएगा। पिछले 2 दशक के दौरान थाईलैंड में दर्जनों सांसदों को प्रतिबंध का सामना करना पड़ा है। कई राजनीतिक दल भंग किए गए हैं और प्रधानमंत्री को तख्तापलट या फिर अदालत के आदेशों के जरिए पद से हटाया जाता रहा है। यहां की ज्यूडीशियरी का सत्ता की लड़ाई में अहम रोल है।

पाकिस्तान तक पहुंचा मंकीपॉक्स वायरस, भारत के लिए कितना खतरा?

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दुनिया के कई देश इन दिनों खतरनाक मंकीपॉक्स संक्रमण की चपेट में हैं। कई अफ्रीकी देशों में बढ़ते संक्रमण के खतरे को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। एमपॉक्स संक्रमण खतरनाक दर से फैल रहा है। अब इस रोग के मामले एशियाई देशों में भी देखे जा रहे हैं।पाकिस्तान में एमपॉक्स वायरस से पीड़ित तीन मरीजों का पता चला है।जिसने भारत के लिए भी टेंशन बढ़ा दी है। हालांकि, भारतीय चिकित्सक इसे भारत के लिए खतरनाक नहीं बता रहे।

दुनियाभर के 70 देशों में फैल चुकी महामारी

मंकीपॉक्स महामारी दुनियाभर के 70 देशों में फैल चुकी है। अब पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बीते दिन मंकीपॉक्स का मरीज मिला, जो गत 3 अगस्त को ही सऊदी अरब से लौटा। पाकिस्तानी स्वास्थ्य मंत्रालय ने महामारी का केस मिलने की पुष्टि की और बताया कि मरीज को क्वारंटाइन कर दिया गया है। उसके संपर्क में आए लोगों के सैंपल भी ले लिए हैं। पूरे देश में महामारी को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है।

स्वीडन में भी संक्रमण का पहला केस दर्ज

पाकिस्तान के अलावा स्वीडन में भी गुरुवार को संक्रमण का पहला केस दर्ज किया गया है। डब्ल्यूएचओ द्वारा विश्व स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने के अगले ही दिन स्वीडन में पहला मामला सामने आया है। संक्रमित व्यक्ति ने हाल ही में अफ्रीका की यात्रा की थी और स्टॉकहोम लौटने पर उसमें संक्रमण की पुष्टि की गई है। 

चीन सरकार अलर्ट

कई देशों में बढ़ते एमपॉक्स के खतरे को देखते हुए चीन सरकार भी अलर्ट हो गई है। चीनी कस्टम प्रशासन की ओर से बयान जारी करके बताया गया है कि अगले छह महीनों तक देश में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों में एमपॉक्स की निगरानी की जाएगी।

अफ्रीकी देशों में 500 से ज्यादा मौतें

बता दें कि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एमपॉक्स के बढ़ते खतरे को लेकर आगाह किया है।एक दिन पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दो साल में दूसरी बार इस बीमारी को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार इस साल अब तक अफ्रीकी देशों में 14,000 से ज्यादा मामले और 524 मौतें दर्ज की गई हैं, जो पिछले साल के आंकड़ों से कहीं ज्यादा हैं। इनमें से 96% से ज्यादा मामले और मौतें अकेले कांगो में हुई हैं।

जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव का ऐलान, जानें कब-कब वोटिंग

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जम्‍मू-कश्‍मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनावों का ऐलान कर दिया गया है।चुनाव आयोग ने दोनों प्रदेशों में होने वाले चुनावों का ऐलान किया है। मुख्‍य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने विधानसभा चुनावों का ऐलान किया है। हरियाणा में एक फेज में चुनाव कराए जाएंगे। वहीं, तकरीबन एक दशक के बाद जम्‍मू-कश्‍मीर में तीन चरणों में चुनाव कराए जाएंगे। बता दें कि जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 हटने के बाद और इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने के बाद पहलरी बार विधानसभा चुनाव कराए जा रहे। 

मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त राजीव कुमार ने कहा कि जम्मू कश्मीर और हरियाणा के चुनाव का जायजा लेने आयोग गया था। दोनों जगहों पर लोकतंत्र में शामिल होने की लालसा दिखाई दी। मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त ने कहा कि उम्मीद और जम्हूरियत की झलक लोकसभा चुनाव में बता रही थी की बुलेट पर बैलेट की जीत हुई। जनता ने बुलेट और बॉयकॉट के बदले बैलेट को चुना।

जम्मू कश्मीर में चुनाव का शेड्यूल

जम्मू कश्मीर में पहले फेज के लिए गैजेट नोटिफिकेशन 20 अगस्त को जारी होगा, वहीं नामांकन की आखिरी तारीख 27 अगस्त होगी। उम्मीदवारी वापस लेने की आखिरी तारीख 30 अगस्त होगी। 18 सितंबर को चुनाव होंगे। 

वहीं, दूसरे फेज के लिए गैजेट नोटिफिकेशन 29 अगस्त को जारी होगा, वहीं नामांकन की आखिरी तारीख 5 सितंबर होगी। उम्मीदवारी वापस लेने की आखिरी तारीख 9 सितंबर होगी। 25 सितंबर को चुनाव होंगे। 

तीसरे चरण के लिए गैजेट नोटिफिकेशन 5 सितंबर को जारी होगा, वहीं नामांकन की आखिरी तारीख 12 सितंबर होगी। उम्मीदवारी वापस लेने की आखिरी तारीख 17 सितंबर होगी। 1 अक्तूबर को चुनाव होंगे। 

हरियाणा में एक अक्टूबर वोटिंग

हरियाणा में एक ही फेज में विधानसभा के चुनाव होंगे। एक अक्टूबर को प्रदेश की 90 असेंबली सीट पर मतदान होगा। 6 अक्टूबर को नतीजे आएंगे।चुनाव आयोग ने बताया कि हरियाणा में 90 विधानसभा सीटें हैं। इनमें 73 सामान्य हैं। राज्य में 2 करोड़ से ज्यादा वोटर जिनमें 85 लाख नए वोटर। 20629 पोलिंग स्टेशन हैं। हरियाणा मल्टी स्टोरी इमारतों में पोलिंग बूथ होंगे।

उद्धव ने महाराष्ट्र में सीएम फेस को लेकर दिया बड़ा बयान, कांग्रेस और एनसीपी-एसपी को दिया खुला ऑफर

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इस साल के अंत में चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग आज विधानसभा चुनाव का एलान करने वाला है।उससे पहले महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर महामंथन जारी है। इस बीच शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने आज एक बड़ा बयान दिया है। उद्धव ने सीएम पद के लिए लगभग अपने हाथ खींच लिया हैं और कहा कि कांग्रेस और एनसीपी-एसपी को अपने-अपने सीएम उम्मीदवार का नाम सुझाने दीजिए। हम उसका समर्थन करेंगे।

उद्धव ठाकरे ने एमवीए की एक बैठक में कहा कि महा विकास अघाड़ी कार्यकर्ताओं को महाराष्ट्र के गौरव और सम्मान की रक्षा के लिए स्वार्थ से ऊपर उठना होगा। उनको केवल अपने राज्य का सोचना होगा। उद्धव ने आगे कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव राज्य के स्वाभिमान की रक्षा के लिए एक लड़ाई होगी।

उद्धव ठाकरे ने कहा कि 'भाजपा के साथ गठबंधन के बाद मुझे एक चीज का अनुभव हो गया है कि हमें उस नीति पर नहीं चलना चाहिए कि गठबंधन में जिस पार्टी के सबसे ज्यादा विधायक होंगे, उसी पार्टी का सीएम होगा। हमने भाजपा के साथ गठबंधन में पिछले चुनावों में ऐसा महसूस किया है कि पार्टी अपने विधायकों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में जिताने के लिए गठबंधन की दूसरी पार्टी के उम्मीदवारों को कमजोर करने की कोशिश करती है। इसलिए हम ज्यादा विधायकों वाली पार्टी को ही सीएम पद देने के पक्ष में नहीं हैं।'

उद्धव ठाकरे ने कहा कि 'महाविकास अघाड़ी गठबंधन को मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर फैसला करने दीजिए। कांग्रेस और एनसीपी-एसपी को अपने-अपने सीएम उम्मीदवार का नाम सुझाने दीजिए। हम उसका समर्थन करेंगे। हमें महाराष्ट्र और देश की भलाई के लिए काम करना है और मैं 50 खोखा और गद्दारों को भी जवाब देना चाहता हूं। कि लोग हमें चाहते हैं ना कि उन्हें।'

उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह काफी समय से अपने सहयोगी दलों के पदाधिकारियों के साथ बैठक करना चाहते थे। आज संयोग बन गया है। चुनाव आयोग आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा है। उन्हें चुनाव की तारीखों की घोषणा करनी है। हम तैयार हैं।उन्होंने कहा कि हमने लोकसभा चुनाव में अपने राजनीतिक दुश्मनों को ढेर कर दिया। वह चुनाव संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए था।

आरजी कर अस्पताल तोड़फोड़ मामले में हाईकोर्ट ने ममता सरकार को लगाई फटकार, कहा- अस्पताल बंद करना ही बेहतर

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कोलकाता आरजी कर हॉस्पिटल में ट्रेनी लेडी डॉक्टर की हत्या के बाद से देशभर में बवाल मचा हुआ है। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में बुधवार आधी रात कुछ लोगों ने अस्पताल परिसर में घुसकर आपातकालीन विभाग में तोड़फोड़ की। आरजी कर अस्पताल और कॉलेज पर बुधवार और गुरुवार के दरम्यान रात में 40 गुंडों ने हमला कर दिया था। इसमें उन्होंने न केवल विरोध कर रहे डॉक्टरों के स्थान को तबाह किया, बल्कि उन्होंने अस्पताल में उन्होंने जमकर तोड़फोड़ किया है। इस मामले में आज शुक्रवार को कोलकाता हाईकोर्ट ने संज्ञान स्वतः संज्ञान लिया है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में ममता बनर्जी सरकार को जमकर फटकार लगाई है और सख्त टिप्पणी की है।

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में डॉक्टर के रेप और मर्डर की घटना के बाद 14 अगस्त की रात को हुई तोड़फोड़ पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए इसे राज्य सरकार की नाकामी बताया है। हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि यह पूरी तरह से राज्य मशीनरी की नाकामी है। हाई कोर्ट ने कहा है कि भीड़ इकट्ठी होने की जानकारी पुलिस को क्यों नहीं हुई? हंगामा रोकने के लिए धारा 144 लगाते। पुलिस को घेराबंदी करनी चाहिए थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि हनुमान जयंती पर भी ऐसा ही हुआ था। 

अस्पताल में तोड़फोड और भीड़ के हमले को लेकर कड़ी चिंता जताते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा, मरीजों से माफी मांग कर दूसरे अस्पताल भेज दीजिए और आर जी कर अस्पताल को बंद कर दीजिए। आपने जो कुछ किया घटना के बाद, वो सबके सामने है। इससे पहले हनुमान जयंती के दिन छत से पत्थर फेका गया, आपकी इंटेलिजेंस को पता नही था। 7000 लोग इकठ्ठे हो जाते हैं पुलिस को कुछ पता नहीं था? धारा 144 लागू क्यों नहीं की गई? भीड़ पर क्यों काबू नहीं किया गया? ऐसे कई सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि ये बातें आम आदमी यानी जनता के भरोसे को तोड़ देती हैं।

बेंच ने कहा, ऐसी घटनाओं का डॉक्टरों और अस्पताल कर्मियों पर बुरा असर पड़ता है। उनका आत्मविश्वास कमजोर पड़ता है। डॉक्टर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ खुद को असुरक्षित महसूस करता है। यह दुखद स्थिति है। आखिर कैसे ये डॉक्टर बिना डर के काम करेंगे।

बता दें कि आरजी कर अस्पताल के नजदीक पुलिस बैरिकेड तोड़कर भीड़ परिसर में घुस गई थी। कुछ लोगों ने कुर्सियां और बोर्ड तोड़ दिए थे। यह घटना तब हुई जब जूनियर डॉक्टर के लिए न्याय की मांग करते हुए बड़ी संख्या में महिलाएं कोलकाता की सड़कों प्रदर्शन कर रही थीं। अस्पताल में हुई तोड़फोड़ को लेकर पुलिस ने जानकारी दी थी कि 30-40 युवक ने अंदर घुसकर तोड़फोड़ की है। तोड़फोड़ करने वाले ये लोग कौन है इसका पता नहीं चल सका है। बड़ी बात यह है कि पुलिस के सामने ही तोड़फोड़ होती रही। इस पर अब प्रश्न यह उठने लगा है कि क्या महिलाओं के शांतिपूर्ण आंदोलन से ध्यान हटाने के लिए तो यह सुनियोजित घटना नहीं है।

अग्नि मिसाइल के जनक और DRDO के विख्यात साइंटिस्ट डॉ. राम नारायण अग्रवाल का दुखद निधन

 भारत के रक्षा अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. राम नारायण अग्रवाल का गुरुवार को हैदराबाद में 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं। "अग्नि मिसाइलों के जनक" माने जाने वाले डॉ. अग्रवाल ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के तत्वावधान में भारत के लंबी दूरी के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

भारत की मिसाइल प्रौद्योगिकी में अग्रवाल का योगदान देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक रहा है। उनका नेतृत्व और विशेषज्ञता अग्नि मिसाइल श्रृंखला के सफल विकास के लिए केंद्रीय थी, जो भारत के सामरिक रक्षा ढांचे की आधारशिला बन गई है। 1983 में शुरू हुए अग्नि मिसाइल कार्यक्रम के परियोजना निदेशक के रूप में, डॉ. अग्रवाल का नेतृत्व और दूरदर्शिता दो दशकों से अधिक समय तक परियोजना की सफलता में सहायक रही। 

उनके मार्गदर्शन में, टीम ने मई 1989 में प्रौद्योगिकी प्रदर्शक मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। ​​इसने भारत की मिसाइल प्रौद्योगिकी में प्रगति की एक श्रृंखला की शुरुआत की। अग्नि मिसाइल, जिसे शुरू में एक तकनीकी प्रदर्शक के रूप में परिकल्पित किया गया था, एक दुर्जेय हथियार प्रणाली के रूप में विकसित हुई जिसके कई संस्करण विकसित किए गए और बाद में रक्षा बलों में शामिल किए गए।

अगर हम उसकी जान के बदले पैसे लेंगे तो वह बहुत दुखी होगी', कोलकाता कांड पर बोले विक्टिम के पिता

कोलकाता दुष्कर्म-हत्या मामला निरंतर ख़बरों में बना हुआ है. बुधवार रात संबंधित चिकित्सालय में जमकर तोड़फोड़ हुई थी, तत्पश्चात, ये मामला और अधिक उलझ गया है. वहीं, अब मृतका के पिता ने कहा कि यदि हम उसकी जान के बदले पैसे लेंगे तो वह बहुत दुखी होगी. यदि मुझे न्याय मिलेगा, तो उसे अवश्य लेकर आऊंगा. इसके अतिरिक्त, मृतका के पिता ने बृहस्पतिवार शाम को कहा कि CBI के अफसर आज आए तथा हमारे बयान समेत सभी सबूत ले गए.

आगे कहा कि हम इस घटना को लेकर पूरे देश के साथ-साथ विदेशों में भी हो रहे विरोध एवं आंदोलन के पक्ष में 100 फीसदी हैं. सभी प्रदर्शनकारियों को हमारा प्यार, हम सभी को अपना बेटा-बेटी मानते हैं. मृतका छात्र के पिता ने कहा कि रात के समय चिकित्सालय पर हुए हमले के पीछे सुबूतों को गलत साबित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है. यह प्रशासन का मामला है, प्रशासन इसे समझेगा. इस पर मेरा टिप्पणी करना उचित नहीं है. यह न्यायिक मामला है. CBI ने आश्वासन दिया है कि पकड़े जाने पर अपराधियों को कड़ी सजा दी जाएगी. यह जल्द से जल्द किया जाएगा.

चिकित्सालय के अंदर मचे उपद्रव के पश्चात् चिकित्सालय के अंदर की जो तस्वीरें सामने आई हैं, वो आधी रात को हुई घटना की पूरी कहानी बयां कर रही है. चिकित्सालय के बाहर देर रात प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच सम्मिलित कुछ अज्ञात लोग अचानक से अंदर घुस गए तथा हंगामा मचाना आरम्भ कर दिया. आक्रोशित प्रदर्शनकारी चिकित्सालय के दरवाजे, खिड़कियां, बेड, मेडिकल उपकरणों, जो भी सामने आया उसे बर्बाद करते चले गए. चिकित्सालय के उस हिस्से में भी तोड़फोड़ की गई, जहां महिला चिकित्सक के साथ वारदात को अंजाम दिया गया था. अज्ञात प्रदर्शनकारियों ने चिकित्सालय के डॉक्टरों के साथ भी मारपीट की.