कानूनी पचड़े में फंसीं सपना चौधरी, कोर्ट ने जारी किया गैर जमानती वारंट, हाई-प्रोफाइल धोखाधड़ी का है मामला


हरियाणवी डांसर और सिंगर सपना चौधरी हमेशा किसी न किसी वजह के चलते सुर्खियों का हिस्सा बनी रहती हैं. लेकिन इस बार सपना चौधरी कानूनी पचड़े में फंसी हैं. सिंगर की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. सपना पर गिरफ्तारी तक की तलवार लटकती हुई नजर आ रही हैं. दरअसल दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने सपना चौधरी के खिलाफ एक हाई-प्रोफाइल धोखाधड़ी मामले में गैर-जमानती वारंट जारी किया है.

दरअसल सपना को कोर्ट में पेश होना था. लेकिन वो दी हुई तारीख पर नहीं पहुंची. दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट की चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट रश्मि गुप्ता ने मंगलवार को सपना चौधरी के कोर्ट में पेश न होने पर गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया. इस मामले पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि, आरोपी (सपना चौधरी) की ओर से लास्ट सुनवाई पर पेशी से छूट मांगी गई थी. सपना मंगलवार को भी पेश नहीं हुई. सपना को फोन करने के बावजूद वह कोर्ट में पेश नहीं हुईं.


अब इस मामले में कोर्ट अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को करेगी. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगली सुनवाई तक आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट यानी NBW जारी किया जाता है. पूरे मामले की अगर बात करें तो पवन चावला नाम के शख़्स ने दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज करवाते हुए कहा था कि सपना चौधरी ने उनसे पैसों की धोखाधड़ी की थी. पवन की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने 2021 में FIR दर्ज की थी.


बिग बॉस में नजर आई थीं सपना चौधरी

सपना चौधरी पर आरोप है कि उन्होंने पवन से बिजनेस के बहाने पैसे लिए थे, लेकिन उन्होंने और उनके परिवार ने पैसों का इस्तेमाल किसी और काम के लिए कर लिया. इस मामले में सपना चौधरी के खिलाफ दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा यानी EOW चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. 28 मई, 2024 को कोर्ट ने IPC की धारा 420 और धारा 406 के तहत अपराध का संज्ञान लिया था. लेकिन भेजे गए समन के बावजूद भी सपना चौधरी कोर्ट में पेश नहीं हुई थी.
बांग्लादेश के हिंदुओं की रक्षा करेंगे नागा साधु, कूच करने को तैयार, बोले- हमारा जन्म सनातन की रक्षा के लिए हुआ, सरकार हमें...



बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा अब हमारे नागा साधु करेंगे। हजारों की संख्या में नागा साधु बांग्लादेश कूच करने को तैयार हैं। उन्होंने इसके लिए भारत सरकार से इजाजत मांगी है। साधु-संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्य़क्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार असहनीय हैं। अगर भारत सरकार अनुमति दे तो यहां के नागा संन्यासी, जिनका जन्म सनातन की रक्षा के लिए हुआ है, हिंदुओं की रक्षा के लिए बांग्लदेश मार्च करने के लिए तैयार हैं।

बता दें कि बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद फैली हिंसा में कट्टरपंथियों ने जमकर उत्पात मचाते हुए हिंदुओं को निशाना बनाया। तख्तापलट के अंतरिम सरकार बनने के बाद भी हिंदुओं पर हमले जारी है। हिंदू घरों और मंदिरों पर लगातार हमले ने संत समाज का आक्रोशित कर दिया है। इसे लेकर विगत मंगलवार (13 अगस्त) को साधु-संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद  ने हरिद्वार में एक बैठक की। बैठक में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को लेकर चर्चा हुई। इसके बाद परिषद ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा की निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र से सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया।


संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को लिखे लेटर में परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा है कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अपराधों के बारे में अभी पूरी दुनिया चुप है। महंत रविंद्र पुरी ने लिखा कि- हमें आशा है कि आप अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के संतों की भावनाओं को समझेंगे और बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और उनके उत्पीड़न पर नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। पुरी ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की लहर की निंदा करते हुए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया है।

वहीं महंत रविंद्र पुरी ने यह भी कहा कि अगर भारत सरकार इजाजत देती है तो बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों को बचाने के लिए नागा साधु उस देश तक कूच करने के लिए तैयार हैं। बता दें कि बांग्लादेश के कट्टरपंथी मुस्लिम (Fundamentalist Muslim) ने देश के 27 जिलों में हिंदुओं का कत्लेआम किया। उनके घरों और प्रतिष्ठान को निशाना बनाया।


वहीं घरों में लूटपाट करने के बाद आग के हवाले कर दिया। वहीं कट्टरपंथियों ने 50 से ज्यादा मंदिर फूंक दिए। पूरे देश में दंगाई आतंक का तांडव नृत्य किया। बांग्लादेश डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार की रात देश के 27 जिलों में हिंदुओं के घरों और दुकानों पर हमले किए। दंगाइयाें ने टोली या छोटे-छोटे झुंड बनाकर हिंदू बस्तियों पर धावा बोला। हिंदुओं के घरों में घुसकर लोगों को मारपीट कर बाहर निकाला। पूरा सामान लूटने के बाद आग के हवाले कर दिया। विरोध करने वाले हिंदुओं को पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया था।
और कब तक भारत में रहेगीं शेख हसीना, बांग्लादेशी नेता का प्रवास कितनी बड़ी चुनौती?
#india_face_challenges_after_bangladesh_ex_pm_sheikh_hasina
5 अगस्त को बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद पूर्व पीएम शेख हसीना भाग कर भारत आई हैं। इससे एक बात तो साफ हो गई कि इस सबसे मुश्किल वक्त में भी भारत शेख हसीना के साथ ही खड़ा रहा। अब तक किसी दूसरे देश से शेख हसीना के शरण की बात सामने नहीं है। एक तरफ तो अमेरिका ने हसीना का वीजा रद्द कर दिया है, जबकि यूनाइटेड किंगडम ने सुझाव दिया है कि वह जिस भी सुरक्षित देश में पहुंचें, वहां शरण ले लें। ऐसे में शेख हसीना का भारत में अस्थायी प्रवास शीघ्र समाप्त होने की संभावना नहीं है। माना जा रहा है कि जब तक हसीना को कहीं और शरण नहीं मिलती, तब तक वह भारत में ही रहेंगी।

शेख हसीने के भारत में अस्थायी प्रवास का दोनों देशों के बीच संबंधों पर असर पड़ना तय है। इसमें कोई शक नहीं है कि मोदी सरकार ने शेख हसीना को शरण देकर अच्छा किया, लेकिन इसके नतीजे में बांग्लादेश में भारत विरोधी भावनाएं और बढ़ सकती हैं। वहां भारत विरोधी तत्व पहले से ही सक्रिय थे। शेख हसीना उन पर लगाम लगा रही थीं, लेकिन उनके भारत आने और बांग्लादेश लौटने की संभावनाएं शून्य होने के साथ ही पश्चिम ने जिस प्रकार उनसे मुंह मोड़ा, उससे साफ है कि भारत को बांग्लादेश में अपने हित सुरक्षित करना और कठिन हो सकता है।

भारत की समस्या केवल यह नहीं है कि वह बांग्लादेश में अपने हितों की रक्षा कैसे करे, बल्कि यह भी है कि वहां के अल्पसंख्यकों और विशेष रूप से हिंदुओं को कैसे बचाए? आरक्षण विरोध के बहाने शेख हसीना को सत्ता से हटाने के आंदोलन के दौरान हिंदुओं पर छिटपुट हमले ही हो रहे थे, लेकिन तख्तापलट के बाद तो उनकी शामत ही आ गई है। बांग्लादेश का शायद ही कोई ऐसा इलाका हो, जहां से हिंदुओं के घरों, दुकानों और मंदिरों को निशाना बनाए जाने की खबरें न आ रही हों। शेख हसीना के शासन में बांग्लादेश के जो हिंदू खुद को थोड़ा-बहुत सुरक्षित महसूस करते थे, वे फिलहाल असहाय-निरुपाय दिख रहे हैं।
चिंता की बात यह है कि सेना उनकी रक्षा को उतनी तत्पर नहीं दिख रही, जितना उसे दिखना चाहिए। भारत को बांग्लादेश के हिंदुओं को बचाने के लिए कुछ करना होगा, अन्यथा उनका वैसा ही बुरा हाल होगा, जैसे अफगानिस्तान में हुआ और पाकिस्तान में हो रहा है।
जम्मू-कश्मीर के डोडा एनकाउंटर में आर्मी कैप्टन शहीद, 4 आतंकियों के मारे जाने की खबर
#army_officer_martyred_in_jammu_kashmir_doda_encounter_4_terrorists_killed डोडा के अस्सर इलाके में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ की खबर है। इस मुठभेड़ में चार आतंकियों के मारे जाने की जानकारी सामने आ रही है। वहीं, भारतीय सेना के 48 राष्ट्रीय राइफल्स के एक कैप्टन बलिदान हो गए एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि डोडा जिले में चल रहे ‘ऑपरेशन असर’ के दौरान एक्शन में भारतीय सेना के एक अधिकारी शहीद हो गए। इनकी पहचान 48 राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन दीपक के रूप में की गई हैं।

सुरक्षाबलों ने शिवगढ़-अस्सर बेल्ट में छिपे आतंकवादियों के एक ग्रुप को घेर रखा है। साथ ही इलाके में तलाशी अभियान भी चलाया जा रहा है। घने जंगल होने की वजह से जवानों को कठनाई का सामना करना पड़ रहा है। जवानों को आतंकियों के कब्जे से एक एम-4 राइफल और 3 बैग मिले हैं।

ये मुठभेड़ बीते दिन पटनीटॉप से सटे जंगल अकर इलाके में शुरू हुई थी।मंगलवार को उधमपुर की तहसील रामनगर के डूडू बसंतगढ़ के पहाड़ी क्षेत्र में चार आतंकवादी देखे गए थे। देर शाम आतंकियों की मौजूदगी पर सुरक्षाबलों ने तलाशी अभियान चलाया। अपनी तरफ सुरक्षाबलों का घेरा बढ़ता देख आतंकी सियोजधार के रास्ते अस्सर होते हुए जिला डोडा की तरफ निकल गए।

इस बीच सेना को खबर मिली कि ये आतंकी अकर क्षेत्र में एक नदी के पास छिपे हैं। इसके बाद भारतीयों जवानों ने वहां धावा बोल दिया, जहां खुद को घिरा देखकर आतंकियों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। इस फायरिंग में एक आर्मी ऑफिसर घायल हो गए थे, जिन्होंने बाद में दम तोड़ दिया।

जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों में आतंकी गतिविधियां बढ़ी हैं। पिछले पांच दिनों में यह चौथी मुठभेड़ है। इससे पहले 11 अगस्त को किश्तवाड़ जिले के जंगलों में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच फायरिंग हुई थी। इसी दिन उधमपुर में बसंतगढ़ के जंगलों में भी सेना और सुरक्षाबलों के बीच गोलीबारी हुई थी।  वहीं 10 अगस्त को अनंतनाग के कोकरनाग में आतंकियों की फायरिंग से हवलदार दीपक कुमार यादव और लांस नायक प्रवीण शर्मा शहीद हो गए थे। 3 जवान और 2 नागरिक घायल हुए थे।
दिल्ली शराब घोटाला जेल में बंद अरविंद केजरीवाल को नहीं मिली राहत, सीबीआई की गिरफ्तारी को दी थी चुनौती
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दिल्ली शराब घोटाला केस में तिहाड़ जेल में बंद अरविंद केजरीवाल को आज भी राहत नहीं मिल पाई।केजरीवाल ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई की ओर से उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए जमानत अंतरिम मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से 23 अगस्त तक जवाब मांगा है और उन्हें अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है।

सीएम केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा. सिंघवी ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिल चुकी है। उन्होंने कोर्ट स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए तत्काल अंतरिम जमानत की मांग की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अंतरिम जमानत पर फिलहाल विचार नहीं करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुयान की पीठ ने जांच एजेंसी सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी को बरकरार रखने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया।

बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने सीबीआई की गिरफ्तारी को वैध ठहराने वाली दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है।दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी को वैध ठहराते हुए  5 अगस्त को मुख्यमंत्री की गियाचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई की कार्रवाई गलत नहीं है। क्योंकि मुख्यमंत्री रहते हुए आप गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
मुल्क छोड़ने के बाद शेख हसीना ने तोड़ी चुप्पी, जानें क्या-क्या कहा?*
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शेख हसीना ने बांग्लादेश से भागने के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से बयान दिया है। हसीना का यह बयान उनके खिलाफ बांग्लादेश में हत्या का मामला दर्ज करने के बाद आया है। शेख हसीना ने सत्ता से हटने और देश छोड़ने के बाद अपने पहले बयान में बांग्लादेश में जुलाई माह के दौरान हुई हत्याओं और बर्बरता में शामिल लोगों के लिए सजा की मांग की है।उनके बयान को बेटे सजीब वाजेद जॉय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया है। इस बयान में उन्होंने बांग्लादेश के निर्माता शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्तियों के अपमान और उनके निवास स्थान पर हुई आगजनी को लेकर भी अपना दुख जाहिर किया है। *परिवार के बलिदान को किया याद* बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने अपने एक्स अकाउंट पर अपनी मां का पहला बयान पोस्ट किया। जिसमें कहा गया है, प्रिय देशवासियों, 15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश के राष्ट्रपति, राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की निर्मम हत्या कर दी गई थी। उनके प्रति गहरा सम्मान रखें। उसी समय मेरी मां बेगम फजीलतुन्नैसा, मेरे तीन भाई स्वतंत्रता सेनानी कैप्टन शेख कमाल, स्वतंत्रता सेनानी लेफ्टिनेंट शेख जमाल, कमाल और जमाल की नवविवाहित दुल्हन सुल्ताना कमाल और रोजी जमाल और मेरे 10 वर्ष के छोटे भाई शेख रसेल की बेरहमी से हत्या कर दी गई। मेरे इकलौते चाचा लकवाग्रस्त स्वतंत्रता सेनानी शेख नासिर, राष्ट्रपति के सैन्य सचिव ब्रिगेडियर जमील उद्दीन, पुलिस अधिकारी सिद्दीकुर रहमान, स्वतंत्रता सेनानी शेख फजलुल हक मोनी और उनकी गर्भवती पत्नी आरजू मोनी, कृषि मंत्री स्वतंत्रता सेनानी अब्दुर रब सरनियाबाद, उनके 10 वर्षीय बेटे आरिफ और 13 साल की बेटी बेबी, 4 साल का पोता सुकांत, स्वतंत्रता सेनानी, शहीद पत्रकार भतीजे रेंटू समेत कई अन्य की बेरहमी से हत्या कर दी गयी। मैं 15 अगस्त को शहीद हुए सभी लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करती हूं और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। *आंदोलन के नाम पर आतंकवादी हमले* हसीना ने अपने बयान में आगे कहा कि पिछली जुलाई से देश में आंदोलन के नाम पर तोड़फोड़, आगजनी और हिंसा में कई जानें जा रही हैं। आतंकवादी हमलों के परिणामस्वरूप मारे गए छात्रों, शिक्षकों, पुलिसकर्मियों, महिला पुलिस अधिकारियों, पत्रकारों, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं, कामकाजी लोगों, अवामी लीग और सहयोगी संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं, पैदल यात्रियों और विभिन्न संस्थानों के श्रमिकों के प्रति मैं अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं और आत्मा की शांति की प्रार्थना करती हूं। उन लोगों के प्रति मेरी संवेदनाएं जो मेरी तरह अपने रिश्तेदारों को खोने के दर्द के साथ जी रहे हैं। मैं मांग करती हूं कि इस हत्या और बर्बरता की उचित जांच की जाए और दोषियों की पहचान कर उन्हें उचित सजा दी जाए। *बंगबंधु भवन को लेकर जताया दुख* शेख हसीना ने कहा कि प्रिय देशवासियों हम दोनों बहनों ने 15 अगस्त 1975 को धनमंडी बंगबंधु भवन में हुई नारकीय हत्या की स्मृति वाले घर को बंगाल की जनता को समर्पित किया। इसमें एक स्मारक संग्रहालय बनाया गया था। देश के आम लोगों से लेकर देश-विदेश के गणमान्य लोग इस सदन में आ चुके हैं। यह संग्रहालय आज़ादी का स्मारक है। यह आज धूल भरी है। यह स्मृति हमारे जीवित रहने का आधार थी, वह जलकर राख हो गयी है। यह बहुत दुखद है। *हसीने ने देशवासियों से की न्याय की अपील* राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान, जिनके नेतृत्व में हमने एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में आत्म-सम्मान प्राप्त किया, अपनी पहचान पाई और एक स्वतंत्र देश प्राप्त किया, उनका घोर अपमान किया गया है। उन्होंने लाखों शहीदों के खून का अपमान किया। मैं देशवासियों से न्याय चाहती हूं। मैं आपसे 15 अगस्त को राष्ट्रीय शोक दिवस को उचित गरिमा और गंभीरता के साथ मनाने की अपील करती हूं। बंगबंधु भवन में पुष्प माला चढ़ाकर और प्रार्थना कर सभी आत्माओं की मुक्ति के लिए प्रार्थना करें। अल्लाह बांग्लादेश के लोगों को आशीर्वाद दे। खुदा हाफ़िज़। जय बांग्ला जय बंगबंधु।
ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर की जांच के लिए कोलकाता पहुंची सीबीआई की टीम, सामने होंगी ये चुनौतियां

#rg_kar_medical_college_and_hospital_rape_murder_case_cbi_investigation

पश्चिम बंगाल में महिला डॉक्टर से रेप-मर्डर की निष्पक्ष जांच की मांग पर देशभर में जारी डॉक्टरों की हड़ताल के बीच कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामला सीबीआई को सौंप दिया है। कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई की टीम कोलकाता पहुंची है। दिल्ली से सीबीआई के अफसर कोलकाता पहुंच गई है। कोलकाता पुलिस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज सीबीआई को सौंपेगी। जिसके बाद सीबीआई की टीम फोरेंसिक टीम के साथ मौका-ए-वारदात का दौरा करेंगे।

इससे पहले केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने हत्याकांड की जांच मंगलवार को अपने हाथ में ले ली थी। एजेंसी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के कुछ ही घंटों के अंदर सभी औपचारिकताएं पूरी कर लीं थीं। जांच एजेंसी में सीबीआई ने नई एफआईआर दर्ज की है। इसके मद्देनजर सीबीआई की दिल्ली से एक टीम मामले कोलकाता पहुंची। सीबीआई ने दिल्ली से एक विशेष चिकित्सा और फोरेंसिक टीम भेजी है। कोलकाता पहुंचने के बाद टीम सबसे पहले न्यू टाउन राजारहाट में बीएसएफ-दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के अधिकारियों से मिलने पहुंची।

सबूतों से छेड़छाड़ की कोशिश!

हालांकि, जिस तरह के हालात पैदा हुए हैं, उस वजह से जांच के दौरान सीबीआई को केस से जुड़े सबूतों को लेकर काफी परेशानी हो सकती है।दरअसल, सीबीआई के मौके पर पहुंचने से पहले ही हैरान कर देने वाला वीडियो सामने आया है। जानकारी के मुताबिक, मेडिकल कॉलेज में जिस जगह पर डॉक्टर के साथ हैवानियत हुई है, उसी जगह के पास तोड़फोड़ की जा रही है। रेजिडेंट डॉक्टर के कमरे से सटे कमरे की मरम्मत की जा रही है और आरोप है कि सेमिनार रूम से जुड़े साक्ष्यों से जानबूझकर छेड़छाड़ की जा रही है। ऐसे में सवाल उठाया जा रहा है कि क्या सीबीआई के आने से पहले सबूतों से छेड़छाड़ की कोशिश तो नहीं हो रही है?

कोलकाता लेडी डॉक्टर से गैंगरेप की आशंका

वहीं, हत्या और रेप के इस मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। महिला डॉक्टर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए डॉ. सुबर्नो गोस्वामी ने कहा कि पीड़िता के शरीर जिस प्रकार की चोटें पाई गई हैं वह एक व्यक्ति से संभव नहीं है। गोस्वामी ने कहा कि फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने जो सैंपल लिए हैं। उसमें मृतक लेडी डॉक्टर के प्राइवेट पार्ट काफी मात्रा में सीमेन मिला है। इसकी मात्रा करीब 151 ग्राम के करीब है। गोस्वामी ने कहा कि इतना सीमेन सिर्फ एक से अधिक व्यक्तियों के शामिल होने पर ही संभव है।

केवल पिता को शव देखने की मिली इजाजत

इस बीच, ट्रेनी डॉक्टर के परिवार और रिश्तेदार की ओर से सामने आ रही बातें कई तरह कई सवाल खड़े कर रही हैं। परिवार का कहना है कि हॉस्पिटल अथॉरिटी ने उन्हें फोन करके कहा कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। फिर जब वे हॉस्पिटल में शव देखने पहुंचे, उन्हें अस्पताल के बाहर तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ा, इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, एक रिश्तेदार ने बताया, ‘तीन घंटे बाद… पिता को अंदर जाने, बेटी का शव देखने की अनुमति दी..बेटी की केवल एक तस्वीर क्लिक करने की अनुमति दी गई जिसे उन्होंने बाहर आने पर हमें दिखाया… इस रिश्तेदार ने बताया कि उसके शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था… उसके पैर 90 डिग्री अलग-अलग थे… ऐसा तब तक नहीं हो सकता जब तक कि पेल्विक गर्डल टूट न जाए.. इसका साफ मतलब है कि वह दो भागों में एकदम चीर दी गई थी… वह बताते हैं कि बेटी का चश्मा टूटा हुआ था.. ये ही शीशे उसकी आंखों में घुस गए थे.. उसे गला घोंटकर मारा गया…

विनेश फोगाट पर तीसरी बार फैसला टला,16 अगस्त को होगा ऐलान

भारत की स्टार रेसलर विनेश फोगाट की किस्मत पर फैसला एक बार फिर टल गया है. पेरिस ओलंपिक में अपने डिस्क्वालिफिकेशन के खिलाफ कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (CAS) में अपील करने वाली विनेश फोगाट का इंतजार और बढ़ गया है.

 विनेश ने खुद को सिल्वर मेडल दिए जाने की मांग करते हुए अपील की थी, जिस पर 9 अगस्त को सुनवाई भी हुई थी और उसी शाम फैसला आने की बात की गई थी लेकिन इसे फिर 10 अगस्त तक टाल दिया गया था. 10 अगस्त को भी फैसला नहीं आया और 13 अगस्त को फैसले की तारीख तय की गई थी लेकिन अब एक बार फिर CAS ने इसे 3 दिन के लिए टाल दिया है. अब ये फैसला 16 अगस्त को रात 9.30 बजे (भारतीय समयानुसार) सुनाया जाएगा.

क्या है मामला?

पिछले करीब एक हफ्ते से देश-दुनिया की मीडिया और सोशल मीडिया पर ये मुद्दा छाया हुआ है. 

इसकी शुरुआत 6 अगस्त को पेरिस ओलंपिक में हुई थी. उस दिन महिलाओं की 50 किलोग्राम कैटेगरी में विनेश फोगाट ने पहले ही राउंड में जापान की वर्ल्ड नंबर-1 युई सुसाकी को हराकर तहलका मचा दिया था. इसके बाद विनेश ने अपना क्वार्टर फाइनल मैच भी आसानी से जीता और शाम को क्यूबा की गुजमैन लोपेज को सेमीफाइनल में हराते हुए फाइनल में जगह बनाई थी. वो ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली महिला पहलवान बन गईं थी. 

इसके साथ ही उनका मेडल भी पक्का हो गया था, जो गोल्ड भी हो सकता था और कम से कम सिल्वर मेडल तो तय ही था.

फिर अगले दिन यानी 7 अगस्त को फाइनल होना था लेकिन फाइनल से पहले नियम के मुताबिक सुबह फिर से वजन नापा जाना था. यहीं पर विनेश का वजन तय 50 किलो से 100 ग्राम ज्यादा पाया गया और UWW के नियमों के मुताबिक उन्हें अयोग्य घोषित करते हुए फाइनल से बाहर कर दिया गया. UWW के नियम इतने कठोर हैं कि सिर्फ फाइनल ही नहीं, बल्कि पूरे इवेंट से ही उन्हें बाहर करते हुए उनके सारे नतीजे भी रद्द कर दिए गए और संभावित सिल्वर मेडल भी छीन लिया गया. उन्हें 12 पहलवानों में सबसे अंत में रखा गया.

विनेश की अपील और सुनवाई

इस नियम और इस नतीजे के खिलाफ ही विनेश ने 7 अगस्त की शाम को ही CAS में अपील दाखिल की. विनेश की मांग थी कि फाइनल को रोका जाए और उन्हें उनकी जगह वापस मिले, जिसे CAS ने ये कहकर ठुकरा दिया था कि वो फाइनल को नहीं रोक सकते. इसके बाद विनेश ने अपील में संशोधन करते हुए संयुक्त रूप से सिल्वर मेडल दिए जाने की मांग की. उनकी दलील है कि सिर्फ फाइनल वाले दिन उनका वजन ज्यादा था लेकिन पहले दिन तीनों मैच उन्होंने तय वजन सीमा के अंदर खेले थे. CAS ने 9 अगस्त को 3 घंटे तक इसकी सुनवाई की, जिसमें भारतीय ओलंपिक संघ भी पक्षकार बना, जबकि इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी और UWW ने भी अपने पक्ष रखे. पहले इस पर सुनवाई के बाद ही फैसला आना था लेकिन फिर 10 अगस्त को फैसला आना था लेकिन इसे 13 अगस्त के लिए टाल दिया गया था.

कल 15 अगस्त को राजधानी पटना की बदली रहेगी यातायात व्यवस्था, घर से निकलने से पहले जान ले पूरा रुट

डेस्क : कल गुरुवार 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पटना के एतिहासिक गांधी मैदान में राजकीय समारोह का आयोजन होगा। जिसमें सीएम नीतीश कुमार सहित कई वीवीआईपी शिरकत करेंगे। सुरक्षा के मद्देनजर स्वतंत्रता दिवस के दिन राजधानी पटना के यातायात व्यवस्था में बदलाव किया गया है। गांधी मैदान और आसपास की सड़कों पर आम वाहन नहीं चलेंगे। सुबह सात बजे से समारोह की समाप्ति तक कई मार्ग बंद रहेंगे।

ट्रैफिक एसपी अशोक कुमार चौधरी ने बताया कि मुख्य सड़कों पर वाहनों की पार्किंग पर भी प्रतिबंधित रहेगा। व्यावसायिक वाहनों के आवागमन पर भी रोक रहेगी। इन वाहनों को परिवर्तित मार्ग से गंतव्य के लिए भेजा जाएगा। ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही पुलिस उनके वाहन जब्त करेगी।

यातायात पुलिस के अधिकारी ने बताया कि गांधी मैदान में मुख्यमंत्री सुबह नौ बजे तिरंगा फहराएंगे। फ्रेजर रोड पर डाकबंगला चौराहा से जेपी गोलम्बर के रास्ते मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री सहित वीवीआईपी का कारकेड गांधी मैदान में आएगा। वीवीआईपी के आवागमन में कोई बाधा उत्पन्न ना हो और सुरक्षा को लेकर 15 अगस्त की सुबह सात बजे से समारोह की समाप्ति तक गांधी मैदान और आसपास की सड़कों पर आम वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा। वीवीआईपी और आपातकालीन वाहनों को छोड़कर किसी भी वाहन को न्यू डाकबंगला रोड से एसपी वर्मा रोड में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

सिटी बसें, ऑटो और व्यावसायिक वाहन वैकल्पिक मार्ग से चलेंगे। चिरैयाटाड़ दुर्गा मंदिर के ऊपर और नीचे से गोरिया टोली की तरफ और जीपीओ गोलंबर से मालवाहक का परिचालन बुद्ध मार्ग में नहीं होगा। आर ब्लॉक गोलंबर आयकर गोलंबर की और इन वाहनों के चलने पर रोक रहेगी। नेहरू पथ पर डुमरा चौकी से भट्टाचार्या चौराहा तक व पुलिस लाइन तिराहा से व्यावसायिक वाहन पूरब गांधी मैदान की ओर नहीं जएंगे। इंजीनियरिंग कॉलेज से सिटी बसें गांधी चौराहा, मछुआटोली दरियापुर तिराहा से नाला रोड-पीरमुहानी-सीडीए बिल्डिंग गोलंबर-गोरियाटोली होते हुए पटना जंक्शन जायेंगी एवं इसी मार्ग से आ सकेंगी। सिटी की ओर से आने वाले ऑटो / ई-रिक्शा मुसल्लहपुर हाट होते हुए बारी पथ में खजांची रोड तक आएंगे।

कार्य में कोताही बरतने वाले पदाधिकारियों पर सख्त हुआ राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, 400 सीओ समेत 37 जिलों के इन पदाधिकारियों को शोकॉज नोटिस

डेस्क : बिहार का राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग कार्य में कोताही बरतने वाले पदाधिकारियों के खिलाफ सख्ती शुरु कर दिया है। विभाग ने योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं करने वाले सीओ समेत संबंधित पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। जमीन से संबंधित दस्तावेज और अभिलेख की ऑनलाइन कॉपी मुहैया कराने को लेकर डिजिटल हस्ताक्षर करने में लापरवाही बतरने वाले 400 सीओ और 37 जिलों के जिला अभिलेखागार पदाधिकारी को विभाग ने शोकॉज किया गया है। इन्हें 15 दिनों में इसका कारण बताने का निर्देश दिया गया है।

हाल ही विभागीय मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया। इसके बाद सचिव जय सिंह के स्तर से इससे संबंधित आदेश जारी किया गया है। 

गौरतलब है कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने जमीन से संबंधित दस्तावेज या अभिलेखों की स्कैन कॉपी ऑनलाइन मुहैया कराने की योजना शुरू कर रखी है। दस्तावेजों की श्रेणी के आधार पर जिला अभिलेखागार पदाधिकारी और सीओ (अंचलाधिकारी) का डिजिटल हस्ताक्षर अनिवार्य है, तभी यह दस्तावेज वैध माना जाता है। मगर इसमें लापरवाही बरतने के मामले उजागर हुए हैं। 

विभागीय समीक्षा में यह बात सामने आई कि जमीन दस्तावेजों की ऑनलाइन कॉपी जारी करने से संबंधित अब तक 14 हजार 495 आवेदन आए हैं। इनमें 4 हजार 888 आवेदन डिजिटल हस्ताक्षर करके सीओ और संबंधित जिला अभिलेखागार पदाधिकारी ने जारी किए। मगर 9 हजार 408 मामले ऐसे हैं, जो 90 दिनों यानी 3 महीने से अधिक समय से लंबित पड़े हैं। इसके मद्देनजर सभी संबंधित पदाधिकारियों से कारण पूछा गया है। ऑनलाइन दस्तावेज जारी करने वाली इस योजना में सीओ समेत संबंधित पदाधिकारी के पास आवेदनों को रद्द करने का अधिकार नहीं होता है।

इस कारण इनके पास ये सभी आवेदन लंबित दिख रहे हैं। पदाधिकारियों को नियमानुसार, दो से तीन दिन में इन्हें जारी कर देना होता है।