PM मोदी किसानों को देने वाले है बड़ा तोहफा, शिवराज सिंह चौहान ने खुद बताया- कब, कैसे और किन्हें मिलेगा लाभ

 किसानों को PM मोदी बड़ा गिफ्ट देने जा रहे हैं। इसकी जानकारी खुद कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दी है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों की आय बढ़ाने और कृषि को मजबूत करने का रोडमेप तैयार करने को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा, “अगर उत्पादन बढ़ाना है और लागत घटाना है तो अच्छे बीज होना सबसे महत्वपूर्ण चीज है।आज जलवायु परिवर्तन के इस दौर में जहां धरती की सतह का तापमान लगातार बढ़ रहा है, हमें ऐसे बीजों की जरूरत है, जो जलवायु के अनुकूल हो, बढ़ते तापमान में भी उचित पैदावार दे सकें। 

कृषि मंत्री ने कहा कि मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद निरंतर इस काम में लगी है और पिछले दिनों बीजों की 109 नई किस्में तैयार की गई हैं। कृषि मंत्री ने कि हमारी सरकार का लक्ष्य विज्ञान और अनुसंधान का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचाना है। इस दौरान उन्होंने किसानों की आमदनी बढ़ाने को लेकर भी अपनी बातें रखी।

कृषि मंत्री ने कहा कि पीएम की पहली प्राथमिकता कृषि और किसान है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र को मजबूत करेंगें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार (11 अगस्त 2024) को आईसीएआर (ICAR) के खेतों में जाएंगे. कृषि मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी वहां से फसलों की 109 किस्मों को जारी करेंगे। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी किसानों से चर्चा भी करेंगे। कृषि मंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य विज्ञान और अनुसंधान का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचाना है।

उन्होंने कहा कि इस दौरान 61 फसलों की 109 किस्मों को जारी किया जाएगा, जिसमें 34 खेत की फसलें और 27 बागवानी फसलें शामिल हैं। पीएमओ की ओर से जारी बयान में कहा गया कि खेत की फसलों में बाजरी, चारा फसलें, तिलहन, दलहन, गन्ना, कपास, रेशे वाली फसलें और अन्य संभावित फसलों सहित विभिन्न अनाजों के बीज पेश किए जाएंगे।

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार (9 अगस्त 2024) को हुए कैबिनेट बैठक का जिक्र करते हुए कहा, “मेरे पास ग्रामीण विकास मंत्रालय भी है। हम गरीबों के लिए 2 करोड़ और नए घर बनाएंगे। हर घर तिरंगा अभियान को लेकर शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “मेरी आप सभी से अपील आप भी अपने अपने घर में तिरंगा फहराएं।

इंदौर के स्कूल में बच्चियों के कपड़े उतरवाने के मामले में हाईकोर्ट का बड़ा एक्शन, सरकार से मांगा जवाब

इंदौर के मल्हारगंज थाना क्षेत्र के बाद गणपति चौराहा स्थित एक विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं के माता-पिता ने मल्हारगंज थाने पर एक शिकायती आवेदन दिया था. जिसमें उनके द्वारा स्कूल की एक शिक्षिका पर आरोप लगाया है कि उनके द्वारा अनुचित तरीके से उनकी बच्चियों की चेकिंग स्कूल में की गई है. जिसमें एक बच्ची के पास से मोबाइल मिलने के बाद शिक्षिका के द्वारा यह चेकिंग की गई थी. जिसमें कई संगीन आरोप भी माता-पिता के द्वारा शिक्षिकाओं पर लगाए गए हैं.

वहीं इस मामले में इंदौर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया है कि 2 अगस्त 2024 को स्कूल की शिक्षिका द्वारा मोबाइल फोन तलाशने के नाम पर छात्राओं के कपड़े उतारकर जांच की गई, जिसकी जानकारी छात्राओं ने अपनी परिजनों को दी और उसके बाद मल्हारगंज थाने को शिकायत की.

इसमें पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया गया कि घटना के एक सप्ताह बाद भी पुलिस ने कोई अपराध पंजीबद्ध नहीं किया है. इस पूरे मामले में इंदौर हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है. परिजनों का आरोप था कि घटना के दूसरे दिन जब स्कूल में परिजनों ने हंगामा किया तो मल्हारगंज थाने की प्रधान आरक्षक प्रीति नाबालिग लड़कियों के बयान लेने पहुंची थी, लेकिन वो बयान लेने के लिए सादा ड्रेस के बजाय वर्दी पहनकर पहुंची थी, जो कि जुवेनाइल एक्ट का सीधे-सीधे उल्लंघन है. साथ ही प्रधान आरक्षक के साथ जो दो आईसी गए थे, उन्होंने पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए इस प्रोटोकॉल का ध्यान रखना था. 

हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए नोटिस जारी कर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. अदालत ने सात दिन के भीतर अब तक की कार्रवाई की जानकारी देने का निर्देश दिया है. इस घटना ने एक बार फिर शिक्षण संस्थानों में छात्राओं की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं, अदालत ने याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 17 अगस्त की तारीख तय की है.

बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हिंसा पर कार्यवाहक सरकार के सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने तोड़ी चुप्पी, जानें क्या कहा?

डेस्क: बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार के सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने संकटग्रस्त देश के अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर हिंदुओं को निशाना बनाकर किए जा रहे हमलों को 'जघन्य' बताते हुए साफ तौर से निंदा की. मुहम्मद यूनुस ने आगाह किया कि अल्पसंख्यकों पर हमले 'उनकी प्रगति को कमजोर' करने की कोशिश करने वाले हो सकते हैं.

यूनुस ने रंगपुर शहर में बेगम रोकेया विश्वविद्यालय में छात्रों से कहा, "क्या वे (अल्पसंख्यक) इस देश के लोग नहीं हैं? आप (छात्र) इस देश को बचाने में सक्षम हैं; क्या आप कुछ परिवारों को नहीं बचा सकते? आपको कहना होगा कि 'कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. वे मेरे भाई हैं; हम एक साथ लड़े, और हम एक साथ रहेंगे."

बांग्लादेश में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह है. बांग्लादेश में हिंदुओं की कुल 1.3 करोड़ है, यानी बांग्लादेश की कुल आबादी का 8 प्रतिशत.

अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के सदस्यों ने राष्ट्रव्यापी बर्बरता और मंदिरों, उनके घरों और व्यवसायों पर हमलों के बीच सुरक्षा की मांग करते हुए ढाका और चटगांव में विरोध रैलियां आयोजित कीं.बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद और बांग्लादेश पूजा उद्जाद परिषद नामक दो संगठनों ने शनिवार को दावा किया कि शेख हसीना के पतन के बाद से देश के 52 जिलों में अल्पसंख्यक लोगों पर 205 हमले हुए हैं. हालांकि हमलों की प्रकृति को लेकर सोशल मीडिया पर अलग-अलग पक्ष रखे जा रहे हैं.

भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों और वहां रहने वाले भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है. वहीं बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों पर हमले के आरोपों के बाद देश की सरकार रविवार, 11 अगस्त से देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए हॉटलाइन शुरू करना चाहती है.

बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना का अमेरिका पर बड़ा आरोप, बोलीं-मुझे सत्ता से हटाने की रची गई थी बड़ी साजिश

डेस्क: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बड़ा आरोप लगाया है और उन्होंने कहा है कि मुझे सत्ता से हटाने के लिए बड़ी साजिश रची गई थी। उन्होंने अमेरिका पर उन्हें सत्ता से बेदखल करने का आरोप लगाया है। हसीना ने कहा है कि सेंट मार्टिन द्वीप नहीं देने के कारण ही अमेरिका ने उन्हें सत्ता से हटाने की योजना बनाई थी। उनका कहना है कि इस द्वीप के मिलने से अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभाव जमाने में मदद मिल सकती थी। हसीना ने अपने देश के लोगों को आगाह किया और कहा कि आप सब कट्टरपंथियों के बहकावे में न आएं।

इकोनॉमिक्स टाइंम्स की खबर में कहा गया है कि शेख हसीना ने अपने करीबी सहयोगियों के जरिए भेजे गए संदेश में ये बातें कही है। इकनॉमिक टाइम्स को हसीना का ये संदेश हासिल हुआ है। शेख हसीना ने छात्रों के उग्र विरोध प्रदर्शन के बाद 5 अगस्त को पीएम पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया था। वे फिलहाल भारत में सुरक्षित स्थान पर रह रही हैं।

संदेश में हसीना ने कहा, 'मैंने इस्तीफा दे दिया, ताकि मुझ लाशों का जुलूस न देखना पड़े। वे छात्रों की लाशों पर सत्ता में आना चाहते थे, लेकिन मैंने ऐसा नहीं होने दिया। मैंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।' उन्होंने आगे कहा, 'मैं सत्ता में बनी रह सकती थी, अगर मैंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता को त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर अपना प्रभुत्व कायम करने दिया होता। मैं अपने देश के लोगों से विनती करती हूं, कृपया कट्टरपंथियों के बहकाएं में न आएं।'

विल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया संस्थान के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय के आरोपों को खारिज कर दिया, जिन्होंने विरोध प्रदर्शन के पीछे विदेशी हस्तक्षेप का दावा किया था, उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अशांति के लिए अंदरूनी कारक ही जिम्मेदार हैं। हसीना सरकार की प्रदर्शनकारियों पर कठोर कार्रवाई ने आंदोलन को बढ़ा दिया। उन्होंने कहा कि "मेरा दृष्टिकोण बहुत सरल है। मैं इसे एक ऐसे संकट के रूप में देखता हूं जो पूरी तरह से आंतरिक कारकों से प्रेरित था, जो छात्र किसी विशेष मुद्दे, नौकरी कोटा से नाखुश थे जो उन्हें पसंद नहीं था और वे सरकार के बारे में चिंतित थे। शेख हसीना की कुगेलमैन ने कहा, सरकार ने छात्रों पर बहुत सख्ती की और इसके बाद आंदोलन बहुत बड़ा हो गया और यह केवल आंतरिक कारकों से प्रेरित था।

बांग्लादेश में टूटा हिंदुओं के सब्र का बांध, शुरू हुआ हिंसा का विरोध, ढाका की सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब

डेस्क: बांग्लादेश में बदलते सियासी हालात के बीच हिंदुओं के खिलाफ व्यापक हिंसा देखने को मिली है। इस बीच बांग्लादेश की राजधानी ढाका और उत्तर-पूर्वी बंदरगाह शहर चटगांव में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के हजारों लोगों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया है। उन्होंने देश भर में मंदिरों, उनके घरों और व्यवसायों पर हमलों के बीच सुरक्षा की मांग की है। प्रदर्शन में शामिल लोग अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ मुकदमा चलाने में तेजी लाने के लिए विशेष न्यायाधिकरणों की स्थापना, अल्पसंख्यकों के लिए 10 प्रतिशत संसदीय सीट, अल्पसंख्यक संरक्षण कानून लागू करने जैसी अन्य मांग कर रहे हैं। 

हिंदू प्रदर्शनकारियों की रैली के चलते शनिवार को मध्य ढाका के शाहबाग में तीन घंटे से अधिक समय तक यातायात अवरुद्ध रहा। छात्रों सहित हजारों मुस्लिम प्रदर्शनकारियों ने भी यहां उनके साथ मिलकर अल्पसंख्यकों के हित के लिए एकजुटता व्यक्त की। बांग्लादेशी हिंदुओं को शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और सोमवार को भारत भाग जाने के बाद हिंसा और लूटपाट का खामियाजा भुगतना पड़ा है। कई हिंदू मंदिरों, घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की गई है। इतना ही नहीं बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी से जुड़े कम से कम दो हिंदू नेता हिंसा में मारे गए हैं। 

मीडिया रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के बढ़ते मामलों को उजागर किया गया है। ‘ढाका ट्रिब्यून’ अखबार के अनुसार अल्पसंख्यकों के अधिकारों की वकालत करने वाले एक प्रमुख संगठन, बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद ने मुख्य सलाहकार डॉ मुहम्मद यूनुस को एक खुला पत्र जारी किया है, जिसमें पांच अगस्त को शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से 52 जिलों में उत्पीड़न की 205 घटनाओं का विवरण दिया गया है। प्रदर्शनकारियों ने आठ सूत्री मांग पत्र सामने रखा है। इसमें अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वालों पर मुकदमों में तेजी लाने के लिए विशेष न्यायाधिकरणों की स्थापना, पीड़ितों को मुआवजा तथा अल्पसंख्यक संरक्षण कानून को तत्काल लागू करना

ढाका में हिंदुओं ने कहा, यह देश किसी के बाप का नहीं है, हमने खून दिया है, जरूरत पड़ी तो फिर से खून देंगे, हम बांग्लादेश नहीं छोड़ेंगे

बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश से भागने के बाद से जमात इस्लामी और मुख्य विपक्षी पार्टी बीएपी के समर्थक और प्रदर्शनकारी छात्र विरोध प्रदर्शन की नई कहानी लिख रहे हैं। प्रदर्शनकारी छात्रों की आड़ में कुछ कट्टरपंथी लोग हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं। इसके बाद शुक्रवार को सैंकड़ों बांग्लादेशी हिंदुओं ने ढाका में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि यह देश सभी का है। इसके साथ ही समुदाय की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जाने की मांग भी की है।

रैली निकाल कर प्रदर्शन कर रहे हिंदुओं ने नारे लगाते हुए कहा कि यह देश किसी के बाप का नहीं है। हमने खून दिया है। जरूरत पड़ी तो फिर से खून देंगे। हम बांग्लादेश नहीं छोड़ेंगे। इस दौरान उन्होंने बांग्लादेश के सोशल वर्कर पर भी निशाना साधा है। जिन्होंने हिंसा से अब तक चुप्पी साधे रखी है। रैली में शामिल एक युवक कनु कुमार ने कहा हिंदू समुदाय अपने घरों और दुकानों की सुरक्षा चाहता है। इस दौरान उन्होंने एक मंत्रालय और अल्पसंख्यक सुरक्षा आयोग की मांग भी की। इसके साथ ही अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों को रोकने के लिए उन्होंने सख्त कानून बनाने और उसे लागू करने, संसद में अल्पसंख्यकों के लिए 10 प्रतिशत सीटें रिजर्व करने की मांग की।

शेख हसीना के हटने के बाद हिंदुओं पर हमले बढ़े

बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध ईसाई की ओइक्या परिषद् के अनुसार शेख हसीना के सत्ता के हटने के बाद से ही देश के 64 में से 52 जिलों में अल्पसंख्यक समुदायों के उत्पीड़न की 205 घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं। संगठन ने देश के अंतरिम नेता मोहम्मद यूनुस को लिखे पत्र में कहा कि देशभर के अल्पसंख्यकों में गहरी आशंका, चिंता और अनिश्चितता है।

प्राइवेट पार्ट से खून, गले की हड्डियां टूटी, पूरे शरीर में जख्म; कोलकाता की डॉक्टर से दरिंदगी के बाद उबले लोग

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में पीजी 2nd ईयर की एक छात्रा का शव मिलने से हड़कंप मच गया है. पुलिस ने साफ कर दिया कि यह आत्महत्या का मामला नहीं है. इसके बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ है, हर कोई हैरान है. 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘उसकी दोनों आंखों और मुंह से खून बह रहा था, चेहरे और नाखून पर चोट के निशान थे. पीड़िता के प्राइवेट पार्ट से भी खून बह रहा था. उसके पेट, बाएं पैर, गर्दन, दाएं हाथ और होंठों पर भी चोट के निशान थे.

कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अपराध तड़के तीन से छह बजे के बीच हुआ. उन्होंने कहा, ‘‘उसकी गर्दन की हड्डी भी टूटी हुई पाई गई.’’ उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पहले उसका गला घोंटा गया. उन्होंने कहा, ‘‘हम पोस्टमार्टम की पूरी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, जिससे हमें अपराधियों की पहचान करने में मदद मिलेगी.’’ 

कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में शुक्रवार को पीजीटी की ट्रेनी महिला डॉक्टर का अर्ध निर्वस्त्र शव पाया गया. ट्रेनी महिला डॉक्टर छाती रोग चिकित्सा विभाग की द्वितीय वर्ष की छात्रा थी और गुरुवार की रात ड्यूटी पर तैनात थी. ट्रेनी महिला डॉक्टर के शव पर चोट के निशान मिले हैं. उसकी प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न के बाद हत्या किए जाने का संकेत मिला है. 

इधर, ट्रेनी महिला डॉक्टर के पिता ने आरोप लगाया था कि आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के अंदर उसके साथ बलात्कार किया गया और इसके बाद उसकी हत्या कर दी गई तथा अब सच्चाई को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है.

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘ट्रेनी महिला डॉक्टर का शव उसके साथियों ने इमरजेंसी भवन के सेमिनार हॉल से बरामद किया. हम चिकित्सकों, नर्सों और अन्य लोगों से बात कर रहे हैं जो कल रात उसके साथ ड्यूटी पर थे. मामले की जांच की जा रही है.

ममता बनर्जी ने परिजनों से की बात

सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महिला के माता-पिता को फोन किया और उन्हें दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया. पीड़िता के पिता ने कहा, ‘‘...मेरी बेटी की हत्या करने से पहले उसके साथ बलात्कार किया गया है. उसके शरीर पर चोट का निशान इसका साक्ष्य है. वह अर्द्ध निर्वस्त्र अवस्था में मिली है. सच को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है. मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि वे (अस्पताल अधिकारी) जांच में विलंब क्यों कर रहे हैं .

मीडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल की एक चिकित्सक ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर कहा, ‘‘उन्होंने रात करीब दो बजे अपने जूनियर्स के साथ भोजन किया. इसके बाद वह सेमिनार रूम में चली गईं, चूंकि वहां कोई अलग से आराम करने के लिये कमरा नहीं है.’’ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘शव के गाल, नाक, होठ, भौंहों के बीच और गर्दन पर खरोंच के निशान हैं. इन निशानों से पता चलता है कि वहां संघर्ष हुआ था.’’ उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पुलिस को यह समझने में मदद मिलेगी कि क्या उसके साथ यौन उत्पीड़न हुआ था और उसकी हत्या कैसे की गई. उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार की देर रात उसके साथ ड्यूटी पर मौजूद पांच लोगों से पूछताछ की जा रही है.

स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम और कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल ने अस्पताल का दौरा किया और चिकित्सा प्रतिष्ठान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. अस्पताल के अधिकारियों ने चिकित्सक की मौत की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है.

डॉक्टरों ने की हड़ताल

आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पीजीटी चिकित्सकों ने दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हुए आपातकालीन वार्ड को छोड़कर सभी विभागों में काम करना बंद कर दिया है. कई छात्र संगठनों ने महिला चिकित्सक की मौत की त्वरित जांच की मांग को लेकर रैली निकाली. विधायक अग्निमित्र पॉल सहित कई विपक्षी भाजपा नेताओं ने भी अस्पताल का दौरा किया और मजिस्ट्रेट से स्वतंत्र जांच कराने की मांग की.

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेता डॉ. शांतनु सेन ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘ हम पूरी घटना की निष्पक्ष, पारदर्शी और विस्तृत जांच चाहते हैं.’’ ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ के अध्यक्ष रह चुके सेन ने कहा कि ममता बनर्जी प्रशासन हमेशा महिलाओं की सुरक्षा के पक्ष में रहा है. राज्यसभा के सदस्य रह चुके सेन ने कहा कि जांच शुरू हो चुकी है. ‘एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स’ के वरिष्ठ सदस्य डॉ. मानस गुमटा ने आरोप लगाया कि मामले को ‘दबाने’ की कोशिश की जा रही है. गुमटा ने कहा, ‘‘यह अप्रत्याशित है, और बंगाल में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.’

ममता बनर्जी की सरकार अपराध को छिपाने की कर रही कोशिश: अमित मालवीय

बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने बड़ा आरोप लगाया है, उनकहा कहना है कि डॉक्टर के साथ दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या कर दी गई.उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा ''कोलकाता के एक प्रमुख सरकारी अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या कर दी गई. उनका नग्न शव ड्यूटी रूम में मिला. ममता बनर्जी की सरकार अपराध को छिपाने की कोशिश कर रही है. मीडिया को अंदर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है. उन्होंने संदेशखाली और चोपड़ा की घटना को सामने लाते हुए कहा, संदेशखाली से लेकर चोपड़ा तक पश्चिम बंगाल में कोई भी महिला सुरक्षित नहीं है.

उज्जैन महाकाल मंदिर की सुरक्षा में बड़ी चूक, गाड़ियों का काफिला लेकर घुसा भाजपा विधायक का बेटा, सभी गाड़ियां जब्त, मचा हड़कंप

 मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल लोक (परिसर) की सुरक्षा में बड़ी चूक का मामला सामने आया है. बीजेपी विधायक का बेटा अपनी गाड़ियों का काफिला लेकर मंदिर परिसर में घुस गया जिसके बाद डीएम और एसपी ने आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया. इसके बाद विधायक के बेटे की गाड़ियों को फौरन जब्त कर लिया गया है. दरअसल शुक्रवार को नागपंचमी के मौके पर महाकाल मंदिर में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी थी. 

इसी बीच महाकाल लोक की सुरक्षा व्यवस्था की बगैर परवाह किए देवास से बीजेपी विधायक गायत्री राजे पंवार के बेटे विक्रम सिंह पंवार अपनी गाड़ियों के काफिले के साथ महाकाल लोक के परिसर में प्रवेश कर गए. इस घटना के बाद वहां मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों का पारा चढ़ गया. उन्होंने न सिर्फ गाड़ी के ड्राइवर को डांटा बल्कि तुरंत गाड़ियों को वहां से निकालने को कहा. इसके बाद डीएम और एसपी ने काफिले की गाड़ियों को जब्त करने का आदेश दे दिया. इसके बाद पुलिस ने विधायक के बेटे के काफिले में शामिल चार गाड़ियों को जब्त कर लिया.

यह घटना शुक्रवार दोपहर 3:30 बजे हुई. महाकाल लोक के इस परिसर में वीआईपी गाड़ियों का प्रवेश भी प्रतिबंधित है. इस जगह से वीआईपी व्यक्तियों को पैदल या ई-कार्ट के माध्यम से मंदिर तक पहुंचाया जाता है. इसके बावजूद, विधायक पुत्र का काफिला सीधे कंट्रोल रूम से होते हुए महाकाल लोक और फिर मानसरोवर तक पहुंच गया. इस दौरान वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों में अफरातफरी मच गई, और उन्होंने गाड़ियों को रोकने का प्रयास किया.

घटना के समय उज्जैन के कलेक्टर नीरज सिंह और एसपी प्रदीप शर्मा कंट्रोल रूम में व्यवस्थाओं का निरीक्षण कर रहे थे. जब उन्होंने गाड़ियों का काफिला महाकाल लोक में देखा, तो उन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए गाड़ियों को रोकने के लिए दौड़ लगाई. गाड़ी के ड्राइवर से तीखी बहस के बाद, उन्होंने गाड़ियों को जब्त करने का आदेश दे दिया. हालांकि, इस दौरान विक्रम सिंह पंवार पहले ही महाकाल मंदिर में दर्शन करने पहुंच चुके थे. उज्जैन के कलेक्टर नीरज सिंह ने घटना पर नाराजगी जताते हुए कहा, 'गाड़ियों के काफिले ने अनाधिकृत तरीके से प्रवेश किया है. सभी को जब्त कर थाने भेज दिया गया है.

बांग्लादेश में अब छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट को घेरा, चीफ जस्टिस ने किया इस्तीफे का ऐलान, 52 जिलों में हिंदुओं पर हो रहे लगातार हमले

बांग्लादेश में शनिवार को एक बार फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। प्रदर्शनकारियों ने अब ढाका में सुप्रीम कोर्ट को घेर लिया और चीफ जस्टिस सहित सभी जजों को एक घंटे के भीतर इस्तीफा देने को कहा। बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ओबैदुल हसन ने इस्तीफा देने की घोषणा की है। उनके इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी छात्रों ने शनिवार सुबह सुप्रीम कोर्ट को घेर लिया। प्रदर्शनकारी बड़ी तादाद में वहां इकट्ठा हुए थे।

छात्रों ने कहा, "अगर जजों ने इस्तीफे नहीं दिए तो हसीना की तरह उन्हें भी कुर्सी से खींचकर उतार देंगे।" प्रदर्शनकारी छात्रों ने आरोप लगाए थे कि सुप्रीम कोर्ट के जज हसीना से मिले हुए हैं। इन जजों ने अंंतरिम सरकार से पूछे बिना ही शनिवार को पूरी कोर्ट की एक बैठक बुलाई। इस मीटिंग के चलते प्रदर्शनकारियों ने एक घंटे के भीतर जजों से इस्तीफा देने की मांग की।

वहीं, बांग्लादेश में हसीना के इस्तीफे के बाद से हिंसा, लूटपाट और आगजनी की घटनाएं बढ़ गई हैं। इनके खिलाफ शुक्रवार को हिंदू जागरण मंच ने ढाका में प्रदर्शन किया। बांग्ला अखबार ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक शाहबाग चौक पर हजारों लोग जमा हुए और हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने हरे कृष्णा-हरे रामा के नारे भी लगाए।

ढाका में प्रदर्शनकारी ने कहा कि दिनाजपुर में चार हिंदू गांवों को जला दिया गया है। लोग बेसहारा हो गए हैं, छुप-छुपकर रहने को मजबूर हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से ही हिंदू समुदाय पर हमले बढ़ गए हैं। प्रदर्शन के दौरान हिंदू समुदाय ने अल्पसंख्यक मंत्रालय की स्थापना, अल्पसंख्यक संरक्षण आयोग का गठन, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने और संसद में अल्पसंख्यकों के लिए 10 फीसदी सीटें रखने की मांग की।

प्रदर्शनकारियों ने हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए मुआवजा भी मांगा। इसके अलावा तोड़े गए मंदिरों को फिर से बनाने की भी मांग की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे इस देश में पैदा हुए हैं। यह उनके पूर्वजों की जमीन है। यह देश उनका भी उतना ही है। वे भले ही यहां मार दिए जाएं, फिर भी अपना जन्मस्थान बांग्लादेश नहीं छोड़ेंगे। अपना अधिकार पाने के लिए सड़कों पर रहेंगे।

बांग्लादेश में हिंसा के बाद से ही हजारों बांग्लादेशी हिंदू भारत आने के लिए सीमा पर पहुंचे हुए हैं। उन्हें समझा-बुझाकर वापस भेजा जा रहा है। हिंदू नागरिकों के खिलाफ हिंसा को लेकर शेख हसीना की अवामी लीग ने भी चिंता जताई है। पार्टी ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि बांग्लादेश में 5 अगस्त से ही हिंदू अपने साथियों, संपत्तियों और मंदिरों पर हमलों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ जारी हिंसा के बीच संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता ने कहा कि वह नस्लीय आधार पर किसी भी हमले या हिंसा के खिलाफ हैं। उन्होंने हिंसा को खत्म करने की अपील की।

बांग्लादेश की आबादी 17 करोड़ है, जिसमें हिंदू करीब 7.95% (1.35 करोड़) हैं। बांग्लादेश में हिंदू दूसरा सबसे बड़ा धर्म है। देश के 64 में से 61 जिले में हिंदुओं की बड़ी आबादी रहती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश में हिंदू, हसीना की पार्टी अवामी लीग के समर्थक माने जाते हैं। यही वजह है कि अब वे निशाने पर हैं। बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध, ईसाई एकता परिषद के मुताबिक, देश के 64 में से 52 जिले में हिंदुओं और उनकी संपत्तियों को निशाना बनाया गया। परिषद ने कहा है कि अल्पसंख्यकों की आबादी डर-डरकर जीने को मजबूर है। उन्होंने सरकार प्रमुख मोहम्मद यूनुस से सुरक्षा और संरक्षण की मांग की है।

*क्या है मोदी सरकार 3.0 के 100 दिन का एजेंडा?

#modi_govt_100_days_action_plan

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के पहले सौ दिन खास होते हैं। 2014 के चुनाव जीतकर सत्ता में आई मोदी सरकार ने पहले सौ दिन में ही काला धन को लेकर एसआईटी बनाने जैसे बड़े फैसले लिए। वहीं अपने दूसरे कार्यकाल के पहले सौ दिन में सरकार ने तीन तलाक, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने जैसे बड़े फैसले लिए।पीएम मोदी की अगुवाई में अब तीसरी बार सरकार बनी है। सरकार गठन को दो महीने यानी 60 दिन से ज्यादा हो चुके हैं। ऐसे में मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के शुरुआती सौ दिन के एजेंडे को लेकर चर्चा हो रही है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 अगस्त के मौके पर सरकार के 100 दिन के एजेंड़ों के तहत कई बड़े ऐलान कर सकते हैं।

दरअसल, केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों के शीर्ष नौकरशाहों को निर्देश दिया गया है कि वे एक-एक ऐसी प्रभावशाली परियोजनाओं की पहचान करें, जिन्हें नरेन्द्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन में लागू किया जाएगा। कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने सभी सचिवों को भेजे पत्र में यह भी कहा कि मंत्रालयों और विभागों को अपनी नीतियों और योजनाओं को तैयार करने और लागू करने में संपूर्ण सरकार के नजरिये को अपनाना होगा।

पत्र में कहा गया है कि मंत्रालय, विभाग जरूरी मंजूरी पाने के बाद उनके द्वारा तैयार 100 दिन के एजेंडा में कार्य बिंदुओं को लागू करने के लिए कदम उठाएंगे। सचिवों से कहा गया है कि प्रत्येक मंत्रालय और विभाग 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान घोषित पंच प्रण के तहत लागू करने के लिए योजनाएं तैयार करेंगे।

इसी साल मार्च में जब लोकसभा चुनावों की तैयारियां चल रही थीं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के सभी मंत्रियों को मंत्रालयों के लिए नई सरकार बनने के बाद पहले 100 दिनों का एजेंडा तैयार करने को कहा था। 21 फरवरी, 2024 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई तो उन्होंने सभी कैबिनेट मंत्रियों को यह निर्देश दिया था। 4 जून को चुनावी नतीजे आने के बाद 9 जून को एक बार फिर से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार बनी। इसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री ने 100 दिन के एजेंडे पर बैठक की।

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों का एजेंडा तैयार करने के लिए भारत सरकार के सचिवों के समूह बनाए गए थे। अलग—अलग सेक्टर के लिए कुल 10 समूह बनाए गए थे। इन सभी समूहों ने अपने प्रेजेंटेशन कैबिनेट सचिव और प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के सामने दिए थे। 

कुछ प्रमुख लक्ष्यों में नए आपराधिक कानूनों को लागू करना और जम्मू कश्मीर में चुनाव कराना खास हैं। गृह मंत्रालय जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। अमित शाह ने कहा था कि केंद्र सरकार 30 सितंबर की सुप्रीम कोर्ट की समयसीमा से पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी करना चाहती है। इसके अलावा ई—कॉमर्स, डाटा प्रोटेक्शन और विदेश व्यापार से संबंधित नीतियों में सुधार करने को भी इस एजेंडे में शामिल किया गया है।इस 100 दिवसीय एजेंडे में एक प्रमुख चर्चा विवादास्पद अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना के बारे में हो सकती है, जिसकी गैर-भाजपा एनडीए सहयोगी समीक्षा चाहते हैं।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में 3,000 किलोमीटर राजमार्ग परियोजनाओं को पूरा करने की योजना बना रहा है। इसके अलावा, यह 700 किलोमीटर लंबे हाई-स्पीड कॉरिडोर को भी चालू कर सकता है। कुछ सूत्रों ने बताया कि दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार की योजना को भी लागू किया जा सकता है।