नाग पंचमी पर बन रहा दुर्लभ संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
खजनी गोरखपुर। इस साल नाग पंचमी पर काफी शुभ योग बन रहा है। ऐसे में नागों की पूजा करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं पंडित प्रेमचंद त्रिपाठी के अनुसार नाग पंचमी के दुर्लभ संयोग।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा करने के साथ-साथ उन्हें दूध पिलाने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन नागों की पूजा करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल नाग पंचमी पर बेहद शुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में शनि भी शश नामक राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। इसे पंचमहापुरुषों में से एक माना जाता है। इस राजयोग के बनने से मेष, वृष, सिंह, कुंभ, मकर राशि के जातकों को हर क्षेत्र में सफलता हासिल हो सकती है।
नाग पंचमी पर रोटी बनाने की मनाही होती है। दरअसल रोटी लोहे के तवा में बनाई जाती है। इस दिन लोहे के इस्तेमाल की मनाही होती है। वहीं दूसरी ओर तवे को सर्प के फन से जोड़कर देखा जाता है। इसलिए इस दिन तवा को आग में रखने से नाग देवता नाराज होते हैं। इसके अलावा तवा को राहु का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इस दिन इसका इस्तेमाल करने से राहु का दोष लगता है। नाग पंचमी के दिन भगवान शिव और नाग देवता की विधिवत पूजा करें। इसके साथ ही नागदेवता को हल्दी अवश्य चढ़ाएं। ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
पंचांग के अनुसार, नाग पंचमी के दिन साध्य और सिद्ध योग बन रहा है। ये काफी शुभ माना जाता है। इस योग के बनने से शुभ कामों को करने से उत्तम फल प्राप्त होता है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि, धन-वैभव की प्राप्ति होती है। इस योग में विद्या सीखने से उत्तम फल मिलता है। हर क्षेत्र में सफलता के साथ खुशियों की प्राप्ति होती है।
नाग पंचमी के दिन नागों का पूजा करने के साथ-साथ घर के मुख्य द्वार पर नाग-नागिन की आकृति बनानी चाहिए। इससे जीवन में आर्थिक संपन्नता के साथ खुशियां आती है। स्कंद पुराण में नाग लोक और नाग देवता के पूजन का विशेष वर्णन मिलता है।
शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागों की पूजा का विधान है। हिंदी पंचांग के अनुसार, नाग पंचमी तिथि की शुरूआत 08 अगस्त की मध्यरात्रि के बाद यानी 09 अगस्त को सुबह 12 बजकर 37 मिनट शुरू हो जाएगी इसका समापन 10 अगस्त को सुबह 3 बजकर 14 मिनट पर होगा।
लोक परम्पराओं के अनुसार नाग पंचमी को पचई भी कहा जाता है। इस अवसर पर गांवों में कुस्ती, दंगल, कबड्डी आदि खेलों का विशेष आयोजन किया जाता है। बागों में पेड़ों पर झूले डाल कर महिलाएं कजरी गीत गाते हुए झूले का आनंद लेती है। साथ ही घरों में पकवान बनाए जाते हैं, बच्चे गुड़िया पीटते हैं, नाग देवता को दूध लावा का प्रसाद चढ़ाने का विधान है।
Aug 08 2024, 19:48