बांग्लादेश में तख्तापलट सीआईए की साजिश? जानें क्यों सवालों के घेरे में यूएस
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पूरी दुनिया में अमेरिका एकमात्र ऐसा देश है, जो हर किसी के भी “फटे में टांग अड़ाता” है। इस वक्त बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। जानकार इस बवाल की वजह खोज रहे हैं। एक तरफ तो बांग्लादेश में भारी हिंसा की वजह पाकिस्तान से जोड़ा जा रहा है। वहीं, बांग्‍लादेश के इस पूरे घटनाक्रम के बाद अब अमेरिका भी सवालों के घेरे में है। कई विश्‍लेषकों का कहना है कि अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए ने इस तख्‍तापलट में भूमिका निभाई है और वही अब नोबेल विजेता मोहम्‍मद यूनुस को बांग्‍लादेश का पीएम बनाना चाहती है।

दरअसल, बांग्लादेश के तख्तापलट में अमेरिका की भूमिका को लेकर इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि अमेरिकी उप विदेश मंत्री आफरीन अख्‍तर ने साल 2023 में ही शेख हसीना को खुली धमकी दी थी। नॉर्थ ईस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी मंत्री ने यह धमकी सीधे शेख हसीना को दी थी। आफरीन ने कहा था कि 3 नवंबर को होने वाले चुनाव के बाद शेख हसीना संवैधानिक तरीके से पद से हट जाएं नहीं तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।

*अमेरिका ने शेख हसीना को द‍िए थे दो विकल्‍प*
नॉर्थ ईस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक उस समय अमेरिकी उप विदेश मंत्री ने शेख हसीना को दो विकल्प दिए थे। पहला विकल्प ये था कि शेख हसीना पद से इस्तीफा दे दें और सत्ता राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को सौंप दें। अमेरिका ने शेख हसीना को दूसरे विकल्प में कहा था कि हसीना संसद के स्‍पीकर शिरिन शर्मिन चौधरी को चुनाव से पहले सत्ता सौंप दें, जिससे बांग्लादेश में निष्पक्ष चुनाव का रास्ता साफ हो सके।

*हसीना ने यूएस की धमकी को किया अनसुना*
हालांकि, शेख हसीना ने अमेरिका की धमकी को दरकिनार कर दिया था और चुनाव में उन्‍हें बड़ी जीत मिली थी। इस चुनाव का विपक्षी दलों ने बहिष्‍कार किया था।

*हसीना ने किया 'व्‍हाइट मैन' के ऑफर का खुलासा*
यही नहीं शेख हसीना ने 'व्‍हाइट मैन' के ऑफर और साजिश का खुलकर जिक्र किया था। इसी साल 2024 के मई महीने में बांग्लादेश के तत्कालीन पीएम शेख हसीना ने कहा था, "अगर मैंने एक खास देश को बांग्लादेश में एयरबेस बनाने की अनुमति दी होती, तो मुझे कोई समस्या नहीं होती।" उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव एक "व्हाइट मैन" की ओर से आया था, लेकिन उन्होंने किसी देश का नाम नहीं बताया। उन्होंने आगे कहा था कि ऐसा लग सकता है कि यह केवल एक देश के लिए है, लेकिन ऐसा नहीं है। मुझे पता है कि वे और कहां जाने का इरादा रखते हैं।

*क्या चाहता है अमेरिका?*
अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर अमेरिका बांग्‍लादेश को क्‍यों तोड़ना चाहता है। इसका जवाब ये है कि अमेरिका की मंशा एक दम साफ है। एशिया में दादागिरी जमाने के लिए अमेरिका को एक जगह चाहिए। जिससे वह चीन, हिंद महासागर और भारत समेत कई देशों में दखल दे सके।
बता दें कि दुनिया के लगभग 80 देशों में अमेरिका के 175 से अधिक बेस बने हुए हैं। यहां अमेरिकी फोर्स मौजूद हैं। दुनियाभर में अमेरिका के दो लाख सैनिक की मौजूदगी है। अमेरिका दुनिया पर कंट्रोल करने के लिए एक विशेष क्षेत्र में अपना बेस बनाकर छोड़ देता है। लेकिन म्यामांर, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश हो या भारत अमेरिकी बेस की मौजूदगी नहीं है।
ईरान ने रची पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की साजिश? यूएस में पाकिस्तानी पत्रकार गिरफ्तार
#pakistani_arrested_in_us_accused_had_come_to_targeting_trump

क्या पाकिस्तान और ईरान डोनाल्ड ट्रंप की हत्या करना चाहते हैं? यह सवाल उठा है अमेरिका के खुलासे से। दरअसल, अमेरिका के न्याय विभाग ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, कई दूसरे अमेरिकी राजनेताओं और अधिकारियों की हत्या की साजिश रचने के ईरानी प्लाट का खुलासा किया है। अमेरिका में जस्टिस डिपार्टमेंट ने ईरान से जुड़े एक पाकिस्तानी शख्स को अमेरिकी नेताओं की हत्या की साजिश रचने का आरोप में हिरासत में लिया है। जिसके बाद ट्रंप की हत्या की साजिश रचने के में पाकिस्तान और ईरान का कनेक्शन सामने आया है।

अमेरिकी न्याय विभाग ने पाकिस्तानी व्यक्ति आसिफ रजा मर्चेंट पर आरोप लगाया है कि वह राजनीतिक हत्याओं को अंजाम देने की कोशिश कर रहा था। उसके ईरानी सरकार से संबंध हैं। उस पाकिस्तानी नागरिक पर ब्रुकलिन की संघीय अदालत में दायर एक शिकायत में आरोप लगाया गया कि उसने अमेरिकी धरती पर किसी राजनेता या अमेरिकी सरकारी अधिकारियों की हत्या की साजिश रची। आसिफ पर पैसे लेकर हत्या करने की साजिश का आरोप है।

सीएनएन ने अदालती दस्तावेज के हवाले से बताया है कि 46 साल के आसिफ मर्चेंट ने 2020 में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए अमेरिकी नेताओं की हत्या की साजिश रची। मर्चेंट के बारे में दावा किया गया है कि वो अमेरिका जाने से पहले वह कई दिनों तक ईरान में रहा। वह इसी साल अप्रैल में अपने प्लान को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से अमेरिका पहुंचा। यहां पहुंचने के बाद उसने न्यूयॉर्क में एक हत्यारे को हायर करने की कोशिश की।

एक अज्ञात शख्स ने पुलिस को मर्चेंट के बारे में सूचना दी, जिसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने 16 जुलाई को उसे गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। गिरफ्तारी के कुछ ही समय पहले उसकी मुलाकात उन कथित हत्यारों से हुई थी, जो दरअसल अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अंडरकवर एजेंट थे।

एफबीआई ने कथित हत्या की साजिश का खुलासा ऐसे समय में किया है, जब कुछ सप्ताह पहले ही पेन्सिलवेनिया में एक 20 वर्षीय युवक ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पर एक रैली में गोली चलाई थी। इस हमले में ट्रंप की जान जाते-जाते बची थी। गोली पूर्व राष्ट्रपति के कान को छूते हुए निकली थी। 13 जुलाई को पेन्सिल्वेनिया के बटलर शहर में एक रैली को संबोधित करते वक्त ट्रम्प पर हमला हुआ था।
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क्या पाकिस्तान और ईरान डोनाल्ड ट्रंप की हत्या करना चाहते हैं? यह सवाल उठा है अमेरिका के खुलासे से। दरअसल, अमेरिका के न्याय विभाग ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, कई दूसरे अमेरिकी राजनेताओं और अधिकारियों की हत्या की साजिश रचने के ईरानी प्लाट का खुलासा किया है। अमेरिका में जस्टिस डिपार्टमेंट ने ईरान से जुड़े एक पाकिस्तानी शख्स को अमेरिकी नेताओं की हत्या की साजिश रचने का आरोप में हिरासत में लिया है। जिसके बाद ट्रंप की हत्या की साजिश रचने के में पाकिस्तान और ईरान का कनेक्शन सामने आया है।

अमेरिकी न्याय विभाग ने पाकिस्तानी व्यक्ति आसिफ रजा मर्चेंट पर आरोप लगाया है कि वह राजनीतिक हत्याओं को अंजाम देने की कोशिश कर रहा था। उसके ईरानी सरकार से संबंध हैं। उस पाकिस्तानी नागरिक पर ब्रुकलिन की संघीय अदालत में दायर एक शिकायत में आरोप लगाया गया कि उसने अमेरिकी धरती पर किसी राजनेता या अमेरिकी सरकारी अधिकारियों की हत्या की साजिश रची। आसिफ पर पैसे लेकर हत्या करने की साजिश का आरोप है।

सीएनएन ने अदालती दस्तावेज के हवाले से बताया है कि 46 साल के आसिफ मर्चेंट ने 2020 में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए अमेरिकी नेताओं की हत्या की साजिश रची। मर्चेंट के बारे में दावा किया गया है कि वो अमेरिका जाने से पहले वह कई दिनों तक ईरान में रहा। वह इसी साल अप्रैल में अपने प्लान को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से अमेरिका पहुंचा। यहां पहुंचने के बाद उसने न्यूयॉर्क में एक हत्यारे को हायर करने की कोशिश की।

एक अज्ञात शख्स ने पुलिस को मर्चेंट के बारे में सूचना दी, जिसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने 16 जुलाई को उसे गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। गिरफ्तारी के कुछ ही समय पहले उसकी मुलाकात उन कथित हत्यारों से हुई थी, जो दरअसल अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अंडरकवर एजेंट थे।

एफबीआई ने कथित हत्या की साजिश का खुलासा ऐसे समय में किया है, जब कुछ सप्ताह पहले ही पेन्सिलवेनिया में एक 20 वर्षीय युवक ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पर एक रैली में गोली चलाई थी। इस हमले में ट्रंप की जान जाते-जाते बची थी। गोली पूर्व राष्ट्रपति के कान को छूते हुए निकली थी। 13 जुलाई को पेन्सिल्वेनिया के बटलर शहर में एक रैली को संबोधित करते वक्त ट्रम्प पर हमला हुआ था।
पीएम मोदी ने आईओए को विनेश फोगाट की ओलंपिक अयोग्यता पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया: लोकसभा में खेल मंत्री

केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने बुधवार को कहा कि भारतीय ओलंपिक संघ ने पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक मुकाबले से पहले अधिक वजन पाए जाने के बाद विनेश फोगाट को अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के साथ कड़ा विरोध दर्ज कराया है। लोकसभा में एक विस्तृत बयान देते हुए फोगाट की चौंकाने वाली अयोग्यता के बारे में मनसुख मंडाविया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आईओए अध्यक्ष पीटी उषा को उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

आज उसका वजन 50 किलो 100 ग्राम पाया गया और उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया। भारतीय ओलंपिक संघ ने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है। आईओए अध्यक्ष पीटी उषा पेरिस में हैं, प्रधानमंत्री ने उनसे बात की और आवश्यक कार्रवाई करने को कहा।' उन्होंने फोगट को प्रदान की गई वित्तीय सहायता का उल्लेख करते हुए कहा, “सरकार ने उन्हें निजी कर्मचारियों सहित हर सुविधा प्रदान की।”

पेरिस ओलंपिक में विनेश फोगाट की अयोग्यता ने घरेलू स्तर पर भारी आक्रोश पैदा कर दिया है, विपक्षी नेताओं ने इस घटना की गहन जांच की मांग की है।
फोगट - जो यौन उत्पीड़न के आरोपों पर पूर्व कुश्ती महासंघ प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर लंबे विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे थीं,ने मंगलवार को अपने वर्ग में स्वर्ण पदक मुकाबले तक पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनकर इतिहास रच दिया। आज सुबह से पहले, उसे कम से कम रजत पदक का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब अयोग्यता के कारण वह खाली हाथ वापस लौटेगी।

कांग्रेस सांसद शैलजा ने टीम मैनेजमेंट पर सवाल उठाते हुए कहा, ''मैनेजर हैं, ये उनका काम है। हमारे सभी एथलीट और खिलाड़ी वहां जाते हैं और उनकी हर छोटी-छोटी चीज़ पर नज़र रखी जाती है।” "उनके खान-पान पर नज़र रखी जाती है, वे क्या पी रहे हैं, क्या खा रहे हैं, किस तरह का खाना खा रहे हैं। तो इस खिलाड़ी का वज़न किस वजह से बढ़ा? किसने ध्यान नहीं दिया? इसका जवाब देना होगा।" उन्होंने  कहा।

"हम सुबह से उम्मीद कर रहे थे कि यह खिलाड़ी ओलंपिक स्वर्ण पदक लाएगी, जिसने सड़कों पर संघर्ष किया है और आज उसके साथ ऐसा हो गया। ऐसा क्यों हुआ? यह कैसे हुआ?" कांग्रेस नेता ने पूछा। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने उस फैसले की समीक्षा की मांग की जिसके कारण फोगाट को अयोग्य ठहराया गया।
"जब पूरा देश विनेश के फाइनल मुकाबले में उनके स्वर्ण पदक जीतने की उम्मीद में बैठा था, तो पूरा देश स्तब्ध था। हर किसी के दिल में दर्द है, लेकिन विनेश पूरे देश के लिए चैंपियन थीं, हैं और रहेंगी।" उन्होंने कहा, "उसने अंत तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत की।"

सांसद ने कहा, "जब अन्य सभी खिलाड़ी अभ्यास कर रहे थे, वह न्याय के लिए धरने पर बैठी थी और फिर यहां तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की। देश और दुनिया की नजर में वह एक सच्ची चैंपियन है।"
इजरायल पर कभी भी हमला कर सकता है ईरान, अमेरिका के दुश्मन की रूस कर रहा मदद, तेहरान में हथियार पहुंचाने का दावा
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इजरायल और ईरान के बीच युद्ध की आशंका प्रबल है। हमास के प्रमुख इस्माइल हानिया की मौत के बाद ईरान ने इजरायल को युद्ध की धमकी दी थी। हानिया की हत्या ईरान की राजधानी तेहरान में उस वक्त की गई जब वो राजकीय मेहमान के तौर पर वहां मौजूद थे। हानिया की मौत के लिए ईरान ने इजराइल को जिम्मेदार ठहराया है। और इजराइल से बदला लेने की धमकी दी है। अंदेशा जताया जा रहा है कि ईरान किसी भी वक्त इजराइल पर हमला कर सकता है। इस बीच खबर आ रहा है कि अमेरिका के दुश्मन ईरान की रूस मदद कर रहा है। रूस ने तेहरान को अपनी एडवांस वायु रक्षा प्रणाली और रडार भेजना शुरू कर दिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है।

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि ईरान ने इजरायल के खिलाफ हमले की धमकी दी, ऐसे समय रूस ने ये डिलिवरी शुरू की है। हालांकि, एयर डिफेंस सिस्टम का नाम सामने नहीं आया है। कयास हैं कि रूस तेहरान को एस-400 की सप्लाई कर रहा है। वहीं, बीच में ईरानी मीडिया के हवाले से खबर आई थी कि तेहरान ने एयर डिफेंस सिस्टम के लिए अनुरोध किया था। अब रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु के तेहरान दौरे के बाद 2 ईरानी अधिकारियों ने न्यूयॉर्क टाइम्स से पुष्टि की है।

सोमवार को रूस के सुरक्षा परिषद के सचिव और पूर्व रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान समेत ईरान के सुरक्षा अधिकारियों के मुलाकात की थी। इस दौरान पेजेश्कियन ने हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या के साथ ही गाजा में इजरायल के हमले पर चर्चा की। ईरान की सरकारी मीडिया ने पेजेश्कियन के हवाले से कहा गया कि ईरान किसी भी तरह से क्षेत्र में युद्ध का विस्तार नहीं करना चाहता है, लेकिन इजरायल को अपने अपराधों और अहंकार के लिए निश्चित रूप से जवाब मिलेगा। मॉस्को ने भी हमास के राजनीतिक नेता हानिया की हत्या की निंदा की है।

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामनेई ने इस्माइल हानिया की हत्या के बाद इजरायल को सजा देने की कसम खाई है। हानिया की मौत के बाद ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनेई ने इजराइल पर सीधा हमला करने का आदेश दिया था। ईरानी सेना कई दिनों से इस हमले की तैयारी में जुटी हुई है, माना जा रहा है कि यह हमला अप्रैल में इजराइल पर किए गए ईरान के हमले से कहीं ज्यादा बड़ा होगा।

बता दें कि फ़रवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से ही रूस और ईरान के बीच सैन्य सहयोग मज़बूत होता जा रहा है। रूस और ईरान के बीच कितने हथियारों का सौदा होता है, इसको लेकर कोई आधिकारिक विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, यूएन कॉमट्रेड डेटाबेस और रूस के कस्टम सर्विस से मिले आंकड़े एक धुंधली तस्वीर ज़रूर देते हैं। कॉमट्रेड के आंकड़ों के अनुसार परमाणु समझौता होने के एक साल बाद यानी 2016 रूस और ईरान के बीच हथियारों के कारोबार के लिहाज़ से रिकॉर्ड बनाने वाला वर्ष था। 2022 या 2023 में रूस और ईरान के हथियार व्यापार पर कोई व्यापक अनुमान अभी तक नहीं देखने को मिला है।

स्काई न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार 2022 में रूस और ईरान के बीच हुआ एक सैन्य समझौता करीब 17 लाख डॉलर का था। इस सौदे में कथित तौर पर गोला-बारूद और रूस निर्मित टी-72 टैंक के पार्ट-पुर्जे शामिल थे। रूस और ईरान का सैन्य सहयोग तब और मज़बूत दिखा जब रूस ने यूक्रेन युद्ध में ईरानी ड्रोनों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। जो ड्रोन इस्तेमाल किए गए उनमें शहीद-131, शहीद-136 और मोहाजिर-6 यूएवी शामिल हैं।

नीदरलैंड्स स्थित संगठन 'एयरवॉर्स' के अनुसार रूस ने सितंबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच यूक्रेन में करीब 2000 शहीद ड्रोन इस्तेमाल किए। ईरान और रूस दोनों ने इन आरोपों को खारिज किया है कि यूक्रेन में रूस को समर्थन देने के लिए शहीद ड्रोन की आपूर्ति ईरान ने की। हालांकि, नवंबर 2022 में ईरान के विदेश मंत्री हुसैन आमिर अब्दुल्लाहियां ने ये पुष्टि कर दी कि ईरान ने युद्ध शुरू होने से 'महीनों पहले' रूस को 'सीमित संख्या में' ड्रोन भेजे थे।
बांग्लादेश बवाल से भारत में फूट सकता है महंगाई बम! कपड़े, जूते, तेल समेत ये सामान हो सकते हैं महंगे, आम जनता की जेब पर पड़ेगा असर

बांग्लादेश में जारी हिंसा ने देश की अर्थव्यवस्था को चरमरा दिया है। कारोबार ठप पड़े होने से लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट मंडरा रहा है। आयात-निर्यात पूरी तरह से प्रभावित हुआ है, जिससे भारत सहित कई देशों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।

बता दें कि, हिंसा के कारण कारखाने बंद हैं, जिससे उत्पादन पूरी तरह से ठप हो गया है। रेल और हवाई सेवाएं बंद होने से आयात-निर्यात पर असर पड़ा है। चटगांव बंदरगाह पर हजारों कंटेनर फंसे हुए हैं। उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने से चीजों की कीमतों में भारी वृद्धि होने की आशंका है। कारोबार बंद होने से लाखों लोगों की नौकरी चली गई है।

भारत पर क्या होगा असर?

बांग्लादेश से भारत में कई तरह के सामान आयात किए जाते हैं। हिंसा के कारण इन सामानों की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे आम जनता को महंगाई का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, भारतीय कंपनियां जो बांग्लादेश में निवेश करती हैं, उन्हें भी भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत बांग्लादेश को 6052 कमोडिटी का निर्यात करता है। भारत के कुल निर्यात का 12 फीसदी अकेले बांग्लादेश से होता है। चावल, रुई, सूती कपड़ा, गेंहू, मसाले, चीनी, फल बेचता है। बांग्लादेश में हिंसा की स्थिति जल्दी शांत नहीं हुई तो भारत में कई चीजों की कीमतें बढ़ सकती है। दोनों ही देशों के बीच करीब 12.9 अरब डॉलर का कारोबार होता है।

पेरिस ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास, फाइनल में बनाई जगह, जगी गोल्ड की उम्मीद

 भारत के गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक के जेवलिन थ्रो क्वालिफिकेशन राउंड में शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में जगह बना ली है। नीरज ने अपने पहले ही प्रयास में भाला 89.34 मीटर दूर फेंककर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया है। 

बता दें कि, ये उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो में से एक है और इससे साबित होता है कि वो वर्तमान में विश्व के सबसे बेहतरीन जेवलिन थ्रोअरों में से एक हैं। टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा अब लगातार दूसरा ओलंपिक गोल्ड जीतने की ओर बढ़ रहे हैं। अगर वो पेरिस में गोल्ड जीतते हैं तो वो भारत के पहले एथलीट होंगे जिन्होंने ओलंपिक में दो स्वर्ण पदक जीते होंगे।

दिलचस्प बात यह है कि फाइनल में नीरज चोपड़ा का मुकाबला पाकिस्तान के अरशद नदीम से होगा। अरशद नदीम ने भी क्वालिफिकेशन राउंड में 86.59 मीटर का शानदार थ्रो फेंका है। अब 8 अगस्त को होने वाले फाइनल में भारत और पाकिस्तान के इन दोनों स्टार एथलीटों के बीच रोमांचक मुकाबला देखने को मिलेगा।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहा अत्‍याचार, बाबा बागेश्वर ने सरकार से कर दी ये बड़ी मांग

 बांग्लादेश में छात्रों के आरक्षण विरोधी आंदोलन से मंगलवार को भी पूरे देश में प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग पर नोबेल पुरस्कार विजेता और अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस को अतंरिम सरकार मुखिया नियुक्त किया गया। 

वहीं बांग्लादेश से जो तस्वीरें सामने आ रही है वह काफी ज्यादा डराने वाली है। मीडिया रिपोर्ट अनुसार, बांग्लादेश में मंदिर और हिन्दुओं को निशाना बनाया जा रहा है। इन सबके बीच पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर किया हैं। 

कहा है कि मुझे मीडिया द्वारा बांग्लादेश में फैली अशांति के बारे में पता चला। वहां इस वक्त भयंकर स्थिति हैं। खूब उपद्रव और पथराव हो रहा है. वहां की राजधानी ढाका में 3-4 लाख लोग सड़कों पर उतर आए हैं। उन्होंने कहा कि मैं बांग्लादेश में शीघ्र शांति की कामना करता हूं। 

उन्होंने कहा कि समाचार चैनलों से पता चला है कि वहां के हिन्दू भाई बहन बहुत परेशान हैं। मंदिरों में तोड़फोड़ की जा रही है। ऐसे में भारत सरकार से मेरी प्रार्थना है कि सरकार को अपना बड़ा दिल दिखाते हुए बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं के लिए अपने द्वार खोल देने चाहिए।

जेल से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का ऐलान, 15 अगस्त को लेकर कही ये बड़ी बात

 दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली शराब नीति मामले में जेल में बंद है और वे अंदर से ही सरकार चला रहे हैं। इस बीच उन्होंने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने 15 अगस्त के स्वतंत्रता दिवस समारोह में अपनी जगह मंत्री आतिशी मर्लेना को शामिल होने और ध्वजारोहण करने का अनुरोध किया है।

बता दें कि, यह फैसला केजरीवाल की जेल में बंद होने के कारण लिया गया है। दिल्ली सरकार ने आतिशी मर्लेना को यह जिम्मेदारी सौंपकर यह दिखाया है कि सरकार सुचारू रूप से चल रही है और जनता के हित में काम कर रही है।

गौरतलब है कि दिल्ली शराब नीति मामले ने पिछले कुछ महीनों से राजनीतिक गलियारों में काफी हलचल मचाई हुई है। इस मामले में कई नेताओं और अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। केजरीवाल की जेल में बंद होने के बाद से यह मामला और भी गहरा गया है।

15 अगस्त का कार्यक्रम दिल्ली के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन दिल्ली सरकार शहरवासियों के लिए कई कार्यक्रम आयोजित करती है। इस साल के कार्यक्रम में आतिशी मर्लेना की उपस्थिति से यह संदेश जाएगा कि दिल्ली सरकार जनता की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है।

बेरोजगारों के लिए खुशखबरी: मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी पाने का मौका, इन पदों पर निकली बंपर भर्ती, जानें डिटेल

आप मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी की तलाश में हैं तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है. दरअसल, मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (MPSEB) ने ग्रुप 3 के तहत सब-इंजीनियर, सहायक मानचित्रकार, टेक्नीशियन और अन्य पदों पर भर्ती निकाली है. जिसमे 283 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

बता दें कि, इस भर्ती में सब-इंजीनियर से लेकर टेक्नीशियन तक विभिन्न पदों पर भर्तियां निकाली गई हैं. वहीं अधिकांश पदों पर सीधी भर्ती होगी, जिससे युवाओं को सीधे सरकारी नौकरी पाने का मौका मिलेगा. कुछ पदों पर बैकलॉग भर्ती के माध्यम से भी भर्ती की जाएगी.

आवेदन की प्रक्रिया:

आवेदन करने के लिए आपको मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (MPSEB) की आधिकारिक वेबसाइट Esb.Mponline.Gov.In पर जाना होगा. यहां आपको आवेदन फॉर्म भरकर सबमिट करना होगा.

आवेदन की तारीख:

आवेदन शुरू: 5 अगस्त 2024

आवेदन की अंतिम तिथि: 19 अगस्त 2024

फॉर्म में सुधार की अंतिम तिथि: 24 अगस्त 2024

वहीं इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए आप मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (MPSEB) की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं.