2029 में कौन होगा प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार? अमित शाह ने कर दिया बड़ा ऐलान, कहा- विपक्ष को जो मन हो करे...




केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चंडीगढ़ के मनीमाजरा में चौबीस घंटे जलापूर्ति सुनिश्चित करने वाली परियोजना का रविवार को उद्धाटन किया। कुल 75 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित इस परियोजना से मनीमाजरा के एक लाख से अधिक निवासियों को लाभ मिलेगा, जिनमें मॉडर्न हाउसिंग कॉम्प्लेक्स, शिवालिक एन्क्लेव, इंदिरा कॉलोनी और शास्त्री नगर में रहने वाले लोग भी शामिल हैं। इस दौरान उन्होंने विपक्षी दलों पर हमला बोला और कांग्रेस को आईना दिखाते हुए यह दावा किया कि 2029 में भी एनडीए की सरकार बनेगी और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे।

पंजाब के राज्यपाल एवं केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया भी इस अवसर पर उपस्थित थे। ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ के तहत शुरू की गई इस परियोजना का उद्देश्य निरंतर उच्च दबाव आपूर्ति के माध्यम से इसके भंडारण को कम करके पानी की बर्बादी को रोकना है। परियोजना के अन्य उद्देश्यों में रिसाव में कमी, ‘स्मार्ट मीटरिंग’, भूजल पर सीमित निर्भरता और ऊर्जा खपत की निगरानी के माध्यम से जल संवर्धन शामिल हैं। इस परियोजना के लिए कुल 22 किलोमीटर लंबी जलापूर्ति पाइपलाइन बिछाई गई है और दो भूमिगत जलाशय बनाए गए हैं।


अमित शाह ने कहा, "मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि विपक्ष को जो करना है करने दीजिए। 2029 में एनडीए आएगा, मोदी जी आएंगे। उन्हें (विपक्ष को) पता नहीं है कि कांग्रेस को 3 चुनावों में जितनी सीटें मिलीं, उससे ज्यादा सीटें इस चुनाव में भाजपा ने जीती हैं। ये लोग जो अस्थिरता फैलाना चाहते हैं, बार-बार कहते हैं कि यह सरकार चलने वाली नहीं है। मैं उन्हें विश्वास दिलाने आया हूं कि न केवल सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी बल्कि अगली सरकार एनडीए की होगी और विपक्ष में बैठने के लिए तैयार रहें और विपक्ष में काम करने का तरीका ठीक से सीखें।"
बांग्‍लादेश में भारी हिंसा के बाद पीएम शेख हसीना ने दिया इस्‍तीफा, देश छोड़ने का दावा, तख्तापलट की अटकलें
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बांग्लादेश हिंसा की आग में जल रहा है। आरक्षण के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन लगातार जारी है। सैंकड़ों लोगों की जानें जा चुकी हैं। वहीं, प्रदर्शनकर्ता देश की प्रधानमंज्ञी शेख हसीना से इस्तीफें की मांग कर रहे हैं। इस बीच बड़ी खबर आ रही है कि  बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस तरह के दावे भी किए जा रहे हैं कि हसीना ढाका पैलेस छोड़कर किसी सुरक्षित स्थान पर चली गईं हैं।रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबित वह हेलीकॉप्टर से भारत के लिए रवाना हो गई हैं।

इससे पहले सेना प्रमुख वकार-उज-जमान हसीना को 45 मिनट के अंदर इस्‍तीफा देने के लिए अल्‍टीमेटम दिया था। इस बीच बांग्लादेश में तख्तापलट की अटकलें भी चल रही हैं। खबर है कि सेना प्रमुख ने सभी दलों के नेताओं से बैठक की है। थोड़ी देर में सेना प्रमुख देश को संबोधित करेंगे।

कहा जा रहा है क‍ि प्रधानमंत्री शेख हसीना लगभग 2:30 बजे एक सैन्य हेलीकॉप्टर से बंगभवन से रवाना हुईं। उनके साथ उनकी छोटी बहन शेख रेहाना भी थीं। इस बीच, सूत्रों के अनुसार, वे भारत के पश्चिम बंगाल जा सकती हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में उनके अगरतला आने की भी बात कही जा रही है। वहीं अन्य रिपोर्ट में यह भी कहा जा रहा है कि वह लंदन जा सकती हैं।

बांग्लादेश के हालात बद से बदतर हो गए हैं। यहां के प्रधानमंत्री आवास में प्रदर्शनकारी घुस गए हैं। इससे एक दिन पहले बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों के बीच देश के विभिन्न हिस्सों में झड़प में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी। वहीं, एक महीने में करीब 300 लोगों की मौत हो चुकी है। हिंसक झड़पें रविवार की सुबह हुईं जब प्रदर्शनकारी ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ के परचम तले आयोजित ‘असहयोग कार्यक्रम’ में भाग लेने पहुंचे। अवामी लीग, छात्र लीग और जुबो लीग के कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध किया तथा फिर दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई। प्रदर्शनकारी सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था के मुद्दे को लेकर हसीना का इस्तीफा मांग रहे हैं।
राजेंद्र नगर हादसे पर सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी, कहा- डेथ सेंटर बनते जा रहे कोचिंग, केंद्र-दिल्ली से मांगा जवाब
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों की मौत पर आज स्वत: संज्ञान लिया। देश की सबसे बड़ी अदालत ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार दोनों से जवाब तलब किया है। वहीं, कोर्ट ने हादसे को लेकर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, देश के विभिन्न हिस्सों से आए छात्रों के जीवन के साथ कोचिंग सेंटर खेल रहा है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि जब तक इस तरह की कोचिंग में सेफ्टी के सारे इंतजाम न हो तब तक इस तरह की कोचिंग ऑनलाइन की जानी चाहिए।

जज जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में हाल में घटी यह घटना सभी के लिए आंखें खोलने वाली है। पीठ ने कहा, ये जगहें (कोचिंग सेंटर) ‘डेथ चैंबर (मौत का कुआं)’ बन गई हैं। कोचिंग संस्थान का तब तक ऑनलाइन संचालन किया जा सकता है, जब तक वे सुरक्षा मानदंडों और गरिमापूर्ण जीवन के लिए बुनियादी मानदंडों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित न करें। कोचिंग सेंटर देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले अभ्यर्थियों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की याचिका की सुनवाई के दौरान की। हाई कोर्ट ने 2023 में अपने आदेश में दिल्ली सरकार और एमसीडी को फायर डिपार्टमेंट से एनओसी लिए बगैर चल रहे कोचिंग सेंटरों को बंद करने का निर्देश दिया था। इस आदेश के खिलाफ फेडरेशन सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। आज सुप्रीम कोर्ट ने फेडरेशन की मांग को ठुकराते हुए राजधानी में कोचिंग सेंटर के हालत के मद्देनजर इस पर स्वत: संज्ञान लेने का फैसला लिया।

बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ओल्ड राजेंद्र नगर में ‘राव आईएएस स्टडी सर्कल’ की इमारत के ‘बेसमेंट’ में पानी भर जाने के कारण तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों की मौत के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जनता को जांच पर कोई संदेह न हो। इस घटना मारे गए सिविल सेवा अभ्यर्थियों की पहचान उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव (25), तेलंगाना की तान्या सोनी (25) और केरल के नेविन डेल्विन (24) के रूप में हुई थी।
बाजार में हाहाकार, मंदी की आशंका में बाजार में जोरदार गिरावट, मिनटों में लाखों करोड़ स्वाहा

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अमेरिका में मंदी का खतरा, ईरान-इजरायल में बढ़ते तनाव के चलते भारतीय बाजारों में आज जबरदस्त बिकवाली देखने को मिल रही है।दो दिन की छुट्टी के बाद जैसे ही बाजार खुला सेंसेक्स, निफ्टी में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। प्री ओपनिंग में सेंसेक्स 4100 अंक तक गिर गया, वहीं निफ्टी में 600 अंक कर गिरावट आई। कुछ ही मिनटों में निवेशकों के 10 लाख करोड़ रुपये खास हो गए। भारत में बीएसई सेंसेक्स में कारोबार के दौरान करीब 2,600 अंक की गिरावट आई और निवेशकों के 17 लाख करोड़ रुपये एक झटके में स्वाहा हो गए। दरअसल, अमेरिका ने शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद जॉब से जुड़े आंकड़े जारी किए। इसके मुताबिक देश में जुलाई में लोगों को उम्मीद के मुताबिक नौकरियां नहीं मिली और बेरोजगारी दर तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। इससे अमेरिका में एक बार फिर मंदी की आशंका तेज हो गई है। 

दुनिया की ताकतवर अर्थव्यवस्था अमेरिका में मंदी की आहट ने बाजार का मूड बिगाड़ दिया। इस खबर ने वैश्विक स्तर पर निवेशकों की जोखिम उठाने की क्षमता को गंभीर झटका दिया, जिसका असर बाजार पर दिखा। वैश्विक बाजार में भारी बिकवाली के बीच सोमवार की सुबह भारतीय शेयर बाजार में हाहाकार दिखा और सेंसेक्स अपनी पिछली क्लोजिंग 80,981.95 से 2,686.09 अंक टूटकर 78,295.86 के निम्नतम स्तर तक चला गया। शुरुआती काराबार के दौरान टाइटन के शेयरों में 9% तक की गिरावट दिखी।इस बीच, बीएसई पर सभी सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 10.24 लाख करोड़ रुपये घटकर 446.92 लाख करोड़ रुपये रह गया। सोमवार को रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर 83.7525 पर पहुंच गया।

जापान के शेयर मार्केट में इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। बेंचमार्क निक्केई 225 इंडेक्स 4,451 अंक की गिरावट के साथ बंद हुआ। यह अंक के हिसाब से इसकी अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है।निक्केई 225 इंडेक्स 12 फीसदी से अधिक गिरावट के साथ बंद हुआ। जुलाई की शुरुआत से यह 24 फीसदी गिर चुका है। जापान और साउथ कोरिया में भारी गिरावट के बीच कुछ समय के लिए ट्रेडिंग रोकनी पड़ी।

एशिया-पैसिफिक के दूसरे बाजारों में भी भारी गिरावट देखने को मिली। कोरिया एक्सचेंज के बेंचमार्क Kospi में आठ फीसदी से ज्यादा गिरावट के बाद कुछ देर के लिए ट्रेडिंग रोकनी पड़ी। ताइवान का Taiex भी 8.4% गिरकर बंद हुआ जो इसकी अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। हॉन्ग कॉन्ग के Hang Seng इंडेक्स में 2.6% और चीन के Shanghai Composite में 1.2% गिरावट आई है।

'आपके भाई के घर में आग लगी है और आप..', हिंसा पर बोले नोबल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस, कहा, बांग्लादेश सरकार की आलोचना करे भारत





बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण समाप्त करने की मांग को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया है। पिछले रविवार को प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी छात्रों और सरकार समर्थकों के बीच हिंसक झड़पों में कम से कम 100 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। नोबेल पुरस्कार विजेता और बांग्लादेशी अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने विरोध प्रदर्शनों पर भारत की प्रतिक्रिया की भी आलोचना की है और चेतावनी दी है कि बांग्लादेश में अशांति पड़ोसी देशों तक फैल सकती है।

पिछले महीने भारत ने बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शनों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसे बांग्लादेश का घरेलू मुद्दा बताया और साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कोई भी बयान देने से परहेज किया। यूनुस ने अब भारत के रुख पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि इस मुद्दे को घरेलू मामले के रूप में देखना निराशाजनक है। उन्होंने तर्क दिया कि अगर आपके भाई के घर में आग लगी है, तो इसे केवल उनका आंतरिक मुद्दा मानकर खारिज नहीं किया जा सकता। यूनुस ने इस बात पर जोर दिया कि 170 मिलियन की आबादी वाले बांग्लादेश में संघर्ष में काफी हिंसा और बिगड़ती कानून व्यवस्था शामिल है, और इसका निश्चित रूप से पड़ोसी देशों पर असर पड़ेगा। हालाँकि, गौर करने वाली बात ये भी है कि, बांग्लादेश में अक्सर अल्पसंख्यक हिन्दुओं को निशाना बनाए जाने की खबरें आती रहती हैं, लेकिन उन पर नोबल प्राइज विजेता मोहम्मद यूनुस की प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिलती। आज जब बांग्लादेश सरकार कह रही है कि, पाकिस्तानी साजिश से उनके देश में हिंसा भड़काई जा रही है और वो उसे रोकने का प्रयास कर रही है, तो यूनुस कह रहे हैं कि, भारत शेख हसीना सरकार की आलोचना करे। 


बता दें कि, यूनुस हसीना सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं। शेख हसीना ने यूनुस पर गरीबों का शोषण करने का आरोप लगाया है, और वर्तमान में उन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, जिनके बारे में उनके समर्थकों का दावा है कि वे राजनीति से प्रेरित हैं। यूनुस ने भारत से बांग्लादेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का समर्थन करने और चुनावों में पारदर्शिता की कमी के लिए बांग्लादेशी सरकार की आलोचना करने का आग्रह किया। उन्होंने भारत की सफल चुनावी प्रक्रिया की प्रशंसा की और बांग्लादेश में लोकतांत्रिक उद्देश्यों के लिए भारत के समर्थन की कमी पर दुख व्यक्त किया। यूनुस ने इन मुद्दों पर भारत सरकार के साथ चर्चा करने की योजना बनाई है।

बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन पिछले महीने शुरू हुए, जो सरकारी नौकरियों में 1971 के स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण कोटा समाप्त करने की मांग पर केंद्रित थे। हिंसा के जवाब में न्यायालय द्वारा आरक्षण सीमा कम करने के बावजूद, छात्र पुलिस की बर्बरता और सरकार की असंवेदनशीलता को लेकर लगातार आक्रोशित होते गए, और अंततः प्रधानमंत्री हसीना के इस्तीफे की मांग करने लगे।

विरोध प्रदर्शनों के जवाब में, बांग्लादेशी सरकार ने इंटरनेट बंद कर दिया है। चल रहे विरोध प्रदर्शन प्रधानमंत्री हसीना के 20 साल के कार्यकाल के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। आलोचकों और मानवाधिकार समूहों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अत्यधिक बल प्रयोग करने के लिए हसीना सरकार की निंदा की है, हालांकि सरकार इन आरोपों से इनकार करती है।

बांग्लादेश में हिंसा को देखते हुए भारत सरकार ने अपने नागरिकों के लिए एक सलाह जारी की है, जिसमें उन्हें पड़ोसी देश की यात्रा करने से बचने की सलाह दी गई है। सलाह में वर्तमान में बांग्लादेश में मौजूद भारतीयों से अत्यधिक सावधानी बरतने, घर के अंदर रहने और आपातकालीन फोन नंबरों के माध्यम से ढाका में भारतीय उच्चायोग से संपर्क बनाए रखने का भी आग्रह किया गया है।
गरीबों के इलाज वाली आयुष्मान योजना में भी घोटाला, बनाए फर्जी कार्ड ! दिल्ली, पंजाब और हिमाचल के 20 ठिकानों पर ED की रेड



केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने फर्जी आयुष्मान भारत एबी-पीएमजेएवाई आईडी कार्ड बनाने के मामले में दबिश दी है। कई अस्पतालों द्वारा योजना के उल्लंघन के मामलों के संबंध में दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में 20 स्थानों पर छापेमारी की है। ये तलाशी अभियान धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत किए गए। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, ऊना, शिमला, मंडी और कुल्लू जिलों में भी छानबीन की गई।


ईडी की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, तलाशी के दौरान कई अस्पतालों और प्रमुख प्रबंधन कर्मियों को निशाना बनाया गया, जिनमें श्री बांके बिहारी अस्पताल, फोर्टिस अस्पताल हिमाचल हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड, सिटी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, श्री बालाजी अस्पताल, श्री हरिहर अस्पताल, सूद नर्सिंग होम, नीलकंठ अस्पताल और डॉ. विजेंद्र मिन्हास, रघुबीर सिंह बाली, डॉ. प्रदीप मक्कड़, डॉ. राजेश शर्मा, मनीष भाटिया, डॉ. मनोज सूद और डॉ. हेमंत कुमार शामिल हैं। ईडी की जांच में पता चला कि इन अस्पतालों ने 373 फर्जी आयुष्मान कार्डों के जरिए करीब 40.68 लाख रुपये का दावा किया था। फर्जी लाभार्थियों में रजनीश कुमार और पूजा धीमान शामिल थे, जिन्होंने सत्यापन के बाद ऐसे किसी भी कार्ड या इलाज के बारे में जानकारी से इनकार किया। इसके अलावा, जांच में पाया गया कि अस्पतालों ने उन उपचारों और सर्जरियों के लिए दावे किए जो वास्तव में रोगियों को कभी प्रदान नहीं किए गए थे। इस मामले में लगभग 25 करोड़ रुपये की आपराधिक आय का पता चला है और 8,937 आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड रद्द किए जा चुके हैं।

ईडी की तलाशी में लगभग 88 लाख रुपये की नकदी, चार बैंक लॉकर और 140 संबंधित बैंक खाते मिले। इसके अतिरिक्त, तलाशी में अचल और चल संपत्तियां, खातों की किताबें और 16 डिजिटल डिवाइस जब्त किए गए, जिनमें एबी-पीएमजेएवाई, हिमकेयर और अन्य स्वास्थ्य योजनाओं से संबंधित दावों और दस्तावेजों की जानकारी थी। जब्त किए गए दस्तावेजों से 23,000 मरीजों के लिए 21 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन का पता चला और गंभीर विसंगतियां भी सामने आईं, जिसमें मरीजों के नाम पर दावों से संबंधित कई फाइलें गायब पाई गईं।
वाल्मीकि और MUDA घोटाले पर कर्नाटक में गवर्नर ने मुख्यमंत्री से मांगा जवाब, कांग्रेस बोली- ये हमारी सरकार गिराने की साजिश



कांग्रेस ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया का समर्थन करते हुए कहा है कि वह राज्य सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेगी। सीएम सिद्धरमैया वर्तमान में मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) और वाल्मीकि निगम घोटालों को लेकर विपक्ष के निशाने पर हैं। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मंत्रियों के साथ एक बैठक में कहा कि सिद्धरमैया की ईमानदारी सर्वविदित है और वह लोगों को सच्चाई बताएंगे। बैठक में कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार भी शामिल थे।


यह बैठक तब हुई जब राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया। वेणुगोपाल ने कहा कि पिछली कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की साजिश का शिकार होना पड़ा था और अब फिर से वे इसी तरह की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने गरीबों की चिंताओं को दूर करने के लिए कर्नाटक में गारंटी योजनाएं शुरू की हैं, जिससे सिद्धरमैया का कद बढ़ा है।

कांग्रेस महासचिव ने बीजेपी-जेडीएस पर सरकार को अस्थिर करने की साजिश का आरोप लगाया और कहा कि मुख्यमंत्री और कांग्रेस सरकार की गारंटी योजनाओं के कारण बीजेपी-जेडीएस को राजनीतिक नुकसान होगा। बीजेपी-जेडीएस ने एमयूडीए द्वारा जमीन खोने वालों को कथित धोखाधड़ी से भूखंड आवंटित करने के खिलाफ ‘मैसूर चलो’ पदयात्रा शुरू की है और मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की है। राज्यपाल ने 26 जुलाई को अधिवक्ता-कार्यकर्ता टीजे अब्राहम की याचिका पर मुख्यमंत्री को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसे कर्नाटक सरकार ने संवैधानिक पद का दुरुपयोग बताते हुए वापस लेने की सलाह दी है।
असम में TATA का सेमीकंडक्टर प्लांट, 26000 लोगों को मिलेगा रोज़गार, समूह के चेयरमैन ने बताया देश के लिए इसका महत्व


टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने असम के मोरीगांव में टाटा की नई सेमीकंडक्टर इकाई के लिए भूमि पूजन समारोह के दौरान सेमीकंडक्टर उद्योग के महत्व पर जोर देते हुए इसे भविष्य के लिए आधारभूत उद्योग बताया। यह इकाई 27,000 करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित की जाएगी। चंद्रशेखरन ने भरोसा जताया कि 2025 तक कुछ सुविधाएं पूरी हो जाएंगी और उसके तुरंत बाद परिचालन शुरू हो जाएगा। इस समारोह में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी शामिल हुए, जिन्होंने चंद्रशेखरन के साथ मिलकर 'भूमि पूजन' किया। इस इकाई से 15,000 प्रत्यक्ष और 11,000 से 13,000 अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।


चंद्रशेखरन ने मीडिया से कहा, "सेमीकंडक्टर उद्योग हमारे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। चिप्स हमारे दैनिक जीवन के हर पहलू का अभिन्न अंग होंगे, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल से लेकर मोबाइल प्रौद्योगिकी, रक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक। कृत्रिम बुद्धिमत्ता को तेजी से अपनाए जाने के साथ, चिप्स की मांग में वृद्धि ही होगी।" उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कई देश इस क्षेत्र में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन केवल कुछ ही देशों के पास यह क्षमता है। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने एक साहसिक कदम उठाया है और टाटा समूह को इस पहल का हिस्सा बनने पर गर्व है। हम तमिलनाडु, कर्नाटक और अब असम में उन्नत सेमीकंडक्टर असेंबली और परीक्षण सुविधा के साथ संपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य श्रृंखला का निर्माण कर रहे हैं। हम गुजरात के वलेरा में एक फैब और एक डिज़ाइन हाउस भी स्थापित कर रहे हैं।"

चंद्रशेखरन ने कहा कि असम में यह सुविधा सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम बनाने में मदद करेगी। उन्होंने कहा, "पूरी क्षमता पर, यह 27,000 लोगों को रोजगार देगा, जिसमें 15,000 प्रत्यक्ष नौकरियां और 12,000 अप्रत्यक्ष नौकरियां शामिल हैं। इसके अलावा, यह विभिन्न घटकों का उत्पादन करने वाली कंपनियों को आकर्षित करेगा, जिससे एक संपन्न इलेक्ट्रॉनिक्स हब बनेगा।" उन्होंने 2025 तक सुविधाओं के एक हिस्से के पूरा होने और परिचालन शुरू होने का अनुमान लगाया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि इस इकाई के 18 महीनों के भीतर चालू होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, "आज का 'भूमि पूजन' एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह इकाई भारत में कहीं भी स्थापित की जा सकती थी, लेकिन उन्होंने असम को चुना, जो हमारे राज्य के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।"


केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्लांट की क्षमताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह प्रतिदिन लगभग 4.83 करोड़ चिप्स का निर्माण करेगा। उन्होंने कहा, "इस प्लांट का अनूठा पहलू यह है कि इसमें इस्तेमाल की जाने वाली सभी प्रमुख तकनीकें भारत में विकसित की गई हैं। चिप्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों और संचार और नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर में किया जाएगा।"

अधिकारियों ने बताया कि भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिए कार्यक्रम दिसंबर 2021 में 76,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शुरू किया गया था। जून 2023 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुजरात के साणंद में सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करने के माइक्रोन के प्रस्ताव को मंजूरी दी। असम में टाटा की सेमीकंडक्टर इकाई को दो अन्य इकाइयों के साथ इस साल 29 फरवरी को मंजूरी मिली। असम इकाई उन्नत सेमीकंडक्टर पैकेजिंग तकनीक विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसमें फ्लिप चिप और आई-एसआईपी (पैकेज में एकीकृत प्रणाली) तकनीकें शामिल हैं। ये तकनीकें ऑटोमोटिव, संचार और नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर अनुप्रयोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन में उद्योग के लिए तैयार लगभग 85,000 पेशेवरों को भारत भर के 113 शैक्षणिक संस्थानों में प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिनमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के नौ संस्थान भी शामिल हैं। टाटा संस की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड असम में इस सुविधा का निर्माण करेगी, जो भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
हिंसा की आग में झुलस रहा बांग्लादेश, फिर भड़की आरक्षण विरोधी आग, अब तक 200 से ज्यादा मौतें
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चंद दिनों की शांति के बाद बांग्लादेश एक बार फिर सुलग उठा हैं।बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ छात्रों का बवाल जारी है।हजारों बांग्लादेशी छात्र एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं। उनकी एक ही मांग है – प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी सरकार का इस्तीफा। इस दौरान देश के कई हिस्सों में हुई हिंसक झड़पों में कम से कम 72 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।यह झड़पें भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के बैनर तले असहयोग आंदोलन के कारण हुई। कई इलाकों में पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े हैं और हवा में फायरिंग करनी पड़ी। हिंसा को बढ़ता देख बांग्लादेश की सरकार ने रविवार शाम 6 बजे से राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू का ऐलान किया है।

बांग्लादेश में बड़ी मुश्किल से हिंसा थमी थी और तनाव कम हुआ था, लेकिन शुक्रवार को बांग्लादेश में जुमे की नमाज के बाद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आए थे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी और हंगामा शुरू किया था। शनिवार होते होते हजारों की संख्या में लोग सड़क पर उतर आए और जमकर विरोध प्रदर्शन किया। रविवार को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों और सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थकों में झड़प हो गई।

विरोध प्रदर्शनों का यह नया दौर 15 जुलाई को देश में भड़की हिंसा के बाद आया है, जिसमें 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दिग्गजों के परिवारों के लिए आरक्षण को लेकर प्रदर्शनकारियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच झड़प हुई थी। आपको बता दें कि बांग्लादेश में दोबारा हुए संग्राम में प्रदर्शनकारी उन छात्रों की रिहाई की मांग पर अड़े हुए हैं, जिन्हें आरक्षण की मांग को लेकर हुई हिंसा में गिरफ्तार कर लिया गया था।

बांग्लादेशी प्रधानमंत्री ने हिंसा को समाप्त करने के लिए प्रदर्शनकारी छात्रों को अपने निवास – ढाका में गोनो भवन – पर मिलने के लिए आमंत्रित किया और उन्होंने जुलाई के विरोध प्रदर्शनों के दौरान गिरफ्तार किए गए छात्रों को रिहा करने के लिए भी आदेश दिया। हालांकि, छात्रों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना की वार्ता का निमंत्रण ठुकरा दिया। जिसके बाद छात्र और उग्र हो उठे।

द डेली स्टार ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को 15-सूत्री असहयोग आंदोलन की घोषणा की, जिसमें करों और बिलों का भुगतान न करना, सभी सरकारी और निजी कार्यालयों को बंद करना, सभी शैक्षणिक संस्थानों को अनिश्चित काल के लिए बंद करना, सभी सरकारी बैठकों, लक्जरी दुकानों, होटलों और मॉल का बहिष्कार करना और सभी सेवारत अधिकारियों को अपने संबंधित छावनी के बाहर ड्यूटी न करने देना शामिल है।

रविवार को प्रदर्शनकारियों की भीड़ ढाका के केंद्रीय शाहबाग़ स्क्वायर में जमा हो गई, जिसके बाद कई जगहों पर सड़कों पर झड़पें हुईं। प्रदर्शनकारियों में कई लाठी-डंडों से लैस थे और मुंह को स्कार्फ से ढंके हुए थे। उन्होंने राजधानी ढाका की कई सड़कों को जाम कर दिया। उनकी पुलिस और सत्तारुढ़ अवामी लीग के समर्थकों के साथ कई प्रमुख शहरों में भी झड़पें हुईं।

बता दें कि इस साल जून से ही दक्षिण एशियाई देश में विरोध प्रदर्शन जारी हैं, जब उच्च न्यायालय ने 2018 के सरकारी आदेश के खिलाफ फैसला सुनाया था, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में प्रभावशाली के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत कोटा खत्म कर दिया गया था। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि इस फैसले से सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थकों को अनुचित लाभ होगा। हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व वाली अवामी लीग ने पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभायी थी।
दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, एलजी को सरकार की सलाह मानना जरूरी नहीं

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दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है।जिससे दिल्ली की केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल (एलजी) सरकार से सलाह लिए बिना नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल स्वतंत्र रूप से एमसीडी में 10 एल्डरमैन को नामित कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें दिल्ली सरकार के मंत्रीपरिषद की सलाह की जरूरत नहीं है।

बता दें कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के बिना दिल्ली नगर निगम में 'एल्डरमैन' नॉमिनेट करने के उपराज्यपाल के फैसले को चुनौती दी थी। दिल्ली सरकार का कहना था कि उससे सलाह मशविरा के बिना एलजी ने मनमाने तरीके से इनकी नियुक्ति की है। ये नियुक्ति रद्द होनी चाहिए।इस पर सुनवाई करते हुए बीते वर्ष मई में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने पिछले साल 17 मई को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब जस्टिस पीएस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाया है।इस तरह दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तकरीबन 15 महीने बाद अपना फैसला सुनाया।

कोर्ट ने माना कि नगर निगम अधिनियम के तहत उपराज्यपाल को वैधानिक शक्ति दी गई है। जबकि सरकार कार्यकारी शक्ति पर काम करती है। इसलिए उपराज्यपाल को वैधानिक शक्ति के अनुसार काम करना चाहिए, न कि दिल्ली सरकार की सहायता और सलाह के अनुसार। कोर्ट ने कहा कि नगर निगम अधिनियम में प्रावधान है कि उपराज्यपाल नगर निगम प्रशासन में विशेष ज्ञान रखने वाले दस व्यक्तियों को नामित कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज के फैसले के बाद एमसीडी में स्टैंडिंग कमेटी के गठन का रास्ता साफ हो पाएगा। दरअसल, एल्डरमैन को लेकर चल रहे मौजूदा विवाद के सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहने चलते एमसीडी में अब तक स्टैंडिंग कमेटी का गठन नहीं हो पाया है, क्योंकि स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में एल्डरमैन कहलाने वाले मनोनीत पार्षद भी वोट देते हैं। यहां ये भी गौर करने लायक है कि 5 करोड़ से ज़्यादा के प्रोजेक्ट के लिए स्टैंडिंग कमेटी की मंजूरी जरूरी है। इसी के चलते मूलभूत सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए 5 करोड़ से अधिक के कई प्रोजेक्ट लटके पड़े हैं। एक ऐसे वक्त में जब जलभराव और नालों की सफाई और बुनियादी सुविधाओं के विस्तार में असफल रहने पर एमसीडी सवालों के घेरे में है।