आईए जानते है ब्राइडल लहंगा के लिए फेमस दिल्ली की ये मार्केट जहां सस्ती और डिजाइनर लहंगा मिलता है किफायती दामों में


शादी का सीजन आने से पहले ही ब्राइड टू बी अपने स्पेशल डे के लिए तैयारी शुरू कर देती हैं। अपने मेकअप, ज्वैलरी, वेडिंग आउटफिट हर चीज को ब्राइड्स परफेक्ट रखना चाहती है। इन सभी चीजों में दुल्हनों के लिए सबसे खास उनका लहंगा होता है। हर दुल्हन में वेडिंग लहंगे को लेकर एक अलग ही क्रेज देखने को मिलता है। सभी ब्राइड्स अपने लहंगे का कलर और डिजाइन सबसे अलग चुनना पसंद करती हैं। लेकिन ब्राइडल लहंगा एक बार पहनने के बाद दोबारा पहनने से पहले सोचना पड़ता है। ऐसे में महंगे ब्राइडल लहंगा खरीदने से पहले लड़कियां काफी सोचती हैं। ऐसे में आज हम इस लेख के जरिए आपको दिल्ली की कुछ ऐसी मार्केट के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां से आप 20 से 25 हजार तक के कम बजट में भी ट्रेंडी और खूबसूरत ब्राइडल लहंगा खरीद सकती हैं।

ब्राइडल लहंगे के लिए दिल्ली की फेमस मार्केट्स

1. चांदनी चौक मार्केट

 दिल्ली की चांदनी चौक मार्केट एशिया की सबसे बड़ी मार्केट है। इतना ही नहीं ये दिल्ली की सबसे पुरानी मार्कट्स में से एक है, जहां आपको सस्ते और अच्छे ब्राइडल लहंगे आसानी से मिल जाएंगे। इस मार्केट में आपको ब्राइड्ल लहंगे अधिकतर दुकानों पर मिल जाएंगे। आप अपने बजट में अपने पसंद का लहंगा भी आसानी से खरीद सकती है। इस मार्केट में आपको न सिर्फ ब्राइडल लहंगा बल्कि ब्राइडल ज्वैलरी, सैंडल से लेकर छोटी-छोटी एक्सेसरीज भी मिल जाएगी।

2.करोल बाग मार्केट 

कम बजट में अच्छा लहंगा लेने के लिए दिल्ली की करोल बाग मार्केट भी काफी मशहूर है। इस मार्केट में आपको कम बजट में भी अच्छे लहंगे आसानी से मिल जाएंगे। यहां आपको महंगे से लेकर सस्ते हर तरह के लहंगे मिलेंगे, लेकिन कुछ लोकल दुकानों पर आपको आपके कम बजट के डिजाइनर ब्राइडल लहंगे भी मिल जाएंगे।

3 तिलक नगर मार्केट

 दिल्ली की तिलक नगर मार्केट भी अपने कम रेंज के लिए काफी मशहूर है। यहां से आपको ब्राइड्स के लिए सस्ती ब्राइडल लहंगे के साथ दुल्हन के लिए साड़ी सूट भी आसानी से मिल जाएगा। इतना ही नहीं दुल्हन के लिए चुड़ी सेट, ब्राइडल सैंडल्स, ज्वैलरी कलेक्शन भी आपको यहां बहुत अच्छे मिलेंगे।

4. लक्ष्मी नगर मार्केट

लक्ष्मी नगर मार्केट आपके लिए बजट फ्रेंडली लहंगे के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन है। यहां आपके पसंद के लहंगे की तलाश आसानी से पूरी हो जाएगी। दिल्ली की लक्ष्मी नगर मार्केट कपड़ों के लिए काफी फेमस है। यहां आपको ब्राइडल लहंगे से लेकर ब्राइडल एक्सेसरीज तक सब एक ही जगह पर आसानी से मिल जाएगी। लेकिन सिर्फ ब्राइडल लहंगा लेने के लिए अगर आप इस मार्केट में आ रहे हैं, तो एक बार किसी जानकार से यहां की दुकानों के बारे में जानकारी जरूर ले लें। ताकि अपना समय बर्बाद करने से आप बच सकें।

5. सीलमपुर मार्केट

दिल्ली की सीलमपुर मार्केट में आपको लहंगे के फेब्रिक आसानी से मिल जाएंगे। आगर आप खुद के लिए लहंगा डिजाइन करना चाहती हैं। या किसी डिजाइनर लहंगे को रिक्रिएट करना चाहती हैं, तो इस मार्केट से अपने लहंगे के लिए फेब्रिक, लेस, लटकन ले सकती हैं। यहां आपको लहंगे के लिए कई डिजाइन के फेब्रिक कम दामों में आसानी से मिल जाएंगे।

सावन के महीने में आज हम आपको बताएंगे कि शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या है अंतर, मालूम है आपको?


नयी दिल्ली : हिंदू धर्म में ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग की पूजा की जाती है. बहुत से लोगों के बीच मतभेद है कि ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग दोनों एक ही होते हैं. यदि आप भी ऐसा सोचते हैं तो आप बिल्कुल गलत सोचते हैं. इन दोनों में बहुत अंतर होता है. हम आज आपको बताएंगे कि शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या अंतर है.

शिवलिंग 

शास्त्रों में शिवलिंग का अर्थ बताया गया है - अनंत, अर्थात जिसकी न तो कोई शुरुआत हो और न ही कोई अंत. शिवलिंग भगवान शिव और माता पार्वती के आदि-अनादि एकल रुप हैं. वहीं, 'लिंग' का अर्थ होता है प्रतीक. इस प्रकार शिवलिंग को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है. शिवलिंग, शिव जी के प्रतीक के रूप में मनुष्य द्वारा निर्मित किए जाते हैं और पूजा-अर्चना के लिए मंदिरों स्थापित किए जाते हैं।

ज्योतिर्लिंग

ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के स्वयंभू का अवतार है. ज्योतिर्लिंग का अर्थ है भगवान शिव का ज्योति के रूप में प्रकट होना. पूरे देश में केवल 12 ज्योतिर्लिंग हैं और ये सभी भारत देश में स्थित हैं. शिव पुराण के अनुसार, जहां-जहां भी ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं, वहां भगवान शिव स्वयं एक ज्योति के रूप में उत्पन्न हुए थे. इस प्रकार ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का स्वरूप है जो 'स्वयंभू' अर्थात स्वयं घटित होने वाला है. ऐसी मान्यता है कि 12 ज्योतिर्लिंगों की वजह से पृथ्वी का आधार बना हुआ है और इसी कारण वह अपनी धुरी पर घूम रही है।

ये 12 ज्योतिर्लिंग 12 राशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसलिए इन 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व माना जाता है. साथ ही यह भी माना जाता है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में इस 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करता है, वह शिव जी की विशेष कृपा का पात्र बन सकता है.

 12ज्योतिर्लिंग इस प्रकार हैं

भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग

1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग - गुजरात

2. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग - गुजरात

3. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग - उत्तराखंड

4. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग - उत्तर प्रदेश

5. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्य प्रदेश

6. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्य प्रदेश

7. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र

8.घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र

9. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र

10. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग - झारखंड

11. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग - आंध्र प्रदेश

12. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग - तमिलनाडु

आज 65 वें जन्मदिन पर विशेष :पहली फिल्म के बाद लग गई थी नशे की लत,सेट पर नशा किया तो दिलीप कुमार ने डांटा था


नयी दिल्ली : संजय दत्त आज अपना 65वां जन्मदिन मना रहे हैं। 43 साल के फिल्मी करियर में करीब 180 फिल्मों में काम कर चुके संजय मशहूर बॉलीवुड स्टार्स सुनील दत्त और नरगिस के बेटे हैं। करियर की तरह संजय की पर्सनल लाइफ भी कई उतार-चढ़ाव से गुजरी। यंग एज में ही ड्रग्स की लत लगी। डेब्यू फिल्म से पहले ही मां का निधन हो गया।

फिर मुंबई बम ब्लास्ट केस में नाम आया तो 5 साल जेल में बिताए। 61 साल की उम्र में चौथी स्टेज के लंग कैंसर का पता चला। 

इन सभी मुश्किलों से लड़़ते हुए संजय आज भी मुस्कुराते हुए जिंदगी जी रहे हैं।

सेट पर शरारतें करते हैं संजू: रजा मुराद, अभिनेता

‘संजय के साथ मैंने पहली बार ‘मेरा हक’ नाम की फिल्म में काम किया था। इसके अलावा हमने ‘इनाम 10 हजार’, ‘कानून अपना अपना’, ‘सफारी’ और ‘सरहद पार’ जैसी फिल्में भी कीं।

सेट पर संजू बहुत ही ज्यादा मजाकिया रहते हैं। वो हंसते-खेलते हुए अपना काम कर जाते हैं। इतना सब झेलने के बाद भी सेट पर संजू कभी किसी को यह महसूस नहीं होने देते थे कि उनकी लाइफ में कितने अप्स एंड डाउन्स हैं।'

हम जहां रहते थे उसके पास ही मानेक जी कूपर स्कूल था, जहां संजय बचपन में पढ़़ते थे। हम वहां एक फंक्शन देखने गए तो वहां फैंसी ड्रेस कॉम्पिटिशन में संजय दत्त पठान के लुक में स्टेज पर आए थे। उस जमाने में ‘काबुलीवाला’ फिल्म आई थी तो संजय ने उसी लुक को कॉपी किया था। संजू को बंदूकों और शिकार खेलने का भी बहुत शौक रहा है, तो अक्सर भोपाल और लखनऊ जाकर शिकार भी खेलते थे।

पूरी इंडस्ट्री को संजय से हमदर्दी थी

हम सब जानते हैं कि संजू का नाम मुंबई ब्लास्ट में भी आया था। हालांकि उस पूरे दौर में इंडस्ट्री के लोगों के मन में संजू के लिए हमदर्दी थी। हम सभी जानते थे कि संजू ने जो भी किया है नादानी में किया है। सभी को पता था कि दत्त साहब कितने सीधे और सच्चे इंसान थे।

जिस चीज के लिए मैं संजय की तारीफ करूंगा वो है उनकी विल पॉवर। जो इन्होंने अपने ड्रग्स की लत पर कंट्रोल किया वो वाकई काबिल-ए-तारीफ है क्योंकि यह आसान भी नहीं और हर कोई इसे कर भी नहीं पाता। इंडस्ट्री ने भी संजू को दूसरा चांस दिया और संजू ने कमबैक करने के बाद कभी दोबारा ड्रग्स की तरफ नहीं देखा।’

संजय दत्त आज अपना 65वां जन्मदिन मना रहे हैं। 43 साल के फिल्मी करियर में करीब 180 फिल्मों में काम कर चुके संजय मशहूर बॉलीवुड स्टार्स सुनील दत्त और नरगिस के बेटे हैं।

करियर की तरह संजय की पर्सनल लाइफ भी कई उतार-चढ़ा़व से गुजरी। यंग एज में ही ड्रग्स की लत लगी। डेब्यू फिल्म से पहले ही मां का निधन हो गया।

फिर मुंबई बम ब्लास्ट केस में नाम आया तो 5 साल जेल में बिताए। 61 साल की उम्र में चौथी स्टेज के लंग कैंसर का पता चला। इन सभी मुश्किलों से लड़़ते हुए संजय आज भी मुस्कुराते हुए जिंदगी जी रहे हैं।

फैमिली और वर्कआउट के बिना अधूरे हैं संजय

आज संजू की लाइफ में दो ही चीजें हैं- फैमिली और वर्कआउट। वो लाइफ के इस स्टेज में फैमिली के काफी करीब हो गए हैं। कहते हैं कि लाइफ में पत्नी और बच्चों के अलावा कुछ नहीं रखा। और वर्कआउट की बात करूं तो उसके बिना तो वो अधूरे हैं।'

कैंसर से जूझते हुए भी वो फुल मोटिवेटेड रहते थे- सुनील शर्मा, फिटनेस ट्रेनर

'संजय से जब मैं पहली बार मिला था तब मेरे पास उनसे कहने के लिए कुछ शब्द ही नहीं थे। वो मुझसे काफी बड़े़ हैं पर उसके बावजूद भी वो मुझे पूरी रिस्पेक्ट देते थे। मैं दुबई में रहता था और वो उस वक्त अमेरिका में थे। उनसे ज्यादा मेरा फोकस उनके बच्चों और वाइफ को ट्रेन करने पर रहता था।

वो बहुत फूडी हैं और पार्टीज के भी बड़े शौकीन हैं पर उन्हें कभी भी किसी चीज के लिए टोकना नहीं पड़ा। वो बिना डॉक्टर के गाइडेंस के कुछ भी नहीं खाते थे। वो खुद भी बहुत अच्छे से अपना ख्याल रखते हैं।

संजू रोज बैडमिंटन जरूर खेलते हैं

उनके साथ काम करते वक्त बस उन्हें थोड़ा सा पुश करना हाेता है। बाकी वो अपने हिसाब से ही वर्कआउट करते हैं। वो ENS ट्रेनिंग पर ज्यादा फोकस करते हैं। सूट पहनकर को स्ट्रेंथ ट्रेनिंग काफी करते हैं। इसके अलावा वो हर रोज बैडमिंटन जरूर खेलते हैं, खुद को फिट रखने के लिए।'

आज का इतिहास:1891 में आज ही के दिन प्रसिद्ध समाज सुधारक और स्वाधीनता सेनानी ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का हुआ था निधन


नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 29 जुलाई का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई है।

29 जुलाई का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1891 में 29 जुलाई के दिन ही प्रसिद्ध समाज सुधारक, शिक्षाशास्त्री और स्वाधीनता सेनानी ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का निधन हुआ था। 

1957 में 29 जुलाई को ही संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) का गठन किया था। 

1980 में आज ही के दिन मॉस्को ओलंपिक में भारत ने हॉकी में गोल्ड मेडल जीता था। 

1981 में 29 जुलाई को ही लंदन के सेंट पॉल कैथेड्रल में प्रिंस चार्ल्स और डायना की शादी हुई थी।

2006 में आज ही के दिन श्रीलंका के बल्लेबाज महेला जयवर्धने और कुमार संगकारा ने टेस्ट क्रिकेट में 624 रन की पार्टनरशिप का वर्ल्ड रिकाॅर्ड बनाया था।

1987 में आज ही के दिन भारत और श्रीलंका के बीच शांति समझौता हुआ था।

1983 में 29 जुलाई को ही पहले चालक रहित विमान का परीक्षण किया गया था।

1981 में 29 जुलाई को ही लंदन के सेंट पॉल कैथेड्रल में प्रिंस चार्ल्स और डायना की शादी हुई थी जिसे दुनिया के 75 करोड़ लोगों ने लाइव देखा था।

1980 में आज ही के दिन मॉस्को ओलंपिक में भारत ने स्पेन को 4-3 से हराकर हॉकी में गोल्ड मेडल जीता था।

1957 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) का गठन किया था।

1949 में 29 जुलाई को ही ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन रेडियो पर प्रसारण शुरू हुआ था।

1921 में 29 जुलाई को ही जर्मनी में एडोल्फ हिटलर नेशनल साेशलिस्ट जर्मन वर्कस पार्टी के नेता चुने गए थे।

1911 में आज ही के दिन मोहन बागान ने आईएफए शील्ड पहली बार जीत हासिल की थी।

1899 में 29 जुलाई को ही न्यूयॉर्क में पहली मोटरसाइकिल रेस का आयोजन किया गया था। 

1876 में आज ही के दिन इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस की स्थापना की गई थी।

1858 में 29 जुलाई को ही यूनाइटेड स्टेट्स और जापान ने हैरिस संधि पर साइन किए थे।

29 जुलाई को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1931 में आज ही के दिन ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित तेलुगु भाषा के प्रख्यात कवि सी. नारायण रेड्डी का जन्म हुआ था।

1905 में 29 जुलाई के दिन ही संयुक्त राष्ट्र के दूसरे महासचिव रहे डैग हैमरस्क्जोंल्ड का जन्म हुआ था।

1904 में आज ही के दिन औद्योगिक हस्तियों में से एक जे. आर. डी. टाटा का जन्म हुआ था। 

29 जुलाई को हुए निधन

2017 में आज ही के दिन प्रसिद्ध हिंदी कवयित्री स्नेहमयी चौधरी का निधन हुआ था।

2009 में 29 जुलाई के दिन जयपुर की महारानी गायत्री देवी का निधन हुआ था।

1996 में आज ही के दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाली प्रमुख महिला अरुणा आसफ अली का निधन हुआ था।

1891 में 29 जुलाई के दिन ही प्रसिद्ध समाज सुधारक, शिक्षाशास्त्री और स्वाधीनता सेनानी ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का निधन हुआ था।

1890 में आज ही के दिन नीदरलैंड के प्रसिद्ध चित्रकारों में से एक विन्सेंट वैन गो का निधन हुआ था।

LOC में सेना ने कुपवाड़ा में BAT हमले को किया नाकाम, सैनिक शहीद, संदिग्धों के स्केच जारी


जम्मू: शनिवार सुबह उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में माछिल सेक्टर के कुमकडी इलाके में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम (BAT) के हमले को भारतीय सेना ने विफल कर दिया. इस हमले में कम से कम एक सैनिक शहीद हो गया और मेजर रैंक के एक अधिकारी समेत चार अन्य घायल हो गए.

इस घटना में एक पाकिस्तानी घुसपैठिया भी मारा गया. सूत्रों ने बताया कि इस घटना में पाकिस्तानी सेना की बॉर्डर एक्शन टीम (BAT) शामिल थी, जो नियंत्रण रेखा के पार सीमा पार अभियान और छापेमारी करती है. मारा गया पाकिस्तानी नागरिक उनके लिए गाइड का काम कर रहा था.

उन्होंने बताया कि हमले में मेजर रैंक के एक अधिकारी समेत भारतीय सेना के पांच सैनिक घायल हो गए. उन्होंने बताया कि सभी पांच सैनिकों को घटनास्थल से निकाल लिया गया है. घायलों में से एक सैनिक की गंभीर चोटों के कारण मौत हो गई. 

सूत्रों ने बताया कि मारा गया सैनिक जम्मू-कश्मीर का रहने वाला है.

सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी BAT टीम में पाकिस्तानी सेना के नियमित सैनिक शामिल होने का संदेह है, जिसमें उनके SSG कमांडो शामिल हैं, जो आतंकवादी संगठनों के साथ मिलकर काम करते हैं. इससे पहले सुबह, भारतीय सेना की चिनार कोर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि गोलीबारी उत्तरी कश्मीर जिले के माछिल (जिसे माछल भी कहा जाता है) सेक्टर के कामकारी इलाके में हुई।

एक्स पर चिनार कोर ने बताया कि नियंत्रण रेखा पर माछल सेक्टर के कामकारी में एक अग्रिम चौकी पर अज्ञात कर्मियों के साथ गोलीबारी हुई है. एक पाकिस्तानी व्यक्ति मारा गया है, जबकि हमारे दो सैनिक घायल हुए हैं और उन्हें निकाला गया है. ऑपरेशन जारी है. घायल सैनिकों को निकटतम चिकित्सा सुविधा में ले जाया गया. यह घटना कुपवाड़ा में रात भर चली मुठभेड़ में एक आतंकवादी और भारतीय सेना के एक गैर-कमीशन अधिकारी (एनसीओ) के मारे जाने के तीन दिन बाद हुई है।

उत्तरी कश्मीर में ये घटनाएं जम्मू के सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकवादी हमलों और गोलीबारी में वृद्धि के बीच हुई हैं. 15 जुलाई को शुरू हुई ऐसी ही एक मुठभेड़ में डोडा में एक कैप्टन समेत चार सैन्यकर्मी मारे गए थे.

BAT हमले को कैसे नाकाम किया गया?

शनिवार को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के माछिल सेक्टर में भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (BAT) के हमले को नाकाम करने के बाद, सैन्य सूत्रों ने हमले और LoC पर वास्तव में क्या हुआ, इस बारे में अधिक जानकारी दी. उन्होंने कहा कि शनिवार की सुबह, तीन घुसपैठियों के एक समूह ने उत्तरी कश्मीर जिले के त्रेहगाम इलाके में कुमकडी इलाके के पास एक अग्रिम चौकी पर ग्रेनेड फेंका और गोलीबारी की. सूत्रों ने कहा कि सैनिकों ने जवाबी कार्रवाई की, जिससे दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई. मुठभेड़ में पांच सैनिक घायल हो गए और उनमें से एक ने बाद में दम तोड़ दिया. 

सूत्रों ने कहा कि एक पाकिस्तानी घुसपैठिया मारा गया है. उन्होंने कहा कि घंटों तक चली भीषण गोलीबारी के बीच दो घुसपैठिए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में लौटने में कामयाब रहे.

पुलिस ने पांच लाख के इनामी 3 आतंकवादियों के स्केच जारी किए:

जम्मू-कश्मीर (J-K) पुलिस ने डोडा के ऊपरी इलाकों और डोडा के जंगलों के उरार बागी देसा इलाके में हाल ही में हुए हमलों में शामिल आतंकवादियों के बारे में कोई भी जानकारी देने पर 5 लाख रुपये का नकद इनाम देने की घोषणा की है. अधिकारियों ने बताया कि डोडा पुलिस ने घटना में शामिल तीन संदिग्ध आतंकवादियों के स्केच जारी किए हैं.

इस मामले में जनता से अपील की गई है कि अगर किसी के पास संदिग्धों के बारे में कोई जानकारी है, तो प्रत्येक संदिग्ध को 5 लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा और सूचना देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी.

अधिकारियों ने बताया कि J&K पुलिस (जिला डोडा) आम जनता से इन आतंकवादियों की मौजूदगी/आंदोलन के बारे में निम्नलिखित संपर्क नंबरों पर जानकारी देने की अपील करती है.पुलिस ने कहा है कि सूचना देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी. सूचना देने के लिए पुलिस की ओर से ये नबंर जारी किये गये हैं.

एसएसपी डोडा - 954190420

एसपी मुख्यालय डोडा - 9797649362, 9541904202

एसपी ऑप्स डोडा - 954190420

डीवाईएसपी दार डोडा -9541904205

डीवाईएसपी मुख्यालय डोडा- 9541904207

एसएचओ पीएस डोडा-9419163516, 9541904211

एसएचओ पीएस देसा- 8082383906

आईसीपीपी बागला भारत- 7051484314, 9541904249

पीसीआर डोडा- 01996233530, 7298923100, 9469365174, 9103317361.

डोडा जिला, जिसे 2005 में आतंकवाद से मुक्त कर दिया गया था, ने 12 जून से हमलों की एक श्रृंखला देखी है, जब चत्तरगला दर्रे में एक आतंकवादी हमले में छह सुरक्षाकर्मी घायल हो गए थे. इस साल की शुरुआत से अब तक जम्मू प्रांत के छह जिलों में हुए करीब एक दर्जन आतंकी हमलों में 11 सुरक्षाकर्मियों, एक ग्राम रक्षा गार्ड और पांच आतंकवादियों सहित कुल 27 लोग मारे गए हैं. मृतकों में 9 जून को रियासी जिले के शिव खोरी मंदिर से लौट रहे सात तीर्थयात्री भी शामिल हैं.

दिल्ली:कोचिंग सेंटर में हुए हादसे को लेकर करोल बाग मेट्रो स्टेशन पर छात्रों ने किया विरोध प्रदर्शन


दिल्ली:- दिल्ली के राजेंद्र नगर की कोचिंग सेंटर में हुआ दर्दनाक हादसा सुर्खियों में हैं. छात्रों में इससे गुस्सा भरा हुआ है. करोल बाग मेट्रो स्टेशन के नीचे बड़ी संख्या में छात्र इकट्ठा हो गए हैं. वे विरोध कर रहे हैं। इस घटना ने छात्रों में गहरा रोष पैदा कर दिया है। करोल बाग मेट्रो स्टेशन (Karol Bagh Metro Station) के पास सैकड़ों की संख्या में छात्र एकत्र हुए और विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों ने “वी वॉन्ट जस्टिस” के नारे लगाए, वहीं पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटाने का प्रयास किया।

घटना का विवरण

घटना मध्य दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में हुई, जब भारी बारिश के बाद राव आईएएस कोचिंग (Rao IAS Coaching) सेंटर के बेसमेंट में पानी भर गया। इस हादसे में यूपीएससी (UPSC) परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की जान चली गई। अग्निशमन विभाग (डीएफएस) के अनुसार, शनिवार शाम करीब सात बजे कोचिंग सेंटर में जलभराव की सूचना मिली थी। जब बचावकर्मी मौके पर पहुंचे, तो उन्होंने बेसमेंट में पानी भरा पाया और तीन शव बरामद किए।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

मध्य दिल्ली के पुलिस उपायुक्त एम हर्षवर्धन ने कहा, “हमें शनिवार शाम सात बजे एक कोचिंग संस्थान के बेसमेंट में पानी भरने की सूचना मिली। कॉल करने वाले व्यक्ति ने बताया कि वहां कुछ लोगों के फंसे होने की आशंका है। हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि पूरे बेसमेंट में पानी कैसे भर गया। ऐसा लगता है कि बेसमेंट में बहुत तेजी से पानी भर गया, जिससे कुछ लोग अंदर फंस गए।”

दिल्ली सरकार का बयान

दिल्ली की मंत्री आतिशी ने इस घटना को दु:खद बताते हुए कहा कि इसमें दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय ने कहा, “राजेंद्र नगर में एक निजी कोचिंग संस्थान में कुछ अभ्यर्थी पानी भरने के कारण फंस गए और उनमें से तीन की जान चली गई। यह बहुत ही दुखद घटना है। इसकी गहन जांच किए जाने और मामले में सख्त कार्रवाई की जरूरत है। यह सुनिश्चित करना भी हमारी जिम्मेदारी है कि दिल्ली के किसी भी इलाके में ऐसी घटना दोबारा न हो।”

एनडीआरएफ और अग्निशमन विभाग की कार्रवाई

अधिकारियों के मुताबिक, एनडीआरएफ (NDRF) , स्थानीय पुलिस और अग्निशमन विभाग के कर्मियों ने घटनास्थल से तीन शव बरामद किए। मृतकों में एक छात्र और दो छात्राएं शामिल हैं। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी ने बताया कि बचावकर्मी जब मौके पर पहुंचे, तो उन्हें बेसमेंट में पानी भरा हुआ मिला। यह हादसा दिल्ली के कोचिंग संस्थानों में सुरक्षा की स्थिति पर सवाल खड़ा करता है। छात्रों की मौत ने पूरे शहर में दुख और गुस्से की लहर पैदा कर दी है।

छात्रों की मांग

प्रदर्शनकारी छात्रों ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि इस घटना से उन्हें गहरा सदमा लगा है और वे चाहते हैं कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। छात्रों का कहना है कि कोचिंग संस्थानों को छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए और इस मामले में लापरवाही बरतने वाले संस्थानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। प्रशासन और सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया से यह उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकेगा। छात्रों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि उनके भविष्य को सुरक्षित और सुरक्षित बनाया जा सके।

तिहाड़ जेल में फिर खूनी खेल! भाई की मौत का बदला लेने के लिए चाकू से हमला, दो कैदियों की हालत गंभीर


नई दिल्ली: तिहाड़ जेल के भीतर कैदियों पर हमले आम होते जा रहे हैं. ताजा घटना तिहाड़ जेल नंबर 9 में सामने आई, जहां तीन कैदियों ने हत्या के आरोप में बंद दो कैदियों पर नुकीली चीज से हमला कर दिया. इस घटना में दोनों कैदियों को गंभीर चोट आई है, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मामले में गौर करने वाली बात यह है कि जिन तीन कैदियों ने हमला किया, उनमें से एक के भाई की हत्या कुछ साल पहले हुई थी, जिसमें यही दो कैदी आरोपी थे।कहा जा रहा है कि अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए कैदी ने दो साथियों के साथ मिलकर यह हमला किया.

जेल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस जेल में लवली और लविश हत्या के आरोप में बंद है. दोनों पर तिहाड़ जेल में ही बंद लोकेश नाम के कैदी के भाई की हत्या का आरोप है. ऐसे में लोकेश ने अपने साथियों के साथ मिलकर लविश और लवली पर बदला लेने के लिए हमला किया. 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लवली और लविश ने वर्ष 2020 में विनय नाम के व्यक्ति की हत्या की थी, जिसके आरोप में वह जेल में बंद हैं. बाद में विनय का भाई लोकेश भी किसी मामले में गिरफ्तार होकर तिहाड़ जेल में आया और तभी से वह अपने भाई के मौत का बदला लेने की योजना बना रहा था. मौका मिलते ही उसने अपने साथी अभिषेक और हिमांशु के साथ मिलकर हमला कर दिया.

पहले भी भिड़े हैं कैदी: गौरतलब है कि, तिहाड़ जेल में हमले की यह पहली घटना नहीं है. इसी साल अप्रैल माह में भी जेल नंबर तीन में दो गिरोह के कैदी आपस में भिड़ गए थे, जिसमें कुल चार कैदी घायल हो गए थे. 

घटना में कैदियों पर धारदार हथियार का इस्तेमाल किया गया था. बताया गया था कि यह हमला भी वर्चस्व की लड़ाई के लिए किया गया था.

टिल्लू ताजपुरिया की हुई थी

हत्या: गौरतलब है कि पिछले साल मई महीने में गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या तिहाड़ जेल में कर दी गई थी. हत्या के दौरान जेल नंबर आठ में बंद योगेश टूंडा ने उसपर लोहे की ग्रिल से वार किया था, जिसमें एक अन्य कैदी भी घायल हो गया था. घटना के बाद उसे दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल ले जाया गया था, जहां उसे मृत घोषित कर दिया था. यह मामला काफी दिनों तक सुर्खियों में रहा था।

आइए जानते है 370 साल पुराना चांदनी चौक का इतिहास आखिर शाहजहा ने क्यों रखा ये नाम


दिल्ली का चांदनी चौक, देश के सबसे पुरानी और प्रसिद्ध बाजारों में से एक है। इसकी स्थापना 1650 में मुग़ल सम्राट शाहजहाँ द्वारा की गई थी। इसके नाम की उत्पत्ति और इसके इतिहास से जुड़े कई रोचक तथ्य हैं।

चांदनी चौक की स्थापना

शाहजहाँ ने अपने शासनकाल में कई भव्य इमारतों और संरचनाओं का निर्माण किया। चांदनी चौक को उन्होंने अपनी बेटी जहाँआरा बेगम के निर्देश पर बनवाया था। इस बाजार की डिज़ाइन और निर्माण का प्रमुख उद्देश्य था एक ऐसा केंद्र स्थापित करना जहाँ शहर के लोग खरीदारी कर सकें और सामाजिक गतिविधियों में भाग ले सकें।

नामकरण का रहस्य

चांदनी चौक का नाम एक विशेष तालाब से प्रेरित था जो बाजार के बीचों-बीच स्थित था। इस तालाब में चांद की रोशनी प्रतिबिंबित होती थी, जिससे रात में यह जगह और भी आकर्षक दिखती थी। इसी वजह से इस बाजार का नाम "चांदनी चौक" रखा गया। "चांदनी" का मतलब चांदनी रात की रोशनी और "चौक" का मतलब चौक या बाजार होता है। यह तालाब आज तो नहीं है, लेकिन इसका नाम चांदनी चौक में आज भी जिंदा है।

व्यापार और संस्कृति का केंद्र

चांदनी चौक सिर्फ एक बाजार नहीं था, बल्कि यह व्यापार और संस्कृति का प्रमुख केंद्र था। यहां विभिन्न प्रकार के व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियां होती थीं। कपड़ा, गहने, मसाले, और भोजन यहां के प्रमुख व्यापारिक उत्पाद थे। यहाँ की गलियों में विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के लोग बसते थे, जिससे यह जगह एक सांस्कृतिक संगम बन गई थी।

ऐतिहासिक धरोहर

आज, चांदनी चौक अपने समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर के कारण एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां की गलियों में आज भी वही पुरानी रौनक है, और बाजार के अंदर स्थित पुरानी हवेलियाँ, मंदिर, और मस्जिदें यहाँ की ऐतिहासिक महत्ता को जीवंत रखती हैं।

वर्तमान में चांदनी चौक

आज भी चांदनी चौक दिल्ली के दिल में बसा हुआ है। यहां के बाजारों में आज भी वैसा ही उत्साह और रौनक है जैसे 370 साल पहले हुआ करती थी। चांदनी चौक का हर कोना, हर गली अपने आप में एक कहानी कहती है और यह दिल्ली के समृद्ध इतिहास और संस्कृति का प्रतीक है।

निष्कर्ष

चांदनी चौक सिर्फ एक बाजार नहीं, बल्कि यह एक ऐतिहासिक धरोहर है जो शाहजहाँ के शासनकाल की शानदार वास्तुकला और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है। इस बाजार का नाम और इसका इतिहास हमेशा दिल्ली और भारत के दिल में बसा रहेगा।

आज का इतिहास:1979 में आज ही के दिन देश के 5वें प्रधानमंत्री बने थे ‘किसान नेता’ चौधरी चरण सिंह


नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 28 जुलाई का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई है।b

28 जुलाई का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1914 में आज ही के दिन प्रथम विश्‍व युद्ध की शुरुआत हुई थी। इस विश्व युद्ध को ग्रेट वार या ग्लोबल वार भी कहा जाता है। इस युद्ध के 20 साल बाद द्वितीय विश्व युद्ध भी हुआ था।

हर साल 28 जुलाई को दुनियाभर में विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। 

1979 में आज ही के दिन चौधरी चरण सिंह देश के 5वें प्राइम मिनिस्टर बने थे। 1995 में 28 जुलाई को ही वियतनाम आसियान का सदस्य बना था। हर साल 28 जुलाई को दुनियाभर में विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है।

28 जुलाई का इतिहास (28 July Ka Itihas) इस प्रकार हैः

2014 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इजरायल और हमास के बीच मानवता के आधार पर संघर्ष विराम के लिए आपात बैठक बुलाई थी।

2005 में आज ही के दिन सौरमंडल के 10वें ग्रह की खोज का दावा किया गया था।

2005 में 28 जुलाई को ही आयरिश रिपब्लिकन आर्मी ने अपने सशस्त्र संघर्ष को रोकने का ऐलान और लोकतांत्रिक तरीके से अपना अभियान चलाने के लिए कहा था।

1995 में आज ही के दिन वियतनाम आसियान का सदस्य बना था।

1979 में 28 जुलाई को ही चौधरी चरण सिंह देश के 5वें प्राइम मिनिस्टर बने थे।

1983 में आज ही के दिन नासा ने वाणिज्यिक संचार उपग्रह टेल्सटार-3ए का प्रक्षेपण किया था।

1964 में 28 जुलाई को ही चंद्रमा की तरफ रेंजर-7 का प्रक्षेपण हुआ था।

1959 में आज ही के दिन ग्रेट ब्रिटेन में डाक कोड का प्रयोग शुरू हुआ था।

1928 में 28 जुलाई को ही नीदरलैंड के एम्सटर्डम में नौवें ओलंपिक खेल का शुभारंभ हुआ था।

1925 में आज ही के दिन से विश्‍व हेपेटाइटिस डे मनाया जाता है।

1914 में 28 जुलाई को ही प्रथम विश्‍व युद्ध की शुरुआत हुई थी।

1821 में 28 जुलाई के दिन ही पेरू ने स्पेन से स्वतंत्रता की घोषणा की थी।

1742 में आज ही के दिन प्रशिया और ऑस्ट्रिया ने शांति समझौते पर साइन किए थे। 

28 जुलाई का इतिहास जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1858 में आज ही के दिन उंगलियों के निशान को पहचान बनाने वाले ब्रिटिश विलियम जेम्‍स हर्शेल का जन्म हुआ था।

1925 में 28 जुलाई के दिन ही हेपेटाइटिस का टीका खोजने वाले बारुक ब्‍लमर्ग का जन्‍म हुआ था।

1957 में आज ही के दिन हिंदी के कवि, लेखक और रूसी तथा अंग्रेज़ी भाषाओं के साहित्य अनुवादक अनिल जनविजय का जन्म हुआ था।

1983 में 28 जुलाई के दिन ही भारतीय कलाकार, चित्रकार और उद्यमी सुविज्ञ शर्मा का जन्म हुआ था।

28 जुलाई को हुए निधन

2017 में 28 जुलाई के दिन ही भारतीय हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध सहायक अभिनेताओं में से एक इंद्र कुमार का निधन हुआ था।

2016 में आज ही के दिन भारत की सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका महाश्वेता देवी का निधन हुआ था।

28 जुलाई को प्रमुख उत्सव

विश्व हेपेटाइटिस दिवस ‎

विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस।

अगर इन कारणों से आ गए आपके रिश्ते में दरार ,तो ऐसे बचाए अपने प्यार भरे रिश्ते को


दिल्ली:- प्यार के रिश्ते में बंधना तो आसान होता है लेकिन इस रिश्ते को संभाल कर रखना बेहद मुश्किल भरा काम होता है। व्यस्त जीवनशैली के कारण कई बार चाहकर भी पार्टनर के लिए समय नहीं निकल पाता है। और इसी वजह से अक्सर रिश्ते जल्दी टूट जाते हैं। वहीं कई बार पार्टनर का किसी अनजान लोगों से घुलना मिलना भी रिश्ते में दरार का कारण बनता है। लेकिन रिश्ता टूटने से दोनों लोगों की जिंदगी पर बहुत असर पड़ता है।

प्यार भरे रिश्ते में दरार आना एक आम बात है, लेकिन इसे समय रहते पहचानकर और सुधार कर रिश्ते को बचाया जा सकता है। यहां कुछ प्रमुख कारण और उनके समाधान दिए गए हैं:

कारण:

संचार की कमी:

 एक दूसरे के साथ सही तरीके से संवाद न करना रिश्ते में दरार का मुख्य कारण हो सकता है।

विश्वास की कमी:

 अगर किसी भी कारण से एक दूसरे पर विश्वास नहीं है, तो यह रिश्ते को कमजोर कर सकता है।

समय की कमी:

 एक दूसरे के लिए पर्याप्त समय न निकाल पाना भी रिश्ते में दूरियाँ ला सकता है।

अलग-अलग प्राथमिकताएँ:

 जीवन की प्राथमिकताओं में अंतर भी रिश्ते को प्रभावित कर सकता है।

इगो और आत्मसम्मान: एक दूसरे के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाना या अपनी इगो को ऊपर रखना रिश्ते को नुकसान पहुँचा सकता है।

बाहरी हस्तक्षेप: परिवार, दोस्त या अन्य बाहरी लोग भी रिश्ते में तनाव ला सकते हैं।

समाधान:

संचार में सुधार करें: खुलकर बात करें और अपने विचारों को स्पष्ट रूप से साझा करें। एक दूसरे की बातें ध्यान से सुनें और समझें।

विश्वास बनाए रखें

एक दूसरे पर विश्वास बनाए रखें और किसी भी समस्या का समाधान साथ मिलकर करें। ईमानदारी से काम लें।

समय निकालें:

 व्यस्त जीवनशैली में भी एक दूसरे के लिए समय निकालें। साथ में बिताए गए छोटे-छोटे पल भी महत्वपूर्ण होते हैं।

सामंजस्य बैठाएं:

 एक दूसरे की प्राथमिकताओं को समझें और उन पर चर्चा करें। मिलकर समझौते करें।

सम्मान और समझ:

 एक दूसरे के आत्मसम्मान का ध्यान रखें और इगो को बीच में न आने दें।

बाहरी हस्तक्षेप को सीमित करें: रिश्ते में बाहरी लोगों का हस्तक्षेप कम से कम रखें और महत्वपूर्ण निर्णय खुद मिलकर लें।

अन्य सुझाव:

रोमांस को बनाए रखें: रिश्ते में रोमांस और प्यार को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। छोटे-छोटे सरप्राइज, गिफ्ट्स और तारीफों से प्यार को ताज़ा रखें।

साथ में गतिविधियाँ करें:

 एक साथ कुछ नए और मजेदार गतिविधियों में शामिल हों, जैसे कि ट्रिप पर जाना, कुकिंग करना, या किसी हॉबी को साथ में करना।

सहयोग और समर्थन:

 एक दूसरे के सपनों और लक्ष्यों में सहयोग और समर्थन दें।

इन सुझावों को अपनाकर आप अपने प्यार भरे रिश्ते को दरार से बचा सकते हैं और इसे मजबूत बना सकते हैं।