एम्स गोरखपुर में योग्यता-आधारित चिकित्सा शिक्षा एवं एकीकृत शिक्षण कार्यशाला का आयोजन
गोरखपुर, चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर ने जिपमेर पुडुचेरी के सहयोग से योग्यता-आधारित चिकित्सा शिक्षा (उइटए) एवं एकीकृत शिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया। एम्स गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर, (डॉ.) गोपाल कृष्णा पाल की अध्यक्षता में उद्घाटन समारोह में एक दिवसीय गहन प्रशिक्षण सत्र की शुरूआत हुई, जिसमें संकाय सदस्यों, रेजिडेंट डॉक्टरों और तकनीशियनों ने भाग लिया।
एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निर्देशिका प्रोफेसर, (डॉ.) गोपाल कृष्णा पाल ने चिकित्सा स्नातक शिक्षा में उच्चतम गुणवत्ता मानकों के प्रति संस्थान की अटूट प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए एकीकृत शिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन किया। निदेशक ने एकीकृत शिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला एवं चिकित्सा शिक्षा की उपयोगिता एवं आवशयकता पर बल दिया, जो अंतत: बेहतर रोगी देखभाल में योगदान देता है।
कार्यक्रम के दौरान, एम्स गोरखपुर की अकादमिक डीन प्रोफेसर महिमा मित्तल ने योग्यता-आधारित चिकित्सा शिक्षा (उइटए) एवं एकीकृत शिक्षण के सकारात्मक प्रभाव के बारे में आशावाद व्यक्त किया। अपने संबोधन में, डीन ने इस बात पर जोर दिया कि प्रशिक्षण पहल चिकित्सा पेशेवरों को नवीनतम शिक्षण पद्धतियों और सर्वोत्तम प्रथाओं से लैस करेगी, एवं विश्वस्तरीय चिकित्सा शिक्षण के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देगी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में बायोकेमिस्ट्री, एनाटोमी एवं फिजियोलॉजी विभागों के डॉक्टरों, छात्रों और तकनीशियनों सहित एक विविध समूह की सक्रिय भागीदारी देखी गई, जो शिक्षण उत्कृष्टता प्राप्त करने की दिशा में सामूहिक प्रयास का प्रदर्शन करता है। सहयोगात्मक शिक्षण वातावरण ने मूल्यवान बातचीत की अनुमति दी, जिससे मान्यता प्रक्रिया की समग्र समझ सुनिश्चित हुई।
शिक्षा कार्यशाला में जिपमेर पुडुचेरी से प्रो प्रभति पाल, प्रो शर्बरी बासु, एवं प्रो० सुमा एच व्हाई ने प्रशिक्षण प्रदान किया । उनकी विशेषज्ञता और मार्गदर्शन, प्रतिभागियों को आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करने में सहायक थे, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि ये उत्कृष्ठ कार्यशाला अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके क एकीकृत शिक्षण एक शिक्षण सिद्धांत है जो एकीकृत पाठों का वर्णन करता है जो छात्रों को पाठ्यक्रमों में संबंध बनाने में मदद करता है । एकीकृत अध्ययन में पारंपरिक रूप से अलग-अलग विषयों को एक साथ लाना शामिल है ताकि छात्र अधिक प्रामाणिक समझ हासिल कर सकें।
प्रशिक्षण सत्र का संचालन मेडिकल एजुकेशन समिति की एक कुशल टीम द्वारा किया गया, जिसका नेतृत्व डॉ आकाश बंसल ने किया। इस कार्यक्रम के दौरान डीन रिसर्च प्रो० हरिशंकर जोशी, डीन एग्जाम प्रो० मनोज सौरभ, डॉ संगीता गुप्ता एवं डॉ सतीश रवि उपस्थित रहे।
Jul 27 2024, 17:48