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Jul 24 2024, 19:56

भारत ने चाबहार के लिए खोला खजाना, बजट में 100 करोड़ रुपए आवंटित

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ईरान और भारत ने मई में ही चाबहार पोर्ट को लेकर बड़ी डील की थी। इस डील के मुताबिक भारत को चाबहार पोर्ट का 10 साल चलाने तक संचालन करना है। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के कार्यकाल में जब यह डील हुई तो कुछ घंटों बाद ही अमेरिका ने धमकी दी थी।डील के तुरंत बाद ही अमेरिका ने प्रतिबंधों की धमकी का ऐलान किया था। अमेरिका ने कहा था कि ईरान के साथ कुछ सौदों पर विचार करने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रतिबंधों के जोखिम के बारे में पता होना चाहिए। हालांकि भारत सरकार ने इस दरकिनार कर दिया था। अब मंगलवार को आए आम बजट में भी इसको लेकर कुछ ऐलान किए गए। सरकार ने बजट में चाबहार पोर्ट के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

चाबहार पोर्ट भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। भारत ने लैंडलॉक्ड अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह समझौता किया। इसके जरिए चीन को दरकिनार किया जाएगा। साथ ही पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को भी इग्नोर कर अफगानिस्तान पर भी प्रभाव डाला जाएगा। ऐसे में चाबहार पोर्ट भारत के लिए काफी अहम है। यही वजह है कि चाबहार बंदरगाह के लिए लगातार चौथे वर्ष भारत ने 100 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। यह दिखाता है कि अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत इस प्रोजेक्ट में ईरान के साथ है। 

एक बड़ी बाधा ईरान के खिलाफ अमेरिका के प्रतिबंध हैं। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ वैश्विक निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ओर से ईरान को ब्लैकलिस्ट करना और इलेक्ट्रॉनिक अंतरराष्ट्रीय भुगतान की स्विफ्ट प्रणाली तक ईरान की पहुंच की कमी होना शामिल है। ईरान डॉलर में लेन-देन नहीं कर सकता है। लेकिन सिर्फ यहीं समस्याएं नहीं हैं। बल्कि लॉजिस्टिक से जुड़ी बाधाएं भी हैं। ईरान ने दो रेलवे लाइनों को पूरा करने में देरी की है।

13 मई को भारत और ईरान के बीच एक डील हुई थी। इसके तहत भारत ने ईरान के चाबहार में शाहिद बेहेशती पोर्ट को 10 साल के लिए लीज पर लिया था। अब पोर्ट का पूरा मैनेजमेंट भारत के पास होगा। भारत और ईरान दो दशक से चाबहार पर काम कर रहे हैं। भारत दुनियाभर में अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है। चाबहार पोर्ट इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। भारत इस पोर्ट की मदद से ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। ईरान और भारत ने 2018 में चाबहार पोर्ट तैयार करने का समझौता किया था।

चाबहार को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट की तुलना में भारत के रणनीतिक पोर्ट के तौर पर देखा जा रहा है। यह बंदरगाह के विकास के बाद से अफगानिस्तान माल भेजने का यह सबसे अच्छा रास्ता है। भारत अफगानिस्तान को गेंहू भी इस रास्ते से भेज रहा है। अफगानिस्तान के अलावा यह पोर्ट भारत के लिए मध्य एशियाई देशों के भी रास्ते खोलेगा। इन देशों से गैस और तेल भी इस पोर्ट के जरिए लाया जा सकता है।

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Jul 24 2024, 18:43

मोंगला पोर्ट पर भारत ने चीन को दी जोरदार “पटखनी”, कितनी अहम है ये कामयाबी?

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ईरान के चाबहार और म्यांमार में सित्तवे के लिए सफल समझौतों के बाद, भारत बांग्लादेश में मोंगला बंदरगाह पर एक टर्मिनल संचालित करने के लिए तैयार है। भारत ने बांग्लादेश के मोंगला बंदरगाह के एक टर्मिनल पर संचालन का अधिकार हासिल कर लिया है। यह भारत द्वारा तीसरा विदेशी बंदरगाह संचालन होगा क्योंकि नई दिल्ली बंदरगाहों और शिपिंग क्षेत्र में अपने वाणिज्यिक हितों का विस्तार करने के लिए विदेश में जाने में संकोच को तेजी से दूर कर रहा है। हालांकि, मोंगला पोर्ट के सौदे का विवरण अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस टर्मिनल का संचालन इंडिया बंदरगाह ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) के द्वारा किया जाएगा।

हिंद महासागर में चीन को काउंटर करने की कोशिश

हिंद महासागर और बांग्लादेश में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच विश्लेषक इसे भारत की रणनीतिक जीत बता रहे हैं। चीन भी इस बंदरगाह पर अपनी नजर बनाए हुए था। भारत की इस डील को हिंद महासागर में चीन को काउंटर करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। मोंगला पोर्ट के संचालन से भारत अपने पड़ोसी चीन की बढ़ती रणनीतिक उपस्थिति का मुकाबला करने में और सक्षम हो जाएगा। इसके साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र के पश्चिमी और पूर्वी दोनों हिस्सों में बंदरगाहों का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन जिबूती में 652 करोड़ और पाकिस्तान के ग्वादर में 1.3 लाख करोड़ की मदद से बंदरगाह बना रहा है।

भारत के लिए कनेक्टिविटी के लिहाज से भी अहम

मोंगला बंदरगाह डील भारत के लिए कनेक्टिविटी के लिहाज से अहम है। इस बंदरगाह के जरिए भारत को उत्तर-पूर्व के राज्यों तक कनेक्टिविटी को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे चिकन नेक या सिलिगुड़ी कॉरीडोर पर दबाव कम होगा। मोंगला बंदरगाह पर भारत की पहुंच इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चटगांव के बाद बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा बंदरगाह है।

बता दें कि भारत ने हाल के दिनों में वैश्विक समुद्री दौड़ में चीन का मुकाबला करने के लिए विदेशी बंदरगाहों पर नियंत्रण हासिल करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। कंटेनर ट्रैफिक के मामले में टॉप 10 बंदरगाह में भारत का एक भी बंदरगाह शामिल नहीं हैं। जबकि टॉप 10 में चीन के 6 बंदरगाह शामिल हैं। वहीं, चीन अब तक 63 से ज्यादा देशों के 100 से ज्यादा बंदरगाहों में निवेश कर चुका है। मोंगला बंदरगाह का संचालन, हिंद महासागर में भारत की बंदरगाह संचालन की क्षमताओं को दिखाने का अच्छा मौका है।

मोंगला बंदरगाह सौदा पिछले महीने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की दो दिवसीय भारत यात्रा के बाद हुआ है। इस यात्रा के दौरान उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। दोनों देशों ने समुद्री क्षेत्र सहित कई सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए। भारत के बाद हसीना चीन की यात्रा पर गई थीं, लेकिन दौरे के बीच में ही लौट आई थीं। इसके ठीक बाद उन्होंने तीस्ता प्रोजेक्ट भारत को देने की घोषणा की थी।

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Jul 24 2024, 16:27

संसद में किसानों से मिले राहुल गांधी, बोले- एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए सरकार पर डालेंगे दबाव

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कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आज संसद में किसान नेताओं से मुलाकात की। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के बैनर तले 12 किसान नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल संसद में राहुल से मिलने पहुंचा और अपनी मांगों का एक पत्र सौंपा।बैठक के बाद राहुल ने कहा कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी के लिए सरकार पर दबाव डालेंगे।

लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने किसान नेताओं को संसद में अपने कार्यालय में मिलने के लिए बुलाया था। मगर बवाल तब हो गया, जब किसानों को संसद के अंदर नहीं आने दिया। हालांकि, हंगामे और विरोध के बाद किसान नेताओं के 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने लोकसभा प्रतिपक्ष नेता से मुलाकात की।

किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के तत्वावधान में देशभर से आए 12 किसान नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने राहुल गांधी से मुलाकात की। किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने राहुल गांधी के सामने प्राइवेट मेंबर्स बिल (निजी सदस्य विधेयक) लाने की बात रखी है। 

किसान नेताओं से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा, 'हमने अपने घोषणापत्र में कानूनी गारंटी के साथ एमएसपी का जिक्र किया है। हमने आकलन किया है और इसे लागू किया जा सकता है। हमने अभी एक बैठक की, जिसमें तय किया गया कि हम विपक्षी गठबंधन के दूसरे नेताओं से बात करेंगे और सरकार पर दबाव डालेंगे कि देश के किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी दी जाए।'

क्या होता है प्राइवेट मेंबर बिल?

यह एक विधेयक है, जिसे संसद में मंत्री के बदले लोकसभा के सांसद पेश करते हैं। मंत्री जो विधेयक पेश करते हैं, उसे सरकारी विधेयक कहा जाता है। वहीं सांसद द्वारा पेश करने की वजह से इसे निजी विधेयक कहा जाता है। निजी विधेयक राज्यसभा या लोकसभा किसी में भी पेश किया जा सकता है। सदन में स्पीकर और सभापति के विचार करने के बाद इस पर बहस कराई जाती है. बहस के बाद जरूरत पड़ने पर वोटिंग भी कराई जाती है। देश के इतिहास में अब तक 14 निजी विधेयक कानून बन गए हैं। इनमें लोकसभा की कार्यवाही और सांसदों के वेतन भत्ते से जुड़े निजी विधेयक महत्वपूर्ण हैं. आखिरी बार 2021 में राज्यसभा में संविधान के प्रस्तावना में संशोधन को लेकर एक प्राइवेट मेंबर बिल सुर्खियों में आया था।

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Jul 24 2024, 16:05

दिव्यांगजन सशक्तिकरण पर 1225 करोड़ खर्च करेगी सरकार, बजट में किया ऐलान

 दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग को वित्त वर्ष 2024-2025 में कुल 1,225.27 करोड़ रूपए आवंटित किए गए हैं। ये गत वर्ष के संशोधित अनुमान 1,225.01 करोड़ से 0.02 प्रतिशत की मामूली वृद्धि है। बजट में विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं के माध्यम से दिव्यांग व्यक्तियों के जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से प्रमुख कार्यक्रमों को जारी रखने और विस्तार देने पर जोर दिया गया है।

बजट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम को समर्पित है, जिसमें इस वित्तीय वर्ष के लिए 615.33 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जो 2023-24 के संशोधित बजट में 502 करोड़ से अधिक है। दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग को वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल 1,225.27 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जो पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान 1,225.01 करोड़ से 0.02 प्रतिशत की मामूली वृद्धि है। इस कार्यक्रम में दिव्यांग व्यक्तियों को सहायक उपकरण खरीदने/फिट करने के लिए सहायता हेतु 315 करोड़ रुपये शामिल हैं, जो पहले 305 करोड़ रुपये था। दीनदयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 130 करोड़ रुपये से बढ़कर 165.00 करोड़ रुपये हो गया है।

इसके अतिरिक्त, दिव्यांगजन अधिनियम के कार्यान्वयन की योजना के लिए 135 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं , जो पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान 67 करोड़ रुपये से दोगुने से भी अधिक है। शैक्षिक सहायता सरकार की प्राथमिकता बनी हुई है, जिसको देखते हुए दिव्यांग छात्रों के लिए छात्रवृत्ति के लिए 142.68 करोड़ निर्धारित किए गए हैं।

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Jul 24 2024, 16:04

अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स को लेकर आई अच्छी खबर, नासा ने वापसी पर दी यह बड़ी जानकारी

नासा की भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर करीब डेढ़ महीने से अतंरिक्ष में फंसे हैं। बोइंग स्टारलाइनर में खराबी आने की वजह से दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की अभी तक वापस नहीं हो पाई है। अब इस बीच अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर अच्छी खबर आई है। नासा और बोइंग के इंजीनियर ने स्टारलाइनर स्पेसशिप के थ्रस्टर के परीक्षण का काम पूरा कर चुके हैं। अंतरिक्ष यान की वापसी की योजना तैयार करने के लिए नासा और बोइंग इन परीक्षणों का इंतजार कर रहे थे। बीते सप्ताह के आखिरी में जारी एक अपडेट में बताया गया है कि 'न्यू मैक्सिको में व्हाइट सैंड्स टेस्ट फैसिलिटी में स्टारलाइनर रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम थ्रस्टर का ग्राउंड परीक्षण पूरा हो चुका है। अब टीम का ध्यान डेटा समीक्षा पर है।

 अंतरिक्ष यान सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर पांच जून को लेकर गया था। अंतरिक्ष यात्रियों का यह मिशन सिर्फ आठ दिन का ही था। बोइंग स्टारलाइनर की यह पहली उड़ान थी। पांच जून को सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान में बैठकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर गए थे। दोनों को एक सप्ताह तक वहां रहकर काम पूरा करने के बाद लौटना था , लेकिन अंतरिक्ष यान में हीलियम लीक और थ्रस्टर में खराबी के कारण उनकी वापसी को टाल दिया गया। दोनों अंतरिक्ष यात्री बीते डेढ़ महीने से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रुके हुए हैं। इंजीनियर अंतरिक्ष यान में आई खराबी को ठीक करके उसे वापसी के लिए तैयार करने में लगे थे। ताजा जानकारी में बताया गया है कि थ्रस्टर में आई खराबी का निरीक्षण करना था , जिससे टीम यह समझ सके कि उड़ान के दौरान कुछ थ्रस्टरों ने क्यों काम करना बंद कर दिया था। इसके साथ ही यह भी पता लगाना था कि उन थ्रस्टरों को फिर से इस्तेमाल करने पर क्रू फ्लाइट टेस्ट के बाकी हिस्से पर क्या असर हो सकता है? 

थ्रस्टर्स को नियंत्रित करने वाले हीलियम के टैंक अंतरिक्ष यान की लॉन्चिंग से पहले लीक कर रहा था। इसके कारण लॉन्चिंग में देरी हुई थी। बीते महीने अधिकारियों ने बताया था कि अंतरिक्ष यान में 70 घंटे की हीलियम है तो वहीं इसकी वापसी के लिए सिर्फ 07 घंटे की हीलियम की जरूरत है।

इस महीने की शुरुआत में अधिकारियों ने बताया था कि अगर आवश्यकता पड़ती है तो अंतरिक्ष यान अभी लौट सकता है। लेकिन यह भी कहा कि वे ऐसा करने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं। नासा और बोइंग ने बताया है कि इस महीने के आखिरी में वापसी की उड़ान हो सकती है।

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Jul 24 2024, 16:02

दो की थाली में पकौड़ा और बाकी की थाली खाली है', बजट पर विपक्ष का जोरदार हंगामा

हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया था. इस बजट का विरोध करते हुए सड़क से संसद तक विपक्ष आक्रामक है. विपक्षी इंडिया ब्लॉक के सदस्यों ने संसद की कार्यवाही आरम्भ होने से पहले विरोध-प्रदर्शन किया. संसद की कार्यवाही आरम्भ होने पर विपक्षी सदस्यों ने दोनों सदनों में जोरदार हंगामा किया. राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने उच्च सदन में बजट की निंदा करते हुए कहा कि 2 की थाली में पकौड़ा तथा बाकी की थाली खाली है.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आज जिस प्रकार से हमारी लोकसभा एवं राज्यसभा चल रही है, आप भी जानते हैं. मैं उस बहस में नहीं जाना चाहता. उन्होंने कहा कि कल जो बजट पेश हुआ, दो प्रदेशों को छोड़कर किसी को कुछ नहीं मिला. राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने ओडिशा से लेकर दिल्ली तक के नाम गिनाए तथा कहा कि हमको तो उम्मीद थी कि सबसे अधिक हमें ही मिलेगा. हमको तो कुछ नहीं मिला. हम इंडिया ब्लॉक के सांसद इसकी निंदा करते हैं. यह किसी को खुश करने के लिए है.

मल्लिकार्जुन खड़गे जब बोल रहे थे, सदन में उपस्थित वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ कहा. इस पर खड़गे ने कहा कि रुक जाइए, माताजी बोलने में एक्सपर्ट हैं. मुझे मालूम है. खड़गे के इतना कहने के बाद आसन पर उपस्थित सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि ये तो आपकी बेटी के बराबर हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसके पश्चात् बोलना जारी रखा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में विपक्ष के पक्षपातपूर्ण बजट के आरोप पर कहा कि प्रत्येक बजट में आपको इस देश के हर राज्य का नाम लेने का अवसर नहीं प्राप्त होता. कैबिनेट ने महाराष्ट्र के वडावन में बंदरगाह बनाने का फैसला किया था मगर कल बजट में महाराष्ट्र का नाम नहीं लिया गया. उन्होंने सवाल किया कि क्या इसका मतलब यह है कि महाराष्ट्र उपेक्षित महसूस करे?

निर्मला सीतारमण ने कहा कि अगर भाषण में किसी विशेष राज्य का नाम लिया गया है तो क्या इसका मतलब यह है कि भारत सरकार के कार्यक्रम बाकी प्रदेशों में नहीं जाते हैं? उन्होंने कहा कि कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष की तरफ से यह लोगों में इस प्रकार का इम्प्रेशन बनाने की कोशिश है कि हमारे प्रदेश को कुछ नहीं मिला है. यह अपमानजनक आरोप है.

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Jul 24 2024, 16:01

मोदी सरकार में विदेशी निवेशकों को रिझाने की कोशिश, जानें चीन को कैसे झटका लगेगा ?

#china_in_tension_after_budget_2024_corporate_tax_on_foreign_companies_reduced

केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट घोषणा कर दी है। बजट में सरकार ने विदेशी कंपनियों के कॉरपोरेट टैक्स को कम करने का प्रस्ताव रखा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण के दौरान कहा कि देश की जरुरत के हिसाब से विदेशी पूंजी को आकर्षित करने के लिए विदेशी कंपनियों पर कॉर्पोरेट टैक्स को 40 फीसदी से घटाकर 35 फीसदी करने का प्रस्ताव रखा जाता है। सरकार के इस फैसले को स्ट्रैटिजिक तौर पर बड़ा कदम माना जा रहा है। ये फैसला विदेशी कंपनियों को भारत की ओर आकर्षित करेगा। वहीं भारत को चीन का विकल्प बनने में मदद करेगा।

उम्मीद की जा रही है कि ये बजट सरकार के 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के टारगेट को हासिल करने में काफी मददगार साबित हो सकता है। साथ ही विदेशी कंपनियों के लिए टैक्स कटौती से इस प्रयास में काफी मदद मिल सकती है। यह बजट भारत को ग्लोबल इकोनॉमिक प्लेयर बनने में मदद करेगा, जिसमें एफडीआई को आकर्षित करने पर जोर दिया गया है। खुद को ग्लोबल फैक्ट्री या यूं कहें कि ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग सेंटर के रूप में स्थापित करके, भारत न केवल अपने लोकल मार्केट्स के लिए उत्पादन करना चाहता है बल्कि दुनिया के लिए भी प्रोडक्शन करना चाहता है।

जब पूरी दुनिया की नजर दक्षिण एशिया पर टिकी हुई है। साथ ही दुनिया की बड़ी कंपनियां चीन का विकल्प तलाश करने में जुटी हुई हैं। ऐसे में भारत अपने आपको दुनिया के सामने चीन का ऑप्शन बताने का प्रयास कर रहा है। सरकार का लक्ष्य अगले सात सालों में सालाना 110 अरब डॉलर का एफडीआई आकर्षित करना है, जबकि पिछले पांच वर्षों में यह औसतन 70 अरब डॉलर से अधिक है। बजट में अधिक विदेशी धन आकर्षित करने, प्राथमिकता तय करने और विदेशी निवेश के लिए करेंसी के रूप में भारतीय रुपए का उपयोग करने के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए एफडीआई के लिए रूल्स और रेगुलेशन को आसान बनाने का प्रयास किया गया है।

भारत ने हाल ही में एपल और फॉक्सकॉन से लेकर विनफास्ट और स्टेलेंटिस जैसी कई कंपनियों को भारत में अपनी निवेश घोषणाओं को करने के लिए मजबूर किया है। वहीं दूसरी ओर टेस्ला और दुनिया की बाकी बड़ी कंपनियों को भी रिझाने का प्रयास कर रही हैं। वहीं दूसरी ओर इन कंपनियों को भी पता है कि मौजूदा समय में भारत ही चीन का दूसरा सबसे बड़ा विकल्प है। जहां पर आबादी के साथ—साथ खर्च करने की क्षमता भी है। फॉक्सकॉन भारत में निवेश और व्यापार साझेदारी को दोगुना कर रहा है। कंपनी अब चीन से बाहर अपनी सप्लाई चेन को बढ़ाने के बारे में सोच रही है। जिसके लिए कंपनी ने इस साल की शुरुआत में चेन्नई इंडस्ट्रियल पार्क में लगभग 550,000 वर्ग फुट वेयरहाउसिंग की जगह 10 साल के लिए लीज पर ली है। इसे एपल प्रोडक्ट्स के लिए निर्माण के लिए भारत में सबसे बड़ी यूनिट में से एक कहा जा सकता है।

बजट से पहले सोमवार (22 जुलाई) को पेश इकोनॉमिक सर्वे 2023-24 में चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और निर्यात बाजार का फायदा उठाने के लिए चीन से एफडीआई को बढ़ाने की बात कही गई थी। इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि अमेरिका और यूरोप के देश चीन से अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को हटा रहे हैं, लिहाजा चीनी कंपनियों का भारत में निवेश करना और फिर प्रोडक्ट्स का इन बाजारों में निर्यात करना ज्यादा कारगर हो सकता है।

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Jul 24 2024, 15:57

खामी के पर्याप्त सबूत नहीं...दोबारा नहीं होगी NEET परीक्षा, आ गया सुप्रीम कोर्ट का फाइनल फैसला

NEET केस की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देने से इनकार कर दिया है. नीट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. सीजेआई की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि दोबारा परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि परीक्षा की पवित्रता का उल्लंघन किया गया था. 

चीफ जस्ट‍िस की बेंच ने फैसला सुरक्ष‍ित करते हुए कहा था कि इन मामलों में इस न्यायालय के समक्ष उठाया जा रहा मुख्य मुद्दा यह है कि इस आधार पर पुनः परीक्षण (Re-Test) आयोजित करने का निर्देश जारी किया जाए कि प्रश्नपत्र लीक हुआ था और परीक्षा के संचालन में प्रणालीगत खामियां थी. नीट यूजी परीक्षा 571 शहरों के 4750 केंद्रों के अलावा 14 विदेशी शहरों में आयोजित की गई थी. 

सीजेआई ने आदेश की शुरुआत में मामले के तथ्यों और दोनों पक्षों की व्यापक दलीलें दर्ज कीं. उन्होंने कहा कि 1,08,000 सीटों के लिए 24 लाख छात्र प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. अदालत को इस तथ्य से अवगत कराया गया है कि 50 प्रतिशत कट ऑफ का प्रतिशत दर्शाता है. परीक्षा में 180 प्रश्न होते हैं, जिनके कुल अंक 720 होते हैं और गलत उत्तर के लिए एक नकारात्मक अंक होता है. यह प्रस्तुत किया गया कि पेपरलीक प्रकृति में प्रणालीगत था और संरचनात्मक कमियों के साथ मिलकर कार्रवाई का एकमात्र स्वीकार्य तरीका री-टेस्ट करना होगा. लेकिन, परीक्षा की पव‍ित्रता भंग होने के पर्याप्त सबूत नहीं हैं.

NEET का 4 जून को रिजल्ट आने के बाद से पेपर लीक को लेकर छात्रो का आक्रोश सामने आया था. सबसे पहले इस परीक्षा में बिहार में पेपर लीक की खबर ने तूल पकड़ा था. उसके बाद रिजल्ट आने पर परीक्षा में 67 टॉपर और एक ही परीक्षा केंद्र से कई टॉपर आना, एक सवाल के दो उत्तर, ग्रेस मार्क्स जैसे प्वाइंट्स किसी को हजम नहीं हो रहे थे. उसी दौरान नेशनल टेस्ट‍िंंग एजेंसी पर भड़के छात्रों ने पूरे देश में रिजल्ट में हेरफेर और पेपरलीक को लेकर प्रदर्शन किया. 

परीक्षा में पेपर लीक के संदेह पर देशभर के हाईकोर्ट में दोबारा परीक्षा कराने की मांग को लेकर याचिकाओं का सिलस‍िला शुरू हुआ. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एक साथ सभी याचिकाओं को सुनने की कार्यवाही शुरू हुई. इस सुनवाई में बिहार पेपर लीक से लेकर हजारीबाग, सीकर और गोधरा तक के मामलों की जांच, एक सवाल के दो उत्तर, सीबीआई जांच जैसे सभी मुद्दों पर बहस हुई. सर्वोच्च अदालत की बेंच ने सभी पहलुओं पर बहस सुनने के बाद यह तय किया कि इस पर जल्द से जल्द फैसला देना होगा, क्योंकि छात्रों को किसी भी हाल में लटकाकर नहीं रख सकते. इसी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुना दिया है.

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Jul 24 2024, 14:39

मालदीव को भारत ने बजट में दिया बड़ा झटका, पैकेज में 370 करोड़ कम किए

#indian_govt_reduced_budget_allocation_for_maldives

मोदी 3.0 सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट पेश किया। इसमें विदेश मंत्रालय को 22 हजार 154 करोड़ रुपए दिए गए हैं। यह 2023-24 के बजट से करीब 24% यानी कम है। पिछले साल विदेश मंत्रालय को 29 हजार 121 करोड़ रुपए दिए गए थे। इसमें 6,967 हजार करोड़ की कटौती की गई है।इस बार के बजट में सरकार ने मालदीव को झटका द‍िया है। मालदीव को आवंट‍ित की जाने वाली राश‍ि में कटौती की गई है।

विदेश मंत्रालय के बजट में 'नेबर्स फर्स्ट पॉलिसी' और 'सागर मिशन' के तहत भारत के पड़ोसी और मित्र देशों को आर्थिक मदद के लिए राशि आवंटित की गई है। इनमें भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव समेत 10 देश शामिल हैं। इसके अलावा कई अफ्रीकी, लैटिन अमेरिकी और यूरोएशियाई देशों के लिए भी एड का प्रावधान है। केंद्र सरकार इस वित्तीय वर्ष सबसे अधिक भूटान के विकास पर खर्च करेगा। भूटान के लिए 2 हजार 68 करोड़ का पैकेज रखा गया है। हालांकि, यह पिछले साल से करीब 400 करोड़ कम है। 

मालदीव को मिलने वाले बजट पर केंद्र सरकार ने कैंची चलाई है। पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष केंद्र सरकार ने 400 करोड़ रुपये का आवंटन किया है।मालदीव को आंवटित की जाने वाली राशि में कटौती ऐसे समय में की गई है जब चीन के प्रति झुकाव रखने वाले मोहम्मद मुइज्जू के द्विपीय देश का राष्ट्रपति बनने के बाद से दोनों देशों के संबंधों में तनाव आया गया है।

इस साल के बजट में मालदीव के ल‍िए 400 करोड़ रुपये का आवंटन क‍िया गया है। इससे पहले वित्त वर्ष 2023-2024 के लिए यह राश‍ि 770.90 करोड़ थी, ज‍िसे 370 करोड़ रुपये घटा द‍िया गया है।बजट में सबसे ज्यादा कटौती चीन समर्थक मालदीव के पैकेज में की गई है। 2023 में मालदीव के लिए आर्थिक मदद को 183 करोड़ से बढ़ाकर 770 करोड़ किया गया था। वहीं इस साल इसे 400 करोड़ कर दिया गया है। 

दरअसल, पिछले साल नवंबर में मालदीव में 'इंडिया आउट' कैंपेन चलाने वाले मोहम्मद मुइज्जू की सरकार आने के बाद से दोनों देशों में तनाव है।सरकार बनाते ही मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को मालदीव से निकालने की घोषणा की थी। इस साल मई में सभी 88 सैनिक भारत लौट आए। इसके अलावा 4 जनवरी को PM मोदी के लक्षदीप दौरे के बाद मालदीव के मंत्रियों ने मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि भारत सर्विस के मामले में मालदीव का मुकाबला नहीं कर सकता। इस विवाद के बाद भारत से मालदीव जाने वाले पर्यटकों की संख्या में बड़ी गिरावट आई। दोनों देशों में तनाव के बीच राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत के साथ हाइड्रोग्राफिक सर्वे एग्रीमेंट भी खत्म कर दिया था।

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Jul 24 2024, 14:03

बजट पर राज्यसभा में खूब गरजे खरगे, बोले- बस दो राज्यों की थाली में पकौड़ा और जलेबी

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संसद के मानसून सत्र का आज तीसरा दिन है। कल यानी बीते मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया। आज संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में बजट पर चर्चा होनी है। आज संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी दलों के सदस्यों ने आम बजट 2024-25 में बिहार और आंध्र प्रदेश को छोड़कर अन्य राज्यों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए बुधवार को राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया। 

इससे पहले उच्च सदन की कार्यवाही आरंभ होने के कुछ देर बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने बजट पर केन्द्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। बजट का जिक्र करते हुए खरगे ने कहा, ‘‘इसमें किसी भी राज्य को कुछ नहीं मिला। सबकी थाली खाली और दो की थाली में पकौड़े और जलेबी।’’

खरगे ने कहा कि न तमिलनाडु को कुछ मिला, न केरल, न कर्नाटक, न महाराष्ट्र, न पंजाब, न हरियाणा, न छत्तीसगढ़... दिल्ली और ओडिशा को भी कुछ नहीं दिया। ये सिर्फ कुर्सी बचाने के लिए, किसी को खुश करने के लिए हुआ है। हम इसकी निंदा करते हैं। उनका इशारा एनडीए सरकार में शामिल घटक दल जेडीयू और टीडीपी की तरफ था।

जिस जगह ने नकार, उसे कुछ नहीं मिला-खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर तंज कसते हुए कहा कि वह कर्नाटक से (राज्यसभा में) आई हैं। मेरी तो अपेक्षा यही थी कि सबसे ज्यादा मुझे ही मिलेगा लेकिन हमको तो कुछ नहीं मिला। हम इसके खिलाफ प्रोटेस्ट करेंगे। कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक करेंगे। खरगे ने आगे कहा कि जिस-जिस जगह विपक्षी पार्टी चुनकर आ गई, जिस जगह आपको नकार दिया गया उस जगह कुछ नहीं मिला। अगर आप ऐसा करते गए, अगर बैलेंस नहीं होगा तो गवर्नेंस कैसे होगा।

खरगे के आरोपों का वित्त मंत्री ने दिया जवाब

वहीं, खरगे के आरोपों का वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाब दिया। उन्होंने कहा,"हर बजट में आपको इस देश के हर राज्य का नाम लेने का मौका नहीं मिलता। कैबिनेट ने वडवन पर एक बंदरगाह स्थापित करने का निर्णय लिया था। लेकिन कल बजट में महाराष्ट्र का नाम नहीं लिया गया। क्या इसका मतलब यह है कि महाराष्ट्र उपेक्षित महसूस करता है?

वित्त मंत्री ने आगे कहा कि यदि भाषण में किसी विशेष राज्य का नाम लिया जाता है, तो क्या इसका मतलब यह है कि भारत सरकार के कार्यक्रम इन राज्यों में नहीं जाते हैं? यह कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष का जानबूझकर लोगों को यह आभास देने का प्रयास है कि हमारे राज्यों को कुछ भी नहीं दिया गया है। यह एक अपमानजनक आरोप है।"