मोदी सरकार में विदेशी निवेशकों को रिझाने की कोशिश, जानें चीन को कैसे झटका लगेगा ?
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केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट घोषणा कर दी है। बजट में सरकार ने विदेशी कंपनियों के कॉरपोरेट टैक्स को कम करने का प्रस्ताव रखा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण के दौरान कहा कि देश की जरुरत के हिसाब से विदेशी पूंजी को आकर्षित करने के लिए विदेशी कंपनियों पर कॉर्पोरेट टैक्स को 40 फीसदी से घटाकर 35 फीसदी करने का प्रस्ताव रखा जाता है। सरकार के इस फैसले को स्ट्रैटिजिक तौर पर बड़ा कदम माना जा रहा है। ये फैसला विदेशी कंपनियों को भारत की ओर आकर्षित करेगा। वहीं भारत को चीन का विकल्प बनने में मदद करेगा।
उम्मीद की जा रही है कि ये बजट सरकार के 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के टारगेट को हासिल करने में काफी मददगार साबित हो सकता है। साथ ही विदेशी कंपनियों के लिए टैक्स कटौती से इस प्रयास में काफी मदद मिल सकती है। यह बजट भारत को ग्लोबल इकोनॉमिक प्लेयर बनने में मदद करेगा, जिसमें एफडीआई को आकर्षित करने पर जोर दिया गया है। खुद को ग्लोबल फैक्ट्री या यूं कहें कि ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग सेंटर के रूप में स्थापित करके, भारत न केवल अपने लोकल मार्केट्स के लिए उत्पादन करना चाहता है बल्कि दुनिया के लिए भी प्रोडक्शन करना चाहता है।
जब पूरी दुनिया की नजर दक्षिण एशिया पर टिकी हुई है। साथ ही दुनिया की बड़ी कंपनियां चीन का विकल्प तलाश करने में जुटी हुई हैं। ऐसे में भारत अपने आपको दुनिया के सामने चीन का ऑप्शन बताने का प्रयास कर रहा है। सरकार का लक्ष्य अगले सात सालों में सालाना 110 अरब डॉलर का एफडीआई आकर्षित करना है, जबकि पिछले पांच वर्षों में यह औसतन 70 अरब डॉलर से अधिक है। बजट में अधिक विदेशी धन आकर्षित करने, प्राथमिकता तय करने और विदेशी निवेश के लिए करेंसी के रूप में भारतीय रुपए का उपयोग करने के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए एफडीआई के लिए रूल्स और रेगुलेशन को आसान बनाने का प्रयास किया गया है।
भारत ने हाल ही में एपल और फॉक्सकॉन से लेकर विनफास्ट और स्टेलेंटिस जैसी कई कंपनियों को भारत में अपनी निवेश घोषणाओं को करने के लिए मजबूर किया है। वहीं दूसरी ओर टेस्ला और दुनिया की बाकी बड़ी कंपनियों को भी रिझाने का प्रयास कर रही हैं। वहीं दूसरी ओर इन कंपनियों को भी पता है कि मौजूदा समय में भारत ही चीन का दूसरा सबसे बड़ा विकल्प है। जहां पर आबादी के साथ—साथ खर्च करने की क्षमता भी है। फॉक्सकॉन भारत में निवेश और व्यापार साझेदारी को दोगुना कर रहा है। कंपनी अब चीन से बाहर अपनी सप्लाई चेन को बढ़ाने के बारे में सोच रही है। जिसके लिए कंपनी ने इस साल की शुरुआत में चेन्नई इंडस्ट्रियल पार्क में लगभग 550,000 वर्ग फुट वेयरहाउसिंग की जगह 10 साल के लिए लीज पर ली है। इसे एपल प्रोडक्ट्स के लिए निर्माण के लिए भारत में सबसे बड़ी यूनिट में से एक कहा जा सकता है।
बजट से पहले सोमवार (22 जुलाई) को पेश इकोनॉमिक सर्वे 2023-24 में चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और निर्यात बाजार का फायदा उठाने के लिए चीन से एफडीआई को बढ़ाने की बात कही गई थी। इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि अमेरिका और यूरोप के देश चीन से अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को हटा रहे हैं, लिहाजा चीनी कंपनियों का भारत में निवेश करना और फिर प्रोडक्ट्स का इन बाजारों में निर्यात करना ज्यादा कारगर हो सकता है।
Jul 24 2024, 16:02