दोबारा नहीं होगी नीट-यूजी परीक्षा, सुप्रीम कोर्ट का रि-एग्जाम का आदेश देने से इनकार*
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सुप्रीम कोर्ट मेडिकल प्रवेश परीक्षा के आयोजन में अनियमितताओं और कदाचार का आरोप लगाने वाली 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र और एनटीए की तरफ से दलीलें पेश की। केस की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देने से इनकार कर दिया है। इसको साथ ही कोर्ट ने करीब 24 लाख छात्रों को बड़ी राहत प्रदान की है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि पेपर लीक हुआ है, इसमें कोई विवाद नहीं है।सीजेआई ने कहा, अदालत ने एनटीए द्वारा रिकॉर्ड पर रखे गए डेटा की स्वतंत्र रूप से जांच की है। वर्तमान चरण में रिकॉर्ड पर साक्ष्यों या सामग्री का अभाव है। इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि परीक्षा का परिणाम खराब हो गया है या परीक्षा की पवित्रता का प्रणालीगत उल्लंघन हुआ है। सीजेआई ने कहा कि सीबीआई की जांच अधूरी ही है, इसलिए हमने एनटीए से ये स्पष्ट करने को कहा था कि क्या गड़बड़ी बड़े पैमाने पर हुई है या नहीं। केन्द्र और एनटीए ने अपने जवाब में आईआईटी मद्रास की रिपोर्ट का हवाला दिया है। चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि हमारे समक्ष प्रस्तुत सामग्री और आंकड़ों के आधार पर प्रश्नपत्र के व्यवस्थित लीक होने का कोई संकेत नहीं है, जिससे परीक्षा की शुचिता में व्यवधान उत्पन्न होने का संकेत मिले। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने नीट की दोबारा परीक्षा कराने से इंकार किया।
सीजेआई ने कहा- फिलहाल, हम दागी स्टूडेंट्स को बेदागी स्टूडेंट्स से अलग कर सकते हैं। अगर जांच के दौरान दागियों की पहचान होती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अगर कोई स्टूडेंट्स इस फ्रॉड में शामिल पाया जाता है तो उसे एडमिशन नहीं मिलेगा। कोर्ट ने अभी अपना फैसला सुरक्षित रखा है जिसके लिए कोई डेट जारी नहीं की है।
सीजेआई की बेंच के सामने मंगलवार को पांचवीं सुनवाई हुई। सीजेआई ने कहा- हम पेपर लीक के ठोस सबूत के बिना रीएग्जाम का फैसला नहीं दे सकते हैं। हो सकता है कि सीबीआई जांच के बाद पूरी तस्वीर ही बदल जाए, लेकिन आज हम किसी हालत में यह नहीं कह सकते कि पेपर लीक पटना और हजारीबाग तक सीमित नहीं है।
ने आगे कहा कि कोर्ट को लगता है कि इस साल के लिए नए सिरे से नीट यूजी परीक्षा आयोजित करने का निर्देश देना गंभीर परिणामों से भरा होगा, जिसका खामियाजा इस परीक्षा में शामिल होने वाले 24 लाख से अधिक छात्रों को भुगतना पड़ेगा और प्रवेश कार्यक्रम में व्यवधान पैदा होगा, साथ ही मेडिकल एजुकेशन के सिलेबस पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा, भविष्य में योग्य डॉक्टरों की उपलब्धता पर असर पड़ेगा और वंचित समूह के लिए गंभीर रूप से नुकसानदेह होगा, जिसके लिए सीटों के आवंटन में आरक्षण किया गया था।
Jul 23 2024, 19:09