हिंसा के बीच बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, हाई कोर्ट के 30% आरक्षण के आदेश पर लगाई रोक
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बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में आरक्षण के विरोध में हुई हिंसा के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के कोटे में कटौती करते हुए उच्च न्यायालय के फैसले को वापस लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने देश में आरक्षण को लेकर मचे बवाल के बीच सरकारी नौकरियों में रविवार को आरक्षण घटा दिया। देशभर में अशांति के बीच फैसले से प्रदर्शनकारियों की जीत हुई है।
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उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि 93 प्रतिशत सरकारी नौकरियां योग्यता आधारित प्रणाली के आधार पर आवंटित की जाएं और शेष सात प्रतिशत 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में लड़ने वालों के रिश्तेदारों तथा अन्य श्रेणियों के लिए छोड़ी जाएं। पहले युद्ध लड़ने वालों के रिश्तेदारों के लिए नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण था। मगर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले को खारिज कर दिया है। इसे छात्रों के लिए बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है।
बांग्लादेश में 1971 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में बड़ा आरक्षण दिया गया था। बांग्लादेश सरकार ने 2018 में सेनानियों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरी में 30 फीसदी आरक्षण दिया था। इसका बांग्लादेश के छात्रों ने कड़ा विरोध किया और फैसला वापस ले लिया गया। अब मामला हाईकोर्ट में पहुंचा और हाईकोर्ट ने आरक्षण लागू कर दिया।
इसके बाद बांग्लादेश के छात्रों में आक्रोश फैल गया। छात्रों ने प्रदर्शन शुरू कर दिए और कहा कि यह आरक्षण प्रणाली गलत है। साथ ही प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के समर्थकों का समर्थन करेगी। इसके बाद देश में अशांति फैल गई और जगह-जगह हिंसा हुई। इसमें 115 लोगों की मौत हो गई।
मामले को लेकर सु्प्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। इसके बाद सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए नौकरी में आरक्षण का कोटा 30 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है। जबकि दो फीसदी आरक्षण अल्पसंख्यकों, ट्रांसजेंडर और दिव्यांगों को मिलेगा। जबकि 93 फीसदी पद योग्यता के आधार पर भरे जाएंगे।
इससे पहले बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ हिंसा भड़कने के कुछ दिन बाद शनिवार को पुलिस ने पूरे देश में कठोर कर्फ्यू लागू कर दिया और सैन्य बलों ने राष्ट्रीय राजधानी ढाका के विभिन्न हिस्सों में गश्त की. बांग्लादेश में हिंसा भड़कने से सैकड़ों लोगों की मौत हुई है जबकि हजारों लोग घायल हुए हैं. प्रदर्शनकारी छात्रों ने देश में पूर्ण बंद लागू करने के प्रयास के दौरान 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी










पड़ोसी देश बांग्लादेश इन दिनों हिंसा की आग में झुलस रहा है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ बांग्लादेश में छात्रों का हिंसक आंदोलन लगातार तेज हो रहा है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन देशभर में उग्र रूप ले चुका है। इस प्रदर्शन में अब तक 150 लोगों की मौत हो गई है जबकि 2500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हालात को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने देश में देशव्यापी कर्फ्यू को आज दोपहर तीन बजे तक के लिए बढ़ा दिया है। पहले यह सुबह 10 बजे तक के लिए तय था। हिंसा के चलते देश के कई शहरों में मोबाइल और इंटरनेट की सेवाओं पर पाबंदी लगा दी गई है। इधर, बांग्लादेश में आंदोलन छात्रों के हाथ से निकलकर इस्लामिक कट्टरपंथियों के हाथों में चला गया है। इस्लामिक कट्टरपंथी पार्टियों जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) जैसी ताकतों के हाथों में चला गया है। जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश जैसी शक्तियां इसके पीछे हैं। ये ताकतें पूरी तरह से पाकिस्तान और चीन समर्थक मानी जाती हैं। ऐसे में इन शक्तियों की बढ़ती ताकत निश्चित रूप से भारत के लिए मुश्किल पैदा करेगी। सेंटर फॉर रिचर्स इन इंडो बांग्लादेश रिलेशंस कोलकाता द्वारा प्रकाशित पुस्तक हिंदू डिक्रेसेंट बांग्लादेश एंड वेस्ट बंगाल के लेखक और बांग्लादेश मामलों के विशेषज्ञ बिमल प्रमाणिक कहते हैं कि आंदोलन से पूरी तरह से साफ है कि आंदोलन छात्रों के हाथ से निकलकर इस्लामिक कट्टरपंथियों के हाथों में चला गया है। आरक्षण विरोधी आंदोलन ने हसीना सरकार विरोधी आंदोलन का रूप ले लिया है।उन्होंने कहा कि ऐसे में बांग्लादेश की स्थिति निश्चित रूप से भारत के लिए चिंता का विषय है. बांग्लादेश से सटे इलाके त्रिपुरा, मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, सिक्किम, पश्चिम बंगाल और यहां तक झारखंड जैसे राज्यों पर भी इसका प्रभाव पड़ने के आसार हैं। इस्लामिक कट्टरपंथी ताकतों के मजबूत होने से भारत की सीमावर्ती इलाकों में कट्टरपंथी ताकतों को बल मिलेगा और अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा मिलेगा। ऐसे में भारत सरकार पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए है। पड़ोसी देशों में अशांति के कारण देशभर में बीजीबी जवानों की तैनाती की जा रही है, लेकिन भारत की सीमा पर बीएसएफ पूरी तरह से सतर्क है। हिंसा प्रभावित देश से लोग पलायन कर रहे हैं।यहां से भारी संख्या में लोग अलग-अलग देशों में जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, देशभर में बीजीबी जवानों की तैनाती से सीमा पर बीजीबी जवानों की संख्या कम हो सकती है। ऐसे में घुसपैठ की आशंका के चलते बीएसएफ भारतीय सीमा पर अतिरिक्त जवानों की तैनाती कर रही है। बता दें कि साल 2021 में भारत में घुसपैठ की कोशिश करते हुए 2,951 लोगों को गिरप्तार किया गया था। इनमें 2036 बांग्लादेशी नागरिक थे और 58 रोहिंग्या थे। 2022 में सीमा पर 2,966 लोगों को अरेस्ट किया गया था। इनमें 1951 बांग्लादेशी और 79 रोहिंग्या थे। 2023 में 2,565 लोगों को अरेस्ट किया गया था, इनमें 1548 बांग्लादेशी और 86 रोहिंग्या थे। इस साल 15 जुलाई तक 1032 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, इनमें 693 बांग्लादेशी और 21 रोहिंग्या हैं।
Jul 22 2024, 10:06
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