केरल में 14 साल के लड़के की निपाह से मौत, 4 लोग मेडिकल कॉलेज में एडमिट, राज्य में अलर्ट
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केरल में मलप्पुरम जिले के 14 साल के एक लड़के की निपाह वायरस से रविवार को मौत हो गई। उसका यहां इलाज किया जा रहा था। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने यह जानकारी दी। वीना जॉर्ज ने बताया कि पीड़ित लड़के को सुबह 10.50 बजे दिल का दौरा पड़ा। इसके बाद उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर भी रखा गया, लेकिन सुबह 11.30 बजे उसकी मौत हो गई।मंत्री ने कहा कि उसका अंतिम संस्कार अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के अनुरूप किया जाएगा।निपाह वायरस के संक्रमण का पता लगने के एक दिन बाद रविवार को उसकी मौत हो गई।
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राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि संक्रमित लड़के को ऑस्ट्रेलिया से मिली मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दी गई थी। प्रोटोकॉल के मुताबिक संक्रमित होने के 5 दिन के अंदर इसे दिया जाता है। इस मामले में संक्रमित लड़के को एंटीबॉडी देने में देर हो गई थी।
वीना जॉर्ज के मुताबिक जिस लड़के की मौत हुई है, उसके पिता और चाचा समेत तीन करीबी रिश्तेदार कोझिकोड के मेडिकल कॉलेज अस्पताल की निगरानी में हैं। जबकि बाकी चार परिचितों को मलप्पुरम के मंजेरी मेडिकल कॉलेज में रखा गया है। इनमें से एक ICU में है। हाई रिस्क वाले मरीजों में किसी में भी निपाह के लक्षण नहीं हैं।
पुणे स्थित ‘राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान’ ने उस किशोर में संक्रमण की पुष्टि की थी। स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि बच्चे ने 12 मई को एक निजी क्लीनिक में इलाज की मांग की थी। उसे 15 मई को उसी निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बाद में उसे पेरिंथलमन्ना के एक निजी अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया गया। वहां से उसे कोझिकोड के निजी अस्पताल में भर्ती कर दिया गया था।
2018 के बाद से 5वीं बार केरल में निपाह का संक्रमण फैला है। इसके बाद 2019, 2021 और 2023 में भी इसके केस मिले थे। इसके लिए अभी तक कोई टीका नहीं बना है। निपाह संक्रमित चमगादड़ों, सूअरों या लोगों के शरीर से निकले लिक्विड के संपर्क में आने से फैलता है। निपाह से संक्रमित लोगों में से 75% मामलों में संक्रमित व्यक्ति की मौत हो जाती है। निपाह संक्रमण को साल 1998-99 में पहली बार पहचाना गया था। मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह में इसके मामलों की पुष्टि हुई थी। यहां इस संक्रमण की चपेट में 250 से ज्यादा लोग आए थे और इस संक्रमण ने पहली बार में ही कोहराम मचा दिया था। निपाह संक्रमण मलेशिया में कम्पंग सुंगाई निपाह नाम की जगह पर पहली बार देखा गया था और इसी वजह से इसका नाम निपाह पड़ा।








पड़ोसी देश बांग्लादेश इन दिनों हिंसा की आग में झुलस रहा है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ बांग्लादेश में छात्रों का हिंसक आंदोलन लगातार तेज हो रहा है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन देशभर में उग्र रूप ले चुका है। इस प्रदर्शन में अब तक 150 लोगों की मौत हो गई है जबकि 2500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हालात को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने देश में देशव्यापी कर्फ्यू को आज दोपहर तीन बजे तक के लिए बढ़ा दिया है। पहले यह सुबह 10 बजे तक के लिए तय था। हिंसा के चलते देश के कई शहरों में मोबाइल और इंटरनेट की सेवाओं पर पाबंदी लगा दी गई है। इधर, बांग्लादेश में आंदोलन छात्रों के हाथ से निकलकर इस्लामिक कट्टरपंथियों के हाथों में चला गया है। इस्लामिक कट्टरपंथी पार्टियों जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) जैसी ताकतों के हाथों में चला गया है। जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश जैसी शक्तियां इसके पीछे हैं। ये ताकतें पूरी तरह से पाकिस्तान और चीन समर्थक मानी जाती हैं। ऐसे में इन शक्तियों की बढ़ती ताकत निश्चित रूप से भारत के लिए मुश्किल पैदा करेगी। सेंटर फॉर रिचर्स इन इंडो बांग्लादेश रिलेशंस कोलकाता द्वारा प्रकाशित पुस्तक हिंदू डिक्रेसेंट बांग्लादेश एंड वेस्ट बंगाल के लेखक और बांग्लादेश मामलों के विशेषज्ञ बिमल प्रमाणिक कहते हैं कि आंदोलन से पूरी तरह से साफ है कि आंदोलन छात्रों के हाथ से निकलकर इस्लामिक कट्टरपंथियों के हाथों में चला गया है। आरक्षण विरोधी आंदोलन ने हसीना सरकार विरोधी आंदोलन का रूप ले लिया है।उन्होंने कहा कि ऐसे में बांग्लादेश की स्थिति निश्चित रूप से भारत के लिए चिंता का विषय है. बांग्लादेश से सटे इलाके त्रिपुरा, मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, सिक्किम, पश्चिम बंगाल और यहां तक झारखंड जैसे राज्यों पर भी इसका प्रभाव पड़ने के आसार हैं। इस्लामिक कट्टरपंथी ताकतों के मजबूत होने से भारत की सीमावर्ती इलाकों में कट्टरपंथी ताकतों को बल मिलेगा और अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा मिलेगा। ऐसे में भारत सरकार पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए है। पड़ोसी देशों में अशांति के कारण देशभर में बीजीबी जवानों की तैनाती की जा रही है, लेकिन भारत की सीमा पर बीएसएफ पूरी तरह से सतर्क है। हिंसा प्रभावित देश से लोग पलायन कर रहे हैं।यहां से भारी संख्या में लोग अलग-अलग देशों में जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, देशभर में बीजीबी जवानों की तैनाती से सीमा पर बीजीबी जवानों की संख्या कम हो सकती है। ऐसे में घुसपैठ की आशंका के चलते बीएसएफ भारतीय सीमा पर अतिरिक्त जवानों की तैनाती कर रही है। बता दें कि साल 2021 में भारत में घुसपैठ की कोशिश करते हुए 2,951 लोगों को गिरप्तार किया गया था। इनमें 2036 बांग्लादेशी नागरिक थे और 58 रोहिंग्या थे। 2022 में सीमा पर 2,966 लोगों को अरेस्ट किया गया था। इनमें 1951 बांग्लादेशी और 79 रोहिंग्या थे। 2023 में 2,565 लोगों को अरेस्ट किया गया था, इनमें 1548 बांग्लादेशी और 86 रोहिंग्या थे। इस साल 15 जुलाई तक 1032 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, इनमें 693 बांग्लादेशी और 21 रोहिंग्या हैं।

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Jul 21 2024, 19:09
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