अब मरीजों को IGIMS आने-जाने में नही होगी परेशानी : अस्पताल कैंपस से 3 तीन प्रमुख मार्गों पर 6 सिटी बसों के परिचालन की हुई शुरुआत

डेस्क : राजधानी पटना के आईजीआईएमएस मे इलाज कराने आने वाले मरीजों को अब अस्पताल और फिर अपने गंतव्य तक पहुंचने में परेशानी नहीं होगी। मरीजों को अब परिसर से ही सरकारी सिटी बसों की सुविधा मिलेगी। वे अस्पताल परिसर से पटना जंक्शन, दानापुर स्टेशन, बैरिया स्थित पाटलिपुत्र बस स्टैंड, राजेन्द्र नगर टर्मिनल, इनकम टैक्स और गांधी मैदान आ-जा सकेंगे। इन जगहों पर जानेवाली अन्य सरकारी सिटी बसें भी अस्पताल परिसर स्थित स्टैंड में रुकेगी, यहां से खुलेगी। 

बीते गुरुवार को आईजीआईएमएस बस स्टैंड से स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, परिवहन विभाग के मंत्री शीला मंडल, विधायक संजीव चौरसिया,सचिव संजय कुमार अग्रवाल, संस्थान के निदेशक डॉ. बिंदे कुमार, उपनिदेशक डॉ. विभूति प्रसन्न सिन्हा, अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने हरी झंडी दिखाकर बसों को रवाना किया। परिचालन बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की ओर से छह रूटों पर किया जाएगा। मौके पर परिवहन आयुक्त विशाल राज, प्रशासक अभय झा समेत अन्य उपस्थित थे। उपनिदेशक डॉ. विभूति ने बताया कि मरीजों की सुविधा के लिए बसों का न्यूनतम किराया 6 रुपये और अधिकतम 37 रुपये रखा गया है।

मरीज व परिजनों को आने-जाने में मिलेगी राहत स्वास्थ्य मंत्री

इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि परिवहन विभाग की मदद से इन बसों का नियमित परिचालन होगा। इससे मरीजों को आने-जाने में काफी सुविधा मिलेगी। अब कैंपस से करीब डेढ़ किमी पैदल चलकर मेन गेट तक नहीं जाना पड़ेगा। 

परिवहन मंत्री शीला मंडल और सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि मरीजों के हित में बसों की संख्या और बढ़ाई जाएगी। परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि आईजीआईएमएस कैंपस से कुल छह सीएनजी बसें विभिन्न मार्गों पर 52 ट्रिप चलेंगी। बसों में ई-टिकटिंग की व्यवस्था होगी तथा सभी बसों में 65 प्रतिशत सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होगी।

पूर्व विधायक गुलाब यादव और आईएएस अधिकारी संजीव हंस के ठिकाने पर ईडी की छापेमारी पूरी, जांच में कई अधिकारियों से लेनदेन के मिले प्रमाण

डेस्क : पूर्व विधायक गुलाब यादव और आईएएस अधिकारी संजीव हंस के ठिकानों पर पिछले दो दिनों से चल रही ईडी की छापेमारी की कार्रवाई बीते गुरुवार को पूरी हो गई। जांच में हंस के ठिकानों से बरामद दस्तावेजों और कई अन्य कागजातों से बड़ी संख्या में लेनदेन से संबंधित हिसाब-किताब का खुलासा हुआ है। प्रदेश के कुछ दूसरे आईएएस समेत अन्य पदाधिकारियों से भी लेनदेन की बात का पता चला है। 

बता दें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हंस और यादव के चार शहरों के 20 ठिकानों पर मंगलवार तथा बुधवार को छापेमारी की थी। कागजातों की अब तक की जांच में प्रदेश के कई आईएएस और कुछ अन्य पदाधिकारियों से लेनदेन की बात का पता चला है। इसमें कुछ एक सीनियर अधिकारी भी शामिल हैं। इनके खातों में सीधे या उनके करीबियों के खातों में पैसे भेजे गए हैं। कुछ मामलों में पैसे वापस भी उनके खातों में आए हैं। इस सभी अधिकारियों से संबंधित जानकारी को एकत्र कर ईडी आगे की जांच में जुट गई है। 

जिनके भी लेनदेन सामने आए हैं, उनकी पूरी कुंडली और अब तक संजीव हंस के साथ हुई लेनदेन का चिट्ठा निकाला जा रहा है। इसमें पुख्ता तथ्य मिलने के बाद संबंधित अधिकारियों से जुड़ी आगे की भी कार्रवाई की जाएगी। कुछ अधिकारियों और उनकी पत्नियों की लाखों के ब्रांडेड ड्रेस की शॉपिंग से लेकर कुछ अन्य तरह के महंगे गिफ्ट समेत अन्य चीजों की लेनदेन से संबंधित बातों का खुलासा हुआ है।

बताया जा रहा है कि छापेमारी के दौरान ही इस बात के पुख्ता प्रमाण पहले ही मिल चुके हैं कि आईएएस की पत्नी और पूर्व विधायक गुलाब यादव एवं उनकी पत्नी एमएलसी अंबिका गुलाब यादव के बीच व्यवसायिक साझेदारी है। पुणे में मौजूद सीएनजी पंप स्टेशन से लेकर वहां कुछ अन्य जमीन की खरीद के अलावा दिल्ली में भी कुछ अचल संपत्तियों में निवेश के कई प्रमाण ईडी को मिल चुके हैं। दिल्ली के कुछ वेंडरों या छोटी कंपनियों को ठेका दिलाने से जुड़े कागजात भी मिले हैं। इनमें भी कई तरह के लेनदेन दिखे हैं और इसमें कुछ अन्य लोगों के पास भी पैसे ट्रांसफर होने के साक्ष्य जांच एजेंसी के पास मौजूद हैं। इस सभी तथ्यों को अलग से एक-एक करके खंगाला जा रहा है और यह देखा जा रहा है कि इस नेक्सस में अन्य कौन-कौन से किस स्तर के लोग जुड़े हुए हैं।

पटना में बेखौफ अपराधियों का तांडव : दिनदहाड़े दो युवक को मारी गोली, 1 की मौत दूसरे की हालत गंभीर

डेस्क : बिहार में अपराधी पूरी तरह से बेखौफ हो गए है। उन्हें पुलिस और कानून को कोई भय नहीं रह गया है। राज्य के किसी न किसी जिले से प्रतिदिन हत्या और लूट जैसी घटना की खबर आम बात हो गई है। अपराधी घटना को अंजाम देकर आराम से चलते बन रहे है। 

ताजा मामला पटना के नौबतपुर थाना क्षेत्र से सामने आया है। जहां दिन-दहाड़े दो युवकों को अपराधियो ने गोली मार दी है। जिसमें एक की मौत हो गई है। जबकि दूसरे की हालत गंभीर बताई जा रही है। 

जानकारी के अनुसार, नौबतपुर थाने के कोरावां गांव में बाइक सवार अपराधियों ने आज गुरुवार को दो युवकों को गोली मार दी। घटना में एक की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी,जबकि दूसरे की हालत गंभीर बनी हुई है। गोली मारने के बाद अपराधी हथियार लहराते फरार हो गए। 

घटना के बाद इलाके में दहशत का माहौल है। मामले की सूचना के बाद पुलिस करीब 1 घंटे बाद मौके पर पहुंचे और जांच शुरू की. मृतक की पहचान नौबतपुर के कोरावां गांव निवासी चीकू कुमार के रूप में हुई है। दूसरा गंभीर रूप से जख्मी नौबतपुर के कोरावां गांव निवासी पप्पू कुमार है। 

घटना के बाद आक्रोशित लोगों ने लाश को कब्जे में लेकर सड़क जाम कर दिया। इस दौरान पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की।

तेजस्वी के बिहार में गुंडाराज वाले बयान पर जदयू का पलटवार, यह लालू राज नही तेजस्वी पहले अपने गिरेबान में झांके

डेस्क : वीआईपी सुप्रीमो व बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी के पिता जीतन सहनी हत्याकांड के बाद से विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर है। नेता प्रतिपक्ष ने जहां बिहार में गुंडाराज है और रिटायर्ड अधिकारी शासन चला रहे जैसे बयान दिए है। वहीं पूरा विपक्ष सरकार के विरोध में 20 जुलाई को प्रतिरोध मार्च निकालने का एलान किया है। इधर तेजस्वी के बयान और इंडिया गठबंधन के प्रतिरोध मार्च के एलान पर जदयू की ओर से पलटवार किया गया है।  

जदयू नेत्री व बिहार सरकार में परिवहन मंत्री शीला मंडल विपक्ष पर जमकर भड़ास निकाली है। शीला मंडल ने कहा कि बिहार में लॉ एंड आर्डर फेल नहीं है,यहां रूल ऑफ़ लॉ है। उन्होंने कहा कि कानून का राज्य है बिहार में। हमारे नेता न किसी को बचाते हैं ना किसी को फंसाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि जो अपराध करता है बचता है । तुरंत उस पर एक्शन लिया जाता है। 

तेजस्वी यादव के बिहार में गुंडाराज के बयान पर भड़की शीला मंडल ने कहा कि कौन क्या बोलता है उस पर हम कोई कटाक्ष नहीं करेंगे। यह कहने से नहीं होता है जो लोग इस तरह की बात कर रहे हैं पहले अपने गिरेवांन में झांके कि उनके शासनकाल में बिहार मे क्या होता था। दूसरे स्टेट की अपेक्षा यहां का क्राइम कितना परसेंट है तब समझ में आएगा। आज भी हमारा बिहार और जगहों से सब कुछ में बेहतर है । 

परिवहन मंत्री शीला मंडल ने तेजस्वी के द्वारा लगाए गए आरोप की रिटायर्ड अधिकारी सिस्टम चला रहे हैं पर कहा कि वह लोग क्या कहते हैं इस पर समझने की बात नहीं है। पहले अपने गिरिबान में झांक कर देख लें। बिहार में जो पहले की स्थिति थी कि किसी की बहू बेटी पति ड्यूटी जाता था तो लोगों को लगता था क्या होगा? अब तो ऐसी कोई बात नहीं है इस तरह का कोई वारदात होती है तो तुरंत उस पर एक्शन लिया जाता है, कार्रवाई होती है। 

वहीं रुपौली में हार के प्रश्न पर मंडल ने कहा कि वहां पर हमें पहले से अधिक वोट मिला है।इतना वोट कैसे आ सकता है यह किसका वोट है यह देखना पड़ेगा।सर्वे करने के बाद पता चलेगा कि सब अतिपिछड़ा का हीं वोट है। अतिपिछड़ा समाज आज भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पर असीम विश्वास करता है।जो लोग ऐसी बात करते हैं वह भ्रम फैला रहे है इससे कुछ होने वाला नहीं है।

जदयू में फिर एक पूर्व आईएएस अधिकारी की इंट्री होते ही मिली बड़ी जिम्मेवारी, जानिए आखिर ब्यूरोक्रेट पर नीतीश कुमार क्यों करते है इतना विश्वास और क्यों जल्द हो जाती है पार्टी से विदाई


डेस्क : जदयू में एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी मनीष वर्मा की इंट्री हुई है। पार्टी में शामिल होते है जैसा पहले से ही अंदेशा जताया जा रहा था कि उन्हें बड़ी जिम्मेवारी मिल सकती है। हुआ भी ऐसा ही। नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा की जनता दल यूनाइटेड में एंट्री के अगले दो दिनों के अंदर ही उन्हे पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया। ऐसा नहीं है कि मनीष वर्मा ऐसे पहले आईएएस अधिकारी है जिन्हे इतनी बड़ी जिम्मेवारी मिली है। इससे पहले भी नीतीश कुमार ने जदयू में कई पूर्व वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की इंट्री कराई और उन्हें बड़ी जिम्मेवारी दी। हालांकि अबतक उन सभी अधिकारी अंतिम परिणाम बहुत बेहतर नहीं रहा और उनकी पार्टी से विदाई हो गई।

आईए पहले एक नजर डालते है उन अधिकारियों पर जिनकी जदयू में इंट्री के बाद मिली बड़ी जिम्मेवारी और फिर हो गए हवा

नीतीश के खास रहे पूर्व आईएफएस पवन वर्मा

1976 बैच के आईएफएस पवन कुमार वर्मा साल 2014 में जदयू में शामिल हुए। पवन वर्मा का भी जदयू में शामिल होना सुर्किययां बना था। पार्टी में शामिल होने के बाद इन्हें नीतीश कुमार का दाहिना हाथ माना जाने लगा था। नीतीश ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया। साल 2016 में जदयू संगठन की जिम्मेवारी उन्हें सौंपी गई तो 2020 आते आते उन्होंने नीतीश कुमार को विदा कह दिया। वे टीडीपी से भी जुड़े लेकिन वहां भी मन नहीं रमा अब वे पुस्तक लिखने में लगे हुए हैं। 

केपी रमैया सृजन घोटाले के आरोपी

1986 बैच के बिहार काडर के आईएएस अधिकारी रमैया अनुसूचित जाति और जनजाति विभाग के प्रधान सचिव थे। आईएएस अधिकारी केपी रमैया भी नीतीश कुमार की पार्टी के साथ जुड़े। साल 2014 में रमैया को सासाराम सीट से कांग्रेस के मीरा कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ाया गया।तब भाजपा वहां से जीत गई और रमैया का राजनीतिक जीवन समाप्तप्राय सा हो गया। सृजन घोटाला में उन्हें आरोपी बनाया गया है। वारंट भी निकला लेकिन कोर्ट से उन्हें जमानत मिली हुई है।

रिटायर्ड आईएएस ललन जी का हुआ राजनीतिक पटाक्षेप

साल 2019 में रिटायर्ड आईएएस ललन जी जदयू में शामिल हुए। आईएएस अधिकरी ललन जी को भी नीतीश कुमार का खास माना जाता था। उनको भी बड़ा पद मिलने का कयास था। वे कटिहार में दो बार जिलाधिकारी रहे थे, माना जाते लगा कि उन्हें कटिहार से टिकट मिलेगा। टिकट तो नहीं मिला लेकिन साल 2020 के बाद शायद हीं उनकी कोई चर्चा राजनीतिक तौर पर हुई हो। 

आरसीपी सिंह

इस कड़ी में सबसे बड़ा नाम आरसीपीसी का है। आरसीपी सिंह उत्तर प्रदेश कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी रहे हैं। नीतीश कुमार के पहले कार्यकाल में यानि साल 2005 से 2010 के बीच आरसीपी सिंह बिहार के मुख्य सचिव भी रहे थे। आरसीपी सिंह ने साल 2010 में जेडीयू का दामन थामा था। आरसीपी सिंह के साथ दो बड़ी बात थी। एक वे नीतीश कुमार के क्षेत्र नालंदा के थे और दूसरी उनके स्वजातिए भी थे। जेडीयू में शामिल होने के बाद नालंदा के रामचंद्र प्रसाद सिंह की गिनती नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के रूप में होने लगी थी। एक समय जदयू में आरसीपी सिंह का नाम गूंजता था। नीतीश कुमार के बाद सिंह को दूसरे नंबर का नेता माना जाने लगा था। नीतीश ने उन्हें जदयू का रार्ष्ट्रीय अध्यक्ष भी बना दिया था। लेकिन परिणति ये हुई कि वे अबी गांव में रह रहे हैं। 

नीतीश की वजह से आरसीपी सिंह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में साल 2021 में जेडीयू के कोटे से मंत्री भी बनाए गए थे। माना जाता है कि नीतीश की आरसीपी से नाराज़गी यहीं से दिखने लगी थी। उस समय आरसीपी सिंह पार्टी अध्यक्ष थे और इसे आरसीपी सिंह की महत्वाकांक्षा के तौर पर देखा गया था। 2020 विधानसभा चुनाव के बाद वे केंद्र में मंत्री बने, लेकिन इसके बाद ही उनकी उलटी गिनती शुरू हो गई। 2022 में जेडीयू ने उनसे किनारा कर लिया। आरसीपी सिंह पर नीतीश से गद्दारी का आरोप लगा। जेडीयू से निकाले जाने बाद आरसीपी भाजपा में शामिल हुए, लेकिन नीतीश के एनडीए में शामिल होते हीं उनके राजनीतिक कैरियर पर ब्रेक सा लग गया। अभी वे अपने गांव मुस्तफापुर में रहते हैं।

मनीष वर्मा

अब जदयू में 2000 बैच के उड़ीसा कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा की जदयू में इंट्री हुई है। मनीष वर्मा पटना और पूर्णिया के डीएम भी रह चुके हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि मनीष वर्मा भी आरसीपी सिंह की तरह नालंदा के मूल निवासी और नीतीश कुमार के स्वजातिए है। मनीष वर्मा नालंदा जिले के कुर्मी जाति से बिलांग करते है। पार्टी मे शामिल होने के बाद मनीष कुमार वर्मा को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। जदयू की सदस्यता ग्रहण करने के बाद मनीष कुमार वर्मा ने कहा कि पहले जदयू उनके दिल में था और अब वह इस दल में आ गये हैं। 

अब आइए यह जानने की कोशिश करते है कि आखिर आईएएस अधिकारियों पर नीतीश कुमार क्यों करते है इतना विश्वास

राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि जिनका जनाधार जमीन पर है वह नीतीश कुमार के दल में मंत्री हो सकते हैं, पर विश्वसनीय नहीं। राजीव रंजन, विजय चौधरी या फिर अशोक चौधरी एक हद तक राजनीतिक जमीन वाले लोग हैं। वहीं नीतीश कुमार यह भी जानते है कि शासन-प्रशासन को कायम रखने में जितनी बड़ी भूमिका एक ब्यूरोक्रेट निभा सकता है वह शायद एक राजनेता नही। वहीं ब्यूरोक्रेट का जमीनी जनाधार नहीं होने की वजह से पार्टी में टूट-फूट की संभावना भी कम रहती है।  

अब सवाल यह है कि आरसीपी सिंह का हाल देखने के बाद भी मनीष वर्मा क्यों ?

राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो आरसीपी सिंह जिस विश्वसनीयता के शिखर पर पहुंचे उसकी वजह थी कि वह पॉलिटिकल व्यक्ति नहीं थे। ब्यूरोक्रेट थे। यह खूबी मनीष वर्मा में भी है। मनीष वर्मा पटना में डीएम के साथ ये नीतीश कुमार के पीएस भी रहे हैं। मतलब एक अच्छा अंतराल नीतीश कुमार और मनीष वर्मा क्रमशः राजनेता और ब्यूरोक्रेट के रूप में काम भी कर चुके हैं।

वहीं मनीष वर्मा को लाने के पीछे जो दूसरी कथा है वह जातीय जकड़न से भरा पड़ा है। सूत्रों के अनुसार ललन सिंह को मंत्री बनाने और संजय झा को कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी के भीतर यह संग्राम छिड़ा हुआ है कि वोट किसी का ताज किसी को। पार्टी के भीतर उठते स्वर की भरपाई भी हैं मनीष वर्मा।

बहरहाल मनीष वर्मा की जदयू में इंट्री हो गई है। उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव जैसी बड़ी जिम्मेवारी भी मिल गई है। देखने वाली बात यह होगी की मनीष वर्मा पार्टी को किस उंचाई तक ले जाते है और कबतक इनका नीतीश कुमार के साथ विश्वास का रिश्ता बना रहता है।

बिहार इन जिलों को छोड़कर बाकी सभी जिलों में चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों का 15 सितंबर तक अवकाश रद्द, स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया आदेश

डेस्क : बिहार स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के कुछ जिलों को छोड़कर शेष में कार्यरत चिकित्सक और सभी प्रकार के स्वास्थ्य कर्मियों का 15 सितंबर तक अवकाश रद्द कर दिया है। विभाग ने बाढ़ को देखते हुए यह आदेश जारी किया है। इन्हें राज्य में बाढ़ को देखते हुए इसकी रोकथाम और निरोधात्मक उपाय के लिए विशेष चौकसी और अनुश्रवण करना है। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव शैलेश कुमार ने आदेश जारी कर दिया है।

जारी किये गए आदेश में स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि अरवल, औरंगाबाद, बांका, गया, जमुई, जहानाबाद, कैमूर, नवादा और रोहतास जिले को छोड़ कर अन्य जिलों में यह आदेश लागू होगा। इन जिलों को छोड़ कर अन्य जिलों में पदस्थापित सभी चिकित्सा पदाधिकारी, सभी स्वास्थ्य कर्मी नियोजित सहित, स्वास्थ्य प्रशिक्षक, पारा मेडकल स्टाफ, जीएनएम, एएनएम, शल्य कक्ष सहायक, लैब तकनीशियन और कार्यालय परिचारी का सभी प्रकार के अवकाश रद्द रहेंगे। इसमें मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्राचार्य और अधीक्षक से लेकर निदेशक प्रमुख तक शामिल हैं। 

इसके साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि जो चिकित्सा पदाधिकारी या स्वास्थ्य कर्मी अवकाश पर हैं, उन्हें तुरंत अपने कर्तव्य पर योगदान करना है।

बड़ी खबर : सीबीआई ने नीट पेपर लीक मामले में पटना एम्स के तीन डॉक्टरों को हिरासत में लिया, मचा हड़कंप

डेस्क : राजधानी पटना स्थित एम्स से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां के तीन डॉक्टरों को सीबीआई की टीम ने हिरासत में लिया है। मामला नीट पेपर लीक से जुड़ा बताया जा रहा है। सीबीआई को शक है कि पटना एम्स के इन तीनों डॉक्टर सॉल्वर्स गैंग से जुड़े है। तीनों से सीबीआई की टीम पूछताछ कर रही है।

नीट पेपर लीक मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले इस मामले में इस एक्शन से पटना एम्स प्रबंधन के साथ साथ वहां तैनात दूसरे डॉक्टरों के बीच हड़कंप मच गया है। बता दें इससे पहले बुधवार को सीबीआई की टीम ने झारखंड के हजारीबाग से इंजीनियर समेत दो लोगों को अरेस्ट किया था। गिरफ्तार इंजीनियर पंकज ने ही एनटीए के ट्रंक से नीट के प्रश्नपत्रों को अपने सहयोगी राजू की मदद से चुराया था और उसे इस गैंग से जुड़े लोगों तक पहुंचाया था।

मिली जानकारी के अनुसार सीबीआई की गिरफ्त में आए तीनों डॉक्टर 2021 बैच के हैं। रेड के बाद सीबीआई ने तीनों के कमरों को सील कर दिया है और उनके मोबाइल और लैपटॉप जब्त कर लिए हैं। तीनों डॉक्टरों से पूछताछ के लिए सीबीआई उन्हें अपने साथ ले गई है। पटना एम्स के इन तीनों डॉक्टरों के सॉल्वर्स गिरोह से जुड़े होने का शक है। पेपर लीक मामले के पूरे नेटवर्क को सीबीआई की टीमें खंगालने में लगी हैं।

राजधानी पटना में आज से शुरु होने जा रहा दो दिवसीय टेक्सटाइल इन्वेस्टर्स मीट, कई बड़ी टेक्सटाइल कंपनी के प्रतिनिधि करेंगे शिरकत

डेस्क : राजधानी पटना में आज से दो दिवसीय टेक्सटाइल इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन होने जा रहा है। मीट का समापन 19 जुलाई को होगा। मीट एक निजी होटल में होगी। जिसमें देश की कई जानी-मानी टेक्सटाइल कंपनी के प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे।

दरअसल बिहार के औद्योगिक विकास को लेकर एक अच्छी खबर है। पर्ल ग्लोबल और डेकाथलॉन की निर्माता कंपनी एटीपीएल बिहार में बड़ा निवेश करने जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में टेक्सटाइल सेक्टर में बिहार तेजी से आगे बढ़ा है। इसी को देखते हुए पटना में दो दिवसीय टेक्सटाइल इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन आज 18 जुलाई से शुरू हो जायेगा। प्रदेश के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्र ने बताया कि इस आयोजन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। मीट में प्रमुख कंपनियों में जेडी गिरी, शाही एक्सपोर्ट्स के अंकुर त्रिवेदी, अरविंद मिल्स , पर्ल ग्लोबल के पल्लब बनर्जी, ऑरिएंट क्राफ्ट लिमिटेड और रिलायंस आदि कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे।

एक आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार 26 मई 2022 से टेक्सटाइल पॉलिसी आने के बाद से अभी तक 88 नयी यूनिटों ने बिहार में रुचि दिखायी है। इनमें कुछ धरातल पर उतर चुकी हैं। कुछ की निवेश प्रक्रिया जारी है। इस सेक्टर में अभी तक 481.89 करोड़ के निवेश होने जा रहे हैं। राज्य में इस सेक्टर में अभी तक वी-2, न्यू जील, हाइस्प्रिट कमर्शियल वेंचर, आरएससीएस इंटरनेशनल ,कॉसमस जैसी प्रतिष्ठित कंपनियां बिहार में निवेश कर रही हैं। मुजफ्फरपुर के टेक्सटाइल क्लस्टर में वी-2 और आरएससीएस जैसी इकाइयां आ भी चुकी हैं। मुजफ्फरपुर का बैग क्लस्टर भारत का सबसे बड़ा बैग क्लस्टर बनकर उभरा है। यह तथ्य बिहार के औद्योगिक विकास की नयी पटकथा है।

दर्जनभर पुल-पुलिया गिरने के बाद सतर्क हुआ पथ निर्माण विभाग, कमजोर पुलों पर भारी वाहनों के आवागमन पर लगेगा रोक

डेस्क : बिहार में पिछले कुछ दिनों में दर्जन भर से अधिक पुल-पुलिया या तो गिर गए या पानी में बह गए। इस मामले को लेकर विपक्ष भी सरकार पर हमलावर रहा। वहीं एक दैनिक अखबार द्वारा इस अभियान चलाकर इसे प्रमुखता इसे प्रकाशित किया गया कि आखिर पुलों के गिरने के वजह क्या है। जिसके बाद पथ निर्माण विभाग ने इसका संज्ञान लिया है। सूबे के उपमुख्यमंत्री सह पथ निर्माण मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने पुलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभागीय अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिया है।

विभाग ने इंजीनियरों को इस महीने तक पुल-पुलियों की वास्तविक स्थिति का आकलन करने का निर्देश दिया है। इसी आधार पर पुल-पुलियों की मरम्मत होगी। विभाग ने साफ किया कि किसी भी परिस्थिति में आवागमन बाधित न हो। आकलन में पुल-पुलिया कमजोर साबित हुई तो तुरंत बैरिकेडिंग कर दी जाए। खासकर भारी वाहनों का आवागमन बंद कर दिया जाए ताकि पुलों पर आवागमन बंद न हो। आकलन में इसका खास ख्याल रखने को कहा गया है कि पुलों के निर्माण के समय उसकी तकनीकी भार वहन की स्थिति क्या थी और वर्तमान स्थिति क्या है, इसकी समीक्षा कर विभाग के स्तर पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। विभाग की ओर से भेजी गई मार्गदर्शिका के अनुसार पुलों का अनुरक्षण करने को कहा गया है।

राज्य के पुल-पुलियों का आकलन शुरू हो गया है। इस महीने तक आकलन के कार्य को पूरा कर लिया जाएगा। आकलन के आधार पर कमजोर पुलों की पहचान होने पर उससे भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई जाएगी। साथ ही वहां लिखा भी जाएगा कि अमूक पुल से भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित है ताकि र्ग्रामीण भी सतर्क होकर पुल की सुरक्षा कर सकें।

बड़ी खबर : वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी के पिता की हत्या का मुख्य आरोपी गिरफ्तार, पैसे के लेनदेन में घटना को दिया गया अंजाम

डेस्क : बिहार के दरभंगा जिले में वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी के पिता जीतन सहनी की हत्या मामले का पुलिस ने खुलासा कर दिया है। वहीं मुख्य आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है। हत्या को पैसे के लेनदेन के विवाद में अंजाम दिया गया था। दरभंगा के एसएसपी जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी ने मामले का खुलास करते हुए बताया कि हत्याकांड के मुख्य आरोपित काजिम अंसारी को गिरफ्तार कर लिया गया है। काजिम ने जीतन से डेढ़ लाख रुपए कर्ज पर लिए थे। कर्ज नहीं चुका पाने के कारण काजिम ने उनकी हत्या कर दी। एसएसपी ने बताया कि काजिम ने घटना में संलिप्तता स्वीकार करते हुए वारदात की विस्तृत जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि मुकेश सहनी के पैतृक गांव बिरौल थाने के अफजला निवासी शफीक अंसारी के पुत्र काजिम अंसारी (40) ने जीतन सहनी से तीन किस्तों में डेढ़ लाख रुपए का कर्ज चार प्रतिशत की मासिक ब्याज दर पर लिया था। इसके लिए उसने उनके पास अपनी जमीन गिरवी रखी थी। काजिम कर्ज चुका नहीं पा रहा था। काजिम ने सोमवार की रात करीब डेढ़ बजे साथियों के साथ जीतन सहनी के घर में पीछे के दरवाजे से प्रवेश किया। उस दरवाजे में अंदर का लॉक नहीं है। घर में घुसने के बाद इन सबने जीतन को जगाया और डरा-धमका कर अपनी जमीन और कर्ज के कागजात मांगे। इस पर जीतन से उनका विवाद हो गया। इस पर गुस्से में आकर काजिम ने जीतन पर ताबड़तोड़ चाकू से वार करना शुरू कर दिया। उसके साथियों ने जीतन के हाथ-पैर पकड़ रखे थे। हत्या करने के बाद आरोपितों ने अलमारी की चाबी ढूंढ़ने की कोशिश की ताकि अपने कागजात वापस ले जा सकें। चाबी नहीं मिलने पर लाल अलमारी को उठाकर घर के पीछे तालाब में फेंक दिया जिससे कागजात गलकर नष्ट हो जाएं। एसएसपी ने कहा कि काजिम ने पूछताछ में अपने साथियों के नाम बताए हैं।