झारखण्ड में विधानसभा चुनाव को लेकर जदयू और जन मोर्चा ने शुरू की एक नए सियासी मोर्चे के गठन की कवायद
झारखण्ड डेस्क
राजनीती में ना तो कोई दोस्त होता हैं ना दुशमन. इस लिए बिहार और केंद्र में भले हीं जदयू एनडीए घटक का हिस्सा रहा लेकिन बीजेपी ने उन्हें अन्य राज्यों में खास तबज्जो नहीं दिया. यही बजह की झारखण्ड अलग राज्य बनने के बाद जिस जदयू के हिस्से में 5 सीटें थी आज वहां जदयू का वजूद हीं ख़त्म हो गया.कभी भी भाजपा के साथ रहते हुए भी जदयू को झारखण्ड में भाजपा ने जदयू के साथ सीट शेयर नहीं किया.
अब चुकी झारखंड में अगले तीन-चार महीनों में संभावित विधानसभा चुनाव हैं.उसके पहले एक नए सियासी मोर्चे के गठन की कवायद शुरू हुई है.
इस मोर्चे की अगुवाई बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और नितीश के कॉलेज के ज़माने में मित्र रहे झारखण्ड के निर्दलीय विधायक सरयू राय कर सकते हैं.
नीतीश कुमार झारखंड में अपनी पार्टी की खोई हुई जमीन फिर से हासिल करना चाहते हैं और इसके लिए वह कुछ छोटी पार्टियों और सियासी समूहों को अपने साथ ला सकते हैं.
सरयू राय 'भारतीय जन मोर्चा' नाम की पार्टी चलाते हैं. रविवार को पटना में नीतीश कुमार और सरयू राय ने झारखंड में सियासी संभावनाओं पर मंथन किया. बैठक के बाद सरयू राय ने कहा कि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू झारखंड में एनडीए फोल्डर से अलग है. उन्होंने भारतीय जन मोर्चा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है.
सरयू राय ने कहा, ''कोशिश हो रही है कि झारखंड में एनडीए और इंडिया गठबंधन से अलग हट कर तीसरा मोर्चा गठित हो. इसका उद्देश्य झारखंड में दोनों गठबंधनों से निराश जनता के बीच एक नया राजनीतिक विकल्प पेश करना है. इसके तहत कई अन्य नेताओं और राजनीतिक संगठनों को साथ लाने पर चर्चा चल रही है.''
2005 के विधानसभा में झारखण्ड में जदयू ने जीती थीं छह सीटें
नीतीश कुमार की पार्टी बीते डेढ़ दशक से झारखंड में अपना जनाधार खोता गया. कारण था चुनावी राजनीती से जदयू को अलग होना.
साल 2000 में जब झारखंड अलग राज्य बना था, तब नीतीश कुमार समता पार्टी के सुप्रीमो थे. यहां उनकी पार्टी के पांच विधायक थे. साल 2003 में नीतीश कुमार ने समता पार्टी की जगह जनता दल यूनाइटेड बनाई. इसके बाद 2005 में झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जदयू का गठबंधन हुआ. बीजेपी ने राज्य की 63 और जदयू ने 18 सीटों पर चुनाव लड़ा. जदयू ने छह सीटें जीतीं.
2009 का विधानसभा चुनाव भी बीजेपी और जदयू ने साथ मिलकर लड़ा, लेकिन 2014 के चुनाव में दोनों पार्टियों की दोस्ती टूट गई. इसके बाद से झारखंड में जदयू की जमीन खिसकती चली गई. अब जदयू एक बार फिर से पुरानी जमीन हासिल करना चाहती है.
पार्टी की नजर झारखंड में कुर्मी-कोयरी वोटरों पर है. बिहार में इस वोट बैंक पर जदयू की पकड़ मानी जाती है. उसकी कोशिश है झारखंड में उन क्षेत्रों में फोकस रखा जाए, जहां इन दोनों जातियों की खासी आबादी है.
इस बार 12 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है जेडीयू
इधर रांची में जदयू की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हुई, जिसमें विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा हुई. पार्टी ने 10 से 12 सीटों पर चुनाव लड़ने का योजना बनया.जदयू के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद खीरू महतो ने कहा कि हमने चुनाव लड़ने के लिए राज्य में सीटें चिन्हित कर ली है. इसकी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को भेजी जा रही है.अब देखना हैं कि जदयू का केंद्रीय नेतृत्व यह चुनाव भाजपा के साथ लड़ती हैं या तीसरा मोर्चा का विकल्प बन सकता है
क्या तीसरे मोर्चा कि बनती हैं संभावना तो जयराम महतो भी हो सकते इसका हिस्सा
इधर कुर्मी, कुशवाहा वोटर को एक जुट कर तीसरे मोर्चे के मुहीम में जदयू और जन मोर्चा की कोशिश होंगी कि राजनीती के रानी क्षेत्र में तेजी से उभड़ते युवा जयराम महतो कि पार्टी को भी अपने पक्ष में करे ताकि इस मुहीम में भाजपा और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को चुनौती दे सके. इस मुहीम को कैसे प्रबंधित किया जाता हैं यह खिरू महतो और सरयू राय पर निर्भर करता हैं.
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Jul 18 2024, 14:21