राज्य में अनुबंध कर्मियों के नियमितिकरण का मुद्दा को लेकर बाबूलाल मरांडी ने सरकार को घेरा, कहा सरकार वादा कर खामोश हैं
झारखण्ड डेस्क
रांची। झारखंड में अनुबंधित कर्मचारियों का नियमितिकरण एक बड़ा मुद्दा है. पूरे पांच साल तक अनुबंधित कर्मचारियों का दिन आंदोलन प्रदर्शन में गुजरा हैं.अब इस मुद्दे पर राजनीति भी गर्मा गयी है. भाजपा लगातार हेमंत सोरेन के पुराने VIDEO को पोस्ट कर अनुबंधकर्मियों का हितैषी खुद को साबित करने में लगी हुई है.
भाजपा के सभा में युवाओं और कर्मचारियों का जिक्र जरूर हो रहा है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने एक बार फिर संकल्प सभा में अनुंबंधकर्मियों के नियमितिकरण और सहायक पुलिसकर्मियों के मुद्दे पर सरकार की खामोशी पर निशाना साधा.
बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि हेमंत सोरेन ने आंगनबाड़ी सेविकाओं, सहायक पुलिसकर्मियों और राज्य के अनुबंधकर्मियों के समक्ष लंबे चौड़े वादे किए थे, लेकिन आज हेमंत इनकी तरफ देख भी नहीं रहे. सरकार के द्वारा आंदोलनरत कर्मियों के उपर लाठियां भांजी जा रही है। राज्य में कानून व्यवस्था की बदतर स्थिति और बेलगाम आपराधिक घटनाएं होने के कारण रोजगार के नए अवसर सृजित नहीं हो रहे. भारतीय जनता पार्टी प्रदेश की शांति, सुरक्षा और विकास के लिए कांग्रेस झामुमो की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए संकल्पित है.
ढ़ाई लाख कर्मचारी अनुबंध पर झारखंड में अनुबंधकर्मयों को नियमित करने की राह उतनी आसान नहीं है. जानकारी के मुताबिक जिला से लेकर प्रदेश स्तर तक में करीब 2 लाख 28 हजार कर्मी अनुबंध पर हैं.
अनुबंध पर काम करने वालों की संख्या स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास विभाग में सर्वाधिक है. वहीं होमगार्ड से लेकर पुलिस विभाग में भी अनुबंध पर कर्मचारी काम कर रहे हैं.
झारखंड में दैनिक पारिश्रमिकों के नियमितीकरण के लिए पूर्व में कर्नाटक सरकार और अन्य बनाम उमा देवी के अलावा 10.04. 2006 को पारित आदेश की तिथि को आधार माना गया है. इस तिथि के पूर्व न्यायालयों अथवा न्यायाधिकरण के द्वारा पारित आदेश से आच्छादित मामलों को छोड़कर सृजित पदों के विरुद्ध कार्यरत एवं कम से कम 10 वर्षों की लगातार सेवा करने वाले और नियमित रूप से नियुक्त कर्मियों की सेवा नियमितीकरण पर विचार किया जाने का प्रावधान रखा था.
बाद में इसे संशोधित करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में दायर नरेंद्र कुमार तिवारी एवं अन्य बनाम झारखंड राज्य एवं अन्य में दिनांक 01.08. 2018 को पारित न्यायादेश के आलोक में सरकार ने इसे संशोधन किया था. Also Read - "इंदिरा भी झुकी थीं , हेमंत भी झुकेंगे" हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद भाजपा ने हेमंत सरकार को लिया निशाने पर, कहा..अंत का आगाज ऐसे ही होता है.. कार्मिक विभाग द्वारा 20.06.19 को जारी अधिसूचना के अनुसार न्यायादेश की तिथि आधार मानते हुए सृजित पदों के विरुद्ध कार्य एवं कम से कम 10 वर्षों की लगातार सेवा करने वाले और नियमित रूप से नियुक्त कर्मियों की सेवा नियमितीकरण पर विचार किया जा सकेगा.
इसके अलावे मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित सूची के आधार पर उम्मीदवारों की सेवा नियमितीकरण की कार्रवाई नियुक्ति प्राधिकार द्वारा की जाएगी. 10 वर्षों की लगातार सेवा पूरी करने वाले वैसे सभी अनियमित रूप से नियुक्त एवं कार्यरत जो 'झारखंड सरकार के अधीनस्थ अनियमित रूप से नियुक्त एवं कार्यरत कर्मियों की सेवा नियमितीकरण नियमावली 2015' में निर्धारित अन्य सभी शर्तों को पूरा करते हों कि सेवा के नियमितीकरण पर विचार कर लिए जाने तक यह नियमावली प्रभावी माना जाएगा.
Jul 15 2024, 17:29