शहीद दिवस पर मुझे नजरबंद कर दिया..', महबूबा मुफ्ती ने दिखाई दरवाजे पर ताले की तस्वीर, केंद्र पर साधा निशाना

Image 2Image 4

 केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने दावा किया कि उन्हें कश्मीर शहीद दिवस पर मजार-ए-शुहादा जाने से रोकने के लिए नजरबंद किया गया। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती ने अपने आवास के गेट पर ताला लगे होने की तस्वीरें एक्स पर साझा कीं है।

उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है कि, "मुझे मजार-ए-शुहादा जाने से रोकने के लिए मेरे घर के दरवाजे एक बार फिर बंद कर दिए गए हैं। ये सत्तावाद, उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ कश्मीर के प्रतिरोध और लचीलेपन का एक स्थायी प्रतीक है। हमारे शहीदों का बलिदान इस बात का प्रमाण है कि कश्मीरियों की भावना को कुचला नहीं जा सकता। आज इस दिन शहीद हुए प्रदर्शनकारियों की याद में इसे मनाना भी अपराध बन गया है।" बता दें कि, प्रत्येक वर्ष 13 जुलाई को अधिकतर मुस्लिम नेता श्रीनगर स्थित मजार-ए-शुहादा पर उन 22 प्रदर्शनकारियों को श्रद्धांजलि देने आते हैं, जो शेख अब्दुल्ला जैसे मुस्लिम नेताओं के नेतृत्व में तत्कालीन महाराजा के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे और इसके बाद 1931 में तत्कालीन महाराजा की सेना ने गोली मार दी थी।

केंद्र पर निशाना साधते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह "हमारी सामूहिक स्मृतियों को मिटाने" की कोशिश है। वहीं, नेशनल कांफ्रेंस (NC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा कि, "एक और 13 जुलाई, शहीद दिवस, फिर से दरवाजे बंद... देश में हर जगह इन लोगों की शहादत का जश्न मनाया जाता है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में प्रशासन इन बलिदानों को नजरअंदाज करना चाहता है। यह आखिरी साल है, जब वे ऐसा कर पाएंगे। इंशाअल्लाह, अगले साल हम 13 जुलाई को उस गंभीरता और सम्मान के साथ मनाएंगे, जिसका यह दिन हकदार है।

जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र का बड़ा फैसला, उपराज्यपाल को मिली दिल्ली के एलजी जैसी पावर

#modigovtgivesmorepowertojammuandkashmirlieutenantgovernor

Image 2Image 4

केन्द्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर का बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की ताकत बढ़ा दी है। केन्द्र सरकार ने राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ये फैसला लिया है। जम्मू-कश्मीर में कुछ समय बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 में संशोधन किया है। इस संशोधन के बाद अब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल दिल्ली के एलजी की तरह अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग जैसे फैसले कर पाएंगे।

गृहमंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत संशोधित नियमों को अधिसूचित किया। इसमें उपराज्यपाल की भूमिका को परिभाषित करने वाले नए खंड जोड़े गए हैं। अधिसूचना में कहा गया है कि कानून के तहत उपराज्यपाल के विवेक का इस्तेमाल करने के लिए पुलिस, कानून व्यवस्था, एआईएस और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी ) से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को वित्त विभाग की पूर्व सहमति की आवश्यकता नहीं होगी, बशर्ते कि प्रस्ताव को मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष रखा गया हो।

एलजी के पास होंगी ये शक्तियां

गृहमंत्रालय के फैसले के बाद अब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की प्रशासनिक भूमिका का दायरे बढ़ जाएगा। इस संशोधन के बाद उपराज्यपाल को अब पुलिस, कानून व्यवस्था, एआईएस से जुड़े मामलों में ज्यादा अधिकार होंगे। पहले, एआईएस से जुड़े मामलों (जिनमें वित्त विभाग की सहमति जरूरी होती थी) और उनके तबादलों और नियुक्तियों के लिए वित्त विभाग की मंजूरी जरूरी थी। लेकिन अब उपराज्यपाल को इन मामलों में भी ज्यादा अधिकार मिल गए हैं। इसके अलावा अब महाधिवक्ता, कानून अधिकारियों की नियुक्ति और मुकदमा चलाने की अनुमति देने या इनकार करने या अपील दायर करने से संबंधित प्रस्ताव पहले उपराज्यपाल के सामने रखे जाएंगे। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन के बाद पुलिस, पब्लिक ऑर्डर, ऑल इंडिया सर्विस और एंटी करप्शन ब्यूरो से रिलेटेड प्रस्तावों पर वित्त विभाग की सहमति के बिना फैसला लेने का अधिकार उपराज्यपाल के पास रहेगा।

उमर अब्दुल्ला ने फैसले पर उठाए सवाल

मोदी सरकार के इस फैसले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सवाल उठाया है। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल को अधिक शक्तियां देने पर उन्होंने कहा है कि अब छोटी से छोटी नियुक्ति के लिए भीख मांगनी पड़ेगी। जम्मू-कश्मीर को रबर स्टांप मुख्यमंत्री नहीं चाहिए। जम्मू-कश्मीर के लोग बेहतर सीएम के हकदार हैं।

सात राज्यों के 13 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आज, उत्तराखंड के दो सीटों पर कांग्रेस को बढ़त, बीजेपी को झटका

#by_election_results_2024

सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आज घोषित किए आएंगे। इसके लिए वोटों की गिनती जारी है। बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में 13 विधानसभा सीटों के लिए 10 जुलाई को वोटिंग हुई थी। इन 13 सीटों के चुनाव परिणाम आज घोषित किए जाएंगे। कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।

Image 2Image 4

हिमाचल प्रदेश की तीनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस आगे

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू की पत्नी समेत कांग्रेस के उम्मीदवार राज्य की तीनों विधानसभा सीटों पर आगे चल रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि पांचवें चरण की मतगणना के बाद सुखू की पत्नी कमलेश ठाकुर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और भाजपा उम्मीदवार होशियार सिंह से 636 मतों से आगे चल रही हैं। उन्होंने बताया कि हमीरपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के पुष्पिंदर वर्मा दूसरे चरण की मतगणना के बाद भाजपा उम्मीदवार आशीष शर्मा से 1,704 मतों से आगे चल रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि नालागढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार हरदीप सिंह बाबा पहले चरण की मतगणना में भाजपा उम्मीदवार केएल ठाकुर से 646 मतों से आगे चल रहे हैं।

उत्तराखंड की दोनों सीटों पर क्या हैं रुझान

उत्तराखंड की बद्रीनाथ सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। वहीं मंगलौर सीट पर बसपा उम्मीदवार आगे हैं। मंगलौर में बसपा विधायक के निधन के बाद यहां उपचुनाव हुए हैं। बसपा ने दिवंगत नेता के बेटे को ही टिकट दिया है। 

बंगाल की चारों सीटों पर टीएमसी आगे

पश्चिम बंगाल की चारों सीटों पर सत्ताधारी टीएमसी पार्टी आगे चल रही है। बंगाल की बगदा, रानाघाट, मनिकतला और रायगंज सीट पर उपचुनाव हुए हैं।

अजीत डोभाल ने अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन से की बात, गार्सेटी की धमकियों के बाद घुमाया फोन

#indian_nsa_ajit_doval_and_us_nsa_jake_sullivan_telephonic_conversation

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया रूस दौरे से अमेरिका नाराज है। इस बात का अंदाजा भारत में तैनात अमेरिकी राजूदत एरिक गार्सेटी के बयान से लगाया जा सकता है। अमेरिकी राजदूत एरिक ने कहा है कि भारत अपनी रणनीतिक आजादी को पसंद करता है लेकिन जंग के मैदान में इसका कोई मतलब नहीं है। उनके इस बयान पर भारत ने करारा जवाब दिया है। 

Image 2Image 4

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने शुक्रवार को अपने अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की।प्रधानमंत्री के रुस दौरे के बाद भारत-अमेरिकी संबंधों पर पड़ रहे असर को देखते हुए दोनों देशों के एनएसए की बातचीत काफ़ी अहम है।

विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों के बीच हुई बातचीत की जानकारी दी है। इसमें बताया कि डोभाल और सुलिवन ने शांति और सुरक्षा के लिए वैश्विक चुनौतियों से निपटने पर बात की। इसके साथ ही उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और आगे बढ़ाने के लिए ‘साथ मिलकर’ काम करने की जरूरत दोहराई। 

इस बयान में कहा गया कि दोनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने भारत-अमेरिका संबंधों को और आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति जताई, जो ‘साझा मूल्यों और सामान्य रणनीतिक और सुरक्षा हितों’ पर बने हैं। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, उन्होंने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के विभिन्न मुद्दों और जुलाई 2024 में और बाद में होने वाले क्वाड फ्रेमवर्क के तहत आगामी उच्च-स्तरीय कार्यक्रमों पर चर्चा की।

दोनों देशों के बीच में यह बात उस समय हुई है, जब अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने भारत के रूस संबंधों पर टिप्पणी की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के बाद भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि आपस में जुड़ी दनिया में कोई भई युद्ध अब किसी से दूर नहीं है। ऐसे में देशों को ना सिर्फ शांति के लिए खड़ा होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह तय करने के लिए भी ठोस कदम उठाने चाहिए कि जो लोग शांति पूर्वक काम नहीं करते हैं, उन पर भी लगाम लगे। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि भारत अपनी रणनीतिक आजादी को पंसद करता है लेकिन जंग में मैदान में इसका कोई भी मतलब नहीं होता।

महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में महायुति के सभी उम्मीदवार जीते, क्रॉस वोटिंग ने बिगाड़ा गणित

#maharashtra_mlc_election_2024

Image 2Image 4

महाराष्ट्र विधान परिषद चुनावों में महाविकास आघाडी (एमवीए) को झटका लगा है। कांग्रेस के करीब आधा दर्जन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। इसके चलते महायुति के सभी नौ कैंडिडेट आसानी से चुनाव जीत गए। तो वहीं दूसरी ओर महाविकास आघाड़ी को सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली। लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने महाराष्ट्र में एनडीए को धूल चटाने के बाद अब विधान परिषद चुनाव में अपनी सीट गंवा दी है। विधान परिषद चुनाव में नंबर गेम होने के बाद भी महा विकास आघाडी अपनी सीटें जीत नहीं सका। चुनाव में 11 में से 9 सीटों पर महायुति यानी एनडीए को जीत मिली है जबकि एमवीए को दो सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है। चुनाव में सबसे बड़ा झटका शरद पवार गुट की एनसीपी को लगा है, जिसके समर्थन के बाद भी जयंत पाटिल को करारी हार झेलनी पड़ी है।

12 उम्मीदवारों में से भाजपा के पांच उम्मीदवार जीत गए हैं। बीजेपी के सभी 5 उम्मीदवार पंकजा मुंडे, परिणय फुके, अमित गोरखे, योगेश टिळेकर और सदा भाऊ खोत को जीत मिली। एनसीपी (अजित पवार) गुट और शिवसेना के दो-दो उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। एकनाथ की शिवसेना के दो उम्मीदवार कृपाल तुमाने और भावना गवली विजयी रहीं. अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दो के दोनों उम्मीदवार शिवाजी राव गरजे और राजेश विटेकर भी चुनाव जीत गए। इस तरह महायुति गठबंधन के सभी नौ उम्मीदवार चुनाव जीत गए हैं। 

वहीं, महाविकास अघाड़ी (एमवीए) की तरफ से कांग्रेस की प्रज्ञा सातव और शिवसेना उद्धव गुट के मिलिंद नार्वेकर भी जीत गए हैं। पीडब्ल्यूपीआई के जयंत पाटिल हार गए हैं। कहा जा रहा है कि एमवीए के कुल वोटों में से पांच वोट बंट गए। महाविकास अघाड़ी के पास कुल 64 वोट थे। इनमें प्रज्ञा सातव को 25, मिलिंद नार्वेकर को 22 और जयंत पाटिल को 12 वोट मिले। जयंत पाटिल ने कहा कि मुझे मेरे 12 वोट मिले हैं और कांग्रेस के कुछ वोट बंट गए हैं। 

चुनाव परिणाम से पहले अजित पवार की एक सीट पर असमंजस की स्थिति बनी थी. कहा जा रहा था कि उनके लिए दोनों सीट जीतना मुश्किल हो सकता है, लेकिन अजित पवार ने नंबर गेम नहीं होने के बाद भी जीत हासिल कर ली है। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस के कई विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की जिसका फायदा सीधे तौर पर अजित पवार को गयाष चर्चा है कि चुनाव में कांग्रेस के 5-6 वोट छिटके हैं। अजित पवार गुट के पास 42 वोट थे, लेकिन चुनाव में उसे 47 वोट मिले हैं।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक पृथ्वीराज चव्हाण का कहना है कि महाविकास अघाड़ी के पास में सिर्फ दो उम्मीदवारों को जिताने जितने ही वोट थे लेकिन उन्होंने 3 उम्मीदवार खड़े किए थे। यह सोचकर कि छोटे दलों की मदद से अपने तीसरे उम्मीदवार को जिता लेंगे, लेकिन क्रॉस वोटिंग किसने की और कैसे की, इस बात की जांच की जाएगी।

वहीं, विधान परिषद चुनाव परिणाम के बाद प्रेस कांफ्रें करते हुए डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, आज हम सभी के लिए हर्ष की बात है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हमारी महायुती की 9 सीटें चुनकर आई हैं। जो लोग ये कह रहे थे कि हमारी सीट गिराएंगे उनके भी वोट हमारे उम्मीदवारों को मिले हैं। आने वाले विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में हमारी महायुती सरकार बनाएगी।

2001 के अपहरण मामले में अबतक नहीं आया है फैसला, जानिए क्यों यूपी कोर्ट ने अमरमणि की अर्जी की खारिज

बस्ती के एमपी/एमएलए कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की 2001 के राहुल मधेसिया अपहरण मामले में अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी, बस्ती पुलिस और अभियोजन अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

Image 2Image 4

उन्होंने बताया कि बस्ती एमपी-एमएलए कोर्ट के जज प्रमोद कुमार गिरि ने पूर्व मंत्री की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि फरार घोषित अपराधियों को कोई छूट नहीं दी जा सकती। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने बस्ती के व्यवसायी धर्मराज गुप्ता के बेटे राहुल मधेसिया के अपहरण से जुड़े मामले में उन्हें अपराधी घोषित किया और 2 दिसंबर 2023 को उनकी संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि कोर्ट ने अपहरणकर्ताओं को संरक्षण देने और वाहन और पैसे तक पहुंच बनाने में उनकी भूमिका पर गौर किया। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने कहा कि अमरमणि त्रिपाठी जानबूझकर कोर्ट में पेश होने से बचते रहे, जिससे मामले में लगातार देरी हो रही है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 20 जुलाई तय की है।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि अमरमणि त्रिपाठी के वकील ने 3 जुलाई 2024 को अंतरिम जमानत याचिका दायर की थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया है। वकील के अनुसार, उनके मुवक्किल का नाम शुरू में एफआईआर में नहीं था, लेकिन बाद में जांच के दौरान उन्हें सह-आरोपी के रूप में शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि मामले में शिकायतकर्ता की मृत्यु हो चुकी है, जबकि राहुल मधेसिया ने खुद समझौता पत्र प्रस्तुत किया था जिसमें कहा गया था कि अमरमणि त्रिपाठी उनके अपहरण में शामिल नहीं थे। हालांकि, उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट लंबित है, जिसके कारण जमानत की अपील की गई है। वकील ने अपने आवेदन में उल्लेख किया, "अमरमणि त्रिपाठी को 19 दिसंबर 2001 को लखनऊ में गिरफ्तार किया गया था और 21 दिसंबर 2001 को हिरासत रिमांड के लिए बस्ती कोर्ट में पेश किया गया था। इसमें उल्लेख किया गया था कि 1 फरवरी 2002 को जमानत आदेश जारी किया गया था।" 6 दिसंबर 2001 को बस्ती शहर थाना क्षेत्र के गांधी नगर मोहल्ले से धर्मराज गुप्ता के बेटे का कुछ अज्ञात लोगों ने उस समय अपहरण कर लिया था, जब वह अपने स्कूल जा रहा था। यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने सात दिन बाद अमरमणि त्रिपाठी के लखनऊ स्थित आवास से उन्हें सकुशल बरामद कर लिया।

इससे पहले, कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा विभाग ने 24 अगस्त 2023 को अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी की समयपूर्व रिहाई का आदेश जारी किया था, जिसमें राज्य की 2018 की छूट नीति का हवाला दिया गया था, क्योंकि उन्होंने लखनऊ में कवियत्री मधुमिता शुक्ला की 2003 में हुई हत्या के मामले में 20 साल की सजा पूरी कर ली थी।

ईरान में मसूद पेजेश्कियान के आने के बाद भारत के साथ रिश्‍तों पर क्‍या होगा असर?

#indiairanrelationsafternewpresidentmasoud_pezeshkian 

इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्‍टर हादसे में मौत के बाद ईरान को नया राष्‍ट्रपति मिल गया है। ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में सुधारवादी नेता मसूद पेजेश्कियान ने रूढ़िवादी सईद जलीली पर जीत दर्ज की है।मसूद अकेले सुधारवादी उम्मीदवार थे, जिनको चुनाव लड़ने की इजाजत दी गई थी। हार्ट सर्जन से राजनीति में आए अनुभवी सांसद और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मसूद पेजेश्कियान ने आश्चर्यजनक रूप से विरोधियों को पीछे छोड़ते हुए जीत दर्ज की है। मसूद को ईरान के लॉ प्रोफोइल और चमक-दमक से दूर रहने वाले राजनेताओं में गिना जाता है।

Image 2Image 4

ईरान-भारत के रिश्तों पर क्या होगा असर

69 साल के मसूद के चुनाव जीतने के बाद ये सवाल है कि क्या उनके आने से ईरान और भारत के रिश्तों में क्या कोई बदलाव देखने को मिल सकता है? ईरान की सत्ता संभालने वाले पेजेश्कियान की जीत भारत के लिए काफी अहम मानी जा रही है। रईसी के वक्त भी भारत और ईरान के बीच संबंध काफी अच्छे रहे। भारत और ईरान के बीच मजबूत आर्थिक संबंध रहे हैं। अब जब ईरान की सत्ता पेजेश्कियान के हाथ में जा रही तो दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होने की संभावना है।

कहा जाता है कि ईरान और भारत के बीच संबंध क्षेत्रीय सुरक्षा पर आधारित रहा है। भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर भी अहम डील हो चुकी है। चाबहार पोर्ट को ग्वादर पोर्ट के लिए चुनौती के तौर पर देखा जाता है। इस पोर्ट के जरिए भारत-ईरान और अफगानिस्तान जुड़ेंगे। माना जा रहा है कि ईरान के नए राष्ट्रपति पेजेश्कियान भी भारत के साथ संबंधों को आगे बढ़ाते रहेंगे। चाबहार पोर्ट को लेकर भारत और ईरान की जो रणनीति रही है वो भी आगे बढ़ती रहेगी। चाबहार पोर्ट एक ऐसा प्रोजेक्ट है जहां भारत ने बड़ा निवेश किया है। इस प्रोजेक्ट से भारत को जो फायदा होगा वो तो होगा ही, लेकिन ईरान को उससे कहीं ज्यादा लाभ मिलने वाला है। इसलिए नए राष्ट्रपति के आने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत ही होंगे।

ईरान के राजदूत पहले ही दे चुके हैं ये संदेश

इस पर भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही पहले ही अपनी राय जता चुके हैं। उन्होंने कहा है कि भारत और ईरान के रिश्ते मजबूत हैं और आगे इनको और भी बेहतर किया जाएगा। इलाही ने कहा कि किसी भी के राष्ट्रपति बनने से भारत के साथ ईरान की विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं होगा।

नेपाल में पुष्प कमल दहल की सरकार गिरी, संसद में साबित नहीं कर सके बहुमत

#nepal_pushpa_kamal_dahal_loses_vote_of_confidence 

Image 2Image 4

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड को बड़ा झटका लगा है। दहल संसद में विश्वास मत हार गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। दरअसल, सीपीएम-यूएमल ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। 275 सदस्यों वाले हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव (एचओआर) में प्रचंड के विश्वास मत के खिलाफ 194 और समर्थन में 63 वोट पड़े। विश्वास मत हासिल करने के लिए 138 मतों की आवश्वयकता थी। इसके साथ ही के पी शर्मा ओली का नया पीएम बनना लगभग तय हो गया है। 

पुष्प कमल दहल ने पीएम बनने के डेढ़ साल बाद संसद में बहुमत साबित ना कर पाने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया।नेपाली कांग्रेस के साथ एक नए गठबंधन के गठन के लिए समझौते के बाद सीपीएन-यूएमएल के सरकार से अपना समर्थन वापस लेने के बाद प्रधानमंत्री दहल ने संविधान के अनुच्छेद 100(2) के अनुसार फ्लोर टेस्ट का विकल्प चुना लेकिन वह बहुमत साबित नहीं कर सके। संसद में विश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी संविधान को कमजोर नहीं करेगी और ना ही दूसरों को ऐसा करने की अनुमति देगी।

दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की अगुवाई वाली सीपीएन-यूएमएल गठबंधन द्वारा सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद प्रचंड को विश्वासमत का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। गठबंधन इस बात पर सहमत हुआ है कि कम्युनिस्ट पार्टी के नेता के.पी. ओली नए प्रधानमंत्री होंगे। दहल 25 दिसंबर 2022 को प्रधानमंत्री नियुक्त होने के बाद चार फ्लोर टेस्ट का सामना कर चुके थे, जिनमें उनको कामयाबी मिली लेकिन इस दफा यानी पांचवें फ्लोर टेस्ट में वह फेल हो गए।

वर्तमान में नेपाली कांग्रेस के पास सदन में 89 सीटें हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीटें हैं। उनकी संयुक्त ताकत 167 है जो निचले सदन में बहुमत के लिए आवश्यक 138 सीटों से कहीं ज़्यादा है। प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी सेंटर) के पास 32 सीटें हैं।

प्रचंड के विश्वासमत हसिल नहीं कर पाने के बाद ओली शनिवार को प्रधानमंत्री बन सकते हैं और रविवार को वह पद और गोपनीयता की शपथ ले सकते हैं। पार्टी सचिवालय में ओली ने कहा कि दो बड़े राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन नेपाल के विकास के लिए जरूरी था।

जो करेगा जाति की बात, उसे पड़ेगी कसकर लात’, आखिर किस पर भड़के नितिन गडकरी?*
Image 2Image 4
#nitin_gadkari_caste_politics
भारतीय जनता पार्टी के नेता और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। इस बार गडकरी ने जातिवाद की राजनीति को लेकर बड़ा और सख्त बयान दिया है। महाराष्ट्र के पुणे में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मैं जात-पात को नहीं मानता। जो जात की बात करेगा, उसे मैं कसकर लात मार दूंगा। बीजेपी सांसद नितिन गडकरी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने लगातार मतदाताओं का भरोसा जीता है। उन्होंने भाजपा नेताओं से यह भी कहा कि वो गलती न दोहराएं, जिस वजह से कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई है। गडकरी ने स्पष्ट रूप से कहा, अगर हम कांग्रेस की तरह काम करते रहेंगे तो कांग्रेस का सत्ता से बाहर जाने का कोई फायदा नहीं और हमारा सत्ता में आने का भी कोई फायदा नहीं है। अपने संबोधन में गडकरी पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के ‘भाजपा अलग सोच वाली पार्टी है’ वाले बयान को भी याद किया। भाजपा नेता ने कहा, ‘आडवाणी कहते थे कि भाजपा अलग सोच वाली पार्टी है। हम जानते हैं कि हम दूसरे दलों से कितने अलग हैं।’ गडकरी ने आगे कहा कि जनता ने भाजपा को इसलिए चुना है क्योंकि कांग्रेस ने गलतियां कीं थीं। उन्होंने भाजपा नेताओं को चेताया कि पार्टी इसी तरह की गलतियों को दोहरा रही है। भाजपा नेता ने कहा,‘आने वाले दिनों में भाजपा नेताओं को यह समझना होगा कि राजनीति समाज और आर्थिकी में बदलाव का एक जरिया है।’ उन्होंने कहा कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र में 40% मुसलमान हैं। मैंने उनको पहले ही कहा है, मैं आरएसएस वाला हूं, हाफ चड्ढी वाला हूं। किसी को वोट देने से पहले सोच लो कि बाद में पछताना ना पड़े। जो वोट देगा, मैं उसका काम करूंगा और जो नहीं देगा, मैं उसका भी काम करूंगा।
संविधान हत्या दिवस” के रूप में मनाया जाएगा 25 जून, केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना*
Image 2Image 4
#constitution_assassination_day_will_be_celebrated_every_year_on_25th_june
देश में आपातकाल की घोषणा 25 जून, 1975 में की गई थी।अब केंद्र की मोदी सरकार ने 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' मनाने का फैसला किया है।केंद्र सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है। खुद केंद्रीय मंत्री ने अधिसूचना की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सरकार के फैसले पर कहा कि यह उन हर व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जिसने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले हैं। केंद्र की ओर से जारी अधिसूचना में कहा है कि 25 जून 1975 में देश में आपातकाल लगाया गया था, ऐसे में अब भारत सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय किया है। यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण करायेगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था। अधिसूचना में कहा है, आपातकाल की घोषणा की मौजूदा सरकार की ओर से सत्ता का घोर दुरुपयोग किया गया और भारत के लोगों पर ज्यादतियां और अत्याचार किए गए थे। और जबकि भारत के लोगों को भारत के संविधान पर और भारत के मजबूत लोकतंत्र पर दृढ़ विश्वास है। अधिसूचना में आगे कहा गया है कि इसलिए भारत सरकार ने आपातकाल की अवधि के दौरान सत्ता के घोर दुरुपयोग का सामना और संघर्ष करने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किया है और भारत के लोगों को भविष्य में किसी भी तरह से सत्ता के घोर दुरुपयोग का समर्थन नहीं करने के लिए फिर से प्रतिबद्ध किया है। *अमित शाह ने सोशल मीडिया पर किया पोस्ट* केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस संबंध में ट्वीट भी किया है। गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए देश पर आपातकाल लागू करके हमारे लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को बिना किसी गलती के जेलों में डाल दिया गया था और मीडिया की आवाज भी दबा दी गई थी।उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार ने हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया है। इस दिन उन सभी लोगों के योगदान का याद किया जाएगा जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को सहन किया था। *पीएम मोदी ने भी किया ट्वीट* 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने के सरकार के निर्णय पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना हमें याद दिलाएगा कि जब भारत के संविधान को रौंदा गया था, तब क्या हुआ था। यह प्रत्येक व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जिसने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले, जो भारतीय इतिहास का एक काला दौर था।