बैडमिंटन कोर्ट में हुआ राष्ट्रपति और साइना नेहवाल का मुकाबला, ओलंपिक मेडल विनर को प्रेसिडेंट ने दी कड़ी चुनौती
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के बैडमिंटन कोर्ट में दिग्गज शटलर और राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता साइना नेहवाल के साथ बैडमिंटन खेला। बैडमिंटन खेलने के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने मंजे हुए खिलाड़ी की तरह कई शॉट लगाए और उन्होंने कई मौके पर साइना नेहवाल को मात भी दी।
राष्ट्रपति सचिवालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि राष्ट्रपति का यह प्रेरणादायक कदम ऐसे समय में भारत के बैडमिंटन की महाशक्ति के रूप में उभरने के अनुरूप है , जब महिला खिलाड़ी विश्व मंच पर बड़ा प्रभाव डाल रही हैं। मुर्मू और नेहवाल के मुकाबले की तस्वीरें साझा करते हुए आगे लिखा कि ‘राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का खेलों के प्रति स्वाभाविक प्रेम तब देखने को मिला जब उन्होंने राष्ट्रपति भवन के बैडमिंटन कोर्ट में बहुचर्चित खिलाड़ी साइना नेहवाल के साथ बैडमिंटन खेला।’
साइना नेहवाल ने भी राष्ट्रपति के साथ खेलने का मौका मिलने पर अपनी खुशी जाहिर की। नेहवाल ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहाकि "भारत के राष्ट्रपति के साथ खेलना मेरे लिए सम्मान की बात है...। यह मेरे जीवन का यादगार दिन है। मेरे साथ बैडमिंटन खेलने के लिए राष्ट्रपति जी का बहुत-बहुत धन्यवाद।"
हरियाणा की रहने वाली 33 वर्षीय शटलर नेहवाल ने अपने करियर की शुरुआत में 2008 में बीडब्लूएफ विश्व जूनियर चैंपियनशिप जीतकर सभी का ध्यान आकर्षित किया था। 2008 में वह ओलंपिक क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उन्होंने हांगकांग की तत्कालीन विश्व नंबर पांच खिलाड़ी वांग चेन को हराया। लेकिन इंडोनेशिया की मारिया क्रिस्टिन यूलियांटी से हार गईं।
2009 में साइना बीडब्लूएफ सुपर सीरीज प्रतियोगिता जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। उन्हें 2009 में अर्जुन पुरस्कार और 2010 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
लंदन में 2012 ओलंपिक खेलों के दौरान नेहवाल ने महिला एकल कांस्य पदक जीता। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 20 से अधिक खिताब जीते हैं और 2016 में केंद्र ने उन्हें प्रतिष्ठित पद्म भूषण से सम्मानित किया था। शटलर ने भारत के लिए एक शानदार करियर बनाया है जिसने देश में खेल को बदल दिया है। साइना ने कई प्रमुख बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया जिसमें उन्होंने कई ट्रॉफी और पदक जीते। वह खेल में दुनिया की नंबर 01 रैंकिंग रखने वाली एक मात्र महिला भारतीय खिलाड़ी भी हैं।





भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने हाल ही में पूर्व भारतीय बल्लेबाज गौतम गंभीर को टीम का मुख्य कोच नियुक्त किया था। बीसीसीआई सचिव जय शाह ने मंगलवार 9 जुलाई की शाम आधिकारिक तौर पर भारतीय टीम के नए मुख्य कोच के नाम की घोषणा की थी। हालांकि, गंभीर के पदभार संभालने से पहले ही बोर्ड ने उन्हें झटका दिया है। एक के बाद एक बीसीसीआई ने उनकी दो मांगों को सिरे से खारिज कर दिया। गंभीर जिन चेहरों को अपने कोचिंग स्टाफ में शामिल करना चाहते हैं, भारतीय क्रिकेट बोर्ड उन्हें नकार देता है। पहले गौतम गंभीर के बॉलिंग कोच की पसंद आर विनय कुमार को रिजेक्ट किया गया अब फील्डिंग कोच पर भी ऐसे ही हालात नजर आ रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, गंभीर ने फील्डिंग कोच के लिए जोंटी रोड्स का नाम प्रस्तावित किया था जिसे बोर्ड ने स्वीकार नहीं किया है। दरअसल, राहुल द्रविड़ की तरह, भारत के बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौड़, गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे और क्षेत्ररक्षण कोच टी दिलीप का कार्यकाल भी टी-20 विश्व कप के साथ खत्म हो चुका है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने द्रविड़, राठौड़, म्हाम्ब्रे और दिलीप को उनके योगदान के लिए आभार व्यक्त किया, जिससे श्रीलंका दौरे से हेड कोच गंभीर की अगुवाई में एक नए कोचिंग स्टाफ का संकेत मिला। परंपरागत रूप से, बीसीसीआई मुख्य कोच को अपना सहयोगी स्टाफ चुनने की अनुमति देता है और यही बात गंभीर पर भी लागू होगी। हालांकि, बोर्ड ने गेंदबाजी कोच और फील्डिंग कोच पदों के लिए गंभीर की शीर्ष पसंद को खारिज कर दिया है। गंभीर दक्षिण अफ्रीका के पूर्व दिग्गज जॉन्टी रोड्स को फील्डिंग कोच बनाना चाहते थे। हालांकि बीसीसीआई सपोर्ट स्टाफ में किसी भी तरह के विदेशी कोच को शामिल नहीं करना चाहता है। बीते कई सालों से बीसीसीआई देसी कोच के साथ काम कर रही है। रिपोर्ट में सोर्स ने बताया कि रोड्स के नाम को लेकर चर्चा हुई थी लेकिन बोर्ड ने तय किया कि सभी सपोर्ट स्टाफ के मेंबर भारतीय होंगे। इससे एक बार फिर टी दिलिप के लिए दोबारा दरवाज़े खुल जाते हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान शानदार काम किया था। पिछले कोचिंग स्टाफ के मेंबर का अगले हेड कोच के कार्यकाल में काम करना कोई नई बात नहीं है। बैटिंग कोच विक्रम राठौड़ ने 2019 वनडे वर्ल्ड कप के बाद रवि शास्त्री के हेड कोच रहते हुए ज्वाइन किया था और फिर द्रविड़ के हेड कोच बनने के बाद भी वह बैटिंग कोच रहे। इससे पहले गंभीर ने भारत के पूर्व तेज गेंदबाज आर. विनय कुमार को गेंदबाजी कोच नियुक्त करने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन बोर्ड इस चयन के पक्ष में नहीं था। मीडिया सूत्रों की माने तो अब रेस में जहीर खान और एल. बालाजी सरीखे दिग्गज हैं।




Jul 12 2024, 14:11
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