बिहार में फिर मंडरा रहा बाढ़ का खतरा, आईए जानते है पिछले तकरीबन 45 साल से बने इस समस्या की क्या है वजह…
डेस्क : पिछले दो हफ्ते से नेपाल और बिहार के सीमावर्ती क्षेत्र में भारी बारिश होने के कारण नदियों के जलस्तर में भारी वृद्धि हुई है। नेपाल के जलग्रहण क्षेत्र में बारिश के बाद कोसी नदी उफना गई। इससे सुपौल, मधेपुरा और सहरसा जिले में बाढ़ का संकट उत्पन्न हो गया है। मधेपुरा में आलमनगर तो सहरसा में सलखुआ के निचले इलाकों में पानी फैलने लगा है। खगड़िया जिले में कोसी और बागमती के जलस्तर में उतार-चढ़ाव से कटाव तेज हो गया है। कटिहार जिले में महानंदा नदी का जलस्तर बढ़ रहा है।
इधर, पूर्वी व पश्चिम चंपारण में गंडक उफान पर है तो सीतामढ़ी में बागमती खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर बराज से 4.40 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने के बाद गंडक का पानी दियारा क्षेत्र के गांवों में घुस गया है। बैरिया की बैजुआ पंचायत समेत अन्य गांवों के लोग पलायन करने लगे हैं।
वहीं सिकटा नदी में उफान से त्रिवेणी नहर का तटबंध नौ किमी में तीन जगहों पर टूट गया है। तटबंध टूटने से सिकटा के सरेह में पानी फैल रहा है। सुपौल जिले के सुपौल, किशनपुर, सरायगढ़-भपटियाही प्रखंडों के तटबंध के अंदर निचले इलाकों में पानी फैल गया है। लगभग तीन दर्जन से अधिक गांव में दो फीट पानी लोगों के आंगन और दरवाजे पर फैल गया है।
बीते दिनों सीएम नीतीश कुमार ने जलमग्न क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया। हालात का जायजा लेने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने बाढ़ प्रभावित इलाके में तत्काल राहत पहुंचाने का सख्त निर्देश दिया। वहीं आपदा प्रबंधन विभाग को बाढ़ से निपटने को लेकर पूरी तैयारी रखने का निर्देश दिया है।
आपदा प्रबंधन मंत्री बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन मंत्री संतोष कुमार सुमन ने कहा है कि आपदा विभाग स्थितियों पर नजर बनाए हुए हैं। गंभीर हालत होने पर आपदा से बचाव को लेकर तैयारियां पूरी है।
पिछले तकरीबन 45 सालों बिहार लगातार हर साल बाढ़ से जूझ रहा है। हर साल सरकार की ओर से बाढ़ के निदान के बड़े-बड़े दावे किये जाते है। लेकिन बरसात का मौसम आते ही सारे दावे फेल हो जाते है। उत्तर बिहार के अधिकांश जिले और खासकर सीमांचल के इलाके में बाढ़ से भारी तबाही होती है। इस इलाके को लोगों को जान-माल का भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
आइए जानते हैं कि बिहार हर साल बाढ़ में क्यों डूब जाता है....
बिहार में बाढ़ के सबसे प्रमुख कारणों में पहला नेपाल में जब भी पानी का स्तर बढ़ता है वह अपने बांधों के दरवाजे खोल देता है। इसकी वजह से नेपाल से सटे बिहार के जिलों में बाढ़ आ जाती है।
दूसरा फरक्का बराज बनने के बाद बिहार में नदी का कटाव बढ़ा है। सहायक नदियों द्वारा लाई गई गाद और गंगा में घटता जलप्रवाह समस्या को गंभीर बनाते हैं। बिहार में हिमालय से आने वाली गंगा की सहायक नदियां कोसी, गंडक और घाघरा बहुत ज्यादा गाद लाती हैं। इसे वे गंगा में अपने मुहाने पर जमा करती हैं। इसकी वजह से पानी आसपास के इलाकों में फैलने लगता है। नदी में गाद न हो और जलप्रवाह बना रहे तो ऐसी समस्या आए ही नहीं।
तीसरा बड़ा कारण पेड़ों की अंधाधुंध कटाई है। बिहार में जलग्रहण क्षेत्र (कैचमेंट एरिया) में पेड़ों की लगातार अंधाधुंध कटाई हो रही है। इसकी वजह से कैचमेंट एरिया में पानी रुकता ही नहीं। कोसी नदी का कैचमेंट एरिया 74,030 वर्ग किमी है। इसमें से 62,620 वर्ग किमी नेपाल और तिब्बत में है। सिर्फ 11,410 वर्ग किमी हिस्सा ही बिहार में है। पहाड़ों पर स्थित नेपाल और तिब्बत में ज्यादा बारिश होती है तो पानी वहां के कैचमेंट एरिया से बहकर बिहार में स्थित निचले कैचमेंट एरिया में आता है। पेड़ों के नहीं होने की वजह से पानी कैचमेंट एरिया में न रुककर आबादी वाले क्षेत्रों में फैल जाता है।
Jul 11 2024, 09:40