त्रिपुरा के स्कूल-कॉलेज में कैसे फैला एचआईवी? संक्रमण की चपेट में आए 828 छात्र, 47 की एड्स से मौत

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भारत के पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा में एचआईवी-एड्स को लेकर चौंकाने वाली खबर सामने आई है। राज्य में 828 स्टूडेंट्स में एचआईवी होने का पता चला है। इनमें से 47 छात्रों की मौत हो चुकी है। एचआईवी ग्रस्त 572 छात्र अभी भी जिंदा है और इनमें से कई हायर एजुकेशन के लिए त्रिपुरा से बाहर चले गए हैं। ये आंकड़े त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (टीएसएसीएस) की ओर से सामने आएं हैं। टीएसएसीएस का एक खुलासा और भी चौंकाने वाला है। सोसायटी के एक अधिकारी ने बताया कि अभी तक राज्य के 220 स्कूल और 24 ऐसे कॉलेजों की पहचान की गई है, जहां छात्र नशीली दवा लेते हैं।

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त्रिपुरा पत्रकार यूनियन, वेब मीडिया फोरम और टीएसएसीएस द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक वर्कशॉप को संबोधित करते हुए टीएसएसीएस के संयुक्त निदेशक ने ये आंकड़े प्रस्तुत किए।त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के संयुक्त निदेशक ने कहा, “हमने अप्रैल 1999 से राज्य में काम करना शुरू किया है। लेकिन छात्रों का आँकड़ा अप्रैल 2007 से मई 2024 तक, बीते 17 वर्षों में हमें 828 मामले एचआईवी-एड्स के मिले हैं। इनमें से 47 छात्रों की मौत हो चुकी है। हालाँकि 572 छात्र अब तक जीवित हैं, जिसमें से बड़ी संख्या में छात्र दूसरे राज्यों में पढ़ाई कर रहे हैं।”

त्रिपुरा में साल 1999 से अब तक एड्स के आँकड़ों से पता चला है कि अप्रैल 2007 से मई 2024 तक राज्य में एआरटी- एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी केंद्रों में 8,729 लोगों को रजिस्टर्ड किया गया है। इनमें एचआईवी से पीड़ित लोगों की कुल संख्या 5,674 है और इनमें भी 4,570 पुरुष, 1103 महिलाएँ और केवल एक मरीज ट्रांसजेंडर है। लेकिन जो संख्या सबसे ज्यादा चौंकाने वाली है, वो है छात्रों की।

अभी तक आए मामलों से पता चला कि जो छात्र एचआईवी की चपेट में आए, उनमें से अधिकतर अमीर परिवारों से हैं। उनके माता और पिता नौकरी करते हैं। ऐसे छात्रों को ड्रग्स खरीदने के लिए पैसे की कमी नहीं होती है। बता दें कि कुछ दिन पहले त्रिपुरा हाई कोर्ट ने भी ऐसे एक मामले की सुनवाई करते हुए एनडीपीएस अधिनियम के तहत पकड़े गए आरोपियों के माता-पिता घरवालों को सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया था। साथ ही उनसे गांव में एक महीने तक नशा विरोधी अभियान चलाने को कहा था।

आईआरएस अधिकारी ने बदला लिंग और नाम, अनुसूया से हो गए अनुकाथिर सूर्या

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भारत के सिविल सेवा इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई महिला अधिकारी पुरुष बन गया हो। हैदराबाद में तैनात एक महिला अधिकारी लिंग परिवर्तन कराकर युवक बन गए हैं। इस अधिकारी ने अपना नाम भी बदल लिया है। अब इस अधिकारी का नाम एम अनुसूया से अनुकाथिर सूर्या हो गया है। इस फैसले की मंजूरी वित्त मंत्रालय की ओर से भी मिल गई है।9 जुलाई को इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी गई। सभी सरकारी रिकॉर्ड में अब वह महिला नहीं रहेंगी।

भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) की एक महिला अधिकारी अब अपना लिंग बदल कर पुरुष बन गए हैं। 2013 बैच की आईआरएस एम. अनुसूया ने कुछ दिनों पहले अपना लिंग चेंज करने की अनुमति अपने विभाग से माँगी थी। उनको यह अनुमति मंगलवार (9 जुलाई, 2024) को दे दी गई। उन्हें यह अनुमति वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेज ने दी है। इस संबंध में एक आदेश सीबीडीटी की तरफ से जारी किया गया है। इसमें लिखा है, “सुश्री एम. अनुसूया, IRS (C&IT: 2013) वर्तमान में चीफ कमिश्नर (CESTAT), हैदराबाद के कार्यालय में ज्वाईंट कमिश्नर के रूप में तैनात हैं। उन्होंने अपना नाम सुश्री एम. अनुसूया से श्री एम.अनुकाथिर सूर्या और लिंग महिला से पुरुष में बदलने का अनुरोध किया है। सुश्री एम. अनुसूया के अनुरोध पर विचार किया गया है। अब से, अधिकारी को सभी आधिकारिक रिकॉर्डों में उनका नाम ‘श्री एम.अनुकाथिर सूर्या’ के रूप में पहचाना जाएगा।”

हैदराबाद में केंद्रीय कस्टम एवं सर्विस टैक्स अपीलेंट ट्रिब्यूनल में जॉइंट कमिश्नर के पद पर तैनात महिला आईआरएस अधिकरी जेंडर बदलने के बाद फिर से नौकरी पर वापस आ गई हैं।11 साल नौकरी करने के बाद उन्होंने अपना जेंडर बदला है।

2013 बैच की आईआरएस अधिकारी के लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार दिसंबर 2013 से मार्च 2018 तक उनकी तैनाती चेन्नई के तमिलनाडु में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर रही। उसके बाद अप्रैल 2018 से दिसंबर 2023 तक तमिलनाडु में ही वह डिप्टी कमिश्नर रहीं। जनवरी 2023 में उनकी तैनाती हैदराबाद में ज्वाइंट कमिश्ननर के पद की गई। तब से वह इस पद पर हैं।

ब्रिटेन में 14 साल बाद सत्ता परिवर्तन, क्या भारत के साथ रिश्तें पर पड़ेगा असर?

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दुनियाभर के चुनावों में बदलाव की दस्तक साफ-साफ सुनी जा सकती है। हाल ही में ब्रिटेन में भी ऐतिहासिक रूप से सत्ता परिवर्तन हुआ है। पिछले 14 सालों से ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी का शासन था। अब लेबर पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को ब्रिटिश आम चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा। प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक भले ही हमेशा ब्रिटेन के हितों को आगे रखते थे, लेकिन एक भारतवंशी होने की वजह से कहीं न कहीं भारत के लिए उनके मन में एक सॉफ्ट कॉर्नर जरूर रहा होगा और यह बात पीएम मोदी के साथ उनकी मुलाकातों में नजर भी आती थी। ऐसे में स्टारमर के आने के बाद भारत और ब्रिटेन के रिश्ते कैसे होंगे, इस पर चर्चा होने लगी है।सवाल उठ रहे हैं कि ब्रिटेन में किएर स्टार्मर की प्रचंड जीत हिंदुस्तान के लिए कैसी है? परिवर्तन के नारे के साथ सत्ता में आए किएर स्टार्मर भारत के लिए कैसे रहेंगे? 

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कीर स्टार्मर के भारत के लिए स्टैंड को चुनाव प्रचार के दौरान के उनके भाषणों से समझा जा सकता है। चुनाव अभियान के दौरान लेबर नेता कीर स्टार्मर ब्रिटिश भारतीयों के साथ-साथ भारत को भी लुभाने की कोशिश करते देखे गए। स्टार्मर ने लेबर और भारत के बीच तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने की बात कही और सरकार बनाने पर भारत के साथ एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी पर जोर दिया। स्टार्मर ने लेबर पार्टी के पुराने समय में लिए गए कुछ फैसलों का भी जिक्र किया। खासतौर से कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के पक्ष में पार्टी के रुख में बदलाव का उन्होंने संकेत दिया। दरअसल, 2019 में कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने पर लेबर ने भारत की आलोचना की थी।

किएर स्टार्मर ने वादा किया है कि वो भारत के साथ रिश्ते सुधारेंगे। अगर लेबर पार्टी की सरकार भारत के साथ रिश्ते सुधारने को अपने एजेंडे का हिस्सा बनाती है, तो किएर स्टार्मर के लिए भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर दस्तख़त करना सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी। इस तरफ उन्होंने कदम बढ़ा दिया है।ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का पद संभालते ही स्टारमर ने अपनी कैबिनेट का गठन कर दिया। उन्होंने डेविड लैमी को विदेश मंत्री नियुक्त किया। कहा जा सकता है कि यह भारत के लिए एक अच्छी खबर है क्योंकि लैमी को दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का समर्थक माना जाता है। 

51 साल के लैमी ने पिछले महीने ही कहा था कि अगर उनकी पार्टी 4 जुलाई को सत्ता में आती है तो वह नई दिल्ली का दौरा करेंगे।लैमी ने पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन द्वारा मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के लिए निर्धारित दिवाली 2022 की समय सीमा चूक जाने का जिक्र करते हुए कहा था, ‘कई दिवाली बिना किसी व्यापार समझौते के गुजर गई और बहुत सारे व्यवसाय इंतजार में रह गए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को मेरा संदेश है कि लेबर पार्टी आगे बढ़ने के लिए तैयार है। आइये, मुक्त व्यापार समझौता करें और आगे बढ़ें।’ लैमी ने यह भी कहा था कि अगर वह सरकार में शामिल हुए तो जुलाई के खत्म होने से पहले दिल्ली में होंगे।

बता दें कि ब्रिटेन में भारतीय मूल के लगभग 15 लाख लोग रहते हैं। वहीं, पाकिस्तानी मूल के भी लगभग 12 लाख लोग वहां बसते हैं; इसके अलावा ऐसे संगठन भी ब्रिटेन में सक्रिय हैं, जो भारत की संप्रभुता को चुनौती देते हैं। 10 डाउनिंग स्ट्रीट में लेबर पार्टी का प्रधानमंत्री आने से खालिस्तान को लेकर नई सरकार का क्या रुख रहेगा। इस पर भारत की नजर रहेगी। दरअसल, पिछले साल मार्च के महीने में लंदन में भारतीय उच्चायोग पर 50 खालिस्तान समर्थकों ने हमला किया था। इस घटना का असर दोनों देशों के रिश्तों पर भी पड़ा था।

इस बार चुनाव जीतने वालों में कई भारतीय चेहरे भी शामिल हैं, जिसमें प्रीति कौर गिल का चेहरा भारत से रिश्तों के लिहाज से काफी अहम साबित हो सकता है।ब्रिटेन की पहली सिख महिला सांसद लेकिन इनकी असली पहचान भारत विरोध से जुड़ी है, जो समय-समय पर भारत के खिलाफ जहर उगलती रहती हैं।ऐसे में अब ये देखना होगा कि ब्रिटेन की नई सरकार भारत के साथ कैसे रिश्ते बनाती है।

मुस्लिम महिला भी पति से मांग सकती है गुजारा भत्ता, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुस्लिम महिलाओं के हक में एक बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उन मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत मिली है जिनका तलाक हो चुका है या पति से अलग रहने को मजबूर हैं। अदालत ने कहा कि कोई भी मुस्लिम तलाकशुदा महिला पति से गुजारे भत्ता मांग सकती है। इसके लिए महिलाएं सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका दायर कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले पर अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि यह कानून हर धर्म की महिलाओं के लिए लागू होता है।

बता दें कि जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने इस मामले पर सुनवाई की। दोनों जजों ने अलग-अलग फैसले सुनाए। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने अलग-अलग, लेकिन एक जैसा फैसला दिया। देश की सबसे बड़ी अदालत ने अपने फैसले में कहा कि कुछ पति इस तथ्य से अवगत नहीं हैं कि पत्नी, जो एक गृहिणी होती है लेकिन इन होम मेकर्स की पहचान भावनात्मक और अन्य तरीकों से उन पर ही निर्भर होती है।

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा, "धारा 125 सभी महिलाओं पर लागू होगी, न कि सिर्फ विवाहित महिलाओं पर।" पीठ ने कहा कि भरण-पोषण दान नहीं बल्कि विवाहित महिलाओं का अधिकार है और यह सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होता है, चाहे वे किसी भी धर्म की हों।

सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने एक मुस्लिम शख्स की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपनी तलाकशुदा पत्नी के पक्ष में अंतरिम भरण-पोषण आदेश को चुनौती दी गई थी। दरअसल, तेलंगाना हाईकोर्ट ने मोहम्मद अब्दुल समद को अपनी तलाकशुदा पत्नी को हर महीने 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने के आदेश दिया था, जिसके खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। मोहम्मद अब्दुल समद नाम के शख्स ने याचिका दायर की थी। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया।

ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत, बंगाल में सीबीआई की एंट्री मामले में केंद्र के खिलाफ याचिका पर होगी सुनवाई

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पश्चिम बंगाल में सीबीआई जांच के खिलाफ ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 1 मई को याचिका लगाई थी। कोर्ट ने 8 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज यानी 10 जुलाई को कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य माना। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया कि, यह अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को राहत दी है। 

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ममता सरकार का आरोप है कि राज्य के अधीन आने वाले मामलों को सीबीआई जांच के लिए भेजी जाती है। इसके बाद उन मामलों की एकतरफा जांच होती है। वहीं, इन मामलों पर केद्र सरकार हस्तक्षेप करती है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने माना कि इस याचिका पर सुनवाई होनी चाहिए।

कोर्ट ने कहा- बंगाल सरकार ने कानूनी पहलू उठाया है जिस पर विचार किया जाना चाहिए। इसके साथ ही बेंच ने कहा कि, जब राज्य सरकार ने CBI जांच के लिए दी गई अपनी परमीशन को वापस ले लिया तो फिर एजेंसी वहां के मामलों में केस क्यों दर्ज कर रही है।

बंगाल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट सीबीआई के राज्य में जांच के अधिकार क्षेत्र की समीक्षा करेगा। शीर्ष अदालत बंगाल सरकार की याचिका पर मेरिट के आधार पर आगे सुनवाई करेगी। वह 13 अगस्त को यह तय करेगी कि किन-किन मुद्दों पर सुनवाई की जाए। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट सितंबर में अगली सुनवाई करेगा।

भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच बने गौतम गंभीर, देश से किया ये वादा

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टीम इंडिया को नया हेड कोच मिल गया है। 2007 और 2011 की टी-20 और वनडे वर्ल्ड कप चैंपियन भारतीय टीम के सदस्य रहे पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर भारतीय क्रिकेट टीम के नए हेड कोच बन गए हैं। बीसीसीआई ने मंगलवार को गौतम गंबीर के नाम का मुख्य कोच के तौर पर ऐलान किया। इसके साफ ही गौतम गंभीर को लेकर लगाए जा रहे तमाम कयासों पर विराम लग गया है। गौतम गंभीर ने राहुल द्रविड़ की जगह ली जिनका कार्यकाल टी20 वर्ल्ड कप के बाद खत्म हो गया। द्रविड़ के कार्यकाल में टीम इंडिया टी20 वर्ल्ड चैंपियन बनी और अब इस महाजीत के 11 दिन बाद ही टीम को गौतम गंभीर के रूप में नया हेड कोच मिल गया है।

भारतीय टीम के टी20 विश्व कप 2024 का खिताब जीतने के साथ ही राहुल द्रविड़ का बतौर हेड कोच कार्यकाल समाप्त हो गया था। इसके बाद हेड कोच की पद खाली थी और इसको लेकर लगातार चर्चा चल रही थी। गौतम गंभीर का भारत के हेड कोच बनने की रेस में नाम सबसे ऊपर था और आज इंतजार खत्म हुआ। बीसीसीआई ने गंभीर को भारत का हेड कोच बना दिया।

टीम इंडिया के हेड कोच बनने के बाद गौतम गंभीर का पहला रिएक्शन भी सामने आया है। उन्होंने अपने एक्स पर भारत के झंडे की तस्वीर के साथ कैप्शन में अपना लक्ष्य साफ बता दिया है। गौतम गंभीर ने टीम इंडिया का हेड कोच बनते ही देश के करोड़ों क्रिकेट फैंस से अपना बेस्ट करने का वादा किया। गंभीर ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘भारत मेरी पहचान है और अपने देश की सेवा करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य रहा है। अलग कैप पहनने के बावजूद वापस आकर मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं। लेकिन मेरा लक्ष्य वही है जो हमेशा से रहा है, हर भारतीय को गौरवान्वित करना। नीली जर्सी वाले खिलाड़ियों के कंधों पर 1.4 अरब भारतीयों के सपने हैं और मैं इन सपनों को साकार करने के लिए सब कुछ करूंगा।’

गौतम गंभीर एक अनुभवी और सफल क्रिकेट खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम में बड़ी सफलताएं हासिल की। उनके पास खेल की गहरी समझ है। साल 2003 में भारतीय नेशनल टीम के लिए डेब्यू करने वाले गंभीर ने सलामी बल्लेबाज के रूप में अपनी दृढ़ता और कौशल से जल्द ही छाप छोड़ी। बतौर बल्लेबाज टीम इंडिया को साल 2007 में टी20 वर्ल्ड कप और 2011 में वर्ल्ड कप जिताने में अहम भूमिका अदा की। इसके साथ-साथ उन्होंने 6 मैचों में टीम इंडिया की कप्तानी की और उन्होंने हर मैच जीता. मतलब बतौर भारतीय कप्तान उनका सक्सेस रेट 100 फीसदी है। गौतम गंभीर के खेल में सौरव गांगुली की झलक दिखती है। वह ऑस्ट्रेलियाई माइंडसेट से खेलते हैं। एग्रेसिव प्लानिंग करते हैं। मैदान पर उनके बिहेवियर से लेकर फैसलों में इसकी झलक मिल जाती है। उनके खुद के खेलने का अनुभव और टीम इंडिया में भावनाओं, दबावों और जरूरतों को समझने की ताकत से गंभीर काफी आगे जा सकते हैं।

गौतम गंभीर को उनकी लीडरशिप क्षमता के लिए पहचाना जाता है। वे फील्ड पर बेहद आक्रामकता के साथ टीम लीड करते हैं। गंभीर को नेशनल टीम के साथ कप्तान के तौर पर अपनी नेतृत्व क्षमता दिखाने का मौका नहीं मिला, लेकिन उन्होंने अपनी कप्तानी का लोहा तब मनवाया जब उन्होंने आईपीएल में केकेआर को दो-दो बार चैंपियन बनाया। पहली बार लखनऊ सुपर जायंट्स के लिए कोचिंग में हाथ आजमाया और लगातार दो सीजन टीम प्लेऑफ में पहुंची। केकेआर का मेंटॉर बनकर टीम को तीसरा खिताब दिलाया।

मोदी-पुतिन की मुलाकात के बाद अमेरिका का बड़ा बयान, कहा-भारत के पास है रूस-यूक्रेन युद्ध रूकवाने की क्षमता

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय रूस यात्रा समाप्त हो चुकी है। पीएम मोदी के रूस दौरे पर पुरी दुनिया की नजर थी। भारत के पश्चिमी सहयोगियों के साथ-साथ चीन तक की इस पर नजर थी। रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ पीएम मोदी की मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब रूस और यूक्रेन का युद्ध चल रहा है। ऐसे में पीएम मोदी के रूस के बाद मेरिका ने बड़ा बयान दिया है। अमेरिका ने इस बात को माना है कि भारत रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को खत्म कराने की ताकत रखता है।अमेरिका ने कहा है कि भारत का एक ऐसा देश है जो रूस से यूक्रेन युद्ध समाप्त करने की अपील कर सकता है।

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रॉयटर्स के मुताबिक व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरिन जीन-पियरे ने मंगलवार को कहा कि रूस के साथ भारत के रिश्ते इतने मजबूत है कि भारत रूस और यू्क्रेन के बीच युद्ध खत्म कराने की ताकत रखता है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन के साथ युद्ध समाप्त करने का आग्रह करने की ताकत रखते हैं।

कैरिन जीन-पियरे ने भारत हमारा एक रणनीतिक साझेदार है जिसके साथ हम पूर्ण और स्पष्ट बातचीत करते हैं, जिसमें रूस के साथ उनके संबंध भी शामिल हैं और हमने इस बारे में पहले भी बात की है। यह महत्वपूर्ण है कि भारत सहित सभी देश यूक्रेन के मामले में एक स्थायी और न्यायपूर्ण शांति को साकार करने के प्रयासों का समर्थन करें। इस युद्ध को समाप्त करना राष्ट्रपति पुतिन का काम है। राष्ट्रपति पुतिन ने युद्ध शुरू किया और वे ही इस युद्ध को समाप्त कर सकते हैं।’

व्हाइट हाउस प्रवक्ता जीन-पियरे ने यह टिप्पणी उस समय की, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से कहा कि मासूम बच्चों की मौत दर्दनाक और भयावह है। यह घटना यूक्रेन की राजधानी कीव में बच्चों के अस्पताल पर हुए घातक हमले के एक दिन बाद हुई। इसे लेकर पुतिन की चहुंओर आलोचना हुई।

दरअसल, यूक्रेन-रूस जंग पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुतिन को स्पष्ट संदेश दिया है। पीएम मोदी ने मंगलवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्धक्षेत्र में संभव नहीं है। बम, बंदूकों और गोलियों के बीच शांति वार्ता सफल नहीं होती। पुतिन के साथ वार्ता से पहले रपीएम मोदी ने यूक्रेन में बच्चों के एक अस्पताल पर बम हमले का जिक्र किया था और कहा था कि बेगुनाह बच्चों की मौत हृदय-विदारक और बहुत पीड़ादायी है। बता दें कि एक दिन पहले ही कीव में बच्चों के एक अस्पताल पर एक संदिग्ध रूसी मिसाइल से हमला किया गया, जिस पर वैश्विक स्तर पर नाराजगी जताई गई है।

ऑस्ट्रिया पहुंचे पीएम मोदी का भव्य स्वागत, वियना में गूंजा वंदे मातरम

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा पर ऑस्ट्रिया पहुंचे हैं। चार दशक से अधिक समय के अंतराल के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना पहुंचा है। ऐ. में ये यात्रा काफी अहम मानी जा रही है। रूस के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के दौरे पर ऑस्ट्रिया पहुंचे। इस दौरान राजधानी वियना में पीएम मोदी का ग्रैंड वेलकम हुआ। एयरपोर्ट पर ऑस्ट्रिया के विदेश मंत्री एलेक्जेंडर शालेनबर्ग ने मोदी का स्वागत किया। वियना एयरपोर्ट पर पीएम मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद पीएम मोदी होटल रिट्ज कार्लटन पहुंचे। होटल में पीएम मोदी के स्वागत में वंदे मातरम की धुन बजाई गई, जिससे वियाना गूंज उठा।

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इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी स्टेट डिनर के लिए ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर से मिलने पहुंचे। डिनर के दौरान दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर चर्चा हुई। पीएम मोदी ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर वान डर बेले से भी मुलाकात करेंगे।

ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर ने ट्वीट कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वियना में आपका स्वागत है। ऑस्ट्रिया में आपका स्वागत करना हमारे लिए खुशी और सम्मान की बात है। ऑस्ट्रिया और भारत मित्र व साझेदार हैं. मैं आपकी यात्रा के दौरान हमारी राजनीतिक और आर्थिक चर्चाओं की प्रतीक्षा कर रहा हूं।

ऑस्ट्रिया पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने इस संबंध में ट्वीट भी किया। इसमें उन्होंने लिखा कि ऑस्ट्रिया की यह यात्रा विशेष है। हमारे देश साझा मूल्यों और एक बेहतर ग्रह के प्रति प्रतिबद्धता से जुड़े हुए हैं। चांसलर कार्ल नेहमर के साथ वार्ता और भारतीय समुदाय के साथ बातचीत सहित ऑस्ट्रिया में विभिन्न कार्यक्रमों की प्रतीक्षा कर रहा हूं।' 

पीएम मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और ऑस्ट्रिया राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। इस यात्रा से ऑस्ट्रिया और भारत के संबंध मजबूत होने की उम्मीद है। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा, 'यह यात्रा हमें आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों को संबोधित करने में मदद करने के साथ हमारी साझेदारी को व्यापक बनाने में मदद करेगी। क्वात्रा ने कहा कि ऑस्ट्रिया मध्य यूरोप का एक प्रमुख देश है। ऑस्ट्रिया बुनियादी ढांचे, नवीकरणीय ऊर्जा, उच्च प्रौद्योगिकी, स्टार्ट-अप और मीडिया और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों में सहयोग के बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। क्वात्रा ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मध्य यूरोपीय देश है। यहां अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी, संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO), ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC), और यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन का मुख्यालय है। यह यात्रा फरवरी में भारत-ऑस्ट्रिया स्टार्टअप ब्रिज के लॉन्च होने के कुछ महीनों बाद हो रही है। इस ब्रिज का उद्देश्य दोनों देशों में स्टार्टअप्स के बीच सहयोग और ज्ञान को साझा करना है।

पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा करने तथा कई भू-राजनीतिक चुनौतियों पर करीबी सहयोग के रास्ते तलाशेंगे। पीएम मोदी का वियना का यह दौरा बेहद खास है। दरअसल, 41 साल से अधिक समय में मध्य यूरोपीय राष्ट्र ऑस्ट्रिया की यात्रा करने वाले नरेंद्र मोदी ऐसे दूसरे प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले 1983 में इंदिरा गांधी ने आस्ट्रिया, वियना का दौरा किया था। इस यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विदेश मंत्री जयशंकर भी गए हैं।

पुतिन ने पीएम मोदी को रूसी न्यूक्लियर एनर्जी हब दिखाया, एटम सेंटर भी लेकर गए; परमाणु पनडुब्बी के मॉडल के बारे में दी जानकारी
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन जंग के बीच 2 दिन के रूस दौरे पर हैं। उन्होंने यात्रा के दूसरे दिन क्रेमलिन में विश्वयुद्ध के दौरान शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी है। इसके बाद वे रूस के एटम पवेलियन पहुंचे। इसे रूसी न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी का हब कहा जाता है।

इसके पहले मोदी ने मॉस्को में भारतवंशियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा- चुनौती को चुनौती देना मेरे DNA में है। पीएम ने कहा- 'मैं अपने साथ हिंदुस्तान की मिट्टी की महक लेकर आया हूं। 140 करोड़ देशवासियों का प्यार लेकर आया हूं। भारत-रूस के बीच अनोखा रिश्ता है। रूस का नाम सुनते ही भारतीयों के मन में आता है, हमारा सुख-दुख का साथी।'

दूसरी तरफ, यूक्रेन के राष्ट्रपति ने मोदी-पुतिन की मुलाकात पर नाराजगी जताई है। उन्होंने मोदी के दौरे को यूक्रेन में शांति की कोशिशों को बड़ा झटका बताया।

उन्होंने सोशल मीडिया 'एक्स' पर लिखा, दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के नेता का दुनिया के सबसे खूनी नेता को गले लगाना निराशाजनक है।
संसद के अंदर बंद करके राहुल गांधी को मारने चाहिए थे थप्पड़...भाजपा विधायक ने दिया विवादित बयान, जानें क्या है पूरा मामला
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हाल ही में संसद के विशेष सत्र के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हिंदू धर्म को लेकर एक बयान दिया था, जिसपर जमकर बवाल मचा. अब उनके इस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक भरत शेट्टी ने विवादित बयान दे दिया. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की संसद के अंदर बंद करके पिटाई करनी चाहिए.

बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मुद्दे पर बोलते हुए मैंगलोर सिटी नॉर्थ के विधायक भरत शेट्टी ने कहा, "विपक्ष के नेता राहुल गांधी को संसद के अंदर बंद करके थप्पड़ मारना चाहिए. ऐसा करने से सात से आठ एफआईआर दर्ज हो जाएंगी. अगर विपक्ष के नेता राहुल गांधी मैंगलोर शहर आते हैं तो हम उनके लिए भी यही व्यवस्था करेंगे."


राहुल गांधी पर आरोप लगाते हुए बीजेपी विधायक ने कहा, "पागल को नहीं पता कि अगर भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोली तो वह (एलओपी) भस्म हो जाएंगे. उन्होंने हिंदू विरोधी नीति अपनाई है. यह स्पष्ट है कि एलओपी राहुल गांधी एक पागल है. उसे लगता है कि वह हिंदूओं के बारे में जो कुछ भी कहेगा, हिंदू चुपचाप सुन लेंगे. अगर वह संसद में बोलेगा तो स्थानीय नेता यहां अपनी दुम हिलाना शुरू कर देंगे."


भरत शेट्टी ने कहा कि हिंदू धर्म और संस्थाओं की रक्षा करना बीजेपी का कर्तव्य है. उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने यह संदेश देना शुरू कर दिया है कि हिंदू और हिंदुत्व अलग-अलग हैं. ऐसे नेताओं की वजह से भविष्य में हिंदुओं को खतरा होगा.” शेट्टी ने आगे आरोप लगाया कि राहुल गांधी जिस इलाके का दौरा करते हैं उसके आधार पर अपना रुख बदल लेते हैं. उन्होंने कहा, "जब वह गुजरात आते हैं तो विपक्ष के नेता राहुल गांधी भगवान शिव के परम भक्त बन जाते हैं."