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Jul 08 2024, 15:44

असम में बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात के बाद मणिपुर पहुंचे राहुल गांधी, रिलीफ कैंप में पहुंचा बांटा लोगों का दर्द
#congress_leader_rahul_gandhi_visit_assam_manipur

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सोमवार को असम और मणिपुर के दौरे पर हैं। राहुल गांधी ने पहले असम के कछार जिले में बाढ़ प्रभावित लोगों से मुलाकात की। उसके बाद हिंसा प्रभावित मणिपुर पहुंचे। लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने के बाद कांग्रेस नेता का यह दोनों पूर्वोत्तर राज्यों का पहला है।

बता दें कि असम इन दिनों बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रविवार को जारी रिपोर्ट के राज्य में 28 जिलों के 27.74 लाख से अधिक लोग अभी भी बाढ़ से प्रभावित हैं। अब तक बाढ़, भूस्खलन और तूफान के कारण राज्य में कुल 78 मौतें हो चुकी हैं।राज्य में मौजूद काजीरंगा नेशनल पार्क का बड़ा हिस्सा बाढ़ में डूब गया है। इस बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आज असम के सिलचर पहुंचे। यहां उन्होंने बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की। यूथ केयर सेंटर थलाई में राहत शिविरों का दौरा किया। असम दौरे पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेन बोरा ने राहुल गांधी को एक ज्ञापन सौंपा और उनसे संसद में असम में आने वाली बारहमासी बाढ़ का मुद्दा उठाने का आग्रह किया।

राहुल ने असम में कछार जिले के फुलेर्तल में एक बाढ़ राहत शिविर का दौरा करने के बाद ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, 'मैं असम के लोगों के साथ हूं, मैं संसद में उनका सिपाही हूं और मैं केंद्र सरकार से राज्य को तुरंत हरसंभव मदद मुहैया कराने का अनुरोध करता हूं।' उन्होंने कहा कि असम को 'अल्पावधि में व्यापक और दयालु दृष्टि वाली राहत, पुनर्वास और मुआवजे की आवश्यकता है तथा दीर्घावधि में बाढ़ पर नियंत्रण पाने के लिए पूरे पूर्वोत्तर का एक जल प्रबंधन प्राधिकरण चाहिए।'

असम बाढ़ प्रभावितों से मिलने के बाद राहुल गांधी मणिपुर पहुंचे। यहां उन्होंने जिरीबाम हायर सेकेंडरी स्कूल में सेटअप राहत शिविर का दौरा किया। इसके बाद वह इंफाल पहुंचे। राहुल गांधी का ये मणिपुर का तीसरा और पूर्वोत्तर में नेता प्रतिपक्ष के रूप में पहला दौरा है। मणिपुर पहुंचने से पहले सुबह साढ़े तीन बजे जिरीबाम में जबरदस्त गोलीबारी हुई है। यह गोलीबारी करीब 3.30 घंटे तक चलती रही। जिरीबाम के गुलारथल इलाके में कुछ अज्ञात हमलावरों ने 3.30 बजे फायरिंग करनी शुरू की वो करीब 7 बजे तक चली। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने भी फायरिंग की। इस घटना के बाद आसपास के इलाकों में भारी संख्या सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया।

मणिपुर करीब एक साल से छिटपुट हिंसा की चपेट में है। छह जून को हिंसा की हालिया घटना हुई थी। मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मार्च 2023 में मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जाति (ST) में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को सिफारिशें भेजने के लिए कहा था। इसके बाद कुकी समुदाय ने राज्य के पहाड़ी जिलों में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था जो अभी भी जारी है।

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Jul 08 2024, 14:59

महिलाओं को पीरियड लीव मिलनी चाहिए या नहीं? जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
#women_menstrual_leave_supreme_court_refuses_to_hear_petition_for_leave
महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान अवकाश को लेकर लंबे समय से बहस छिड़ी हुई है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को पीरियड लीव देने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि यह मुद्दा नीति से जुड़ा है। यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है, जिस पर अदालतों को गौर करना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से इस संबंध में एक आदर्श नीति तय करने के लिए सभी पक्षों और राज्यों के साथ बातचीत करने को कहा है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पीरियड लीव को लेकर कहा कि यह छुट्टी महिलाओं को वर्कफोर्स का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित करती है। ऐसे में इस लीव को जरूरी बनाने से महिलाएं वर्कफोर्स से दूर हो जाएंगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकारों को इस पर नीति बनाने की और बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मामला सरकार की नीति का पहलू है जिस पर कोर्ट को गौर नहीं करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह याचिकाकर्ता को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव और एएसजी ऐश्वर्या भाटी के सामने अपनी बात रखने की छूट देते हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने सचिव से निवेदन करते हुए कहा कि वह नीतिगत स्तर पर इस मामले को देखें और सभी पक्षों से बात करके फैसला लेकर तय करें कि क्या इस मामले में एक आदर्श नीति बनाई जा सकती है।

वकील शैलेंद्रमणि त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट से महिलाओं के लिए पीरियड लीव के दौरान होने वाली समस्या के चलते राज्य सरकारों को छुट्टी के लिए नियम बनाने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की थी। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से राज्य सरकारों को महिलाओं के लिए लीव की समस्या में छुट्टी के लिए नियम बनाने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई थी। इस याचिका में मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 14 को प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की गई है। इस जनहित याचिका में मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 14 को प्रभावी तौर पर लागू करने के निर्देश सरकार को देने की गुहार अदालत से लगाई गई है। याचिका में छात्राओं और कामकाजी महिलाओं के लिए मासिक धर्म संबंधित दर्द अवकाश दिए जाने की मांग की गई थी।

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Jul 08 2024, 14:14

सुप्रीम कोर्ट से ममता सरकार को झटका, संदेशखाली केस में सीबीआई जांच के खिलाफ बंगाल सरकार की याचिका खारिज

#supreme_court_rejects_west_bengal_government_plea_against_calcutta_high_court_order

सुप्रीम कोर्ट से ममता सरकार को तगड़ा झटका लगा है।सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार की उस याचिका खारिज कर दिया, जिसमें संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ अपराध करने और जमीन हड़पने के आरोपों की सीबीआई जांच कराने का निर्देश देने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।

बता दें कि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में संदेशखाली मामले में महिलाओं के यौन शोषण-जमीन हथियाने और राशन घोटाले से जुड़े सभी मामलों में सीबीआई जांच का आदेश दिया था। पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने सरकार की याचिका खारिज कर दी है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने सवाल उठाया और पूछा कि राज्य सरकार को इस मामले में इतनी दिलचस्पी क्यों है? आखिरकार राज्य सरकार किसी को बचाना क्यों चाहती है? वहीं, सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका में राज्य सरकार ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश ने पुलिस बल सहित पूरे राज्य तंत्र का मनोबल गिराया है।

इससे पहले 29 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्य सरकार किसी व्यक्ति के हित की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कैसे कर सकती है? उस समय कोर्ट ने कहा था मामले की सुनवाई गर्मियों की छुट्टी के बाद होगी।

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Jul 08 2024, 14:05

सुप्रीम कोर्ट से ममता सरकार को झटका, संदेशखाली केस में सीबीआई जांच के खिलाफ बंगाल सरकार की याचिका खारिज
#supreme_court_rejects_west_bengal_government_plea_against_calcutta_high_court_order

सुप्रीम कोर्ट से ममता सरकार को तगड़ा झटका लगा है।सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार की उस याचिका खारिज कर दिया, जिसमें संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ अपराध करने और जमीन हड़पने के आरोपों की सीबीआई जांच कराने का निर्देश देने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।

बता दें कि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में संदेशखाली मामले में महिलाओं के यौन शोषण-जमीन हथियाने और राशन घोटाले से जुड़े सभी मामलों में सीबीआई जांच का आदेश दिया था। पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने सरकार की याचिका खारिज कर दी है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने सवाल उठाया और पूछा कि राज्य सरकार को इस मामले में इतनी दिलचस्पी क्यों है? आखिरकार राज्य सरकार किसी को बचाना क्यों चाहती है? वहीं, सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका में राज्य सरकार ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश ने पुलिस बल सहित पूरे राज्य तंत्र का मनोबल गिराया है।

इससे पहले 29 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्य सरकार किसी व्यक्ति के हित की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कैसे कर सकती है? उस समय कोर्ट ने कहा था मामले की सुनवाई गर्मियों की छुट्टी के बाद होगी।

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Jul 08 2024, 13:31

सिर्फ 6 दिन में अदृश्य हुए बाबा बर्फानी, जानें क्या है वजह

#amarnath_shrine_shiva_lingam_melt_just_over_a_week

कश्मीर के अनंतनाग जिले में हर साल गर्मियों में अमरनाथ यात्रा होती है। अमरनाथ के पवित्र गुफा में प्राकृतिक रूप से बर्फ से शिवलिंग की संरचना होती है। गर्मियों में जब गुफा के अंदर पानी जम जाता है, तब शिवलिंग का आकार बढ़ जाता है। यह माना जाता है कि यह संरचना भगवान शिव का रूप है। सदियों से इस शिवलिंग के आकार को आध्यात्मिक महत्व दिया जाता रहा है। जिसके दर्शन के लिए लाखों लोग हर साल पहुंचते हैं। हालांकि इस साल बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को निराशा हुई है। दरअसल, यात्रा शुरू होने के एक हफ्ते बाद ही शिवलिंग यानी बाबा बर्फानी अदृश्य हो गए। 29 जून को ही अमरनाथ यात्रा शुरू हुई थी और 6 जुलाई को अमरनाथ गुफा की शिवलिंग पिघल गई. साल 2008 के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब यात्रा शुरू होने के 10 दिन से भी कम समय में अमरनाथ का शिवलिंग अदृश्य हुआ है. यानी अमरनाथ यात्रा खत्म होने से पहले ही बाबा बर्फानी पिघल गए।

अमरनाथ यात्रा में समय से पहले बाबा बर्फानी के विलीन होने के मुख्य कारणों में मौसम एक बड़ा कारण बताया जा रहा है। पिछले साल सर्दियों कम बर्फबारी हुई थी और हाल ही में कश्मीर संभाग में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के कारण बाबा बर्फानी का आकार प्रभावित हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि पिछले एक सप्ताह के दौरान बहुत अधिक तापमान के कारण पिघलने की प्रक्रिया तेज हो गई है। 

2008 के बाद यह पहली बार है कि यात्रा के पहले 10 दिनों के भीतर बर्फ का शिवलिंग पूरी तरह से गायब हो गया है। बाबा बर्फानी के पिछले दस सालों की बात करें तो 2014 से बाबा बर्फानी के पिघलने का सिलसिला तेज हो गया। साल 2014 में 71 दिन तक बाबा बर्फानी के दर्शन हुए थे उसके बाद वो अदृश्य हो गए थे। 2015 में तो मात्र 48 दिन में ही पिघल गए थे।

• साल 2016 में 35 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2017 में 48 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2018 में 36 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2019 में 28 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2020 में 38 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2021 में 35 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2022 में 42 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2023 में 35 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2024 में 6 दिन बाद ही पिघल गए थे

बाबा बर्फानी के इतने जल्दी विलीन हो जाने के बाद अब तरह-तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। कुछ लोग इसे प्रकृति का बड़ा संकेत मान रहे तो कुछ लोग इसके पीछे बढ़ते तापमान को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। हालांकि, मूल समस्या जलवायु परिवर्तन है। पहाड़ी क्षेत्रों में खासतौर पर इस बार गर्मी बहुत बढ़ी है। दरअसल, यह एक अल नीनो वर्ष है, जो आमतौर पर कश्मीर हिमालय में कम बर्फबारी लाता है। यह लंबे समय तक शुष्क रहने का कारण बनता है।

जम्मू कश्मीर में अभी बी प्रचंड गर्मी से राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। ऐसे में भीषण गर्मी के चलते लोग काफी परेशान है।0 इसके साथ ही तापमान लगातार नए रिकार्ड बना रहा है। जहां पिछले एक हफ्ते से कश्मीर घाटी में गर्मी और बारिश न होने से परेशानियां बड़ा दी हैं। वहीं, पहाड़ों में पड़ने वाली गर्मी के चलते पहाड़ों में ग्लेशियर के पिघलने में तेजी आई है, जिससे नदियों का जलस्तर भी बढ़ने लगा है। ऐसे में मौसम विभाग की तरफ से इस गर्मी के बाद होने वाली बारिशों से होने वाली बाढ़ और भूस्खलन को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग के प्रमुख डॉ मुख़्तार अहमद ने बताया कि पिछले कई सालों में ग्लोबल वार्मिंग के चलते तापमान में दो डिग्री की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि अगर तापमान में एक डिग्री की बढ़ोतरी होती है तो हवा में नमी की मात्रा 7 प्रतिशत तक जाती है, जिससे बाढ़ आने का कारण बना रहता है।

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Jul 08 2024, 11:52

फ्रांस में त्रिशंकु संसद के हालात, चुनावी नतीजे आने के बाद भड़की हिंसा

#france_elections_result_left_coalition_wins_most_seat

फ्रांस चुनाव के दूसरे राउंड में बड़ा बदलाव देखने मिला है।रविवार की रात फ़्रांस के लिए उम्मीद से उलट नतीजों वाली रात थी। संसदीय चुनाव के नतीजे चौंकाने वाल रहे। पहले दौर में पहले स्थान पर रहने वाली दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली आखिरी दौर में आखिरी स्थान पर पहुंच गई है। फ्रांस के संसदीय चुनावों में वामपंथी गठबंधन की बढ़त के बाद राजधानी पेरिस समेत पूरे देश में हिंसा भड़क उठी है।

वामपंथी गठबंधन न्यू पॉपुलर फ़्रंट 182 सीटों के साथ पहले स्थान पर है। जबकी बुरी तरह पिछड़ी मैक्रों की मध्यमार्गी पार्टी ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया।पहले चरण में सर्वाधिक मत जीतने वाली धुर दक्षिणपंथी नेशनल रैली तीसरे नंबर रही है। लेकिन इनमें से किसी के पास भी बहुमत के आंकड़े नहीं हैं और फ़्रांस में त्रिशंकु संसद के हालात बन गए हैं।फ्रांस में अनिश्चितता की ऐसी स्थिति बन गई है, जो पहले कभी नहीं देखी गई।

राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का मध्यमार्गी गठबंधन दूसरे स्थान पर और दक्षिणपंथी तीसरे स्थान पर आया. इस चुनावों से तीन प्रमुख राजनीतिक गुट उभरे हैं- फिर भी उनमें से कोई भी 577 सीटों वाले निचले सदन नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए जरूरी 289 सीटों के करीब नहीं पहुंच पाया है। यहां सबसे बड़े गुट बनकर उभरे वामपंथी गठबंधन को 182 सीटें मिली हैं। वहीं मैक्रों के गठबंधन को 168 सीटें, जबकि धुर दक्षिणपंथी रैसेमबलेमेंट नेशनल और उसके सहयोगियों को 143 सीटें मिली हैं।

जैसे ही चुनाव के नतीजे आने शुरू हुए हजारों लोग पेरिस के प्लेस डे ला रिपब्लिक पर इकट्ठा हुए। फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, फ्रांसीसी चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल में वामपंथी गठबंधन की जीत की संभावना के बाद पेरिस में जश्न और हिंसा दोनों का माहौल बन गया। धुर-वामपंथी गठबंधन के अप्रत्याशित रूप से आगे निकलने की खबर पर हजारों लोग जश्न मनाने के लिए पेरिस के प्लेस डे ला रिपप्लिक में जमा हो गए। नतीजों से नाराज और नतीजों के बाद जश्न मना रहे लोग सड़को पर आ गए है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कुछ प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हुई, जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया। 

ब्रिटिश टैबलायड द सन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह पता नहीं चल पाया है कि बढ़ते तनाव के बीच सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी किस दल के समर्थक है। इसके पहले यह आशंका जताई गई थी कि अगर दक्षिणपंथी जीत जाते हैं तो हिंसा भड़क सकती है।

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Jul 08 2024, 11:22

आज रूस रवाना हो रहे पीएम मोदी, पश्चिम के लिए इस दौरे के क्या हैं?

#pm_modi_russia_two_days_visit 

रूस-यूक्रेन जंग के बीच पीएम मोदी आज रूस के लिए रवाना हो रहे हैं। करीब पांच साल बाद पीएम मोदी अपने खास दोस्त पुतिन से मिलने मॉस्को जा रहे।रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी को न्योता दिया है। पीएम मोदी आठ और नौ जुलाई को मॉस्को में रहेंगे। पीएम मोदी रूस में 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यहां दोनों देशों के बीच बहुआयामी संबंधों की संपूर्ण समीक्षा की जाएगी।पुतिन मोदी के लिए एक प्राइवेट डिनर का आयोजन भी करेंगे। पीएम मोदी की इस रूस यात्रा पर पूरी दुनिया की नजर है।

रूस की उनकी पिछली यात्रा 2019 में हुई थी जब उन्होंने व्लादिवोस्तोक में एक आर्थिक सम्मेलन में शिरकत की थी। भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को लेकर सर्वोच्च संस्थागत संवाद तंत्र है। अब तक भारत और रूस में बारी-बारी से 21 वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित हो चुके हैं।आगामी शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रूस यात्रा से पहले विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच वार्ता के एजेंडे में क्षेत्रीय और वैश्विक हित के मुद्दे शामिल होंगे। भारत-रूस शिखर सम्मेलन रक्षा, निवेश, शिक्षा और संस्कृति तथा लोगों के बीच संबंधों सहित द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण दायरे पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगा।

ऐसे समय जब यूरोपीय देश गंभीरता से यूक्रेन को सैन्य और दूसरी सहायता देने में लगे हुए हैं, किसी भी यूरोपीय नेता के रूस दौरे को विश्ववासघात के तौर पर देखा जा सकता है। शुक्रवार को हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने रूस की राजधानी मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मुलाक़ात की। उनकी इस मुलाक़ात पर यूरोपीय नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। सब के बीच एक सवाल यह भी है कि पश्चिमी देशों की भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा पर कैसी और क्या प्रतिक्रिया है? हालांकि अभी तक पश्चिमी देशों के नेताओं ने मोदी की इस यात्रा के बारे में खुलकर कोई भी टिप्पणी नहीं की है।

मोदी की रूस यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी रूस को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं और देश पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। उन्होंने उच्च स्तरीय बैठकों में भी भारी कटौती की है। पश्चिमी देशों में फैली रूस विरोधी भावनाओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह यात्रा भारत के रणनीतिक साझेदार अमेरिका को नाराज़ करने वाली हो सकती है

बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 में जंग की शुरुआत हुई थी। पश्चिम के दबाव के बाद भी भारत ने पुतिन का साथ दिया और उससे तेल खरीदना जारी रखा। इसकी वजह से रूस को युद्ध के हालात में भी पैसों की कमी नहीं हुई। हालांकि, भारत रूस को स्पष्ट कर चुका है कि वह शांति के पक्ष में है। पीएम मोदी कई बार दोहरा चुके हैं कि रूस-यूक्रेन जंग का एकमात्र उपाय शांति-वार्ता ही है।

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Jul 08 2024, 10:38

क्या युद्ध की तैयारी कर रहा है चीन? जरूरत से कई गुना ज्यादा तेल जमा करना दे रहे इसके संकेत

#signthatchinacouldbepreparingfor_war

क्या चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है? चीन जिस तरह से युद्ध के दौरान जरूरत पड़ने वाली चीजों का स्टॉक करने में जुटा है, उससे इस तरह के सवाल उठ रहे है। यही नहीं चीन के तेवर जिस तरह से दिख रहे हैं, उससे भी ये आशंका जताई जा रही है। नवंबर 2022 में चीन के राष्ट्रपति के तौर पर तीसरी बार चुने जाने के बाद शी जिनपिंग ने सैन्यकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा था कि चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ती अस्थिरता और अनिश्चितता का सामना कर रही है। ऐसे में हमें युद्ध लड़ने और जीतने के लिए तैयार रहना चाहिए। पिछले दो दशक में भारत से लेकर दक्षिण चीन सागर तक विभिन्‍न क्षेत्रों में अप्रत्‍याशित तरीके से आक्रामक दावे करने शुरू किए हैं। चीन ने खरबों डॉलर खर्च करके अपनी सेना को हाइपरसोनिक मिसाइलों से लेकर पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट से लैस किया है। सबसे बड़ी आशंका ड्रैगन के कच्चे तेल के भंडारण को लेकर है

पूर्वी चीन के डोंगयिंग बंदरगाह पर, 2024 की शुरुआत में कई टैंकर एक साथ रूसी कच्चे तेल को उतारते हुए देखे गए हैं। जिसके बाद चीन ने पिछले साल के अंत तक 31.5 मिलियन बैरल का भंडारण कर लिया है। चीन शांति काल में प्रतिदिन लगभग 14 मिलियन बैरल तेल की खपत करता है। हालाँकि, जिस तरह के हालात है स्पष्ट प्रतीत होता है कि चीन जानबूझकर तेजी से भंडारण कर रहा है। जो आवश्यक कच्चे माल और संसाधन को इकट्ठा करने के एक बहुत व्यापक राष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा है। 

यह एक ऐसा कदम है जिसके बारे में कुछ लोगों को संदेह है कि इसका उद्देश्य बीजिंग को भविष्य के किसी भी युद्ध या अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचाना है, जैसे कि ताइवान पर संभावित चीनी आक्रमण से उत्पन्न होने वाले प्रतिबंध। युद्ध के दौरान उसे कच्चे तेल की सप्लाई में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है या फिर उस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लग सकते हैं, जिससे उसकी फैक्ट्रियों की कमर टूट जाएगी। इसीलिए वह अपनी जरूरत से कई गुना ज्यादा तेल स्टोर करने में लगा है, जिससे हालात विपरीत भी हों तो भी देश के उद्योग धंधे काम करते रहें।

जिनपिंग अपने देश को टकराव के लिए तैयार कर रहे!

17 अप्रैल को प्रकाशित अंतर्राष्ट्रीय मामलों और संघर्ष ब्लॉगिंग साइट "वॉर ऑन द रॉक्स" के लिए एक लेख में, अमेरिकी नौसेना खुफिया और खुफिया कार्यालय के पूर्व कमांडर और यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड के निदेशक माइक स्टडमैन ने तर्क दिया कि यह एक बहुत व्यापक प्रक्रिया का हिस्सा था। उन्होंने लिखा, "शी जिनपिंग अपने देश को टकराव के लिए तैयार कर रहे हैं," उन्होंने चीनी नेता को "चीनी समाज का सैन्यीकरण करने और अपने देश को संभावित उच्च तीव्रता वाले युद्ध के लिए तैयार करने" के रूप में वर्णित किया। उन्होंने सुझाव दिया कि इसका एक हिस्सा आवश्यक वस्तुओं और संसाधनों के रणनीतिक भंडार का निर्माण करना, यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से चीन की रक्षा करना - या, वास्तव में, क्षेत्रीय या वैश्विक युद्ध के हिस्से के रूप में सैन्य रूप से लागू की गई नाकाबंदी शामिल है। उन्होंने कहा कि बढ़ी हुई तैयारियों के अन्य उदाहरणों में ताइवान के आसपास चीनी सैन्य अभियानों की बहुत अधिक गति शामिल है - जिसका उद्देश्य चीन की सेना का अभ्यास करना और ताइपे में सरकार को अपनी कुल सैन्य नाकाबंदी के परिणामों से धमकाना है। 

अन्य प्रमुख संकेतक

केवल कच्चे तेल का भंडारण ही नहीं, अन्य महत्वपूर्ण संकेतक भी हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। पिछले पांच सालों में चीनी सेना का विस्तार और आधुनिकिकरण तेजी से हुआ है और हाइपरसोनिक सिलाइल प्रौद्योगिकी में इसकी प्रगति बीजिंग को लाभ की स्थिति में रखती है, क्योंकि अमेरिका ने अभी तक इसके समकक्ष कोई मिसाइल तैनात नहीं की है।

चीन का इरादा ताइवान का एकीकरण

चीन का इरादा साल 2025 तक ताइवान का मुख्‍य भूमि से एकीकरण करने का है। ताइवान में नए राष्‍ट्रपति के आने के बाद चीनी सेना ने बहुत बड़े पैमाने पर सैन्‍य ड्रिल शुरू की है। विश्‍लेषकों का कहना है कि यह ताइवानी राष्‍ट्रपति को डराने की कोशिश है जो खुलकर चीन का विरोध कर रहे हैं। चीन की पहले कोशिश थी कि शांतिपूर्ण तरीके से एकीकरण हो जाए लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है। ताइवान की रणनीति है कि अमेरिका की मदद से यथास्थिति को बहाल रखा जाए। वहीं चीन अमेरिका से लेकर ताइवान तक को आंखें दिखा रहा है और बड़े पैमाने पर हथियार बना रहा है।

अगले 50 साल में कई युद्धों के लिए तैयारी

खुद चीन की सरकारी न्‍यूज एजेंसी चाइना न्‍यूज सर्विस ने साल 2013 में अपने एक लेख में खुलासा किया था कि अगले 50 साल में चीन को 6 युद्ध लड़ने होंगे। चाइना न्‍यूज सर्विस का इशारा चीन के उन इलाकों को वापस हासिल करने की ओर था जिसे उसने साल 1840-42 के अफीम युद्ध के दौरान खो दिया था। इससे चीन की काफी बेइज्‍जती हुई थी। अब आर्थिक और सैन्‍य महाशक्ति बन चुका चीन इन इलाकों को वापस लेना चाहता है। इस लेख के मुताबिक चीन का इरादा इन देशों के साथ युद्ध लड़ने का है

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Jul 07 2024, 21:44

IND vs ZIM: टीम इंडिया ने किया दमदार कमबैक, अभिषेक शर्मा की यादगार पारी ने ऐसे दिलाई जीत


डेस्क: भारत और जिम्बाब्वे के बीच पांच मैचों की टी20 सीरीज का दूसरा मुकाबला हरारे स्पोर्ट्स क्लब में खेला गया। इस मैच को टीम इंडिया ने अपने नाम कर लिया। भारत की जीत के सबसे बड़ा हीरो अभिषेक शर्मा रहे। उन्होंने इस मुकाबले में दमदार शतक जड़ा। भारत ने यह मैच 100 रनों से जीता। इस मुकाबले को जीतकर भारतीय टीम अब सीरीज में 1-1 की बराबरी पर आ गई है और उन्होंने शानदार कमबैक किया है। भारत को पिछले मुकाबले में एक लो स्कोरिंग मैच में 13 रनों से हार का सामना करना पड़ा था।

कैसा रहा मैच का हाल

दोनों टीमों के बीच खेले गए इस मुकाबले में टीम इंडिया के कप्तान शुभमन गिल ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया। टीम इंडिया ने इसके बाद पहली पारी में 20 ओवर के दौरान सिर्फ दो विकेट खोए और बोर्ड पर 234 रन बना डाले। भारत की ओर में शुरुआत अच्छी नहीं रही थी और टीम इंडिया ने सिर्फ 10 रन के स्कोर पर अपना पहली विकेट कप्तान शुभमन गिल के रूप में खो दिया था। गिल के आउट होने के बाद अभिषेक शर्मा और रुतुराज गायकवाड़ ने भारत की पारी को संभाला और दूसरे विकेट के लिए 137 रन जोड़े।


अभिषेक शर्मा की शानदार पारी

इस दौरान अभिषेक शर्मा 46 गेंदों पर अपना शतक पूरा किया। अभिषेक शतक लगाते ही आउट हो गए। उन्होंने इस मैच में 47 गेंदों पर 100 रनों की पारी खेली और 212.77 की स्ट्राइक रेट से 7 चौके और 8 छक्के भी जड़े। अभिषेक शर्मा की शानदार पारी के बाद रुतुराज गायकवाड़ ने रिंकू सिंह के साथ मिलकर भारतीय पारी को संभाला। रुतुराज ने इस मैच में 47 गेंदों पर 77 रन और रिंकू सिंह ने 22 गेंदों पर 48 रनों की पारी खेली। रिंकू ने अपनी पारी के दौरान 2 चौके और 5 छक्के जड़े। ऐसे करके टीम इंडिया ने जिम्बाब्वे के सामने 235 रनों का विशाल लक्ष्य रखा।


रनचेज में फेल हुआ जिम्बाब्वे

भारत द्वारा दिए गए इतने बड़े टारगेट का पीछा करने उतरी जिम्बाब्वे की टीम ने शुरुआत से ही इस मैच में पिछड़ती नजर आई और वह 18.4 ओवर में 134 रन के स्कोर पर ऑलआउट हो गए। जिम्बाब्वे ने अपनी पहला विकेट पहले ही ओवर में सिर्फ 4 रन के स्कोर पर खो दिया। इसके बाद जिम्बाब्वे ने दूसरे विकेट को लिए काफी तेजी से 36 रन जोड़े। उस वक्त ऐसा लगा कि पिच बल्लेबाजी के लिए काफी शानदार है, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने भारत को कमबैक करवाया और ब्रायन बेनेट को आउट किया।

ब्रायन बेनेट ने इस मैच में 9 गेंदों पर 26 रन बनाए। इसके बाद जिम्बाब्वे ने एक के बाद एक विकेट खोने शुरू कर दिए। इस दौरान भारत की ओर से मुकेश कुमार और आवेश खान को तीन-तीन विकेट मिले। वहीं रवि बिश्नोई ने दो विकेट और वाशिंगटन सुंदर ने एक विकेट झटका। दोनों टीमों के बीच सीरीज का अगला मुकाबला हरारे स्पोर्ट्स क्लब में ही खेला जाएगा। इस मैच का आयोजन 10 जुलाई को किया जाएगा। जहां दोनों टीम अब लीड हासिल करने के लिए उतरेगी।

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Jul 07 2024, 21:18

किसानों के लिए अच्छी खबर, हर जिले में एक सहकारी बैंक और दो लाख पंचायतों में पैक्स बनेगा

डेस्क: केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र ने देश के प्रत्येक जिले में एक सहकारी बैंक और एक दूध उत्पादक संघ बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में ऐसी दो लाख पंचायतों में बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पीएसीएस या पैक्स) भी स्थापित की जाएंगी, जहां कोई सहकारी संस्था नहीं है। शाह ने 102वें अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर आयोजित 'सहकार से समृद्धि' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नैनो-यूरिया और नैनो-डीएपी पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी की घोषणा करने के लिए गुजरात सरकार को धन्यवाद दिया। 

दो लाख पंचायतों में कोई सहकारी संस्था नहीं

उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र ग्रामीण और कृषि अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, और उन्होंने सहकारी संस्थाओं के बीच सहयोग बढ़ाने का आग्रह किया। शाह ने कहा, ‘‘केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकार ने लक्ष्य रखा है कि देश में ऐसा कोई राज्य या जिला न हो, जहां जिला सहकारी बैंक और जिला दुग्ध उत्पादक संघ न हो। आज भी देश में दो लाख पंचायतें ऐसी हैं, जहां कोई सहकारी संस्था नहीं है। अगले पांच साल में हम इन दो लाख पंचायतों में बहुउद्देशीय पैक्स बनाने का काम करेंगे।’’ 

राष्ट्रीय सहकारिता नीति आएगी 

उन्होंने कहा कि केंद्र जल्द ही राष्ट्रीय सहकारिता नीति लाएगा। उन्होंने कहा कि देश में 1,100 नए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाए गए हैं और एक लाख से अधिक पैक्स ने नए उपनियमों को स्वीकार कर लिया है। शाह ने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) 2,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी करने से अधिक सहकारी संस्थाओं के कल्याण के लिए काम कर सकेगा। उन्होंने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और राज्य सहकारी बैंकों से पैक्स और अन्य सहकारी संस्थाओं के लिए जिला या राज्य सहकारी बैंकों में अपने खाते खोलने की व्यवस्था करने का आग्रह किया, जिससे सहकारी क्षेत्र मजबूत होगा। शाह ने कहा कि जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने और जैविक खेती करने वाले किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सहकारी जैविक लिमिटेड (एनसीओएल) की स्थापना की है। 

जैविक उत्पाद को बढ़ावा दिया जाएगा

शाह ने कहा, ‘‘आज एनसीओएल द्वारा भारत जैविक आटा भी पेश किया गया है। अमूल ने भी दिल्ली में जैविक उत्पादों की एक दुकान शुरू की है। भारत जैविक और अमूल दोनों विश्वसनीय और 100 प्रतिशत जैविक ब्रांड हैं। जैविक उत्पादों पर भारत ब्रांड की मुहर, दुनिया की सबसे आधुनिक तकनीक का उपयोग करके परीक्षण करने के बाद ही लगाई जाती है।’’ केंद्रीय मंत्री ने घोषणा की कि भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और उपभोक्ता सहकारी संस्थाएं भी 100 प्रतिशत एमएसपी पर चार प्रकार की दालें खरीदेंगी।