सुप्रीम कोर्ट से ममता सरकार को झटका, संदेशखाली केस में सीबीआई जांच के खिलाफ बंगाल सरकार की याचिका खारिज
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सुप्रीम कोर्ट से ममता सरकार को तगड़ा झटका लगा है।सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार की उस याचिका खारिज कर दिया, जिसमें संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ अपराध करने और जमीन हड़पने के आरोपों की सीबीआई जांच कराने का निर्देश देने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।

बता दें कि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में संदेशखाली मामले में महिलाओं के यौन शोषण-जमीन हथियाने और राशन घोटाले से जुड़े सभी मामलों में सीबीआई जांच का आदेश दिया था। पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने सरकार की याचिका खारिज कर दी है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने सवाल उठाया और पूछा कि राज्य सरकार को इस मामले में इतनी दिलचस्पी क्यों है? आखिरकार राज्य सरकार किसी को बचाना क्यों चाहती है? वहीं, सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका में राज्य सरकार ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश ने पुलिस बल सहित पूरे राज्य तंत्र का मनोबल गिराया है।

इससे पहले 29 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्य सरकार किसी व्यक्ति के हित की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कैसे कर सकती है? उस समय कोर्ट ने कहा था मामले की सुनवाई गर्मियों की छुट्टी के बाद होगी।
सिर्फ 6 दिन में अदृश्य हुए बाबा बर्फानी, जानें क्या है वजह

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कश्मीर के अनंतनाग जिले में हर साल गर्मियों में अमरनाथ यात्रा होती है। अमरनाथ के पवित्र गुफा में प्राकृतिक रूप से बर्फ से शिवलिंग की संरचना होती है। गर्मियों में जब गुफा के अंदर पानी जम जाता है, तब शिवलिंग का आकार बढ़ जाता है। यह माना जाता है कि यह संरचना भगवान शिव का रूप है। सदियों से इस शिवलिंग के आकार को आध्यात्मिक महत्व दिया जाता रहा है। जिसके दर्शन के लिए लाखों लोग हर साल पहुंचते हैं। हालांकि इस साल बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को निराशा हुई है। दरअसल, यात्रा शुरू होने के एक हफ्ते बाद ही शिवलिंग यानी बाबा बर्फानी अदृश्य हो गए। 29 जून को ही अमरनाथ यात्रा शुरू हुई थी और 6 जुलाई को अमरनाथ गुफा की शिवलिंग पिघल गई. साल 2008 के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब यात्रा शुरू होने के 10 दिन से भी कम समय में अमरनाथ का शिवलिंग अदृश्य हुआ है. यानी अमरनाथ यात्रा खत्म होने से पहले ही बाबा बर्फानी पिघल गए।

अमरनाथ यात्रा में समय से पहले बाबा बर्फानी के विलीन होने के मुख्य कारणों में मौसम एक बड़ा कारण बताया जा रहा है। पिछले साल सर्दियों कम बर्फबारी हुई थी और हाल ही में कश्मीर संभाग में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के कारण बाबा बर्फानी का आकार प्रभावित हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि पिछले एक सप्ताह के दौरान बहुत अधिक तापमान के कारण पिघलने की प्रक्रिया तेज हो गई है। 

2008 के बाद यह पहली बार है कि यात्रा के पहले 10 दिनों के भीतर बर्फ का शिवलिंग पूरी तरह से गायब हो गया है। बाबा बर्फानी के पिछले दस सालों की बात करें तो 2014 से बाबा बर्फानी के पिघलने का सिलसिला तेज हो गया। साल 2014 में 71 दिन तक बाबा बर्फानी के दर्शन हुए थे उसके बाद वो अदृश्य हो गए थे। 2015 में तो मात्र 48 दिन में ही पिघल गए थे।

• साल 2016 में 35 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2017 में 48 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2018 में 36 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2019 में 28 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2020 में 38 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2021 में 35 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2022 में 42 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2023 में 35 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2024 में 6 दिन बाद ही पिघल गए थे

बाबा बर्फानी के इतने जल्दी विलीन हो जाने के बाद अब तरह-तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। कुछ लोग इसे प्रकृति का बड़ा संकेत मान रहे तो कुछ लोग इसके पीछे बढ़ते तापमान को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। हालांकि, मूल समस्या जलवायु परिवर्तन है। पहाड़ी क्षेत्रों में खासतौर पर इस बार गर्मी बहुत बढ़ी है। दरअसल, यह एक अल नीनो वर्ष है, जो आमतौर पर कश्मीर हिमालय में कम बर्फबारी लाता है। यह लंबे समय तक शुष्क रहने का कारण बनता है।

जम्मू कश्मीर में अभी बी प्रचंड गर्मी से राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। ऐसे में भीषण गर्मी के चलते लोग काफी परेशान है।0 इसके साथ ही तापमान लगातार नए रिकार्ड बना रहा है। जहां पिछले एक हफ्ते से कश्मीर घाटी में गर्मी और बारिश न होने से परेशानियां बड़ा दी हैं। वहीं, पहाड़ों में पड़ने वाली गर्मी के चलते पहाड़ों में ग्लेशियर के पिघलने में तेजी आई है, जिससे नदियों का जलस्तर भी बढ़ने लगा है। ऐसे में मौसम विभाग की तरफ से इस गर्मी के बाद होने वाली बारिशों से होने वाली बाढ़ और भूस्खलन को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग के प्रमुख डॉ मुख़्तार अहमद ने बताया कि पिछले कई सालों में ग्लोबल वार्मिंग के चलते तापमान में दो डिग्री की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि अगर तापमान में एक डिग्री की बढ़ोतरी होती है तो हवा में नमी की मात्रा 7 प्रतिशत तक जाती है, जिससे बाढ़ आने का कारण बना रहता है।

फ्रांस में त्रिशंकु संसद के हालात, चुनावी नतीजे आने के बाद भड़की हिंसा

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फ्रांस चुनाव के दूसरे राउंड में बड़ा बदलाव देखने मिला है।रविवार की रात फ़्रांस के लिए उम्मीद से उलट नतीजों वाली रात थी। संसदीय चुनाव के नतीजे चौंकाने वाल रहे। पहले दौर में पहले स्थान पर रहने वाली दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली आखिरी दौर में आखिरी स्थान पर पहुंच गई है। फ्रांस के संसदीय चुनावों में वामपंथी गठबंधन की बढ़त के बाद राजधानी पेरिस समेत पूरे देश में हिंसा भड़क उठी है।

वामपंथी गठबंधन न्यू पॉपुलर फ़्रंट 182 सीटों के साथ पहले स्थान पर है। जबकी बुरी तरह पिछड़ी मैक्रों की मध्यमार्गी पार्टी ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया।पहले चरण में सर्वाधिक मत जीतने वाली धुर दक्षिणपंथी नेशनल रैली तीसरे नंबर रही है। लेकिन इनमें से किसी के पास भी बहुमत के आंकड़े नहीं हैं और फ़्रांस में त्रिशंकु संसद के हालात बन गए हैं।फ्रांस में अनिश्चितता की ऐसी स्थिति बन गई है, जो पहले कभी नहीं देखी गई।

राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का मध्यमार्गी गठबंधन दूसरे स्थान पर और दक्षिणपंथी तीसरे स्थान पर आया. इस चुनावों से तीन प्रमुख राजनीतिक गुट उभरे हैं- फिर भी उनमें से कोई भी 577 सीटों वाले निचले सदन नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए जरूरी 289 सीटों के करीब नहीं पहुंच पाया है। यहां सबसे बड़े गुट बनकर उभरे वामपंथी गठबंधन को 182 सीटें मिली हैं। वहीं मैक्रों के गठबंधन को 168 सीटें, जबकि धुर दक्षिणपंथी रैसेमबलेमेंट नेशनल और उसके सहयोगियों को 143 सीटें मिली हैं।

जैसे ही चुनाव के नतीजे आने शुरू हुए हजारों लोग पेरिस के प्लेस डे ला रिपब्लिक पर इकट्ठा हुए। फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, फ्रांसीसी चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल में वामपंथी गठबंधन की जीत की संभावना के बाद पेरिस में जश्न और हिंसा दोनों का माहौल बन गया। धुर-वामपंथी गठबंधन के अप्रत्याशित रूप से आगे निकलने की खबर पर हजारों लोग जश्न मनाने के लिए पेरिस के प्लेस डे ला रिपप्लिक में जमा हो गए। नतीजों से नाराज और नतीजों के बाद जश्न मना रहे लोग सड़को पर आ गए है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कुछ प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हुई, जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया। 

ब्रिटिश टैबलायड द सन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह पता नहीं चल पाया है कि बढ़ते तनाव के बीच सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी किस दल के समर्थक है। इसके पहले यह आशंका जताई गई थी कि अगर दक्षिणपंथी जीत जाते हैं तो हिंसा भड़क सकती है।

आज रूस रवाना हो रहे पीएम मोदी, पश्चिम के लिए इस दौरे के क्या हैं?

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रूस-यूक्रेन जंग के बीच पीएम मोदी आज रूस के लिए रवाना हो रहे हैं। करीब पांच साल बाद पीएम मोदी अपने खास दोस्त पुतिन से मिलने मॉस्को जा रहे।रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी को न्योता दिया है। पीएम मोदी आठ और नौ जुलाई को मॉस्को में रहेंगे। पीएम मोदी रूस में 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यहां दोनों देशों के बीच बहुआयामी संबंधों की संपूर्ण समीक्षा की जाएगी।पुतिन मोदी के लिए एक प्राइवेट डिनर का आयोजन भी करेंगे। पीएम मोदी की इस रूस यात्रा पर पूरी दुनिया की नजर है।

रूस की उनकी पिछली यात्रा 2019 में हुई थी जब उन्होंने व्लादिवोस्तोक में एक आर्थिक सम्मेलन में शिरकत की थी। भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को लेकर सर्वोच्च संस्थागत संवाद तंत्र है। अब तक भारत और रूस में बारी-बारी से 21 वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित हो चुके हैं।आगामी शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रूस यात्रा से पहले विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच वार्ता के एजेंडे में क्षेत्रीय और वैश्विक हित के मुद्दे शामिल होंगे। भारत-रूस शिखर सम्मेलन रक्षा, निवेश, शिक्षा और संस्कृति तथा लोगों के बीच संबंधों सहित द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण दायरे पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगा।

ऐसे समय जब यूरोपीय देश गंभीरता से यूक्रेन को सैन्य और दूसरी सहायता देने में लगे हुए हैं, किसी भी यूरोपीय नेता के रूस दौरे को विश्ववासघात के तौर पर देखा जा सकता है। शुक्रवार को हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने रूस की राजधानी मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मुलाक़ात की। उनकी इस मुलाक़ात पर यूरोपीय नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। सब के बीच एक सवाल यह भी है कि पश्चिमी देशों की भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा पर कैसी और क्या प्रतिक्रिया है? हालांकि अभी तक पश्चिमी देशों के नेताओं ने मोदी की इस यात्रा के बारे में खुलकर कोई भी टिप्पणी नहीं की है।

मोदी की रूस यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी रूस को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं और देश पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। उन्होंने उच्च स्तरीय बैठकों में भी भारी कटौती की है। पश्चिमी देशों में फैली रूस विरोधी भावनाओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह यात्रा भारत के रणनीतिक साझेदार अमेरिका को नाराज़ करने वाली हो सकती है

बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 में जंग की शुरुआत हुई थी। पश्चिम के दबाव के बाद भी भारत ने पुतिन का साथ दिया और उससे तेल खरीदना जारी रखा। इसकी वजह से रूस को युद्ध के हालात में भी पैसों की कमी नहीं हुई। हालांकि, भारत रूस को स्पष्ट कर चुका है कि वह शांति के पक्ष में है। पीएम मोदी कई बार दोहरा चुके हैं कि रूस-यूक्रेन जंग का एकमात्र उपाय शांति-वार्ता ही है।

क्या युद्ध की तैयारी कर रहा है चीन? जरूरत से कई गुना ज्यादा तेल जमा करना दे रहे इसके संकेत

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क्या चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है? चीन जिस तरह से युद्ध के दौरान जरूरत पड़ने वाली चीजों का स्टॉक करने में जुटा है, उससे इस तरह के सवाल उठ रहे है। यही नहीं चीन के तेवर जिस तरह से दिख रहे हैं, उससे भी ये आशंका जताई जा रही है। नवंबर 2022 में चीन के राष्ट्रपति के तौर पर तीसरी बार चुने जाने के बाद शी जिनपिंग ने सैन्यकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा था कि चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ती अस्थिरता और अनिश्चितता का सामना कर रही है। ऐसे में हमें युद्ध लड़ने और जीतने के लिए तैयार रहना चाहिए। पिछले दो दशक में भारत से लेकर दक्षिण चीन सागर तक विभिन्‍न क्षेत्रों में अप्रत्‍याशित तरीके से आक्रामक दावे करने शुरू किए हैं। चीन ने खरबों डॉलर खर्च करके अपनी सेना को हाइपरसोनिक मिसाइलों से लेकर पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट से लैस किया है। सबसे बड़ी आशंका ड्रैगन के कच्चे तेल के भंडारण को लेकर है

पूर्वी चीन के डोंगयिंग बंदरगाह पर, 2024 की शुरुआत में कई टैंकर एक साथ रूसी कच्चे तेल को उतारते हुए देखे गए हैं। जिसके बाद चीन ने पिछले साल के अंत तक 31.5 मिलियन बैरल का भंडारण कर लिया है। चीन शांति काल में प्रतिदिन लगभग 14 मिलियन बैरल तेल की खपत करता है। हालाँकि, जिस तरह के हालात है स्पष्ट प्रतीत होता है कि चीन जानबूझकर तेजी से भंडारण कर रहा है। जो आवश्यक कच्चे माल और संसाधन को इकट्ठा करने के एक बहुत व्यापक राष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा है। 

यह एक ऐसा कदम है जिसके बारे में कुछ लोगों को संदेह है कि इसका उद्देश्य बीजिंग को भविष्य के किसी भी युद्ध या अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचाना है, जैसे कि ताइवान पर संभावित चीनी आक्रमण से उत्पन्न होने वाले प्रतिबंध। युद्ध के दौरान उसे कच्चे तेल की सप्लाई में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है या फिर उस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लग सकते हैं, जिससे उसकी फैक्ट्रियों की कमर टूट जाएगी। इसीलिए वह अपनी जरूरत से कई गुना ज्यादा तेल स्टोर करने में लगा है, जिससे हालात विपरीत भी हों तो भी देश के उद्योग धंधे काम करते रहें।

जिनपिंग अपने देश को टकराव के लिए तैयार कर रहे!

17 अप्रैल को प्रकाशित अंतर्राष्ट्रीय मामलों और संघर्ष ब्लॉगिंग साइट "वॉर ऑन द रॉक्स" के लिए एक लेख में, अमेरिकी नौसेना खुफिया और खुफिया कार्यालय के पूर्व कमांडर और यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड के निदेशक माइक स्टडमैन ने तर्क दिया कि यह एक बहुत व्यापक प्रक्रिया का हिस्सा था। उन्होंने लिखा, "शी जिनपिंग अपने देश को टकराव के लिए तैयार कर रहे हैं," उन्होंने चीनी नेता को "चीनी समाज का सैन्यीकरण करने और अपने देश को संभावित उच्च तीव्रता वाले युद्ध के लिए तैयार करने" के रूप में वर्णित किया। उन्होंने सुझाव दिया कि इसका एक हिस्सा आवश्यक वस्तुओं और संसाधनों के रणनीतिक भंडार का निर्माण करना, यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से चीन की रक्षा करना - या, वास्तव में, क्षेत्रीय या वैश्विक युद्ध के हिस्से के रूप में सैन्य रूप से लागू की गई नाकाबंदी शामिल है। उन्होंने कहा कि बढ़ी हुई तैयारियों के अन्य उदाहरणों में ताइवान के आसपास चीनी सैन्य अभियानों की बहुत अधिक गति शामिल है - जिसका उद्देश्य चीन की सेना का अभ्यास करना और ताइपे में सरकार को अपनी कुल सैन्य नाकाबंदी के परिणामों से धमकाना है। 

अन्य प्रमुख संकेतक

केवल कच्चे तेल का भंडारण ही नहीं, अन्य महत्वपूर्ण संकेतक भी हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। पिछले पांच सालों में चीनी सेना का विस्तार और आधुनिकिकरण तेजी से हुआ है और हाइपरसोनिक सिलाइल प्रौद्योगिकी में इसकी प्रगति बीजिंग को लाभ की स्थिति में रखती है, क्योंकि अमेरिका ने अभी तक इसके समकक्ष कोई मिसाइल तैनात नहीं की है।

चीन का इरादा ताइवान का एकीकरण

चीन का इरादा साल 2025 तक ताइवान का मुख्‍य भूमि से एकीकरण करने का है। ताइवान में नए राष्‍ट्रपति के आने के बाद चीनी सेना ने बहुत बड़े पैमाने पर सैन्‍य ड्रिल शुरू की है। विश्‍लेषकों का कहना है कि यह ताइवानी राष्‍ट्रपति को डराने की कोशिश है जो खुलकर चीन का विरोध कर रहे हैं। चीन की पहले कोशिश थी कि शांतिपूर्ण तरीके से एकीकरण हो जाए लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है। ताइवान की रणनीति है कि अमेरिका की मदद से यथास्थिति को बहाल रखा जाए। वहीं चीन अमेरिका से लेकर ताइवान तक को आंखें दिखा रहा है और बड़े पैमाने पर हथियार बना रहा है।

अगले 50 साल में कई युद्धों के लिए तैयारी

खुद चीन की सरकारी न्‍यूज एजेंसी चाइना न्‍यूज सर्विस ने साल 2013 में अपने एक लेख में खुलासा किया था कि अगले 50 साल में चीन को 6 युद्ध लड़ने होंगे। चाइना न्‍यूज सर्विस का इशारा चीन के उन इलाकों को वापस हासिल करने की ओर था जिसे उसने साल 1840-42 के अफीम युद्ध के दौरान खो दिया था। इससे चीन की काफी बेइज्‍जती हुई थी। अब आर्थिक और सैन्‍य महाशक्ति बन चुका चीन इन इलाकों को वापस लेना चाहता है। इस लेख के मुताबिक चीन का इरादा इन देशों के साथ युद्ध लड़ने का है

IND vs ZIM: टीम इंडिया ने किया दमदार कमबैक, अभिषेक शर्मा की यादगार पारी ने ऐसे दिलाई जीत


डेस्क: भारत और जिम्बाब्वे के बीच पांच मैचों की टी20 सीरीज का दूसरा मुकाबला हरारे स्पोर्ट्स क्लब में खेला गया। इस मैच को टीम इंडिया ने अपने नाम कर लिया। भारत की जीत के सबसे बड़ा हीरो अभिषेक शर्मा रहे। उन्होंने इस मुकाबले में दमदार शतक जड़ा। भारत ने यह मैच 100 रनों से जीता। इस मुकाबले को जीतकर भारतीय टीम अब सीरीज में 1-1 की बराबरी पर आ गई है और उन्होंने शानदार कमबैक किया है। भारत को पिछले मुकाबले में एक लो स्कोरिंग मैच में 13 रनों से हार का सामना करना पड़ा था।

कैसा रहा मैच का हाल

दोनों टीमों के बीच खेले गए इस मुकाबले में टीम इंडिया के कप्तान शुभमन गिल ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया। टीम इंडिया ने इसके बाद पहली पारी में 20 ओवर के दौरान सिर्फ दो विकेट खोए और बोर्ड पर 234 रन बना डाले। भारत की ओर में शुरुआत अच्छी नहीं रही थी और टीम इंडिया ने सिर्फ 10 रन के स्कोर पर अपना पहली विकेट कप्तान शुभमन गिल के रूप में खो दिया था। गिल के आउट होने के बाद अभिषेक शर्मा और रुतुराज गायकवाड़ ने भारत की पारी को संभाला और दूसरे विकेट के लिए 137 रन जोड़े।


अभिषेक शर्मा की शानदार पारी

इस दौरान अभिषेक शर्मा 46 गेंदों पर अपना शतक पूरा किया। अभिषेक शतक लगाते ही आउट हो गए। उन्होंने इस मैच में 47 गेंदों पर 100 रनों की पारी खेली और 212.77 की स्ट्राइक रेट से 7 चौके और 8 छक्के भी जड़े। अभिषेक शर्मा की शानदार पारी के बाद रुतुराज गायकवाड़ ने रिंकू सिंह के साथ मिलकर भारतीय पारी को संभाला। रुतुराज ने इस मैच में 47 गेंदों पर 77 रन और रिंकू सिंह ने 22 गेंदों पर 48 रनों की पारी खेली। रिंकू ने अपनी पारी के दौरान 2 चौके और 5 छक्के जड़े। ऐसे करके टीम इंडिया ने जिम्बाब्वे के सामने 235 रनों का विशाल लक्ष्य रखा।


रनचेज में फेल हुआ जिम्बाब्वे

भारत द्वारा दिए गए इतने बड़े टारगेट का पीछा करने उतरी जिम्बाब्वे की टीम ने शुरुआत से ही इस मैच में पिछड़ती नजर आई और वह 18.4 ओवर में 134 रन के स्कोर पर ऑलआउट हो गए। जिम्बाब्वे ने अपनी पहला विकेट पहले ही ओवर में सिर्फ 4 रन के स्कोर पर खो दिया। इसके बाद जिम्बाब्वे ने दूसरे विकेट को लिए काफी तेजी से 36 रन जोड़े। उस वक्त ऐसा लगा कि पिच बल्लेबाजी के लिए काफी शानदार है, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने भारत को कमबैक करवाया और ब्रायन बेनेट को आउट किया।

ब्रायन बेनेट ने इस मैच में 9 गेंदों पर 26 रन बनाए। इसके बाद जिम्बाब्वे ने एक के बाद एक विकेट खोने शुरू कर दिए। इस दौरान भारत की ओर से मुकेश कुमार और आवेश खान को तीन-तीन विकेट मिले। वहीं रवि बिश्नोई ने दो विकेट और वाशिंगटन सुंदर ने एक विकेट झटका। दोनों टीमों के बीच सीरीज का अगला मुकाबला हरारे स्पोर्ट्स क्लब में ही खेला जाएगा। इस मैच का आयोजन 10 जुलाई को किया जाएगा। जहां दोनों टीम अब लीड हासिल करने के लिए उतरेगी।
किसानों के लिए अच्छी खबर, हर जिले में एक सहकारी बैंक और दो लाख पंचायतों में पैक्स बनेगा

डेस्क: केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र ने देश के प्रत्येक जिले में एक सहकारी बैंक और एक दूध उत्पादक संघ बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में ऐसी दो लाख पंचायतों में बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पीएसीएस या पैक्स) भी स्थापित की जाएंगी, जहां कोई सहकारी संस्था नहीं है। शाह ने 102वें अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर आयोजित 'सहकार से समृद्धि' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नैनो-यूरिया और नैनो-डीएपी पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी की घोषणा करने के लिए गुजरात सरकार को धन्यवाद दिया। 

दो लाख पंचायतों में कोई सहकारी संस्था नहीं

उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र ग्रामीण और कृषि अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, और उन्होंने सहकारी संस्थाओं के बीच सहयोग बढ़ाने का आग्रह किया। शाह ने कहा, ‘‘केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकार ने लक्ष्य रखा है कि देश में ऐसा कोई राज्य या जिला न हो, जहां जिला सहकारी बैंक और जिला दुग्ध उत्पादक संघ न हो। आज भी देश में दो लाख पंचायतें ऐसी हैं, जहां कोई सहकारी संस्था नहीं है। अगले पांच साल में हम इन दो लाख पंचायतों में बहुउद्देशीय पैक्स बनाने का काम करेंगे।’’ 

राष्ट्रीय सहकारिता नीति आएगी 

उन्होंने कहा कि केंद्र जल्द ही राष्ट्रीय सहकारिता नीति लाएगा। उन्होंने कहा कि देश में 1,100 नए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाए गए हैं और एक लाख से अधिक पैक्स ने नए उपनियमों को स्वीकार कर लिया है। शाह ने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) 2,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी करने से अधिक सहकारी संस्थाओं के कल्याण के लिए काम कर सकेगा। उन्होंने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और राज्य सहकारी बैंकों से पैक्स और अन्य सहकारी संस्थाओं के लिए जिला या राज्य सहकारी बैंकों में अपने खाते खोलने की व्यवस्था करने का आग्रह किया, जिससे सहकारी क्षेत्र मजबूत होगा। शाह ने कहा कि जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने और जैविक खेती करने वाले किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सहकारी जैविक लिमिटेड (एनसीओएल) की स्थापना की है। 

जैविक उत्पाद को बढ़ावा दिया जाएगा

शाह ने कहा, ‘‘आज एनसीओएल द्वारा भारत जैविक आटा भी पेश किया गया है। अमूल ने भी दिल्ली में जैविक उत्पादों की एक दुकान शुरू की है। भारत जैविक और अमूल दोनों विश्वसनीय और 100 प्रतिशत जैविक ब्रांड हैं। जैविक उत्पादों पर भारत ब्रांड की मुहर, दुनिया की सबसे आधुनिक तकनीक का उपयोग करके परीक्षण करने के बाद ही लगाई जाती है।’’ केंद्रीय मंत्री ने घोषणा की कि भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और उपभोक्ता सहकारी संस्थाएं भी 100 प्रतिशत एमएसपी पर चार प्रकार की दालें खरीदेंगी।

मोदी-पुतिन वार्ता पर क्यों है अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की नजर, जानें भारत-रूस की अटूट दोस्ती की दास्तां

डेस्क : भारत और रूस की दोस्ती 7 दशक से भी ज्यादा पुरानी और गहरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच तो इतनी अच्छी दोस्ती है, जिसे पूरी दुनिया जानती है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और उनकी कार्यशैली के कायल हैं। तभी तो पुतिन कई बार खुले मंच से खुलकर पीएम मोदी की तारीफ कर चुके हैं। अब 8 से 9 जुलाई तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के दौरे पर होंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच अहम द्विपक्षीय वार्ता होनी है। ऐसे वक्त में दोनों ही देश भारत-रूस के संबंधों को और अधिक गहरा करने व रणनीतिक साझेदारी को नया आयाम देने को प्रतिबद्ध होंगे। मोदी-पुतिन की वार्ता में रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर इजरायल-हमास युद्ध समेत कई वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है। ऐसे में अमेरिका समेत पूरे पश्चिम की निगाहें इस अहम वार्ता पर टिकी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच मॉस्को में होने वाली वार्ता में यूक्रेन में जारी युद्ध का ‘ग्लोबल साउथ’ पर प्रभाव और रूसी सेना में गुमराह कर शामिल किये गये भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई अहम मुद्दा हो सकता है। भारत ने जी-20 के अध्यक्ष के तौर पर भी ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज को प्रमुखता दी थी। तब से ग्लोबल साउथ के देशों में भारत के प्रति विश्वास और बढ़ा है। बता दें कि ग्लोबल साउथ में उन देशों को शामिल किया जाता है जो विकासशील, अल्प विकसित हैं। 2 साल बाद मिलेंगे मोदी और पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन करीब 2 वर्ष बाद अब मॉस्को में मिलेंगे। पिछली बार सितंबर 2022 में उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय वार्ता की थी। इस बैठक में मोदी ने पुतिन पर यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने के लिए दबाव डालते हुए कहा था कि ‘आज का युग युद्ध का नहीं है’। पीएम मोदी के इस बयान की पश्चिमी और यूरोपीय मीडिया में काफी सराहना हुई थी। अब आठ से नौ जुलाई को होने वाले 22वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन के लिए मोदी रूस की यात्रा पर जा रहे हैं। दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान क्षेत्रीय व वैश्विक महत्व के मुद्दे अहम रहेंगे। जमीन से आसमान तक और समुद्र से पाताल तक भारत-रूस की दोस्ती भारत और रूस की दोस्ती जमीन से आसमान तक और समुद्र से पाताल तक है। दोनों देशों की दोस्ती 7 दशक से ज्यादा पुरानी हो चुकी है। रूस भारत के लिए बड़ा ऊर्जा और हथियारों का सप्लायर रहा है। हालांकि हथियारों पर भारत ने धीरे-धीरे अब अपनी निर्भरता कम कर ली है। मगर व्यापारिक, आर्थिक, सामरिक और सुरक्षा के क्षेत्र में दोनों देश महत्वपूर्ण साझेदार हैं। रूस पिछले 24 साल से भारत का रणनीतिक साझेदार भी है। नरेंद्र मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने हैं। ऐसे में उनका कद दुनिया में काफी बड़ा हो चुका है। वहीं राष्ट्रपति पुतिन भी तीसरी बार इस पद पर काबिज हुए हैं। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच होने वाली द्विपक्षीय वार्ता पर अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की
महुआ मोइत्रा के खिलाफ 79 BNS के तहत FIR दर्ज, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष पर की थी विवादित टिप्पणी

डेस्क: तृणमूल कांग्रेस पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा एक बार फिर विवादों में घिरती नजर आ रही हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा के खिलाफ उनकी टिप्पणी पर जमकर विवाद हो रहा है। रेखा शर्मा की शिकायत पर महुआ मोइत्रा के खिलाफ मामला भी दर्ज कर लिया गया है। स्पेशल सेल ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 79 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। 

भारतीय न्याय सहिता BNS की धारा 79 यानी (किसी महिला की गरिमा का अपमान करने के उद्देश्य से शब्द, इशारा या कार्य) से जुड़े, अपराध में यह धारा लगाई जाती है दिल्ली पुलिस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) से भी ट्वीट से जुड़ी जानकारी मांग रही है।

देश में एक जुलाई ने नए आपराधिक कानून लागू हुए हैं। अब आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता ने ले ली है। महुआ मोइत्रा के खिलाफ नए कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है।

मध्यप्रदेश के गुना जिले में पुलिस चौकी पर भीड़ ने किया हमला, पुलिसकर्मियों ने छुपकर बचाई जान, जानिए पूरा मामला

मध्य प्रदेश के गुना जिले में भीड़ ने एक पुलिस चौकी पर धावा बोलकर तोड़फोड़ की, जिसमें चार लोग घायल हो गए. एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी. पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार सिन्हा ने बताया कि यह घटना शुक्रवार देर रात जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर मधुसूदनगढ़ थाना क्षेत्र के हीरापुरा गांव में उकावद चौकी पर हुई.

उपनिरीक्षक संजीव यादव ने बताया, 'एक खोखा लगाने को लेकर दो समूहों में झड़प हो गई थी, जिसके बाद एक समूह के चार लोग प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए चौकी पर आ गए. इसी बीच, दूसरे समूह के करीब 40 लोग आए और इन चारों की पिटाई कर दी. उन्होंने चौकी में तोड़फोड़ भी की. उन्होंने कहा, 'तोड़फोड़ करने वाले लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता के तहत हत्या के प्रयास, दंगा और अन्य अपराधों के आरोप लगाए गए हैं. उन्हें पकड़ने के प्रयास जारी हैं.

उपनिरीक्षक संजीव यादव ने इस बात की पुष्टि नहीं की कि हमलावर उन दो लोगों को लेकर गए हैं जिन्हें पुलिस झड़प के सिलसिले में चौकी लेकर आई थी. दूसरे अधिकारियों ने बताया कि चौकी पर तैनात सहायक उप निरीक्षक गिरिराज जाटव और मधुसूदनगढ़ थाने के प्रभारी सुरेश कुशवाह को एसपी ने लाइन हाजिर कर दिया.

घटना के समय चौकी में सिर्फ दो पुलिसकर्मी ही मौजूद थे. कमरे में छुपकर हमलावरों ने अपनी जान बचाई. पुलिस में शिकायत देने आए चार लोग हमलावरों से बचने के लिए बाथरूम में घुस गए लेकिन हमलावरों ने गेट तोड़कर उन्हें बाहर निकाल लिया और लाठी-डंडो से मारपीट की. हमले में घायल जसमन गुर्जर, सरजन सिंह गुर्जर, सीताराम गुर्जर और राधेश्याम गुर्जर को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है.