केजरीवाल को बड़ा झटका, कोर्ट ने तीन दिन की सीबीआई रिमांड पर भेजा, आज सुबह हुई थी गिरफ्तारी

#arvind_kejriwal_sent_to_cbi_custody_for_3_days

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। दिल्ली शराब घोटाला मामले में पहले से ही तिहाड़ जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट ने तीन दिन की सीबीआई रिमांड पर भेज दिया है। पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी जमानत पर रोक लगा दी और अब सीबीआई ने भी उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई ने राउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी के बाद कोर्ट से केजरीवाल की न्यायिक हिरासत मांगी थी। जिस पर कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 3 दिनों के लिए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया है। 

इससे पहले कोर्ट ने सीबीआई को 2 दिन की पूछताछ के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल को औपचारिक रूप से गिरफ्तार करने की अनुमति दी। विशेष न्यायाधीश अमिताभ रावत के आदेश के बाद सीबीआई ने सीएम को गिरफ्तार कर लिया। केंद्रीय जांच एजेंसी ने अदालत से केजरीवाल को गिरफ्तार करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।

पूरे मामले पर अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल का भी बयान सामने आया है। सुनीता ने कहा कि 20 जून अरविंद केजरीवाल को बेल मिली। तुरंत ईडी ने स्टे लगवा लिया। अगले ही दिन सीबीआई ने आरोपी बना दिया और आज गिरफ़्तार कर लिया। सुनीता ने आरोप लगाया कि पूरा तंत्र इस कोशिश में है कि बंदा जेल से बाहर ना आ जाये। ये क़ानून नहीं है। ये तानाशाही है, इमरजेंसी है।

अमेरिका-यूरोप में बढ़ी भारत की अहमियत, क्या पड़ोसियों के साथ रिश्तों में होगा सुधार

#willpmmodiimproverelationswithneighbouring_countries 

नरेंद्र मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने हैं।2014 में जब नरेंद्र दामोदरदास मोदी पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बने, उनके शपथ ग्रहण समारोह में भारत के सभी पड़ोसी देशों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था। संदेश स्पष्ट था भारत अच्छा पड़ोसी बनना चाहता है। अपने तीसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण समारोह में भी भारत के सात पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्षों को न्योता भेजा गया।पड़ोसी देशों के प्रमुखों को शपथ ग्रहण में बुलाने का फैसला उन देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए किया गया है, जो दिल्ली की 'पड़ोसी प्रथम' पॉलिसी के केंद्र में हैं। हालांकि मोदी सरकार के लिए पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को मधुर बनाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

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दरअसल, प्रधानमंत्री पद संभालने के तुरंत बाद नरेन्द्र मोदी ने जी 7 शिखर बैठक में शामिल होने के साथ वैश्विक रंगमंच पर शानदार आगाज किया। इसके तीन सप्ताह बाद वह शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की अस्ताना, कजाकस्तान में 3-4 जुलाई को आयोजित हो रही शिखर बैठक में शामिल होंगे। अमेरिकी खेमे के संगठन जी7 में भाग लेने के एक महीने के भीतर अमेरिका विरोधी चीन और रूस की अगुआई वाले एससीओ में उनकी भागीदारी रोचक होगी।

प्रधानमंत्री मोदी का दो विरोधी गुटों की शिखर बैठक में शामिल होना साफ बताता है कि वैश्विक स्तर पर भारत की अहमियत बढ़ी है। हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि मोदी के लिए पड़ोसी देशों के साथ सामान्य रिश्ते बनाए रखना बड़ी चुनौती है। तीसरा कार्यकाल संभालने से पहले जिस तरह अमेरिका, रूस और कई यूरोपीय नेताओं ने मोदी को फोन कर बधाई दी और जिस तरह चीन और पाकिस्तान के नेताओं ने उन्हें नजरअंदाज किया, उससे पता चलता है कि जहां भारत को बड़ी ताकतें अपनी ओर आकर्षित करना चाहती हैं, वहीं कुछ पड़ोसी देशों के लिए मोदी सरकार में संबंध को सुधारना मुश्किल होगा।

भारत में मौजूदा सरकार के सत्ता में आने के बाद से कई सार्क देशों के साथ भारत के संबंध बिग़ड़ते चले गए हैं। पहले पाकिस्तान, नेपाल और अब बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के साथ रिश्तों की गर्माहट कम हो रही है।

नेपाल के साथ भारत के रिश्ते

नेपाल और भारत 1750 किलोमीटर से अधिक की सीमा साझा करते हैं। कहा जाता है कि दोनों के बीच न केवल रोज़ी-रोटी का बल्कि रोटी-बेटी का संबंध रहा है। लेकिन 2015 में दोनों पड़ोसियों के बीच रिश्तों में तनाव आना शुरू हुआ। मामला जुड़ा था नेपाल के नए संविधान से। 2015 में जब वहां नया संविधान बनने वाला था, उस वक्त तराई के इलाके में रहने वाले मधेशी इसका विरोध कर रहे थे। उनका दावा था कि सरकार में उनकी भागीदारी नहीं है। विरोध बढ़ा और नेपाल ने भारत पर आर्थिक नाकेबंदी का आरोप लगाया। इस बीच नेपाल की चीन के साथ बढ़ती नजदीकियों ने भारत के सामने चुनौती पेश की है।ऐसे में भारत को नेपाली लोगों का विश्वास दोबारा हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। 

पाकिस्तान के साथ बिगड़े रिश्ते

रही पाकिस्तान और भारत के संबंधों की बात तो 2014 में अपने शपथ ग्रहण में पीएम मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आमंत्रित किया था। यही नहीं 2015 दिसंबर में क़ाबुल से दिल्ली लौटते हुए अचानक प्रधानमंत्री मोदी लाहौर पहुंच गए। खुद पहल करते हुए मोदी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ से मुलाक़ात करने पहुंचे तो माना गया कि उन्होंने दोस्ती का हाथ बढ़ाया है, लेकिन भविष्य कुछ और ही था।पहले पठानकोट, फिर उरी, पुलवामा और फिर बालाकोट को लेकर दोनों पड़ोसियों के बीच तनाव बढ़ा दिया। यही नहीं, जम्मू कश्मीर को ख़ास दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने के भारत सरकार के फ़ैसले ने दोनों देशों के रिश्ते को और तल्ख कर दिया।

अफगानिस्तान को किया नजरअंदाज

अफ़ग़ानिस्तान के साथ भारत के क़रीबी रिश्ते रहे हैं और ये संबंध कूटनीतिक तौर पर भी अहम माने जाते हैं। भारत आर्थिक तौर पर भी अफ़ग़ानिस्तान की काफ़ी मदद करता रहा है। लेकिन दशकों से हिंसा से जूझ रहे अफ़ग़ानिस्तान से जब अमरीका ने बाहर निकलने का ऐलान किया तो भारत शांत ही रहा। न तो वो शांति प्रक्रिया में ही शामिल हुआ और न ही किसी और मामले में।2021 में तालिबान के सत्ता पर कब्जा जमाने के बाद से भारत और अफगानिस्तान के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं है। 

बांग्लादेश के साथ मधुर संबंध कटु होने की राह पर!

1971 में पश्चिमी पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान अलग हुआ और बांग्लादेश नाम का एक नया राष्ट्र बना। चूंकि इसके गठन में भारत की भूमिका अहम रही इस कारण भारत के साथ इसके रिश्ते भी शुरुआत से मधुर रहे। लेकिन अब आगे ऐसा होता दिख नहीं रहा।घुसपैठ ने दोनों देशों के रिश्तों में खटास पैदा कर दी है। वहीं, 2011 में पश्चिम बंगाल के विरोध के कारण हम तीस्ता समझौते पर दस्तख़त नहीं कर पाए। जो दोनों देशों के रिश्तों के बीच एक नकारात्मक संदेश था। हालांकि, हाल ही एक महीने के अंदर दो बार बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना का भारत दौरा दूरीयों को मिटाता नजर आ रहा है।

भूटान के साथ संबंध

भूटान भारत के लिए भी बेहद जरूरी पड़ोसी देश है। यही कारण है कि भारत अपनी पंचवर्षीय योजना, वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज और गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी परियोजना में सहायता के साथ भूटान का समर्थन करने को तैयार है।खासकर तब जब चीन अपनी शर्तों पर भूटान के साथ सीमा पर बातचीत करने को तैयार है।

दरअसल,चीन आर्थिक साझेदारी का चोला पहनकर हिंद महासागर के कई तटीय देशों के साथ संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है। भूटान इसका ही एक उदाहरण है। चीन ने भूटान के इलाकों पर हमले करके वहां के पहाड़ों को काट डाला। चीन ने वहां की जमीन पर अपने कस्बे बसा लिए। भूटान के बास सैन्य बल न होने के कारण, वह चीन द्वारा उसके भू-भाग को काटे जाने की मूकदर्शक बना हुआ है, जो सीमा वार्ता जारी रहने के बावजूद जारी है।

मालदीव के साथ तनाव के बीत संबंध जारी

मालदीव ने मोदी 3.0 के शपथ ग्रहण का न्योता स्वीकार करके साफ कर दिया कि वो भारत से बातचीत करना चाहता है। जबकि हाल ही में मालदीव से भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने के बाद दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई थी। पिछले साल भी मालदीव के कुछ मंत्रियों ने पीएम मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद दोनों देशों के बीच विवाद खड़ा हो गया था। हालांकि मालदीव ने उन मंत्रियों को पद से हटा दिया था।मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू 'भारत को बाहर करो' के नारे के साथ सत्ता में आए थे।हालांकि, तनाव के बाद भी भारत की ओर से बरती गई या फिर कहें आर्थिक तौर पर चोट कानेके बाद मालदीव की सरकार भी झुकती नजर आ रही है।

श्रीलंका में भी चीन की पकड़ होगी कमजोर

श्रीलंका भारत के पड़ोसी देशों में से एक है। दोनों देशों के बीच एक ऐसा रिश्ता है जिसे 2500 साल पुराना कहा जा सकता है। भारत श्रीलंका ने आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आईडीपी) के लिए विकास सहायता परियोजनाओं में सहयोग की प्रगति दिखाई है, जिसने भारत श्रीलंका के बीच मैत्री बंधन को और मजबूत किया है। हाल में श्रीलंका के वित्तीय संकट से निपटने में भारत ने काफी मदद की है। भारत की कंपनियां अब श्रीलंका के बुनियादी ढांचे को डेवलेप करने में बड़ी भूमिका निभा रही हैं। इन योजनाओं के लिए अमेरिका भी मदद कर रहा है, जो भारत का प्रमुख रणनीतिक साझेदार है। इसे इस तरह समझ सकते हैं कि पिछले साल कोलंबो पोर्ट के एक प्रोजेक्ट के लिए अमेरिकी कंपनी ने 4,600 करोड़ रुपये देने का वादा किया था। इस टर्मिनल में भारत के अडाणी ग्रुप की 51% हिस्सेदारी है।

हालांकि, हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में कच्चातिवू द्वीप को लेकर दोनों देश आमने-सामने आते दिखे।

मनीष सिसोदिया पर मैंने कोई आरोप नहीं लगाए...', CBI के दावों पर बोले केजरीवाल

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शराब घोटाले मामले में बुधवार को CBI ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया है. इस बीच CBI ने दिल्ली की शराब नीति एवं इसमें केजरीवाल की भूमिका को लेकर अदालत में कई दावे किए हैं. अब इन दावों का केजरीवाल ने खंडन किया है. केजरीवाल ने अदालत में कहा कि मीडिया में कुछ चल रहा है, जो सही नहीं है. मैंने ऐसा बयान नहीं दिया है कि मनीष सिसोदिया दोषी हैं. मैने कहा था कि वो निर्दोष हैं और मैं भी निर्दोष हूं. इनका मकसद ही मीडिया में हमें बदनाम करना है. 

बता दे कि CBI ने कहा कि केजरीवाल ने कहा कि विजय नायर ने उनके साथ काम नहीं किया बल्कि उसने आतिशी एवं सौरभ भारद्वाज के तहत काम किया था. CBI का दावा है कि इस प्रकार केजरीवाल ने दिल्ली एक्साइज पॉलिसी की पूरी जिम्मेदारी मनीष सिसोदिया पर डाल दी. केजरीवाल ने कहा कि एक्साइज पॉलिसी का आइडिया उनका नहीं बल्कि मनीष सिसोदिया का था. CBI का दावा है कि हमें केजरीवाल से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है. वह ये भी नहीं बता रहे हैं कि विजय नायर उनके अधीन काम कर रहे थे. उनका कहना है कि वह आतिशी मार्लेना एवं सौरभ भारद्वाज के अधीन काम कर रहे थे. उन्होंने सारा दोष मनीष सिसोदिया पर डालते हुए कहा कि उन्हें आबकारी नीति के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

केजरीवाल की गिरफ्तारी के लिए CBI का कारण यह था कि वह उस मंत्रिमंडल का हिस्सा थे जिसने शराब नीति को अनुमति दी थी. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि रिश्वत लेने के पश्चात् दिल्ली की आबकारी नीति 2021-22 में हितधारकों के मन मुताबिक संशोधन किए गए. थोक विक्रेताओं के लिए प्रॉफिट मार्जिन 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया.

In a bid to realize PM Shri @narendramodi Ji's vision of building
a #DrugsFreeBharat, the Ministry of Home Affairs is ruthlessly busting drug cartels and compassionately reaching out to drug addicts to rehabilitate them

अखिलेश यादव जी ने स्पीकर बनने पर ओम बिरला जी को बधाई दी और यह बधाई इतने मस्त अंदाज़ में थी कि
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आप भी मन ही मन में मुस्कुराओगे

अखिलेश यादव जी ने कहा कि

जिस सदन को छोड़कर आया हूं उस सदन की कुर्सी बहुत बड़ी है, मुझे उम्मीद है आप सत्ता पक्ष की तरह ही विपक्ष का भी सम्मान करेंगे और हमें अपनी बात रखने का मौका देंगे
I'm confident you'll allow the opposition to speak in the house- Rahul Gandhi
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And at the same time his alliance govt in Tamilnadu suspended the leader of opposition for the whole session...

The Irony!!!
सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को किया गिरफ्तार, पत्नी सुनीता ने कहा- ये तानशाही, बंदा जेल से बाहर न आ जाए, इसलिए पूरा...*
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#arvind_kejriwal_wife_sunita_his_arrest_whole_system_working
दिल्ली के कथित शराब घोटाले मामले में सीबीआई ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के बाद जांच एजेंसी ने सीएम केजरीवाल को गिरफ्तार किया।इसे लेकर सीएम केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल की प्रतिक्रिया सामने आई है।उन्होंने केजरीवाल की गिरफ्तारी को तानाशाही करार दिया। *ये एक इमरजेंसी है- सुनीता केजरीवाल* अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने एक्स पर पोस्ट साझा कर लिखा कि 20 जून को अरविंद केजरीवाल को बेल मिली। तुरंत प्रवर्तन निदेशालय ने स्टे लगवा लिया। अगले ही दिन सीबीआई ने आरोपी बना दियाऔर आज गिरफ्तार कर लिया। पूरा तंत्र इस कोशिश में है कि बंदा जेल से बाहर ना आ जाये। ये क़ानून नहीं है। ये तानाशाही है, इमरजेंसी है। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सीबीआई ने सीएम केजरीवाल की पांच दिनों की हिरासत की मांग की है। कोर्ट ने सीबीआई की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने विशेष न्यायाधीश अमिताभ रावत से अनुमति मिलने के बाद कोर्ट में सीएम केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। सीएम केजरीवाल को तिहाड़ जेल से कोर्ट में पेश किया गया था। इसके बाद सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। दरअसल, राउज एवेन्यू कोर्ट में सीबीआई ने आज बुधवार को अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया।इस दौरान अपने एक्शन के पक्ष में सीबीआई ने कई दलीलें दीं। सीबीआई ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की जमानत पर हाईकोर्ट से रोक लगने के बाद ही हमने गिरफ्तारी की है। अदालत ने सीबीआई को गिरफ्तारी का आधार बताने के लिए कहा था। इसके जवाब में सीबीआई ने लंबी दलीलें दीं। सीबीआई ने कहा, हमें केजरीवाल से हिरासत में पूछताछ की जरूरत है। वह यह भी नहीं बता रहे हैं कि विजय नायर उनके अधीन काम कर रहे थे। उनका कहना है कि वह आतिशी मार्लेना और सौरभ भारद्वाज के अधीन काम कर रहे थे। उन्होंने सारा दोष मनीष सिसोदिया पर डाल दिया और कहा कि उन्हें आबकारी नीति के बारे में कोई जानकारी नहीं है। केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के चलते जमानत मिली थी। उस वक्त हमने केजरीवाल से पूछताछ नहीं की।
सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को किया गिरफ्तार, पत्नी सुनीता ने कहा- ये तानशाही, बंदा जेल से बाहर न आ जाए, इसलिए पूरा...

#arvindkejriwalwifesunitahisarrestwholesystemworking 

दिल्ली के कथित शराब घोटाले मामले में सीबीआई ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के बाद जांच एजेंसी ने सीएम केजरीवाल को गिरफ्तार किया।इसे लेकर सीएम केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल की प्रतिक्रिया सामने आई है।उन्होंने केजरीवाल की गिरफ्तारी को तानाशाही करार दिया।

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ये एक इमरजेंसी है- सुनीता केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने एक्स पर पोस्ट साझा कर लिखा कि 20 जून को अरविंद केजरीवाल को बेल मिली। तुरंत प्रवर्तन निदेशालय ने स्टे लगवा लिया। अगले ही दिन सीबीआई ने आरोपी बना दियाऔर आज गिरफ्तार कर लिया। पूरा तंत्र इस कोशिश में है कि बंदा जेल से बाहर ना आ जाये। ये क़ानून नहीं है। ये तानाशाही है, इमरजेंसी है।

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सीबीआई ने सीएम केजरीवाल की पांच दिनों की हिरासत की मांग की है। कोर्ट ने सीबीआई की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने विशेष न्यायाधीश अमिताभ रावत से अनुमति मिलने के बाद कोर्ट में सीएम केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। सीएम केजरीवाल को तिहाड़ जेल से कोर्ट में पेश किया गया था। इसके बाद सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।

दरअसल, राउज एवेन्यू कोर्ट में सीबीआई ने आज बुधवार को अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया।इस दौरान अपने एक्शन के पक्ष में सीबीआई ने कई दलीलें दीं। सीबीआई ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की जमानत पर हाईकोर्ट से रोक लगने के बाद ही हमने गिरफ्तारी की है। अदालत ने सीबीआई को गिरफ्तारी का आधार बताने के लिए कहा था। इसके जवाब में सीबीआई ने लंबी दलीलें दीं। सीबीआई ने कहा, हमें केजरीवाल से हिरासत में पूछताछ की जरूरत है। वह यह भी नहीं बता रहे हैं कि विजय नायर उनके अधीन काम कर रहे थे। उनका कहना है कि वह आतिशी मार्लेना और सौरभ भारद्वाज के अधीन काम कर रहे थे। उन्होंने सारा दोष मनीष सिसोदिया पर डाल दिया और कहा कि उन्हें आबकारी नीति के बारे में कोई जानकारी नहीं है। केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के चलते जमानत मिली थी। उस वक्त हमने केजरीवाल से पूछताछ नहीं की।

हमने मत विभाजन की मांग नहीं की’: ओम बिरला के ध्वनि मत से लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने पर कांग्रेस

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार ओम बिरला को बुधवार को ध्वनि मत से दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष चुना गया। यह पांचवीं बार है जब कोई अध्यक्ष एक लोकसभा के कार्यकाल से अधिक समय तक काम करेगा। विपक्षी दल इंडिया, जिसने आठ बार के कांग्रेस सांसद कोडिक्कुनिल सुरेश को अध्यक्ष पद के लिए बिरला के खिलाफ खड़ा किया था, ने सदन में मत विभाजन की मांग नहीं की।

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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एएनआई से कहा, "मैं आपको औपचारिक रूप से बता रहा हूं, हमने मत विभाजन की मांग नहीं की...हमने इसकी मांग इसलिए नहीं की क्योंकि हमें यह उचित लगा कि आज पहले दिन सर्वसम्मति हो। यह हमारी ओर से एक रचनात्मक कदम था। हम (मत विभाजन) की मांग कर सकते थे।"

हालांकि, कुछ विपक्षी सांसदों ने ध्वनि मत से बिरला के चुनाव पर आपत्ति जताई। तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा, "नियम कहता है कि अगर सदन का कोई सदस्य मत विभाजन की मांग करता है, तो इस मामले में प्रोटेम स्पीकर को मत विभाजन की अनुमति देनी होती है। आप लोकसभा के फुटेज में साफ देख और सुन सकते हैं कि विपक्षी खेमे के कई सदस्यों ने मत विभाजन की मांग की और मत विभाजन के प्रस्ताव को वोटिंग के लिए रखे बिना ही प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया।" यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि सत्तारूढ़ भाजपा के पास संख्या बल नहीं है। यह सरकार बिना संख्या बल के चल रही है। यह अवैध, अनैतिक और असंवैधानिक है और देश के लोगों ने पहले ही उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है। अब बस समय की बात है कि उन्हें फिर से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा," टीएमसी नेता ने कहा।

बर्धमान-दुर्गापुर का प्रतिनिधित्व करने वाले टीएमसी सांसद कीर्ति आजाद ने कहा, "एनडीए के पास संख्या बल नहीं था और कम से कम आठ सदस्यों ने उनसे मत विभाजन की मांग की... इसका वीडियो सामने आया है... लेकिन उन्होंने हां कहकर बात खत्म कर दी! यह स्पष्ट है कि लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है।" कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, "जहां तक ​​चुनाव का सवाल है, जब संसदीय परंपराओं की अवहेलना की गई, तो हमने लोकतांत्रिक तरीके से अपना विरोध दर्ज कराया - कि उपसभापति विपक्ष से होना चाहिए। उन्होंने ऐसा नहीं किया... जहां तक ​​मत विभाजन का सवाल है, सत्ता पक्ष और उसके सहयोगियों ने इसकी मांग क्यों नहीं की?" 

ओम बिरला के चुनाव के लिए ध्वनि मत पर एनडीए सरकार ने क्या कहा?

केंद्रीय मंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​लल्लन सिंह ने पीटीआई से कहा, "ध्वनि मत से विभाजन कैसे हो सकता है? हम भी मत विभाजन चाहते थे, लेकिन कांग्रेस ने एक मिनट में ही ध्वनि मत स्वीकार कर लिया।" सभी जानते हैं कि एनडीए मजबूती से सरकार चला रही है। विपक्ष को डरने की जरूरत है, क्योंकि उनके कई सांसद हमारे संपर्क में थे... संभव है कि अगर मत विभाजन होता, तो वे हमारे पक्ष में वोट करते।" केंद्रीय मंत्री और भाजपा (रालोद) के सांसद चिराग पासवान ने कहा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में आपातकाल संबंधी टिप्पणी के लिए ओम बिरला की सराहना, सदन हुआ स्थगित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को 1975 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की निंदा करने के लिए धन्यवाद दिया। मुझे खुशी है कि माननीय अध्यक्ष ने आपातकाल की कड़ी निंदा की, उस दौरान की गई ज्यादतियों को उजागर किया और यह भी उल्लेख किया कि किस तरह से लोकतंत्र का गला घोंटा गया," प्रधानमंत्री मोदी ने एक पोस्ट में कहा। 

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प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित किए जाने के बाद ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुना गया। अपने चुनाव के तुरंत बाद बिरला ने कहा, "यह सदन 1975 में आपातकाल लगाने के फैसले की कड़ी निंदा करता है। हम उन सभी लोगों के दृढ़ संकल्प की सराहना करते हैं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया, लड़ाई लड़ी और भारत के लोकतंत्र की रक्षा की जिम्मेदारी निभाई," बिरला ने कहा।

इस पर सदन में विपक्षी सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हालांकि आपातकाल 50 साल पहले लगाया गया था, लेकिन आज के युवाओं के लिए इसे समझना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आपातकाल संविधान की अवहेलना, जनमत को दबाने और संस्थाओं को कमजोर करने के परिणामों की एक कठोर याद दिलाता है। प्रधानमंत्री के अनुसार, आपातकाल के दौरान की घटनाएं तानाशाही की प्रकृति को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं।

ओम बिरला ने आपातकाल पर क्या कहा?

बिरला ने 25 जून, 1975 को भारतीय इतिहास का एक "काला अध्याय" बताया और आपातकाल लगाने और "बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान पर हमला" करने के लिए इंदिरा गांधी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारत, जिसे विश्व स्तर पर लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है, आपातकाल के दौरान अपने लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचल दिया गया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंट दिया गया। बिरला ने सदस्यों से एक क्षण का मौन रखने का आग्रह करने के बाद सदन को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया। स्थगन के बाद, भाजपा सदस्यों ने संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, तख्तियां लहराईं और नारे लगाए। प्रधानमंत्री ने पोस्ट में कहा, "उन दिनों में पीड़ित सभी लोगों के सम्मान में मौन रहना भी एक अद्भुत भाव था।"

नई सरकार के चुनाव एवं सपथ के बाद एनडीए सरकार की ये पेहली सभा थी, इसके विरोध में कांग्रेस ने पहले सदन के बाहर सविधान लेकर विरोध प्रदर्शन किया था।