Jodhpur Police is using drones for surveillance to identify the rioters & locate stones placed on the rooftops.

VioIence erupted in Jodhpur on 21st June after radicals tried to open second gate of Eidgah in front of a Hanuman Mandir. A Hindu woman has lost vision in one of her eyes. A shop and a tractor were set ablaze during the vioIence. Several police officials also sustained injuries.

एनटीए परीक्षाओं की निगरानी के लिए इसरो के पूर्व अध्यक्ष की अध्यक्षता में बनी समिति, जानें कौन हैं डॉ के राधाकृष्णन?

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नीट पेपर लीक और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है। इस बीच केन्द्र सरकार ने परीक्षा सुधारों पर सुझाव देने और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के कामकाज की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय पैनल का गठन किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का उच्च स्तरीय पैनल आज यानी सोमवार को बैठक करेगा। समिति को दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। जिन सुधारों की सिफारिश की गई है उन्हें अगले परीक्षा चक्र तक लागू किया जाएगा।

शिक्षा मंत्रालय ने शनिवार को राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के माध्यम से परीक्षाओं का पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित करने के लिए पूर्व इसरो अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। इस समिति में डॉ. राधाकृष्णन सहित सात सदस्य शामिल हैं। समिति के कार्यक्षेत्र में परीक्षा प्रक्रिया में सुधार की सिफारिश करना, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल को बढ़ाना तथा एनटीए की संरचना और कार्यप्रणाली में सुधार करना शामिल है।

ऐसे का करेगी समिति

एनटीए की संरचना एवं कार्यप्रणाली के लिए उच्चस्तरीय समिति को सबसे पहले प्रत्येक स्तर पर पदाधिकारियों की भूमिका और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना होगा। इसके बाद एनटीए की वर्तमान शिकायत निवारण प्रणाली का आकलन कर और सुधार के क्षेत्रों की पहचान कर इसकी कार्यकुशलता बढ़ाने की भी सिफारिशें देनी होंगी। समिति किसी भी विषय विशेषज्ञ की मदद ले सकती है।

समिति में शामिल हैं ये लोगः-

1. डॉ. के. राधाकृष्णन (पूर्व अध्यक्ष, इसरो)

2. डॉ. रणदीप गुलेरिया (पूर्व एम्स निदेशक)

3. प्रो. बी.जे. राव (कुलपति, हैदराबाद विश्वविद्यालय)

4. प्रो. राममूर्ति के. (आईआईटी मद्रास)

5. पंकज बंसल (सह-संस्थापक, पीपलस्ट्रॉन्ग, और बोर्ड सदस्य, कर्मयोगी भारत)

6. आदित्य मित्तल (डीन, छात्र मामले, आईआईटी दिल्ली)

7. गोविंद जायसवाल (संयुक्त सचिव, शिक्षा मंत्रालय)

कौन हैं डॉ. राधाकृष्णन ?

डॉ. राधाकृष्णन अकादमिक सुधारों के लिए मौजूदा सरकार के पसंदीदा शख्स रहे हैं। उन्होंने शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित कई समितियों का नेतृत्व किया है। डॉ. राधाकृष्णन एक मशहूर वैज्ञानिक हैं। जो भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 1971 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र से डॉ. राधाकृष्णन ने अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV) प्रोजेक्ट में अहम जिम्मेदारी निभाई। डॉ. राधाकृष्णन विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में बतौर डायरेक्टर भी रह चुके हैं। उनके मार्गदर्शन में इसरो ने मंगलयान मिशन को पहले ही प्रयास में मंगल तक पहुंचाया था। डॉ. राधाकृष्णन ने डॉ. जी माधवन नायर के रिटायरमेंट के बाद इसरो का अध्यक्ष पद संभाला। जहां उनकी पहली प्राथमिकता जीएसएलवी के लिए स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन को तैयार करना था।

2009 से 2014 तक डॉ. राधाकृष्णन इसरो के अध्यक्ष रहे। उनके नेतृत्व में भारत ने चंद्रयान-1 मिशन, मंगलयान (मार्स ऑर्बिटर मिशन) और जीसैट श्रृंखला के उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के विभिन्न क्षेत्रों में अहम योगदान दिया, जिसमें सैटेलाइट संचार, रिमोट सेंसिंग और अंतरिक्ष विज्ञान शामिल हैं। अपने कार्यों के लिए डॉ. राधाकृष्णन को साल 2014 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उनके नेतृत्व और वैज्ञानिक योगदान के लिए उन्हें कई अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।

इससे पहेल शुक्रवार को केंद्र सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी और अनियमितताओं पर लगाम लगाने के उद्देश्य से एक सख्त कानून लागू किया। यह नया कानून परीक्षाओं की ईमानदारी और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है, जो शैक्षणिक और व्यावसायिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें धोखाधड़ी और अन्य धोखाधड़ी गतिविधियों को रोकने के लिए कठोर दंड शामिल हैं। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले अपराधियों को अधिकतम 10 साल तक की जेल की सजा हो सकती है। इसके अलावा, कानून में भारी जुर्माना भी लगाया गया है, जिसकी अधिकतम सजा 1 करोड़ रुपये तक है।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 को मंजूरी दिए जाने के लगभग चार महीने बाद, कार्मिक मंत्रालय ने शुक्रवार रात एक अधिसूचना जारी की, जिसमें घोषणा की गई कि कानून के प्रावधान 21 जून से लागू होंगे।

रूस के दागेस्तान में बड़ा आतंकी हमला, चर्च में पादरी का रेता गला,15 पुलिसकर्मियों समेत कई नागरिकों की मौत

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रूस के दक्षिणी प्रांत दागेस्तान में रविवार को हुए आतंकी हमले में 15 से ज्यादा पुलिसकर्मी, एक पादरी और कई नागरिक मारे गए हैं। प्रांत के गवर्नर सर्गेई मेलिकोव ने सोमवार सुबह एक बयान में जानकारी दी।दागिस्तान प्रांत के दो शहरों में हुए आतंकी हमले से रूस एक बार फिर थर्रा उठा। यहां छह बंदूकधारियों ने दो शहरों पर धावा बोल दिया। ये आतंकी धड़धड़ाते हुए दो ऑर्थोडॉक्स चर्च, एक आराधनालय और एक पुलिस चौकी में घुस गए और ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दीं।

इस हमले के बाद लोग खौफजदा हैं। रूस की सड़कों पर टैंक और स्पेशल फोर्स तैनात हैं। पिछले 9 घंटे से ऑपरेशन जारी है। दागिस्तान के दो शहरों डरबेंट और मखचकाला में हुए इस आतंकी हमले के बाद सोमवार, मंगलवार और बुधवार को शोक दिवस घोषित किया गया।

बताया जा रहा है कि आतंकियों के लिए एक साथ दो आर्थोडॉक्स चर्च पर हमला किया। चर्च में शाम की प्रार्थना के बाद आतंकी अंदर घुसे। बताया जा रहा है कि आतंकियों ने ऑटोमैटिक हथियारों से चर्च में अंधाधुंध फायरिंग कर दी। आतंकियों ने 66 साल के पादरी की गला रेतकर हत्या कर दी। फादर निकोले पिछले 40 साल से चर्च में सेवा दे रहे थे। आतंकियों ने यहूदी प्रार्थना स्थल सिनेगॉग पर भी गोलियां बरसाईं।

रूसी मीडिया आउटलेट आरटी ने बताया है कि जवाबी कार्रवाई में 6 हमलावर मारे गए हैं। हमले क्षेत्रीय राजधानी माखचकाला और तटीय शहर डर्बेंट में हुए, जो एक दूसरे से 120 किमी की दूरी पर स्थित हैं।रूस की जांच कमेटी ने इसे आतंकवादी कृत्य बताते हुए कहा है कि उसने दागेस्तान में हमले की आपराधिक जांच शुरू कर दी है। दागेस्तान रूस का एक बड़ी मुस्लिम आबादी वाला प्रांत है, जो चेचन्या के पड़ोस में है।

रूस में हुए इन हमलों की किसी आतंकी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है। हालांकि शक की सुई इस्लामिक स्टेट की तरफ जा रही है, क्योंकि करीब 3 महीने पहले इसी ने मॉस्को के पास एक कॉन्सर्ट हॉल पर हमला किया। उस हमले में 145 लोगों की मौत हो गई थी।

18वीं लोकसभा से पहले पीएम मोदी का आक्रामक अंदाज, आपातकाल को याद कर कांग्रेस पर साधा निशाना, जानें क्या कहा

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18वीं लोकसभा की पहली बैठक आज से शुरू हो गई है। इस बैठक से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कई अहम बातें कहीं। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र के लिए आज का दिन गौरव का दिन है। विकसित भारत के संकल्प के साथ आज से संसद के सत्र का आगाज हो रहा है। देश की जनता ने लगातार तीसरी बार किसी सरकार पर भरोसा किया है। आजादी के बाद दूसरी बार ऐसा हुआ है। इसका मतलब है कि उन्होंने सरकार की नीति और नीयत पर मुहर लगाई है। मैं इसके लिए हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

पीएम मोदी ने कहा कि सरकार चलाने के लिए बहुमत जरूरी है, लेकिन देश चलाने के लिए आम सहमति जरूरी है। हर किसी की सहमति से देश को आगे लेकर चलना है। उन्होंने कहा कि तीसरे कार्यकाल में तीन गुना ज्यादा काम करेंगे। 

इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष पर कड़े प्रहार किए। पीएम मोदी ने कहा कि देश को अच्छे विपक्ष की आवश्यकता है। उम्मीद है विपक्ष इस बार सार्थक चर्चा करेगा और लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखेगा। हम जनता का विश्वास और मजबूत करेंगे। हमारे पास दो बार सरकार चलाने का अनुभव है। लोग नहीं चाहते कि संसद में नखरे और ड्रामा हो। पीएम ने कहा कि माननीय सभी सांसदों से देश को बहुत अपेक्षाएं हैं. मैं उनसे अपील करूंगा कि वे जनहित के मुद्दे उठाएं। 

प्रधानमंत्री ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कल 25 जून है। 25 जून को भारत के लोकतंत्र पर लगे उस कलंक के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। भारत की नई पीढ़ी कभी नहीं भूलेगी कि भारत के संविधान को पूरी तरह से नकार दिया गया था, संविधान के हर हिस्से की धज्जियां उड़ा दी गई थीं, देश को जेलखाना बना दिया गया था, लोकतंत्र को पूरी तरह दबा दिया गया था। 

उन्होंने कहा कि अपने संविधान, भारत के लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करते हुए देशवासी संकल्प लेंगे कि भारत में दोबारा कोई ऐसा करने की हिम्मत न कर सके, जो 50 साल पहले किया गया था। हम एक जीवंत लोकतंत्र का संकल्प लेंगे। हम भारत के संविधान के निर्देशों के अनुसार सामान्य मानवी के सपनों को पूरा करने का संकल्प लेंगे।

Canadian journalist Daniel Bordman says, " India is doing better than before
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भर्तृहरि महताब बने प्रोटेम स्पीकर, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई पद की शपथ

#first_session_of_18th_lok_sabha 

18वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत आज हो रही है। भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब ने 18वीं लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ दिलाई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बीजेपी नेता और सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब को लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। महताब को निचले सदन के नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाएंगे और लोकसभा स्पीकर के चुनाव तक संसद की कार्यवाही के लिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे।

राष्ट्रपति मुर्मू सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले महताब को राष्ट्रपति भवन में प्रोटेम अध्यक्ष पद की शपथ दिलाएंगी। इसके बाद महताब संसद भवन पहुंचकर 11 बजे से सदन का संचालन आरंभ करेंगे। कार्यवाही की शुरुआत दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक मिनट मौन रखने से होगी।

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को कहा कि वह संसद चलाने के लिए समन्वय की सकारात्मक उम्मीद कर रहे हैं। एक्स पर एक पोस्ट में रिजिजू ने कहा कि वह संसदीय कार्य मंत्री के रूप में संसद सदस्यों की सहायता के लिए हमेशा उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने लिखा, '18वीं लोकसभा का पहला सत्र आज 24 जून, 2024 से शुरू हो रहा है। मैं सभी नवनिर्वाचित माननीय सदस्यों का स्वागत करता हूं। मैं संसदीय कार्य मंत्री के रूप में सदस्यों की सहायता के लिए हमेशा उपलब्ध रहूंगा। मैं सदन चलाने के लिए समन्वय की सकारात्मक उम्मीद कर रहा हूं।

प्रोटेम पैनल के सदस्य के सुरेश ने कहा कि ‘एनडीए सरकार ने लोकसभा की परंपरा का उल्लंघन किया है। अब तक परंपरा यह थी कि जो सांसद सबसे ज़्यादा बार चुना जाता था, वही प्रोटेम स्पीकर बनता था। भर्तृहरि महताब 7वीं बार सांसद चुने गए हैं। हालांकि, मैं 8वीं बार सांसद चुना गया हूं। वे फिर से विपक्ष का अपमान कर रहे हैं। इसलिए इंडिया अलायंस ने सर्वसम्मति से पैनल के सदस्यों का बहिष्कार करने का फैसला किया है।’

10 साल में पहली बार संसद में होगा मजबूत विपक्ष, कैसे सामना करेगी सरकार?*
#modi_government_3_0_will_face_challenge_a_strong_opposition

संसद सत्र से पहले कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि सियासी तापमान काफी बढ़ने वाला है, क्योंकि विपक्ष जोरदार तरीके से भाजपा पर निशाना साधेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सदन को पहले की तरह तानाशाह तरीके से नहीं संचालित किया जाए।कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि उनकी सहानुभूति भाजपा के साथ है, क्योंकि विपक्षी गठबंधन इंडिया के बड़े नेता, जो अच्छे वक्ता माने जाते हैं, सदन में पहुंच गए हैं। ये बातें बता रहा है कि विपक्ष मजबूती से संसद में सरकार का सामना करने के लिए तैयार है। यही, विपक्ष सरकार के सामने बड़ी चुनौती पेश करने वाला है। दरअसल, पिछले 10 साल में ऐसा पहली बार होगा जब लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी के सामने एक मजबूत विपक्ष होगा। दरअसल, नई लोकसभा का पहला सत्र आज से शुरू हो रहा है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 10 साल बाद भाजपा को दमदार नेता और बड़े संख्या बल वाले विपक्ष का सामना करना होगा। यह चुनौती इंडिया गठबंधन के 234 सांसदों की संख्या भर की नहीं होगी बल्कि, कई जमीनी नेताओं के सदन में पहुंचने से अधिक मिलेगी। इसके अलावा भाजपा की विचारधारा के खिलाफ वाले अन्य विपक्षी दल व निर्दलीय भी लोकसभा पहुंचे हैं। लोकसभा में सीटें बढने से अब सदन में कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष को बोलने के लिए अधिक समय आवंटित होगा। इसके चलते अधिक से अधिक सांसदों को बोलने का मौका मिलेगा। पिछले दस साल से मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास नेता प्रतिपक्ष का आधिकारिक पद नहीं रहा। इसकी राह में एक नियम रोड़ा बना रहा। दरअसल, सदस्य संख्या का कम से कम 10 प्रतिशत, यानी 54 सांसद, होने पर ही नेता प्रतिपक्ष का दर्जा मिल सकता है। कांग्रेस के पास 16 वीं और 17 वीं लोकसभा में सिर्फ 44 और 52 सांसद ही रहे। लेकिन, इस बार उसके सदस्यों की संख्या 99 तक पहुंची है। जिससे कांग्रेस को 10 साल बाद नेता प्रतिपक्ष बनाने का मौका मिला है। लोकसभा का पहला सत्र सांसदो की शपथ जैसे औपचारिक कार्य से शुरू होगा लेकिन माना जा रहा है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान विपक्ष सरकार को जमकर घेरेगा। पेपर लीक और परीक्षाओं में अनियमितता के अतिरिक्त ‘अग्निपथ’ जैसी योजना का विरोध भी सरकार को झेलना पड़ेगा।चर्चा है कि लोकसभा के पहले सत्र के पहले दिन विपक्षी इंडिया गठबंधन के सदस्य सुबह संसद परिसर में इकट्ठा होंगे। इसके बाद सभी एक साथ सदन की ओर मार्च करेंगे। ये सभी सदस्य पुराने संसद भवन के गेट नंबर-2 के पास इकट्ठा होंगे, जहां पहले महात्मा गांधी की प्रतिमा हुआ करती थी। अब इस प्रतिमा के साथ-साथ कई और को दूसरी जगह पर शिफ्ट कर दिया गया है, जिसे प्रेरणा स्थल का नाम दिया गया है।